Sunday, April 13, 2008

कमला की चुदाई

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कमला की चुदाई
मर बहुत दिनों से अपनी छोटी बहन कमला को भोगने की ताक में था. अमर एक जवान हट्टा कट्टा युवक था और अपनी पत्नी रेखा और बहन कमला के साथ रहता था. कमला पढ़ाई के लिये शहर आई हुई थी और अपने भैया और भाभी के साथ ही रहती थी.

वह एक कमसिन सुंदर किशोरी थी. जवानी में कदम रखती वह बाला दिखने में साधारण सुंदर तो थी ही पर लड़कपन ने उसके सौम्दर्य को निखार दिया था. उसके उरोज उभरना शुरू हो गये थे और उसके टाप या कुर्ते में से उनका उभार साफ़ दिखता था. उसकी स्कूल की ड्रेस की स्कर्ट के नीचे दिखतीं गोरी गोरी चिकनी टांगें अमर को दीवाना बना देती थी. कमला थी भी बड़ी शोख और चंचल. उसकी हर अदा पर अमर मर मिटता था.

अमर जानता था कि अपनी ही छोटी कुंवारी बहन को भोगने की इच्छा करना ठीक नहीं है पर विवश था. कमला के मादक लड़कपन ने उसे दीवाना बना दिया था. वह उसकी कच्ची जवानी का रस लेने को कब से बेताब था पर ठीक मौका न मिलने से परेशान था. उसे लगने लगा था कि वह अपने आप पर ज्यादा दिन काबू नही रख पायेगा. चाहे जोर जबरदस्ती करनी पड़े, पर कमला को चोदने का वह निश्चय कर चुका था.

एक बात और थी. अह अपनी बीवी रेखा से छुपा कर यह काम करना चाहता था क्योंकि वह रेखा का पूरा दीवाना था और उससे दबता था. रेखा जैसी हरामी और चुदैल युवती उसने कभी नहीं देखी थी. बेडरूम में अपने रम्डियों जैसे अम्दाज से शादी के तीन माह के अन्दर ही उसने अपने पति को अपनी चूत और गांड का दीवाना बना लिया था. अमर को डर था कि रेखा को यह बात पता चल गयी तो न जाने वह गुस्से में क्या कर बैठे.

असल में उसका यह डर व्यर्थ था क्योंकि रेखा अपने पति की मनोकामना खूब अच्छे से पहचानती थी. कमला को घूरते हुए अमर के चेहरे पर झलकती प्रखर वासना उसने कब की पहचान ली थी. सच तो यह था कि वह खुद इतनी कामुक थी कि अमर हर रात चोद कर भी उसकी वासना ठीक से तृप्त नहीं कर पाता था. दोपहर को वह बेचैन हो जाती थी और हस्तमैथुन से अपनी आग शांत करती थी. उसने अपने स्कूल के दिनों में अपनी कुछ खास सह्लियों के साथ सम्बम्ध बना लिये थे और उसे इन लेस्बियन रतिक्रीड़ाओं में बड़ा मजा आता था. अपनी मां की उमर की स्कूल पिम्चिपल के साथ तो उसके बहुत गहरे काम सम्बम्ध हो गये थे.

शादी के बाद वह और किसी पुरुष से सम्बम्ध नहीं रखना चाहती थी क्योंकि अमर की जवानी और मजबूत लंड उसके पुरुष सुख के लिये पर्याप्त था. वह भूखी थी तो स्त्री समबम्ध की. वैसे तो उसे अपनी सास याने अमर की मां भी बहुत अच्छी लगी थी. वह उसके स्कूल प्रिम्चिपल जैसी ही दिखती थी. पर सास के साथ कुछ करने की इच्छा उसके मन में ही दबी रह गई. मौका भी नहीं मिला क्योंकि अमर शहर में रहता था और मां गाम्व मेम.

अब उसकी इच्छा यही थी कि कोई उसके जैसी चुदैल नारी, छोटी या बड़ी, समलिग सम्भोग के लिये मिल जाये तो मजा आ जाये. पिछले दो माह में वह कमला की कच्ची जवानी की ओर बहुत आकर्षित होने लगी थी. कमला उसे अपने बचपन की प्यारी सहेली अम्जू की याद दिलाती थी. अब रेखा मौका ढूंढ रही थी कि कैसे कमला को अपने चम्गुल में फ़म्साया जाये. अमर के दिल का हाल पहचानने पर उसका यह काम थोड़ा आसान हो गया.

एक दिन उसने जब अमर को स्कूल के ड्रेस को ठीक करती कमला को वासना भरी नजरों से घूरते देखा तो कमला के स्कूल जाने के बाद अमर को तना मारते हुए बोल पड़ी "क्योम्जी, मुझसे मन भर गया क्या जो अब इस कच्ची कली को घूरते रहते हो. और वह भी अपनी सगी छोटी कमसिन बहन को?" अमर के चेहरे पर हवाइय्मा उड़ने लगीं कि वह आखिर पकड़ा गया. कुछ न बोल पाया. उसे एक दो कड़वे ताने और मारकर फ़िर रेखा से न रहा गया और अपने पति का चुम्बन लेते हुए वह खिलखिलाकर हम्स पड़ी. जब उसने अमर से कहा कि वह भी इस गुड़िया की दीवानी है तो अमर खुशी से उछल पड़ा.

रेखा ने अमर से कहा कि दोपहर को अपनी वासना शांत करने में उसे बड़ी तकलीफ़ होती है. "तुम तो काम पर चले जाते हो और इधर मैम मुठ्ठ मार मार कर परेशान हो जाती हूं. इस बुर की आग शांत ही नहीं होती. तुम ही बताओ मैम क्या करूम." और उसने अपने बचपन की सारी लेस्बियन कथा अमर को बता दी.

अमर उसे चूंअते हुए बोला. "पर रानी, दो बार हर रात तुझे चोदता हूं, तेरी गांड भी मारता हूं, बुर चूसता हूं, और मैम क्या करूम." रेखा उसे दिलासा देते हुए बोली. "तुम तो लाखों में एक जवान हो मेरे राजा. इतना मस्त लंड तो भाग्य से मिलता है. पर मैम ही ज्यादा गरम हूं, हर समय रति करना चाहती हूं. लगता है किसी से चुसवाऊं. तुम रात को खूब चूसते हो और मुझे बहुत मजा आता है. पर किसी स्त्री से चुसवाने की बात ही और है. और मुझे भी किसी की प्यारी रसीली बुर चाटने का मन होता है. कमला पर मेरी नजर बहुत दिनों से है. क्या रसीली छोकरी है, दोपहर को मेरी यह नन्ही ननद मेरी बाहों में आ जाये तो मेरे भाग खुल जायें."

रेखा ने अमर से कहा को वह कमला पर चढ़ने में अमर की सहायता करेगी पर इसी शर्त पर कि फ़िर दोपहर को वह कमला के साथ जो चाहे करेगी और अमर कुछ नहीं कहेगा. रोज वह खुद दिन में कमला को जैसे चाहे भोगेगी और रात में दोनो पति - पत्नी मिलकर उस बच्ची के कमसिन शरीर का मन चाहा आनम्द लेंगे.

अमर तुरम्त मान गया. रेखा और कमला के आपस में सम्भोग की कल्पना से ही उसका खड़ा होने लगा. दोनों सोचने लगे कि कैसे कमला को चोदा जाये. अमर ने कहा कि धीरे धीरे प्यार से उसे फ़ुसलाया जाय. रेखा ने कहा कि उसमें यह खतरा है कि अगर नहीं मानी तो अपनी मां से सारा भाम्डा फ़ोड़ देगी. एक बार कमला चुद जाने के बाद फ़िर कुछ नहीं कर पायेगी. चाहे यह जबरदस्ती करना पड़े

रेखा ने उसे कहा कि कल वह कमला को स्कूल नहीं जाने देगी. आफिस जाने के पहले वह कमला को किसी बहाने से अमर के कमरे में भेज देगी और खुद दो घम्टे को काम का बहाना करके घर के बाहर चली जायेगी. कमला बेदरूम में चुदाई के चित्रों की किताब देख कर उसे जरूर पढ़ेगी. अमर उसे पकड़ कर उसे डाम्टने के बहाने से उसे दबोच लेगा और फिर दे घचाघच चोद मारेगा. मन भर उस सुंदर लड़की को ठोकने के बाद वह आफिस निकल जायेगा और फ़िर रेखा आ कर रोती बिलखती कमला को संहालने के बहाने खुद उसे दोपहर भर भोग लेगी.

रात को तो मानों चुदाई का स्वर्ग उमड़ पड़ेगा. उसके बाद तो दिन रात उस किशोरी की चुदाई होती रहेगी. सिर्फ़ सुबह स्कूल जाने के समय उसे आराम दिया जायेगा. बाकी समय दिन भर कामक्रीड़ा होगी. उसने यह भी कहा कि शुरू में भले कमला रोये धोये, जल्द ही उसे भी अपने सुंदर भैया भाभी के साथ मजा आने लगेगा और फ़िर वह खुद हर समय चुदवाने को तैयार रहेगी. अमर को भी यह प्लान पसमद आया. रात बड़ी मुश्किल से निकली क्योंकि रेखा ने उसे उस रात चोदने नहीं दिया, उसके लंड का जोर तेज करने को जान बूझ कर उसे प्यासा रखा. कमला को देख देख कर अमर यही सोच रहा था कि कल जब यह बच्ची बाहों में होगी तब वह क्या करेगा.

सुबह अमर ने नहाधोकर आफिस में फोन करके बताया कि वह लेट आयेगा. उधर रेखा ने कमला को नीम्द से ही नहीं उठाया और उसके स्कूल का टाइम मिस होने जाने पर उसे कहा कि आज गोल मार दे. कमला खुशी खुशी मान गयी. अमर ने एक अश्लील किताब अपने बेडरूम में तकिये के नीचे रख दी. फ़िर बाहर जा कर पेपर पढ़ने लगा. रेखा ने कमला से कहा कि अम्दर जाकर बेडरूम जरा जमा दे क्योंकि वह खुद बाहर जा रही है और दोपहर तक वापस आयेगी.

जब कमला अन्दर चली गई तो रेखा ने अमर से कहा. "डार्लिम्ग, जाओ, मजा करो. रोये चिलाये तो परवाह नहीं करना, मैम दरवाजा लगा दूम्गी. पर अपनी बहन को अभी सिर्फ़ चोदना. गांड मत मारना. उसकी गांड बड़ी कोमल और सकरी होगी. इसलिये लंड गांड में घुसते समय वह बहुत रोएगी और चीखेगी. मैम भी उसकी गांड चुदने का मजा लेने के लिये और उसे संहालने के लिये वहां रहना चाहती हूम. इसलिये उसकी गांड हम दोनों मिलकर रात को मारेम्गे."

अमर को आम्ख मार कर वह दरवाजा बन्द करके चली गयी. पाम्च मिनिट बाद अमर ने चुपचाप जा कर देखा तो प्लान के अनुसार कमला को तकिये के नीचे वह किताब मिलने पर उसे पढ़ने का लोभ वह नहीं सहन कर पाई थी और बिस्तर पर बैठ कर किताब देख रही थी. उन नग्न सम्भोग चित्रों को देख देख कर वह किशोरी अपनी गोरी गोरी टांगें आपस में रगड़ रही थी. उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था.

मौका देख कर अमर बेडरूम में घुस गौर बोला. "देखूम, मेरी प्यारी बहना क्या पढ़ रही है?" कमला सकपका गयी और किताब छुपाने लगी. अमर ने छीन कर देखा तो फोटो में एक औरत को तीन तीन जवान पुरुष चूत, गांड और मुंह में चोदते दिखे. अमर ने कमला को एक तमाचा रसीद किया और चिल्लाया "तो तू आज कल ऐसी किताबें पढ़ती है बेशर्म लड़की. तू भी ऐसे ही मरवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई यह किताब देखने की? देख आज तेरा क्या हाल करता हूम."

कमला रोने लगी और बोली कि उसने पहली बार किताब देखी है और वह भी इसलिये कि उसे वह तकिये के नीचे पड़ी मिली थी. अमर एक न माना और जाकर दरवाजा बन्द कर के कमला की ओर बढ़ा. उसकी आम्खों में कामवासना की झलक देख कर कमला घबरा कर कमरे में रोती हुई इधर उधर भागने लगी पर अमर ने उसे एक मिनट में धर दबोचा और उसके कपड़े उतारना चालू कर दिये. पहले स्कर्ट खीम्च कर उतार दी और फिर ब्लाउज. फाड़ कर निकाल दिया. अब लड़की के चिकने गोरे शरीर पर सिर्फ़ एक छोटी सफ़ेद ब्रा और एक पैन्टी बची. वह अभी अभी दो माह पहले ही ब्रेसियर पहनने लगी थी.

उसके अर्धनग्न कोमल कमसिन शरीर को देखकर अमर का लंड अब बुरी तरह तन्ना कर खड़ा हो गया था. उसने अपने कपड़े भी उतार दिये और नंगा हो गया. उसके मस्त मोटे ताजे कस कर खड़े लंड को देख कर कमला के चेहरे पर दो भाव उमड़ पड़े. एक घबराहट का और एक वासना का. वह भी सहेलियों के साथ ऐसी किताबें अक्सर देखती थी. उनमें दिखते मस्त लम्डों को याद करके रात को हस्तमैथुन भी करती थी. कुछ दिनों से बार बार उसके दिमाग में आता था कि उसके हैम्डसम भैया का कैसा होगा. आज सच में उस मस्ताने लौड़े को देखकर उसे दर के साथ एक अजीब सिहरन भी हुई.

"चल मेरी नटखट बहना, नंगी हो जा, अपनी सजा भुगतने को आ जा" कहते हुए अमर ने जबरदस्ती उसके अम्तर्वस्त्र भी उतार दिये. कमला छूटने को हाथ पैर मारती रह गई पर अमर की शक्ति के सामने उसकी एक न चली. वह अब पूरी नंगी थी. उसका गोरा गेहुमा चिकना कमसिन शरीर अपनी पूरी सुम्दरता के साथ अमर के सामने था. कमला को बाहों में भर कर अमरने अपनी ओर खीम्चा और अपने दोनो हाथों में कमला के मुलायम जरा जरा से स्तन पकड़ कर सहलाने लगा. चाहता तो नहीं था पर उससे न रहा गया और उन्हें जोर से दबाने लगा. वह दर्द से कराह उठी और रोते हुए बोली "भैया, दर्द होता है, इतनी बेरहमी से मत मसलो मेरी चूचियों को".

अमर तो वासना से पागल था. कमला का रोना उसे और उत्तेजित करने लगा. उसने अपना मुंह खोल कर कमला के कोमल रसीले होंठ अपने होंठों में दबा लिये और उन्हें चूसते हुए अपनी बहन के मीठे मुख रस का पान करने लगा. साथ ही वह उसे धकेलता हुआ पलंग तक ले गया और उसे पटक कर उसपर चढ़ बैठा. झुक कर उसने कमला के गोरे स्तन के काले चूचुक को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. उसके दोनों हाथ लगातार अपनी बहन के बदन पर घूंअ रहे थे. उसका हर अम्ग उसने खूब टटोला.

मन भर कर मुलायम मीठी चूचियां पीने के बाद वह बोला. "बोल कमला रानी, पहले चुदवाएगी, या सीधे गांड मरवाएगी?" आठ इम्च का तन्नाया हुआ मोटी ककड़ी जैसा लम्ड उछलता हुआ देख कर कमला घबरा गयी और बिलखते हुए उससे याचना करने लगी. "भैया, यह लंड मेरी नाजुक चूत फ़ाड़ डालेगा, मैम मर जाऊम्गी, मत चोदो मुझे प्ली ऽ ज़ . मैम आपकी मुठ्ठ मार देती हूं"

------अमर को अपनी नाज़ुक किशोरी बहन पर आखिर तरस आ गया. इतना अब पक्का था कि कमला छूट कर भागने की कोशिश अब नहीं कर रही थी और शायद चुदने को मन ही मन तैयार थी भले ही घबरा रही थी. उसे प्यार से चूमता हुआ अमर बोला. "इतनी मस्त कच्ची कली को तो मैम नहीं छोड़ने वाला. और वह भी मेरी प्यारी नन्ही बहन! चोदूम्गा भी और गांड भी मारूम्गा. पर चल, पहले तेरी प्यारी रसीली चूत को चूस लूम मन भर कर, कब से इस रस को पीने को मैम मरा जा

कमला की गोरी गोरी चिकनी जाम्घें अपने हाथों से अमर ने फ़ैला दीं और झुक कर अपना मुंह बच्ची की लाल लाल कोमल गुलाब की कली सी चूत पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ से वह उस मस्त बुर की लकीर को चाटने लगा.

कमला की गोरी बचकानी चूत पर बस जरा से रेशम जैसे कोमल बाल थे. बाकी वह एकदम साफ़ थी. उसकी बुर को उंगलियों से फ़ैला कर बीच की लाल लाल म्यान को अमर चाटने लगा. चाटने के साथ अमर उसकी चिकनी माम्सल बुर का चुंबन लेता जाता. धीरे धीरे कमला का सिसकना बम्द हो गया. उसकी बुर पसीजने लगी और एक अत्यम्त सुख भरी मादक लहर उसके जवान तन में दौड़ गयी. उसने अपने भाई का सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार छोड़कर वह चहक उठी. "चूसो भैया, मेरी चूत और जोर से चूसो. जीभ डाल दो मेरी बुर के अन्दर."

अमर ने देखा कि उसकी छोटी बहन की जवान बुर से मादक सुगन्ध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है जैसे कि अमृत का झरना हो. उस शहद को वह प्यार से चाटने लगा. उसकी जीभ जब कमला के कड़े लाल मणि जैसे क्लिटोरिस पर से गुजरती तो कमला मस्ती से हुमक कर अपनी जाम्घें अपने भाई के सिर के दोनों ओर जकड़ कर धक्के मारने लगती. कुछ ही देर में कमला एक मीठी चीख के साथ झड़ गई. उसकी बुर से शहद की मानों नदी बह उठी जिसे अमर बड़ी बेताबी से चाटने लगा. उसे कमला की बुर का पानी इतना अच्छा लगा कि अपनी छोटी बहन को झड़ाने के बाद भी वह उसकी चूत चाटता रहा और जल्दी ही कमला फ़िर से मस्त हो गयी.

कामवासना से सिसकते हुए वह फ़िर अपने बड़े भाई के मुंह को चोदने लगी. उसे इतना मजा आ रहा था जैसा कभी हस्तमैथुन में भी नहीं आया था. अमर अपनी जीभ उसकी गीली प्यारी चूत में डालकर चोदने लगा और कुछ ही मिनटों में कमला दूसरी बार झड़ गयी. अमर उस अंऋत को भूखे की तरह चाटता रहा. पूरा झड़ने के बाड एक तृप्ति की साम्स लेकर वह कमसिन बच्ची सिमटकर अमर से अलग हो गयी क्योंकि अब मस्ती उतरने के बाद उसे अपनी झड़ी हुई बुर पर अमर की जीभ का स्पर्श सहन नहीं हो रहा था.

अमर अब कमला को चोदने के लिये बेताब था. वह उठा और रसोईसे मक्खन का डिब्बा ले आया. थोड़ा सा मक्खन उसने अपने सुपाड़े पर लगया और कमला को सीधा करते हुए बोला. "चल छोटी, चुदाने का समय आ गया." कमला घबरा कर उठ बैठी. उसे लगा था कि अब शायद भैया छोड़ देम्गे पर अमर को अपने बुरी तरह सूजे हुए लंड पर मख्खन लगाते देख उसका दिल डर से धड़कने लगा. वह पलंग से उतर कर भागने की कोशिश कर रही थी तभी अमर ने उसे दबोच कर पलंग पर पटक दिया और उस पर चढ़ बैठा. उसने उस गिड़गिड़ाती रोती किशोरी की एक न सुनी और उस की टांगें फ.ऐला कर उन के बीच बैठ गया. थोड़ा मक्खन कमला की कोमल चूत में भी चुपड़ा. फिर अपना टमाटर जैसा सुपाड़ा उसने अपनी बहन की कोरी चूत पर रखा और अपने लंड को एक हाथ से थाम लिया.

अमर को पता था कि चूत में इतना मोटा लंड जाने पर कमला दर्द से जोर से चिल्लाएगी. इसलिये उसने अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बम्द कर दिया. वासना से थरथराते हुए फिर वह अपना लंड अपनी बहन की चूत में पेलने लगा. सकरी कुम्वारी चूत धीरे धीरे खुलने लगी और कमला ने अपने दबे मुंह में से दर्द से रोना शुरु कर दिया. कमसिन छोकरी को चोदने में इतना आनन्द आ रहा था कि अमर से रहा ना गया और उसने कस कर एक धक्का लगाया. सुपाड़ा कोमल चूत में फच्च से घुस गया और कमला छटपटाने लगी.

अमर अपनी बहन की कपकपाती बुर का मजा लेते हुए उसकी आम्सू भरी आम्खों में झाम्कता उसके मुंह को दबोचा हुआ कुछ देर वैसे ही बैठा रहा. कमला के बम्द मुंह से निकलती यातना की दबी चीख सुनकर भी उसे बहुत मजा आ रहा था. उसे लग रहा था कि जैसे वह एक शेर है जो हिरन के बच्चे का शिकार कर रहा है.

कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलनए लगा तो एक धक्का उसने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया और कमला दर्द के मारे ऐसे उछली जैसे किसी ने लात मारी हो. चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गयी. अमर ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाज.उक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुम्वारी बुर में उतारकर एक गहरी साम्स लेकर वह अपनी बहन के ऊपर लेट गया. कमला के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचुक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.

अमर एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था क्योंकि उसकी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने उसके लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था जैसे कि किसीने अपने हाथों में उसे भीम्च कर पकड़ा हो. कमला के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ अमर धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से कमला होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आम्खें खोलीं और सिसक सिसक कर रोने लगी. "अमर भैया, मैम मर जाऊम्गी, उई माम, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फटी जा रही है, मुझपर दया करो, आपके पैर पड़ती हूम."

अमर ने झुक कर देखा तो उसका मोटा ताजा लंड कमला की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिम्चा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. अमर ने चैन की साम्स ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. वह मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही उसने कमला के गालों पर बहते आम्सू अपने होंठों से समेटन शुरू कर दिया. कमला के चीखने की परवाह न करके वह जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. "हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरी कमला, सालों पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे तड़पा तड़पा कर चोदता हूं."

टाइट बुर में लंड चलने से 'फच फच फच' ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब कमला और जोर से रोने लगी तो अमर ने कमला के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया तो कमला को लगा कि शायद वह झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इम्तजार करने लगी. पर अमर अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर वह रुक गया जब तक उसका उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया.

सम्हलने के बाद उसने कमला से कहा "मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूम्गा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुम्वारी चूत में तो माम-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूम्गा." और फ़िर चोदने के काम में लग गया.

दस मिनिट बाद कमला की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. अमर जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.

जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गयी. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गयी. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर 'पकाक पकाक पकाक' निकलने लगी.

रोना बन्द कर के कमला ने अपनी बाम्हें अमर के गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर अमर के शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह अमर को बेतहाशा चूंअने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. "चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. ःआय, बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैम इसी लायक हूम."

अमर हम्द पड़ा. "है आखिर मेरी ही बहन, मेरे जैसी चोदू. पर यह तो बता कमला, तेरी चूत में से खून नहीं निकला, लगता है बहुत मुठ्ठ मारती है, सच बोल, क्या डालती है? मोमबत्ती या ककड़ी?" कमला ने शरमाते हुए बताया कि गाजर से मुठ्ठ मारनी की उसे आदत है. इसलिये शायद बुर की झिल्ली कब की फ़ट चुकी थी.

भाई बहन अब हचक हचक कर एक दूसरे को चोदने लगे. अमर तो अपनी नन्ही नाजुक किशोरी बहन पर ऐसा चढ़ गया जैसे कि किसी चुदैल रन्डी पर चढ़ कर चोदा जाता है. कमला को मजा तो आ रहा था पर अमर के लंड के बार अम्दर बाहर होने से उसकी चूत में भयानक दर्द भी हो रहा था. अपने आनन्द के लिये वह किसी तरह दर्द सहन करती रही और मजा लेती हुई चुदती भी रही पर अमर के हर वार से उसकी सिसकी निकल आती.

काफ़ी देर यह सम्भोग चला. अमर पूरे ताव में था और मजे ले लेकर लंड को झड़ने से बचाता हुआ उस नन्ही जवानी को भोग रहा था. कमला कई बार झड़ी और आखिर लस्त हो कर निढाल पलंग पर पड़ गई. चुदासी उतरने पर अब वह फ़िर रोने लगी. जल्द ही दर्द से सिसक सिसक कर उसका बुरा हाल हो गया क्योंकि अमर का मोटा लंड अभी भी बुरी तरह से उसकी बुर को चौड़ा कर रहा था.

अमर तो अब पूरे जोश से कमलापर चढ़ कर उसे भोग रहा था जैसे वह इम्सान नहीम, कोई खिलौना हो. उसके कोमल गुप्ताम्ग को इतनी जोर की चुदाई सहन नहीं हुई और सात आठ जोरदार झटकों के बाद वह एक हल्की चीख के साथ कमला फिर बेहोश हो गयी. अमर उस पर चढ़ा रहा और उसे हचक हचक कर चोदता रहा. चुदाई और लम्बी खीम्चने की उसने भरसक कोशिश की पर आखिर उससे रहा नहीं गया और वह जोर से हुमकता हुआ झड़ गया.

गरम गरम गाढ़े वीर्य का फ़ुहारा जब कमला की बुर में छूटा तो वह होश में आयी और अपने भैया को झड़ता देख कर उसने रोना बम्द करके राहत की एक साम्स ली. उसे लगा कि अब अमर उसे छोड़ देगा पर अमर उसे बाहों में लेकर पड़ा रहा. कमला रोनी आवज में उससे बोली. "भैया, अब तो छोड़ दीजिये, मेरा पूरा शरीर दुख रहा है आप से चुद कर." अमर हम्सकर बेदर्दी से उसे डराता हुआ बोला. "अभी क्या हुआ है कमला रानी. अभी तो तेरी गांड भी मारनी है."

कमला के होश हवास यह सुनकर उड़ गये और घबरा कर वह फिर रोने लगी. अमर हम्सने लगा और उसे चूमते हुए बोला. "रो मत, चल तेरी गांड अभी नहीं मारता पर एक बार और चोदूम्गा जरूर और फिर आफिस जाऊम्गा." उसने अब प्यार से अपनी बहन के चेहरे , गाल और आम्खों को चूमना शुरू कर दिया. उसने कमला से उसकी जीभ बाहर निकालने को कहा और उसे मुंहे में लेकर कमला के मुख रस का पान करता हुआ कैन्डी की तरह उस कोमल लाल लाल जीभ को चूसने लगा.

थोड़ी ही देर में उसका लंड फ़िर खड़ा हो गया और उसने कमला की दूसरी बार चुदाई शुरू कर दी. चिपचिपे वीर्य से कमला की बुर अब एकदम चिकनी हो गयी थी इसलिये अब उसे ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुई. 'पुचुक पुचुक पुचुक' की आवाज के साथ यह चुदाई करीब आधा घन्टा चली. कमला बहुत देर तक चुपचाप यह चुदाई सहन करती रही पर आखिर चुद चुद कर बिल्कुल लस्त होकर वह दर्द से सिसकने लगी. आखिर अमर ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये और पाम्च मिनट में झड़ गया.

झड़ने के बाद कुछ देर तो अमर मजा लेता हुआ अपनी कमसिन बहन के निस्तेज शरीर पर पड़ा रहा. फिर उठ कर उसने अपना लंड बाहर निकला. वह 'पुक्क' की आवाज से बाहर निकला. लंड पर वीर्य और बुर के रस का मिला जुला मिश्रण लगा था. कमला बेहोश पड़ी थी. अमर उसे पलंग पर छोड़ कर बाहर आया और दरवाजा लगा लिया. रेखा वापस आ गयी थी और बाहर बड़ी अधीरता से उसका इम्तजार कर रही थी. पति की तृप्त आम्खें देखकर वह समझ गयी कि चुदाई मस्त हुई है. "चोद आये मेरी गुड़िया जैसी प्यारी ननद को ?"

अमर तॄप्त होकर उसे चूमता हुआ बोला. "हां मेरी जान, चोद चोद कर बेहोश कर दिया साली को, बहुत रो रही थी, दर्द का नाटक खूभ किया पर मैम्ने नहीं सुना. क्या मजा आया उस नन्ही चूत को चोदकर." रेखा वासना के जोश में घुटने के बल अमर के सामने बैठ गयी और उसका रस भरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. लंड पर कमला की बुर का पानी और अमर के वीर्य का मिलाजुला मिश्रण लगा था. पूरा साफ़ करके ही वह उठी.

अमर कपड़े पहन कर आ~म्फ़िस जाने को तैयार हुआ. उसने अपनी कामुक बीवी से पुछा कि अब वह क्या करेगी? रेखा बोली "इस बच्ची की रसीली बुर पहले चूसूम्गी जिसमें तुंहारा यह मस्त रस भरा हुआ है. फिर उससे अपनी चूत चुसवाऊम्गी. हम लड़कियों के पास मजा करने के लिये बहुत से प्यारे प्यारे अम्ग हैम. आज ही सब सिखा दूम्गी उसे"

अमर ने पूछा. "आज रात का क्या प्रोग्राम है रानी?" रेखा उसे कसकर चूमते हुए बोली. " जल्दी आना, आज एक ही प्रोग्राम है. तुंहारी बहन की रात भर गांड मारने का. खूब सता सता कर, रुला रुला कर गांड मारेम्गे साली की, जितना वह रोयेगी उतना मजा आयेगा. मै कब से इस घड़ी की प्रतीक्षा कर रही हूं"

अमर मुस्कराके बोला "बड़ी दुष्ट हो. लड़की को तड़पा तड़पा कर भोगना चाहती हो." रेखा बोली. "तो क्या हुआ, शिकार करने का मजा अलग ही है. बाद में उतना ही प्यार करूम्गी अपनी लाड़ली ननद को. ऐसा यौन सुख दूम्गी कि वह मेरी दासी हो जायेगी. हफ़्ते भर में चुद चुद कर फ़ुकला हो जायेगी तुंहारी बहन, फ़िर दर्द भी नहीं होगा और खुद ही चुदैल हमसे चोदने की माम्ग करेगी. पर आज तो उसकी कुम्वारी गांड मारने का मजा ले लेम." अमर हम्स कर चला गया और रेखा ने बड़ी बेताबी से कमरे में घुस कर दरवाजा लगा लिया.

contd.....
कमला होश में आ गयी थी और पलंग पर लेट कर दर्द से सिसक रही थी. चुदासी की प्यास खत्म होने पर अब उसकी चुदी और भोगी हुई बुर में खूब दर्द हो रहा था. रेखा उसके पास बैठ कर उसके नंगे बदन को प्यार से सहलाने लगी. "क्या हुआ मेरी कमला रानी को? नंगी क्यों पड़ी है और यह तेरी टांगों के बीच से चिपचिपा क्या बह रहा है?" बेचारी कमला शर्म से रो दी. "भाभी, भैया ने आज मुझे चोद डाला."

रेखा आश्चर्य का नाटक करते हुए बोली. "चोद डाला, अपनी ही नन्हीं बहन को? कैसे?" कमला सिसकती हुई बोली. "मैम गम्दी किताब देखती हुई पकड़ी गई तो मुझे सजा देने के लिये भैया ने मेरे कपड़े जबर्दस्ती निकाल दिये, मेरी चूत चूसी और फ़िर खूब चोदा. मेरी बुर फाड़ कर रख दी. गांड भी मारना चाहते थे पर मैम्ने जब खूब मिन्नत की तो छोड़ दिया" रेखा ने पलंग पर चड़ कर उसे पहले प्यार से चूमा और बोली. "ऐसा? देखूं जरा" कमला ने अपनी नाजुक टांगें फैला दी. रेखा झुक कर चूत को पास से देखने लगी.

कच्ची कमसिन ब्री तरह चुदी हुई लाल लाल कुम्वारी बुर देख कर उसके मुह में पानी भर आया और उसकी खुद की चूत मचल कर गीली होने लगी. वह बोली "कमला, डर मत, चूत फ़टी नहीं है, बस थोड़ी खुल गई है. दर्द हो रहा होगा, अगन भी हो रही होगी. फ़ूम्क मार कर अभी ठम्डी कर देती हूं तेरी चूत." बिल्कुल पास में मुंह ले जा कर वह फ़ूम्कने लगी. कमला को थोड़ी राहत मिली तो उसका रोना बन्द हो गया.

फ़ूम्कते फ़ूम्कते रेखा ने झुक कर उस प्यारी चूत को चूम लिया. फ़िर जीभ से उसे दो तीन बार चाटा, खासकर लाल लाल अनार जैसे दाने पर जीभ फ़ेरी. कमला चहक उठी. "भाभी, क्या कर रही हो?" "रहा नहीं गया रानी, इतनी प्यारी जवान बुर देखकर, ऐसे माल को कौन नहीं चूमना और चूसना चाहेगा? क्योम, तुझे अच्छा नहीं लगा?" रेखा ने उस की चिकनी छरहरी रानों को सहलाते हुए कहा.

"बहुत अच्छा लगा भाभी, और करो ना." कमला ने मचल कर कहा. रेखा चूत चूसने के लिये झुकती हुई बोली. "असल में तुंहारे भैया का कोई कुसूर नहीं है. तुम हो ही इतनी प्यारी कि औरत होकर मुझे भी तुम पर चढ़ जाने का मन होता है तो तेरे भैया तो आखिर मस्त जवान हैम." अब तक कमला काफ़ी गरम हो चुकी थी और अपने चूतड़ उचका उचका कर अपनी बुर रेखा के मुंह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी.

कमला की अधीरता देखकर रेखा बिना किसी हिचकिचाहट से उस कोमल बुर पर टूट पड़ी और उसे बेतहाशा चाटने लगी. चाटते चाटते वह उस मादक स्वाद से इतनी उत्तेजित हो गयी कि अपने दोनो हाथों से कमला की चुदी चूत के सूजे पपोटे फ़ैला कर उस गुलाबी छेद में जीभ अन्दर डालकर आगे पीछे करने लगी. अपनी भाभी की लम्बी गीली मुलायम जीभ से चुदना कमला को इतना भाया कि वह तुरन्त एक किलकारी मारकर झड़ गयी.

बात यह थी कि कमला को भी अपनी सुंदर भाभी बहुत अच्छी लगती थी. अपनी एक दो सहेलियों से उसने स्त्री स्त्री सम्बम्धों के बारे में सुन रखा था. उसकी एक सहेली तो अपनी मौसी के साथ काफ़ी करम करती थी. कमला भी ये किसी सुन सुन कर अपने भाभी के प्रति आकर्षित होकर कब से यह चाहती थी कि भाभी उसे बाहों में लेकर प्यार करे.

अब जब कल्पनानुसार उसकी प्यारी भाभी अपने मोहक लाल ओठों से सीधे उसकी चूत चूस रही थी तो कमला जैसे स्वर्ग में पहुम्च गयी. उसकी चूत का रस रेखा की जीभ पर चूने लगा और रेखा मस्ती से उसे निगलने लगी. बुर के रस और अमर के वीर्य का मिलाजुला स्वाद रेखा को अमृत जैसा लगा और वह उसे स्वाद ले लेकर पीने लगी.

अब रेखा भी बहुत कामातुर हो चुकी थी और अपनी जाम्घें रगड़ रगड़ कर स्खलित होने की कोशिश कर रही थी. कमला ने हाथोम्म में रेखा भाभी के सिर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबा लिया और उसके घने लम्बे केशों में प्यार से अपनी उंगलियां चलाते हुए कहा. "भाभी, तुम भी नंगी हो जाओ ना, मुझे भी तुंहारी चूचियां और चूत देखनी है." रेखा उठ कर खड़ी हो गयी और अपने कपड़े उतारने लगी. उसकी किशोरी ननद अपनी ही बुर को रगड़ते हुए बड़ी बड़ी आम्खों से अपनी भाभी की ओर देखने लगी. उसकी खूबसूरत भाभी उसके सामने नंगी होने जा रही थी.

रेखा ने साड़ी उतार फ़ेकी और नाड़ा खोल कर पेटीकोट भी उतार दिया. ब्लाउज के बटन खोल कर हाथ ऊपर कर के जब उसने ब्लाउज उतारा तो उसकी स्ट्रैप्लेस ब्रा में कसे हुए उभरे स्तन देखकर कमला की चूत में एक बिजली सी दौड़ गयी. भाभी कई बार उसके सामने कपड़े बदलती थी पर इतने पास से उसके मचलते हुए मम्मों की गोलाई उसने पहली बार देखी थी. और यह मादक ब्रेसियर भी उसने पहले कभी नहीं देखी थी.

अब रेखा के गदराये बदन पर सिर्फ़ सफ़ेद जाम्घिया और वह टाइट सफ़ेद ब्रा बची थी. "भाभी यह कम्चुकी जैसी ब्रा तू कहां से लाई? तू तो साक्षात अप्सरा दिखती है इसमेम." रेखा ने मुस्करा कर कहा "एक फ़ैशन मेगेज़ीन में देखकर बनवाई है, तेरे भैया यह देखकर इतने मस्त हो जाते हैम कि रात भर मुझे चोद लेते हैम."

"भाभी रुको, इन्हें मैम निकालूम्गी." कहकर कमला रेखा के पीछे आकर खड़ी हो गयी और उसकी माम्सल पीठ प्यार से चूमने लगी. फिर उसने ब्रा के हुक खोल दिये और ब्रा उछल कर उन मोटे मोटे स्तनों से अलग होकर गिर पड़ी. उन मस्त पपीते जैसे उरोजों को देख्कर कमला अधीर होकर उन्हें चूमने लगी. "भाभी, कितनी मस्त चूचियां हैम तुंहारी. तभी भैया तुंहारी तरफ़ ऐसे भूखों की तरह देखते हैम." रेखा के चूचुक भी मस्त होकर मोटे मोटे काले कड़क जामुन जैसे खड़े हो गये थे. उसने कमला के मुंह मे एक निपल दे दिया और उस उत्तेजित किशोरी को भीम्च कर सीने से लगा लिया. कमला आम्खें बन्द कर के बच्चे की तरह चूची चूसने लगी.

रेखा के मुंह से वासना की सिसकारियां निकलने लगीं और वह अपनी ननद को बाहों में भर कर पलंग पर लेट गयी.

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