Tuesday, October 7, 2008

घर की बातें

घर की बातें


हम लोग गाँव के रहने वेल हैं. हमारा गाओं सहर से 44 केयेम. डोर है. पास के ही एक गाओं में भैया की शादी हो गयी. डॉली भाभी बहुत ही अच्च्ची थी और खूबसूरत भी. भैया की उमर 20 साल की थी. वो उमर में भैया से 4 साल छ्होटी थी. मैं डॉली भाभी से उमर में 1 साल बड़ा था. डॉली भाभी की उमर 16 साल की थी. गाओं में ये उमर शादी के लिए काफ़ी मानी जाती है. शादी के बाद भैया की नौकरी ऊP के एक कंपनी में लग गयी. वो पटना में ही रहने लगे. वो खुद ही घर का सारा काम करते थे और खाना भी बनाते थे. जब उन्हें खाना बनाने में और घर का काम करने में दिक्कत होने लगी तो उन्होने डॉली भाभी को भी पटना बुला लिया. मम्मी तो थी नहीं केवल पापा ही थे. कुच्छ दीनो के बाद पापा का भी स्वरगवस हो गया तो भैया ने मुझे अपने पास ही रहने के लिए बुला लिया. मैं उनके पास पटना आ गया और वहीं रह कर पढ़ाई करने लगा. मैने Bआ तक की पढ़ाई पूरी की और फिर नौकरी की तलाश में लग गया.
अभी मुझे नौकरी तलाश करते हुए 1 साल ही गुज़रे थे की भैया का रोड एक्षसीडेंट में स्वरगवस हो गया. उस समय मेरी उमर 21 साल की हो चुकी थी. अब तक मैं एक दम हटता कटता नौजवान हो गया था. मैं बहुत ही ताकतवर भी था क्यों की गाओं में कुश्ती भी लड़ता था. मुझे भैया की जगह पर नौकरी मिल गयी. अब घर पर मेरे और डॉली भाभी के अलावा कोई नहीं था. वो मुझसे मुझसे बहुत प्यार करती थी. मैं भी उनकी पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख़याल रखती थी.

डॉली भाभी को ही घर का सारा कम करना पड़ता था इस लिए मैं भी उनके काम में हाथ बता देता था. वो मुझसे बार बार शादी करने के लिए कहती थी. एक दिन डॉली भाभी ने शादी के लिए मुझ पर ज़्यादा दबाव डाला तो मैने शादी के लिए हन कर दी. डॉली भाभी के एक रिश्तेदार थे जो की उनके गाओं में ही रहते थे. उनकी एक लड़की थी जिसका नाम मिन्नी था. डॉली भाभी ने मिन्नी के साथ मेरी शादी की बात चलाई. बात पक्की करने से पहले डॉली भाभी ने मुझे मिन्नी की फोटो दिखा कर मुझसे पूचछा, कैसी है. मैं मिन्नी की फोटो देख कर डांग रह गया. मैं समझता था की गाओं की लड़की है, ज़्यादा खूबसूरत नहीं होगी लेकिन वो तो बहुत ही खूबसूरत थी. मैने हन कर दी. मिन्नी की उमर भी 16 साल की ही थी. काहिर शादी पक्की हो गयी. मिन्नी के मम्मी पापा बहुत ग़रीब थे. 1 महीने के बाद ही हमारी शादी गाओं के एक मंदिर में हो गयी. शादी हो जाने के बाद दोपहर को डॉली भाभी मुझे और मिन्नी को लेकर पटना आ गयी. घर पर कुच्छ पड़ोस के लोग बहू देखने आए. जिसने भी मिन्नी को देखा उसकी बहुत तारीफ की. शाम तक सब लोग अपने अपने घर चले गये. रात के 8 बाज रहे थे. डॉली भाभी ने मुझसे कहा, आज मैं बहुत तक गयी हून. तुम जा कर होटेल से खाना ले आओ. मैने कहा, ठीक है. मैने झोला उठाया और खाना लाने के लिए चल पड़ा. मेरा एक दोस्त था विजय. उसका एक होटेल था.

मैं सीधा विजय के पास गया. विजय बोला, आज इधर कैसे. मैने उस से सारी बात बता दी. वो मेरी शादी की बात सुनकर बहुत खुश हो गया. हम दोनो कुच्छ देर तक गॅप शॅप करते रहे. विजय ने मुझसे कहा, तुझे मज़ा लेना हो तो मैं एक तरीका बताता हून. मैने कहा, बताओ. वो बोला, तुम मिन्नी की छूट को कुच्छ दिन तक हाथ भी मत लगाना. तुम केवल उसकी गांद मारना और अपने आप को काबू में रखना. कुच्छ दिन तक उसकी गांद मरने के बाद तुम उसकी चुदाई करना. मैने सोचा की विजय ठीक ही कह रहा है. मैने उस से कहा, ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा. उसने मेरे लिए सबसे अच्च्छा खाना जो की उसके होटेल में बनता था, पॅक करा दिया. मैं खाना लेकर घर वापस आ गया. हम सब ने खाना खाया. डॉली भाभी ने मिन्नी को मेरे रूम में पहुचा दिया. उसके बाद उन्होने मुझे अपने रूम में बुलाया और कहने लगी, मिन्नी अभी छ्होटी है. उसके साथ बहुत आराम से करना. मैने मज़ाक किया, मुझे करना क्या है. वो बोली, शैतान कहीं का. तू तो ऐसे कह रहा है की जैसे कुच्छ जनता ही नहीं. मैने कहा, मुझे कुच्छ नहीं मालूम है.

डॉली भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा, पहले उस से प्यार की दो बातें करना. उसके बाद अपने औज़ार पर ढेर सारा तेल लगा लेना. फिर अपना औज़ार उसके च्छेद में बहुत ही धीरे धीरे घुसा देना. जल्दी मत करना नहीं तो वो बहुत चिल्लाएगी. वो अभी 16 साल की ही है. समझ गये ना. मैने कहा, हन, मैं समझ गया. डॉली भाभी ने कहा, अब जा अपने कमरे में. मैं अपने कमरे में आ गया. मिन्नी बेड पर बैठी थी मैं भी भी उसके बगल में बैठ गया. मैने उस से पूचछा, मैं तुम्हें पसंद हून. उसने अपना सिर हन में हिला दिया. मैने कहा, ऐसे नहीं, बोल कर बताओ. उसने शरमाते हुए कहा, हन. मैने पुचछा, कहाँ तक पढ़ी हो. वो बोली, केवल 6 तक. मैने कहा, मेरी डॉली भाभी ने मुझे कुच्छ सिकाहाया है. क्या तुम्हें भी किसी ने कुच्छ सिकाहाया है. वो कुच्छ नहीं बोली तो मैने कहा, अगर तुम कुच्छ नहीं बोलॉगी तो मैं बाहर चला जौंगा. इतना कह कर मैं खड़ा हो गया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैं उसके बगल में बैठा गया. मैने कहा, अब बताओ. वो कहने लगी, मेरे घर पर केवल मेरे मम्मी पापा ही हैं. उन्होने तो मुझसे कुच्छ भी नहीं कहा लेकिन मेरे पड़ोस में रहने वाली डॉली भाभी ने मुझसे कहा था की तुम्हारे पति जब अपना औज़ार तुम्हारे च्छेद में अंदर घुसाएँगे तब बहुत दर्द होगा. उस दर्द को बर्दस्त करने की कोशिश करना. ज़्यादा चीखना और चिल्लाना मत नहीं तो बड़ी बदनामी होगी. अपने पति से कह देना की अपने औज़ार पर ढेर सारा तेल लगा लेंगे. मैने आज तक औज़ार नहीं देखा है. ये औज़ार क्या होता है. मैने कहा, तुमने आदमियों के पेशाब करते समय उनकी च्छूननी देखी है. उसने कहा, हन, गाओं में तो सारे मर्द कभी भी कहीं भी पेशाब करने लगते हैं. आते जाते समय मैने काई बार देखा है.

लेकिन उसे तो गाओं में लंड कहते हैं. मैने कहा, उसी को औज़ार भी कहते हैं. वो बोली, मैने तो देखा है की किसी किसी का बहुत बड़ा होता है. मैने कहा, जैसे आदमी काई तरह के होते हैं ठीक उसी तरह उनका औज़ार भी काई तरह का होता है. मेरा औज़ार देखोगी. वो बोली, मुझे शरम आती है. मैने कहा, अब तो तुम्हें हमेशा ही मेरा औज़ार देखना पड़ेगा. उसे हाथ में भी पकड़ना पड़ेगा. देखोगी मेरा औज़ार. वो बोली, ठीक है, दिखा दो. मैं पहले से ही जोश में था. मैने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी. उसके बाद मैने अपनी पंत और चड्धि भी उतार दी. मेरा 9" लंबा और खूब मोटा लंड फंफनता हुआ बाहर आ गया. मैने अपना लंड उसके चेहरे के सामने कर दिया और कहा, देख लो मेरा औज़ार. उसने तिरच्चि निगाहों से मेरे लंड को देखा और शरमाते हुए बोली, तुम्हारा तो बहुत बड़ा है. इतना कह कर उसने अपने हाथों से अपने चेहरे को धक लिया. मैने उसका हाथ पकड़ कर उसके चेहरे पर से हटा दिया और कहा, शरमाती क्यों हो. जी भर कर देख लो इसे. अब तो सारी ज़िंदगी तुम्हें मेरा औज़ार देखना भी है और उसे अपने च्छेद के अंदर भी लेना है. मैने तो अपने कपड़े उतार दिए हैं अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो. वो बोली, मैं अपने कपड़े कैसे उतार सकती हून, मुझे शरम आती है. मैने कहा, अगर तुम अपने कपड़े नहीं उतरोगी तो मैं अपना औज़ार तुम्हारे च्छेद में कैसे घुसौंगा. वो कुच्छ नहीं बोली. मैने मिन्नी के कपड़े उतरने शुरू कर दिए तो वो शरमाने लगी.

धीरे धीरे मैने उसे एक दम नंगा कर दिया. मैं उसके संगमरमर जैसे खूबसूरत बदन को देख कर डांग रह गया. उसकी चुचियाँ अभी बहुत छ्होटी छ्होटी थी. मैने उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी चुचियों को सहलाते हुए उसे होठों को चूमने लगा. मैने देखा की उसकी छूट पर अभी बहुत हल्के हल्के बॉल ही उगे थे और उसकी छूट एक दम गुलाबी सी दिख रही थी. मैने उसकी चुचियों को ंसालना शुरू कर दिया तो वो बोली, मुझे गुदगुदी हो रही है. मैने पुचछा, अच्च्छा नहीं लग रहा है. वो बोली, बहुत अच्च्छा लग रहा है. मैने उसके निपल्स को मूह में लेकर चूसना शुरू कर दिया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी. उसके बाद मैने उसकी छूट को शालाना शुरू कर दिया. उसे गुदगुदी होने लगी. उसने मेरा हाथ हटा दिया तो मैने पुचछा, क्या हुआ. वो बोली, बहुत ज़ोर की गुदगुदी हो रही है. मैने कहा, अच्च्छा नहीं लग रहा है क्या. वो बोली, अच्च्छा तो लग रहा है. मैने कहा, तुमने मेरा हाथ क्यों हटाया. अगर तुम ऐसा ही करोगी तो मैं बाहर चला जौंगा. वो बोली, ठीक है, मैं अब तुम्हें कुच्छ भी करने से माना नहीं करूँगी. मैने कहा, फिर ठीक है. मैने उसकी छूट को सहलाना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में उसकी छूट गीली होने लगी. वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी. मैने एक उंगली उसकी चूर के अंदर दल दी तो उसने ज़ोर की सिसकारी ली. मेरा लंड अब तक बहुत ज़्यादा टाइट हो चुका था. थोड़ी देर तक मैं उसकी छूट में अपनी उंगली अंदर बाहर करता रहा तो वो झड़ने लगी.

झाड़ते समय उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और बोली, तुम्हारे उंगली करने से मुझे तो पेशाब हो रहा है. मैने कहा, ये पेशाब नहीं है. जोश में आने के बाद छूट से पानी निकलता है. वो कुच्छ नहीं बोली, मेरी उंगली उसके छूट के पानी से एक दम गीली हो चुकी थी. थोड़ी ही देर में वो पुर जोश में आ गयी तो मैने कहा, अब मैं अपना औज़ार तुम्हारे च्छेद में घुसौंगा. तुम पेट के बाल लेट जाओ. वो पेट के बाल लेट गयी. मैने देखा की उसकी गांद भी एक दम गोरी थी. उसकी गांद का च्छेद बहुत ही हल्के भूरे रंग का था. मैं अपनी उंगली उसकी गांद के च्छेद पर फिरने लगा. उसके बाद मैने एक झटके से अपनी एक उंगली उसकी गांद में घुसा दी. वो ज़ोर से चीखी. मैने कहा, अगर तुम ऐसे चीखोगी तो डॉली भाभी आ जाएगी. वो बोली, दर्द हो रहा है. मैने कहा, दर्द तो होगा ही. अभी तो मैं अपना लंड तुम्हारे गांद में घुसौंगा. थोड़ी देर तक मैं अपनी उंगली उसके गांद में अंदर बाहर करता रहा. वो बोली, मेरा च्छेद तो बहुत ही छ्होटा है और तुम्हारा औज़ार बहुत बड़ा. अंदर कैसे घुसेगा. मैने कहा, जैसे उर औरतों के अंदर घुसता है. वो बोली, तब तो मुझे बहुत दर्द होगा. मैने कहा, इसी लिए तो तुम्हारी डॉली भाभी ने तुमसे कहा था की दर्द को बर्दस्त करना, ज़्यादा चीखना चिल्लाना मत. वो बोली, मैं समझ गयी. मैं उसके उपर आ गया तो वो बोली, तेल नहीं लगाओगे. मैने कहा, लगौँगा. मैने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा लिया. उसके बाद मैने उसकी गांद के च्छेद पर अपने लंड का सूपड़ा रखा और उस से कहा, अब तुम अपना मूह ज़ोर से दबा लो जिस से तुम्हारे मूह से चीख ना निकले. उसने कहा, ठीक है, दबा लेती हून लेकिन बहुत धीरे धीरे घुसना.

मैने कहा, हन, मैं बहुत धीरे ही घुसौंगा. उसने अपने हाथों से अपने मूह को दबा लिया. मैने तोड़ा सा ही ज़ोर लगाया था की वो ज़ोर से चीखी. मेरे लंड का सूपड़ा भी अभी उसके गांद में नहीं घुस पाया था. वो रोने लगी और बोली, मुझे छ्चोड़ दो, बहुत दर्द हो रहा है. मैने कहा, दर्द तो होगा ही. तुम अपना मूह ज़ोर से दबा लो. उसने अपना मूह फिर से दबा लिया तो मैने इस बार कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर लगा दिया. वो दर्द से तड़प्ते हुए ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी, दीदी, बचा लो मुझे, नहीं तो मैं मार जौंगी. इस बार मेरे लंड का सूपड़ा उसकी गांद में घुस गया. उसकी गांद से खून निकल आया था. वो इतने ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी की मैं तोड़ा सा दर गया. मैने एक झटके से अपना लंड बाहर खीच लिया. पक की आवाज़ के साथ मेरे लंड का सूपड़ा उसकी गांद से बाहर आ गया. मैने उसे चुप करते हुए कहा, अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी तो काम कैसे बनेगा. वो बोली, मैं क्या करूँ, बहुत दर्द हो रहा था. मैने कहा, तोड़ा सबर से काम लो. फिर सब ठीक हो जाएगा. अब तुम अपना मूह दबा लो, मैं फिर से कोशिश करता हून. उसने अपना मूह दबा लिया तो मैने फिर से अपने लंड का सूपड़ा उसकी गांद के च्छेद पर रख दिया. उसके बाद मैं उसकी कमर के नीचे से हाथ दल कर उसे ज़ोर से पकड़ लिया. फिर मैने पुर ताक़त के साथ ज़ोर का धक्का मारा. वो बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. वो मेरे नीचे से निकलना चाहती थी लेकिन मैने उसे बुरी तरह से जाकड़ रखा था. मेरा लंड इस धक्के के साथ उसकी गांद में 3" तक घुस गया.

वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हुए डॉली भाभी को पुकार रही थी, दीदी, बचा लो मुझे नहीं तो ये मुझे मार डालेंगे. बहुत दर्द हो रहा है. तभी कमरे के बाहर से डॉली भाभी की आवज़ आई, ऋषि, क्या हुआ. मिन्नी इतना क्यों चिल्ला रही है. मैने कहा, मैं अपना औज़ार अंदर घुसा रहा था लेकिन ये मुझे घुसने ही नहीं दे रही है. बहुत चिल्ला रही है. डॉली भाभी ने कहा, तुम दोनो बाहर आ जाओ. मैं मिन्नी को समझा देती हून. मैने लूँगी पहन ली और मिन्नी से कहा, बाहर चलो डॉली भाभी बुला रही है. वो उतना चाहती थी लेकिन उठ नहीं पा रही थी. मैने उसे सहारा दे कर खड़ा किया. उसने केवल अपनी सारी बदन पर लपेट ली. मैं उसे सहारा दे कर बाहर ले आया क्यों की वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. डॉली भाभी ने मिन्नी से पुचछा, इतना क्यों चिल्ला रही थी. वो रोते हुए डॉली भाभी से कहने लगी, ये अपना औज़ार मेरे च्छेद में घुसा रहे थे इस लिए मुझे बहुत दर्द हो रहा था. डॉली भाभी ने कहा, पहली पहली बार दर्द तो होगा ही. सभी औरतों को होता है. ये कोई नयी बात थोड़े ही है. डॉली भाभी ने मुझसे कहा, मैने तुझसे कहा था ना की तेल लगा कर धीरे धीरे घुसना. मैने कहा, मैं तेल लगा कर धीरे धीरे ही घुसने की कोशिश कर रहा था. जैसे ही मैने तोड़ा सा ज़ोर लगाया और मेरे औज़ार का टोपा ही इसके च्छेद में घुसा की ये ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. इसके चिल्लाने से मैं दर गया और मैने अपना औज़ार बाहर निकल लिया. उसके बाद मैने इसे स्मझाया तो ये राज़ी हो गयी. मैने फिर से कोशिश की तो ये फिर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी और मेरा औज़ार केवल ज़रा सा ही अंदर घुस पाया. तभी आप ने हम दोनो को बुलाया और हम बाहर आ गये. डॉली भाभी ने कहा, इसका मतलब तुमने अभी तक कुच्छ बीयी नहीं किया, मैने कहा, बिल्कुल नहीं. तुम चाहो तो मिन्नी से पूच्छ लो. डॉली भाभी ने मिन्नी से पुचछा, क्या ये सही कह रहा है. उसने अपना सिर हन में हिला दिया. डॉली भाभी ने मिन्नी से कहा, तुम कमरे में जाओ




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