Tuesday, October 7, 2008
ननद भाभी -2
हेलो दोस्तो अब आपके लिए ननद भाभी का लास्ट पार्ट लेकेर आपका
राज शर्मा हाज़िर है
वा सूपदे को चाटने के साथ मुझे देखते बोली, "कैसा लग रहा है
राजा." "ओह माया बता नही सकता रानी रूको नही छातो." "लो मज़ा
राजा. मुझे जवान मर्द के साथ खेलने मैं बहुत मज़ा आता है. जब
मैं और मीना मिलकर चाटेंगे तू और मज़ा आएगा. हाए क्या मस्त
लंड है. अगर 60 साल की छूट मैं डाला जाए तू कसा होगा. मीना
आ जाए तू उसे भी चत्वौुनगी. मेरे ससुर इसीलिए तू मेरे पीच्चे
कुत्ते की तरह लगा रहता है. उससे डरना नही. साले के लंड पर तू
पेशाब भी नही करूँगी. तुम उसके सामने भी आना साला मज़ाल नही
जो कुच्छ कहे."
सूपदे को जीभ से चटवाने मैं वा मज़ा आ रहा था की बस लेते-
लेते चत्वाते रहने को मॅन था. ऐसा मज़ा कभी नही मिला था. माया
मेरी तड़प को समझ गयी थी. चूड़ी-चुदाई ने इतने मैं वा मज़ा दे
दिया था जो कुँवारी मीना ने छुड़वाने के बाद भी नही दिया था. मैं
नीचे से लंड उठा-उठा माया के मुँह मैं घुसा चटवा रहा था.
तभी मीना भी केवल स्कर्ट पहने आई अनार सी चूचियों को नंगी
किए अंदर आई. उसके आते ही माया ने लंड को मुँह से बाहर किया तू
मज़ा खराब हुवा. जवानी से भारी मीना की कड़ी-कड़ी चूचियों को
देख लहरा गया. मीना के आते ही माया मेरे मस्त लंड को पकड़ अपनी
ननद से बोली, "मीना तुमने तू कमला कर दिया. हाए. तुम्हारे यार का
तू घोड़े सा है. मुझे भी खूब मज़ा आएगा. मीना यह हम लोगो के
घर पहली बार आए हैं इसलिए पूरा मज़ा देना है. मैने कह दिया
है की रोज़ आए."
मीना केवल स्कर्ट मैं बहुत ही नशीली लग रही थी. मेरे हेवी लंड
को देख दोनो मस्त थी. मीना पास आ बोली, "भाभी अच्छा है ना मेरे
यार का." "बहुत मेरी प्यारी ननद जी." "मैने कहा था ना की मेरे
यार का देखते ही आप मस्त हो जाएँगी." "हन मीना हंदोनो को इनको
खूब मज़ा देना है. तुम अभी नादान हो, मर्द को खुश करना मुझसे
सीख लो." माया मेरे लंड को हिलती बोली.
माया की इन हरकटो को देख अब मैं मीना की कसी छूट को भी भूलता
जेया रहा था. मीना पास आ रात भर अपनी छूट को छोड़कर फाड़ने
वेल लंड को देखती बोली, "जी भाभी मुझे सिखाइए." "सब बतौँगी."
और पुर लंड पर हाथ फेर बोली, "और छाते." "ओह माया बहुत मज़ा
है, और छातो." "ठीक है अब मैं और मीना अपने तरीके से तुमको
जवानी का मज़ा देंगे. अभी तुमको औरत के साथ मस्ती से मज़ा नही
मिला है केवल छोड़ना ही जानते हो. राजा छूट तू सभी छोड़ते है
पर जन्नत की करवाकर चखाएँगे तू मस्त हो जाओगे."
मेरे बदन का रोया-रोया खड़ा हो गया था. मीना अपनी कसी-कसी
चूचियाँ को ताने पास ही खड़ी थी. उसके आने से मज़ा और मिलने
लगा था. मैं माया का दीवाना होई उसकी चूचियों को पकड़े था. रात
मैं दमदार चुदाई से मीना को अपने काबू मैं कर लिया था तू इस
समय माया ने लंड को चाटकार मुझे अपने काबू मैंकर लिया था.
वा मीना से बोली, "अब तुम मेरे बताए तरीके से मज़ा लॉगी." "ठीक
है भाभी." "आओ राजा कुर्सी पर बैठो. अब देखना दोनो से तुम्हारी
जवानी को कैसा मज़ा आता है."
एक साथ दो छूट पा बहुत खुश था. बिस्तर से उठा और दोनो की
छ्होटी और बड़ी चूचियों को देखता कुर्सी पर बैठ गया. पैर
फैलाकर बैठा तू लंड सीधा खड़ा हो गया. सूपड़ा गुलाबी था और
लंड मैं 440 वॉल्ट करेंट दौड़ रहा था. दोनो को सामने खड़ा देख
मैं सातवे आसमान पर था.
मुझे चेर पर बिताने के बाद माया ने मीना के कान मैं कुच्छ कहा
तू मीना मुस्काराकार मेरे पास आई और मेरे लेफ्ट पैर के पास बैठती
मेरे लंड को पकड़ बोली, "राजा मुझे भी चताओ."
मीना की बात से मैं बेहोश सा होने लगा. उसने लंड पकड़ कर तू
जन्नत मान ही पहुँचा दिया था. तभी माया रिघ्त साइड मैं आ उसी
तरह लंड पकड़ बोली, "राजा मुझे भी चताओ."
मैं गदगद हो गया. आज तक जो मज़ा दूसरी छूट वालीयो को छोड़कर
लिया था, इस मज़े के आयेज बेकार हो गया. एक साथ दो हाथ मैं लंड
दे खुश हुवा तू माया ने कहा, "राजा जब हंदोनो एक साथ चाटेंगे तू
बहुत मज़ा आएगा. तुम हदोनो की एक-एक चूची को पकडो और जब
छाते तू मसलना."
अब मेरे एक हाथ मैं मीना का अनार था तू दूसरे मैं माया का
पपीता जिसे मैं मसल रहा था और वी दोनो एक-एक हाथ से लंड पकड़
एक साथ चाट रही थी और दूसरे हाथ से मेरी राणो को सहला रही
थी. माया बीच-बीच मैं अपनी ननद को लंड चाटने के अंदाज़ बता
रही थी. दो को एक साथ चटवाने मैं अनोखा मज़ा था. मैं अब तेज़्त्
से दोनो की दोनो चूचियों को दबाता-मसलता काँटा नाथ की बहू-
बेटी के साथ उसी के घर मैं मज़ा ले रहा था. दोनो बड़े प्यार से
एक साथ मेरी राणो पर हाथ फेरती पुर लंड को जीभ चला-चला
छत रही थी, जैसे कोई चाट के पत्ते को चाट्ता है. दोनो को भी
मज़ा आ रहा था और उनका चेहरा लाल हो गया था. दोनो एक साथ
जीभ को जोरकर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर लाती तू लगता की
झार जाएगा. यह मज़ा मेरे लिए नया था.
तभी माया ने मुझे नशीली आँखो से देखते पूचछा, "मज़ा आ रहा
है." "हन रानी बहुत." "हम लोगो को भी तुम्हारा चाटने मैं बहुत
मज़ा आ रहा है. राजा अब खड़े होकर चटवओ."
मैं कुर्सी से उतार कर दोनो के सामने खड़ा हो गया. लंड एकदम रोड
की तरह सीधा खड़ा था. दोनो लंड को मुठ्ठी मैं ले चाटने लगी.
खड़े होकर चटवाने से और मज़ा मिला. तभी माया मेरे लंड को दबा
बोली, "खड़े रहो राजा अब मैं मीना को चाटती हून."
इतना कह माया मेरे पीच्चे आई और मेरी पीठ से अपनी चूचियों को
दबाती राणो को मेरे चूतदसे लगा पीच्चे से हाथ आयेज लाई और
लंड को पकड़ बोली, "मीना." "हन भाभी." "अब मैं राजा का मज़ा
तुमको दिलवती हून. लो मज़ा." "जी भाभी." फिर माया मेरे लंड को
सहला सहला मीना को चटवाने लगी. इस अंदाज़ से तू मई मस्त हो गया.
एक हाथ से पकड़ दूसरी को चटा रही थी.
"मज़ा है राजा." "हाए माया बस करो नही तू निकल जाएगा." "क्या मस्त
लंड है राजा. बहुत मज़ा आ रहा है. तोड़ा सा और मज़ा मुझे
दो." "लो ना रानी."
मैं बात करते हुवे मज़े की वजह से आँख बंद कर लेता था. इस
तरह से दोनो ननद-भाभी मेरे लंड को चाट-चाट कर मज़ा ले रही
थी. मैं पड़ोसी का फ़र्ज़ निभा रहा था. इतना मज़ा आ रहा था की
छोड़ने को मान ही नही हो रहा था. तभी माया उसी तरह से अपनी ननद
मीना को लंड चुसती बोली, "कल रात मीना की तुमने छोड़कर फाड़ दी
है." "फटत गयी?" "हन राजा देखो तुम्हारा कितना मोटा है. क्यों
मीना तुम्हारी छूट फटी है ना?" "हन भाभी थोड़ी सी फटी
है." "मुझे लग रहहै ये आज मेरी भी फारेंगे. हाए कितना अलबेला
लंड है. ऐसा तू कभी नही देखा."
8-10 बार और चटवाने के बाद माया बोली, "बस मीना अब रुक." फिर
माया सामने आ मीना की पतली कमर मैं हाथ डाल उसे मेरे
सामनेसीधा खड़ा करती बोली, "राजा अब तुम इसकी चूचियों को दब्ाओ
और मीना तुम स्कर्ट उतारकर राजा के लंड को अपनी राणो के बीच दबा
राजा से चिपक कर खड़ी हो जाओ."
फिर मीना ने जो अप्ञास्किर्ट खोला तू उसकी झाँते सॉफ की गयी रात
जमकर चूड़ी 18 साल की छूट को देखते ही मैं बेचैन हो उसकी दोनो
खड़ी-खड़ी चूचियों को बेताबी से इतनी ज़ोर से दबाने लगा तू मीना
सिसक गयी. माया मेरे लंड को पकड़ अपनी ननद की चिकनी-चिकनी
मांसल जाँघो के बीच कर मीना की जवान छूट से संगम करती
बोली, "राजा इसकी चूचियों को मस्लो. इतना लंबा है की सूपड़ा इसके
चूटर के पीछे तक आ गया है. अब मैं पीच्चे से चाटूँगी. देखना
इस बार तुम्हारा पानी निकल जाएगा."
अब मीना मेरी कमर मैं हाथ डाल अपनी चूचियों को मसलवा रही
थी और मैं लंड को मीना की राणो के बीच से डाले था जिसे पीच्चे
से माया चाट रही थी. राणो मैं घुसे लंड से लग रहा था की किसी
छूट मैं घुसा हो. माया तू सच ही नये-नये अंदाज़ से भरपूर
मज़ा दे रही थी. इस तरह मीना को नंगी चिपकाने का मज़ा ही कुच्छ
और था.
मैं उजाले मैं के 18 साल के नंगे बदन की खूबसूरती को देखता
उसकी छूट को लंड से रगड़ता उसकी संतरे सी गोल-गोल चूचियों को
मसल रहा था. उसकी भाभी माया पीच्चे से रसगुल्ले की तरह मेरे
लंड के सूपदे को मुँह मैं लेकर चूस रही थी. मैं खो चुका था.
माया चाटने के बजाए लंड को चूस रही थी. मीना मेरे और अपनी
भाभी के बीच फाँसी चुपचाप अपनी चूचियों को मसलवा रही थी.
माया मेरे लंड को चूस्टी मीना की गांद भी सहलाते हुवे कभी-कभी
चाट लेती थी.
बिना छोड़े ही झड़ने वाली पोज़िशन मैं आया था. तभी माया ने
कहा, "राजा अब तुम ज़रा मीना की चूचियों को मुँह मैं लेकर पियो."
मैं तू उसकी हर बात मान रहा था. तभी मीना ने भी कहा, "हाँ
हन मुँह से चूस्कर पियो." तू मैं झुक कर उसकी एक चूची को मुँह
मैं लेकर दबा-दबा पीने लगा.
5-6 बार ही चूचियों को मुँह सेचूसा था की माया ने सूपदे को
कसकर मुँह से चूसा तू मैं मीना को कसकर दबाते हुवे झरने
लगा. ग़ज़ब की प्यासी औरत थी माया. मैं हाए-हाए करता झरने
लगा और माया मेरे लंड की रस-मलाई को पीने लगी. उसने लंड को मुँह
से बाहर नही किया था. उसने मेरे चूतड़ पर हाथ लगा मुझे अपनी
ऊवार कसकर दबा लिया था और मीना बीच मैं फाँसी थी. मेरे
हातूस्की चूचियों पर थे.
झारकर अलग हुवा तू माया मेरे लंड की मलाई को पीटी हुई बोली, "श
राजा बहुत टेस्टी था तुम्हारा लंड." तू मीना बोली, "भाभी तोड़ा सा
मुझे भी पीला देती." "पगली कल रात भर चुडवाया और लंड का
पनिभि नही पिया, चल कोई बात नही अब तू बराबर आना है इनको.
तुझे भी पीला दूँगी. चल अब हटो. तुम्हारी छूट ने पानी फेंका?"
हन दीदी झार गयी है." "जेया छूट को कपड़े से पूच . मज़ा लेना
सीख लो. ला अपना सकर्टेड तू लंड को पूच डू."
फिर माया मीना के स्कर्ट से मेरे लंड को सॉफ करने लगी. आज एक साथ
दो चुदसी छूट के साथ मेरी जवानी मस्त थी. अब मुझे मीना के
कुंवारे बदन से ज़्यादा मज़ा उसकी चूड़ी भाभी के साथ आ रहा था.
लंड को पूच माया अपनी ननद की रात मैं छोड़कर फैलाई गयी
छूट को देखती बोली, "क्यों मीना रात को छुड़वाने के बाद राजा का
लंड पूचछा था?" "नही भाभी." "पगली जब लंड से पानी निकले तू
अपने हाथ से पूच कर सॉफ कर दिया करो."
फिर माया मेरे लंड को पूचहति मेरी ऊवार देख मुस्कराने लगी. भाभी
लंड को पूच रही थी और ननद देख रही थी. मीना पूरी नंगी थी
पर माया अभी पेट्तीकोत पहने थी. माया की इस हरकत से मस्त हो उसकी
चूड़ी छूट देखने के लिए बोला, "हाए माया पेट्तीकोत खोल दो." "पहले
बताओ मज़ा आया." "हाए बहुत माया." "धीरे-धीरे मीना भी सीख
जाएगी. उसे भी सीखा रही हून." "हन रानी." मैं और मीना नंगे
थे. माया लंड को सॉफ करने के बाद अपनी छूट को मीना के स्कर्ट से
पूचहति बोली, "राजा अब बिस्तर पर लेतो."
मैं फ़ौरन बेड पर लेता तू माया मेरे सर के पास बैठी और मेरे सर
को अपनी रान पर रख मेरे गाल पर हाथ फेरती बोली, "सच राजा इतना
मस्त लंड है की मज़ा आ गया. अब इस घर मैं रोज़ आना. क्यों मीना
रोज़ बुलाओगी ना?" "हन भाभी अब इनको रात मैं अपने कमरे मैं ही
सुलाया करेंगे." "पर मीना पापा भी तू हैं घर मैं." "पापा को
गोली मरो भाभी, भाभी आप पापा को दिन मैं अपनी चत्वक्र ठंडा
कर दिया करना फिर रात भर मेरे यार का लंड अपनी छूट मैं
डलवाकर सोना. हाए भाभी जब तक भयया नही आते इनको ही अपना पति
बनाओ."
मैं दोनो की मस्ती से भारी बात सुन खुश हो बोला, "रोज़ अवँगा, हाए
अपनी छूट दिखाओ." मीना मेरे सामने बैठी थी. दो छूट वालीयो को
देखकर मस्त था. माया की चूचियों को पकड़ बोला, "उतार दो
ना." "उतार देती हून राजा पर मेरी मीना जैसी लड़कियों वाली नही
होगी. मेरे मैं तुम्हारा आराम से चला जाएगा लेकिन मज़ा
आएगा." "मीना तू रात भर की ताकि है. तुम दिखाओ ना. जाओ मीना
तुम आराम करो जाकर." मेरी बात सुन मीना घबरा गयी और जल्दी से
बोली, "नही-नही ताकि नही हून." "अरे जाओ ना तोड़ा आराम कर लो."
तब माया बोली, "राजा रहने दो इसे भी. इसे मज़ा देना सीखौँगी. लंड
को तैय्यर होने दो." (राइट मे अट इक़्षाहिद92@य...)
मैं माया की चूचियों को पकड़ते बोला, "अब तुमको छोड़ूँगा." माया
मेरी बात से खुश हो मुझे कसकर भींच बोली, "मुझे ही छोड़ना पर
इसे भी साथ रहने दो. बोलो चूचियों को पीते हो?" "हन." "छूट
भी चाटते हो." "हन रानी." "क्यों मीना रात मैं तुम्हारी चटा
था?" "हन भाभी बहुत मज़ा आया था." "ठीक है तू जेया किचन से
शहद ले आ."
मैने उसकी घुंडी को मसल पूचछा, "शहद क्या होगा रानी?" "तुम अभी
नही समझोगे. जाओ मीना शहद लेकर आओ." मीना उठकर चली गयी
तू माया ने कहा, "राजा शहद लगा-लगा कर चाखौँगी और चखूँगी.
किसी भी छूट मैं जब शहद लगाकर छातोगे तू मज़ा आएगा और
छूट के पानी से जीभ भी नही खराब होगी. और छोड़ने मैं कसा-
कसा जाएगा. वैसे चूचियाँ तू मीना की पीने वाली है. मेरी तू
ढीली हैं."
"हाए रानी उसकी बात ना करो. मुझे तू तुम्हारे साथ मज़ा आ रहा
है." माया मेरी बात सुन खुश हो बोली, "मुझे ही छोड़ना पर मीना के
साथ. जिस तरीके से चड़वौनगी, उससे तुमको वो मज़ा मिलेगा जो कभी
नही पाया होगा. एक साथ टाइट और लूस छूट का मज़ा लो." और मीना
के आने तक वा मज़ा लेने के बारे मैं बताती बोली, "राजा जब एक
साथ दो छूट का मज़ा लो तू एक को नंगी रखो और दूसरी को आधी
नंगी. जब पेट्तीकोत उठा-उठा दिखौँगी तू मज़ा आएगा. मैं खुद
ऊपर आ चड़वौनगी. पुर लंड से छोड़ना."
तभी मीना शहद की शीशी लेकर आई तू माया ने मीना की और अपनी
चूचियों पर शहद लगाया और मेरे सामने खड़ी हुई. मैने दोनो की
चूचियों को जो जीभ से चटा तू मीठा मज़ा मिलने के साथ ही लंड
एकदम से खड़ा हो गया. फिर माया शहद मुझे दे बोली, "राजा अब अब
अपने हाथ से शहद को हम दोनो की छूट पर लगाकर जितना चाट
सको चाट लो. पहले मीना की छातो."
मैं फ़ौरन मीना की फैली टॅंगो के बीच आया और अपने लंड को
झटके देता उसकी छूट पर शहद डाल चाटने लगा तू मैं झूम
गया. बहुत मज़ा आया मीठी छूट चाटने मैं माया मीना को छूट
चटवाने के तरीके बता रही थी. मीना बेचैनी के साथ हाथ से
छूट के फाँक फैला जीभ को च्छेद मैं डलवा चटा रही थी.
तभी माया अपने पेट्तीकोत को उतार अपनी बड़ी और चूड़ी छूट को
undefined दिखती बोली, "अब मेरी छातो राजा." तब मैं माया की गुलाबी छूट
पर शहद लगा उसकी चाटने लगा. जब मेरी जीभ माया की छूट मैं
घुसी तू माया टाँग उठा-उठा चत्वती बोली, "हाए मेरे राजा हाए
मेरे सैंया. मेरी ननद के यार छातो हाए पेच्चे से छातो." और
वा पलट कर चूटर की ऊवार से पेट्तीकोत उठा डॉगी स्टाइल मैं छूट
को चटवाने लगी तू मैं मीना कुँवारी छूट को भूल गया.
तभी माया बोली, "अब छोड़ो राजा." "तोड़ा और चटवओ हाए." "मेरा
मज़ा खराब हो जाएगा. शहद लगाओ." तू मैं फ़ौरन माया की छूट
पर शहद लगा बेड पर लेट गया. मेरा लंड ऊपर की ऊवार सीधा खड़ा
था. फिर माया ने मीना को मेरे चेस्ट पर दोनो पैरो को इधर-उधर
कर के बिताया और बोली, "मीना तुम अपनी छूट पर शहद लगाकर
राजा को छूट चताओ मैं राजा का लंड अपनी छूट मैं लेती हून.
मेरे साथ मज़ा लो ऐसा अकेले नही मिलेगा."
तब मीना ने अपनी छूट पर शहद लगाकर उंगली से फैला मेरे मुँह
के पास किया और पीच्चे माया ने टाँग फैला छूट के च्छेद को मेरे
लंड पर बैठी तू तू जैसे ही सतत से लंड छूट मैं गया वैसे ही
मेरी जीभ मीना की कसी छूट मैं जा घुसी और मीना बोली, "हाए
भाभी खूब मज़ा आ रहा है."
तभी धक्के लगा पुर लंड को अंदर ले माया ने मुझे पागल कर
दिया. शहद लगा होने से माया की छूट कस गयी थी वही मीना की
छूट का स्वाद भी मीठा हो गया था. माया हाथ आयेज ला मीना की
चूचियों को पकड़ बोली, "दो का मज़ा लो एक साथ लो तुम दोनो.
हााययययई."
अब मैं दो छूट का मज़ा एक साथ लेने लगा.
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ननद भाभी --1
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मेरे पड़ोस मैं काँटा नाथ रहते थे. उनके केवल एक लड़का और एक
लड़की थी. लड़का 30-32 साल का था और दूसरे सिटी मैं जॉब करता
था. लड़की मीना 18-19 साल की थी और B.आ. कर रही थी. मैं खुद
22 साल का था. मीना के भाई की शादी 7 साल पहले हुई थी और उसकी
भाभी माया भरपूर जवान थी. मीना का मेरे घर मैं आना जाना
था. मैने कई बार उसकी चूचियों को दबाया था और एक आध बार
छूट को भी सहलाया था. अब इधर कई दीनो से मैं और मीना आपस
मैं मज़ा ले रहे थे, पर अभी तक उसे छोड़ा नही थे. केवल
चूचियों को दबा था और छूट को सहलाया था.
कल रात उसके बाप कही बाहर गये थे तू मीना चुपके से मेरे घर
मैं आ गयी. इस रात मैने उसे छोड़कर कुँवारी छूट का मज़ा लिया.
मीना चूड़ने के बाद बहुत खुश थी. वा मुझसे बोली, "श बहुत
मज़ा आया. अब रोज़ छोड़ना." "पर कैसे तुम तू आती नही हो रोज़." "अपने
घर मैं ही चड़वौनगी तुमसे." "वहाँ तू भाभी होगी." "अरे भाभी
मेरी बहुत अच्छी हैं. वा मुझसे बहुत प्यार करती है. मैने
तुम्हारे बारे मैं उसे सब बता दिया है. कह रही थी की अपने दोस्त को
घर ले आओ और मुझे भी छुड़वा दो."
मैं उसकी बात सुन खुश हो बोला, "तुम्हारी भाभी भी." "हन मेरी
जान मेरी भाभी बहुत चुड़क्कड़ है. साली बहुत लंड खा चुकी हैं
और पापा को भी मज़ा देती हैं. वा साथ रहेंगी तू घर मैं रोज़ ही
मज़ा लिया जया करेगा."
मैं यह जान बहुत खुश हो गया की मीना के साथ-साथ उसकी भाभी
की छूट भी मिलेगी. अगले दिन सुबह 10 बजे उसके घर गया. उसके घर
के सामने गया तू खुश हो गया. मीना मेरे ही इंतेज़ार मैं खड़ी
थी. जैसे ही अंदर गया मीना ने दरवाज़ा बंद किया और बोली, "राजा
भाभी को तैय्यर कर लिया है पर मुझे ज़्यादा करना भाभी को कम."
मैं मीना की चूचियों को पकड़ बोला, "घबराव नही. तुम्हारे लिए
ही तू तुम्हारी भाभी की लेने को आया हून. अब घर मैं सारा खेल हो
जया करेगा. वरना तुम्हारी भाभी को मैं नही करता."
मैं मीना की भाभी को देख chuka चक्का था. वा 27-28 की chudi चुदाई
औरत थी. खूबसूरत तू बहुत थी पर मीना भी कम नही थी और फिर
कुँवारी थी. काँटा नाथ की बहू और बेटी मेरे लिए मज़े का ख़ज़ाना
बन गयी थी. चूचियों को डब्वाते ही मीना का गोरा मुखड़ा लाल हो
गया. वा बोली, "हाए छ्होरिय, अंदर चलकर आराम से."
मैं मीना के चूटर पर हाथ लगा बोला, "भाभी के सामने शरमाओगी
तू नही." "शरमौँगी क्यों राजा पर मुझे ज़्यादा करना." "उसकी चिंता
मत करो. मैं तू तुम्हारा दीवाना हून. रात मैं तू अंधेरा था,
हाए इस समय कितनी खूबसूरत लग रही हो. उजाले मैंी आता है
मज़ा." "हन बहुत मज़ा आया था." "दर्द हो रहा होगा." "हन तोड़ा
सा पर ठीक हो जाएगा." "मज़ा आया था ना रात मैं मुझसे छुड़वाने
का."
"हन राजा खूब मज़ा आया. कमाल का है तुम्हारा." चलते-चलते लंड
पर हाथ लगा बोली तू मैं खुश हो उसके आपल जैसे चिकने गाल को
मसल जवानी की प्यास बुझते बोला, "तुम्हारी भाभी ने क्या कहा?
बताओ ना." "भाभी ने कहा है की बुला लो हम भी मज़ा लेंगे. भाभी
पूरी तरह राज़ी हैं अब तुम उनके सामने भी मज़ा ले सकते हो."
यह सब बात करते-करते मीना मुझजे अपने रूम मैं ले आई. मुझे
वाहा बिताकर जाने लगी तू मैने उसे पकड़ अपनी गोद मैं बिता उसके
रसीले हूँटो को कसकर चूमते हुवे कहा, "तुम दोनो इस समय केवल
पेट्तीकोत पहन कर आओ तू मज़ा आ जाए. देखो मीना रात भर
थकाया है तुमने अब ज़रा आराम काराव. जो कहे करना तू ही मज़ा
आएगा. तुम्हारे साथ-साथ आज तुम्हारी भाभी को भी तू करना
है." "हून."
गोद मैं खड़े लंड पर अपनी गांद रखते ही मीना अपने आप को भूल
गयी. मैं काँटा नाथ की बहू और बेटी के साथ पड्रोसी का फ़र्ज़
निभाने को रेडी था. एक ही रात मैं दमदार चुदाई से मीना को अपने
काबू मैं कर लिया था. अब मैं मीना के साथ-साथ उसकी भाभी
माया का भी मज़ा लेने के प्लान मैं था. जानता था की मीना अब मेरी
किसी बात से भी इनकार नही करेगी.
"जाओ मीना भाभी को भी केवल पेट्तीकोत मैं और क्रीम लेकर आओ.
इसको सॉफ किया या नही." छूट पर हाथ लगा बोला तू वा हिचकते
हुवे बोली, `हाए राम अभी नही." "जाओ पहले तुम अपनी झाँते सॉफ
करके चिकनी करो, तब तक भाभी को भेज दो. जब तक एकदम चिकनी
करके नही आओगी मैं छोड़ूँगा नही. जब तक मुझसे चुड़वव, इसको
चिकनी रखना."
आज मीना को हटाकर माया के साथ मज़ा लेने का मौका मिल रहा था.
माया मीना की भाभी थी. मीना की उमर 18-19 की थी और उसकी भाभी
माया की 27-28 य्र्स. दोनो ही मस्त माल थे. मीना तू कुँवारी थी जिसे
मैने ही छोड़कर पहला मज़ा दिया था. अब उसकी भाभी को भी छोड़ना
था. मीना मेरी बात सुन गयी तू मैं बिना झिझक के मस्त छूटों का
मज़ा प्यार से लेने के लिए केवल अंडरवेर मैं हो कुर्सी पर बैठ
गया. मीना से पहले उसकी भाभी के आने का चान्स था क्योंकि मीना
तू झांतो को सॉफ करने गयी थी.
तभी माया केवल पेट्तीकोत मैं अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों को हिलती
हाथ मैं आयिल की बॉटल लेकर आई तू मैं जवान औरत को इस
पोज़िशन मैं देखकर मस्त हो गया. माया तू चेहरे से ही चुदसी लग
रही थी. वा पास आ बोली, "आप तू मेरे पड़ोस मैं ही रहते हैं.
मीना आपकी बहुत तारीफ कर रही थी. मीना आपकी गर्ल फ्रेंड है तू
क्या मुझे भी अपनी फ्रेंड बना लो. एक साथ शादीशुदा और कुँवारी का
मज़ा मिलेगा तुमको. हाए राजा तुमने तू एक रात मैं मेरी ननद को
बच्चिया(कॅफ) से गैया(काउ) बना दिया है."
मीना की तरह उसकी भाभी भी एकदम चुदसी लग रही थी. मैने
सोचा था की पहली बार आने पर माया शरमाएगी पर यह तू ऐसे
खुलकर बात कर रही थी जैसे मेरी पुरानी रखैल हो. मैं उससे
बोला, "काँटा नाथ की बहू हो?" "हन मीना कह रही थी की आपकी
अभी शादी नही हुई है. आपको औरत की ज़रूरत है. हंदोनो मिलकर
आपकी प्यास बुझायेँगे. मीना के साथ तू बहुत मेहनत करनी पड़ी
होगी. हाए ज़रा उंदरवाएआर खोककर दिखाओ तू. बहुत तारीफ कर रही
थी मीना." और बिना शरम पास आ मेरे अंडर वेर को देखने लगी.
मैं माया जैसी चूड़ी और फैली छूट वाली को अपने सामने छुड़वाने
के लिए तरसते देख नशे से भर गया. मुझे इस घर मैं जन्नत
दिखने लगी. माया की मस्ती देख चूड़ी होने के बावजूद दिलचस्पी
जागी. मैं उसकी एक चूची को पकड़ बोला, "लड़की छोड़ना कोई मज़ाक
नही है. क्या कह रही थी मीना?" "कह रही थी की भाभी मेरे यार
का बहुत लंबा और मोटा है. मीना मेरी ननद ही नही मेरी प्यारी
सहेली भी है. इसीलिए तू मुझे तुमसे छुड़वाने दे रही है."
"तुम भी खूब मज़ा लेती हो. मीना ने सब बताया है." "हन राजा क्या
कारू, मीना के भाई का तू बहुत छ्होटा सा मरियल है. 1 मिनिट से
भी जल्दी झार जाता है. अपने ससुर को फँसाया है, पर उसका खड़ा
नही होता. बस छूट को चाट कर ही काम चलता है. मीना ने कहा
था की भाभी मेरे बाप और भाई तू मरियल है पर मेरे यार का
चख कर देखो, मस्त हो जाओगी. क्या करूँ अब इस उमर मैं तुम्हारे
जैसे जवान 18-19 की लड़की को ही पसंद करते हैं."
"कोई बात नही अब तुमको भी मैं ही सम्हालूँगा." "ठीक है राजा,
तुमको पूरी छ्होट है जब चाहो यहा आकर मीना से मज़ा ले साकतो हो.
उसके खूसट बाप से और भाई से डरने की ज़रूरत नही. साले दोनो के
सामने मीना की छुड़वा दूँगी. बस मेरा भी ख्याल रखना. ज़रा
दिखाओ तू." "घबराव नही अब मीना के साथ-साथ तुमको भी मज़ा
दूँगा. दो के साथ तू बहुत मज़ा आता है. रात मैं मीना की
अंधेरे मैं छोड़ा था तू मज़ा नही आया."
"राजा अब उजाले मैं लो मज़ा. तोड़ा मुझे भी." "तोड़ा क्यों पूरा मज़ा
लो. यह जितना मीना का है उतना ही तुम्हारा भी. दोनो को बारी-बारी
से छोड़ूँगा." और उसके निपल को चुटकी से दबाया तू लंड मैं
करेंट लगा और माया खुश हो बोली, "हाए तुम कितने आचे हो. राजा एक
दो बार मीना को मेरे साथ छोड़ लो तू वा भी मेरी तरह खुलकर
मज़ा लेने लगेगी. वैसे मेरी अभी बहुत लूस नही है, वैसे भी
तुम्हारा तू कसा-कसा जाएगा." पेट्तीकोत के ऊपर से अपनी छूट दबाती
बोली तू मैं उसके चूटर को सहला गाल को चूम बोला, "मैं सोच रहा
हून की आज तुम दोनो को एक साथ छोड़ कर मज़ा लून." "बहुत अच्छा
राजा." "रानी कल मीना को 8 बार छोड़ा है, बदन तक गया है. ज़रा
मालिश कर दो ताज़गी आ जाए."
मैं कंमता नाथ की बहू और बेटी के साथ वा मज़ा लेना चाह रहा
था जो शायद ही किसी को मिला हो. वैसे बही तू बेटी से भी ज़्यादा
चुदसी लग रही थी. पहली बार मैं ही खुलकर बोल रही थी जिससे
मज़ा आ गया था. इस उमर की पहली औरत थी जिसे छोड़ने जेया रहा
था. वा मुझे चालाक लग रही थी.
"राजा तुम लेतो मैं और मीना मिलकर तुम्हारी मालिश कर सारी थकान
उतार देंगे. अब रोज़ रात इसी कमरे मैं उजाले मैं हम दोनो का एक
साथ मज़ा लेना. तुम अंडरवेर उतारो मैं बिस्तर को ज़मीन पर
लगती हून."
मैं फ़ौरन कुर्सी से उतार अंडरवेर अलग कर लंड को खड़ा किए खड़ा
हो गया. मेरे नंगे मोटे लंबे और काले लंड को देख माया खुश हो
गयी और जल्दी से उसे पकड़ कर मस्ती से बोली, "हाए आज से पहले
कभी इतना टगरा लंड नही देखा. यह तू किसी घोड़े (हॉर्स) का लग
रहा है. सच आज तू मेरी जवान हो जाएगी. तभी तू मीना की एकदम
जवान लग रही है."
माया के हाथ मैं जाते ही लंड झटके लेने लगा. मैं माया की कमर
मैं हाथ डाल उसे अपनी ऊवार खिसका बोला, "मीना की देखी है
क्या?" "हन राजा तुम्हारी तारीफ करते हुवे अपनी छूट दिखा बोली थी
की देखो भाभी मेरी. मेरे यार ने एक रात मैं ही जवनकार दी है.
लंड जाते ही मीना तड़प उठी होगी." वा खुशी से भर मेरे लंड को
दबाती बोली.
मुझे मीना से ज़्यादा मज़ा तू चूड़ी माया के साथ आ रहा था.
बेशरम औरत तू सच बड़ी मज़ेदार होती है. वा पहली बार मेरे
पास आई थी पर लग रहा था की कई बार मेरे लंड का पानी अपनी
छूट मैं डलवा चुकी हो. मैं उसकी गांद को सहला बोला, "कसमसा तू
गयी थी पर तुम्हारी ननद बड़ी दम वाली है." "हन राजा अभी
छर्हती जवानी है." "पर शरमिली है." मैं उसके चूटर को मसल
बोला तू माया मेरे लंड को देखती बोली, "घबराव नही पड़ोसी राजा,
मैं मीना को अपनी तरह मस्त औरत बना दूँगी. वा भी दिल खोलकर
तुम्हारे साथ मज़ा लेगी. हाए क्या मस्त लंड है, देखते मुँह मैं
पानी आ गया."
"रानी तुम समझदार हो. मेरी शादी नही हुई है. अगर तुम दोनो से
मज़ा आया तू कही और नही जौंगा. तुम तू मुझसे भी ज़्यादा जानती
हो. मेरे लिए छ्होटी बड़ी से कुच्छ नही होता, बस अगर औरत खुद
खेले तू मज़ा आ जाता है.." इस पर माया लंड को मुठ्ठी मैं दबाती
बोली, "ऐसा ही होगा, इस घर मैं वा मज़ा मिलेगा जो सोचा भी ना
होगा." और झुक कर लंड को चूमा.
मैं इस हरकत से मचल गया. चूतड़ को आयेज की ऊवार करते हाए किया
और कहा और तू चालाक माया मेरी बेचैनी को समझ बोली, "लेते रहो
राजा अभी तुमको वा मज़ा दूँगी जो छोड़ने से भी नही मिलता. यह सब
मीना ने किया था." "कहा रानी वा तू अभी कुच्छ नही जानती. तुम
अपने तरीके से मज़ा लो. मीना को गोली मरो."
मैं इस मज़े को पा सब कुच्छ भूल गया. चूचियाँ ढीली थी पर
किसी को भी पागल बनाने वाली हरकते जानती थी. लंड झटके लेने
लगा. माया मेरे लंड को चूम बोली, "अब तुमको तरसना नही पड़ेगा.
बस तुम मुझे अपने तरीके से करने दो." "करो माया जो जी मैं आए
करो." "सच बताओ राजा कितनी छोड़ा है अब तक." "बहुत सी
रानी." "सब लौंडिया थी." "हन" "तू अब मेरे जैसी जवान की लेकर
देखो. लेते रहो."
फिर काँटा नाथ की जवान बहू ने मेरे लंड को पकड़ा और झुक कर
जीभ से चाटने लगी. मैं एकदम से मस्त हो गया. वा लंड पर जीभ
चलकर चाट रही थी. पहली बार लंड चटवा रहा था. मैं उसकी
चूचियों को पकड़ लंड को चटवाने लगा. माया का कहना सही था की
छोड़ने से ज़्यादा मज़ा आ रहा था. आया था माया को पाटकर उसकी
ननद को घर मैं ही छोड़ने के प्लान से पर अब खुद माया के लिए
बेकरार हो गया था.
cont.......
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घुसा देने के बाद राजू रुक गया. --1
घुसा देने के बाद राजू रुक गया. --1
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका राज शर्मा एक ओर हिन्दी कहानी लेकेर हाज़िर हूँ
अब आप ही कहानी पढ़केर बताना की कहानी कैसी है
ये कहानी जान की ज़ुबानी ही सुनें तो ज़्यादा ठीक रहेगा
कहानी कुच्छ इस तरह है-उनका ठेकेदारी का काम बहुत ही लंबा चौड़ा था. उनका एक
मॅनेजर था जिसका नाम विजय प्रताप था. वो उनका दोस्त भी था और उनका
सारा कम देखता था. वो हमारे घर सुबह के 8 बजे आ जाता था और
नाश्ता करने के बाद मेरे पति के साथ सीटे पर निकल जाता था. मैं
उसे विजय कह कर बुलाती थी और वो मुझे सीमा कह कर बुलाता था. उस
समय उसकी उमर लगभग 23 साल की थी और वो दिखने में बहुत ही
हॅंडसम था. वो मुझसे कभी कभी मज़ाक भी कर लेता था. शादी के 5
साल बाद मेरे पति की एक कार एक्शिदेंट में मौत हो गयी. अब उनका सारा
कम मैं ही संभालती हून और विजय मेरी मदद करता है. मेरे पति
बहुत ही सेक्सी थे और मैं भी. उनके गुजर जाने के बाद लगभग 6
महीने तक मुझे सेक्स का बिल्कुल भी मज़ा नहीं मिला तो मैं उदास रहने
लगी. एक दिन विजय ने कहा, क्या बात है सीमा, आज कल तुम बहुत उदास
रहती हो. मैने कहा, बस ऐसे ही. वो बोला, मुझे अपनी उदासी की वजह
नहीं बताॉगी, शायद मैं तुम्हारी उदासी डोर करने में कुच्छ मदद
कर सकूँ. मैने कहा, अगर तुम चाहो तो मेरी उदासी डोर कर सकते
हो. आज पुर दिन बहुत कम है. मैं शाम को तुम्हें अपनी उदासी की
वजह ज़रूर बतौँगी. मेरी उदासी की वजह जान लेने के बाद शायद
तुम मेरी उदासी डोर कर सको. मेरी उदासी डोर करने में शायद
तुम्हें बहुत ज़्यादा वक़्त लग जाए, हो सकता है पूरी रात ही गुजर
जाए इस लिए आज तुम अपने घर बता देना की कल तुम सुबह को आओगे.
मैं शाम को तुम्हें सब कुच्छ बता दूँगी. वो बोला, ठीक है. हम
दोनो सारा दिन काम में लगे रहे. 1 मीं की भी फ़ुर्सत नहीं मिली.
घर वापस आते आते रात के 8 बाज गये. घर पहुचने के बाद मैने
विजय से कहा, मैं एक दम तक गयी हून. पहले मैं तोड़ा गरम
पानी से नहा लून उसके बाद बात करेंगे. वो बोला, नहाना तो मैं भी
चाहता हून. पहले तुम नहा लो उसके बाद मैं नहा लूँगा. मैं नहाने
चली गयी और विजय बैठ कर टV देखने लगा. 15 मीं बाद मैं नहा
कर बातरूम से बाहर आई तो विजय नहाने चला गया. मैने केवल
गाउन पहन रखा था. गाउन के बाहर से ही मेरे सारे बदन की झलक
एक दम सॉफ दिख रही थी. विजय मुझे देखकर मुस्कुराया और बोला, आज
तो तुम बहुत सुंदर दिख रही हो. मैं केवल मुस्कुरा कर रह गयी.
उसके बाद विजय नहाने चला गया. मैं सोफे पर बैठ कर टV देखने
लगी. थोड़ी देर बाद विजय ने मुझे बातरूम से ही पुकारा तो मैं
बातरूम के पास गयी और पूचछा, क्या बात है. वो अंदर से ही बोला,
सीमा, मैं अपने कपड़े तो लाया नहीं था और नहाने लगा. अब मैं क्या
पहनूंगा. मैने कहा, तुम टवल लपेट कर बाहर आ जाओ. मैं अभी
तुम्हारे लिए कपड़े का इंतेज़ाम कर दूँगी. विजय एक टवल लपेट कर
बाहर आ गया. मैने कहा, तुम बैठ कर टV देखो, मैं छाए बना कर
लाती हून. उसके बाद मैं तुम्हारे लिए कपड़े का इंतेज़ाम भी कर
दूँगी. वो सोफे पर बैठ कर टV देखने लगा. मैं किचन में छाए
बनाने चली गयी. थोड़ी देर बाद मैं छाए ले कर आई. मैने तबले
पर छाए रखी और छाए बनाने लगी. मैने विजय को छाए दी. वो
चुप छाप छाए पीने लगा. मैं भी सोफे पर बैठ कर छाए पीने
लगी. छाए पी लेने के बाद विजय ने मुझसे पूचछा, अब तुम अपनी
उदासी की वजह बताओ. मैं तुम्हारी उदासी डोर करने की कोशिश
करूँगा. मैं उठ कर विजय के बगल में बैठ गयी. फिर मैने उसके
लंड पर हाथ रख दिया और कहा, मेरी उदासी की वजह ये है. मेरे
पति को गुज़रे हुए 6 महीने हो गये हैं और तब से ही मैं एक दम
प्यासी हून. वो रोज ही जाम कर मेरी चुदाई करते थे. 6 महीने से
मुझे चुदाई का मज़ा बिल्कुल नहीं मिला है और ये कमी तुम पूरी कर
सकते हो. वो कुच्छ नहीं बोला.
मैने विजय के लंड पर से टवल हटा दिया. विजय का लंड एक दम
ढीला था लेकिन था बहुत ही लंबा और मोटा. मैने कहा, तुम्हारा लंड
तो उनके लंड से ज़्यादा लंबा और मोटा लग रहा है. मुझे तुमसे
छुड़वाने में बहुत मज़ा आएगा. वो बोला, मैं तुम्हें नहीं छोड़
सकता. मैने पुचछा, क्यों. विजय ने अपना सिर झुका लिया और बोला, मेरा
लंड खड़ा नहीं होता. उसकी बात सुन कर मैं सन्न रह गयी. मैने
कहा, तुम्हारी शादी भी तो 2 महीने पहले हुई है. वो बोला, मेरा लंड
खड़ा नहीं होता इस लिए वो अभी तक कुँवारी ही है. मेरी बीवी मुझसे
इसी वजह से बहुत नाराज़ रहती है. वो कहती है की जब तुम्हारा लंड
खड़ा नहीं होता था तो तुमने मुझसे शादी क्यों की. मैने विजय से
कहा, ठीक है, जब मैं अपने लिए कोई अच्च्छा सा मर्द खोज लूँगी
जिसका लंड खूब लंबा और मोटा हो और जो खूब देर तक मेरी चुदाई
कर सके. उसके बाद तुम एक दिन अपनी बीवी को भी यहाँ बुला लाना, मैं
तुम्हारी बीवी को भी उस से छुड़वा दूँगी. इस तरह तुम्हारी बीवी
सुहग्रात भी माना लेगी और उसे छुड़वाने का पूरा मज़ा आ जाएगा. उसके
बाद वो तुमसे कभी नाराज़ नहीं रहेगी. क्यों ठीक है ना. विजय बोला,
क्या तुम सही कह रही हो की वो फिर मुझसे नाराज़ नहीं रहेगी. मैने
कहा, हन मैं एक दम सच कह रही हून लेकिन जब तुम अपनी बीवी को
यहाँ लाना तो उसे कुच्छ भी मत बताना. विजय बोला, ठीक है.डूस्रे
दिन मैं विजय के साथ एक सीटे पर गयी. वो सीटे मेरे घर से लगभग
80-85 केयेम. डोर था. उस सीटे पर लगभग 40 मज़दूर कम करते थे. उस
सीटे का मॅनेजर उन सब को पैसे दे रहा था. सारे मज़दूर लाइन में
खड़े थे. मैं मॅनेजर के बगल में एक चेर पर बैठ गयी. सभी
ने नेकार और बनियान पहन रखा था. मैं नेकार के उपर से ही उन
सबके लंड का अंदाज़ लगाने लगी. जब मॅनेजर लगभग 20-25 मज़दूर को
पैसे दे चुका तो मेरी नज़र एक मज़दूर के लंड पर पड़ी. मैने नेकार
के बाहर से ही अंदाज़ लगा लिया की उसका लंड कम से कम 8-10" लंबा और
खूब मोटा होगा. उसकी उमर लगभग 22-23 साल की रही होगी और बदन
एक दम गातीला था. मैने उस मज़दूर से पुचछा, क्या नाम है तुम्हारा.
वो बोला, मेरा नाम राजू है. मैने पुचछा, तुम्हारे कितने बच्चे हैं.
वो शरमाते हुए बोला, मालकिन, अभी तक मेरी शादी नही हुई है.
मैने कहा, मुझे अपने घर के लिए एक आदमी की ज़रूरत है. मेरे घर
पर कम करोगे. वो बोला, आप कहेंगी तो ज़रूर करूँगा. मैने विजय से
कहा, इसे घर का कम करने के लिए रख लो. विजय समझ गया और
बोला, ठीक है. विजय ने उस मज़दूर से कहा, राजू तुम घर जा कर
बता दो और अपना समान ले आओ. आज से तुम मेडम के घर पर कम
करोगे. ठीक है. वो बोला, जी साहब. वो अपने घर चला गया. लगभग
1 घंटे के बाद वो वापस आ गया. उसके बाद हम सब कार से घर वापस
चल पड़े रात के 8 बजे हम सब घर पहुचे. मैने राजू को घर का
सारा कम समझा दिया और उसे ड्रवैिंग रूम में सोने के लिए कह दिया.
घर में केवल एक ही बातरूम था इस लिए मैने राजू से कहा, घर
में केवल एक ही बातरूम है. तुम इसी बातरूम से काम चला लेना. वो
बोला, ठीक है मालकिन. मैने कहा, घर पर मुझे मालकिन कहलाना
पसंद नहीं है. तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाया करो. वो बोला,
ठीक है मालकिन. मैने उसे दांता और कहा, मालकिन नहीं सीमा कह कर
बुलाओ. वो बोला, ठीक है सीमा जी. मैं कहा, सीमा जी नहीं, केवल
सीमा. वो शरमाते हुए बोला, ठीक है सीमा. मैने कहा, लग रहा की
तुमने बहुत दीनो से नाहया नहीं है. मैं तुम्हें एक साबुन दे देती
हून, तुम बातरूम में जा कर ठीक से नहा लो. राजू बोला, ठीक है.
मैने राजू को एक खुश्बुदार साबुन दे दिया तो वो ननाने चला गया.
थोड़ी देर बाद राजू नहा कर बाहर आया. अब उसका सारा बदन एक दम
खिल उठा था और महक भी रहा था. वो पंत और शर्ट पहन ने लगा
तो मैने कहा, घर में पंत शर्ट पहन ने की कोई ज़रूरत नहीं
है. तुम नेकार और बनियान में ही रह सकते हो. विजय बोला, मैं घर
जा रहा हून. मैने कहा, ठीक है. कल मैं कहीं नहीं जौंगी. अब
तुम परसों सुबह आना. विजय ने मुस्कुराते हुए कहा, ठीक है. मैं
कल नहीं अवँगा. उसके बाद विजय चला गया. रात के 10 बजने वेल
थे. मैने बेडरूम में जा कर पनटी और ब्रा को छ्चोड़ कर सारे कपड़े
उतार दिए और उपर से गाउन पहन लिया. उसके बाद मैने राजू को पुकारा.
वो मेरे पास आया और बोला, क्या है. मैने कहा, मेरे सारे बदन दुख
रहा है. तुम तोड़ा सा तेल लगा कर मेरे सारे बदन की मालिश कर दो.
वो बोला, आप मुझसे मालिश करवाएँगी. मैने कहा, शहर में ये सब
आम बात है. गाओं की तरह यहाँ की औरतें शरम नहीं करती. तुम
ड्रेसिंग तबले से तेल की शीशी ले आओ और मेरे बदन की मालिश करो.
वो ड्रेसिंग तबले से तेल की शीशी ले आया तो मैने अपना गाउन उतार
दिया और पेट के बाल लेट गयी. वो घूर घूर कर मेरे गोरे बदन को
देखने लगा. उसकी निगाहों में भी सेक्स की भूख सॉफ दिख रही थी.
मैने कहा, क्या देख रहे हो. चलो मालिश करो. वो शरमाते हुए मेरे
बगल में बेड पर बैठ गया. मैने कहा, पहले मेरी पीठ और कमर
की मालिश करो. वो मेरी पीठ की मालिश करने लगा. उसका हाथ बार
बार मेरी ब्रा में फस जाता था. मैने कहा, तुम्हारा हाथ बार बार
मेरी ब्रा में फस जा रहा है. तुम इसे खोल दो और ठीक से मालिश
करो. उसने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मालिश करने लगा. मुझे
बहुत मज़ा आ रहा था. मैने कहा, और नीचे तक मालिश करो. वो और
ज़्यादा नीचे तक मालिश करने लगा. अभी उसका हाथ मेरे चूतड़ पर
नहीं ल्गा रहा था. मैने कहा, तोड़ा और नीचे तक मालिश करो. वो
शरमाते हुए और नीचे तक मालिश करने लगा. जब उसका हाथ मेरी
पनटी को टच करने लगा तो मैने कहा, पनटी को भी तोड़ा नीचे कर
दो फिर मालिश करो. उसने मेरी पनटी को भी थोड़ी सा नीचे कर दिया.
अब मेरा आधा चूतड़ उसे दिखने लगा. वो बड़े प्यार से मेरी चूतड़ की
मालिश करने लगा. थोड़ी देर बाद वो मेरे दोनो चूतड़ को हल्का हल्का
सा दबाने लगा. मुझे बहुत मज़ा आने लगा. थोड़ी देर तक मालिश
करवाने के बाद मैने कहा, अब तुम मेरे हाथों की मालिश करो. मैने
जानबूझ कर अपनी ब्रा को नहीं पकड़ा और पलट कर पीठ के बाल लेट
गयी. मेरी ब्रा सरक गयी और उसने मेरी दोनो चुचियों को एक सॉफ सॉफ
देख लिया. वो मुस्कुराने लगा तो मैने तुरंत ही अपनी ब्रा से अपनी
चुचियों को धक लिया लेकिन उसका हुक बंद नहीं किया. वो मेरे
हाथों की मालिश करने लगा. मेरी ब्रा बार बार सरक जा रही थी और
मैं बार बार उसे अपनी चुचियों पर रख लेती थी. जब वो मेरे हाथ
की मालिश कर चुका तो मैने कहा, अब तुम मेरे पैरों की मालिश कर
दो.Wओ घुटने के बाल बैठ कर मेरे पैरों की मालिश करने लगा. मैने
देखा की राजू का लंड एक दम खड़ा हो चुका था और उसका नेकार तंबू
की तरह हो गया था. वो केवल घुटने तक ही मालिश कर रहा था तो
मैने कहा, क्या कर रहे हो, राजू. मेरी जांघों की भी मालिश करो. वो
मेरी जांघों तक मालिश करने लगा. थोड़ी देर बाद वो मालिश करते
करते अपनी उंगली मेरी छूट पर टच करने लगा तो मैं कुच्छ नहीं
बोली.
उसकी हिम्मत और बढ़ गयी और वो अपने एक हाथ से मेरी छूट को पनटी
के उपर से ही सहलाते हुए पैरों की मालिश करने लगा. मुझे तो बहुत
मज़ा आ रहा था. मैं मान ही मान खुश हो रही थी की अब बस थोड़ी ही
देर में मेरा कम होने वाला है. थोड़ी ही देर बाद राजू जोश से एक दम
बेकाबू हो गया और उसने मेरी पनटी नीचे सरका दी और एक हाथ से मेरी
छूट को सहलाने लगा. मैं फिर भी कुच्छ नहीं बोली तो उसकी हिम्मत
और बढ़ गयी. उसने मेरे पैरों की मालिश बंद कर दी और अपनी बीच
की उंगली मेरी छूट में दल दी और अंदर बाहर करने लगा. मैं मान
ही मान एक दम खुश हो गयी की अब मेरा कम बन गया. वो दूसरे हाथ
से मेरी चुचियों को मसालने लगा. थोड़ी ही देर में मैं एक दम जोश
में आ गयी और आहें भरने लगी. वो मेरी चुचियों को ंसालते हुए
अपनी उंगली बहुत तेज़ी के साथ मेरी छूट के अंदर बाहर करने लगा तो
2 मीं में ही मैं झाड़ गयी और मेरी छूट एक दम गीली हो गयी.
मैने उसका सिर पकड़ कर अपनी छूट की तरफ खीच लिया. वो मेरा
इशारा समझ गया और मेरी छूट को चाटने लगा. उसने अपने नेकार का
नडा खोल कर अपना नेकार नीचे सरका दिया और मेरा हाथ पकड़ कर
अपने लंड पर रख दिया. उसका लंड तो लगभग 8" ही लंबा था लेकिन
मेरे पति के लंड से बहुत ज़्यादा मोटा था. मैं उसके लंड को सहलाने
लगी तो थोड़ी ही देर में उसका लंड एक दम लोहे जैसा हो गया. वो मेरी
छूट को बहुत तेज़ी के छत रहा था. मैं जोश से पागल सी होने लगी
तो मैने राजू से कहा, राजू, अब देर मत करो. मुझसे अब बर्दस्त नहीं
हो रहा है. मेरे इतना कहते ही उसने एक झटके से मेरी पनटी जो की
पहले से ही नीचे थी, उतार दी और मेरी ब्रा को भी खीच कर फेक
दिया. उसके बाद उसने अपना नेकार भी उतार कर फेक दिया. उसके बाद वो
मेरी टाँगों के बीच आ गया. उसने मेरी टाँगों को पकड़ कर डोर डोर
फैला दिया और अपने लंड का सूपड़ा मेरी छूट की लिप्स के बीच रख
दिया. उसके बाद उसने अपना लंड धीरे धीरे मेरी छूट के अंदर
दबाना शुरू कर दिया. उसका लंड बहुत ज़्यादा मोटा था इसलिए मुझे
तोड़ा दर्द होने लगा. मैने दर्द के मारे अपने होठों को ज़ोर से जाकड़
लिया जिस से मेरे मूह से आवाज़ ना निकल पाए. मेरी धड़कने तेज होने
लगी. लग रहा था की जैसे कोई गरम लोहा मेरी छूट को चीरता हुआ
अंदर घुस रहा हो. धीरे धीरे उसका लंड मेरी छूट के अंदर घुसने
लगा. दर्द के मारे मेरी टाँगें तर तर काँपने लगी. मेरी धड़कने
बहुत तेज चलने लगी. मेरा सारा बदन पैसने से नहा गया. उसका लंड
स्लिप करता हुआ धीरे धीरे मेरी छूट के अंदर लगभग 5" तक घुस
चुका था. दर्द के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा था. मैने सोचा की
अगर मैने राजू को रोका नहीं तो मेरी छूट फॅट जाएगी. मैने राजू से
रुक जाने को कहा तो वो रुक गया. उसने मेरी टाँगों को छ्चोड़ दिया. उसने
मेरी दोनो चुचियों के निपल्स को पकड़ कर धीरे धीरे मसलना
शुरू कर दिया और मुझे चूमने लगा. मैं भी उसके होठों को चूमने
लगि.ठोदि देर बाद उसने मेरी चुचियों को मसालते हुए अपना लंड
धीरे धीरे मेरी छूट के अंदर बाहर करने लगा. उसका लंड इतना
ज़्यादा मोटा था की मेरी छूट ने उसके लंड को बुरी तरह से जाकड़ रखा
था. 2 मीं में जब मेरा दर्द कुच्छ कम हो गया तो मैने जोश में
आकर अपना चूतड़ उठना शुरू कर दिया. मुझे चूतड़ उठता हुआ
देखकर राजू ने अपनी स्पीड तदी सी बढ़ा दी. मुझे अब ज़्यादा मज़ा आने
लगा. मैं जोश के मारे पागल सी हुई जा रही थी. जोश में आ कर
मैने और तेज और तेज कहना शुरू कर दिया तो राजू ने अपनी स्पीड और
तेज कर दी. 5 मीं छुड़वाने के बाद मैं झाड़ गयी तो राजू ने बिना मेरे
कुच्छ कहे ही ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने शुरू कर दिए. हर धक्के के
साथ ही राजू का लंड मेरी छूट के अनादर और ज़्यादा गहराई तक
घुसने लगा. मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन मैं पुर जोश में
आ चुकी थी. उस जोश के आयेज मुझे दर्द का ज़्यादा एहसास नहीं हो रहा
था. धीरे धीरे राजू ने अपना पूरा का पूरा लंड मेरी छूट में
घुसा दिया. पूरा लंड मेरी छूट में घुसा देने के बाद राजू रुक गया
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घर की बातें
हम लोग गाँव के रहने वेल हैं. हमारा गाओं सहर से 44 केयेम. डोर है. पास के ही एक गाओं में भैया की शादी हो गयी. डॉली भाभी बहुत ही अच्च्ची थी और खूबसूरत भी. भैया की उमर 20 साल की थी. वो उमर में भैया से 4 साल छ्होटी थी. मैं डॉली भाभी से उमर में 1 साल बड़ा था. डॉली भाभी की उमर 16 साल की थी. गाओं में ये उमर शादी के लिए काफ़ी मानी जाती है. शादी के बाद भैया की नौकरी ऊP के एक कंपनी में लग गयी. वो पटना में ही रहने लगे. वो खुद ही घर का सारा काम करते थे और खाना भी बनाते थे. जब उन्हें खाना बनाने में और घर का काम करने में दिक्कत होने लगी तो उन्होने डॉली भाभी को भी पटना बुला लिया. मम्मी तो थी नहीं केवल पापा ही थे. कुच्छ दीनो के बाद पापा का भी स्वरगवस हो गया तो भैया ने मुझे अपने पास ही रहने के लिए बुला लिया. मैं उनके पास पटना आ गया और वहीं रह कर पढ़ाई करने लगा. मैने Bआ तक की पढ़ाई पूरी की और फिर नौकरी की तलाश में लग गया.
अभी मुझे नौकरी तलाश करते हुए 1 साल ही गुज़रे थे की भैया का रोड एक्षसीडेंट में स्वरगवस हो गया. उस समय मेरी उमर 21 साल की हो चुकी थी. अब तक मैं एक दम हटता कटता नौजवान हो गया था. मैं बहुत ही ताकतवर भी था क्यों की गाओं में कुश्ती भी लड़ता था. मुझे भैया की जगह पर नौकरी मिल गयी. अब घर पर मेरे और डॉली भाभी के अलावा कोई नहीं था. वो मुझसे मुझसे बहुत प्यार करती थी. मैं भी उनकी पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख़याल रखती थी.
डॉली भाभी को ही घर का सारा कम करना पड़ता था इस लिए मैं भी उनके काम में हाथ बता देता था. वो मुझसे बार बार शादी करने के लिए कहती थी. एक दिन डॉली भाभी ने शादी के लिए मुझ पर ज़्यादा दबाव डाला तो मैने शादी के लिए हन कर दी. डॉली भाभी के एक रिश्तेदार थे जो की उनके गाओं में ही रहते थे. उनकी एक लड़की थी जिसका नाम मिन्नी था. डॉली भाभी ने मिन्नी के साथ मेरी शादी की बात चलाई. बात पक्की करने से पहले डॉली भाभी ने मुझे मिन्नी की फोटो दिखा कर मुझसे पूचछा, कैसी है. मैं मिन्नी की फोटो देख कर डांग रह गया. मैं समझता था की गाओं की लड़की है, ज़्यादा खूबसूरत नहीं होगी लेकिन वो तो बहुत ही खूबसूरत थी. मैने हन कर दी. मिन्नी की उमर भी 16 साल की ही थी. काहिर शादी पक्की हो गयी. मिन्नी के मम्मी पापा बहुत ग़रीब थे. 1 महीने के बाद ही हमारी शादी गाओं के एक मंदिर में हो गयी. शादी हो जाने के बाद दोपहर को डॉली भाभी मुझे और मिन्नी को लेकर पटना आ गयी. घर पर कुच्छ पड़ोस के लोग बहू देखने आए. जिसने भी मिन्नी को देखा उसकी बहुत तारीफ की. शाम तक सब लोग अपने अपने घर चले गये. रात के 8 बाज रहे थे. डॉली भाभी ने मुझसे कहा, आज मैं बहुत तक गयी हून. तुम जा कर होटेल से खाना ले आओ. मैने कहा, ठीक है. मैने झोला उठाया और खाना लाने के लिए चल पड़ा. मेरा एक दोस्त था विजय. उसका एक होटेल था.
मैं सीधा विजय के पास गया. विजय बोला, आज इधर कैसे. मैने उस से सारी बात बता दी. वो मेरी शादी की बात सुनकर बहुत खुश हो गया. हम दोनो कुच्छ देर तक गॅप शॅप करते रहे. विजय ने मुझसे कहा, तुझे मज़ा लेना हो तो मैं एक तरीका बताता हून. मैने कहा, बताओ. वो बोला, तुम मिन्नी की छूट को कुच्छ दिन तक हाथ भी मत लगाना. तुम केवल उसकी गांद मारना और अपने आप को काबू में रखना. कुच्छ दिन तक उसकी गांद मरने के बाद तुम उसकी चुदाई करना. मैने सोचा की विजय ठीक ही कह रहा है. मैने उस से कहा, ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा. उसने मेरे लिए सबसे अच्च्छा खाना जो की उसके होटेल में बनता था, पॅक करा दिया. मैं खाना लेकर घर वापस आ गया. हम सब ने खाना खाया. डॉली भाभी ने मिन्नी को मेरे रूम में पहुचा दिया. उसके बाद उन्होने मुझे अपने रूम में बुलाया और कहने लगी, मिन्नी अभी छ्होटी है. उसके साथ बहुत आराम से करना. मैने मज़ाक किया, मुझे करना क्या है. वो बोली, शैतान कहीं का. तू तो ऐसे कह रहा है की जैसे कुच्छ जनता ही नहीं. मैने कहा, मुझे कुच्छ नहीं मालूम है.
डॉली भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा, पहले उस से प्यार की दो बातें करना. उसके बाद अपने औज़ार पर ढेर सारा तेल लगा लेना. फिर अपना औज़ार उसके च्छेद में बहुत ही धीरे धीरे घुसा देना. जल्दी मत करना नहीं तो वो बहुत चिल्लाएगी. वो अभी 16 साल की ही है. समझ गये ना. मैने कहा, हन, मैं समझ गया. डॉली भाभी ने कहा, अब जा अपने कमरे में. मैं अपने कमरे में आ गया. मिन्नी बेड पर बैठी थी मैं भी भी उसके बगल में बैठ गया. मैने उस से पूचछा, मैं तुम्हें पसंद हून. उसने अपना सिर हन में हिला दिया. मैने कहा, ऐसे नहीं, बोल कर बताओ. उसने शरमाते हुए कहा, हन. मैने पुचछा, कहाँ तक पढ़ी हो. वो बोली, केवल 6 तक. मैने कहा, मेरी डॉली भाभी ने मुझे कुच्छ सिकाहाया है. क्या तुम्हें भी किसी ने कुच्छ सिकाहाया है. वो कुच्छ नहीं बोली तो मैने कहा, अगर तुम कुच्छ नहीं बोलॉगी तो मैं बाहर चला जौंगा. इतना कह कर मैं खड़ा हो गया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैं उसके बगल में बैठा गया. मैने कहा, अब बताओ. वो कहने लगी, मेरे घर पर केवल मेरे मम्मी पापा ही हैं. उन्होने तो मुझसे कुच्छ भी नहीं कहा लेकिन मेरे पड़ोस में रहने वाली डॉली भाभी ने मुझसे कहा था की तुम्हारे पति जब अपना औज़ार तुम्हारे च्छेद में अंदर घुसाएँगे तब बहुत दर्द होगा. उस दर्द को बर्दस्त करने की कोशिश करना. ज़्यादा चीखना और चिल्लाना मत नहीं तो बड़ी बदनामी होगी. अपने पति से कह देना की अपने औज़ार पर ढेर सारा तेल लगा लेंगे. मैने आज तक औज़ार नहीं देखा है. ये औज़ार क्या होता है. मैने कहा, तुमने आदमियों के पेशाब करते समय उनकी च्छूननी देखी है. उसने कहा, हन, गाओं में तो सारे मर्द कभी भी कहीं भी पेशाब करने लगते हैं. आते जाते समय मैने काई बार देखा है.
लेकिन उसे तो गाओं में लंड कहते हैं. मैने कहा, उसी को औज़ार भी कहते हैं. वो बोली, मैने तो देखा है की किसी किसी का बहुत बड़ा होता है. मैने कहा, जैसे आदमी काई तरह के होते हैं ठीक उसी तरह उनका औज़ार भी काई तरह का होता है. मेरा औज़ार देखोगी. वो बोली, मुझे शरम आती है. मैने कहा, अब तो तुम्हें हमेशा ही मेरा औज़ार देखना पड़ेगा. उसे हाथ में भी पकड़ना पड़ेगा. देखोगी मेरा औज़ार. वो बोली, ठीक है, दिखा दो. मैं पहले से ही जोश में था. मैने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी. उसके बाद मैने अपनी पंत और चड्धि भी उतार दी. मेरा 9" लंबा और खूब मोटा लंड फंफनता हुआ बाहर आ गया. मैने अपना लंड उसके चेहरे के सामने कर दिया और कहा, देख लो मेरा औज़ार. उसने तिरच्चि निगाहों से मेरे लंड को देखा और शरमाते हुए बोली, तुम्हारा तो बहुत बड़ा है. इतना कह कर उसने अपने हाथों से अपने चेहरे को धक लिया. मैने उसका हाथ पकड़ कर उसके चेहरे पर से हटा दिया और कहा, शरमाती क्यों हो. जी भर कर देख लो इसे. अब तो सारी ज़िंदगी तुम्हें मेरा औज़ार देखना भी है और उसे अपने च्छेद के अंदर भी लेना है. मैने तो अपने कपड़े उतार दिए हैं अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो. वो बोली, मैं अपने कपड़े कैसे उतार सकती हून, मुझे शरम आती है. मैने कहा, अगर तुम अपने कपड़े नहीं उतरोगी तो मैं अपना औज़ार तुम्हारे च्छेद में कैसे घुसौंगा. वो कुच्छ नहीं बोली. मैने मिन्नी के कपड़े उतरने शुरू कर दिए तो वो शरमाने लगी.
धीरे धीरे मैने उसे एक दम नंगा कर दिया. मैं उसके संगमरमर जैसे खूबसूरत बदन को देख कर डांग रह गया. उसकी चुचियाँ अभी बहुत छ्होटी छ्होटी थी. मैने उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी चुचियों को सहलाते हुए उसे होठों को चूमने लगा. मैने देखा की उसकी छूट पर अभी बहुत हल्के हल्के बॉल ही उगे थे और उसकी छूट एक दम गुलाबी सी दिख रही थी. मैने उसकी चुचियों को ंसालना शुरू कर दिया तो वो बोली, मुझे गुदगुदी हो रही है. मैने पुचछा, अच्च्छा नहीं लग रहा है. वो बोली, बहुत अच्च्छा लग रहा है. मैने उसके निपल्स को मूह में लेकर चूसना शुरू कर दिया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी. उसके बाद मैने उसकी छूट को शालाना शुरू कर दिया. उसे गुदगुदी होने लगी. उसने मेरा हाथ हटा दिया तो मैने पुचछा, क्या हुआ. वो बोली, बहुत ज़ोर की गुदगुदी हो रही है. मैने कहा, अच्च्छा नहीं लग रहा है क्या. वो बोली, अच्च्छा तो लग रहा है. मैने कहा, तुमने मेरा हाथ क्यों हटाया. अगर तुम ऐसा ही करोगी तो मैं बाहर चला जौंगा. वो बोली, ठीक है, मैं अब तुम्हें कुच्छ भी करने से माना नहीं करूँगी. मैने कहा, फिर ठीक है. मैने उसकी छूट को सहलाना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में उसकी छूट गीली होने लगी. वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी. मैने एक उंगली उसकी चूर के अंदर दल दी तो उसने ज़ोर की सिसकारी ली. मेरा लंड अब तक बहुत ज़्यादा टाइट हो चुका था. थोड़ी देर तक मैं उसकी छूट में अपनी उंगली अंदर बाहर करता रहा तो वो झड़ने लगी.
झाड़ते समय उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और बोली, तुम्हारे उंगली करने से मुझे तो पेशाब हो रहा है. मैने कहा, ये पेशाब नहीं है. जोश में आने के बाद छूट से पानी निकलता है. वो कुच्छ नहीं बोली, मेरी उंगली उसके छूट के पानी से एक दम गीली हो चुकी थी. थोड़ी ही देर में वो पुर जोश में आ गयी तो मैने कहा, अब मैं अपना औज़ार तुम्हारे च्छेद में घुसौंगा. तुम पेट के बाल लेट जाओ. वो पेट के बाल लेट गयी. मैने देखा की उसकी गांद भी एक दम गोरी थी. उसकी गांद का च्छेद बहुत ही हल्के भूरे रंग का था. मैं अपनी उंगली उसकी गांद के च्छेद पर फिरने लगा. उसके बाद मैने एक झटके से अपनी एक उंगली उसकी गांद में घुसा दी. वो ज़ोर से चीखी. मैने कहा, अगर तुम ऐसे चीखोगी तो डॉली भाभी आ जाएगी. वो बोली, दर्द हो रहा है. मैने कहा, दर्द तो होगा ही. अभी तो मैं अपना लंड तुम्हारे गांद में घुसौंगा. थोड़ी देर तक मैं अपनी उंगली उसके गांद में अंदर बाहर करता रहा. वो बोली, मेरा च्छेद तो बहुत ही छ्होटा है और तुम्हारा औज़ार बहुत बड़ा. अंदर कैसे घुसेगा. मैने कहा, जैसे उर औरतों के अंदर घुसता है. वो बोली, तब तो मुझे बहुत दर्द होगा. मैने कहा, इसी लिए तो तुम्हारी डॉली भाभी ने तुमसे कहा था की दर्द को बर्दस्त करना, ज़्यादा चीखना चिल्लाना मत. वो बोली, मैं समझ गयी. मैं उसके उपर आ गया तो वो बोली, तेल नहीं लगाओगे. मैने कहा, लगौँगा. मैने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा लिया. उसके बाद मैने उसकी गांद के च्छेद पर अपने लंड का सूपड़ा रखा और उस से कहा, अब तुम अपना मूह ज़ोर से दबा लो जिस से तुम्हारे मूह से चीख ना निकले. उसने कहा, ठीक है, दबा लेती हून लेकिन बहुत धीरे धीरे घुसना.
मैने कहा, हन, मैं बहुत धीरे ही घुसौंगा. उसने अपने हाथों से अपने मूह को दबा लिया. मैने तोड़ा सा ही ज़ोर लगाया था की वो ज़ोर से चीखी. मेरे लंड का सूपड़ा भी अभी उसके गांद में नहीं घुस पाया था. वो रोने लगी और बोली, मुझे छ्चोड़ दो, बहुत दर्द हो रहा है. मैने कहा, दर्द तो होगा ही. तुम अपना मूह ज़ोर से दबा लो. उसने अपना मूह फिर से दबा लिया तो मैने इस बार कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर लगा दिया. वो दर्द से तड़प्ते हुए ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी, दीदी, बचा लो मुझे, नहीं तो मैं मार जौंगी. इस बार मेरे लंड का सूपड़ा उसकी गांद में घुस गया. उसकी गांद से खून निकल आया था. वो इतने ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी की मैं तोड़ा सा दर गया. मैने एक झटके से अपना लंड बाहर खीच लिया. पक की आवाज़ के साथ मेरे लंड का सूपड़ा उसकी गांद से बाहर आ गया. मैने उसे चुप करते हुए कहा, अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी तो काम कैसे बनेगा. वो बोली, मैं क्या करूँ, बहुत दर्द हो रहा था. मैने कहा, तोड़ा सबर से काम लो. फिर सब ठीक हो जाएगा. अब तुम अपना मूह दबा लो, मैं फिर से कोशिश करता हून. उसने अपना मूह दबा लिया तो मैने फिर से अपने लंड का सूपड़ा उसकी गांद के च्छेद पर रख दिया. उसके बाद मैं उसकी कमर के नीचे से हाथ दल कर उसे ज़ोर से पकड़ लिया. फिर मैने पुर ताक़त के साथ ज़ोर का धक्का मारा. वो बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. वो मेरे नीचे से निकलना चाहती थी लेकिन मैने उसे बुरी तरह से जाकड़ रखा था. मेरा लंड इस धक्के के साथ उसकी गांद में 3" तक घुस गया.
वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हुए डॉली भाभी को पुकार रही थी, दीदी, बचा लो मुझे नहीं तो ये मुझे मार डालेंगे. बहुत दर्द हो रहा है. तभी कमरे के बाहर से डॉली भाभी की आवज़ आई, ऋषि, क्या हुआ. मिन्नी इतना क्यों चिल्ला रही है. मैने कहा, मैं अपना औज़ार अंदर घुसा रहा था लेकिन ये मुझे घुसने ही नहीं दे रही है. बहुत चिल्ला रही है. डॉली भाभी ने कहा, तुम दोनो बाहर आ जाओ. मैं मिन्नी को समझा देती हून. मैने लूँगी पहन ली और मिन्नी से कहा, बाहर चलो डॉली भाभी बुला रही है. वो उतना चाहती थी लेकिन उठ नहीं पा रही थी. मैने उसे सहारा दे कर खड़ा किया. उसने केवल अपनी सारी बदन पर लपेट ली. मैं उसे सहारा दे कर बाहर ले आया क्यों की वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. डॉली भाभी ने मिन्नी से पुचछा, इतना क्यों चिल्ला रही थी. वो रोते हुए डॉली भाभी से कहने लगी, ये अपना औज़ार मेरे च्छेद में घुसा रहे थे इस लिए मुझे बहुत दर्द हो रहा था. डॉली भाभी ने कहा, पहली पहली बार दर्द तो होगा ही. सभी औरतों को होता है. ये कोई नयी बात थोड़े ही है. डॉली भाभी ने मुझसे कहा, मैने तुझसे कहा था ना की तेल लगा कर धीरे धीरे घुसना. मैने कहा, मैं तेल लगा कर धीरे धीरे ही घुसने की कोशिश कर रहा था. जैसे ही मैने तोड़ा सा ज़ोर लगाया और मेरे औज़ार का टोपा ही इसके च्छेद में घुसा की ये ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. इसके चिल्लाने से मैं दर गया और मैने अपना औज़ार बाहर निकल लिया. उसके बाद मैने इसे स्मझाया तो ये राज़ी हो गयी. मैने फिर से कोशिश की तो ये फिर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी और मेरा औज़ार केवल ज़रा सा ही अंदर घुस पाया. तभी आप ने हम दोनो को बुलाया और हम बाहर आ गये. डॉली भाभी ने कहा, इसका मतलब तुमने अभी तक कुच्छ बीयी नहीं किया, मैने कहा, बिल्कुल नहीं. तुम चाहो तो मिन्नी से पूच्छ लो. डॉली भाभी ने मिन्नी से पुचछा, क्या ये सही कह रहा है. उसने अपना सिर हन में हिला दिया. डॉली भाभी ने मिन्नी से कहा, तुम कमरे में जाओ
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Saturday, October 4, 2008
शालिनी की कहानी
हेल्लो दोस्तों मैं यानि आपका दोस्त राज शर्मा आपके लिए एक और कहानी लाकर हाजिर हूँ ये कहानी एक एक ऐसी ओरत की है जो अपने पापी से संतुस्ट नहीं हो पाती थी
mera नाम शालिनी है। मेरी शादी को 2 साल हो चुके है। मैं अपनी सेक्स लाइफ के बारे में लिख रही हून. मेरे हज़्बेंड का नाम रजत है. मैं बहुत ही सेक्सी हून. जब मेरी शादी हुई थी तब मैं एक दम दुबली पतली थी लेकिन अब कुच्छ मोटी हो गयी हून. आज भी मैं बहुत ही ज़्यादा सेक्सी हून और खूब मज़े ले ले कर चुड़वति हून. मेरी उमर अब 24 साल है. जब मेरी शादी हुई थी तब मेरी उमर 22 साल और उनकी उमर 25 साल की थी. मेरा हज़्बेंड का लुन्ड बहुत ही छोट है. उनका लुन्ड खड़ा होने के बाद भी केवल 4" या साढ़े चार इंच लंबा और 1.5" मोटा है. जब मेरी शादी हुई थी तब मेरी छूट बहुत टाइट और छोटि थी. सुहग्रात को जब उन्होने अपने छोटे से लुन्ड से मुझे छोड़ा तो मेरी छूट से खून आ गया था. सुहग्रात के दिन उन्होने मुझे 5 बार छोड़ा था. मैं बहुत ही सेक्सी हून. उनके छोटे से लुन्ड से मेरी प्यास नहीं बुझ पति थी. मैं खूब मोटा और लंबा लुन्ड अपनी छूट में लेना चाहती थी. लेकिन शरम के मारे कुच्छ कह नहीं पति थी. लगभग 1॥5 साल तक मैं उनसे खूब चुड़वति रही लेकिन मुझे पूरी तरह मज़ा नहीं आता था. वो मुझको छोड़ते समय बहुत जल्दी झाड़ जाते थे. वो मेरी चुदाई कभी भी 5-10 मिनिट से ज़्यादा नहीं कर पाते थे. मैं इस बात को समझती थी की उनका लुन्ड छोट है इसलिए वो मुझे पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाते थे. एक दिन मैने उनसे कहा, "रजत, तुम्हारा लुन्ड तो किसी बच्चे की तरह है और बहुत ही छोट है. मुझे तुम्हारे लुन्ड से पूरा मज़ा नहीं आता और मैं भूखही ही रह जाती हून. मैने काई मर्दों को पेशाब करते हुए देखा है. उन सबका लुन्ड ढीला रहने पर भी तुम्हारे लुन्ड से बहुत लंबा और मोटा था. वो जब खड़ा होता होगा तब कितना लंबा और मोटा हो जाता होगा. शायद इसीलिए मुझे तुम्हारे लुन्ड से छुड़वाने में मज़ा नहीं आता. मैं अपनी छूट में और ज़्यादा लंबे और मोटे लुन्ड को अंदर लेना चाहती हून. मेरी शादी को अब डेढ़ साल हो गये हैं. मैं अब तक शरम के मारे तुमसे कुच्छ बोल नहीं पा रही थी लेकिन अब मैं अपनी भूख को ज़्यादा दिन बर्दस्त नहीं कर पा रही हून. जब तुमने मुझे सुहग्रात के दिन छोड़ा था तब मेरी छूट एक दम टाइट थी और मुझे केवल 2-4 दीनो तक ही तोड़ा बहुत मज़ा आया. मैं कई दिनों से ही तुम्हारे छोटे लुन्ड के बारे में कहना चाहती थी॥ लेकिन मैं शरम के मारे कुच्छ भी नहीं बोली. अब हमारी शादी को देढ साल हो गये हैं और मैं तुमसे खुल कर बात कर सकती हून इसलिए मैं आज तुमसे तुम्हारे लुन्ड के बारे में कह रही हून." उन्होने कहा, "शालिनी, मैं अपनी कमी जनता हून और तुम्हारे दर्द को समझ सकता हून. मैने बहुत इलाज़ कराया लेकिन ये नहीं बढ़ा. मैं क्या करूँ. तुम ही कुच्छ बताओ. मैं तुम्हें तलाक़ नहीं दे सकता क्यों की मैं तुमसे बहुत प्यार करता हून. तुम मुझे छ्चोड़ कर मत जाना नहीं तो मैं मार जौंगा.." मैने कहा, "मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हून और तुम्हारा दर्द समझ सकती हून, लेकिन क्या करूँ. तुम्हारी चुदाई से मेरी भूख शांत नहीं होती. पहले तोड़ा बहुत मज़ा भी आता था लेकिन अब तो वो भी नहीं आता." वो सोच में पद गये. कुच्छ देर बाद वो बोले,
"अगर मैं एक मोटी मोमबत्ती ला कर तुम्हें मोमबत्ती से छोड़ डून, तो कैसा रहेगा." मैं कुच्छ देर सोचने के बाद राज़ी हो गयी. डूस'रे दिन वो बाज़ार से एक मोमबत्ती ले आए. उन्होने मुझे वो मोमबत्ती दिखाई तो मैने कहा, "ठीक तो है. वो मोमबत्ती लगभग 8" लंबी और 1.5" मोटी थी. मैने कहा, "लेकिन ये तो आदमियों के लुन्ड से बहुत पतली है. इस से मेरी भूख कुच्छ हद तक शांत हो जाएगी. आओ बेडरूम में चलते हैं. तुम ये मोमबत्ती मेरी छूट में डाल कर खूब छोड़ो मुझे." हम बेडरूम में आ गये. मैं बेड पर लेट गयी और वो मेरी छूट को चाटने लगे. 2-3 मिनिट में ही मैं पुर जोश में आ गयी और सिसकारियाँ भरने लगी फिर बोली, "रजत, अब देर मत करो. मैं बहुत दीनो से भूखही हून. डाल दो पूरी मोमबत्ती मेरी छूट में और ज़ोर ज़ोर से छोड़ो इस मोमबत्ती से मुझको." वो बोले,
"ठीक है. मैं तुम्हारी छूट में ये मोमबत्ती डाल कर छोड़ता हून और तुम मेरा लुन्ड चूसो. वो मेरे उपर 69 की पोज़िशन में हो गये. मैं उनका लुन्ड चूसने लगी और उन्होने मोमबत्ती को मेरी छूट में डालना शुरू कर दिया. मोमबत्ती उनके लुन्ड से बहुत ज़्यादा मोटी नहीं थी इसलिए आराम से मेरी छूट में लगभग 5" तक घुस गयी. मेरे मून'ह से केवल एक हल्की सी सिसकारी भर निकली. उन्होने मोमबत्ती को मेरी छूट में और ज़्यादा नहीं डाला और अंदर बाहर करने लगे. मैं सिसकारियाँ भरने लगी. 5 मिनिट तक वो मोमबत्ती को मेरी छूट में अंदर बाहर करते रहे. मैं बहुत ज़्यादा जोश में आ गयी और उनके लुन्ड को और तेज़ी के साथ चूसने लगी. वो समझ गये की अब मैं झड़ने वाली हून और 2 मिनिट में ही मेरी छूट ने पानी छ्चोड़ दिया. मैने कहा, "रजत, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. पूरा अंदर डालो ना इस मोमबत्ती को मेरी छूट में." उन्होने मोमबत्ती को तोड़ा और ज़्यादा मेरी छूट के अंदर डाला तो मुझे कुच्छ दर्द महसूस हुआ. वो मोमबत्ती अब तक मेरी छूट में 6" तक घुस चुकी थी. मैने कहा, "रुक जाओ रजत, अब और ज़्यादा मत डालो. दर्द हो रहा है. इतना ही अंदर डाल कर छोड़ो मुझे." उन्होने मोमबत्ती को तेज़ी से मेरी छूट में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं सिसकारियाँ भरने लगी. वो भी बहुत जोश में आ गये थे और मेरे मून'ह में ही झाड़ गये. मैने उनके लुन्ड का सारा पानी निगल लिया. वो मोमबत्ती को मेरी छूट में और ज़्यादा तेज़ी के साथ अंदर बाहर करने लगे. 8-10 मिनिट बाद ही मैं फिर से झाड़ गयी और बोली,
"रजत, बहुत मज़ा आ रहा है. काश तुम पहले ही ये मोमबत्ती ले आते और मेरी छूट में डालकर छोड़ते तो मैं इतने दिन भूखही ना रहती. रजत, अब देर ना करो, डाल दो पूरी मोमबत्ती मेरी छूट में और खूब ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करो." उन्होने उस मोमबत्ती को मेरी छूट में पूरा अंदर डाल दिया और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा. मुझे थोड़ी देर के लिए कुच्छ दर्द हुआ लेकिन बाद में मज़ा भी आने लगा. थोड़ी ही देर में मैं और ज़्यादा जोश में आ गयी और अपना चुत्तऱ उच्छाल उच्छाल कर मोमबत्ती को पूरा अंदर लेने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. अभी 10 मिनिट भी बीता था की मैं फिर से एक बार झाड़ गयी. मैं अब तक 3 बार झाड़ चुकी थी. झड़ने के बाद मैं और जोश में आ गयी और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, "रजत, मुझे अब बर्दस्त नहीं हो रहा है. खूब तेज़ी के साथ अंदर बाहर करो इस मोमबत्ती को मेरी छूट में." वो भी जोश में आ गये थे और उनका लुन्ड दूसरी बार फिर से एक दम टन गया था. वो बोले, "शालिनी, मैं भी बहुत जोश में आ गया हून और मेरा लुन्ड फिर से खड़ा हो गया है. अगर तुम कहो तो मैं एक बार छोड़ लून." मैने कहा, "मुझे इस मोमबत्ती से बहुत मज़ा आ रहा है. मेरा मज़ा बीच में मत खराब करो, प्ल्ज़. अभी मुझे मोमबत्ती से ही छोड़ो, बाद में तुम चाहे जितनी बार छोड़ लेना." वो मेरे जोश को देखकर एक दम हक्का बक्का हो गये. उन्होने मुझे उस मोमबत्ती से छोड़ना ज़ारी रखा. मैं खूब मज़े के साथ मोमबत्ती को अपने छूट के अंदर ले रही थी. उन्होने और तेज़ी के साथ मोमबत्ती को मेरी छूट में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. 5 मिनिट भी नहीं गुजरा की मैं एक बार फिर से झाड़ गयी. मैं अब तक 4 बार झाड़ चुकी थी. वो मुझे 30-35 मिनिट में 4 बार झाड़ता हुआ देखकर सोच में पद गये क्यों की पिच्छ'ले देढ साल की चुदाई में मैं कभी कभी ही झड़ती थी. इसकी वजह उनके लुन्ड का छोट होना था. वो मेरी छूट में मोमबत्ती को अंदर बाहर जाता हुआ देखने लगे और उनको भी मज़ा आ रहा था. मेरी छूट ने मोमबत्ती को एक दम जाकड़ रखा था. मेरे झड़ने के बाद उन्होने मोमबत्ती को मेरी छूट से बाहर निकाल लिया तो मैं बोली, "रजत, तुमने मोमबत्ती क्यों निकाल ली. प्ल्ज़, कुच्छ देर तक और अंदर बाहर करो. मुझे एक बार और झाड़ जाने दो, प्ल्ज़." उन्होने मोमबत्ती को दोबारा में छूट में डाल दिया और बहुत ही ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगे. इस बार मैं जल्दी नहीं झाड़ रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं अपना चुत्तऱ उठा उठा कर पूरी मोमबत्ती को अपने छूट में ले रही थी. लगभग 20 मिनिट के बाद मैने अपना चुतऱ बहुत तेज़ी के साथ उपर उठाना शुरू कर दिया तो वो समझ गये की मैं अब फिर से झड़ने वाली हून. उन्होने मोमबत्ती को और तेज़ी के साथ मेरी छूट में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. 2-3 मिनिट में ही मैं फिर से झाड़ गयी. इस बार मेरी छूट से ढेर सारा पानी आया. मैने कहा, "प्ल्ज़, मेरी छूट का सारा पानी तुम चाट लो. इस बार ये बहुत मेहनत के बाद निकला है." उन्होने मेरी छूट का सारा पानी चाट लिया और बोले, "शालिनी, अब मैं छोड़ लून." मैने कहा, "तुमने आज मुझे ज़िंदगी का वो मज़ा दिया है जिसके लिए मैं देढ साल से तड़प रही थी. अब तुम जितनी बार चाहो मुझे छोड़ो. मैं एक दम तैय्यर हून." उनका लुन्ड तो पहले से ही खड़ा था. उन्होने मेरी छूट में अपने लुन्ड को डाला तो मोमबत्ती से छुड़वाने की वजह से उनका लुन्ड मेरी छूट में एक दम आराम से घुस गया. उनके लुन्ड पर मेरी छूट की कोई पकड़ नहीं थी और मुझे कुच्छ भी पता नहीं चल रहा था. उन्होने मुझे छोड़ना शुरू कर दिया लेकिन उनको कोई मज़ा नहीं आ रहा था. वो बोले, "मोमबत्ती से छुड़वाने के बाद तुम्हारी छूट तो एक दम ढीली हो गयी है. मुझे मज़ा नहीं आ रहा है." मैने बहुत जोश में थी और बोली, "मेरी गान्ड अभी तक एक दम टाइट है. प्ल्ज़, अगर तुम चाहो तो मेरी गान्ड मार लो. लेकिन एक शर्त है." उन्होने पूचछा, "क्या." मैने कहा, "हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और हूमें एक दूसरे के दर्द का एहसास भी है. मुझे मोमबत्ती से छुड़वाने में बहुत मज़ा आया. लेकिन असली लुन्ड से जो मज़ा आएगा वो मोमबत्ती में कहाँ है. तुम मेरे लिए किसी आदमी का इंतेज़ाम कर दो जिसका लुन्ड लंबा और मोटा हो. मैं प्रॉमिस करती हून की तुम्हारे अलावा मैं पूरी ज़िंदगी केवल उस आदमी से ही चड़वौनगी." वो सोच में पद गये. थोड़ी देर बाद वो बोले,
"ठीक है. बाद में बता दूँगा." मैने कहा, "ठीक है. तुम मेरी गान्ड मार लो." मैं पेट के बाल लेट गयी. उन्होने अपने लुन्ड पर तोड़ा सा थूक लगाया और मेरी गान्ड के च्छेद पर रख दिया. मैने अपना चुतऱ और उपर उठा दिया जिस से उनका लुन्ड आराम से पूरा मेरी गान्ड में घुस जाए. उन्होने एक धक्का मारा तो मुझे दर्द होने लगा और मेरे मून'ह से एक चीख निकल गयी. उनका लुन्ड तो बहुत छोट था ही. एक ही धक्के में मेरी गान्ड में आधे से ज़्यादा घुस गया. उन्होने और ज़्यादा नहीं डाला और मेरी गान्ड में अपने लुन्ड को अंदर बाहर करने लगे. मेरा दर्द 2 मिनिट में ही कम हो गया और मैं शांत हो गयी. मुझे मज़ा आने लगा और मैं अपना चुत्तऱ उठा उठा कर उनसे गान्ड मराने लगी. उनको भी मज़ा आने लगा. उन्होने फिर एक ज़ोरदार धक्का मार दिया तो उनका पूरा लुन्ड मेरी गान्ड में घुस गया. मेरी गान्ड बहुत ही टाइट थी. पूरा लुन्ड घुसते ही मुझे बहुत तेज़ दर्द होने लगा और मैं चिल्लाने लगी. लेकिन वो बहुत जोश में थे और रुके नहीं. उन्होने तेज़ी के साथ अपने लुन्ड को मेरी गान्ड में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद मेरा दर्द कुच्छ कम हो गया और मुझे मज़ा आने लगा.. मैं अपनी गान्ड उपर उठा उठा कर उनका साथ देने लगी. आज उनके छोटे से लुन्ड से मुझे गान्ड मराने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैने कहा, "रजत, तुम्हारा छोट लुन्ड तो मेरी गान्ड के ही लायक है. ये मेरी गान्ड में बहुत टाइट है. मुझे खूब मज़ा आ रहा है. जब मुझे कोई दूसरा छोड़ेगा तो मेरी छूट तुम्हारे लुन्ड के लायक नहीं रह जाएगी, यह एक दम ढीली हो जाएगी. तुम मेरी गान्ड मार लिया करना. इस से तुम्हें भी मज़ा आएगा और मैं भी गान्ड मराने का मज़ा ले पौँगी." वो बोले, " ठीक है मेरी शालू रानी. 10 मिनिट तक मेरी गान्ड मरने के बाद वो मेरी गान्ड में ही झाड़ गये. आज मुझे बहुत मज़ा आया था. उन्होने अपना लुन्ड जैसे ही मेरी गान्ड से बाहर निकाला तो मैने बड़े प्यार से उनका लुन्ड चाटना शुरू कर दिया. इतने प्यार से आज तक मैने उनका लुन्ड कभी नहीं छाता था. उन्हें खूब मज़ा आने लगा. उसके बाद हम थोड़ी देर तक आराम करते रहे. 15 मिनिट बाद मैने उनके लुन्ड को फिर से चूसना शुरू कर दिया. वो बहुत जोश में आ गये और बोले, "आज तुम मुझसे दोबारा चुड़वावगी क्या." मैने कहा, "हन, अभी तुमने मेरी गान्ड मारी है अब छूट का भी मज़ा ले लो." लगभग 10 मिनिट तक मैं उनका लुन्ड चूस्टी रही. उनका लुन्ड फिर से खड़ा हो कर टन गया था. उन्होने मुझे लिटा कर छोड़ना शुरू कर दिया. उनका लुन्ड मेरी छूट में एक दम ढीला पद रहा था लेकिन वो मुझे छोड़ते रहे. छूट में लुन्ड के ढीला होने की वजह से मुझे बहुत कम मज़ा आ रहा था. उनके लुन्ड पर मेरी छूट की पकड़ एक दम ढीली पद गयी थी. इस वजह से वो जल्दी झाड़ नही रहे थे और मैं भी नहीं झाड़ रही थी. वो मेरी चुचियों को बहुत ज़ोर ज़ोर से मसल रहे थे. उन्होने मुझे आज लगभग 1 घंटे तक छोड़ा. मैं भी आज बहुत खुश थी क्यों की उन्होने मुझे पहले कभी इतनी देर तक नहीं छोड़ा था. वो मुझे कभी भी 10 मिनिट से ज़्यादा नहीं छोड़ पाते थे. वो जल्दी झाड़ जाते थे. आज ज़्यादा टाइम लगने की वजह से उनको भी बहुत मज़ा आ रहा था. लगभग 10 मिनिट और छोड़ने के बाद वो झाड़ गये. आज मैं भी उनकी चुदाई से बहुत मस्त हो गयी थी और 2 बार झाड़ चुकी थी.. छोड़ने के बाद जब वो मेरे उपर से हटे तो तुरंत ही मैने उनके लुन्ड को बड़े प्यार से चाटना शुरू कर दिया. आज हम दोनो बहुत खुश थे. थोड़ी देर बाद हम सो गये. दूसरे दिन जब वो मुझे मोमबत्ती से छोड़ने लगे तो मैं बोली, तुमने मेरे बारे में कुच्छ सोचा." वो बोले, "मेरा एक दोस्त है जिस'का नाम केशरी है. वो मेरे बचपन का दोस्त है, वो कैसा रहेगा. हम लोग जब छोटे थे तो अपनी च्छूननी लुन्ड को एक दूसरे की च्छूननी से नापते थे. उस समय मेरे सभी दोस्तों में केशरी की च्छूननी सबसे लंबी और मोटी थी. उसकी च्छूननी सबसे ज़्यादा गोरी भी थी. अब तक उसकी च्छूननी एक लंबा और मोटा लुन्ड बन चुकी होगी. अगर तुमको केशरी पसंद हो तो मैं उस से बात कर लून. अभी केशरी की शादी भी नहीं हुई है." मैने कहा, "केशरी तो बहुत हॅंडसम है और गोरा भी. अगर केशरी की च्छूननी उस समय सबसे लंबी और मोटी थी तो अब वो खूब लंबा और मोटा लुन्ड बन गया होगा. सबसे अच्च्ची बात है की केशरी तुम्हारा दोस्त भी है. तुम लोग बचपन में केवल एक डूस'रे की नूनी ही नाप'ते थे या आपस में गान्ड मारा मारी भी कर'ते थे? वो बोले, "केशरी ही कभी कभी मेरी गान्ड मार'ता था. वा अक्सर कह'ता रह'ता है यार तुम'ने शालिनी भाभी के रूप में गजब की चीज़ पाई है. वा तुम पर पहले से फिदा है . मेरा समान पॅक कर देना. मुझे एक साप्ताह के लिए बाहर जाना है." मैने उनका समान पॅक कर दिया. दुकान बंद होने के बाद रात 8 बजे घर आए तो मैने पूचछा, "मेरे काम का क्या हुआ.." वो बोले, "अभी मैने केशरी से बात नहीं की है. वापस अवँगा तो बात कर लूँगा." मैं उदास हो गयी. तुम मेरा खाना निकाल दो. मैने खाना निकाल दिया और वो खाना खाने लगे. खाने के बाद जब वो जाने लगे तो मैं उनको दरवाज़े पर छ्चोड़ने आई. मेरा चेहरा एक दम बुझा हुआ था और मैं एक दम उदास थी.. उन्होने मेरी तरफ देखा तो बोले, "मैने केशरी से बात कर ली है.. यह सुन'के वा इट'ना खुश हुवा की मत पुच्च्ो. वो लगभग 10 बजे आएगा. मेरे वापस आने तक तुम केशरी से जी भर कर छुड़वा लेना." मैं खुशी से फूली नहीं समा रही थी. मैने उनके होठों पर एक चुंबन जड़ दिया और कहा, "ठीक है." मैं केशरी का इंतेज़ार करने लगी. मैं खुशी से एक दम पागल हो रही थी. मैं बहुत जोश में थी और मैने अपनी सारी और ब्लाउस को उतार दिया. मैं केवल पेट्त्यकोआट और ब्रा में थी और खुशी के मारे डॅन्स करने लगी. रात के 10 बजे कल्लबेल्ल बाजी तो मैने धऱक'ते दिल से दरवाज़ा खोला. वो केशरी था. मैं उसे देखकर मुस्कुराई और वो भी मुस्कुराया. मैने दरवाज़ा लॉक कर दिया. केशरी मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया. उसने अपने होठों को मेरे होठों पर रख दिया. मैं जोश में आने लगी. उसने मेरी पीठ पर अपना हाथ फिरना शुरू कर दिया और मेरे होठों को चूमने लगा. मैने भी उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया. उसने मेरे होठों को चूमने के बाद मेरे गाल और मेरी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया. मैं जोश में आ गयी और सिसकारियाँ भरने लगी, "ऑफ... केशरी..... ओह...... और..... चूमओ...... .. ." उसने मेरी ब्रा को खोल दिया और उसे उतारने लगा. मैने अपने हाथ उपर कर दिए जिस से वो मेरी ब्रा को उतार सके. उसने ब्रा को उतार कर फेक दिया. अब मैं केवल पेटिकोट में उसके सामने थी. उसने मेरी एक चूची को अपने हाथ में पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से मेरी पीठ को सहलाने लगा. उसने पयज़ामा और कुर्ता पहन रखा था. उसका लुन्ड पयज़ामे के अंदर ही खड़ा हो कर टन गया था. मैं उसका लुन्ड अपने छूट के पास महसूस कर रही थी. वो बहुत बड़ा लग रहा था. मैं भी उसके पीठ को सहला रही थी. उसने मेरी पीठ को सहलाने के बाद मेरी कमर को सहलाना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद उसने मेरे पेट्त्यकोआट के नाडे पर अपना हाथ रखा. मैं एक दम जोश में थी. मैं समझ गयी की अब वो मेरा पेट्त्यकोआट खोलने वाला है. उसने पेट्त्यकोआट के नाडे को झटके से खीच लिया तो मेरा पेट्त्यकोआट खुल कर नीचे ज़मीन पर गिर गया. मैने पनटी जानबूझ कर नहीं पहनी थी.. अब उसके सामने एक दम नंगी हो गयी थी. उसने अपना एक हाथ मेरी छूट पर लगाया तो मेरे मून'ह से सिसकारियाँ निकालने लगी, ऑफ......... . केशरी...... .. हाए....... ओह......... . वो मेरी छूट को सहलाने लगा. मैने उसे अपनी तरफ खीच लिया और उसके चुत्तऱ पर हाथ फिरने लगी. उसने एक उंगली मेरी छूट में डाल दी. मेरी छूट एकदम गीली होने लगी. मैने उसके पयज़ामे के नडे को खोलने लगी. उसका पयज़ामा खुलने के बाद नीचे ज़मीन पर गिर गया. उसने भी अंदर कुच्छ नहीं पहना था. वो नीचे से एक दम नंगा हो गया. मैने कहा,
"क्या तुम नीचे कुच्छ नहीं पहनते हो." वो बोला, "पहनता हून भाभी. लेकिन मुझे आज तुम्हारी छूट का न्योता मिला था, मेरा बस चल'ता तो नंगा ही दौऱ आता. जल्दी में मैने केवल कुर्ता और पयज़ामा ही पहना. मैने अपना हाथ उसके लुन्ड पर फिरना शुरू किया. उसका लुन्ड बहुत लंबा और मोटा था लेकिन अभी मैने उसे देखा नहीं था. केवल अपने हाथों से महसूस कर रही थी. मैने उसके लुन्ड को सहलाना शुरू कर दिया. उसने मुझे अपनी बाहों में ज़ोर से जाकड़ लिया. वो अभी भी अपनी एक उंगली को मेरी छूट में अंदर बाहर कर रहा था. मेरे बदन में सिहरन सी हो रही थी. थोड़ी देर में उसने अपनी उंगली बाहर निकल ली फिर अपनी दो उंगली मेरी छूट में डाल दी. अब मुझे कुच्छ दर्द सा होने लगा. मैं सिसकारियाँ भर रही थी, अफ....... उम्म........ ऑश....... .... . मेरे सहलाने पर उसका लुन्ड और ज़्यादा टाइट हो रहा था. मैं उसके बदन से एक दम चिपकना चाहती थी लेकिन उसने अभी भी कुर्ता पहना हुआ था. मैने उसके कुर्ते को नीचे की तरफ खीचा तो वो समझ गया. उसने अपना कुर्ता भी उतार दिया. अब हम दोनो एक दम नंगे थे. मैं उस से एक दम चिपक गयी. मैने अभी तक उसका लुन्ड नहीं देखा था. मैने उसके लुन्ड को अपने हाथों में ज़ोर से पकड़ लिया और आयेज पीच्चे करने लगी. उसका लुन्ड एक दम गरम था. वो मेरी छूट में अपनी दो उंगली डाल कर अंदर बाहर कर रहा था. मैं बहुत जोश में आ गयी और 2 मिनिट बाद ही मेरी छूट से पानी निकल गया. वो नीचे ज़मीन पर बैठ गया और मेरी छूट के पानी को चाटने लगा. सारा पानी चाटने के बाद भी वो रुका नहीं और मेरी छूट को चट्टा रहा. मैं पागल सी होने लगी. मैने उसके बलों में अपना हाथ फिरना शुरू कर दिया और उसके सर को पकड़ कर अपनी छूट की तरफ दबा दिया. 5 मिनिट बाद उसने मेरी छूट को चाटना बंद कर दिया और मुझे गोद में उठा कर बेड पर ले गया और बेड के एक किनारे बिता दिया. अब वो खड़ा होकर मेरे सामने आ गया. उसका लुन्ड एक दम मेरे मून'ह के पास था. मैने अब जाकर उसके लुन्ड को पहली बार देखा. उसका लुन्ड एक दम गोरा था और लगभग 8" लंबा और 2 1/2" मोटा था. मैने ऐसा लुन्ड पहले कभी नहीं देखा था. मैने बिना उसके कुच्छ कहे ही उसके लुन्ड को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. वो मेरे बलों में अपना हाथ फिरने लगा. कुच्छ देर चाटने के बाद मैने उसके लुन्ड को अपने मून'ह में ले लिया और चूसने लगी. मैं जोश से एक दम पागल हो रही थी. उसका लुन्ड अपनी छूट में अंदर लेने के लिए बेताब हो रही थी. वो समझ गया. उसने मुझे लिटा दिया और मेरी टाँगों के बीच आ गया. उसने मेरी चुतऱ के नीचे 2 तकिये रख दिए तो मेरी छूट एक दम उपर उठ गयी. उसने मेरी टाँगों को फैलाया और अपने लुन्ड का सूपड़ा मेरी छूट के बीच रख दिया. मैं बहुत जोश में आ गयी बोली, "केशरी, अब बर्दस्त नहीं हो रहा है. डाल दो अपना पूरा लुन्ड मेरी छूट में और खूब छोड़ो मुझे." केशरी ने अपने लुन्ड को मेरी छूट के अंदर डालना शुरू कर दिया. उसका लुन्ड मेरी छूट में केवल 2" ही घुसा था की मुझे हल्का हल्का दर्द होने लगा. केशरी ने मेरी छूट में अपने लुन्ड को घुसना शुरू कर दिया. मैं तो पहले ही मोमबत्ती से छुड़वा चुकी थी. इस लिए मुझे अभी ज़्यादा दर्द नहीं हो रहा था. तोड़ा दर्द इस लिए हो रहा था क्यों की केशरी का लुन्ड मोमबत्ती से बहुत ज़्यादा मोटा था. केशरी ने एक धक्का लगाया तो उसका लुन्ड मेरी छूट में 4" तक घुस गया. मेरे मून'ह से हल्की हल्की चीख निकालने लगी. उसने जब तोड़ा सा और अंदर डाला तो मेरे मून'ह से एक ज़ोरदार चीख निकल गयी. केशरी का लुन्ड अब मेरी छूट में 6" तक घुस चुका था. उसने और ज़्यादा लुन्ड घुसने की कोशिश नहीं की और मुझे छोड़ने लगा. पहले उसने धीरे धीरे धक्का लगाया. जब मेरा दर्द कुच्छ कम हुआ तो मैं जोश में आ गयी. जब मैने अपना चुतऱ उपर उठना शुरू कर दिया तो उसने तेज़ी के साथ मुझे छोड़ना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक छुड़वाने के बाद मुझे और ज़्यादा मज़ा आने लगा. मैने अपना चुतऱ उठा उठा कर केशरी का साथ देना शुरू कर दिया. मेरे चुतऱ उठाते ही केशरी ने और तेज़ी के साथ छोड़ना शुरू कर दिया. वो अपने दोनो हाथों से मेरी चुचियों को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था और धक्के पर धक्के लगते हुए मुझे छोड़ रहा था. बीच बीच में वो एक धक्का ज़ोर से मार देता था जिस से उसका लुन्ड मेरी छूट में और ज़्यादा अंदर तक घुस जाता था. मेरी साँसें बहुत तेज़ चल रही थी. मेरा सारा बदन उसकी चुदाई से ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था. मैं बहुत जोश में आ गयी थी और मुझे अब दर्द का कोई एहसास नहीं रह गया था. 8-10 मिनिट की चुदाई के बाद उसका पूरा लुन्ड मेरी छूट में घुस चुका था. मैं उसके लुन्ड के सूपदे को अपनी बच्चेड़नी के मून'ह पर महसूस कर रही थी, जिस से मुझे और ज़्यादा मज़ा आ रहा था. मैं अपना चुतऱ उठा उठा कर उसके हर धक्के का जवाब दे रही थी. 2-3 मिनिट बाद मैं झाड़ गयी लेकिन वो रुका नहीं. मुझे छोड़ता रहा. 10 मिनिट तक छुड़वाने के बाद मैं फिर से झाड़ गयी. मेरी छूट एक दम गीली हो चुकी थी. केशरी मेरे उपर से हट गया तो मैने पूचछा, "अभी तो तुम्हारे लुन्ड का पानी भी नहीं निकला है. तुम हट क्यों गये." वो बोला, "तुम्हारी छूट एक दम गीली हो गयी है. पहले इसे कपड़े से सॉफ कर डून, उसके बाद फिर छोड़ूँगा." उसने बेड पर से चदडार उठा ली और मेरी छूट सॉफ करने लगा.. मेरी छूट को सॉफ करने के बाद उसने अपना लुन्ड फिर से मेरी छूट में डालना शुरू किया. मेरी छूट सॉफ होने के बाद एक दम सूख गयी थी, इस लिए मुझे फिर से दर्द होने लगा. केशरी ने मेरे दर्द की कोई परवाह नहीं की और अपना लुन्ड मेरी छूट में घुसता रहा. मैं तोड़ा सा चिल्लाई लेकिन वो रुका नहीं. पूरा लुन्ड मेरी छूट में घुसने के बाद वो मुझे छोड़ने लगा. थोड़ी देर में मेरा दर्द फिर से कम हो गया तो मैं उसका साथ देने लगी. मैने अपने चुतऱ को उसके हर धक्के के साथ उठना शुरू कर दिया. मेरे चुतऱ उठाते ही उसका लुन्ड एक दम ज़द तक मेरी छूट में घुस जाता था और मैं उसके दोनो बॉल्स को अपनी गान्ड पर महसूस करने लगती थी. लगभग 20 मिनिट तक वो मुझे इसी तरह छोड़ता रहा. इस बीच मैं 2 बार और झाड़ चुकी थी. मेरी छूट फिर से गीली हो गयी थी. केशरी ने अपना लुन्ड बाहर निकल कर मेरी छूट को फिर से सॉफ किया. फिर उसने अपने लुन्ड के सूपदे को मेरी छूट के बीच रखा. फिर उसने अपने दोनो हाथों से मेरी चुचियों को ज़ोर से पकड़ लिया और एक ज़ोरदार धक्का मारा. मेरे मून'ह से एक ज़ोर की चीख निकली और उसका पूरा का पूरा लुन्ड मेरी छूट में समा गया. उसने बिना देर किए मेरी चुचियों को ज़ोर ज़ोर से मसालते हुए बहुत ही तेज़ी के साथ मेरी चुदाई शुरू कर दी. मैं हिचकोले खाने लगी. उसका पूरा लुन्ड मेरी छूट के अंदर बाहर हो रहा था. मैं एक दम ज़न्नत का मज़ा ले रही थी. जब उसका पूरा लुन्ड मेरी छूट में जाता तो मैं उसके दोनो बॉल्स को अपनी गान्ड पर महसूस करती. मैं भी अपना चुतऱ उठा उठा कर उसके ताल से ताल मिलने लगी. लगभग 20 मिनिट तक वो मुझे छोड़ता रहा और फिर मेरी छूट में ही झाड़ गया. इस दौरान मैं 2 बार फिर झाड़ चुकी थी. अपने लुन्ड का पूरा पानी निकल जाने के बाद वो हटा तो मैने उसका लुन्ड छत छत कर सॉफ कर दिया. मैं एक दम तक कर चूर हो गयी थी और बेड पर ही लेट गयी. वो भी मेरे बगल में लेट गया. मुझे आज ज़िंदगी में पहली बार चुदाई का असली मज़ा मिला था. undefined30 मिनिट तक आराम करने के बाद केशरी ने फिर से मेरी छूट को सहलाना शुरू कर दिया. मैं समझ गयी की वो मुझे फिर से छोड़ना चाहता है. मैं उसके उपर आ कर 69 की पोज़िशन में हो गयी. मैने उसके लुन्ड को मून'ह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और वो मेरी छूट को चाटने लगा. 5 मिनिट बाद ही हम दोनो फिर से तैय्यर हो गये. इस बार केशरी ने मुझे डॉगी स्टाइल में कर दिया और खुद मेरे पीच्चे आ गया. उसने मेरी छूट को फैला कर अपना लुन्ड बीच में फँसा दिया और मेरी कमर को ज़ोर से पकड़ लिया. फिर वो मुझसे बोला, "तुम तैय्यर हो जाओ, जानेमन. तुमको अब फिर से दर्द होने वाला है. मैं अब बिना रुके तुम्हारी छूट में अपना पूरा लुन्ड डाल कर तुम्हारी चुदाई करने वाला हून. मैने कहा, "मेरी जान, मैं तैय्यर हून. मैने आज ज़िंदगी में पहली बार चुदाई का मज़ा तुमसे पाया है. शादी के बाद आज तक मैं एक दम भूखही थी. आज तुमने मेरी भूख को शांत किया है. तुमने आज मेरी चुदाई करके मेरे जोश को और भी भड़का दिया है. चिल्लाने दो मुझे. तुम मेरे चिल्लाने की परवाह मत करना. डाल दो अपना पूरा लुन्ड एक झटके से ही मेरी छूट में. खूब ज़ोर ज़ोर से छोड़ो मुझे." उसने मेरी कमर को पकड़ कर एक ज़ोरदार धक्का मारा. अभी उसका केवल आधा लुन्ड ही मेरी छूट में घुस पाया था की मेरे मून'ह से चीख निकल गयी. वो रुका नहीं. वो धक्के पर धक्का लगाने लगा और में चिल्लती रही. वो रुका नहीं. 8-10 धक्कों के बाद उसका पूरा लुन्ड मेरी छूट में घुस गया. उसने मुझे तेज़ी के साथ छोड़ना शुरू कर दिया. थोड़ी देर में जब मेरा दर्द कुच्छ कम हुआ तो मैं भी अपना चुतऱ आयेज पीच्चे करके उसका साथ देने लगी. वो मुझे आँधी की तरह छोड़ रहा था. उसने इस बार मुझे लगभग 45 मिनिट तक बिना रुके छोड़ा. अभी तक मैं 3 बार झाड़ चुकी थी. मेरी छूट एक दम गीली हो चुकी थी. रूम में फ़च-फ़च और धाप-धाप की आवाज़ हो रही थी. केशरी का भी पानी अब निकालने ही वाला था. उसने मेरी कमर को और ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी स्पीड बहुत तेज़ कर दी. मैने भी अपना चुतऱ और तेज़ी के साथ आयेज पीच्चे करना शुरू कर दिया. लगभग 5 मिनिट और छोड़ने के बाद केशरी मेरी छूट में झाड़ गया और मैं भी एक बार फिर केशरी के साथ ही साथ झाड़ गयी. सारा पानी मेरी छूट में निकालने के बाद केशरी ने अपना लुन्ड बाहर निकाला तो मैने उसे चाटना शर कर दिया. मैने उसका लुन्ड खूब चटा और एक दम सॉफ कर दिया. मैने रजत के आने तक केशरी से एक साप्ताह तक खूब चुडवाया और खूब मज़ा लिया. अभी भी मैं केशरी को बुला कर खूब चुड़वति हून.
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