एक गर्भवती महिला एक बैंक में जाती है, और एक खाली काउंटर पर खङी हो जाती है। उसी वक्त बैंक में डकैती होती है और तीन गोलियाँ उसके पेट में लगतीं हैं। उसे फौरन एक अस्पताल ले जाया जाता है जहाँ उसका इलाज किया जाता है, ठीक होने पर वह डॉक्टर से अपने बच्चे के बारे में पूछती है।

डॉक्टर उसे बताता है कि “आपको तीन बच्चे होने वाले हैं, तीनों ठीक हैं पर उनके पेट में बंदूक की गोली है। मगर चिन्ता की कोई बात नहीं है, गोली उनके सामान्य पाचन क्रिया के फलस्वरूप बाहर आ जाएँगी।”

समय बीतता है, उस औरत के तीन बच्चे होते हैं, दो लङकियाँ और एक लङका। बारह वर्षों के बाद एक दिन एक लङकी अपनी माँ के पास आती है और कहती है कि “मम्मी आज मैंने एक बहुत अद्भुत काम किया है!”

उसकी माँ पूछती है कि क्या हुआ, वह बताती है कि “मेरे पेशाब करते समय टॉयलेट मे एक गोली निकली।” औरत उसे दिलासा देती है और बैंक वाली घटना सुनाती है।

कुछ हफ्तों के बाद उसकी दूसरी बेटी उसके पास आँखों में आँसू लिए हुए आती है और कहती है “माँ मैंने एक बहुत बुरा काम किया है!” माँ कहती है “मुझे अंदाजा लगाने दो, तुम्हारे पेशाब करते समय गोली निकली है ना?”

बेटी ने उसे आँसू भरे आँखों से देखते हुए पूछा, “हाँ, तुम्हें कैसे पता चला?”

माँ अपनी बच्ची को सब समझाती है और बैंक वाली घटना के बारे में बताती है।

एक महीने के बाद उसका बेटा उसके पास आता है और कहता है, “माँ मुझसे एक बहुत ही बुरा काम हो गया है!”

“तुम्हारे पेशाब करते समय एक गोली निकली है ना?”

“नहीं, मैं मुट्ठ मार रहा था और कुत्ते को गोली लग गयी।”