Wednesday, April 23, 2008

दीया की दास्तान

दीया ने अपने चहरे पर आते हुए अपने बलों को हटाया और कंप्यूटर
में रिपोर्ट तैयार करने में जूट गयी. दीया को चार साल हो गए
थे वीकास & बीरम के साथ काम करते हुए. वीकास & बीरम देश की मानी हुई
लौ फर्म थी. दीया की ये नौकरी अपनी महनत और लगन से हासील हुई
थी. काम का बोझ इतना ज्यादा था की कभी कभी तो उसे १५ घंटे तक
कम करना पड़ता था.

वो पूरी महनत से काम कर रही थी और उसके
ल्कशय अपनी मेहनत से फर्म का partner बन्ने का था. उसकी गहरी
नीली आँखें कंप्यूटर सक्रीन पर गाडी हुई थी की उसकी सेक्रेटरी ने
उसे आवाज़ दी,

"दीया वीकास Sir अपने कैबीन में तुमसे मिलना चाहेंगे."

दीया ने मुड़कर सेक्रेटरी की तरफ देखा, "क्या तुम्हे पता है वो कीस
विषय में मिलना चाहते है?.

"नहीं मुझे सिर्फ इतना कहा की में तुम्हे ढूंद कर उनसे मिलने को
कह दूँ" सेक्रेटरी ने जवाब दीया.

"शुक्रीया , में अभी उनसे मील कर आती हूँ. मेरा जाने की बाद
मेरे कैबीन को बंद कर देना," इतना कहकर वो कमरे मे लगे शीशे की
सामने अपना makup ठीक करने लगी. Profession में होने की बावजूद
दीया अपने पहनावा का और दिखावे का पुरा ख़याल रखती थी. उसने
अपने पतले और सुंदर होंठों को खोल उसपर हलके गुलाबी रंग की
लिप्स्तीक लगायी. दीया ने फीर अपने सिल्क की टॉप को दुरुस्त कीया जो
उसकी भरी और गोल चूचियों को ढके हुए था. २८ साल की उम्र में
भी उसका बदन एक कालेज में पढ़ती लडकी की तरह था.

उसने अपनी हाई हील की संडल पहनी जो वो आफिस मे कभी नही पहन
की रखती थी. वो वीकास की कैबीन की और जाते हुए सोच रही
थी, "पता नही वीकास Sir मुझसे क्यों मिलना चाहते है, इसके पहले
ऐसा कभी नही हुआ है."

आफिस की हल से गुजारते हुए उसे पता था की सभी मर्द उसे ही घूर
रहे है. सबकी निगाहे उसके चुत्ड की गोलियां पे गाडी रहती थी. वो
हमेशा चाहती थी की उसकी लम्बाई ५"५ इंच से कुछ ज्यादा हो जाये.
इसी लिये वो हाई हील की संदले पहना करती थी.

दीया कैबीन की दरवाज़े पर दस्तक देते हुए कैबीन मे पहुंची. वीकास
ने उसे बैठने की लीये कहा.

"दीया Mr नीखील की केस में कुछ प्रॉब्लम क्रिएट हो गयी है." वीकास ने
कहा.

दीया वीकास की बात सुनकर चौंक पडी. Mr नीखील हज़ारों करोड़ रूपए की
एक मेडिया कंपनी की mallik थे. Mr नीखील की कंपनी वीकास की कंपनी
की बडे ग्राहकों में से थी बल्की उनकी सिफारिश से भी कंपनी को
काफी business मीलता था. दीया पिछले एक साल से Mr नीखील की कंपनी
की टीवी और रेडियो स्टेशन की लाइसेंस को govt से रेनेव की काम मे लगी
हुई थी.

"दीया मुझे अभी अभी खबर मीली है की govt शायद Mr नीखील की
रेनेवाल ऍप्लिकेशन को रद्द कर दे कारण उनकी ऍप्लिकेशन में बहोत
सी बातों का खुलासा करना रह गया है." वीकास ने घूरते हुए उसकी
तरफ देखा.
दीया घबरा गयी. उसने पुरे साल भर महनत करके सब applications
तैयार की थी. उसे याद नही आ रह था की उससे गलती कहां हुई है
पर वीकास की ग़ुस्से से भरे चहरे से पता चल रह था की गलती
कहीं ना कहीँ तो हो चुकी है.

वीकास ने उसे थोडा नम्र सवर में कहा, "देखो दीया मुझे पता है
की तुमने काफी महनत से ये applications तैयार की थी. मैं हमेशा
से तुम्हारी महनत और लगन का कायल रह हूँ. पर कभी कभी
गल्तियन घर चल कर आ जाती है.

दीया जानती थी की ये बात कहां जाकर ख़त्म होगी, "Sir अगर इस
गलती का दण्ड कीसी को मिलना है तो वो मुझे मिलना चाहिऐ, क्यों की
सही applicantions तैयार करने की जिम्मेदारी मेरी थी और में ही
अपना कम अच्छी तरह नही कर पायी."

दीया ने हिम्मत से ये कह तो दीया था, पर वो जानती थी की इससे उसका
भविष्य बर्बाद हो जाएगा. जो सपने उसने इस कंपनी की साथ रहते
हुए देखे तो वो सब चूर हो जायेंगे और शायद उसे कीसी दुसरी
कंपनी मैं भी नौकरी नही मिलेगी.

तभी वीकास ने उसपर दुसरी बीजली गिरायी.

"दीया जैसे तुम्हे पता है की ऍप्लिकेशन पर तुम्हारे और Mr नीखील की
दस्तखत है, Department वाले सोच रहे है की जानबूझ कर
ऍप्लिकेशन मे कुछ बातें चुपई गयी है. और इस वजह से तुम
दोनो को हिरासत मे भी लीया जा सकता है और मुकदमा भी चल सकता
है."

दीया ये सुन कर देहल गयी. उसकी आँखों मैं देह्शत की भव आ
गए. उसकी बदनामी, गिरफ्तारी मुकदमा सब सोच वो डर गयी. कोई बात
खुलासा करना रह गयी वो fraud कैसे हो सकता है, "Sir आप तो
जानते हैं की मैंने ये सब जन बुझ कर नही कीया, गलती ही से रह
गया होगा." वो रोने लगी, "Sir आप ही बताये मैं कया करूं?"

"मैं जनता हूँ की तुम एक मेहनती और इम्मान्दर औरत हो. पर पहले
हमे Mr बीरम की चीनता करनी चाहिऐ. अगर govt ने हमरी फर्म और Mr
नीखील को जिम्मेदार ठहरा दीया तो हम सब बर्बाद हो जायेंगे."

वीकास ने अपनी बात जरी रखी, "एक काम करो तुम अपने कैबीन मैं
जाकर शांती से बैठ जाओ, और इस बात का जीकार कीसी से भी नही
करना. ये बहोत ही नाजुक मामला है अगर एक शब्द भी लीक हो गया तो
हम बर्बाद हो जायेंगे."

दीया ने सहमती मैं अपनी गर्दन हीला दी.

"अपने कैबीन मे जाओ और मेरे फ़ोन का इंतज़ार करो. मैं Mr नीखील से
contact कर्ता हूँ उसे सारी बात समझाता हूँ फीर सोचते है की हमे
कया करना चाहिये." वीकास ने कहा.

दीया वापस अपने कैबीन मे पहुंची. उसका दिमाग काम नही कर रह था
की वो कया करे. उसे पता नही था की अगर वो गिरफतार हो गयी तो
उसका मंगेतर आगे उससे रिश्ता रखेगा की नही. वो अपनी कुर्सी पर
बैठ बहार देखने लगी. उसे महसूस हुआ की उसका शारीर डर की मरे
कांप रह था.

करीब एक घंटे की लंबे इंतज़ार की बाद वीकास का फ़ोन आया, "दीया
नीखील एक कोन्फेरेंस की सिलसिले मे होटल Ambassodar की सुइट नो १५०४ मे
है. उसने तुम्हे तुरंत ऍप्लिकेशन की कापी लेकर बुलाया है. तुम
तुरंत चली जाओ मैं थोड़ी देर मैं आता हूँ.

"ठीक है Sir मैं अभी चली जाती हूँ."

फ़ोन पर थोड़ी देर खामोशी छायी रही.

"दीया तुम्हे पता है ना की ये मीटींग हमारी फर्म की लीये कितनी
महत्वपूर्ण है. थोड़ी और खामोशी की बाद, "और तुम्हारे लीये भी."

दीया ने वीकास को बताया की उसे पता है.

कम्पती हुई दीया ने फ़ाइल उठाई और होटल Ambassodar की और चल दी
करीब डेढ़ घंटे की बहस की बाद भी दीया Mr नीखील को ये नही
समझा पायी की उससे गलती कैसे और कहां हुई. और ये बात नीखील को
झाल्लय जा रही थी आखीर वो ग़ुस्से मे बरस पड़ा.

"कया तुम मुझे ये बताना की कोशीस कर रही हो की तुम्हे ये नही पता
की क्या और कौनसी बातें ऍप्लिकेशन मे छूट गयी है. मैं ही
बेवकूफ था जो इतने महत्वपूर्ण काम पर वीकास और बीरम पर भरोसा
कीया. कया तुम कोई जवाब दे सकती हो?" नीखील ग़ुस्से मैं जोर से बोला.

दीया की आँखों मे आंसू आ गए. आज तक नीखील ने उसे बहोत इज्जत और
आचे व्यव्हार से treat कीया था. ४५ साल का नीखील एक कसरती बदन का
मर्द था. वो ग़ुस्से मैं अपने हाथ का मुक्का बाना दुसरी हथेली पे मर
रह था जैसे की एक ही वार मे दीया को मर गिरयेगा.

नीखील ने दीया की और देख अपने आप से कह रह था, "क्या बदन है
इसका. भरी भरी चुचीयां और इतनी पतली क़मर. पता नही बिस्तर
मे कैसी होगी." जब दीया पपेर्स से बहरी टेबल पर juhki तो नीखील को
उसकी लंबी टंगे और बडे बडे कुल्हों की झलक मीली. "थोड़ी देर मे
ही इसकी गांड ऐसी मरुंगा की ये याद रखेगी."

"दीया मैंने अपने criminal लाव्येर से बात कर ली है, उसका कहना है
की अगर मैंने तुमपे और तुम्हारी फर्म बे भरोसा करके sign कीए है
तो मुझ पर कोई इलज़ाम नही आता है. अब तुम फंस चुकी हो मैं नही.
मुझे टेंशन है की मेरा करोडों का नुकसान हो जाएगा." नीखील ने उसे
घूरते हुए कहा.

"मैं समझ सकती हूँ Sir." दीया अपनी गर्दन झुकाते हुए बोली.

"क्या समझती हो तुम, की तुम्हारी जैसी नासमझ वकील की वजह से
मैं अपना करोड़ों का नुकसान होने दूंगा. याद रखना तुम की अगर मेरा
एक पैसे का भी नुकसान हुआ तो मैं तुम्हारी पूरी लौ फर्म बंद करवा
दूंगा."

"Sir मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ." दीया गिदगीदते हुए
बोली, "Sir कुछ भी जो आप कहे."

नीखील थोड़ी देर तक कुछ सोचता रह, "ठीक है मैं अपने criminal
लाव्येर से बात कर्ता हूँ की वो तुम्हे कैसे बचा सकता है. जब तक
मैं बात कर्ता हूँ तुम एक कम करो अपने कपडे उत्तर कर नंगी हो जाओ
और मेरे लंड को चूसो. सिर्फ इसी तरह तुम मेरी मदद कर सकती हो."

दीया पठार की बुत बन कर खडी थी. नीखील फ़ोन पर अपने वकील से
बात कर रह था, "हाँ वो तो फंसेगी ही पर उसकी फर्म को भी काफी
नुकसान होगा, क्या कोई तरीका नही है की इन सबसे छुटकारा मील सके?"

"थोडा उसकी उम्र और उसके भविषय का ध्यान दो, बेचारी मर जायेगी.
उसकी फर्म की बारे मैं सोचता हूँ की मुझे क्या करना चाहिऐ. हाँ
वो इस समय मेरे पास ही खडी है."

"क्या तुम ये कहना चाहते हो की अब उसका और उसकी फर्म का भविष्य
मेरे हाथ मैं है तो ठीक है मैं सोचूँगा की इस लडकी को इस
समास्य से बचाना चाहिऐ की नही."

नीखील दीया को घूरे जा रह था, जैसे वो उसके आगे बढने का
इंतज़ार कर रह हो. नीखील होटल की कुर्सी पे अपने दोनो टांगो को
फैलाये बैठा था.

अपने आपको भविषय की सहारे छोड़ते हुए दीया ने अपनी ज़िंदगी की
राह मैं अपना पहला कदम बढ़ा दीया. उसने गहरी संस् लेते हुए अपने
हाथ अपने टॉप की उप्पेर की बटन पर रखे और बटन खोलने लगी.
थोड़ी ही देर मैं उसका टॉप खुल गया और उसने उसे अपने कंधों से
निकाल उसे उतर दीया. फीर उसने अपने skirt की हुक खोल उसे नीचे गीरा
दीया. अपनी हाई हील्स की संडल निकल उसने skirt को उतरा और सिर्फ
ब्रा और पैंटी मैं नीखील की सामने खडी थी.

दीया नीखील को देख रही थी की उसकी और से कोई प्रतिक्रिया हो पर वो
वैसे ही अपनी कुर्सी पर बैठा रह.

दीया सोच रही थी की आगे वो क्या करे इतने मैं नीखील ने फ़ोन की
माउथ पीस पर हाथ रख कर कह, "अब तुम किसका इंतज़ार कर रही
हो. जल्दी से अपनी पैंटी और ब्रा उतार की मेरे पास आओ."

दीया ने अपनी ब्रा की हुक खोल अपनी ब्रा उतार दी. उसकी गोल गोल
चुचीयां बहार निकाल पडी. फीर उसने अपनी पैंटी को नीचे कर उत्तर
दी. उसने देखा की नीखील उसकी छूत को घूर रह था. उसने अपने
मंगेतर की कहने पर कल ही अपनी छूत की बल बारीकी से तराशे
थे. उसे शरम आ रही थी की आज कोई मर्द उसकी चूत को इस तरह
घूर रह है.

नीखील अभी भी फ़ोन पर बात कर रह था. वो अपनी कुर्सी से उठा और
दीया को देख अपनी पैंट की ज़ीप की और इशारा कीया. दीया उसके पास
आ घुटनों कल् बैठ गयी. फीर उसने उसकी पैंट की बटन खोलें और
उसके सुस्ट पडे लंड को अपने हाथों मैं ले लीया.
फीर अपने होंठों को खोल अपनी जीभ से उसके लंड की सुपडे को
चाटने लगी.

दीया ने आज से पहले अपने मंगेतर की सिवी कीसी और की लंड को
नही चूसा था. अपने मंगेतर की भी सिर्फ़ एक बार जब वो काफी नशे
मैं हो गया था और उसे चूसने की जिद कित ही. पर आज उसके पास कोई
चारा नही था. उसने अपना पुरा मुँह खोल नीखील की लंड को मुँह मैं ले
लीया और चूसने लगी. उसकी जीब का स्पर्श पते ही लौडे मे जान आ
गयी और वो दीया की मुँह में पुरा तन गया.

नीखील ने अपनी पैंट नीचे खासका दी. दीया एक हाथ से उसके लंड को
पकड़े हुए थी और अपने मुँह को ऊपर नीचे कर रही थी जैसे कोई
लोलीपोप चूस रही हो. नीखील ने हाथ बढ़ा उसकी चुचीयों की निप्पले
को अपने अंगूठे और ऊँगली में ले भिनचने लगा. उसके छूते ही
निप्प्ले में जान आ गयी और वो खडी हो गए.

नीखील ने फ़ोन पर बात करना जरी रखा.
"दीया नाम है उसका. हाँ यार तुम जानते हो उसे वही जीस्ने लौ
exam मे state में टॉप कीया. हाँ अरे वो यहीं है इस वक्त
मेरे लंड को चूस रही है तुम्हे क्या लगता है में मजाक कर
रहा hu.थोड़ी देर मे में उसकी चूत चोदने वाला हूँ.

नीखील की बातें सुनकर दीया का चेहरा शर्म से लाल हो गया. फीर भी
वो जोरो से उसके लंड ko चूस रही थी. वो जानती थी की उसके पास बस
एक यही उपाय है अपने आप को इस मुसीबत से बचने का. उसने लंड
चूसना जरी रखा.

नीखील ने फ़ोन नीचे रखा और अपने दोनो हाथ दीया की Sir पर रख
अपने लंड को और उसके गले तक डाल दीया. उसकी बढती हुई सांसो की
देख दीया समझ गयी की उसका लंड अब पानी छोड़ने वाला है.

"हाआआआन् चूओसो ओह्ह्ह्ह्छ और जोर सीईईईए चूओसो" नीखील अपने
लंड को और अन्दर तक घुसेड बाद्बदा रह था.

दीया एक हाथ से उसके लंड की गोलीयों को सहला रही थी और दुसरे
हाथ से उसके लंड को पकड़े चूस रही थी. थोड़ी देर में नीखील का
लंड अकड़ना शुरू हो गया. नीखील ने अपने दोनो हाथों का दबाव दीया की
Sir पर रख अपने लौडे को और उसे गले तक डाल दीया और अपने वीर्य
की पिचकारी छोड दी.

दीया ना चाहते हुए उसके लंड से नीकला पुरा पानी गटक गयी. नीखील
अपने लंड को उसके मुँह मे तब तक अन्दर बहार कर्ता रह जब तक की
उकसा लंड थोडा ढीला नही पड़ गया. दीया उसके लंड को अपने मुँह से
निकलने को डर रही थी कही वो नाराज़ ना हो जाये पर नीखील ने अपना
लंड उसके मुँह से निकाल लीया. उसके लंड की निकलते ही उसके पानी की
धार दीया की चहरे से होती हुई उसकी छाती और टांगो पर चु पड़ी.

तभी फ़ोन की घंटी बजी और नीखील फ़ोन उठा बात करने लगा. बात
करते हुए उसने दीया को उसके कंधों से पकड़ खड़ा कर दीया. नीखील ने
उसे घुमा कर इस तरह खड़ा कर दीया की दीया की पीठ उसकी तरफ
थी.

फ़ोन पर बात करते हुए नीखील पिछे से अपने हाथ उसकी छाती पर रख
उसके ममे मसल रह था. दीया ने महसूस कीया की उसका लंड उसके
गांड की दरारों पर रगड़ खा रह है. नीखील उसके कान मे धीरे से
बोला, "जाओ जाकर बिस्तर पर लेट जाओ, अब में तुम्हे चोदुंगा."

जैसे ही दीया बिस्तर की और बढ़ी नीखील उसके बदन को घूरे जा रह
था. क्या पतली क़मर है और क्या गोल गोल चुत्ड. उसने ऐसे बदन
ज्ञ्म मे कई देखे थे. उसके भरे चुत्तडों को देख कर नीखील की मुँह
में पानी आ रह था, "आज में इसकी गांड मर के रहूंगा." वो सोच
रह था.

दीया जैसे ही बिस्तर पर लगे कोवेर्स को हटाकर उसमे घुसने लगी
नीखील बोला, "दीया तुम बेड की ऊपर नंगी ही लेटी रहो में तुम्हारे
नंगे बदन को देखना चाहता हूँ."

नीखील उसे घूरे जा रह था. वो जनता था की दीया आज हर वो कम
करेगी जो वो कहेगा. उसकी उभरी और भरी हुई चुचीयां फीर एक बार
उसके लंड मे जान फूंक रही थी.

पिछले आधे घंटे से नीखील दीया के ऊपर लेटा हुआ अपने भरी लंड को
उसकी चूत में अन्दर बहार कर रह था. दीया की दोनो टंगे नीखील की
क़मर से लिपटी हुई थी. नीखील अपने हाथों से उसके दोनो चुत्त्डों को
पकड़े हुए था और अपने लंड को आधा बहार निकलते हुए पूरी ताकत से
उसकी चूत मे पेल रह था.

दीया के दोनो हाथ नीखील की पीठ पेर थे. और नीखील जब पूरी ताकत से
धक्का लगता तो दीया को अपना शारीर पीसता हुआ महसूस होता. वो
दीवाल पर लगे शीशे में देख रही थी की नीखील का भरी शारीर
कैसे उसके नाजुक बदन को रौंद रह था.

मन में डर और इस बेइज्जती के बावजूद अब उसके शारीर और टांगो ने
विरोध करना छोड दीया था. चुदाई इतनी देर चल रही थी की अब उसे
भी अनंद आ रह था. वो भी अपने कुल्हे उछाल उसका साथ दे रही
थी. उसे ऐसा लग रह था की नीखील का लंड नही बल्की उसके मंगेतर
का लंड उसे चोद रह है. जब भी नीखील का लंड उसकी चूत की ज़द पर
ठोकर मरता तो उसके मुँह से सिस्कारी निकाल रही थी, "ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ
आआआह्"

आखीर में नीखील का शारीर अकाद्ने लगा और उसने दीया को जोर से बाँहों
में भींचते हुए अपने लंड पुरा अन्दर डाल अपना पानी चोद दीया.
दीया ने भी सिस्कारियां भरते हुए उसके साथ ही पानी चोद दीया.

नीखील थोड़ी देर उसके बदन पर लेटा अपनी सांसो को काबू मे कर्ता रह
फीर पलट कर बिस्तर पर लेट गया. जैसे ही नीखील उसके शारीर से हटा
दीया बिस्तर से लड़खड़ाते हुए उठी और अपने कपडे ले बाथरूम मे
घुस गयी.

दीया अपने कपडे पहन बाथरूम से बहार आयी तो देखा की नीखील अभी
भी बिस्तर पर नंगा लेटा है और वो टीवी का remote पकड़े चैनल
बदल रह है.

"देखो इसे?" नीखील ने कहा.

दीया की नज़रें जैसे ही टीवी सक्रीन पर पड़ी उसने देखा की वो उसकी
और नीखील की चुदाई की फिल्म थी. नीखील ने उसके साथ चुदाई को पुरा विडेओ
टेप बाना लीया था.

"दीया" उसने कहा "आज से मे वीकास & बीरम कंपनी को अपने इशारों पर
नचा सकता हूँ. और साथ ही आज से तुम्हे हर वो कम करना है जो
में चाहूँगा."

दीया ये टेप देख घबरा गयी थी और अपनी कीस्मत को कोस रही थी
की वो कहां तो एक सफल वकील बन्ने आये थी और अब हालत उसे एक
वेश्या बाना रहे थे.

"तुम अपना टेलीफोन नो, घर का पता और मोबाइल नो लीख कर दे दो
और जब में तुम्हे बूलौं तुम्हे आना पड़ेगा." नीखील ने उसे घूरते हुए
कहा.

दीया समझ गयी थी की उसके पास कोई चारा नही था, इसलिए उसने
जल्दी से सब लीखा और लगभग बह्ग्टे हुए कमरे से बहार चली गयी.

नीखील के होंठों पर एक सफल मुस्कान थी.

दुसरे दीन दीया अपने आफिस पहुंच कर Mr. वीकास से मीली, "Sir
हालातों को देखते हुए Mr.नीखील के साथ कल् की मीटींग अच्छी गयी.
मुझे लगता है की समास्या का कोई ना कोई हल निकाल ही आएगा."

जो कुछ भी उसके और नीखील के बीच हुआ था वो उसने नही बताया और ना
ही टेप के बारे में. ये भी नही बताया की नीखील का फ़ोन सुबह आया
था और उसने कहा की आज से जब भी वो उससे मीले तो ब्रा और पैंटी ना
पहने.
"मेरी Mr.नीखील के साथ थोड़ी देर मीएं मीटींग होने वाली है. दीया तुम
यही ऑफिस में रहना हो सकता है Mr नीखील को तुम्हारी ज़रूरत
पडे." वीकास ने उससे कहा.

दीया दरी और सहमी हुई अपने कैबीन मे पहुंची. उसे नीखील के रुतबे के
बारे में मालुम था और वो जानती थी की अगर उसने उसकी बात नही मानी
तो वो कुछ भी कर सकता था.

अपने कैबीन मे दखील होने से पहले वो साथ मे लगे बाथरूम मे गयी
और अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी. उसने दीवार पर लगे शीशे मे अपने
आप को देखा तो शर्म गयी. उसके सिल्क के टॉप मे से उसकी ममे साफ
झलक रहे थे. उसके निप्पले साफ टॉप मे से बहार को निकलते दिखायी
पड़ रहे थे.

दीया ने जल्दी से अपनी ब्रा और पैंटी अपने हाथों में लीये दौड़ती
हुई अपने कैबीन मे वापस आ गयी. कैबीन में आने के बाद उसने अपना
buissness कोट पहन लीया जिससे उसके टॉप मे से चालाकती चुचीयों को
धंपा जा सके.

दीया अपनी कुर्सी पर बैठ कम करने की कोशिश कर रही थी पर
उसका सारा ध्यान Mr. नीखील और Mr. वीकास के बीच चल रही मीटींग पर
था. थोड़ी देर बाद Mr वीकास का फ़ोन आया, "दीया Mr नीखील तुमसे अभी
तुम्हारे कैबीन मे मिलना चाहेंगे."

"ठीक है Sir उन्हें भेज दीजिए में इंतज़ार कर रही हूँ." दीया ने
जवाब दीया.

दीया अपनी कुर्सी पे चिंटित बैठी थी. हज़ारों ख़याल उसके दिमाग़
में घूम रहे थे. फीर भी वो पूरी कोशीश कर रही थी की वो
चहरे से चिनतित ना दिखे. थोड़ी देर में उसके कैबीन के दरवाज़े पर
दस्तक हुई और उसकी सेक्रेटरी ने Mr नीखील के साथ अन्दर आयी. नीखील के
पीछे एक और vyakti कैबीन में दखील हुआ जीसे देख कर एक बार के
लीये दीया के थोड़ी रहत मीली.

नीखील ने उस vyakti को दरवाज़ा बंद करने के लीये कहा और दीया से
उसका परिचय कराया. "दीया ये Mr. अमीत मेरे दोस्त है जो Liscence
रेनेवाल Department मे काम करते है. इन्होने ही हमारी ऍप्लिकेशन
की गलतीयों को पकडा है. दीया ने एक मुस्कान के साथ उससे हाथ
मिलया.

Mr अमीत दिखने मे ही एक सरकारी मुलाजिम लग रह था. पुरानी स्टाइल
के कपडे, बलों मे मन भर तेल और नाक पर मोटे कांच का चश्मा.
पर अपनी position की वजह से थोडा कठोर स्वाभाव का लग रह था.
दीया ने देखा की उसकी पैंट जो उसके पेट के नीचे लटक रही थी
शायद तब kahridi गयी थी जब उसकी साइज़ ३४ थी जो की आज लगभग
४० थी.

नीखील ने धीरे दीया से कहा, "दीया हम जीस विषय पर बात करने वाला
है उसमे थोडा समय लग सकता है."

दीया ने अपने सेक्रेटरी को फ़ोन लगाया, "मेरे आने वाले हर फ़ोन
को रोक देना, में Mr नीखील और Mr अमीत के साथ एक जरुरी मीटींग मे
हु."

"दीया Mr अमीत चाहते है की हम तीनो मीलकर इस समास्या का हल
निकाल ले. पर कीसी को मालुम नही होना चाहिऐ की हमने साथ में
मुलाक़ात की है. और मैंने इन्हें ये भी बता दीया है की सरे
ऍप्लिकेशन तुमने ही तैयार की है." नीखील ने मीटींग शुरू करते हुए
कहा.

करीब एक घंटे की बहस के बाद दीया को पता चला की अगर लाइसेंस
रेनेव नही हुए तो नीखील की कंपनी को कीतना घटा हो सकता है. Mr
अमीत अगर नै ऍप्लिकेशन बदल भी देते है पुरानी वाली से तो इन्हें
अपने और साथी को मीलाना होगा. जैसे जासी समय गुज़र राह था नीखील
के चहरे पर झालाहत के भव आते जा रहे थे.

"अमीत दीया को हमारी परास्थिती के बारे में अछि तरह मालुम है.
उसे ये भी मालुम है की गलती उससे हुई है. वो अच्छी तरह जानती है
की में इसकी कंपनी को बर्बाद कर सकता हूँ पर इन सब चीजों से
मेरा जो घटा होगा वो तो पुरा नही होगा ना." नीखील का ग़ुस्सा साफ
दिखायी दे रह था.

"दीया इस कंपनी के बोर्ड पर है और हमारी हर तरह से सहायता
करने को तैयार है. है ना दीया." मैंने हाँ में अपनी गर्दन हीला
दी.

नीखील ने अपना अगला कदम बढाया. वो खड़ा होकर दीया की डेस्क के पास
चहल कदमी करने लगा, "अमीत हमे इस काम को अंजाम देना है. तुम्हे
अछि तरह पता है की कैसे अंजाम दीया जता है."

फीर उसने दीया की तरफ देखा, "दीया जरा खडी हो जाओ."

दीया कम्पती टांगो पर उसकी बात मानते हुए खडी हो गयी.

नीखील चलता हुए दीया के पीछे आ गया और अमीत उसे घूरे जा रह
था. उस cororepati ने दीया का कोट उत्तरा दीया और उसके टॉप में से
झलकती चुचीयां साफ दिखायी देने लगी.

"अमीत मैंने इस गुदिया से कहा था की आज वो ब्रा नही पहने." दीया
के निप्पले अचानक ही तन गए थे. नीखील ने पीछे से उसके टॉप की ज़ीप
खोल दी और दीया पठार की मूरत बनी सहमी सी खडी थी. दीया की
निगाहें अमीत के चहरे पर टिकी थी जो हेरात से उसकी और घूर रह
था.

नीखील ने दीया के टॉप को उसकी दोनो बाँहों से अलग करते हुए उतार दीया.
अब वो क़मर से ऊपर तक पूरी तरह नंगी खडी थी. पता नही डर के
मरे या ठंड के मरे उसके निप्पले पूरी तरह से खडे थे.

नीखील ने पीछे से उसकी चुचीयों को मसलते हुए कहा, "अमीत तुम्हे नही
लगता की हम इस मामले को सुलझा लेंगे."

" Haan ॥ हाँ हम सुलझा लेंगे Mr नीखील आप चीनता ना करे." अमीत एक
भूके शिकरी की तरह दीया के बदन को घूरते हुए कहा.

"दीया तुम्हे नही लगता की हम इस दलदल से बहार आ जायेंगे." नीखील
ने उसके skirt के हूक को खोलते हुए कहा.

"हाँ Mr नीखील हम जरुर आ जायेंगे." दीया ने उसकी हरकतों का बीना
कोई विरोध करते हुए कहा.

दीया ने अमीत की और देखा जो कामुक निगाहों से उसके बदन को घूरे
जा रह था. थोड़ी देर मिएँ उसने उसका हाथ अपने चुत्ड पर रेंगते
हुए महसूस कीया. उसके एक चुत्ड पर नीखील हाथ फीर रह था और
दुसरे पर अमीत.

इतने मे नीखील ने अपनी एक ऊँगली दीया की चूत मे घुसा अन्दर बहार
करने लगा. दीया की निगाहें अपने कैबीन के दरवाज़े पर लगी हुई थी
और वो भगवन से प्रर्थना कर रही थी की उसके कैबीन मे कोई ना
आये. वो मेज़ का सहारा ले घोड़ी बन गयी थी.

दीया ने अपने पीछे कपड़ों की सुर्सुराहत सुनी. नीखील ने थोड़ी देर के
लीये अपने हाथ उसके चुत्ड से हटा अपनी बेल्ट को खोला और अपनी पैंट
के बटन खोल उसे नीचे सरका दीया. उसने अपने खडे लंड को दीया
की चूत के छेद पर टीका दीया.

"नही please नही." वो धीरे से बोली.

"अमीत हम ये मामला सुलझा कर रहेंगे. में जनता हूँ की जो लोग मेरे
लीये कम करते है वो हर हल में मेरा कहा मानेंगे." कहकर नीखील ने
अपने हाथों से उसके चुत्ड को थोडा फैलाया और अपने लंड को उसकी
चूत मे घुसा दीया. दीया के मुँह से एक चीख निकाल पड़ी.

नीखील ने अपना लंड थोडा बहार निकला और जोर के धक्के के साथ पुरा
लंड उसकी चूत मे डाल दीया. चीख की जगह एक सिस्कारी निकाल पड़ी
दीया के मुँह से.

"साली कुतिया अपनी टंगे फैला." नीखील ग़ुस्से में बोला, "जब तक तुम
अपनी टंगे नही फैलोगी में तुम्हारी चूत की जड़ तक कैसे अपना
लंड पेलुन्गा."

नीखील का आधा लंड उसकी चूत मे घुसा हुआ था, बड़ी मुश्किल से दीया
ने अपनी टंगे फैलायी. जैसे ही उसकी टंगे फैली नीखील ने उसे कंधों
से पकडा और जोर के धक्के लगाने लगा. उसके हर धक्के के साथ उसकी
चुचीयां उछाल रहीं थी.

नीखील ने उसकी एक चूची मसलते हुए जोर का धक्का मर अपना पानी उसकी
चूत मे छोड दीया. जब उसके लंड से एक एक बूंद नीकल चुकी थी तो
वो अपने लंड को बहार निकाल उसके चुत्ड पर रगड़ने लगा.

दीया ने थोड़ी रहत की संस् ली. नीखील वक़्त से पहले ही झाड़ गया था.
वो सीधी हो अपने कपडे पहने का विचार बाना ही रही थी की,

"तुम ये क्या कर रही हो?" नीखील ने पुछा.

"कपडे पहन रही हूँ और क्या." दीया ने जवाब दीया.

"ये अमीत के साथ नासिंसफी होगी दीया dear." नीखील ने जैसे ही ये
कहा दीया ने अमीत की तरफ देखा तो दंग राह गयी. अमीत अपने कपडे
उतार अपने लंड को सहला रह था और उसके नंगे बदन को देखे जा
रह था.

"तुम जहाँ हो वहीँ रुको?" नीखील ने जैसे उसे अग्या दी.

दीया के पास और कोई चारा नही था उसकी बात मानने के सिवा. वो उसी
अवस्था मे नंगी खडी रही, टेबल का सहारा लीये अपने गांड हवा
में उठाये हुए. नीखील के लंड से चूता पानी अभी उसकी जांघों पर बह
रह था. उसने टेबल से एक तिस्सुए पेपर लीया और पानी को पौंचने
लगी.

अमीत बीना कोई समय गंवय उसके पीछे आया और उसके चुत्ड चूमने
लगा. "मेरी जान अपनी टांगो को थोडा फैलाओ जिससे में अपना लंड
तुम्हारी चूत मे डाल सकूं." उसने अपन लंड दीया की चूत के मुहाने
पर रखा और एक ही धक्के मे अपना लंड उसकी चूत मे पेल दीया.

दीया ने महसूस कीया की उसका लंड नीखील के लंड जितना मोटा और लम्बा
नही था. दीया जानती थी उसका लंड उसे कोई नुकसान नही पहुँचा
सकता और ये भी जानती थी किया अगर उसे इस जील्लात से छुटकारा पाना
है तो वो मर्द के पानी को चुडा दे.

यही सोच कर दीया ने अपनी टांगो को थोडा सिकोडा और अपनी चूत मे
उसके लंड को जकड लीया. अब वो उसके हर धक्के का साथ अपने कुल्हों
को पीछे की और धकेल साथ दे रही थी.

अमीत ने अपने हाथ बढ़ा उसके ममे पकड़ लीये और उन्हें मसलते हुए
कास के धक्के मरने लगा.

दीया को अपने आप पर विश्वास नही हो रह था. वो हमेशा से ही एक
साधारण और संस्कृती को मानने वाली लडकी रही थी. और आज वो दीन
के समय अपने ही ऑफिस मे दो लंड से अपने आप को चुद्वा रही थी.
ऐसा नही था की इतनी भयंकर चुदाई उसे मज़ा नही दे रही थी पर
इस समय उसका ध्यान अमीत का पानी चुदाने पर ज्यादा था.

अमीत जोर की हुनकर भरते हुए दीया को चोदे जा रह था. दो तीन
कास के धक्के मरने के बाद उसके लंड ने दीया की चूत मे पानी छोड
दीया. जैसे ही उसने अपना मुर्जहया लंड बहार निकला उसके वीर्य की
बूंदे ऑफिस के कार्पेट पर इधर उधर गीर पड़ी.

Diya बड़ी मुश्कील से अपनी उखड़ी सांसो पर काबू प रही थी.
उत्तेजना मे उसका चेहरा लाल हो चूका था. बड़ी मुश्किल से उसने अपने
आप को संभाला और अपने कपडे पहने. उसने अपने कपडे पहने ही थे
की दरवाज़े पर दस्तक हुई, "क्या में अन्दर आ सकती हूँ?" दीया की
सेक्रेटरी ने पुछा.

बड़ी मुश्किल से दीया ने कहा, "हाँ आ जाओ."

दीया की सेक्रेटरी कैबीन मे आयी और दीया से पुछा की क्या वो खाने
का आर्डर देना चाहेंगी. दीया ने उसे मना कर दीया की मीटींग ख़त्म
हो चुकी है और खाने की ज़रूरत नही पडेगी. मगर वो जानती थी की
हवा मे फैली चुदाई की खुशबु और उसके मसले हुए बाल उसकी
सेक्रेटरी को सब कहानी कह देंगे.

दीया ने अपने आपको इतना अपमानित और गीरा हुआ कभी महसूस नही कीया
था. कीस तरह उसकी तकदीर उसके साथ खेल रही थी. एक इन्सान उसके
जज्बात और शारीर के साथ खेल रह था और वो मज़बूरी वश उसका
साथ दे रही थी. अब उसका एक ही मकसद था की किसिस तरह नीखील की हर
बात मानते हुए वो उससे वो टेप हासील कर ले जो उसने होटल के रूम मे
रेकॉर्ड कर ली थी. दीया की दास्तान


----The End------

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