Saturday, May 31, 2008

प्यासी भाभी


मेरा नाम हससा दीन है. मेरी उमर २२ साल की है.और मेरा तलावुक कराची पकिस्तान से है. शादी के ३ साल बाद ही एक रोड एक्ससिदेंत में भैया का इनतेकाल हो गया था. मैं भाभी के साथ अकेला ही रहता था. भाभी का नाम सीअमा है. हमारा अपना खुद का business था. भैया के न रहने के बाद मैं ही business की देखभाल करता था. भाभी बहुत ही खूबसूरत थी. वो मुझे दीनोऊ कह कर ही बुलाती थी. पापा और मम्मी का इनतेकाल बहुत पहले ही हो चूका था. मैं एक दम तथा कत्था नौजवान था और बहुत ही ताकतवर भी. भाभी उमर में मुझसे १६ साल बरी थी. वो मुझे बहुत प्यार करती थी. भैया के गुजर जाने के बाद मैं भाभी की पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थी. मैं सुबह ८ बजे ही घर से चला जाता था और फीर रात के ५ बजे ही घर वापस आता था।

ये उस समय की बात है जब भैया को गुजरे हुए ८ महीने ही हुए थे. एक दीन मेरी तबियत खराब हो गयी तो मैंने मेनेजर से पंप सँभालने को कहा और दोपहर के १ बजे ही घर वापस आ गया. भाभी ने पूछा, क्या हुआ दीनोऊ. मैंने कहा, मेरा सारा बदन दुःख रह है और लग रह है की कुछ fever भी है. मेरी बात सुनकर वो परेशान हो गयी. उन्होने मुझसे कहा, तुम मेरे साथ doctor के पास चलो. मैंने कहा, मैंने मेडिकल स्टोर से कुछ मेदिसीने ले ली है. मुझे थोडा आराम कर लेने दो. वो बोली, ठीक है, तुम आराम करो. मैं तुम्हारे बदन पर तेल लगा कर मालिश कर देती हूँ. मैंने कहा, नहीं, रहने दो, मैं ऐसे ही ठीक हूँ. वो बोली, चुप चाप अपने कमरे में जा कर लेट जाओ. मैं अभी तेल ले कर आती हूँ. मैं कभी भी भाभी की बात से इंकार नहीं करता था।

मैं अपने कमरे में आ गया. मैंने अपनी शर्ट और पन्त उतर दी और बनियान और नेकर पहने हुए ही लेट गया. मैं एक दम ढीला था और थोडा छोटा नेकर ही पहनता था. भाभी तेल ले कर आई. उन्होने मेरे सीर पर टेल लगाया और मेरा सीर दबाने लगी. उसके बाद उन्होने मेरे हाथ, सीने और पीठ पर भी तेल लगा कर मलीश कीया. आखीर में वो मेरे पैर पर तेल लगा कर मलीश करने लगी. आखीर मैं भी मर्द हौं . उनके हाथ लगाने से मुझे जोश आने लगा. जोश के मरे मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरा नेकर टेंट की तरह से ऊपर उठने लगा. धीरे धीरे मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया और मेरा नेकर एक दम टेंट की तरह हो गया. मैं जनता था की नेकर के छोटा होने की वजह से भाभी को मेरा लंड थोडा सा दिखाई दे रह होगा. वो मेरे पैरों की मलीश करते हुए मेरे लंड को देख रही थी और उनकी आंखें थोडा गुलाबी सी होने लगी थी. उनके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान भी थी. मलीश करने के बाद वो चली गयी. उसके बाद मैं सो गया।

शाम के ७:३० बजे मेरी नींद खुली और मैं उठ गया. भाभी चाए लेकर आई. मैंने चाए पी. उसके बाद मैं बाथरूम चला गया. बाथरूम से जब मैं वापस आया तो भाभी ने कहा, अब लेट जाओ, मैं तुम्हारे बदन की फीर से मलीश कर देती हूँ. मैंने कहा, अब रहने दो न, भाभी. वो बोली, क्या मलीश करने से कुछ आराम नहीं मीला. मैंने कहा, बहुत आराम मीला है. वो बोली, फीर क्यों मना कर रहे हो. मैंने कहा, टीक है, तुम सिर्फ मेरे पैर की ही मलीश कर दो. वो खुश हो गयी और मै भी अंदर ही अंदर खुश हो गीया मै भी यही छत्ता था क वो दौबरा मलीश करं. उन्होने मेरे पैर की मलीश शुरू कर दी. मेरा लंड फीर से खड़ा हो गया. इस बार मेरा नेकर थोडा पीछे की तरफ खिसक गया था जीस से भाभी को मेरा लंड इस बार कुछ ज्यादा ही दिखाई दे रह था. भाभी मेरे लंड को देखते हुए मेरे पैरों की मलीश करती रही.
थोडी देर बाद वो बोली, मैं जब तेरे पैर की मलीश करती हूँ तो तुझे क्या हो जाता है. मैं कहा, कुछ भी तो नहीं हुआ है मुझे. उन्होने मेरे लंड पर हलकी सी चपत लगते हुए कहा, फीर ये क्या है. मैंने कहा, जब तुम मलीश करती हो तो मुझे गुदगुदी सी होने लगती है, इसी लीये तो मैं मना कर रह था. उन्होने मेरे लंड पर फीर से चपत लगते हुए कहा, इसे काबू में रखा कर. मैंने कहा, जब आप मलीश करतीं हो तो ये मेरे काबू में नहीं रहता. वो बोली, तुम भी अपने भैया की तरह ही हो. मैं जब उनके पैर की मलीश करती थी तो वो भी इसे काबू में नहीं रख पते थे।

मैंने मजाक करते हुए कहा, फीर वो क्या करते थे. वो बोली, बदमाश कहीं का. मैंने कहा, बताओ न भाभी, फीर वो क्या करते थे. भाभी शरमाते हुए बोली, वही जो सभी मर्द अपनी बीवी के साथ करते हैं. मैंने कहा, तब तो तुम्हें भैया के पैरों की मलीश नहीं करनी चाहिऐ थी. उन्होने पूछा, क्यों. मैंने कहा, आखीर बाद में परेशानी भी तुम्हें ही उठानी पड़ती थी. वो बोली,परेशानी कीस बात की, आखीर मेरा मन भी तो करता था. मैंने कहा, मेरा भी काबू में नहीं है, अब तुम ही बताओ की मैं क्या करूं. वो बोली, शादी कर ले. मैंने कहा, मैं अभी शादी नहीं करना चाहता. उन्होने मुस्कुराते हुए कहा, फीर बाथरूम में जा कर मूठ मर ले. मैंने अंजान बनते हुए पूछा, वो क्या होता है. वो बोली, क्या सच में तुझे नहीं मालूम है की मूठ मारना कीसे कहते हैं. मैंने कहा, नहीं. उन्होने मेरे लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, इसे अपने हाथ में पकड़ कर अपना हाथ तेजी से आगे पीछे करना. थोडी ही देर में इसका जूस नीकल जाएगा और ये शांत हो जाएगा. मैंने कहा, तुम मुझे थोडा सा कर के बता दो।

भाभी जोश में आ ही चुकी थी. वो बोली, तू बहुत ही बदमाश है. इसे बाहर नीकल, मैं बता देती हूँ की कैसे करना है. मैंने कहा, तुम खुद ही इसे बाहर नीकल कर बताओ की कैसे करना है. उन्होने शरमाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर नेकर से बाहर नीकल लीया. जैसे ही मेरा ६.५ इंच लम्बा और २ इंच मोटा लंड बाहर आया तो वो बोली, बाप रे, तेरा तो बहुत ही मोटा ही. मैंने पूछा, अच्छा नहीं है क्या. वो शरमाते हुए बोली, बहुत ही अच्छा है. मैंने पूछा, भैया का कैसा था. वो बोली, उनका भी अच्छा था लेकीन तेरे जैसा मोटा नहीं था. मैंने कहा, अब बताओ की कैसे करना है. उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर अपना हाथ आगे पीछे करना शुरू कर दीया. मुझे बहुत मज़ा आने लगा. वो भी जोश में आने लगी।

२ मं मूठ मरने के बाद वो बोली, ऐसे ही कर लेना. अब जा बाथरूम में. मैंने कहा, बाथरूम में क्यों, अगर मैं यहीं लेटा हूँ तो इसमें क्या बुराई है. वो बोली, तेरा जूस यहाँ गिरेगा और मुझे ही साफ करना पड़ेगा. मैंने कहा, मैं ही साफ कर दूंगा. वो बोली, ठीक है, यहीं कर ले. मैं जाती हूँ. मैंने उनका हाथ पकड़ कर कहा, आप यहीं बैठो न. वो बोली, तेरे लंड पर हाथ लगाने से मुझे पहले ही थोडा सा जोश आ चूका है. अगर मैं तुझे मूठ मरते हुए देखूंगी तो मुझे और ज्यादा जोश आ जाएगा. फीर मेरे लीये बर्दास्त करना मुश्किल हो जाएगा. आखीर मैं भी तो औरत हूँ और अभी जवान भी. मैंने कहा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं करूँगा. वो बोली, मुझे पूरा भरोसा है तभी तो मैंने तेरे लंड को पकड़ कर तुझे मूठ मारना बताया है. मैंने पूछा, नेकर उतर दूं या ऐसे ही मूठ मर लूं. वो बोली,उतर दे इसे।

मैंने अपना नेकर उतर दीया और मूठ मरने लगा. भाभी मुझे मूठ मरते हुए देखती रही. मैं भाभी को देखता हुआ मूठ मर रह था. धीरे धीरे वो और ज्यादा जोश में आ गयी. जोश के मरे मेरे मुह से आह... ऊह... की आवाज़ नीकल रही थी. वो मुझे और कभी मेरे लंड को देख रही थी. उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लीया और सहलाने लगी. मैंने पूछा, क्या हुआ. वो बोली, तू मुझे एक दम पागल कर देगा।

मैं जा रही हूँ. मैंने उनका हाथ पकड़ लीया और कहा, बठो न मेरे पास. वो चुप चाप बैठ गयी. मैं मूठ मरता रहा. भाभी जोश के मरे पागल सी हो चुकी थी. थोडी ही देर में उन्होने मेरा लंड पकड़ लीया और बोली, अब रहने दे, अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रह है. मैंने पूछा, क्या हुआ. उन्होने अपना पेट्तिकोअत ऊपर कर दीया और बोली, देख मेरी चूत भी एक दम गीली हो गयी. तुने तो मुझे पागल सा कर दीया है. अब मुझे बर्दास्त नहीं हो रह है, तू मेरी चूत को सहला दे, मैं तेरा लंड सहला देती हूँ. मैंने कहा, केवल सहलाना ही है या कुछ और करना है. वो बोली, अगर तेरा मन करे तो मेरी चूत को थोडा सा चाट ले जीस से मुझे भी थोडा आराम मिल जाएगा. मैंने कहा, कपडे तो उतर दो. वो बोली, तू खुद ही उतर दे।

मैंने भाभी के कपडे उतर दीये. अब वो एक दम नंग हो गयी. उनकी चूत एक दम साफ थी. मैंने कहा, तुम्हारी चूत तो एक दम साफ है. वो बोली, मुझे चूत पर बाल बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं इसी लीये मैं इसे हमेशा ही साफ रखती हूँ. तेरा भी तो एक दम साफ है. मैंने कहा, मुझे भी बाल पसंद नहीं हैं. वो लेट गयी तो मैंने उनकी चूत पर अपनी जीभ फिरनी शुरू कर दी. वो बोली, ऐसे नहीं. मैंने कहा, फीर कैसे. वो बोली, मुझे भी तो तेरा चूसना है. तू मेरे ऊपर उल्टा लेट जा और अपना लंड मेरे मुह के पास कर दे फीर चाट मेरी चूत को।

मैं भाभी के ऊपर ६९ की पोसिशन में लेट गया. मैंने उनकी चूत पर जीभ फिरना शुरू कीया तो उन्होने मेरे लंड का सुपदा अपने मुह में ले लीया और चूसने लगी. मुझे खूब मज़ा आने लगा. भाभी भी जोश के मरे सिस्कारियां भरने लगी. मैंने उनकी clit को अपने होठों से दबाना शुरू कर दीया तो उन्होने जोर की सिसकारी ली. मैंने पूछा, क्या हुआ. वो बोली, बहुत मज़ा आ रहा है, और जोर जोर से दबा. मैंने उनकी clit को और ज्यादा जोर से दबाना शुरू कर दीया तो उन्होने मेरा लंड अपने मुह में और ज्यादा अन्दर ले लीया और तेजी के साथ चूसने लगी. मैंने एक ऊँगली उनकी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा. थोडी ही देर में भाभी की चूत से जूस नीकल आया. वो बोली, चाट ले इसे. मैंने उनकी चूत का सारा जूस चाट लीया. थोडी ही देर में मेरे लंड का जूस भी निकलने लगा तो भाभी सारा का सारा जूस निगल गयी. उसके बाद मैं हट गया और उनके बगल में लेट गया।

भाभी मेरा लंड सहलाने लगी. थोडी देर बाद वो बोली, आज तो वो हो गया जो की नहीं होना चाहिऐ था. मैंने कहा, मैंने ऐसा क्या कर दीया. वो बोली, तुने मुझे अपना लंड दीखा कर आज मुझे पागल सा कर दीया. मैंने कहा, मैंने तो नहीं दीखाया था. वो बोली, तेरा नेकर ही इतना छोटा और ढीला था की मुझे तेरा लंड दिखाई दे गया. मैं अपने आप को काबू में नहीं रख पाई इसी लीये मैंने तुझसे पैर की दोबारा मलीश करने के लीया कहा था. मैं तेरा लंड देखना चाहती थी क्यों की मुझे तेरा लंड बहुत ही लम्बा और मोटा दीख रहा था. मैंने कहा, अब तो देख लीया न. वो बोली, हाँ, देख भी लीया और पसंद भी कर लीया. मैंने कहा, अब क्या इरादा है. वो बोली, तू भी वही कर जो तेरे भैया मेरे साथ करते थे. मैंने कहा, ये ठीक नहीं है. वो बोली, क्या ठीक है क्या नहीं, मैं कुछ नहीं जानती. अगर तू मेरे साथ नहीं करेगा तो मैं मर जाउंगी. मैंने पूछा, मैं तुम्हारे साथ क्या करूं. वो बोली, जो तेरे भैया मेरे साथ करते थे. मैंने कहा, मैंने तो कभी देखा ही नहीं की भैया तुम्हारे साथ क्या करते थे. भाभी ने मेरे गलों को जोर से कट लीया और बोली, अब चोद दे मुझे. मैंने कहा, दर्द होगा. वो बोली, तो मैं क्या करूं, होने दे. जो होगा देखा जाएगा. मैंने कहा, तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूँ. भाभी का तो जोश के मरे बुरा हाल था. वो बोली, तू मुझे नहीं चोदेगा लेकीन मैं तो तुझे छोड़ सकती हूँ. मैंने कहा, फीर तुम ही छोडो।

मेरा लंड फीर से खड़ा हो चूका था. भाभी मेरे ऊपर आ गयी. उन्होने मेरे लंड के सुपदे को अपनी चूत के बीच रखा और दबाने लगी. उनके चेहरे पर दर्द की झलक साफ दीख रही थी फीर भी वो रुकी नहीं. मेरा लंड धीरे धीरे उनकी चूत में घुसता ही जा रहा था. उनकी चूत बहुत ही तिघ्त थी. उन्होने दबाना जरी रखा तो थोडी ही देर में उनकी आंखों में आंसू भी आ आगये. मैंने पूछा, क्या हुआ. वो बोली, दर्द बहुत हो रहा है. मैंने कहा, फीर रूक जाओ न, क्यों इतना दर्द बर्दास्त कर रही हो. वो बोली, मैं पागल हो गयी हूँ. अब तक मेरा लंड भाभी की चूत में ४" तक घुस चूका था. दर्द के मरे भाभी का बुरा हाल हो रहा था. तभी वो अपने बदन का सारा जोर देते हुए अचानक मेरे लंड पर बैठ गयी. मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत में समां गया. उनके मुह से जोर की चीख निकली. उनका सारा बदन थार थार कांपने लगा. उनके चेहरे पर पसीना आ गया. उनकी सांसें बहुत तेज चल रही थी.
वो मेरे ऊपर लेट गयी और मेरे होठों को चूमने लगी. मैं उनकी कमर और चुताद को सहलाने लगा. तभी मुझे बदमाशी सूझी. मैंने उनकी गांड के छेद पर अपनी ऊँगली फिरनी शुरू कर दी तो उन्हें मज़ा आने लगा. अचानक मैंने अपनी ऊँगली उनकी गांड में डाल दी तो उन्होने जोर की सिसकारी ली और बोली, बदमाश कहीं का. पहले तो कह रहा था की तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूँ. अब मेरी गांड में ऊँगली डाल रहा है. क्या मैं अब तेरी भाभी नहीं रह गयी. मैंने कहा, बिल्कुल नहीं, अब तो तुमने मेरा लंड तुमने अपनी चूत में डाल लीया है. अब तुम मेरी भाभी नहीं रह गयी हो. वो बोली, फीर मैं अब तेरी क्या लगती हूँ. मैंने कहा, बीवी. वो बोली, फीर चोद दे न अपनी बीवी को. क्यों तरसा रहा है मुझे. अब तो मैंने तेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत के अन्दर ले लीया है. मेरी ऊँगली अभी भी भाभी की गांड में थी. मैंने फीर शरारत की और कहा, मैं तुम्हें एक ही शर्त पर चोद सकता हूँ. वो बोली, कैसी शर्त. मैंने कहा, मैं तुम्हारी गांड भी मरूँगा.
वो बोली, अपनी बीवी से भी पूछना पड़ता है क्या. मैंने कहा, मुझे नहीं मालूम. वो बोली, तेरे भैया ने तो मुझसे कभी नहीं पूछा, जब भी उनका मन कीया उन्होने मेरी चुदाई की और जब उनका मन हुआ तो उन्होने मेरी गांड भी मरी. मैंने कहा, इसका मतलब तुम भैया से गांड भी मरवा चुकी हो. वो बोली, तो क्या हुआ, मज़ा तो दोनो में ही आता है. अब मुझे ज्यादा मत पर्शन कर, चोद दे न. मैंने कहा, थोडा सा तुम छोडो फीर थोडा सा मैं चोदुन्गा. वो बोली, ठीक है, बाबा.
भाभी ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दीये तो उनके मुह से चीख निकलने लगी. मैंने पूछा, अब क्या हुआ. वो बोली, दर्द हो रहा है. मैंने पूछा, क्यों, अब तो पूरा अन्दर ले चुकी हो. वो बोली, अन्दर लेने से क्या होता है. मेरी चूत अभी तेरे लंड के साइज़ की थोडे ही हुयी है. मैंने पूछा, मेरे लंड की साइज़ की कैसे होगी. वो बोली, जब तू मुझे कई बार चोद देगा तब. वो धीरे धीरे धक्के लगाती रही. मैंने पूछा, तुम्हारी चूत को चौडा करने के लीये मुझे कितनी बार चोदना पड़ेगा. वो बोली, ये तो तेरे ऊपर है की तू कीस तरह से मेरी चुदाई करता है. मैंने पूछा, क्या एक बार में भी हो सकता है. वो बोली, बिल्कुल हो सकता है, अगर तू मुझे पहली बार में ही कम से कम १ घंटे चोद सके तो. लेकीन मैं जानती हूँ की तू ऐसा नहीं कर पायेगा. मैंने पूछा, क्यों. वो बोली, तुने कभी किसी को पहले चोदा है. मैंने कहा, नहीं. वो बोली, तो फीर तू १० मं से ज्यादा रुकेगा ही नहीं. मैंने कहा, रुकुंगा क्यों नहीं. वो बोली, तुझे मेरी चुदाई करने में जोश ज्यादा आ जाएगा इस लीये.
भाभी को धक्के लगते हुए लगभग १० मं हो चुके थे और वो इस दौरान १ बार झाड़ भी चुकी थी. तभी मेरे लंड का जूस नीकल पड़ा और साथ ही साथ वो भी फीर से झाड़ गयी. वो मुस्कुराते हुए बोली, क्या हुआ पहलवान. मैंने कहा, वही हुआ जो तुम कह रही थी. वो बोली, मेरी चूत ढीली करने के लीये तुझे कम से कम १ घंटे तक मेरी चुदाई करनी पड़ेगी. मैं ये भी जानती हूँ की अगली बार तू ज्यादा से ज्यादा १५ मं ही मुझे चोद पायेगा. इस तरह जब तू ३-४ बार मेरी चुदय कर देगा तब कुल मिलकर १ घंटे हो जायेंगे और मेरी चूत ढीली हो जायेगी और तेरे लंड के साइज़ की हो जायेगी, सम्जः गए बच्चू. मैंने कहा, बिल्कुल समझ गया, मैडम.


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........raj.........

Badle Ki Aag

यह कहानी मेरी और मेरे ससुराल की है जैसे सबकी चाहत
होती है वैसे ही मेरी भी यह तमन्ना थी ki मुझे एक कुंवारी
बीवी मील. पर मुझे इस मामले मेँ निराशा हाथ लगी. पर एक din
जब मुझे असलियत का पता चला तो मैं एक शांत स्वभाव वाला
व्यक्ती अचानक एक बागी बन गया. शुरू मेँ हर औरत की तरह
मेरी बीवी भी यही कहती रही ki वह शादी के समय बिल्कुल
कुंवारी थी.

मैं शादी सी पहले कई लर्कियों और औरतों को
चोद चूका हूँ और मेरी बीवी मुझे चोदना नहीं सीखा सकती. पर
जब असलियत सामने आई तो मैंने अपने नसीब को स्वीकार कर लीया पर
इसका बदला मैंने उसके परीवार सी लीया.. इस कहानी मेँ उस बदले
की रोचक दास्ताँ है.

मैं विशाल सक्सेना इस समय ३० साल का हूँ. दोस्तों सी सुना है ki
खासा आकर्षक भी हूँ. मैंने ३ साल पहले शादी ki थी. वह
मेरे पिताजी के दोस्त के बारे भाई की इकलौती बेटी थी. उसके माँ
बाप दोनों एक एक दुर्घटना मेँ जब वह केवल १० साल की थी
तभी मर गए थे. पहले भी उसके पीता का और चाचा का परीवार
एक संयुक्त परीवार था और माँ बाप के मर जाने के बाद वह चाचा
के परीवार के साथ एक घर के सदस्य की तरह ही रह रही थी.

क्योंकी मैं विलायाती लारकी से शादी नहीं करना चाहता था
इसलिए मैंने सोच रखा था ki अपने देश मेँ ही जाके शादी
करूंगा. जब मैं छुट्टी पर अपने देश गया तो वहाँ पीताजी के
दोस्त के घर पार्टी मेँ वह मुझे पहली बार दीखी और दोस्तों उसे
देख कर लगा था ki कोई अप्सरा आसमान से उतर आई हो. गोरा रंग,
लंबे बाल और क्या मस्त बदन था. ३६ - २६ - ३६ बिल्कुल सांचे मेँ
ढाला शरीर. होंठ जैसे गुलाब ki पंखुरियाँ हों. जिन को देखते
ही चूम लेने को दील करे. जब बात करती तो लगता था ki गुलाब के
फूल झर रहे हों. उसके होंठों से आँखें लंबी और समुन्दर ki
तरह गहरी थी. ऊपर से Un मेँ काजल लगा हुआ. बस Un आंखों
मेँ डूब जाने को दील करता था. (हर बेवकूफ आशिक ki तरह मुझे
भी यह सब लगता था, शादी से पहले) लेकीन क्या खूब कीसी कवीने
कहा है ki चार din ki चांदनी फीर अंधेरी रात. चलते हैं.
दुबारा कहानी ki तरफ.

तो जब मैंने उसे पार्टी मैं पहली बार देखा तो बस देखता ही रह
गया. वह अपने कुछ दोस्तों के साथ खरी बातें कर रही थी. मैं
उसे देखने मेँ मगन था. जब मुझे कीसी का हाथ अपने कन्धों पर
महसूस हुआ तो मैंने फ़ौरन मूर कर देखा तो पीताजी मेरे करीब खरे
थे. उनहोंने पूछा,

बेटा क्या बात है? कहाँ खोये हुए हो? मैंने झूट बोला,

नहीं पीताजी ऐसी तो कोई बात नहीं. यहाँ कीसी से इतनी अभी
जान पहचान भी नहीं हुई है. यहाँ सारा माहोल कुछ नया
नया लगता है. अभी ४ साल पहले ही मैं पहली बार इंग्लैंड गया
था. उसके बाद अभी अपने देश भारत मेँ आना हुआ. अआते ही अपने
पुराने दोस्तों मेँ ऐसे राम गया जैसे ki यह कल की ही बात हो.
यह तो पीताजी ने बहुत जोर दीया तब मैं इस पार्टी मेँ आ गया, नहीं
तो मैं अपने कॉलेज के दोस्तों मेँ ही सारा समय व्यतीत करता था.

अच्छा कोई दोस्त बनाया ki नहीं? चलो मैं तुम्हें अपने दोस्त के
परीवार से मिलाता हूँ. मैं Un के पीछे चल पर. उनहोंने अपने
दोस्त से मेरा परिचय कराया.

बेटा यह अंकल यशपाल हैं और यह Aunty रागिनी हैं, In ki बीवी.
अंकल और Aunty बारे तपाक से मील और फीर उन्क्लेने आवाज़ दी..

कामिनी बेटी ज़रा इधर तो आओ. वह धीमी चाल से चलती हुई आई
और मुझ पर एक नज़र दाल कर अपने चाचा ki तरफ मूर कर देखा.

क्या बात है, चाचा आपने मुझे क्यों आवाज़ दी?

बेटा मैं तुम्हें अपने पुराने दोस्त और In के बेटे से मीलाना चाहता
हूँ. उसने पीताजी और मुझे सलाम कीया. फीर वापीस अपने दोस्तों ki
तरफ जाने लगी तो उन्क्लेने उसे कहा ki,

बेटी विशाल को अपने दोस्तों से मीलो और इन्हें कंपनी दो. मैंने दील
मेँ अंकल को दुआ दी. काश कुछ और भी माँगता तो मील जाता आज.
वह मुझे अपने दोस्तों से मिलाने ले गयी. उस के दोस्तोंने मुझे बहुत
पसंद किया. फीर हंसी मजाक होने लगा. उधर पता नहीं अंकल और
पीताजी मेँ क्या बातें होने लगी थी. वह हम दोनों को देखते और
मुस्करा देते. वह तो घर वापीस आ के पता चला ki पीताजी और
उन्क्लेने हमारा रिश्ता पक्का कर दीया है. , क्योंकी मुझे वापीस भी
इंग्लैंड जान था.

हमारी शादी अगले सप्ताह होनी थी. फीर शादी भी हो गयी.
सुहाग रात आई. ( जहाँ से Meri बदकिस्मती शुरू हुई ) जब मैं
कमरे मेँ आया तो वह बिस्तर पर बैठी थी. मैं दील मेँ अरमान लीये
उसके पास पहुंचा और हमारे बीच हेल्लो हाय हुई और मैंने उसका
घूंघट उठाया, वो! क्या नज़ारा था? जैसे आसमान का चाँद
ज़मीन पर उतर आया हो. मैंने उसे मुँह देखी मेँ एक सोने का सेट दीया
जो ki उसे बहुत पसंद आया.

उसने शुक्रिया के साथ सेट ले लीया और फीर हम बातें करने लगे और
साथ साथ मैं उसके बदन पर हाथ फेरता रह जिससे वह गरम होने
लगी. मैंने उसका चेहरा अपने हाथों मेँ ले कर उसके होठों पर एक
चुम्बन लीया और साथ ही अपनी जीभ उसके मुँह मेँ घुसा दी. वह Meri
जीभ चूसने लगी. मेरे हाथ उसकी चूचियां पर चलने लगे और
मैंने उसकी चूचियां को दबाना शुरू कर दीया जिससे उसने हलकी सी
सिसकी ली..

मैंने साथ ही उसके कपरे उतारने शुरू कर दिए. जब मैंने उसकी
कमीज़ उतारी तो पागल सा हो गया. उसका कोरा बदन देख के, क्या
बदन था? गोरा और उसने काली brassier पहनी हुई थी. मैंने उसे
उतारने मेँ वक़्त नहीं लगाया और क्या नज़ारा था? उसके ३६ आकार के
मुम्में मेरे हाथों मेँ थे. क्या मुम्में थे. गुलाबी चुचुक और
बारे अंगूर के बराबर चुचुक का आकार था. देखते ही चूमने और
चाटने का दील कर रह था. मैंने वक़त बर्बाद नहीं कीया. उसके
चुचुकों को चूसना शुरू कर दीया जिससे वह मस्त हो गयी. आहें
भरने लगी.

ओह... ओह.... विशाल क्या कर रहे हो बहुत मज़ा आ रह है. चूसो,
काटो. चूसो, यह सब तुम्हारा है. विशाल. उईइ.... ओह.. और मैं
वहाँ पर ही नहीं रुका मेरा हाथ बल्की अब उसकी चूत पर पहुंच
चूका था. वो! क्या चूत थी. बिल्कुल साफ एक भी बाल नहीं था.
जब मैंने अंगुली उसकी चूत के होठों पर घुमाई तो वह सिसकारी
लेने लगी.

उह... विशाल ! मत छेरों न. मैंने उसकी चूत के होठों को दो
अंगुलियों से खोला और Meri बीच की अंगुल उसके भागोष्ट पर
फिरानी शुरू कर दी जिससे वह और मस्त हो गयी. मुझ से कहने लगी.

विशाल डार्लिंग. क्या कर दीया है? तुमने मेरे सारे जिस्म मेँ गरमी
भर दी है.. मैंने कहा ki,

फ़िक्र मत करो वह गरमी मैं ही निकालूँगा डार्लिंग! और मैंने उसकी
चूचियां को छोर कर उसकी चूत ki तरफ जान शुरू कीया. बीच
मेँ उसका पेट आया, जिसको चंद चुम्बन दे के मेरे होठ उसकी चूत पर
पहुंच गए. फीर क्या था? मैंने न आव देखा न ताव. दोनों हाथों
से उसकी चूत के होठों को एक दुसरे से अलग कीया. Meri जुबां से
उसकी चूत को चाटना शुरू कीया. साथ ही उसकी सिसकियों का दौर
शुरू हुआ.

विशाल क्या कर रहे हो? बहुत मज़ा आ रह है.. उईइ.... ओह.. और
चूसो. विशाल मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ.. चूसो,
मैं पागल ki तरह उसकी चूत चाट रह था. चूत पर चुम्बन
देने लगा, क्या मज़ा था? फीर क्या था? कुछ ki वक़त मेँ वह झरने
लगी..

विशाल मैं झर रही हूँ. उसने मेरा सीर अपनी चूत पर दबाना
शुरू कर दीया. मुझे सांस लेने मेँ मुश्किल हो रही थी. वह अपनी
ही मस्ती मेँ थी. मैं भी रुका नहीं और वह एक गहरी कराह के
साथ ही स्खलित हो गयी. उसका हाथ मेरे सीर पर ढीला पर तो मैंने
फ़ौरन अपना सीर वहाँ से हटाया और एक गहरी सांस ली. वह कुछ
देर तक मस्ती मेँ ही रही. मैंने वक़त नहीं बर्बाद करते हुए
अपने सारे कपरे उतार दिए. मैं पूरी तरह नंगा हो गया. जब
उसकी नज़र मेरे ९ ? आकार के लौरे पर परी तो उसकी आँखें खुल
गयी. जब वह शोच्क से बाहर निकली तो सिर्फ इतना ही बोल पाई.

क्या यह लंड कीसी गधे या घोरे का है. इतना बारा, Meri चूत तो आज
फट जायेगी. क्या इतना बार Meri चूत मेँ घुस जाएगा? नहीं यह
बहुत बारा है नहीं बाबा यह तो मेरी चूत मेँ बिल्कुल नहीं
जाएगा. मैंने कहा ki,

फ़िक्र मत करो मैं घुसा लूंगा और तुम्हारी चूत इसे पुरा अपने
अन्दर ले भी लेगी.

विशाल यह अगर मेरे अन्दर गया तो मैं तो मर जाउंगी. इतना बारा,
हे भगवान् मेरी रक्षा करो! Meri चूत का क्या होगा? मैंने कहा ki,

फ़िक्र क्यों करती हो? मैं बहुत आराम से करूंगा. तुम्हें पता भी
नहीं चलेगा. अभी तो तुम मेरे लौरे को चूसो. इसे तैयार करो,
फीर देखना यह कैसे तुम्हारी चूत ki चुदाई करता है. मैंने अपना
लंड उसके मुँह मेँ दीया. लेकीन मेरा लंड बहुत बारा था. उसे तकलीफ
हुई, शुरू मेँ. पर फीर उसने तकरीबन आधा लंड मुँह मेँ ले लीया
और उसे चूसने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रह था. क्या चुस्ती थी.
कभी वह मेरे लौरे को मुँह से बाहर निकालती और उस पर जुबां
फेरती और फीर मुँह मेँ ले लेटी. कुछ देर के बाद मैंने उसके मुँह
से लंड बाहर निकाला और उसको बिस्तर पर लिटा दीया. मैंने साइड टेबल
से सरसों का टेल लीया और कुछ अपने लौरे पर और कुछ उसकी चूत
पर लगाया और जब मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रग्दा तो उसने
सिसकारी ली..

विशाल शाबास ! बहुत आराम से करना, तुम्हारा बहुत बारा है.
Meri चूत नन्ही मुनी सी है.

फ़िक्र मत करो कामीनी डार्लिंग और मैंने अपने लौरे का सीर उसकी चूत
के होठों मेँ पहन्सा के आहिस्ता आहिस्ता दबाव डालना शुरू कीया.
जैसे ही मेरा लंड का तोप अन्दर हुआ उसकी चीख नीकल गयी. वह तो
अच्छा हुआ ki मेरा कमरा ऊपर था. वरना सब ही जमा हो जाते ki क्या
हो गया है. मैंने उसे तस्सल्ली दी ki,

बस कामीनी डार्लिंग सबर से काम लो, अब चीख नहीं मारना. मैंने
इसके साथ ही ज़रा सा और दबाव दीया. उसकी एक और चीख नीकल
गयी. मैंने फ़ौरन उसके मुँह पर हाथ रख दीया. साथ ही लंड उसकी
चूत मेँ घुसाना शुरू कर दीया. वह मेरे निचे तरप रही थी.
पर मैंने सोचा ki विशाल बेटा अब पुरा घुसा के ही दम लेना वरना यह
फीर काबू मेँ नहीं आयेगी. मैंने कुछेक ज़ोर दार झटके मारे
जिससे मेरा लंड अब तकरीबन पूरा उस ki चूत मेँ घुस चूका था.

मैंने उसकी आंखों मेँ आंसू देखे. मुझे तरस भी आया पर क्या
करता लंड तो घुसाना था. जब मैंने लंड ज़रा सा उसकी चूत से
बाहर निकाला और फीर एक ज़ोरदार झटका मारा तो वह मेरे निचे
तरपने लगी. वह सीर को दायें बाएँ घुमा रही थी. दर्द के
मारे उसकी जान नीकल रही थी. मेरा पुरा लंड अब उसकी चूत मेँ
घुस चूका था. मैंने उसे अन्दर ही रहने दीया. जब ५ मिनट के बाद
वह शांत हो गयी तो मैंने उसके मुँह से हाथ हटा लीया.. उसने जो
पहला लफ़ज़ कहा वह था.

तुम बहुत ज़ालिम हो विशाल. तुमने Meri चूत का सत्य नास कर दीया
है. Meri चूत तो फट गयी हो गी. अह्ह्ह क्या दर्द हो रह है. मैं
तो समझी ki मैं मर जाउंगी. मैंने उसे कहा ki,

कामीनी डार्लिंग बस जो होना था हो गया. अब तुम्हें दर्द नहीं होगा
सिर्फ मज़ा ही आएगा और मैंने उसके होठों पर चुम्बन की बरसात
शुरू कर दी. साथ ही साथ उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर
दीया जिससे उसे मज़ा आने लगा और उसकी सिस्कारियाँ निकलने लगी..

हम और जब वह फीर से गरम हो गयी तो मैंने आहिस्ता से लंड बाहर
निकाला लेकीन तोप अन्दर ही रहने दीया. फीर आहिस्ता से उसकी चूत
मेँ अन्दर ठेल दीया. उसने हलकी सी दर्द मेँ डूबी सिसकारी ली. मैं
यह अमल कुछ देर तक करता रह. अब मेरा लंड आसानी से अन्दर
बाहर हो रह था. कुछेक मिनट के बाद उसे भी मज़ा आने लगा.
उसने अपने होठों को मेरे होठों पर कास के लगा लीया ki जैसे यह अब
अलग नहीं हो. जब मैंने उसकी चूत मारना शुरू कीया तो वह अब
मस्ती भरी सिस्कारियाँ ले रही थी.

औऊऊइ. विशाल और छोडो Meri चूत का कचूमर निकाल दो. अह क्या
लंड पाय है तुम ने. विशाल बहुत मज़ा आया रह है.. विशाल Meri
चूत पर रहम नहीं करना. इसे इतना छोडो ki इस ki प्यास बुझ
जाये. छोडो. उईइ.... ओह.. और मैंने तेज गाती से उसकी चूत चोदना
शुरू कर दी जिससे उसे और भी मज़ा आने लगा और उसकी
सिस्कारियाँ और भी तेज़ हो गयी थी.

विशाल मेरे पति देव, मेरे यार, मेरे सब कुछ तुम्ही हो. Meri चूत
रोज ऐसे ही चोदना. मेरा सारा बदन तुम्हारा है. तुम इसे जैसे
चाहो इस्तेमाल करना. उह.. विशाल मैं झरने वाली हूँ. शाबास
! रुकना नहीं, बस छोड़ते रहो. अह आज Meri चूत ki प्यास बुझा दो
और फीर उसने अपनी टांगों को Meri कमर पर कास लीया.. वह झरने
लगी और फीर वह शांत हो गयी. लेकीन मैं भी झरने वाला था.
कुछ झटकों के बाद मैंने कहा ki ,

आआआ... कामीनी Meri डार्लिंग. मैं झरने वाला हूँ. मैं तुम्हारी
चूत मेँ ही झारूंगा. क्या तुम मेरा वीर्य अपनी इस चूत मेँ भर लो
गी. हाय मेरी रानी! और मैंने एक गहरा झटका दीया. लंड उसकी
चूत मेँ आख़िर तक घुसेर कर पुरा वीर्य उसकी चूत मेँ छोर
दीया. फीर उसके जिस्म पर गिर गया. क्या मज़ा आया था? संकरी चूत
का मज़ा ही कुछ और होता है. १० मिनट के बाद जब मैंने अपना लंड
उसकी चूत से निकाला तो पहला झटका मुझे वहाँ ही लगा.

मेरे लौरे पर सिर्फ वीर्य था. उसके खून का कहीं नामो निशाँ
नहीं था. तो क्या यह कुँवारी चूत नहीं थी. हाँ जब मेरा लंड
उसकी चूत मेँ जा रह था तो कीसी चीज्ने उसे रोका नहीं, सिर्फ
चूत संकरी थी. लेकीन सील नहीं थी. खून भी नहीं है.
क्या मेरे साथ फीर वह ही हुआ है. जो कुछ साल पहले हुआ था जब
मैंने जुली नाम की एक विलायाती लार्की को चोदा था. वह भी
कुंवारी नहीं थी. अब Meri बीवी, ओह्ह गोद! मैंने कामीनी से कहा,

कामीनी, तुम कुंवारी नहीं हो क्या? तुम्हारी जिन्दगी मेँ कोई और
भी आया था तो प्लेस बता दो. आज हमारी जिन्दगी ki शुरुआत है.
मैं तुम से कुछ नहीं छुपऊंगा न तुम कुछ छुपाना. आज सच
सच बता दो. लेकीन वह कहाँ मानने वाली थी. वह रोने लगी. यह
ही कहती रही ki मैं कुंवारी ही हूँ. मैंने कुछ नहीं कहा.
मैंने कहा ki,

मैंने तुम्हारी बात को मान लीया.. मैंने देखा ki उसकी आंखों मेँ
मगरमच्छ के आंसू हैं. लेकीन मैंने सोच रखा था ki अगर वह
कुंवारी नहीं भी है तो क्या हुआ. अगर मुझे सच बोल देगी तो
मैं उसे माफ़ कर दूंगा पर वह झूट पर झूट बोलती जा रही थी.
जीस का मुझे बहुत गुस्सा था. लेकीन मैंने जाहीर नहीं होने दीया.
मैंने उसे बाहों मेँ ले कर चूमना शुरू कर दीया. वह भी समझी
के मैं उसके झांसे मेँ आ गया. मैंने सोचा ki चलो मैं कौन सा
कुंवारा था. भूल जाओ बेटा विशाल और ने जिन्दगी ki शुरुवात करो
और उस रात मैंने उसे ४ बार चोदा.

अगले din पिताजीने कहा ki वह वापीस इंग्लैंड जा रहे हैं और क्योंकी
Meri २ महीने ki छुट्टी है तो मैं बाद मेँ आ जाऊं. मैंने उन्हें
एयर पोर्ट पर छोडा और वापीस घर आ गया. कामीनी मेरा इंतज़ार कर
रही थी. हमने खाना खाया और फीर चुदाई शुरू हो गयी. हमने
न din देखा और न रात, बस चुदाई करते रहे. फीर एक din क्या हुआ
उसके चाचाने हमें डिनर पर बुलाया. हम जब वहाँ पहुँचे तो
Un सबने हमारा शानदार इस्तकबाल कीया. उसकी दो चचेरी बहनें
थी और एक चचेरा भाई भी. अंकल ज्यादा उमर के थे. Aunty बहुत
खूबसूरत और Sexy थी. लगता नहीं था ki ३ बच्चों ki माँ है.

दोनों चचेरी बहनें तो क्या माल थी. देखते ही लौरे मेँ हरकत
शुरू हो गयी. पर मैंने काबू पा लीया.. लौरे पर और थपकी
देकर सुला दीया ki बेटा अब सब माँ बहन है. जब हम सब का परिचय
हुआ तो पता चला के एक चचेरी बहन ki शादी हो चुकी है. एक
बच्चा भी है, ३ महीने का. दूसरी छोटी वाली अभी कुंवारी
है. भाई शाब जो है वह जॉब करते हैं और अभी शादी नहीं
हुई है. हम सब खाना खा चुके तो सब टीवी लौंगे मेँ आ गए.
काफ़ी वहाँ ही माँगा ली. कुछ देर बाद कामीनी अपनी चचेरी
बहनों के साथ Un ki मदद करने चली गयी. फीर कौशल उसका
चचेरा भाई, वह भी कुछ काम का बहाना कर के चला गया. अब
मैं अंकल और Aunty ही रह गए.

हम बातें करने लगे, मुझे टॉयलेट जान था. मैंने अंकल से excuse
कीया. टॉयलेट का रास्ता पूछा जो ki साथ ही था. टीवी लौंगे से बाहर
नीकल के दूसरा दरवाजे मेँ टॉयलेट के लीये चल दीया. जब मैं टॉयलेट
से फारिग हो के बाहर आया तो मुझे बगल के कमरे मेँ कुछ बातों
ki आवाज़ आई. मैंने गौर कीया तो वह कामीनी और कौशल ki आवाजें
थी जो ki बहुत ही धीमी आवाज़ मेँ बातें कर रहे थे. मैंने सोचा
ki पता नहीं क्या बातें हो रही हैं और वक़्त भी बहुत हो गया
है. मैंने सोचा कामीनी से कह कर अंकल से घर जाने ki इजाज़त लेते
हैं और मैंने आहिस्ता से जब दरवाज़ा खोला तो क्या देखता हूँ ki
कामीनी कौशल ki बांहों मेँ थी. कौशल उसपर चुम्बन की बरसात
कर रह है. मेरे पाँव के निचे से ज़मीन निकलती जा रही थी.
मैंने दरवाजे को थोरा सा खुला कीया और अन्दर का नज़ारा देखने लगा.


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........raj.........

सफर की दोस्ती

एक बार मैं अपने ऑफिस के कम सी न्यू देल्ही से बंगलोर जा रह था. मेरा रेलवे टिकेट ऑफिस वालों ने कर्नाटका एक्सप्रेस मी 1st एसी मी करवा दीया था. मैं अपनी यात्रा के din शाम को आठ बजे न्यू डेल्ही स्टेशन पर पहुंच गया. बाहर दिसम्बर का महीना था इसीलिए ठंड बहुत पर रही थी और मैं अपनी सीट पे बैठ गया. थोरी देर के बाद ट्रेन चल परी और टी.टी. आया और टिकेट चेक कर के च्ला गया. हमारे कूप मी एक ही परिवार के दो औरतें और एक आदमी था. मेरा उप्पर बिरथ था और ट्रेन छूटने के बाद मैं थोरी देर तक नीचे बैठा रह फीर मैं अपने बिरथ मी जाकर कम्बल तान कर आंख बंद करके सो गया.
नीचे वो आदमी और औरतें गप-शाप लाडा रहे थे. उनकी बात सुन कर मुझे लगा ki वो आदमी एक M.N.C. मे सीनियर एक्जीक्यूटिव पोस्ट पर कम करता है और जो औरत बडी उमर ki थी उनके ऑफिस से संबंद रखती हैं और चोटी उमर ki लार्की उसकी बेटी है. मैं अन्कें बंद कर के उनकी बातें सुन रह था. उनकी बातों से लग रह था ki दोनो औरतें मे माँ और बेटी का संबंध है और वो सब मस्ती करने के लिए बंगलोर जा रहे हैं, लेकीन घर पर ऑफिस का कम बता कर आयें हुए हैं.

चोटी उमर वाली लार्की ki उमर लगभग १९-२० साल था और दुसरे ki उमर लगभग ३६-३७ साल था. मुझे उनकी बातों से मालूम पर ki माँ का नाम मीना और लार्की का नम अंशु है. दोनो माँ और बेटी उस आदमी को 'Sir" कहा कर पुकार रहे थे. दोनो औरतें ही देखने मे बहुत सुंदर थी. छोटी वाली का फिगुरे बहुत Sexy था. उसकी मम्मे उसकी ब्लौसे के उप्पर से दिखने मे भरी भरी और तनी दिखती थी और उसकी चुतड गोल गोल लेकीन कम उभर था. दूसरी औरत के मम्मे भी बहुत ब्डे ब्डे थे और उसकी चुतड भी खूब ब्डे ब्डे और फैले हुए थे. उनके साथ का आदमी का उमर लगभग ३०-३२ साल रही होगी और देखने मे बहुत स्मार्ट था. तीनो आपस मे काफी घुल मील कर बाते कर रहे थे.

थोरी देर के बाद Meri आंख लग गयी. रात के करीब १२ बजे Meri आंख खुल गयी, मुझे बहुत प्यास लगा हुआ था. मैंने अपनी आंख खोली तो देखा ki कूप मे Night लैंप जल रही है और वो तीनो अभी भी बातें कर रहें हैं. फीर मेरे नाक मे शराब ki महक आया तो मैंने धीरे से नीचे झाँका तो मेरा आंख फैल गया. उस सामी अंशु खिरकी के साथ हमारे नेच्ले वाले बिरथ पर बैठी हुई थी और दुसरे बिरथ पर मीना और 'Sir" बैठे हुए शराब पी रहे थे. अंशु के हाथ मे एक कोल्ड ड्रिंक का बोत्तले थी. उस समय दोनो माँ और बेटी अपने कपडे बदल चुकी थी. मीना एक हल्का नीला house कोट मे थी और अंशु एक गुलाबी रंग का maxi पहने हुई थी. मेज़ ki बात एह थी ki मुझको लग रह था दोनो माँ और बेटी अपने अपने housecoat और maxi के अन्दर कुछ नही पहन राखी है और 'Sir" सिर्फ एक बनियान और लूंगी पहने हुए हैं. मुझे लगा ki मीना और 'Sir" काफी शराब पी चुके हैं क्योंकि दोनो काफी झूम रहे थे. शराब पीते पीते 'Sir" ने मीना को अपने और पास कींचा तो मीना पहले अंशु ki तरफ देखी और फीर 'Sir" के बगल मे कंधे से कन्धा मीला कर पैर के उप्पर पैर चर्हा कर बैठ गयी. मीना जैसे ही 'Sir" के पास बैठी तो 'Sir" ने अपने हाथ मीना के कंधे पर रख कर मीना के कंधे को सहलाने लगे. मीना ने एक बार अंशु ki तरफ देखी और चुप चाप अपने ड्रिंक लेने लगी. अंशु भी 'Sir" और माँ ki तरफ देख रही थी.

थोरी देर के बाद 'Sir" ने अपना एक हाथ मीना के पेट के ऊपर रख कर मीना के पेट को सहलाने लगे. ऐसा करने से मीना तो पहले कुछ कस्मसी फीर चुप चाप अपने ड्रिंक लेने लगी. फीर 'Sir" ने मीना के पेट से हाथ को और थोरा ऊपर उठाया और अब उनका हाथ मीना के मम्मो के ठीक नीचे था. उनकी इस हरकत से मीना ने सिर्फ अपने 'Sir" को देख कर मुस्कुरा दी. फीर 'Sir" ने अपना हाथ मीना के मम्मो पर रख दीया और अपना हाथ घुमाने लगे. अब 'Sir" का हाथ मीना के मम्मो को उसकी house कोट के ऊपर से धीरे धीरे सहला रहे थे. अपनी मम्मी और 'Sir" का कम काज अंशु ब्डे गौर से बीना पलक झपकी देख रही थी. थोरी देर के बाद 'Sir" ने अपना ड्रिंक सामने ki टेबल पर रख दीया और अपने दोनो हाथ से मीना के दोनो मम्मे पाकर लिया और उन्हें जोर जोर से दबाने लगे. अब मीना भी चुप नही बैठ सकी और उसने भी अपनी ड्रिंक टेबल मे रख कर 'Sir" को पने दोनो हाथों से पाकर लिया, लेकीन 'Sir" अपने दोनो हाथों से मीना के दोनो मम्मे पाकर कर दबाते रहे. थोरी देर के बाद 'Sir" ने अपना मुँह मीना ki मम्मे के ऊपर लाये और उसकी मम्मे को उसकी house कोट के ऊपर से ही अपने मुँह मे भर लिया और चूसने लगे. 'Sir" ने मीना ki मम्मे को house कोट के ऊपर से चूमते चूमते अपना एक हाथ मीना के house कोट के उंदर दल दीया और अपनी हाथ घुमा घुमा कर उसकी चुंचेओं को मसलने लगे फीर उन्होने मीना के कान मे कुछ कहा और मीना ने अपनी हाथ से अपनी बेटी अंशु को पाने पास बैठने नो कही.

अंशु तो पहले अपनी आंख घुमा ली पर मीना ने उसे आवाज देकर बुलाई तो वो उठ कर 'Sir" और मीना के बगल मे बैठ गयी. फीर 'Sir" ने मीना को और खेसकने को कहा और खुद भी मीना के साथ खेसक गए. अब उन्होने अंशु को अपनी दूसरी तरफ बैठने के लिए कहा. जब अंशु नही उठी तो उन्होने अपना हाथ मीना के house कोट के उंदर से नक़ल कर अंशु का हाथ पाकर कर अपने दूसरी तरफ बैठा दीया. अंशु को बैठते ही 'Sir" ने पानी दूसरी हाथ उसके कंदों के पीछे रख दीया. 'Sir" का एक हाथ अब मीना के चुंचेओं से खेल रह था और दूसरी हाथ अंशु के पीछे था. उनका पीछे वाला हाथ अब उन्होने धीरे धीरे आगे ki तरफ किया और अब उनकी दूसरी हाथ अंशु के ठीक चुन्ची के ऊपर थे. जैसे ही 'Sir" का हाथ अंशु ki चुन्ची को चुने को हुआ तो उसने 'Sir" का हाथ झीरक दीया.

अंशु को ऐसा करने से उन्होने मीना के कान मे फीर कुछ कहा. अब मीना उठ कर अनाशु के सामने खरी हो गयी और 'Sir" का हाथ लेकर अंशु ki चुन्ची पर रख दीया और 'Sir" से उन्हें दबाने को कहा. अपनी मम्मी ki इस बर्ताब से अनाशु के आंख से आंसू आ गए पर वो कुछ न कहा सकी. अंशु अब चुप चाप अपने चुन्ची को 'Sir" से दबवा रही थी. मीना तब झुक कर अंशु ki गल पर एक चुम्मा दीया और ब्डे पीर से बोली, "बेटी M.N.C. मे नौकरी ऐसे ही नही मिलती, उसके लिए कुछ देना परता है. हमारे पास तो इतना पैसा हैं ही नही है इसलिए हमलोग को वही देना परेगा जो अपने पास है." फीर उसने 'Sir" से कही, "Sir! अब आप बेफिक्र हो कर मज़ा लो, लेकीन देखना अंशु को पक्की नौकरी मीले." 'Sir" ने भी एक हाथ से अंशु ki चुन्ची दबाते हुए मीना ki तरफ अपना मुँह बारह कर उसकी चुन्ची को चूमते हुए कहा, "चिनता मत करो, अंशु ki नौकरी तुम्हारी तरह पक्की नौकरी होगी. लेकीन अंशु को भी मेरा कहना मानना परेगा." "आरे 'Sir" देख नही रहे ki अंशु आप ki बात मानने के ल्लिये तयार है? आरे अंशु Meri ही बेटी है और आप जो भी कुछ कहेंगे हमारी तरह अंशु भी आपकी बात मानेगी." इतना कहा कर मीना फीर से 'Sir" के बगल मे जाकर बैठ गयी और उन्हें अपनी दोनो हाथों से जाकर लिया.

अब 'Sir" के दोनो हाथ माँ और बेटी ki चुन्सों से खेल रह था. माँ ki चुंचेओं को वो housecoat के उंदर हाथ कर मसल रह था और बेटी ki चुन्चों को उसके maxi के ऊपर से ही दबा रह था. एह सब देख कर Meri नींद आँखों से बिल्कुल साफ हो गया और मैं अपनी कम्बल के कोने से नीचे ki तरफ देखने कागा. मुझे 'Sir" ki किस्मत पर इरषा हो रह था और मेरा लंड खरा हो गया था जिसे मैं अपनी हाथ से कम्बल के उंदर सहला रह था. फीर मैंने देखा ki 'Sir" अपना हाथ मीना ki housecoat से नीकल कर उसके घुटने के ऊपर रख दीया और धीरे धीरे मीना ki घुटने और उसकी जांघ को सहलाने लगे. अपने जांघ पर 'Sir" का हाथ परते ही मीना ने अपनी पैर जो ki एक दुसरे के ऊपर थे, खोल कर फैला दीया. उधर 'Sir" अपना हाथ अब अंशु के maxi के उंदर दल कर के उसकी चुन्ची को मसल रह था और झुक झुक कर उन्हें maxi के ऊपर से चूम रह था. फीर 'Sir" ने अपने हाथ से मीना के house कोट ऊपर करने लगे और housecoat ऊपर करके मीना ki छूत पर हाथ फेरने लगे. मीना ki छूत उस हलकी रौशनी मे भी मुझको साफ साफ दिखाई दे रह था और मैंने देखा ki मीना ki चूत पर कोई बल नही है और उसकी चूत अपने पानी से भीग कर चमक रह है.

थोरी देर के बाद 'Sir" अपना हाथ अंशु के maxi के उंदर से नीकल लिया और उसकी चूत पर maxi के ऊपर से ही हाथ फेरने लगे. अंशु बार बार अपनी मम्मी ki तरफ देख रही थी लेकीन कुछ कहा नही पा रही थी. फीर 'Sir" ने मीना ki चूत पर से हाथ नीकल कर अंशु ki maxi धीरे धीरे टांगों पर से उठने लगे. अंशु अपनी हाथों से अपनी maxi पकरी हुई थी. मीना पाने जगह से फीर उठ कर अंशु के गयी और उसको चूमते हुए बोली, "बेटी आज मौका है मेज़ कर लो, हमने भी अपनी नौकरी इसी तरह से पाई थी. वैसे 'Sir" बहुत अच्छे आदमी है और एह बहुत ही आराम आराम से करेंगे, तुमको बिल्कुल तकलीफ नही होगी. बस तुम चुप चाप जैसा 'Sir" कहें करती चलो, तुम्हे बहुत मज़ा आएगा और तुम्हे नौकरी भी मील जायेगी." इतना कहा कर मीना ने अंशु के गाल पर और उसकी चुंची पर हाथ फेरा और फीर अपने जगह आ कर बैठ गयी. तब अंशु ने अपनी मम्मी से बोली, "मम्मी एह आप क्या कहा रही है? आप हमसे तो ऐसे कभी बात नही करती थी." मीना अपनी बेटी ki चुन्ची पर हाथ फेरते हुए बोली, "आरे बेटी, ऐह तो समय समय ki बात है और जब हम दोनो ही 'Sir" से शारीरिक संबंध बनने वाले है, मतलब जब 'Sir" हम दोनो को ही चोदेंगे, तो फीर आपस मे कैसा पर्दा. चुदाई के समय खुल कर बात करनी चाहिऐ और इसीलिए हम ऐसे बोल रही है और अब तुम भी खुल कर बाते करो." अंशु अपनी माँ ki बात सुन कर मुस्कुरा दीया और बोली, "टीख है, जैसा आप कहती है अब मैं भी लंड, चूत और चुदाई ki भाषा मे बातें करूंगी."

अब 'Sir" ने अंशु के maxi के उंदर से अपना हाथ नीकल लिया और आंन्सू ki चूत पर अपने हाथ maxi के ऊपर से रगर रहे थे और झुक झुक कर उसकी चुंचेओं पर चुम्मा दे रहे थे. थोरी देर के बाद उन्होने अंशु ki maxi फीर से अपने हाथों से टांगों के ऊपर करने लगे और अबकी बार अंशु अपनी मम्मी ki देखती रही और कुछ नही बोली. अंशु का चुप रहना 'Sir" को और बढ़वा दीया और उन्होनोए एक ही झटके के साथ अंशु ki maxi पूरी तरह से खींच कर उसकी कमर पर लाये. इससे अंशु ki चूत बिल्कुल खुल गयी और उसकी चूत देख कर्मेरे तो अक्न्हे बाहर आने को होने लगे. अंशु ki चूत बहुत ही सुंदर देखने मे थी. उसकी चूत पर झंते बहुत ही सलीके का साथ कटी गयी थी. उसके चूत के होंठ और घुंडी के ऊपर बाल बिल्कुल नही थे पर चूत के ऊपर हलकी हलकी झंतों का एक अस्तर सा था. ऐसा लगता था ki अंशु ने ब्डे सलीके के साथ और time दे कर अपनी झाँते बनाईं थी. बेटी ki चूत देख कर उसकी मम्मी बोली, "वह! बेटी वह! तुने बहुत ही सुंदर ढंग से अपनी झंते बनाईं हुई है. तेरी चूत और उस पर झंतों को देख कर मुझको उसको चूमने और चाटने का मन कर रह है. पता नही 'Sir" को कैसा लग रह है." तब 'Sir" ने भी उसकी सुंदर सी चूत पर हाथ फेर कर कहा, "हाँ मीना तुम्हारी बेटी ki चूत बहुत ही सुंदर है और उसने ब्डे करीने से अपनी झ्नाते बनाईं हुई है. मुझे अंशु ki चूत पसंद आया और मैं भी तुम्हारी तरह इसकी चूत को चूमना और चाटना चाहता हूँ."

और उन्होने एक बार Meri तरफ देखा और अंशु की कमर पाकर कर उसकी maxi अब उसकी शारीर से अलग कर दीया. अब अंशु सीट के ऊपर बिल्कुल नंगी बैठे थी. 'Sir" ने अब फीर अंशु के पास पहुंच कर उसकी चुंचे से खेलने लगे. वो कभी उसकी चुंची को दोनो हाथों से पाकर दबाते, मसलते तो कभी उसकी चुंची को अपने मुँह मे भर कर उसकी घुंडी चूसते और जीव से चुव्लाते. धीरे धीरे अंशु ki शारीर पर भी अब कम ज्वाला उठने लगा और वो अपनी हाथों को उठा उठा कर अंग्रई ले रहे थी. उसके साँस अब फूल रहे थे और साँस के साथ साथ उसकी चुंची भी अब उठ बैठ रही थी. अब अंशु से रह नही गया और वो सार पर लेट गयी. अंशु के सीट पर लेटते ही 'Sir" ने अपना मुँह उसकी चूत के पास ले गए और अंशु ki चूत को ऊपर से चाटने लगे. थोरी देर के बाद 'Sir" ने अंशु ki पैर को अपने हाथों से पाकर सीट पर फैला दीया और एक उंगली उसकी चूत मे डालने लगे. चूत पर उंगली छुते ही अंशु अपनी कमर नीचे से ऊपर करने लगी और मुँह से अह! अह! ओह! ओह! नहेई! है! हिया! ki आवाज निकलने लगी.

अब मीना अपनी बेटी के पास खरे हो कर उससे पुची, "अंशु. Meri बेटी, क्या तकलीफ है? तुझे क्या हो रह है? क्या मैं 'Sir" से ऐह सब कुछ करने के लिए न कर दूं?" तब अंशु ने अपनी माँ ki तरफ देख कर मुस्कुरा कर बोली, "माँ मेरे शारीर के अन्दर कुछ कुछ हो रह है. बहुत गर्मी लग रही है, लेकीन 'Sir" से तुम कुछ मत कहो." अंशु अपने हाथ अपनी चूत के पास ला कर फीर बोली, "माँ मेरे एन्हा कुछ हो रह है, लगता है की कोई चींटी घुस गया है. तुम कुछ करो न, देखो न नहा क्या हो रह है."

मीना ने अपनी बेटी की बात सुन कर हँसते हुए बोइल, "बेटी तेरे ऊपर जवानी का बुखार चर गया है और इसीलिए तेरे चूत मे खुजली हो रही है. ऐह खुजली बीना चमरे के डंडे से नही जायेगी. अब तू 'Sir" का चमरे का डंडा अपने हाथ मे ले कर के देख वो तुझको आराम देने के लिए कितना आतुर है." "माँ मैं अब भी समझ नही पाई," अंशु बोली. "आरे बेटी तू अभी सब समझ जायेगी, बस तू चुप चाप देखती जा 'Sir" अभी तेरी सब मुश्किल दूर कर देंगे," ऐह कह कर मीना 'Sir" के तरफ देखने लगी. 'Sir" अब तक माँ बेटी की बातें सुन रहे थे और अब उन्होने मीन को अपनी बाँहों मे भर कर एक जोर दार चुम्मा दीया और उसकी चुंची मसलने लगे. मीना की चुंची मसलते मसलते हुए उन्होने मीना की housecoat उतर दिए. अब माँ और बेटी दोनो 'Sir" और मेरे आँखों के सामने नंगे थे. बस फरक ऐह था की बेटी सीट पर अपनी पैर फैलाये लेटी हुई थी और माँ 'Sir" के बाँहों मे खरी खरी अपनी चुंची मालवा रही थी. दोनो माँ और बेटी ने एक दुसरे के आंख मे झाँका और मुस्कुरा दिए. अब अंशु अपने सीट पर बैठ गयी और अपनी हाथ बारह कर अपनी माँ की चुंची को 'Sir" के हाथों को हाथ कर मसलने लगी. थोरी देर के बाद अंशु अपनी माँ की चुंची मस्लाते हुए उनकी पैर के पास बैठ गयी और अपनी की चूत पर अपनी मुँह रागारने लगी. मीना ने अपने हाथों से अंशु का चेहरा अपने चूत पर कास कास कर दबाने लगी.

थोरी देर के बाद माँ और बेटी एक दुसरे से लिप्त कर खरे रहे और फीर उन्होने आगे जा कर 'Sir" को अपने अपने हाथों से पाकर लिया. अंशु 'Sir" के होठों का चुम्मा लेना शुरू किया और मीना ने 'Sir" के लूंगी हटा कर उनकी लंड को पाकर कर मरोरने लगी. 'Sir" का लंड देख कर मैं हैरान हो गया. उनकी लंड की लुम्बाई लगभग ८" और मोटाई करीब ४" था और सुपरा फूल करके बिल्कुल एक छोटा सा टमाटर सा दिख रह था. मुझे ऊपर लेटे लेटे चिनता होने लगी की जब 'Sir" का लंड अंशु की चूत मे घुसेगा तो चूत की क्या हालत होगी. अंशु की चूत बिल्कुल फट जायेगी और हो सकता है की डाक्टर को बुलाना परे.

अब मैंने अपना मुँह कम्बल से नीकल लिया और उनके तरफ करवट ले कर उनके कारनामे देखने लगा. 'Sir" अब मीना को चोर कर फीर से अंशु के पास पहुंच गए और उसे अपने बाँहों मे लेकर उसकी चूत मसलने लगे. अंशु चूत मसलने केसाथ ही अपनी टंगे फैला दीया और फीर एक पैर सीट पर रख दीया. अब 'Sir" ने झुक कर अंशु की चूत मे अपना जेव घुसेर कर उसको अपनी जीव से चोदने लगे. ऐह सब देख कर मीना जो अब तक खुधी अपनी चूत मे उंगली अन्दर बाहर कर रही थे, आगे बरही और 'Sir" का फुला हुआ सुपर अपने मुँह मे भर लिया और चूसने लगी. तब 'Sir" ने अंशु को सीट के किनारे पैर फैला कर बैठा दीया और उसके पैर सीट पर रख दीया. ऐसा करने से अंशु की चूत अब बिल्कुल खुल कर सीट के किनारे आ गयी तो 'Sir" ने वंही बात कर अंशु की चूत को चाटने और चूसने लगे. मीना को भी अब तब चढ़ चुक्का था उसने 'Sir" के आगे बैठ कर 'Sir" का लंड मुँह मे भर लिया और चूसना शुरू कर दीया. मैं ऐह सब देख कर अपने आप को रोक न सका और अपने सीट पर बैठ गया. मुझको उठते देख कर तीनो घबरा गए और अपने अपने कपरे धुन्दने लगे. मैं हंस कर बोला, "सॉरी, मैं आप लोग को दिस्तुर्ब नही करना चाहता था, लेकीन मैंने अपने आप को रोक नही पाया.

कोई बात नही आप लोग अपना कमजारी रखिये मैं एन्हा बैठा हूँ. "अब तक मीना और अंशु दोनो ने अपनी अपनी जिस्म को अपने हाथों से ढँक लिया था. मीन अपने नज़र मेरे तरफ घुमा के बोली, "सहाब, आप कब से जगे हुए हैं?" "आरे मैं सोया ही कब था की जगुंगा." तब मीना और अंशु मेरे तरफ घुर घुर कर देखने लगी और 'Sir" अपने नंगा पं को ध्यान न देते हुए हमारे तरफ मूर कर अपना हाथ मुझसे मिलाया और कहा, "मेरा नाम मनोज शर्मा है और मैं आईओसी मे कम करता हूँ. अब आप जब हमारा कार्यक्रम देख चुके तो मैं आप को हमारे साथ शामील होने की निमंत्रण देता हूँ. क्या आप को कोई अप्पत्ती है?" मैंने कहा, "आपका निमंत्रण स्वीकार है और मुझे ख़ुशी होगी आपके साथ जवानी का खेल खेलने का." ऐह सुनकर माँ और बेटी दोनो ने मुस्कुरा दीया और मुझसे नमस्ते किया. मैं फीर बोला, "जब हम लोग एक ही खेल मे शामिल होने वाले हैं तो फीर ऐह Night बल्ब क्यों?" ऐह सुन कर मीना 'Sir" का लंड चोर कर उठ कर कूप का लाइट जला दीया और मेरे पास आ कर मुझे पाकर मेरे होठों को चूम लिया.

तब मैंने मीना को अपनी हाथों मे लेकर एक हाथ से उसकी चुंची मसलने लगा और दुसरे हाथ उस्किचूत पर ले जहर चूत मे उंगली करने लगा. उधर मनोज अब अंशु को सीट पर लेटा दीया था और उसकी चूत मे अपनी उंगली पेल रह था और अंशु की चूत तिघ्त होने के कारन अंशु मरे दर्द के तिलमिला रही थी. तब मीना मुझसे अपनेको चुराते हुए अपनी बैग से पोंड्स कोल्ड करें की शीशी निकली और पोंड्स करें अंशु के चूत के अन्दर और बाहर मलते हुए अंशु की आंसू पोंछ कर अंशु के Sir पर हाथ फेरने लगी. अंशु अपनी माँ को देख कर बोली, "माँ जब उंगली से ही इतना दर्द हो रह है तो 'Sir" का लौरा मेरे अन्दर कैसे जैगा? मीना अन्ह्सू की चुंची को दबाते हुए बोली, "बेटी, पहले तो थोरी सी दर्द बर्दास्त तो करनी होगी फीर बाद मे बहुत मज़ा आएगा. तू चिनता मत कर, 'Sir" बहुत आराम आराम से तेरी लेंगे और तुझे मज़ा देंगे. अब देख मैं भी अमित के पास जा रही हूँ और उनको अपनी दूंगी और मेज़ लूंगी." इतना कह कर मीना मेरे पास आ गयी और हमारे लौरे को चूमने और चूसने लगी. ऐह देल्ह कर अंशु भी उठ कर मनोज का लंड अपने मुँह मे ले कर्चुसने लगी. मनोज का लंड इतना मोटा था की अंशु के मुँह मे पुरा नहे समां पा रह था तो अंशु ने ,अनोज का लंड पाने मुठी मे लेकर चाटने लगी.

इधर मैं भी मीना से पाना लंड ब्डे आराम से चुस्वा रह था और मीना मरे गर्मी के कभी कभी मेरा सुपर को अपने दंत से हलके हल्केकत रही थी. अब मैंने मीना को सीट के पास झुका कर कहर दीया और उसके पीछे से आ कर उसकी चुतड मे पाना लंड रागारने लगा. फीर मैंने मीना से कहा अब मैं तुमको पेचे से कुत्ता के तरह चोदुन्गा और ऐह कह कर मैं थोरी से ठुक अपने लंड पर लगाया और मीना की हूट मे अपना लंड पेल दीया. मीना मेरे लंड को अन्दर लेटे ही अपनी कमर आगे पीछे करने लगी और जोर जोर बोल रही थे, "देख अंशु देख, कैसे अमित का लंड मेरे चूत मे घुस कर मुझे मज़ा दे रह है. अब तुझे भी 'Sir" अपने लंड मज़ा देंगे. तू जल्दी से अपनी चूत मे 'Sir" का का लंड डलवा ले." "आरे मैं कब मन कर रही हूँ. 'Sir" ही तो अपना मेरे अन्दर नही दल रहे हैं,वो तो बस Meri चूत को चूस रहे हैं. वैसे मुझे अपनी चूत चुस्वाने मे भी बहुत मज़ा आ रही है," अंशु ने अपनी माँ से बोली. तब मैंने मनोज से कहा, "आरे भाई मनोज, लार्की चुदवाने के लिए तयार है तुम अपना लंड जल्दी से अंशु की चूत मे पेल दो." मनोज ने फीर अंशु को टीख से लेटा कर उसकी चूत और पाने लौरे मे अच्छी तरह से पोंड कोल्ड करें लगाया और अपना लंड अंशु की चूत के ऊपर रख दीया.

जैसे ही मनोज ने अपना लंड अंशु की चूत के अन्दर दबाया तो अंशु चिल्ला परी, "है! मम्मी मुझे बचऊऊओ, मैं मरीई जा रहीई हूऊउन्. ही! Meri चूत फाआअतीईई जा रहीईए हैईईई. 'Sir से कहो की अपना लंड Meri नीकल लीएई." मीना तब हमारा लंड को अपनी चूत से नीकल कर अंशु के पहुंच गयी और उसके चुंची को दबाते हुए कहा, "बस बेटी बस, अभी तेरी तकलीफ दूर हो जाएगा. बस थोरी सी बर्दास्त कर. तेरा ऐह पहली चुदाई है न? abhi 'Sir" tujhko chod chod kar maza denge," ऐह कहा कर मीना ने अंशु की चुंचेओं को चुस्ती रही. थोरी देर के बाद मीना ने अपनी बेटी की चूत को दोनो हाथ से लंड खाने के लिए फैला दीया और मनोज से कहा, "'Sir" लीजिये मैंने अपनी बेटी की चूत को फैला दीया है अब आप अपना लंड धीरे धीरे अंशु की चूत मे डालिए और इसको मज़ा दीजिए. फीर मोअनोज ने अपना सुपरा फीर से अंशु की चूत के ऊपर रखा और धीरे से उसको अन्दर कर दीया. अंशु फीर से चिल्लाने लगी लेकीन उसको न सुनते हुए मनोज एक जोर दार धक्का मारा और उसका लंड अंशु की चूत मे घुस गया. अंशु एक चीख मर कर बेहोश हो गयी. मीना ए अंशु के चहरे पर पानी का चिट्टा मारा और अंशु की चुंची को जोर जोर मसलने आगे. मनोज ऐह सब न देखते हुए अपनी रफ्तार से अंशु की चूत मे अपना लंड पेले जा रह था. थोरी देर के बाद अंशु ने आंखे खोली और अपनी मम्मी से कहने लगी, "ही! मुम्मुय बहुत दर्द कर रह और अजा भी आ रह है." ऐह सुन कर मीना बोली, "बस अब थोरी ही देर मे तेरी सब दर्द डोर हो जायेगी और तेरे को मज़ा ही मज़ा आयेगी.


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........raj.........

सफ़र का असली मजा

मेँ रीहाना खान हूँ. में २१ साल हूँ और Lucknow, में रहती हूँ. मेरी बेसट friend का नाम है सुम्मी. सुम्मी २२ साल की है. सुम्मी की बड़ी बेहेन की शादी हो चुकी है और वोह देल्ही में रहती है. मेरे एक्षम् हो चुके थे और में देल्ही में admission के लीये देल्ही आना छाती थी.

सुम्मी ने मुजसे से कहा की वोः भी देल्ही में अपनी बेहेन के यहाँ गरमी की छुट्टीया बीतना चाहती है. सुम्मी ने कहा की उस का एक classmate रवी भी देल्ही में admission के लीये देल्ही जाने वाला है इस्लीये हम दोनो ने देल्ही के लीये रेसेर्वेशन के लीये रवी को कह दीया. तीन दीन बाद जाना था. में अपना लगेज लेकर सुम्मी के घर गयी तू वोः मेरा इंतज़ार ही कर रही थी. आज सुम्मी बड़ी स्मार्ट लग रही थी.

में भी आज ख़ूब मकेउप करके आयी थी. हम ने आटो लीया और रेलवे स्टेशन को चल दीये. स्टेशन पर ट्रेन नही आयी थी और अभी देर थी. रात का सफ़र था और ट्रेन बीच में कही रूकती भी नही थी ईसलीए मैंने रवी से कहा की कोई मैगज़ीन ले आये रास्ता कटने के लीये.

वह कुछ बुक्स ले आया. १० मिनट बाद ट्रेन आयी तू हमलोग अपने कैबीन में बैठ गए. इस कैबीन में केवल ४ बर्थ थी तीन हमारी थी और एक कीसी और की होगी. कुछ देर बाद ट्रेन ने whistle दी और सरकने लगी तभी एक जवान खूबसूरत लम्बा सा आदमी कैबीन में आया. चौथी ब्र्थ उसी की थी. जब ट्रेन चल दी उसने डोर लाक कर दीया और अपनी ब्र्थ पर जाकर लेट गया. ट्रेन रफ़्तार ले रही थी. इस कैबीन में दो जवान लड़कीयाँ और दो जवान मर्द सफ़र कर रहे थे. मैं और रवी नीचे की ब्र्थ पर थे और सुम्मी और वह अजनबी ऊपर की ब्र्थ पर. मैंने रवी से मैगज़ीन मांगी तू उसने अपनी पोकेट से एक स्माल बुक नीकालकर देदी.

बुक के कवर पर ही एक जवान और खूबसूरत Girl की nude फोटो थी. पहले पहल तो मैं नंगी लडकी की तस्वीर देखकर हीच्कीचायी लेकीन फीर मेरे मॅन मैं उस बुक को अंदर से देखने की ललक जाग उठी. नंगे फोटो ने मेरे बदन मैं झुरझुरी पैदा कर दी थी. मैंने रवी को ग़ुस्से से देखा तू वह मुस्कराने लगा और खुद भी एक छोटी सी बुक नीकालकर पढने लगा. वह अजनबी भी newspaper पढने लगा. सीर्फ सुम्मी ही कुछ पढ़ नही रही थी बल्की वह उस अजनबी को घूर रही थी. ओह नो, जब मैंने वह बुक पढ़ना शुरू की तू मैं हैरान रह गयी. उसमें बहुत ही सेक्स चुदाई की स्टोरी थी जीसे पढ़कर मैं बैचेन हो गयी और पूरी स्टोरी पढ़ली.

उसमे लडकी के भाई के दोस्त भी लडकी को भाई के साथ मिलकर चोदते हैं. मैं स्टोरी पढते हुये होर्नी हो गयी और अपने एक हाथ को चुत पर लेजाकर चुत सहलाने लगी..... रात का समाया था अंधेरा हो गया था !! अपने हाथ को स्लवार के अंदर डालकर चुत सहलाते हुये clitoris को मसलने लगी..... मुझे लाग रहा था की सब सो चुके है क्योकि सब कुछ शांत था !!! फिर थोड़ी देर मे चुत से पानी लीक होने लगा था और मैं आँखें बंदकर मस्ती ले रही थी. तभी मुझे लगा की कोई मेरे कुरते के ऊपर से मेरे मम्मों को सहला रहा है. आंखें खोला तो वह कोई और नही बल्की सुम्मी का classmate रवी था. वह मेरे पास आकर घुटने के बल बैठकर मेरी चूची को मुँह मैं लेकर चुस रहा था और दुसरे हाथ से दूसरी चूची को दबाने लगा. उसे ज़रा भी डर्र नही था की कैबीन मैं और लोग भी है. मैं तो खुद मस्त थी ईसलीए रवी की गर्दन मैं हाथ डालकर उसे अपने चहरे पर झुका लीया.

अब उसके गरम लीपस मेरे लीपस से चीपक गए. ओह बड़ा ही मजेदार कीस था. रवी अपनी tounge को मेरे मुँह मैं डालकर कीस कर रहा था. मैं भी अपनी गुलाबी गरम जीभ(tounge) को उसके मुँह मैं डालकर चारो तरफ घुमाने लगी. हमलोगों के चुम्मा चाटी की आवाजें कैबीन मैं गूँज रही थी लेकीन हमें कीसी की परवाह नही थी. रवी ने मेरी कुर्ते के बटन को खोल दीया और मेरी संतरे के बरबेर छुचियों को नंगा कर दीया. फीर एक चोची को दोनो हाथ से पकड़कर दबाते हुये चूसने लगा. मैंने उसके सीर को हाथ से पकड़कर अपनी छुचियों पर दबा लीया ताकी वह सही से चूस सके. मस्ती मैं यह भी भूल गयी थी की सुम्मी और एक अजनबी आदमी ऊपर की ब्र्थ पर लेते हैं.

अब रवी मेरे नीप्प्ल को दबा दबाकर चुस रहा था और दूसरी चूची को दबा रहा था. मैं अपनी चूसी जा रही चूची को देख रही थी. एकाएक मेरी नज़र ऊपर की ब्र्थ पर चली गयी. ऊपर देखा तो हैरान हो गयी. सुम्मी शायद रवी को मेरे साथ मज़ा लेते देखकर जोश मैं आ गयी थी. वह उस जवान अजनबी के साथ लीपटी हूई थी. सुम्मी खुद उस अजनबी की ब्र्थ पर चली गयी थी और मेरी तरह उसके साथ मज़ा ले रही थी. वह अजनबी सुम्मी के गोरे बदन पर हाथ चला रहा था और सुम्मी अपनी तिघ्त चुचीयों को उसके चौड़े चेस्ट पर रगड़ रही थी.

उसने अपनी कुरते को खोलकर अलग कार दीया था और ब्र्थ पर कोने मैं दाल दीया था. सुम्मी उस के होंठों को अपने मुलायम होंठों मैं दबाकर चूस रही थी. तभी सुम्मी ने अपनी एक चूंची को मुँह पर रखकर दबाया तो वह अजनबी उसके नीप्प्ल को दबा दबकार्चूसने लगा. उसकी चूचीयां बहुत tight हो गयी थी और नीप्प्ल ताने थे. इधर रवी मेरी चुचियों को बारी बारी से चूस रहा था. मैं मज़ा लेती अपने हाथों से उसे पीला रही थी. मेरी चुत मेरी गोरी-गोरी जांघों के बीच गीली हो गयी थी और उससे चुत का रस टपक रहा था. ताभी रवी अपना एक हाथ नीचे लाया और मेरी स्लवार का एज़बंद खोलकर उसे सरका दीया और मैं नीचे से एकदम नंगी हो गयी. मेरी चुत जब नंगी हूई तो वह अपने हाथ से मेरी चुत पर उगी घनी घनी झाँतों को सहलाने लगा. मेरी झानतें चुत के पानी से भीग गयी थी .

तभी उसने अपनी ऊँगली मेरी चुत मैं डाली तो मैं बोल पडी"ओह रवी डारंलीग, बहुत मज़ा आ रहा है. प्लीज अपने लंड को मेरी चुत मैं पलकर फाड़ दो मेरी चुत को. हाय अपने लंड का पानी मेरी चुत को पीलाकर इसकी प्यास बुझा दो." चालाक छोकरा था. मुझे सिस्कर्ते देखकर समझ गया की लौंंडीया पेलने के लीये तैयार है. मेरी बेचैनी देखकर वह मुस्कराने लगा. वह मुझसे अलग हुआ और अपने कप्रे उतरने लगा. जब वह नंगा हुआ तो उसका , मोटा लम्बा लंड आजाद होकर फुदकने लगा. पहले तो मैं सुम्मी की वजह से डर्र रही थी पर सुम्मी खुद हुम्दोनो को आपस मैं उलझे देखकर उस अजनबी जवान के साथ लीपटी थी. सुम्मी की तरफ से मेरा डर और शरम ख़त्म हो गयी थी. फीर मैंने उसके हार्ड लंड को पकड़ा तो मेरा बदन कापने लगा. उसके लंड को सहलाते हुये अपनी चूचीयों को दबवा रही थी. उसका लंड चीप्चीपा गया था जीससे मेरी उँगलीयाँ भी लास्लासा गयी और मेरा मॅन उसके प्रेचुम को चाटने का हुआ तो मैं बोली"ओह रवी मैं तुम्हारे लंड को अपने मुँह मैं लेकर चूसना चाह्ती हूँ.

इसका रस चाटना है मुझे." मेरी बात सुनकर वह अपना लंड मेरे गुलाबी गालों पर राग्डने लगा. गाल पर गरम लंड का टच मुझे सीह्राने लगा. इतने पास लंड को देखकर मेरी प्यास बढ़ी तो मैंने लीपस खोल दीये तो रवी ने अपना लंड मेरे मुँह मैं दाल दीया. उसका लंड इतना मोटा था और केवल उप्पेर का हिस्सा ही अंदर गया. मैं उस पर लगे नमकीन रस को चाटने लगी तो रवी अपने लंड को इन आउट करते मेरे मुँह को चोदने लगा. मैं भी उसके लंड पर अपना मुँह दबा दबाकर उसका लंड चूस रही थी. तभी वह उठा और मेरे मुँह से लंड नीकालकर मेरी टांगों के बीच आ गया. उसने मेरी जाँघों को फैलाया और बीच मैं बैठ गया. उसने मेरे पैरों को अपने कंधे पर रख लीया जीससे मेरी चुत उसके लंड से टच करने लगी. मेरी चुत लंड के लीये बेक़रार थी पर वह अपने लंड को चुत के चारो तरफ रगड़ने लगा. कुछ देर बाद लंड को चुत के छेद पर लगाकर दबाया तो १/४ लंड मेरी गीली चुत के अंदर चला गया.

लंड अंदर जाते ही मैंने अपने पैरों से रवी की गर्दन कास ली और उसके पूरे लंड को खाने के लीये क़मर को उछलने लगी. मेरा मॅन रवी के पूरे लंड को नीगालाने को हो रहा था. चुत मैं लंड जाते ही रवी लंड को धक्का देने लगा और मैं चुत को उसके मोटे लंड से चीपकाने की कोशीश करने लगी. हर धक्के के साथ लंड मेरी tight चुत मैं पीस्टन की तरह जाने लगा. मुझे हलके दर्द के साथ जन्नत का मज़ा मीलने लगा. अब रवी धक्का लगते हुये मेरी रसीली चुत मैं अपने मोटे लंड को पेल रहा था. तभी मेरी नज़र ऊपर की ब्र्थ पर चली गयी. सुम्मी और वह अजनबी एकदम नंगे थे. सुम्मी उस अजनबी के ऊपर लेटी थी और चुत को उसके खडे लंड पर दबाकर रगड़ रही थी. फीर सुम्मी ने उसके लंड को पकड़कर अपनी चुत के सेंटर पर लगाकर क़मर को दबाया तो उसका लंड सुम्मी की चुत मैं सरकने लगा. सुम्मी उसके लंड को खाने के लीये क़मर उछल उछल कर धक्के लगाने लगी.

उसके नाज़ुक बदन का भार उस अजनबी के ऊपर था जीससे उसकी बड़ी बड़ी चुचीयां उसके मुँह से रगड़ खा रही थी. अब वह अजनबी उसकी एक चूची को मुँह मैं लेकर चूसते हुये दूसरी को मसल रहा था और सुम्मी की क़मर को अपने पैरो से जकड कर नीचे से धक्का लगा रहा था. तभी सुम्मी की नज़र मुझसे मीली तो उसने मुस्कराने की कोशीश की पर मस्ती की वजह से मुस्करा ना पायी. वह उस अजनबी से चुदवाने मैं बीजी थी. सुम्मी का चुताड उसके लंड पर फीराकी की तरह नाच रहा था और उसकी चुत मैं लंड फाचा फाच अंदर बहार हो रहा था. सुम्मी अपनी चुचीयों को चुसवाते हुये धचाधाच लंड को चुत मैं ले रही थी.

उसकी चुत से चुदाई का पानी बह रहा था. उसके आंखें लाल हो गयी थी और वह मदहोशी के आलम मैं चिल्ला रही थी"ओह ओह डारंलीग मेरे रजा बहुत मज़ा आ रहा है." वह कराहते हुये बोल रही थी. उसे ज़रा भी होश नही था की कैबीन मैं और लोग भी हैं. मैं समझ गयी की वह खल्लास होने वाली है. वह बड़ी तेज़ी से अपनी गांड उठा उठाकर धक्के लगा रही थी. तभी एक ज़ोरदार धक्के के साथ सुम्मी उस अजनबी के ऊपर गीर्कर उससे चीपक गयी. मैं समझ गयी की उसकी चुत ने चुत रस छोड़ दीया है. उस अजनबी ने उसे कसकर अपने बदन से चीपका लीया था. सुम्मी उससे चीपकी ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी. इधर रवी अपने लंड को जड़ तक मेरी चुत मैं पलकर धक्के लगा रहा था. वह अपने पूरे लंड को बहरकर करारे धक्के के साथ चुत के अंदर तक पेल रहा था. मैं अपने पैरों से उसके कंधे को जकदते हुये उसकी गांड के छेद को कुरेद रही थी. उसकी मस्ती भी बड़ा रही थी. मैंने एक चूची को हाथ से पकड़कर उसे चूसने का इशारा कीया तो वह अपने मुँह को चूची पर लाया और फीर ख़ूब सा थूक उस पर गीराया और फीर जीभ से उसे पूरी चूची पर लगाने लगा. फीर दोनो चुचीयों पर थूक लगाकर एक को मसलते हुये दूसरी को चूसने लगा.

नीप्प्ल को फीनगर से चुटकी ले रहा था जीससे मैं जन्नत मैं थी. तभी सुम्मी उस अजनबी के बदन से अलग हूई और वी दोनो हमलोगों के पास आ गए. उस अजनबी का लंड अभी भी tight था और उसपर सुम्मी की चुत का गाढा रस लगा था. तभी उस अजनबी ने रवी के पीछे आकर उसके चुत्ड़ को सहलाया और फीर एक ऊँगली रवी की गांड मैं पेल दी. एकाएक गांड मैं ऊँगली जाने प रवी दर्द से कराह उठा और मेरी चूची उसके मुँह से बहार हो गयी. वह अजनबी रवी के दर्द की परवाह ना कर उसकी गांड को फीनगर फक करने लगा. तभी सुम्मी एकदम नंगी ही मेरे पास आयी और रवी के थूक से भीगी मेरी चुचीयों को चाटने लगी. अब कैबीन मैं चारो लोग एक दुसरे से उलझे थे. अब वह अजनबी अपने हैवी लंड को धीरे धीरे रवी की गांड मैं पेल रहा था और रवी का लंड मेरी रीस रही चुत मैं उस अजनबी के धक्के के साथ आ जा रहा था. सुम्मी मेरी चुचीयों को मज़ा दे रही थी और मैं उसकी चुत पर लगे चुदाई के पानी को ऊँगली मैं ले लेकर चाटने लगी. जब उस अजनबी का पूरा लंड रवी की गांड मैं चला गया तो वह गांड मरने लगा और मैं उसके हर धक्के के साथ नीचे से अपनी गांड उचका उचककर रवी के लंड को नीगल रही थी.

कैबीन मैं हम चारो की आवाजें गूँज रही थी जीससे बड़ा ही अनोखा मूसीक बन रहा था. सुम्मी को चोदने मैं वह अजनबी झाड़ा नही था ईसलीए वह रवी की गांड मैं झरने को बेक़रार था. काफी देर बद रवी का गढा पानी मेरी चुत मैं गीराने लगा तो मैंने उसकी गर्दन को मजबूती से अपने पैरो मैं जकडा और खुद भी झडने लगी. इधर वह अजनबी भी रवी की गांड मैं अपना रस छोड़ने लगा. रवी गांड मैं गरम पानी महसूस कर काँपने लगा. मैंने झडते हुये सुम्मी के सीर को अपनी चुचीयों पर कास लीया था. हम सभी झडने के बद सुस्त परे थे. कुछ देर बद उस अजनबी ने अपना लंड रवी की गांड से बहार कीया तो रवी भी मुझसे अलग हुआ.

मेरी चुत से रवी के लंड का रस बहार आने लगा और उसकी गांड से भी रस बहार गीरने लगा. सुम्मी ने मेरी चुत साफ की और फीर मैं और सुम्मी कपडे पहनकर टॉयलेट चले गए. वह जाकर हुम्दोनो ने पेशाब कीया और बीना कुछ बोले वापस आये. जब कैबीन मैं वापस आये तो वी दोनो कपडे पहनकर आपस मैं गपशप कर रहे थे. रवी ने उस अजनबी का इन्त्रोदुक्शन देते हुये कहा "रीहाना डारंलीग यह . नोहीत हैं. यह एक सोफ्टवेय्र इंजीनीयर हैं और देल्ही तक जा रहे है. और डारंलीग यह हमलोगों का साथ देल्ही तक देंगे." "ओह मर. नोहीत आपसे मीलकार बहुत ख़ुशी हूई. ओह रवी यह बहुत ही दमदार आदमी लगते है." मैं मस्त होकर बोली. ट्रेन अपनी रफ्तार से चली जा रही थी. हमलोग आपस मैं गपशप करते और साथ मैं चेड्खानी भी कर रहे थे. अब हमलोग नीचे की ब्र्थ पर ही थे. एक पर मैं रवी के ऊपर लेती थी और दूसरी ब्र्थ पर सुम्मी नोहीत के ऊपर लेती थी.

रवी मेरी चुचीयों को छेड़ रहा था जबकी नोहीत सुम्मी की गांड सहला रहा था. हमलोग एक दुसरे को देखकर मुस्करा भी रहे थे. रात के २ बज रहे थे. अब रवी मेरे गालों को चूमते हुये मेरी चुत के घने बालों को सहला रहा था और सुम्मी नोहीत के लंड को सहला रही थी. नोहीत भी उसके मम्मो को मसल रहा था जीससे वह सीसक रही थी. तभी मेरा दील नोहीत के लंड के ख़याल से सुलग उठा. उसका लंड रवी के लंड से काफी तगड़ा था. रवी के लंड का मज़ा तो ले ही चुकी थी अब मेरा मॅन नोहीत के लंड से चुदवाने को बेक़रार हो गया. यह ख़याल आते ही मैं बोली"मेरा ख़याल ही की अब हमलोग अपने अपने साथी बदल ले?" मेरी बात सुनकर नोहीत मुझे घूरने लगा. उसके घूरने के अंदाज़ से मैं समझ गयी की वह भी मेरी जवानी को चखना चाहता है.

मैं उसके घूरने पर मुस्कराती हूई ब्र्थ से उठी तो वह फौरन मेरे पास आया और चीपकाकर चूमने लगा. उसका कीस मुझे मदहोश कर गया और मैं उससे चीपक गयी. रवी और सुम्मी एक ब्र्थ पर चुपचाप बैठे हम्दोनो को देख रहे थे. मैं नोहीत के साथ ख़ूब आह ऊह कर सीसीयाते हुवे मज़ा ले रही थी. हम्दोनो एक दुसरे को लीपस पर कीस कर रहे थे. नोहीत मेरे नाज़ुक बदन को भींचकर मेरे लीपस चूमते हुये मेरी कुरते को अलग करने लगा. मुझे इस वक़्त कपडे बहुत भारी लग रहे थे. नंगे होकर ही चुदाई का मज़ा आता है. कुछ देर मैं नोहीत ने मुझे नंगा कर दीया और मेरी गोरी गोरी चुचीयों को मेरे पीछे से चीपक कर पकड़ लीया और दबाने लगा. इस तरह से उसका लंड गांड पर चीपका था और मेरी सनसनी इनक्रीस करने लगी. मैंने रवी और सुम्मी को देखा तो वी अलग अलग बैठे हमें ही देख रहे थे. अब नोहीत अपनी ऊँगली को मेरी चीपकी जांघों पर लाकर मेरी चुत सहलाने लगा था. तभी उसने मेरी clitoris को मसला तो मेरी चुत ने जोश मैं आकर पूचह से पानी बहार फ़ेंक दीया. मैं मस्त होकर चुत मैं लंड डलवाने को बेक़रार हूई तो नोहीत के कपडे खोलकर उसे भी एकदम नंगा कर दीया. ओह अल्लाह, पैंट अलग होते ही नोहीत का लंड फुदकने लगा. एकदम iron रोड की तरह लग रहा था. उसका लंड अपने हाथ मैं लेकर मैं सहलाने लगी. सच, रवी के लंड से काफी बड़ा था. मैं हाथ से मुठीयाने लगी तो नोहीत मेरी चुत को फीनगर फक करने लगा.

कुछ देर बद नोहीत नीचे बैठा और अपना चेहरा मेरी जांघों के बीच ला मेरी चुत पर जीभ फीराने लगा. ओह... चुत चुस्वाने पर मैं गांगाना उठी. वह अपनी जीभ को चुत के चारो तरफ फीराकर चाट रहा था. मेरी झांतो को भी चाट रहा था और मैं अपनी जांघों को फैलाती चली गयी. उसके थूक से मेरी चुत भीगी थी और वह clitoris को मुँह मैं लेकर चूस रहा था. रवी और सुम्मी अभी भी चुपचाप हुमदोनो को देख रहे थे. मैं सुम्मी से बोली"अरे सुम्मी तुम क्या हमलोगों को ब्लू फील्म की तरह देख रही हो? अरे क्यों मज़ा खराब कर रही हो. तुमको लंड की ज़रूरत है और रवी को चुत की. तुम रवी के लंड का मज़ा लो." मेरे बोलने का असर उनदोनो पर हुआ. उनदोनो ने एक दुसरे को देखा फीर रवी उठकर सुम्मी के पास गया और उसके गाल को चूम लीया. सुम्मी गाल पर कीस पाकर मस्त हो गयी और खाडी होकर रवी से चिपककार उसके लीपस चूमने लगी. मैंने नोहीत की चहरे को अपनी चुत पर दबाया और उन्दोनो को देखने लगी. व्हो भी अब एक दुसरे से लीपते थे. रवी जम्पर के अंदर हाथ डालकर सुम्मी की चुचीयों को पकड़े था और सुम्मी रवी के लंड को. अगले कुछ ही वक़्त मैं रवी ने सुम्मी को एकदम नंगा कर दीया.

सुम्मी की चुत पर घुंघराले बाल थे जिनको रवी ऊँगली से सहलाने लगा. सुम्मी ने रवी के लीये अपनी जाँघों को फैलाया हुआ था. तभी रवी ने उसे उठाकर ब्र्थ पर लिटा दीया. तब सुम्मी ने दोनो पैरो को चौड़ा किया तो नोहित की तरह रवी भी उसकी चुत पर झुकता चला गया. रवी अपनी जीभ नीकालकर सुम्मी की चुत को चाटने लगा. सुम्मी के पैर मेरी तरफ होने की वजह से नज़ारा एकदम कलेकर मील रहा था. सुम्मी क़मर उछालकर च्टवा रही थी. फीर रवी ने अपनी जीभ सुम्मी की चुत मैं पेल दी और सुम्मी को tounge फक करने लगा. सुम्मी अपनी चुत को रवी की जीभ पर नाचने लगी. सुम्मी की चुत के नमकीन रस को रवी मज़े से चाट रहा था. इधर नोहीत भी रवी की तरह मेरी चुत के Pink होउल मॆं अपनी जीभ पलकर मुझे tounge फक कर रहा था. रवी की तरह नोहीत ने भी मेरी टांगो को फैलाया हुआ था. मैं जब बेक़रार हो गयी तो बोली"ओह नोहीत डारंलीग अब चुत को चूसना खतम करो और मेरी चुत मैं अपना लंड डाल दो नही तो मैं मर जाउंगी. आह जल्दी चोदो मुझे." मेरी बात सुनकर नोहीत ने अपने लंड को मेरी चुत पर सटकर एक करारा शोट मारा तो उसका लंड मेरी चुत को फाड़ता हुआ अंदर जाने लगा. दर्द हुआ तो मेरे मुँह से नीकल पड़ा"हाय रजा आराम से.

ओह तुम्हारा तो रवी से बहुत मोटा है. ज़रा धीरे धीरे पेलो डारंलीग मैं कही भागी नही जा रही हूँ." नोहीत मेरी बात सुनकर रूक गया और मेरी चुचीयों को दबाने लगा. वह लंड को मेरी चुत मैं डाले दोनो मम्मो को दबा रहा था. कुछ देर बद दर्द कम हुआ और मज़ा आया तो मैं नीचे से गांड उचकने लगी. वह मेरी क़मर के उछल को देखकर समझ गया और धक्के लगाने लगा. कुछ पल मैं ही उसका लंड मेरी चुत की तह मैं ठोकर मरने लगा. नोहीत के साथ तो अनोखा मज़ा आ रहा था. उसके पेलने के अंदाज़ से ज़हीर हो रहा था की वह चुदाई में माहीर है. वह मेरे मम्मो को दबाते हुवे चुत की तेह तक हमला कर रहा था. मैं होश खो बैठी थी. उधर चुत चूसने के बाद रवी सुम्मी की चुचीयों को चूस रहा था. सुम्मी अपने हाथ से अपने मम्मों को रवी को चूसा रही थी. सुम्मी ने रवी के कपडे अलग कर दीये थे और उसके लंड को मुठिया रही थी. वह मेरी ऊर देखकर बोली"ओह रवी देखोना नोहीत और रीहाना को कैसे मज़े से चोद रहा है. तुम भी अब मुझे तर्सऔ नही और जल्दी से मुझ को चोदो." रवी ने सुम्मी के पैरो को अपने कंधे पर रखकर लंड को उसकी चुत पर रगड़ना शुरू कीया तो सुम्मी बोली "ओह्ह हाय मेरे रजा, क्यों मुझे को तडपा रहे हो. हाय जल्दी से मुझ को चोद दो."

रवी ने अपने लंड को उसकी चुत पर लगा धक्का लगाया तो चौथाई लंड उसकी चुत मैं चला गया. सुम्मी ने उसके चूतादो को दबाते हुवे कहा"येस येस डालो. पुरा डालकर चोदो." वोः दोनो एक दुसरे के ओप्पोसीट धक्के लगाने लगे और इस तरह रवी का पुरा लंड सुम्मी की चुत मैं चला गया. सुम्मी की चुत के बाल उसके लंड के चारो ऊर फेल गए थे. रवी पुरा पलकर उसके मम्मो को मसलने लगा था. इधर नोहीत मेरी चुत मैं अपने मोटे लंबे लंड को पुक्कक्क पुक्क अंदर बहार कर रहा था और मैं हर धक्के के साथ सिसक रही थी. रवी से चुदवाने से ज़्यादा मज़ा मुझे उस अजनबी नोहित के साथ आ रहा था. मैं चुद्वाते हुये दूसरी ब्र्थ पर भी देख रही थी. रवी मम्मों को मसलते हुये सुम्मी की चुत को चोद रहा था और वह नीचे से क़मर उचकते हुये रवी की गांड को कुरेद रही थी. अब रवी सुम्मी की चुचीयों को मुँह मैं लेकर चूसते हुवे तेज़ी से चुदाई कर रहा था. सुम्मी मदहोशी मैं बोली"ओह रवी मेरे यार बहुत मज़ा आ रहा है. हाय और ज़ोर से चोदो. पुरा जाने दो फाड़ दो मेरी चुत. चीथड़े उड़ दो." सुम्मी पूरे जोश मैं अपनी क़मर उचककर लंड का मज़ा ले रही थी. मैं उन्दोनो की चुदाई का नज़ारा करते नोहीत से चुद्वा रही थी. नोहीत ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा तो मुझे एसा लगा की मेरी चुत से पानी नीकल पड़ेगा.

एसा महसूस करते ही मैं नोहित से बोली"आह नोहित डारंलीग मेरा निकलने वाला है. रजा मेरी हेल्प करो तुम भी मेरे साथ ही अपनी मलाई मेरी चुत मैं ही निकालो." नोहित पर मेरी बोली का असर हुआ और वह तेज़ी से चुदाई करने लगा. कुछ देर मैं ही मेरी चुत से फव्वारा चलने लगा और मेरे साथ ही नोहित के लंड की पिचकारी भी चल दी. उसकी पिचकारी ने गरम पानी से मेरी चुत भर दी. जब मेरी चुत भर गयी तो मलाई चुत से बहार निकलने लगी. झड़ने के बाद हम्दोनो एक दुसरे लीपताकर उखड़ी साँसों को दुरुस्त करने लगे. मेरा ध्यान फीर सुम्मी की तरफ गया. सुम्मी मदहोशी मैं कराह रही थी और कमा को हवा मैं लहराते हुवे रवी से चुद्वा रही थी. कुछ देर बाद जब नोहीत अलग हुआ तो मैं उठकर सुम्मी के पास गयी. मेरी चुत लंड के पानी से चीप्चीपा गयी थी और नोहीत के लंड ने इतना ज़्यादा पानी उगला था की जान्घे तक भीगी थी. मैं ऐसे ही सुम्मी के पास गयी और उसको लीपस पर कीस करने लगी.

सुम्मी ने मेरी गर्दन दो अपने हाथो से पकड़ लीया और मेरे सीर को अपनी चुचीयो पर लाने लगी. मैं समझ गयी की वह अपनी चुचीयो को चुस्वाना चाहती है. मैं उसके एक माम्मे को मुँह मैं लेकर चूसने लगी. उसकी एक मोटी मोटी चूची को चूसते हवे मैं दूसरी को दबाने लगी. सुम्मी चुत्ड़ तेज़ी से उठाने गीराने लगी और रवी भी ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा. २०-२२ धक्को के बाद सुम्मी की गांड रूक गयी. उसकी चुत से पानी गीरने लगा था. रवी ने भी दो चार धक्के और लगाए और सुम्मी के ऊपर लेटकर लंबी लंबी साँसे लेने लगा. उसका लंड भी गरम लावा नीकल रहा था. रवी अपनी क्लास्स्मेट की चुत मैं अपने लंड का माल उन्देल रहा था.

वोः दोनो काफी देर तक सुस्त होकर एक दुसरे से चिपके रहे. फीर वोः अलग हुवे तो मैंने सुम्मी की और अपनी चुत साफ की फीर दोनो के ढीले लडों को भी साफ कीया. फीर हमलोग अलग होकर सोने चले गए. मुझे नीद नही आ रही थी. मेरी आंखों के सामने दोनो के लंड नाच रहे थे. नोहीत का देल्ही मैं अपना फ़्लैट था और व्हो उन्मर्रिएद् था. उसने रवी और मुझ को अपने फ़्लैट मैं रुकने को कहा तो मैं तैयार हो गयी. सुम्मी अपनी कजीन के घर चली गयी. नोहीत ने उसको भी अपनी details देदी. नोहीत के फ़्लैट पर उस ने मुझे फीर चोदा


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........raj.........

नौकरानी की छोरी


मेरा नाम राज  है और Main 34 साल का हूँ. सब मुझे राजू कह कर बुलाते हैं. घर पर मेरे अलावा मेरे भैया मोहन और भाभी सोनीया हैं. भईया ki शादी १ साल पहले ही हुयी है. भाभी एक दम गोरी और सलीम हैं. दीखने में वो बहुत ही Sexy लगती हैं. उनकी कमर भी बहुत ही पतली है. भैया की उमर २४ साल और भाभी ki उमर २० साल ki है. हमारे घर एक नौकरानी काम करने आती है. उसका नाम मधु है और उसकी उमर २४-२५ साल की है. उसका रंग कुछ सांवला है लेकीन उसकी face cutting बहुत ही अच्छी हूँ.

वो हमारे घर ५-६ साल सी काम करती हूँ. मधु की एक लड़की हूँ जीसका नाम नेहा हूँ. नेहा की उमर १६ साल की हूँ. दीखने में वो अपनी माँ सी बहुत ज्यादा खूबसूरत हई. वो जब छोती थी तब् से ही अपनी माँ के साथ कभी कभी हमारे घर आया करती हूँ. नेहा जब से जवान हुयी है टब सी ही मैं उसे चोदने का ख्वाब देखता रहता हूँ. एक दीन भैया और भाभी १० दीनो के लीये टूर पर चले गए. उस दीन जब मधु काम करने आई तो घर पर केवल मैं था।
मधु ने मुझसे पूछा की भैया और भाभी घर पर नहीं हैं क्या. मैंने कहा वो १० दीनो के लीये बाहर गए हैं. उसके बाद वो अपने काम में लग गयी. मैंने मधु से कहा मैं नहाने जा रह हूँ, तुम नाश्ता बना दो. वो नाश्ता बनने चली गयी और मैं नहाने चला गया. बचपन से मेरी आदत थी की मैं बहुत ज्यादा देर तक नहाता था और नहाते समय कभी भी बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं करता था. ये बात मेरे भैया और भाभी जानते थे लेकीन उन्होने कभी मुझे टोका नहीं.
मधु ये बात नहीं जानती थी. भाभी बहुत नटखट थी और कई बार नहाते समय अचानक बाथरूम में आ चुकी थी और्मुझे एक दम नंगा ही नहाते हुए देख चुकी थी. उन्होने कई बार मेरा लंड भी देखा था. वो कभी कभी मुझसे मजाक में कहती थी देवर जी, तुम्हारा लंड बहुत ही लम्बा और मोटा है. मेरा मन भी इसका स्वाद चखने का होता है. मैं केवल मुस्कुरा कर रह जाता था. वो जब मुझे ज्यादा छेड़ती तो मैं कह देता चलो बेडरूम में. तब् वो मुस्कुरा देती.
उस दीन जब मुझे नहाते हुए बहुत देर हो गयी तो मधु बाथरूम के पास आई और जैसे ही उसने दरवाज़े पर हाथ रखा तो दरवाज़ा खुल गया. मेरा लंड एक दम खड़ा था. उसने मुझे एक दम नंगा देखा तो हँसने लगी और जैसे ही उसकी निगाह मेरे ८" के लंबे और मोटे लंड पर पड़ी तो वो मेरा लंड देखती ही रह गयी. थोडी देर बाद मैंने उस से पूछा क्या हुआ. उसने मेरे लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा आज तक मैंने ऐसा औजार नहीं देखा. मैंने कहा तो अब देख लो. मैंने अपना लंड हाथ में पकड़ लीया और उसे दीखाने लगा।
थोडी देर तक वो मेरा लंड देखती रही तो मैंने पूछा तुम्हारे पती का औजार कीतना बड़ा है. वो बोली तुम्हारे औजार से बहुत छोटा और पतला. उसकी आंखें जोश से गुलाबी सी होने लगी थी. वो बोली मैं इसे अपने हाथ से पकड़ कर देख लूं. मैंने कहा देख लो. उसने मेरा लंड अपने हाथ में ले लीया और बहुत देर तक देखती रही. कुछ देर बाद उसने मेरा लंड सहलाना शुरू कर दीया तो मैंने कहा ये क्या कर रही हो मधु. अभी इसका सारा पानी नीकल जाएगा।
वो बोली तो क्या हुआ, अगर तुम चाहो तो इसका पानी मेरे मुह में नीकल दो. मैंने कहा इसका पानी तो चूत में नीकाला जाता है. उसने कहा तो चूत में ही नीकल दो ना, मैं तैयार हूँ. मैंने पूछा इसे अपनी चूत के अन्दर ले पाओगी, दर्द बहुत होगा. वो बोली मैं तो अब इसे पूरा का पूरा अन्दर ले कर रहूंगी, चाहे जो हो जाये. मैंने कहा ठीक है. वो बोली मैं इसे एक बार चूस लूं. मैंने कहा अगर इसका पानी नीकल गया तो. उसने कहा मैं एक बूँद भी बाहर नाहीगिरने दूँगी।
सारा का सारा पानी नीगल जाउंगी. मैंने कहा चूस लो. मधु ने मेरा लंड अपने मुह में ले लीया और चूसने लगी. उसे बहुत मज़ा आ रह था. वो बहुत तेजी के साथ और बडे प्यार से मेरा लंड चूसने लगी. थोडी देर बाद मेरे लंड का जूस उसके मुह में नीकलने लगा तो उसने सारा का सारा जूस नीगल लीया. सारा जूस नीगालने के बाद उसने मेरा लंड चाट चाट कर साफ कर दीया. मैंने कहा अब चलो नाश्ता लगा दो. वो नाश्ता लगाने चली गयी और मैं नहाने लगा. मैं नहा कर ड्राइंग रुम में आया और नाश्ता करने लगा. नाश्ता करने के बाद उसने मुझसे कहा अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा है. अब तुम मुझे चोद दो. खूब जोर जोर से चोदना. मैंने कहा ठीक है. पहले इसे चूस कर तैयार तो करो. उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दीया. थोडी ही देर में मेरा लंड खड़ा हो गया तो मैंने उसे ज़मीं पर लीटा दीया और उसकी टांगों के बीच आ गया. मैंने अपना लंड उसकी चूत के बीच रख दीया और उसकी टांगों को पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा. एक ही धक्के में मेरा लंड उसकी चूत में ५" तक घुस गया. शायद उसके पती का लंड ५" का रहा होगा. वो चिल्लाने लगी तो मैंने कहा चिल्लाओ मत वरना मैं तुम्हें नहीं चोदुन्गा. वो बोली बहुत दर्द हो रहा है. मैंने कहा तो इस दर्द को बर्दास्त करो. उसने कहा तुम मेरा मुह दबा कर अपना पूरा लंड अन्दर डाल दो तब् मेरे मुह से कोई आवाज़ नहीं निकलेगी. मैंने एक हाथ से उसका मुह दबा दीया और बहुत ही जोरदार ८-१० धक्के लगा दीये. उसके मुह से केवल गू गू की आवाज़ ही नीकल पाई और मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में समां गया. पूरा लंड घुसा देने के बाद मैंने उसके मुह से अपना हाथ हटा लीया और उसकी चुदाई शुरू कर दी।
थोडी देर तक वो दर्द से तड़पती रही लेकीन उसके बाद उसे मज़ा आने लगा. १० min की चुदाई के बाद ही मधु झड़ गयी तो मैंने और ज्यादा तेजी के साथ उसकी चुदाई शुरू कर दी.
वो भी पूरे जोश में आ चुकी थी और हर धक्के के साथ अपना चुताड उठाने लगी थी. उसके चुताड उठाने से मेरा पूरा पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत में घुस जाता था. 10 min और चुदवाने के बाड़ मधु फीर से झड़ गयी. अब वो और तेज और तेज कहने लगी तो मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी. उसकी चूत से पाच पाच की आवाज़ होने लगी. मैंने मधु से पूछा कभी तुमने गांड मर्वायाई है तो उसने कहा उसने कहा २-३ बार मरवाया है. मैंने पूछा गांड मर्वोगी तो वो बोली मुझे तुम्हारे लंड से चुदवाने में बहुत मज़ा आ रहा है, तुम मेरी गांड भी मार देना. १५ min और चोदने के बाद जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने बहुत जोर जोर के धक्के लगाने शुरू कर दीये. वो आह्ह्ह ओह्ह्ह्ह करते हुए खूब मेज़ से चुद्वा रही थी.
2 min और चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. मेरे साथ ही साथ वो भी फीर से झड़ गयी. थोडी देर बाद मैं उसके ऊपर से हट गया तो वो मेरा लंड चूसने लगी. १५-२० min तक वो मेरा लंड चुस्ती रही तो मेरा लंड फीर से खड़ा हो गया. मैंने मधु को दोग्ग्य स्टाइल में कर दीया और अपना लंड उसकी चूत में डाल कर उसकी चुदाई शुरू कर दी. इस बार ५ min तक ही चुदवाने के बाद वो झड़ गयी तो मेरा लंड एक दम गीला हो गया.
मैंने अपने लंड उसकी चूत से नीकल कर उसकी गांड के छेद पर रख दीया. मैंने एक जोरदार धक्का मारा तो उसके मुह से एक जोरदार चीख निकली और मेरा लंड उसकी गांड में ४" तक घुस गया. उसके बाद मैंने उसकी कमर को पकड़ कर ४-५ बहुत ही जोरदार धक्के लगाए तो मेरा लंड उसकी गांड में ७" तक घुस गया. वो बहुत जोर जोर से चिल्लाने लगी. मुझे उसके चिल्लाने से बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने उसकी कमर को पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दीये. ५ min में ही वो शांत हो गयी टू मैंने एक जोरदार धक्का और मारा. उसके मुह से एक जोर की चीख निकली और मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया. फीर मैंने तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दीये. लगभग २० min तक मधु की गांड मरने के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया. भैया और भाभी के आने तक मधु ने मुझसे खूब चुद्वाया और गांड भी मर्वायी. वो मुझ्सेचुद्वा कर बहुत ही खुश थी।
चुदवाने के बाद वो मेरे सारे बदन की मालीश भी करती थी. भैया और भाभी के आने के बाद भी जब भैया ऑफिस चले जाते और भाभी नहाने चली जाती तो वो मेरे रुम में आ कर चुद्वा लेती थी. एक दीन जब मैं मधु को चोद रहा था तो भाभी ने देख लीया. भाभी ने मुझसे कहा आखीर तुमने मधु को चोद ही दीया. मधु ने भाभी से कहा आप के देवर का लंड ही ऐसा है की मैं अपने आप को नहीं रोक पाई।
भाभी ने मुझसे कहा क्यों देवर जी मेरा number कब आएगा. मैंने मुस्कुराते हुए अभी आ जाओ. भाभी मुस्कुरा कर रह गयी. उसके बाद भैया जब ऑफिस चले जाते तो भाभी खुद ही मुझसे कह देती की अब तुम मधु को चोद लो. कभी कभी मधु को चोदते समय भाभी चुप चाप खड़ी हो कर देखने लगती. १ महीने बाद मधु को अपने पती के साथ १० दीनो के लीये गाँव जाना था. वो नेहा को साथ लेकर आई और उसने भाभी से कहा मैं गाँव जा रही हूँ, तब् तक नेहा आप के पास ही रहेगी. भाभी ने धीरे से मधु से कहा अगर राजू ने नेहा को चोद दीया तो. मधु बोली ऐसे लंड से चुद्वाना किस्मत वालो को नसीब में होता है. भाभी मुस्कुराने लगी. वो नेहा को भाभी के पास छोड़ कर चली गयी।
मधु के जाने के दुसरे ही दीन अचानक भैया और भाभी को १० दीनो के लीये बाहर जाना पद गया. भाभी जानती थी की उनके जाने के बाद नेहा मुझसे बच नहीं पायेगी. भाभी ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा नेहा अभी छोटी है. संभल कर चोदना. मैंने पूछा आप को कैसे मालूम की मैं नेहा को चोदने वाला हूँ. वो बोली मैं तुम्हारी नीगाहों की भाषा खूब समझती हूँ. क्या तुम मुझे चोदने का ख्वाब नहीं देखते.
मैंने अपना सीर झुका लीया तो वो बोली वक़्त आने दो मैं भी तुम्हारे लंड का स्वाद जरूर चाखुंगी. दुसरे दीन सुबह के ६ बजे ही भैया और भाभी बाहर चले गए. मैं उठा और बाथरूम में जा कर नहाने लगा. नेहा को चोदने का ख्याल मन में आते ही मेरा ८" का लंड खड़ा हो गया. मैंने नेहा को पुकारा. वो आई तो मैनेअल मन में आते ही मेरा ८" का लंड खड़ा हो गया. मैंने नेहा को पुकारा. वो आई तो मैंने बाथरूम का दरवाज़ा खोल दीया।
उसकी नीगाह जेइसे ही मेरे ऊपर पड़ी तो उसने अपना मुह फेर लीया और बोली क्या है. मैंने कहा क्या मैं इतना बदसूरत हूँ की तुमने अपना मुह फेर लीया. वो बोली नहीं ऐसी बात नहीं है. तुम एक दम नंगे हो इस लीये मुझे शरम आ रही है. मैंने कहा कैसी शरम. यहाँ मेरे और तुम्हारे अलावा कोई नहीं है. जाओ बेडरूम से मेरा तोवेल ले आओ. वो तोवेल लाकर आई तो उसने नज़रें झुकाए हुए ही मुझे तोवेल दे दीया. मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खीच लीया. वो बोली मेरा हाथ छोड़ दो नहीं तो मैं तुम्हारे भैया से कह दूँगी।
मैंने कहा क्या कहोगी यही ना की मैं तुम्हारे सामने एक दम नंगा था और अपना लंड दीखा रहा था. मैं भी भैया से कह दूंगा की तुम खुद ही मुझे अकेला पा कर मुझसे अपना लंड दीखाने को कह रही थी. वो मेरी ही बात पर विश्वास करेंगे तुम्हारी बात पर नहीं. वो कुछ नहीं बोली. मैंने कहा मैं तो केवल तुम्हें अपना लंड दीखा कर तुमसे ये पूछना चाहता हूँ की तुम्हें मेरा लंड कैसा लग रहा है. मैंने उसके सीर के बाल पकड़ कर उसका चेहरा अपने लंड की तरफ कर दीया और कहा थोडी देर तक मेरा लंड देखो और बताओ तुम्हें मेरा लंड कैसा लगा. वो डर के मरे मेरे लंड को देखने लगी।
धीरे धीरे उसकी आंखें गुलाबी सी होने लगी. मैं समझ गया की उसे भी जोश आने लगा है. मैं चुप चाप खड़ा रहा और वो मेरा लंड देखती रही. थोडी देर बाद वो बोली अब जाने दो, अभी मुझे नाश्ता बनाना है. मैंने कहा पहले तुम ये बताओ मेरा लंड कैसा लगा. वो बोली बहुत अच्छा है. मैंने उसके बाल छोड़ दीये और वो kitchen में चली गयी. थोडी देर मी मैं भी kitchen मी चला गया !! वो दार गयी !!
मैंने पीछे से जा के उसके Boobs पे हाथ रख दीया वो शर्म गयी उसके Boobs बहोत् मूते थे इस काम उमर मी भी काफी उभरे हुए थे मैं उसके Boobs पे हाथ फेरने लगा मैंने महसूस किया की उसके निप्प्ले खडे हो गए थे मैं उसके Boobs धीरे धीरे दबाने लागा मैंने उससे पूछा कैसा लाग रहा है वो कुछ ना बोली मैं उसके Boobs पकड़ के उसे बेडरूम मैं ले गया और पीछे से हे हाथ दाल के उसके Boobs दबाने लगा बहूत मजा आ रहा था वो अब गरम हो चुकी थी उसने आपने हाथ से मेरा लौन्द पकड़ लीया !! और भार निकाल लीया !!
फीर मैंने उसके ब्लौज़ के बटन खोल डाले क्या मास्ट लाग रही थी वो धीरे धीरे उसे पुरा नंगा कर दीया और अपने भी कपडे उतार दीये फीर मैं उसके Boobs को आपने मुह मी लेके चूसने लागा ! थोडी देर मी मैंने उसकी प्यारी चूत उंगली दाल दी वो करहा उठी !! मेरी उंगली गीली हो गयी !!!

फीर मैंने झट से अपना खडा लंड उसकी चूत मे दाल दीय और झटके मारने लग्गा वो पहले तो थोडा चिल्लई फीर वो भी मजा लेने लगी मैं १ घंटे thak उसे चोद्ता रहा वो आब ताक़ ३ बार झड़ चुकी थी थोडी देर मे मैं भी झड़ गया !! १० दीन थक मैंने उसे रोज चोदा हर पोसिस्शन मे !!

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Cousin's Gang Bang -1

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