Friday, April 18, 2008

दो बहुवे

दो बहुवे
 
हमारे घर के pados वाले घर मैं कामनाथ नाम का जो आदमी रहता था उसकी दो बहुवे थी. घर पा सास थी नही केवल दो लड़के थे. वह गाँव के रहने वाले थे और लड़के दोनों सीधे सादे थे और दोनों बहुवे भी अभी कम उमर थी. बड़ी बहु २० की और छोटी वाली तू १७ ki ही लगती थी. मुझे तय छोटी बहु अभी कुंवारी ही लगती थी. दोनों सारी पहनती थी और घूंघट भी करती थी पर जब दोनों लड़के काम पर चले जाते तू दोनों शलवार कमीज़ पहन लेती थी. उनकी इस हरकत सी मुझे एक शक सा हुवा.

मैं टाक झाँक करने लगा. एक महीना इसी तरह बीत गया. एक दीन करीब ११ बजे मैंने उसे अपनी बड़ी बहु को आवाज़ देते देखा तू जल्दी सी दीवार सी उचक कर देखने लगा. वह एक chair पर बैठा था. बड़ी बहु आई तू वह उसकी चूचियों को देखता बोला, "आओ मेरी जान."

यह देख मैं समझ गया की मेरा शक सही था. वह पास आई तू उसकी दोनों चूचियों को पकड़ बोला, "छोटी वाली कहाँ है?"

"वह कपडे बदल रही है बाबूजी."

उस बुढे को जवान बहु की चूचियां पकड़ते देख मैं तरप गया. मेरा लंड तड़पने लगा. मैं इसी दीन के इंतज़ार मैं था. चूची पकड़ने के साथ बड़ी बहु ने अपनी कमीज़ के बटन खोल दोनों को नंगा किया तू वह मेज़ सी दोनों को चूसने लगा. मुझे सब साफ दिख रहा था. तभी वह बोली, "कल की तरह पियो न बाबूजी." और चूची की घुंडी को ससुर के हून्तो सी लगा ज़रा सा झुकी.

तब वह बुढा ससुर अपनी जवान बहु की एक चूची को मुंह सी दबा दबा चूसने लगा और दूसरी को दबाने लगा. बड़ी बहु प्यार सी ससुर के गले मैं हाथ दाल बोली, "बाबूजी आप घुंडी चूसते है तू खूब मज़ा आता है."

इसपर वह घुन्दियों को चूसने लगा. कासी कासी जवान चूचियों का मज़ा बुढे को लेते देख मैं तड़प गया. मैं समझ गया की दोनों बहुवे जवानी सी भरी हैं और चोदने पर पूरा मज़ा देंगी. आज मैं मौका जाने नही देना चाहता था पर रुका रहा की थोड़ा और मस्त हो जाए दोनों. वह बार बार चोसिए बाबूजी कह रही थी. बुढा ससुर जवान बहु के निप्प्ले चूस रहा था. अभी छोटी वाली नही आई थी. pados की दोनों बहुवो को बुढे ससुर सी मज़ा लेते देख समझ गया की दोनों प्यासी हैं और अपने पती से उनकी प्यास नही भुझ्ती.

फीर जब सहा नही गया तू अपना digital कैमरा ले उनकी तरह कूद गया. धाप की आवाज़ से दोन ओने चौंक कर देखा. मुझे देख दोनों घबरा गए और बड़ी बहु अपनी चूचियों को अन्दर करने लगी और बुढा मेरे हाथ मैं कैमरा देख काँपने लगा. मैं तेज़ आवाज़ मैं कहा, "तुम दोनों की हरकते कैमरा मैं आ गई हैं. पीलाओ अपनी जवान चूचियां इस मरियल बुढे को."

बड़ी बहु तू थार थार काँप रही थी. उसने चूचियों को अन्दर कर लीया था पर घबराहट मैं बटन नही बंद किया था. दोनों मस्त चूचियों को पास से देख मेरा लंड झटके लेने लगा. मैं मौके का फायदा उठाने के लिए बुढे से बोला, "कमीने बहुवो को चोद्ता हैं, सबको बता दूंगा."

वह गिद्गिदाने लगा, "नही भगवन के लिए ऐसा नही करमा, अब कभी नही करूँगा."

ससुर को गिद्गिदते देख बड़ी बहु भी घबरा गई. "कमीने मैं सब देख रहा था. बुढापे मैं बहुवो के साथ मज़ा ले रहे थे तू जवानी मैं अपनी बेटी को भी छोडा होगा. सच बताओ कितनी बार छोडा है."

"एक बार भी नही बेटे, अब नही करूँगा."

"जब चूची पीते हो तू दोनों को चोदते भी होगे, तुम बताओ चुद्वती हो"

बड़ी वाली से पूछा तू वह मेरी उर देखती चुप रही. बुढा बोला, "भगवन कसम बेटा केवल दील बहलाता हूँ."

"छोटी बहु कहाँ हैं?"

"अन्दर हैं अभी."

"जाओ उसे लेकर मेरे पास आओ."

मेरी बात सुन वह अन्दर गया तू मैं बड़ी वाली को अपने पास बुलाया. जब वह पास आई तू उसके चुतर पर हाथ लगा बोला, "तुम दोनों तू अभी जवान हो, तुम लोगो का मज़ा लेना तू समझ मैं आता है पर यह साला बुढा. केवल चूचियों को चूसता है?"

"जी."

"चूत भी चाटता है?"

"जी."

"हमे तुम दोनों की जवानी पर तरस आ रहा है. तुम दोनों की उंर है मज़ा लेने की. पर यह तू तुमको गरम कर के तर्पता होगा. बताओ चोद्ता है?"

मेरी बात सुन वह कुछ सहमी तू उसकी चियो को पकड़ हल्का सा दबा बोला, "मुझे लगता है यह तुम दोनों को चोद्ता भी है?"

"नन्न नही." वह सहमकर बोली.

तभी वह घबराया सा अपनी छोटी बहु के साथ वापस आया. तिघ्त शलवार कमीज़ मैं छोटी बहु की छोटी छोटी चूचियों को देख लंड ने तेज़ झटका लीया. बड़ी वाली के साथ मुझे देख वह घबरायी. छोटी को देख मैं बेचैन हो गया. बहुत कसा माल था. वह भी दरी थी. फीर बुढा पास आ मेरे सामने हाथ जोड़ बोला, "बेटा मेरी इज्ज़त तुम्हारे हाथ मैं है.."

मैं दोनों कुंवारी लड़कियों सी बहुवो को देखते बोला, "चूचियों को पीते हुवे photo आया है."

"भगवन के लिए बेटा." वह गिद्गिदय.

अब वह मेरे बस मैं था. लंड को दोनों के सामने पन्त पर से मसलता बोला, "जब लोग जानेंगे कित उम अपनी बहुवो को चोदते हो तू क्या होगा."

"नही नही बेटा."

"तुम्हारे लड़के नामर्द लगते हैं जो इन बेचारियों को चोदकर ठंडा नही कर पते. ज़रा इधर आओ."

फीर उसे अपने रुम मैं ले जा बोला, "खूब मज़ा लेते हो अकेले अकेले. चोदते भी हो दोनों को?"

"नही बेटा अब ताकत नही रही."

"अपने लड़को के जाने पर अपनी बहुवो से मज़ा लेते हो, मैं एक शर्त पर अपनी जुबां बंद रख सकता हूँ."

"बेटा मुझे मंज़ूर है."

"तुम्हारी बहुवे प्यासी हैं. इस उमर मैं उन्हें पूरी खुराक चाहिए. लड़के तू तुम्हारे बेकार लगते हैं. इस उमर मैं तू दो- चार से चुदने पर ही मज़ा आता है. ऊँगली से चोदते हो?"

"कभी-कभी. "

"देखो मेरी बात मनो तुम जो करते हो करते रहना कीसी को पता नही चलेगा. अगर तुम ऐसा नही करोगे तू वह दोनों अपनी प्यास भुज्वाने को बाहर के चक्कर मैं पड़ जाएँगी."

"बेटा यही सोचकर तू दोनों को चूम चाटकर ऊँगली से चोद्ता हूँ."

"तुम दोनों को चूस चाटकर गरम करो और मैं दोनों को छोड़कर ठंडा कर दिया करूँगा. ऊँगली से तू बुधियों को छोडा जाता है. जवान तू लंड खाती हैं. दोनों जवान हैं जब तक लंड डालकर न छोडा जाए उनको मज़ा नही आयेगा. बोलो तैयार हो?"

"हाँ बेटा आओ."

"जाओ पूछकर आओ. मेरी ड्यूटी रात की है. दिनभर हम्दोनो एक एक को मज़ा दिया करेंगे. जाओ."

"दोनों हमारी बात मानती हैं. आओ बेटा अभी से काम शुरू कार्ड."

"चलो, मुझसे चुदकर तुम्हारी बहुवे खुश हो जाएँगी. तुमको भी खूब मज़ा देंगी क्योंकि तुम उनके लिए लंड का इन्तेजाम कर रहे हो न."

"हाँ बेटा दोनों मेरे साथ ही रहती हैं."

"मैं भी अकेला हूँ. दीन भर मज़ा लीया जाएगा. छोटी वाली तू कुंवारी लगती है?"

"हाँ बेटा अभी ठीक से चुदी नही हैं मुझसे शर्माती हैं."

"जब मेरा जवान लंड खायेगी तू शर्माना छोर देगी." और पन्त खोल लंड बाहर क्या तू वह मेरा लंड देख बोला, "अरे बेटा तुम्हारा तू बहुत लंबा मोटा है. ऐसा तू घोडे का होता है."

"इसे अपनी दोनों बहुवो को खिला दोगे तू तुमसे खुश हो जाएँगी. सोचेंगी की बाबूजी की वजह से ऐसा लंड मिला है. जाओ आवाज़ दे लेना." वह चला गया. मैं खुश था की एक साथ दो गद्रायी जवान चूत मिल रही हैं. जब बुढे के साथ मज़ा लेती थी तू मेरे साथ तू दोनों मस्त हो जाएँगी. पेशाब कर केवल लुंगी बाँधा. तभी बुढे की आवाज़ आई की आ जाओ बेटा तू मैं फौरन दीवार फंड उसकी तरफ़ गया.

दोनों उसके अगल बगल खड़ी थी और दोनों का चेहरा लाल था और बी दर्र नही रही थी. मैं पास पहुँचा तू वह बोला, "बेटा कीसी से कहना नही जाओ दोनों को ले जाओ."

मैं दोनों को देखते बोला, "अभी आपने तू मज़ा लीया नही."

"कोई बात नही बेटा जाओ अन्दर रुम मैं जाओ."

"आप जैसे रोज़ मज़ा लेते थे वैसे ही लीजिये. एक को मेरे साथ भेजिए और दूसरी को आप चूसिये चटिये." और लंड को लुंगी से बाहर कर दोनों को दिखाया तू दोनों मेरे पास आ बोली, "अब क्या हुवा बाबूजी."

मेरे लंड को देख दोनों मस्त हो गई. अब वह ख़ुद तैयार थी मेरे साथ चल्नो को. मैंने कहा, "ऐसा है आज पहला दीन है इसलिए म्हणत करनी पड़ेगी, आज एके क को भेजिए, कल दोनों को साथ ही मज़ा दूंगा."

"ठीक है बेटा."

"जाओ बाबूजी को खुश करो." और छोटी की गांड पर हाथ लगाया तू वह चुपचाप मेरी उर देखने लगी. गांड मैं ऊँगली करते कहा, "आज तुम दोनों को मज़ा आएगा. बाबूजी जीस बहु को भेजियेगा उसे एकदम नंगा कर दीजियेगा और पेशाब ज़रुर करवा दीजियेगा. एक बार एक लड़की को पेला तू वह मूतने लगी."

"ऐसा हो जाता है बेटा."

मेरी चुदाई की रसीली बातें सुन दोनों लाल हो गयीं. पेशाब की बात से दोनों शरमाई तू मैं छोटी वाली का हाथ पकड़ अपनी उर करता बोला, "बड़ी को अपने पास रखिये, इसको ले जाते हैं. इसके साथ ज़्यादा म्हणत करनी पड़ेगी. इसको चोदकर बाहर भेजूं तब बड़ी को अन्दर भेजियेगा. अभी तू यह ठीक से जवान भी नही है."

फीर छोटी को अपने बदन से लगा उसकी गद्रायी गांड को दबाया तू लगा की जन्नत मैं हूँ. छोटी को चिपकाकर उसकी चियो को पकड़ा तू वह मुझे देखती इशारे से बोली की जल्दी चलो.

उसके इशारे से मैं खुश हो गया. जान गया की पूरी तरह से चुदासी है. पहले छोटी को ले जाने की बात से बड़ी वाली का चेहरा फक्क हो गया. इससे उसकी बेकरारी भी पता चली. उसका ससुर तू कुछ कहने की पोसिशन मैं नही था. छोटी की चूचियों को दबाते ही लंड मैं करंट दौड़. अनार सी कड़ी कड़ी थी, एकदम लड़की ही कुंवारी सी. पती और ससुर से मज़ा लेने के बाद भी कलि से फूल नही बनी थी. मैं कामयाबी की शुरुआत छोटी बहु के साथ करने जर आहा था. कई दिनों तक दोनों को छोड़ सकता था. मज़ा देने वाली थी दोनों. दोनों फंसी थी और खूब जवान थी.

मैं छोटी वाली के साथ पहली चुदाई के लिए कमरे की तरफ़ चला. रास्ते मैं उसकी एक चूची को पकरकर दबाते उसे मस्त करने के लिए कहा, "हाय अभी तू तुम लार्की हो. बरी वाली तू औरत लगती है. मेरे साथ बहुत मज़ा आएगा."

मुझे चुदासी औरतों से मज़ा लेना आता था. वह चूची दबवाते ही गरम हो गई, ऐसी शानदार चूचियों को पा लंड बेकरार हो गया और पानी भर गया. माल तगर था इसलिए झरने का दर्र था.

चूचियों को पकारते ही समझ गया की इसकी चूत भी कासी होगी. कमरे मैं फौरन कुर्सी पर बैठा और उसकी कमर मैं हाथ दाल उसके चुतर को अपने लंड पर खींचकर गोद मैं ले लीया और दोनों चूचियों को जैसे ही शर्ट के ऊपर से पकरकर गाल को चूमा, वह मेज़ से भर गदराये चुतर को लंड पर रागारती बोली, "छोरिये न बटन खोल दे."

"ऐसे ही दब्वाओ. बाद मैं खोलना. घबराओ नही पूरा मज़ा मिलेगा. तुम छोटी हो इसीलिए पहले लाया हूँ. बताओ बुढा ससुर तुम्हारे साथ क्या-क्या करता है."

नई जवानी को फंफनाये लंड पर बिठा पूछा तू वह बोली, "जी केवल चूमते और चाटते हैं हम्दोनो को."

"इसको पीते भी हैं?"

"जी."

"चुस्वाने मैं मज़ा आता होगा?" मैंने अनार सी चूचियों को कसकर दबाते हुवे लंड को गांड की दरार मैं रागारते कहा तू बोली, "जी आता है." "चूत भी चाटती हो?"

"जी." वह मदहोश हो बोली.

"यह सब कराती हो तू चूत नही गरमाती क्या? चुदवाने का मॅन नही करता क्या? चोद्ता है या नही?"

"नही बाबूजी का तू खरा ही नही होता."

"तुम्हारा आदमी तू चोद्ता होगा?"

"कभी कभी. बहुत पतला सा है ज़रा भी मज़ा नही आता हाय आप करिये न आपका तू तैयार है." वह मेरे लंड पर अपना चुतर रागारती बेताबी के साथ खुलकर चोदने को बोली.

मैं उसको गोद मैं बिठाकर जन्नत मैं पहुँच गया था. उसका गद्राया चुतर लंड को गज़ब का मज़ा दे रहा था और गरम पानी उसमे उतर रहा था. जब खुलकर अपने आदमी(हुस्बंद) के मरियल लंड के बरे मैं बताया तू मैं लंड को उभारता मस्ती के साथ दोनों चूचियों को दबाता प्यार से उसको गोद मैं सम्हालता बोला, "तुम्हारे आदमी का लंड बहुत छोटा है क्या?"

"जी बच्चे सा. मज़ा नही आता हाय करिये न. आपका तू खरा हो गया है. प्य्जामा आगे से फटा है."

वह मेरी जवान गोद मैं हैवी लंड पर अपनी गांड को रख चूचियों को दब्वती चुदास से भर गई थी पर मुझे तू अभी मज़ा लेकर एक बार लंड की मस्ती झारकर प्यार से दमदार तरीके से चोदकर इसकी चूत को पहली चुदाई मैं इतना मज़ा देना था की हरदम मुझसे मज़ा लेने के लिए बेकरार रहे. प्य्जामा दोनों का फटा रहता था. ससुर चूत चाटता था पर अभी तक मैंने उसकी चूत पर एक बार भी हाथ नही लगाया था. जब तनी-तनी चूचियों के निप्प्ले पकरकर मसला तू प्य्जामा की चूत गनगना गई और वह खुलकर बोली, "हाय मेरी मस्त है, छोडिये."

"अभी नही चोदेंगे. पहले जवानी का मज़ा लो. पानी नीकल जाने दो. बताओ तुम्हारा आदमी कितनी देर चोद्ता है?" हाथ मैं आसानी से आने वाली मस्त चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से दबाते कहा तू वह बोली, "जी बहुत जल्दी बस १ मिनट."

"अरे तब तू वह साला न-मर्द है. मज़ा क्या आएगा, कम से कम १० मिनट तक न छोडा तू मर्द ही क्या. शर्मो नही अब तुम मेरा मज़ा लो. आज से तुम अपने आदमी को भूल जाओ और मेरी बीवी बनकर मज़ा लो. बरी बहु से ज़्यादा मज़ा तुमको देंगे. अब बराबर दीन मैं आया करेंगे. तुम लोग ससुर को चटाकर मस्त किए रहना. लो हाथ से पकरकर अपनी चूत पर रखो देखो मेरा लंड तुम्हारी चूत मैं जाएगा या नही. देखो कितना मोटा है."

मैं जानता था की खुलकर चुदाई की बात करने से चूत कुलबुलाती है. छोटी बहु अभी एकदम लौंडिया सी थी. एकदम जवान मस्त चूचियां थी. उसकी चूचियां इतना मज़ा दे रही थी की लंड झड़ने के करीब था. मैंने उसकी चूचियों को मसलते हुवे कहा, "बताओ मेरा मोटा है न"

"जी बहुत अच्छा है." वह लंड पर अपनी गांड दबा मेरे लंड की तारीफ करती बोली.

वह चूत मैं लंड लेने को उतावली थी पर मैं ताजी हसीं चूत को मस्ती के साथ चोदकर मज़ा लेने के मूड मैं था. धीरे से एक हाथ को उसकी एक रान पर लगा शलवार की फटी मियानी पर लता बोला, "ज़रा अपनी चूत तू दिखाओ."

मेरी बात सुन उसने प्यार से टांग को फैलाकर चुताद को उभर तू शलवार के आगे के पते हिस्से से हाथ से फैला दिखाया तू उसकी जवान चूत को देखते लंड झाड़ते-झाड़ते रुका. चूत अभी कच्ची थी. पती और ससुर का लंड खाने के बाद भी फांक कासी थी. बाल भी हलके से थे. एकदम गुदाज़ मस्ती से भरी गरम चूत थी. जैसा सोचा था उससे भी खूबसूरत चूत थी. छोटी बहु ने मेरे जैसे जवान की हरकत से मस्त हो अपनी चूत को मेरे हाथो मैं दे दिया था. मैंने उसकी चूत को दबाते एक चूची को पकड़ कहा, "तुम्हारी तू बिना शलवार उतरे चोदने वाली है. शलवार ख़ुद फादा है?"

"जी."

"बाबु जी मज़ा लेते है तुमसे?"

"जी हाय राम इसको छोडिये." तनी-तनी फांक को ऊँगली से मसला तू वह तड़प कर बोली.

"पहले यह बताओ की मेरा बहुत मोटा है. अगर चोदने मैं चूत फट गई तू?"

"हाय फाड़ दीजिये ओह्ह इसे छोड़ दीजिये."

उसकी चूत लिप्स के मसलन पर ही लीक होने लगी थी. गद्रायी चूत को हाथ से सहलाते मुझे भी जन्नत दिखने लगी थी. लंड को झड़ने से रोकने के लिए सुपदे को कसकर दबाया. वह मस्त हो मेरे लंड पर बैठी थी. उसकी दोनों चूचियों को उसकी शमीज़ के बटन खोल बाहर क्या तू अनार सी कड़ी कड़ी नंगी चूचियों को देख तड़प उठा. बहुत मस्त माल हाथ लगा था. नंगी चूचियों मैं और मज़ा आया. मैंने दोनों चूचियों पर हाथ फेरते कहा, "इस समय तुम्हारा ससुर बड़ी वाली बहु की चूचियों को पी रहा होगा."

"जी"

"तुम्हारी भी तू पीता होगा?"

"जी."

"मज़ा आता हो तो मुझे भी पीलाओ."

"पीजिए न हाय आप कितने अच्छे हैं."

"दर्र है कही तुम्हारी चूत फट न जाए. वैसे बड़ी वाली मैं मेरा आराम से जाएगा."

"हाय नही फतेगी, मुझे ही छोडिये." वह उतावलेपन से बोली तू मैं कहा, "बात यह है मेरी जान की मैं सूखी चूत चोद्ता हूँ, तेल या cream लगाकर नही. तुम्हारी चूत छोटी है पर तुम्हारी जेठानी की औरत वाली होगी."

"हाय सूखी ही छोडिये. फटने दीजिये."

"एक बात और मैं नंगी करके चोद्ता हूँ."

"रुकिए मैं सारे कपडे उतार देती हूँ."

अब मुझे यकीन हो गया था की छोटी बहु मेरे मेज़ को पाकर मस्त है. इधर कमरे मैं मैं छोटी बहु बहु के साथ मज़ा ले रहा था उधर वह बुढा आँगन मैं जवान बड़ी बहु के साथ मज़ा ले रहा था. "तुम्हारा आदमी बस एक आध मिनट मैं ही चोदकर हट जाता है?" चूत को हाथ से सहलाते बोला तू वह चूत को उचकते बोली, "जी."

"तभी तू तुम्हारी प्यास नही भुझ्ती. घबराओ नही देखना कम से कम २५ मिनट तक चोदकर ५-६ बार झादुन्गा आज. पर जैसे कहे वैसे मस्त होकर करना तभी मज़ा आएगा." और फंफनाये लंड से निचे उतरा तू फौरन पलटकर मुझे देखने लगी.

उस समय मेरा लंड लुंगी से बाहर था. उस लंड को वह बड़े प्यार से देखने लगी तू मैं खड़ा हो उसकी चूचियों को दबाता बोला, "देख लो." मेरे कहते ही उसने मेरी लुंगी को अपने हाथ से हटाकर मेरे लंड को नंगा क्या तू मैं तानकर खड़ा हो गया जिससे मेरा ९ इंच का लंड खूंटे सा खड़ा हो गया. मेरा जानदार लंड देख जाने कितनी ही चूत वाली मेरी दीवानी हो गई थी. आज यह भी मेरी दीवानी हो गई. उसकी चूत चिप्चिपने लगी थी.

इस तरह से चुदाई का मज़ा ही कुछ और है. वह मेरे मूसल लंड को देखती बेताबी के साथ बोली, "लुंगी खोल दे."

"हाँ खोल लो रानी, आज से यह तुम्हारा है. घबराओ नही बुलबुल मैं तुमको ही ज्यादा चोदुन्गा. बड़ी वाली को तू बस कभी कभी तास्ते चंगे करने के लिए. आज जमकर चुद्वा लो ऐसा लंड कही मिलेगा नही. लुंगी खोलो तू तुमको नया मज़ा दे."

"जी."

"देखना अब मेरे साथ कितना मज़ा आता है." और उसके दोनों गुलाबी हो गए गाल को सहलाया.

तभी उसने मेरी लुंगी को खोलकर अलग क्या. मुझे नया मज़ा आया. नंगा होते ही मैं अपने लंड को उसके हाथ मैं देते बोला, "मुझे तू दर्र लग रहा है, तुम्हारी चूत फट न जाए."

वह एक हाथ को शलवार के हिस्से पर लगा दूसरे हाथ से मेरे लंड को कसती बोली, "हाय कितना तगड़ा है. नही फतेगी रजा अब चोदो." मेरे लंड को पकड़ते ही वह चुदवाने को बेचैन हुयी तू मैं उसकी नशीली चूचियों को पकड़ते बोला, "घबराओ नही शाम तक रहूंगा. जो कहे वह करो. चलो कुर्सी पर बैठो. आज तुमको वह मज़ा दूंगा जो कभी नही पाया होगा. इस लंड के एक पानी को नीकल दो तब आयेगा इससे चुदवाने का असली मज़ा. मैं एक मिनट वाला नही हूँ. ससुर को छठा चटाकर खूब पानी निकला है वरना मेरे लंड को देखते ही चूत पानी छोर देती."

"जी हाय."

"पानी निकला." उसकी दोनों चूचियों को दबाता उसे कुर्सी पर बीतता बोला तू वह बेताबी से बोली, "अभी नही निकला हाय रजा." मैं तू बेताब प्यासी लौंडिया को पाकर मस्त था और पूरी तरह से मस्त करके चोदने के चक्कर मैं था. कुर्सी पर बिठाने के साथ अपने लंड को हाथ से पकड़ उसके गुलाबी नरम-नरम हून्तो के पास करते कहा, "लो मेरी जान आगे वाला सुपदा मुंह मैं लेकर चूसू, देखना अभी चूत पानी नीकल देगी." मुझे लंड चूसने मैं बहुत मज़ा आता था. छोटी बहु को पिलाने मैं अनोखा मज़ा आता. अब तक जितनी छोडा था सब २५ से ऊपर थी. यह पहली थी १६ साल की. अगर आज चुस्ती तू फीर रोज़ ही लंड पिलाकर मनपसंद मज़ा ले सकता था. वह हिचकी तू मैं लंड को उसके मुंह के पास से अलागकर बोला, "नही चूसना तू जाओ बड़ी वाली को भेज दो. हम उसे चुसकर उसी को चोदेंगे. चूसने मैं बहुत मज़ा आता है. लंड चूसते ही चूत से पानी निकलता है. जाओ तुम अपने मरियल आदमी से ही चुद्वाओ." बड़ी वाली को भेजने की बात सुन वह फौरन अपने हाथ से लंड को पकड़ मुंह मैं ले सुपदे को दबा-दबा चूसने लगी. अब मैं तानकर खड़ा हो लौंडिया जैसी छोटी बहु को से सबसे प्यारे मेज़ को लेने लगा. उसे मेरे मोटे तगडे लंड को चूसने मैं मज़ा आया हो या न पर मुझे तू गज़ब का मज़ा आ रहा था. उसने १४-१५ बार ही चूसा था की मैंने लंड को उसके मुंह से बाहर क्या और झड़ने लगा. वह मेरे झाड़ते लंड को प्यार से देखने लगी.

झड़ने के बाद मैंने उसको अपने बदन से चिपकाते गांड की तरफ़ से उसकी चूत को टटोलते पूछा, "क्यों रानी तुम्हारी चूत झारी?" "हाँ रजा सच बहुत मज़ा आया. अब रोज़ लंड चुसाना."

"इसीलिए तू चुसाया था की एक पानी तुम्हारा भी नुकल जाए तू चुदाई का मज़ा आ जाता है. अब तुम सब कपडे उतारकर नंगी होकर चूत को पूछकर बैठो. मैं पेशाब करके आता हूँ तब चोदुन्गा."

"हाय आपका तऊ ........"

"तुम्हारी गद्रायी रसीली चूचियां पीते ही फीर खड़ा हो जाएगा."

झड़ने से मस्ती हलकी हुयी पर लंड खड़ा था. म्में नंगा ही बाहर आया. मुझे एक तीर से दो शिकार करने थे. बाहर आया तू देखा की बड़ी बहु ससुर के सामने टाँगे फैलाये फटी शलवार से चूत को बाहर किए हाथ से फैलाये छठा रही थी. उसका बुध्हा ससुर उसकी गांड पर हाथ रख घुटने के बल बैठ कुत्ते की तरह जीभ से अपनी बड़ी जवान बहु की चूत को चाट रहा था.

मेरी आहात पा वह खड़ा हो गया. मैं पूरा नंगा था. मुझे देख बड़ी बहु मेरे पास आ मेरे लंड को देखती अपने ससुर के सामने ही बोली, "अब मुझे छोडिये."

"अभी नही."

"हाय उसको कितनी देर से मज़ा दे रहे हैं आप. मुझे भी." उसने मेरे लंड को पकड़कर कहा तऊ तऊ मैं उसकी शमीज़ से बाहर झाँक रही चूचियों को पकड़ दबाते बोला, "अभी ससुर से मज़ा लो न."

"हाय आपका लंड कितना तगड़ा है. मुझे भी एक बार चोदकर ही जियेगा." "घबराओ नही पहले छोटी वाली की कासी चूत को ठीक से चोदकर अपने लायक फैला लूँ फीर प्यार से तुम्हारी जवान चूत को चोदुन्गा. जाओ जब तक ससुर से चट्वाओ."

मैं उसे ससुर के पास पहुंचकर पेशाब करने चला गया. बड़ी बहु को ससुर के सामने ही ख़ुद चुदवाने को कहते सुन बड़ा मज़ा मिला. बड़ी वाली तऊ छोटी वाली से ज्यादा चुदासी लग रही थी पर मज़ा छोटी मैं ज्यादा था. मूत्कर वापस कमरे मैं आया तऊ चुदवाने के लिए सरे कपडे उतार एकदम नंगी बैठी १६ साल की छोटी बहु को देखते झरे लंड मैं गर्मी आने लगी. एकदम चिकना गुलाबी बदन था. चूचियां तनी थी और निप्प्ले भी खड़े थे. मैंने उसको बेताबी के साथ चिपकाया और चुताद पर हाथ फेरते कहा, "अब तुम हमको भी अपनी चूचियां पीलाओ न."

इसपर उसने मस्ती के साथ अनार सी चूची को मेरे मुंह के पास क्या तऊ मैं उसकी चूची को प्यार से चूसते हुवे अपने लूसे लंड को झारी कासी चूत मैं पेलने के लिए तिघ्त करने लगा. चूचियां छोटी थी और मुंह मैं पूरी जा रही थी इसलिए चूसने का मज़ा अनोखा था. वह भी एक पानी झर चुकी थी इसलिए चूचियां चुस्वाने से उसमे भी मस्ती आ रही थी.

दोनों चूचियों को प्यार से चूसकर लंड को खड़ा करते बोला, "बोलो मुझे पिलाने मैं ज्यादा मज़ा आ रहा है या ससुर से?"

"हाय आपसे ओह्ह अब चोदिये न."

"एक बार मुझसे भी चूत चत्वाकर देखो फीर चोंगे ही." मैं उसकी हलके बाल वाली कासी चूत पर हाथ लगा बोला.

जवानी की तड़प के साथ गोद मैं उठा उसे बेद पर लिटाया और चुदासी खूबसूरत मस्त गरम गुलाबी चूत को पूरी नंगी देख मस्त हो गया. चूत चुदने के बाद भी कुंवारी लग रही थी. मैंने झुककर ८-१० बार जीभ से छाता तऊ वह अपने आप हाथ से चूत को फैलती सिसक कर मुझे देखते बोली, "हाय रजा मर गई. बाद मैं चाट लेना अब छोड़ दो. हाय मर गई."

मैं तऊ अब चोदने के चक्कर मैं था ही. लंड भी तैयार था. उसकी फैलाई गई चूत पर लंड लगा उसकी दोनों तंगो के बीच आ चूचियों को पकड़ दबाते बोला, "फट जायेगी रानी."

"फटने दो रजा अब दाल दो." और चूत को लंड पर दबाया.

सुपदा गरम था. मैंने उसे बांहों मैं ले इतना करार धक्का मारा की उसने तड़पकर मेरी जांघे पकड़ ली. सिर्फ़ अपने आदमी के मरियल लंड से चुदी थी इसलिए गज़ब का कसाव था. पेलने लगा पर लंड बार-बार बाहर नीकल जाता. चूचियों को पकड़ ताकत से पेला तऊ सुपदा जाते ही मैं मस्त हो गया. नई चूत का मज़ा मिला तऊ धीरे धीरे पेलने लगा. छोटी बहु बहु हून्तो को कसे पेलवा रही थी. आधा गया की वह कराहने लगी तऊ मैंने चूचियों को मसलते हुवे कहा, "लगता है पूरा नही जाएगा. बहुत कासी चूत है तुम्हारी." "फटने दो रजा और पेलो पूरा दाल दो." वह मेरे लंड को पा तड़प उठी थी.

पूरे ९ इंच का लंड जब उसकी चूत को फारते हुवे घुसने लगा तऊ वह हाफ्ने लगी. उसका चेहरा पसीने से भीग गया. आधा घुस चुक्का था. फीर एक कसा धक्का मारा तऊ वह तड़प कर बोली, "हाय अब छोर दो नही तऊ मर जाउंगी."

"तुमने अपने आदमी के सिवा कीसी का लंड नही चखा है न इसीलिए लग रहा है. देखना अभी मज़ा आएगा तऊ अपने मरियल आदमी को भूल जोगी." वह तड़पती बोली, "नही नही रजा नीकल लो, मैं मर जाउंगी."

"ज़रा सा सह लो फीर देखना कितना मज़ा आता है." और ज़ोरदार चुदाई स्टार्ट कर दी.

कुछ देर बाद ही उसे मज़ा मिलने लगा तऊ वह निचे से गांड उछलने लगी. उसकी चूत से फचाफाच पानी निकलने लगा तऊ मैं कहा, "अब कैसा लग रहा है?"

"हाय रजा अब बहुत मज़ा आ रहा है. चोदते रहो ऐसे ही."

मैं उसे आधे लंड से ही छोड़ रहा था. दमदार लंड की चुदाई पा वह हाय हाय करती प्यार से चुद्वा रही थी. मैं भी इतनी खूबसूरत चूत को पा बहुत खुश था. कुछ देर बाद मैं उसे पकड़ हचाहाच चोदने लगा. उसकी चूत अब पहुच-पहुच पानी छोर रही थी. वह दील खोलकर साथ दे रही थी. मैं मस्ती से छोटी बहु को पूरी ताकत से चोद रहा था. छोटी बहु इतनी खूबसूरत और गद्रायी थी देखकर कोई भी तड़प उठता. मैं ऐसी लड़की पा बहुत खुश था. बहुत आराम से चोदकर मज़ा ले रहा था. जल्दी कोई नही थी. वह एक बार झर चुकी थ्जी. दूसरी बार झारी तऊ मेरे लंड की तारीफ लारने लगी जिसपर मैंने कहा, "अभी एक बार और चूत से पानी निकलेगा तब मेरा निकलेगा."

मैंने लंड को बाहर कर तोवेल से पूछकर सुखाया और कड़ी-कड़ी चूचियों को दबा उसे फीर तैयार करने लगा. वह फीर मस्त हुयी तऊ उसी तरह से उसको चोदने लगा. वह दो बार झर चुकी थी और अब पस्त हो गई थी. वह मुझे कसती बोली, "चोदो हाय अब हमको अपने पास रख लो. मैं अपने मरियल पती के साथ नही रहूंगी." छोटी बहु तऊ मेरी दीवानी हो गई थी. वह चुदाई को पा तड़प उठी थी. "हाय तुम्हारा तऊ लोहे की तरह है. रजा लगता है तुम पानी नही छोरोगे कभी."

"मेरी जान इतनी जल्दी नही झरता. आज तुम्हारी चूत को चार बार झारकर की लंड का पानी पिलौंगा तुमको."

मैं अभी छोटी बहु को चोद ही रहा था की बड़ी बहु एकदम नंगी हो कमरे मैं आई. वह मेरे पीछे आ अपनी कम उमर की देवरानी को चुदते देखकर मेरे कान मैं बोली, "हाय जल्दी करो न."

मैं बड़ी को मस्त देख छोटी को तेज़ी से चोदने लगा. तभी तीसरी बार झरते ही छोटी बहु सिसक कर हाय हाय करती बोली, "हाय रजा तीसरा पानी भी निकला. हाय दीदी यह बहुत दमदार हैं. मेरी Teen बार झर चुकी है. दीदी अपने पती तऊ २०-२५ सेकंड मैं दम तोड़ देते हैं. हाय रजा पहाड़ दो आज. दीदी अब तऊ मैं इनसे रोज़ चुद्वौंगी. हाय रोज़ दीन मैं हमारे घर आना."

"मज़ा लो देवरानी जी. खूब मज़ा लो." और दमदार चुदाई को देखती अपनी चूत मैं ऊँगली पलती बड़ी बहु.


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