Sunday, April 6, 2008

फिर तेरी कहानी याद आयी

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फिर तेरी कहानी याद आयी


तो ये उस वक्त कीं का बात है जब मैन अपना(+2)एग्जाम पास करके b a मे दखिला हो चुक्का था।हम एक किराये के घर मे रह्ते थे जो मेरे मौसा का था। हमारा खुद का मकान तबतक तैयार नही हुआ था। हमलोग(मैं,पापा,मा) dusare फ़लोर मे रहेते थे ओर मौसा 4थ फ़लोर मै।मौसा के साथ हमारा करीब का रीसता था।मेरे मौसा की बेटी रुपा मुझसे 2 साल छोटी थी ओर उसके साथ मेरा तालमेल अछा था।वोह मेरी बहेन भी थी ओर दोसत भी थी।मै उसे मेरे दील की हर बात बताता था ओर वो मेरी हर बात धयान के साथ सुनती थीपीनाकी रुपा की करीब की सहेली थी रुपा के साथ एकही क्लास मैपरती थीपीनाकी बहुत खुबसुरत थी ये तो मै नहीँ कहुन्गा लेकिन उस मे ऐसी कुछ बात थी जो मेरे दिल को छू जाता था।sachool से लौट ने के 1- 2 घनता(hour)बाद पिनाकी रोज़ रुपा से मिलने हमारे aparatamenat मे आती थीकयूँ कि रुपा के साथ मेरा risataa बहुत अछा था इस लिये कभी कभी मै,रुपा और पीनाकी एक्क साथ मिलके गप्पे(गोस्सिप) मारते थे,कभी कभी मै उन दोनो के साथ सिनेमा भी देखने जाता था।

इतना सब कुछ होने के बाद भी मै पीनाकी के साथ खुलके बात नही कर पाता था।धीरे धीरे मुझे महेसूस होने लगा था कि मै उसे प्यार करने लगा हूमेरे दिल की बात पीनाकी को बताने के पहेले मै रुपा से पूछ लेना ज़रूरी समझा इस्स लिये एकदीन मै दिल की बात रुपा को बतायी।रुपा पहेले सुन के हस परी ओर मुझे बोली येहबहुत अच्छी बात है।उस से मुझे पता चला कि पीनाकी भी मेरे बारे मे रुपा से पुछताछ करती है।रुपा ने मुझे खुद जाकर प्यार का इजहार करने की सलाह दी
उस ने मुझे बताया कि ये काम वह भी कर सकती है लकिन अगर मै खुद जाकर पीनाकी को बताउन्गा तो उसका इमपरेसन ज्यादा अच्छा होगा।

रुपा की सलाह के मुताबिक मै एक्क दिन पूरी हिम्मत जुटाकर हमारे aparatamenat के नीचे जाके खरा हो गया ओर पीनाकी के आने कि इनतजार करने लगा,लेकिन जैसे ही मैंने पीनाकी को देखा तो मेरी जुबान सूखने लगी,पसीना बाहर आने लगा।जब वह मेरे बिलकुल करीब आचुकी थी तब मेरा दिल कीं धडकन भी तेज़ होने लगीपीनाकी मुझे देखकर हसी और नीचे खरा रहने की व़जा पूछी।मुझे मालूम था कि येह मेरे लिये पयार का इशारा करने का सुनहेरा मौका है लकिन मै अनदर से इतना tenased था कि मै वो मौका हाथ से गवा diyaउस के सवाल के जवाब मे मैने उसे बताया कि मेरा एक्क दोसत आनेवाला हैं ओर मैं उसका इनतजार मे नीचे खरा हूमैं ये बात इतना हकलाकर बोला कि पीनाकी हस दीमें उस-से आख मिला कर बात भी नहीं कर पा रहा था।

बाद मे जब मैंने रुपा को ये बात बतायी तो वह बोलि कि उसे ये पता है पीनाकी ने उसे यह बात खुद बताई।मेरा ये हाल देख कर रुपा ने फिर से टराई मारने की सलाह दी

देखते देखते 3 महीना गुज़र गये लकिन मै हिम्मत नही जुटा पायाइसी दौरान हमारा खुद का मकान पूरा तेयार हो चुका था। हमलोग नये घर मे जाने के तैयारी कर रहे थे।एक्क रवीवार मै ,मा,रुपा,मौसा ओर मौसी मिलकर कुछ घर का सामान और कुछ ग्रह्पर्बेश का सामान लेकर नये घर मै गया ।पापा हर रवीवार दादा,दादी,चाचा,चाची से मलने के liye गान्व(village)जाते थे इस लियेः वह हमारे साथ नहींपायेउस रवीवार मेरे घर मे दोपहर को मेरा एक्क दोस्त आनेवाला था इस्स लियेः में समान नये घर में रख कर जल्दी ही वहां से निकाल गया।रास्ते मे मेरे मन मे एक ख्याल आया।कयुनकी रुपा ओर मौसी दोनो ही हमारे साथ हमारे नये मकान मे जाने की बात सुबह ही ठीक हुआ तो इस्स लियेः यह बात पीनाकी को ज़रूर पता नहीं होंगी ओर हरदीन की तरह वह आजभी रुपा से मिलने आएगी।इस्स बार मौका हाथ से नहीं गवांने की सौगनध खाकर में ने दोसत के घर मे फोन करके उसे बतायाः कि में एक्क ज़रूरी काम की वजा से हमारे नये मकान मे जाऊंगा ओर उसे सोमबार आने के लिएः बोल दियाः

घर पहुँच ते ही मैंने मेरे तरफ़ आने वाला मोउका के बारे मे सोच कर खुद को काफी रोमनचित महेसुस कियामौके पर खरे उतरने ने के लिये इशारा करने का अलग अलग धनग से खुद को तैयर भी करने लगा।लेकिन जैसे ही पीनाकी के आने का वकत नज़दीक आने लगा मैं sonafidenat होने की जगह sonafuse होने लगा।
इस वकत किसी के उपर आने कीं आवाज़ सुनकर में दरावाजे की कीहोल मे जाकर आख रखा ओर देखा कि पीनाकी रुपा से मिलने के लियेह उपर जा रही हैं।जैसे ही वोः उपर चली गयी मैंने दरवाजा खोलकर उसके लौट ने का इनतजार करने लगा।
कुछ पल बाद जब वोः नीचे उतर रहीं थी तब मुझे देख कर वोह रुपा के बरे मे पूछी तो उस के सवाल के जवाब मे मेंने उससे बोला कि रुपा हमारे नये घर मे मेरी मा ओर उसकी मा ओर पापा के साथ गयी हैं।जैसे ही पीनाकी पीछे मुरकर लौट जाने के लिएः उतर ना सुरु किया तो में ने पीछे से पीनाकी को पुकारा ओर उसे हमरे घर मे बैठ कर रुपा का इनतजार करने के लिएः बोलापहेले तो वो ना कर रही थी लेकिन जैसे ही मैंने थोरा ज़ोर दीया तो वह हमारे घर मे आने की बात पर राजी हो गयी

घर मे घुस ने केबाद मै उससे सोफ़ा पर बैथ ने के लियेः बोला,और मैं खुद भी जाके सोफ़ा पर बैथ गयापह्ले तो कुछ वक्त के लियेः ह्मदोनो के बीच कुछ बातचीत नहीं हुइ,वह भी खामोश थी और मैं भी खामोश था।इसी दौरान पीनाकी ने मुझ से पूंछा कि मैं इतना खामोश कयूँ बैठा हू।इस सवाल के जवाब मे मैं उसे कुछ भी नहीं बता पाया
कुछ देर बद वोः मुझसे पीने का पानी मांगी तो मैं उठ कर पानी लाने की गया और जाते जाते मेरे मन मे एक्क ख्याल आया कि पीने के बाद जब वो गलास vapis करेगी तब मैं उसका हाथ पकर कर पयार का इशारा कारुनगापलान के मुताबिक पानी पीने के बाद जैसे ही पीनाकी गलास वापिस करने के लिये अपना हाथ आगे बधाई मैंने उसका हाथ पकर लिया ओर उसे मेरे पयार का इशारा कर दियाःऔरबादमें हमारेबीच की बातचीत कुछ इसतरह की हुई

मैं: पीनाकी मैं तुम से पयार करता हू। कया तुम मुझ से पयार करती हो?
पीनाकी:पता नहीं
में: देखो तुम कुछ तो बोलो,तुम तो मुझे जानती हो,इस लिये
हा या ना जो भी कह्ना हैं palease आज ही बता दो।

ये बात सुनकर वह कुछ देर तक खामोश रही ओर उसके बाद वह मेरी बात को मान ली और मुझे बतायाः की वह भी मुझसे पयार करती हैं
उसके बाद मैंने उसेअपनी बाँहों मे भर लिया और उसके होठो को चुमने लगा।5 minut तक हम एक दुसरे को जोश के साथ चुमते रहें फिर मुझे ख्याल आया कि हमारा रूम का दरवाजा खुला हैं और इस लिये मैं पीनकी को लेकर मेरे बेडरूम मे चला गया।मै ने उसे बेड पर सुला दिया और में खुद उसकी बगल मे सो गया।उसके बाद मैं उसके सर से लेकर पैर तक उसके ड्रेस के उपर से ही चुमता रहा,और मैने देखा कीवो जोर जोर से शास ले रही थी,तब मैं समझ गया की वो भी मेरी तरह गरम हो गयी हैं।लेकिन जैसे ही मेरी नज़र घरी की तरफ़ गयी तो मुझे ख्याल आया कि पापा के लौट ने का वकत हो गया हैं।इस्स लिये हमारे प्यार के सफ़र को बीच मे हि रोकना परा।
उस्स दिन के बद मैन और पिनकी चुप चुप के घुम ने जता था,कभि कभि रुपा भि हमरा सथ जति थि।

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