Friday, April 4, 2008
nanad ne keli holi --------final
1अगले दिन गुड्डी के घर` सिर्फ औरतों की होली...सारी ननद भाभीयां...१४ से ४४ तक....और दरवाजा ना सिर्फ अंदर से बंद बल्की बाहर से भी ताला मारा हुआ...और आस पास कोइ मर्द ना होने से...आज औअर्तें लडकियां कुछ ज्यादा ही बौरा गईं थी। भांग,ठंडाइ का भी इसमें कम हाथ नहीं था। जोगीडा सा रा सा रा...कबीर गालियों से आंगन गूंज रहा था। कुच बडी उमर की भौजाइयां तो फ्राक में छोटे छोटे टिकोरे वाली ननदों को देख के रोक नहीं पा रहीं थीं.रंग, अबीर गुलाल तो एक बहाना था। असली होली तो देह की हो रही थी.....मन की जो भी कुत्सित बातें थी जो सोच भी नहीं सकते थे...वो सब बाहर आ रही थीं। कहते हैं ना होली साल भर का मैल साफ करने का त्योहार है, तन का भी मन का भी...तो बस वो हो रहा था। कीचड साफ करने का पर्व है ये इसीलिये तो शायद कई जगह कीचड से भी होली खेली जाती है..और वहां भी कीचड की भी होली हुई। पहले तो माथे गालों पे गुलाल, फिर गले पे फिर हाथ सरकते स्ररकते थोडा नीचे...।नहीं नहीं भाभी वहां नहीं....रोकना , जबरद्स्ती...।अरे होली में तो ये सगुन होता है....।उंह..उंह....नहीं नहीं..।अरे क्यों क्या ये जगह अपने भैया केलिये रिजर्व की है क्या या शाम को किसी यार ने टाइम दिया है...फिर कचाक से पूरा हाथ...अंदर..।और ननदें भी क्यों छोडने लगी भौजाइयों को...।क्यों भाभी भैया ऐसे ही दबाते हैं क्या....अरे भैया से तो रात भर दबाती मिजवाती हैं हमारा जरा सा हाथ लगते ही बिचक रही हैं..।अरे ननद रानी आप भी तो बचपन से मिजवाती होंगी अपने भैया से...तभी तो नींबू से बडके अनार हो गये...आपको तो पता ही होगा और फिर भाभी के हाथ में ननद के...अरे ऐसे ...नही ऐसे दबाते हैऔर निपल खींच के इसे भी तो..।तब तक कोई और भौजाई, शलवार में हाथ डाल के...बिन्नो बडा छिपा के माल रखा है...अरे आज जरा होली के दिन तो अपनी बुल बुल को बाहर निकालो....और उस के बाद साडी साया...चोली ब्लाउज सब रंग से सराबोर और उस के बाद पकड पकड के रगडा रगडी...।मेरी और लाली भौजी की भी होली की कुश्ती शुरु हुयी। पहला राउंड उनके हाथ रहा, मेरी साडी उन्होने खींच के उतार ली और ये जो वो जा, देखते देखते सब ननदों में चिथडे चिथडॆ हो बट गयी।लेकिन मैने हाथ उनके ब्लाउज पे मारा...और थोडी देर में वो टाप लेस थी। ब्लाउज में हाथ डाल के होली खेलते समय मैने उनके ब्रा के हुक पहले से ही खॊल दिये थे.बेचारी जब तक अपने जोबन छुपाती, साडी भी गई और दोनों हाथों में पक्के रंग लगा के मैने कस के उनकी चूंचीया मसली रगडी...जाके अपने भैया से रगड रगड के छुडवाना...कोइ भाभी बोलीं।टाप लेस तो थोडी देर में मैं भी हो गई। फिर पहले तो खडे खडे,,,फिर पैर फंसा के उनहोने मुझे गिरा दिया और फिर ना सिर्फ रंग बल्की कीचड, सब कुछ....अपनी ३६ डी चूंचीयों से मेरी चूंचीयां रगडती....लेकिन जब वो मेरी चूंचीयों का मजा ले रही थी मैने हाथ जांघो मे बीच कर सीधे साये का नाडा खॊल दिया और जैसे ही वो उठी, पकड के खींच दियां और वो सिर्फ पैंटी में।पहला राउंड एक दूसरे के सारे कपडॆ उतारने तक चलना था और पैंटी उतारना बहोत मुश्किल हो रहा था। जब हाथ थक गये तो मैने होंठों का सहारा लिया...पहले तो उसके उपर से जम के होंठ रगडे। मुझे मालूम था की उनके चूत पे होंठों का क्या असर होता है। ये सिक्रेट मुझे ननदोइ जी ने खुद बताया था। और साथ में दांत लगा के मैने पैंटी में थोडी चीर लगा दी पिर पहले तो दो उंगली डाल के , फिर हाथ से उसे तार तार कर दिया और दोनों हाथों मे लहरा के अपनी जीत का ऐलान कर दिया। यही नहीं, पीछे से उन्हे पकड के...उनकी टांगों के बीच अपनी टांगे डाल के अच्छी तरह फैला दिया। उनकी पैंटी के अंदर मैने जो लाल पीला बैंगनी रंग लगाया था वो सब का सब साफ साफ दिख रहा था...और मेरी उंगलियों ने उनकी बुर को फैला के सबको दर्शन करा दिये..।अरे देखॊ देखॊ..ये वही चूत है जिसके लिये शहर के सारे लडके परेशान रहते थे...एक ने आ के देखते हुये कहा तो दूसरी बोली लेकिन लाली बिन्नो ने किसी का दिल नहीं दुखाया सबको खुश किया। और उसके बाद गुलाल, रंग सीधे बाल्टी...।लेकिन लेज कुश्ती का अंत नहीं था अभी तो...फिर सेकेंड राउंड शुरु हुआ...और चारॊं ओर से ननदों भाभीयों का शोर...।अरे चोद दे ननद साली को गली के गदहों कुत्तॊ से चुदवाती है आज पता चलेगा..।अरे क्या बोलती हो भाभी....रोज तो हमारे भैया से चुदवाती हो। इस शहर का लंड इतना पसंद था तभी तो मां बाप ने भेजा यहां चुदवाने को...और तुम तो तुम तुम्हारी बहने भी अपने जीजा के लंड के लिये बेताब रहती हैं...ननदें क्यों चुप रहती। अरे इनकी बहने तो बहने....भाई भी साले गांडू हैं।ये राउंड बहोत मुश्किल हो रहा था...मैं उन्हे नीचे नहीं ला पा रही थी। लेकिन तभी मुझे गुद गुदी की याद आई...और थोडी देर में मैं उपर थी...दोनों टागों के बीच मेरी चूत उनके चूत पे घिस्सा मार रही थी। फिर दो उंगलियों के बीच दबा के कस के मैने पिंच किया...उनकी क्लिट...और दांतों से उनके निपल कच कचा के काट लिये....इस तिहरे हमले से १० मिनट में उन्होने चें बोल दिया.फिर तो वो हल्ला बोला भाभीयों ने ननदों पे ...कोइ नहीं बचा।और मैं भी अपनी ननद कॊ क्यों छॊडती.पिछली बार तो मैं घर पे भूल गई थी पर आज मेरी असिस्टेंट अल्पी पहले से तैयार थी...१० इंच का स्ट्रैप आन डिल्डॊ...और फिर तो लाली ननद की वो घचाघच चुदाई मैने की की वो अपनी स्कूल में चुदाई भी भूल गई। क्यों ननद रानी याद है ना हारने वाली को सारे मुहल्ले के मर्दों से चुदवाना पडेगा...जोर से मैने पूछा।हां...सारी भाभीयां एक साथ बोलीं..।और उसमें मेरे सैंयां भी आते हैं...हल्के से मैने कान में कहा।अब हार गयी हूं तो और कस के धक्का नीचे से लगाती बोलीं तो शर्त तो माननी पडेगी।और फिर तो उंगली, फिस्टिंग...कया नहीं हो रहा था...और दूबे भाभी के यहां हुआ वो तो बस ट्रेलर था...मैने भी लाली ननद के बाद अपनी कमसिन ननदों को नहीं छोडा..सब कुछ किया करवाया। इसके बाद तो मर्दों से चुदवाना उनके लिये बच्चों का खेल होगा।और अगले दिन होली के दिन....जब होली के पहले ...ये मस्ती थी...मुहल्ले भर के भाभियों ने तो इनको पकडा ही अल्पी की सहेलियों ने भी....और फिर मुह्ल्ले के लडके भी आ गये और सारे देवरों ने कुछ भी नहीं छोडा....दिन भर चली होली। कीचड पेंट वार्निश और कोई लडका नहीं होगा जिसके पैंट में मैने हाथ न डाला हो या गांड में उंगली ना की हो...और लडकों ने सबने मेरे जोबन का रस लूटा...और ननदों कॊ भी...यहां तक की बशे में चूर इन्हे इनकी भाभीयां पकड लाई और मैने और दूबे भाभी ने लाली को पकड के झुका रखा था...और पीछे से अल्पी ने पकड के अपने जीजा का लंड सीधे उनकी बहन की बुर में...।शाम को कम्मो का भी नम्बर लग गया। हम लोग उसके यहां गये...अल्पी नहीं थीं। उसकी मम्मी बोली की अपने सहेलियों के यहां गई और सब के यहां हो के तुम लोगों के यहां पहूंचेगी ३-४ घंटे बाद। कम्मॊ जिद करने लगी की मैं जीजा की साथ जाउंगी। मैं बोल के ले आई और फिर घर पहुंच के..।मैने अपनी चूंची उस कमसिन के मुंह में डाल दी थी और टांग उठा के ...होली के नशे में हम तीनों थे। थोडा चीखी चिल्लाई पर...पहली बार में तो आधा लेकिन अगली बार में पूरा घोंट लिया।अगले दिन जैसा तय था गुड्डी को ले के हम वापस आ गये।उस के साथ क्या हुआ ये कहानी फिर कभी....।लेकिन जैसी होली हम सब की हुई इस २१ की वैसी होली आप सब की हो ....सारे जीजा, देवर और नन्दोइयों की औरसारी सालियों सलहजों भाभीयों की।समाप्त
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