एक फूल, दो कलियां PART-2
लड़कियों का हौसला बढाने के लिये पहले मैने उनकी मां को नंगा करना शुरू किया. भाभी को बांहों में लेकर चूमता हुआ मैं उनके कपड़े उतारने लगा. जल्दी ही भाभी सिर्फ़ अपने सफ़ेद ब्रेसियर और पैंटी में मेरे सामने थीं. मैने उनकी चूचियां ब्रा के ऊपर से ही दबायीं और तब तक दबाता रहा जब तक मस्ती से उनके मुंह से एक आह न निकल गयी.
फ़िर मैं मीनल की ओर मुड़ा. वह बेहद शरमा रही थी. उसे मैने खूब चूमा और बांहों में उसके छरहरे शरीर को भींच लिया. साड़ी और चोली निकालने के बाद मैने उसे हाथ भर दूर किया और उसका रूप देखने लगा. दुबली पतली सांवली काया एकदम सफ़ेद ब्रेसियर और पैंटी में बड़ी मस्त लग रही थी. छोटे पर कड़े तन्ना कर खड़े उरोज ब्रा के कपोम में दो नुकीले शम्कु बन गये थे. "मीनल रनी, तुझे तो चबा चबा कर खा जाने को जी करता है" मैने कहा तो वह आनन्द और लाज से बगलेम झांकने लगी.
अम्त में मैं नन्ही सीमा के पास आया. सीधा उसका स्कर्ट उठा कर मैने उसकी छोटी सफ़ेद पैंटी को देखा. उसकी कमसिन बुर चड्डी में से ही फ़ूली फ़ूली और बड़ी रसीली लग रही थी. सीमा बिल्कुल नहीं शरमायी बल्कि खुद ही अधीर हो कर उसने अपने हाथ उठा दिये जिससे मैं उसका स्कर्ट खींच कर आसानी से सिर में से निकाल सकूम.
उसे अधनंगा करके मैं उसकी कच्ची जवानी को भूखी नजरों से देखता रहा और फ़िर उसे जोर से चूमकर भाभी को बोला. "ये बच्ची सबसे चुदक्कड़ है भाभी, आपका खूब नाम रोशन करेगी" एक सफ़ेद लेस की ब्रेसियर में कसे सीमा के उरोज अभी छोटे थे पर फ़िर भी मीनल से बड़े थे. "भाभी, इस उम्र में ऐसी चूचियां हैं सीमा की, बड़ी होने तक तो मस्त मोटे पपीते हो जायेंगे आप से भी बड़े"
सीमा को बाहों में भर कर चूमते हुए मैने भाभी से कहा. "भाभी, अब जोड़ियां बनाकर आधा घम्टे तक सिर्फ़ अपने साथी को गोद में बिठा कर प्यार करेंगे. देखिये क्या मजा आयेगा इन जवान कलियों को बांहों में भरकर, उनके मीठे मुखरस का पान करके और उनके कसे जवान शरीर को मसल कर. आप मीनल को गोद में लेकर उस कुर्सी मैं बैठ जाइये और मैं सीमा को यहां खिलाता हूं."
सीमा को गोद में लेकर मैं बैठ गया और उसे लन्ड पर बिठा लिया. सामने आइने में उस कमसिन गुड़िया का ब्रेसियर और पैंटी में कसा मादक शरीर मेरी बाहों में देखकर मेरा लन्ड और खड़ा हो गया और सीमा को आराम से साइकिल के डम्डे जैसा संहालता हुआ ऊपर नीचे होने लगा. सीमा ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दीं और अपना गुलाब जैसा मुंह आधा खोलकर मेरी तरफ़ बढा दिया जैसे कि कह रही हो कि लीजिये अंकल, चूमिये इस रसीली चीज़ को.
मैं उस कोमल मुंह को अपने होठों में दबाकर मिठाई जैसा चूसने लगा. अपने हाथों में मैने ब्रेसियर के कपोम में ढके हुए उन कमसिन उरोजोम को पकड़ा और दबाते हुए मसल मसल कर उनका मजा मेने लगा. ऐसा लग रहा था कि अभी सीमा को पकड़ कर उसे पटक कर उसपर चढ जाऊम और चोद डालूम या गांड मार लूम. पर यही स्वर्गिक सुख तो मुझे घम्टे भर भोगना था इसलिये सीमा को बेतहाशा चूमता हुआ और बाहों में मसलता हुआ उसकी कमसिन जवानी का मजा मैं लेने लगा.
उधर भाभी की और देखा तो एक और स्वर्गिक द्रुश्य दिखा. अर्धनग्न भाभी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पहने हुए कुर्सी पर बैठी थी और अपनी लाड़ली बेटी मीनल को गोद में बिठा कर उसके बड़े प्यार से चुम्बन ले रही थी. मीनल का सांवला छरहरा शरीर कस कर बांधी हुई ब्रेसियर में और सफ़ेद टाइट पैंटी में बड़ा मोहक लग रहा था. मीनल अभी भी शरमा रही थी पर उसके चेहरे पर एक मादक प्यास झलक रही थी. कुछ ही देर में उसने अपनी बांहें अपनी मां के गले में डाल दीं और चुम्बनों का प्रतिसाद देने लगी.
मैने भाभी को कहा. "क्यों भाभी, मजा आ रहा है ना अपनी बेटी की जवानी का स्वाद लेते हुए? अब ऐसा कीजिये कि अपनी जीभ मीनल को चूसने दीजिये और खुद उसकी रसीली जीभ चूसिये. और जरा देखिये उस जवान लड़की के कसे मम्मे कैसे मस्त तने हैं उस ब्रेसियर में भिच कर. और चूचुक भी खड़े हो गये हैं. जरा इन कपों को प्यार से मसलिये, धीरे नहीं, जोर लगा कर जैसे आप आटा गूंधती हैं, देखिये कैसे हुमकती है यह चिड़िया."
भाभी ने अब अपनी बेटी की चूचियां दबाते हुए उसके मुंह का चुम्बन लेते हुए उसका पूरा भोग करना शुरू कर दिया. मीनल अपने बन्द मुंह से सिसकने लगी. उसे यह मस्ती सहन नहीं हो रही थी. जब वह अपनी जांघें रगड़ने लगी तो भाभी ने बड़े वात्सल्य से एक हाथ उसकी चूची पर से हटाया और चड्डी के ऊपर से ही उसकी बुर रगड़ने लगी. भाभी ने उसे इतना मस्त रगड़ा कि हल्की दबी चीख के साथ मीनल झड़ गई और अपनी मां को चूमती हुई उससे बुरी तरह चिपट गयी.
"शाबास भाभी" मैने उनकी दाद दी. "खूब मुठ्ठ मारिये अपनी बेटी की क्योंकि इतनी मेहनत के बाद इनकी बुर से रस निकाला है, अब यह रस बन्द नहीं होना चाहिये. यह रिसता अंऋत भी हमें ही चखना है. बड़ी बेटी का रस निकालना तो अपने शुरू कर दिया, अब मै इस छोटी बच्ची की चूत को मस्त करता हूं"
और मैने अपने हाथों में लेकर उस मांसल फ़ूली बुर को चड्डी के ऊपर से ही मसलना और उंगली से उसकी चीर रगड़ना शुरू कर दिया. सीमा मस्ती से हुमकी तो मैने उसकी जीभ अपने मुंह में खींच ली और फ़िर हाथ उसकी पैंटी की इलास्टिक में से अन्दर डाल उंगली से उसकी मुठ्ठ मारने लगा. बड़ी मुलायम गीली बुर थी और जरा सा मक्के के दाने जैसा कड़ा चिकना क्लिटोरिस भी मेरी फ़िरती उंगली को महसूस हो रहा था.
मैने उस हीरे को मस्त हौले हौले सहलाया तो मचल मचल कर सीमा मेरी गोद में उछलने लगी और हाथ पैर पटकने लगी. मैने उसे जकड़े रखा और उसका मुंह चूसता रहा. मैं तब तक सीमा की बुर मसलता रहा जब तक वह किशोरी भी मेरी बांहों में ढेर न हो गयी. मुंह मेरे होंठों में दबा होने से वह एक जरा सी चीं के अलावा कोई आवाज भी नहीं निकाल पायी.
मैने भाभी से कहा "चलिये भाभी, दोनों चूतें अब रस छोड़ने के लिये तैयार हैं, इनकी चड्डी निकाल कर एक बार और झड़ाते हैं और फ़िर हमारे लिये इस रस का खजाना तैयार है. आप भी चूसिये और मैं भी पीता हूं. कुछ देर बाद चूतें बदल कर चूस लेंगे."
गरमायी हुई भाभी ने तत्काल मीनल की चड्डी खींच कर निकाल दी. आंखें भर के वे अपनी बेटी की नंगी चूत को देखती रहीं और फ़िर सीधा अपनी उंगली उसकी बुर की गहरी लकीर में चलाती हुए उसे उंगली से चोदने लगीं. "अनिल, तूने बिलकुल सही कहा था. मां बेटी की रतिक्रीड़ा से बढ कर मादक और कुछ नहीं हो सकता." मीनल अब पूरी तरह से उत्तेजित होकर कसमसा रही थी. "मां, बहुत अच्छा लगता है. और करो ना मां."
मैं भी अब सीमा की चड्डी उतार चुका था. उस कोमल फ़ूली हुई कुंवारी मासूम बुर को जब मैने पास से देखा तो दीवाना हो गया. बुर पर बस छोटे छोटे रेशमी बाल थे और गहरी लकीर में से मानों शहद चू रहा था. मैने उस लकीर में उंगली डाल दी और उस चिपचिपे छेद को प्यार से रगड़ कर उसमें से और रस निकालने लगा.
"हा ऽ य ऽ अनिल अंकल, आप कितना अच्छा करते हैं, इतना मजा तो मुझे खुद करने में भी नहीं आता है." "तो हमारी प्यारी गुड़िया रोज अपनी ही उंगली से हस्तमैथुन करती है, शाब्बास, बड़ी हो गयी है अब, बच्ची नहीं रही." मैने कहा.
अपने चूतड़ उचका कर मेरी उंगली का दबाव बढाने की भरसक कोशिश करते हुए सीमा आगे चहकी. "हां अंकल, दीदी भी तो रोज मुट्ठ मारती है, मेरे पास वाले पलन्ग पर सोती है ना, मुझे सब सुनाई देता है."
उंगली पर लगा रस मैने चख कर देखा तो मजा आ गया. अब मुझसे न रहा गया. उठ कर सीमा को मैने कुर्सी में बिठाया और खुद उसके सांअने उसकी टांगों को फ़ैला कर उनके बीच में बैठ गया. फ़िर सीधा की बुर पर मुंह जमा कर चूसने लगा. उस कुम्वारे रस की बात ही और थी. पूरा गाढा मेवा था. सीमा भी चहक चहक कर मेरे सिर को पकड़कर आगे पीछे होती हुई मेरे मुंह को ही चोदने लगी. "दीदी, इतना मजा आ रहा है बुर चुसवाने मेम, तू भी मां से चुसवा ले, मम्मी, दीदी की बुर चूसो ना जैसे अंकल मेरी चूस रहे हैं."
भाभी ने उठकर मीनल को कुर्सी में बिठाया और उसकी सांवली टांगेम फ़ैलाकर मीनल की चूत चूसने लगी. भाभी के चूसने की आवाज ऐसी आ रही थी जैसे कोई आंअ चूस रहा हो. मीनल अपने सिर को इधर उधर हिलाते हुए छटपटाने लगी, उसे यह कांअसुख सहन नहीं हो रहा था. "उई ऽ मां, ओ ऽ मां ऽ" के सिवाय वह कुछ नहीं कह पा रही थी.
दस मिनट तक हम दोनों ने भरपूर अपने अपने शिकार को भोगा और मन लगा कर रसपान किया. सीमा जब चुसवा चुसवा कर लस्त हो गयी और चिल्लाने लगी "बस अंकल, अब छोड़िये, अब नहीं सहन होता" तब उठ कर मैं भाभी के पास गया और उन्हें भी उठाया. भाभी अपनी बड़ी बेटी की बुर चूसने में इतनी मस्त थीं कि मुझे उन्हें जबरदस्ती उठाना पड़ा. मीनल भी अभी तक मस्त थी और कई बार झड़ने के बावजूद अभी भी चुसवाने को तैयार थी. "मां, और चूसो ना, अभी मत जाओ" वह याचना करने लगी.
मैने उसकी काली चिकनी दुबली पतली टांगों के बीच स्थान लेते हुए कहा. "मीनल रानी, तड़पो मत, मैं हूं ना, देख ऐसा चूसता हूं कि सारा रस निचोड़ लूंगा तेरी गीली बुर से" और मैं अब मीनल की रसीली बुर चूसने लगा. नया स्वाद, नई छोकरी, नई बुर, मजे का क्या कहना. मैने सीधे अपनी जीभ मीनल की सकरी कुम्वारी चूत में घुसेड़ी और चोदते हुए चूसने लगा. मीनल ने आवेश में आकर अपनी छरहरी टांगेम मेरे सिर के इर्द गिर्द कस लीं और एक चीख के साथ ढेर हो गयी. " आ ऽ ई ऽ मां ऽ, मर गयी मैम" मैं उसके सिसकने की परवाह न करके चूसता रहा.
उधर भाभी ने जाकर पहले अपनी छोटी बेटी का प्यार से चुम्बन लिया और उसके कमसिन स्तन मसलने लगी. सीमा खुश थी "हाय मां, अंकल ने इतना चूसा कि सारा रस निकाल दिया, लगता है कि अब चूत में जान ही नहीं है."
भाभी ने उसकी जांघों के बीच बैठते हुए कहा "ऐसा नहीं कहते बेटी, अभी तो तेरी मां ने तेरा एक बूम्द रस भी नहीं पिया, अभी से तू ढेर हो गयी? अभी तो मुझे अपनी बुर का रस पिलाना है तुझे" और वह सीमा की बुर धीरे धीरे चाटने लगी. जब जब उसकी जीभ उस कमसिन कली के क्लिटोरिस पर से गुजरती, सीमा चिहुक जाती "मम्मी, मत करो ना, रहा नहीं जाता" पर भाभी ने एक न सुनी और चाटती रही. धीरे धीरे सीमा फ़िर गरमायी और हचक हचक कर अपनी मां के मुंह पर धक्के मारने लगी. भाभी ने समझ लिया कि लड़की फ़िर गरमा गयी है और अपना मुंह लगा कर सीमा की बुर का रस पान चालू कर दिया.
आधे घम्टे बाद दोनों लड़कियां लस्त होकर कराहती हुई कुर्सी में टिक कर चुपचाप पड़ी थीं. मैने और भाभी ने चूस चूस कर उनकी जवान बुरेम खाली कर दी थीं. वे करीब करीब बेहोश हो गयी थीं और पड़ी पड़ी सिसक रही थीं. उनके चेहरे पर तृप्ति के इतने सुखद भाव थे जैसे स्वर्ग पहुम्च गयी होम. मैं और भाभी उठ खड़े हुए. हम भी अब पूरी तरह से कांआतुर थे. इतनी देर दो जवान छोकरियों को बिना खुद स्खलित हुए भोगने के बाद हमारी वासना का अम्त ही नहीं था. भाभी तो कांअज्वर से ऐसे तड़प रही थीं जैसे पानी से निकाली मछली.
फ़िर मैं मीनल की ओर मुड़ा. वह बेहद शरमा रही थी. उसे मैने खूब चूमा और बांहों में उसके छरहरे शरीर को भींच लिया. साड़ी और चोली निकालने के बाद मैने उसे हाथ भर दूर किया और उसका रूप देखने लगा. दुबली पतली सांवली काया एकदम सफ़ेद ब्रेसियर और पैंटी में बड़ी मस्त लग रही थी. छोटे पर कड़े तन्ना कर खड़े उरोज ब्रा के कपोम में दो नुकीले शम्कु बन गये थे. "मीनल रनी, तुझे तो चबा चबा कर खा जाने को जी करता है" मैने कहा तो वह आनन्द और लाज से बगलेम झांकने लगी.
अम्त में मैं नन्ही सीमा के पास आया. सीधा उसका स्कर्ट उठा कर मैने उसकी छोटी सफ़ेद पैंटी को देखा. उसकी कमसिन बुर चड्डी में से ही फ़ूली फ़ूली और बड़ी रसीली लग रही थी. सीमा बिल्कुल नहीं शरमायी बल्कि खुद ही अधीर हो कर उसने अपने हाथ उठा दिये जिससे मैं उसका स्कर्ट खींच कर आसानी से सिर में से निकाल सकूम.
उसे अधनंगा करके मैं उसकी कच्ची जवानी को भूखी नजरों से देखता रहा और फ़िर उसे जोर से चूमकर भाभी को बोला. "ये बच्ची सबसे चुदक्कड़ है भाभी, आपका खूब नाम रोशन करेगी" एक सफ़ेद लेस की ब्रेसियर में कसे सीमा के उरोज अभी छोटे थे पर फ़िर भी मीनल से बड़े थे. "भाभी, इस उम्र में ऐसी चूचियां हैं सीमा की, बड़ी होने तक तो मस्त मोटे पपीते हो जायेंगे आप से भी बड़े"
सीमा को बाहों में भर कर चूमते हुए मैने भाभी से कहा. "भाभी, अब जोड़ियां बनाकर आधा घम्टे तक सिर्फ़ अपने साथी को गोद में बिठा कर प्यार करेंगे. देखिये क्या मजा आयेगा इन जवान कलियों को बांहों में भरकर, उनके मीठे मुखरस का पान करके और उनके कसे जवान शरीर को मसल कर. आप मीनल को गोद में लेकर उस कुर्सी मैं बैठ जाइये और मैं सीमा को यहां खिलाता हूं."
सीमा को गोद में लेकर मैं बैठ गया और उसे लन्ड पर बिठा लिया. सामने आइने में उस कमसिन गुड़िया का ब्रेसियर और पैंटी में कसा मादक शरीर मेरी बाहों में देखकर मेरा लन्ड और खड़ा हो गया और सीमा को आराम से साइकिल के डम्डे जैसा संहालता हुआ ऊपर नीचे होने लगा. सीमा ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दीं और अपना गुलाब जैसा मुंह आधा खोलकर मेरी तरफ़ बढा दिया जैसे कि कह रही हो कि लीजिये अंकल, चूमिये इस रसीली चीज़ को.
मैं उस कोमल मुंह को अपने होठों में दबाकर मिठाई जैसा चूसने लगा. अपने हाथों में मैने ब्रेसियर के कपोम में ढके हुए उन कमसिन उरोजोम को पकड़ा और दबाते हुए मसल मसल कर उनका मजा मेने लगा. ऐसा लग रहा था कि अभी सीमा को पकड़ कर उसे पटक कर उसपर चढ जाऊम और चोद डालूम या गांड मार लूम. पर यही स्वर्गिक सुख तो मुझे घम्टे भर भोगना था इसलिये सीमा को बेतहाशा चूमता हुआ और बाहों में मसलता हुआ उसकी कमसिन जवानी का मजा मैं लेने लगा.
उधर भाभी की और देखा तो एक और स्वर्गिक द्रुश्य दिखा. अर्धनग्न भाभी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पहने हुए कुर्सी पर बैठी थी और अपनी लाड़ली बेटी मीनल को गोद में बिठा कर उसके बड़े प्यार से चुम्बन ले रही थी. मीनल का सांवला छरहरा शरीर कस कर बांधी हुई ब्रेसियर में और सफ़ेद टाइट पैंटी में बड़ा मोहक लग रहा था. मीनल अभी भी शरमा रही थी पर उसके चेहरे पर एक मादक प्यास झलक रही थी. कुछ ही देर में उसने अपनी बांहें अपनी मां के गले में डाल दीं और चुम्बनों का प्रतिसाद देने लगी.
मैने भाभी को कहा. "क्यों भाभी, मजा आ रहा है ना अपनी बेटी की जवानी का स्वाद लेते हुए? अब ऐसा कीजिये कि अपनी जीभ मीनल को चूसने दीजिये और खुद उसकी रसीली जीभ चूसिये. और जरा देखिये उस जवान लड़की के कसे मम्मे कैसे मस्त तने हैं उस ब्रेसियर में भिच कर. और चूचुक भी खड़े हो गये हैं. जरा इन कपों को प्यार से मसलिये, धीरे नहीं, जोर लगा कर जैसे आप आटा गूंधती हैं, देखिये कैसे हुमकती है यह चिड़िया."
भाभी ने अब अपनी बेटी की चूचियां दबाते हुए उसके मुंह का चुम्बन लेते हुए उसका पूरा भोग करना शुरू कर दिया. मीनल अपने बन्द मुंह से सिसकने लगी. उसे यह मस्ती सहन नहीं हो रही थी. जब वह अपनी जांघें रगड़ने लगी तो भाभी ने बड़े वात्सल्य से एक हाथ उसकी चूची पर से हटाया और चड्डी के ऊपर से ही उसकी बुर रगड़ने लगी. भाभी ने उसे इतना मस्त रगड़ा कि हल्की दबी चीख के साथ मीनल झड़ गई और अपनी मां को चूमती हुई उससे बुरी तरह चिपट गयी.
"शाबास भाभी" मैने उनकी दाद दी. "खूब मुठ्ठ मारिये अपनी बेटी की क्योंकि इतनी मेहनत के बाद इनकी बुर से रस निकाला है, अब यह रस बन्द नहीं होना चाहिये. यह रिसता अंऋत भी हमें ही चखना है. बड़ी बेटी का रस निकालना तो अपने शुरू कर दिया, अब मै इस छोटी बच्ची की चूत को मस्त करता हूं"
और मैने अपने हाथों में लेकर उस मांसल फ़ूली बुर को चड्डी के ऊपर से ही मसलना और उंगली से उसकी चीर रगड़ना शुरू कर दिया. सीमा मस्ती से हुमकी तो मैने उसकी जीभ अपने मुंह में खींच ली और फ़िर हाथ उसकी पैंटी की इलास्टिक में से अन्दर डाल उंगली से उसकी मुठ्ठ मारने लगा. बड़ी मुलायम गीली बुर थी और जरा सा मक्के के दाने जैसा कड़ा चिकना क्लिटोरिस भी मेरी फ़िरती उंगली को महसूस हो रहा था.
मैने उस हीरे को मस्त हौले हौले सहलाया तो मचल मचल कर सीमा मेरी गोद में उछलने लगी और हाथ पैर पटकने लगी. मैने उसे जकड़े रखा और उसका मुंह चूसता रहा. मैं तब तक सीमा की बुर मसलता रहा जब तक वह किशोरी भी मेरी बांहों में ढेर न हो गयी. मुंह मेरे होंठों में दबा होने से वह एक जरा सी चीं के अलावा कोई आवाज भी नहीं निकाल पायी.
मैने भाभी से कहा "चलिये भाभी, दोनों चूतें अब रस छोड़ने के लिये तैयार हैं, इनकी चड्डी निकाल कर एक बार और झड़ाते हैं और फ़िर हमारे लिये इस रस का खजाना तैयार है. आप भी चूसिये और मैं भी पीता हूं. कुछ देर बाद चूतें बदल कर चूस लेंगे."
गरमायी हुई भाभी ने तत्काल मीनल की चड्डी खींच कर निकाल दी. आंखें भर के वे अपनी बेटी की नंगी चूत को देखती रहीं और फ़िर सीधा अपनी उंगली उसकी बुर की गहरी लकीर में चलाती हुए उसे उंगली से चोदने लगीं. "अनिल, तूने बिलकुल सही कहा था. मां बेटी की रतिक्रीड़ा से बढ कर मादक और कुछ नहीं हो सकता." मीनल अब पूरी तरह से उत्तेजित होकर कसमसा रही थी. "मां, बहुत अच्छा लगता है. और करो ना मां."
मैं भी अब सीमा की चड्डी उतार चुका था. उस कोमल फ़ूली हुई कुंवारी मासूम बुर को जब मैने पास से देखा तो दीवाना हो गया. बुर पर बस छोटे छोटे रेशमी बाल थे और गहरी लकीर में से मानों शहद चू रहा था. मैने उस लकीर में उंगली डाल दी और उस चिपचिपे छेद को प्यार से रगड़ कर उसमें से और रस निकालने लगा.
"हा ऽ य ऽ अनिल अंकल, आप कितना अच्छा करते हैं, इतना मजा तो मुझे खुद करने में भी नहीं आता है." "तो हमारी प्यारी गुड़िया रोज अपनी ही उंगली से हस्तमैथुन करती है, शाब्बास, बड़ी हो गयी है अब, बच्ची नहीं रही." मैने कहा.
अपने चूतड़ उचका कर मेरी उंगली का दबाव बढाने की भरसक कोशिश करते हुए सीमा आगे चहकी. "हां अंकल, दीदी भी तो रोज मुट्ठ मारती है, मेरे पास वाले पलन्ग पर सोती है ना, मुझे सब सुनाई देता है."
उंगली पर लगा रस मैने चख कर देखा तो मजा आ गया. अब मुझसे न रहा गया. उठ कर सीमा को मैने कुर्सी में बिठाया और खुद उसके सांअने उसकी टांगों को फ़ैला कर उनके बीच में बैठ गया. फ़िर सीधा की बुर पर मुंह जमा कर चूसने लगा. उस कुम्वारे रस की बात ही और थी. पूरा गाढा मेवा था. सीमा भी चहक चहक कर मेरे सिर को पकड़कर आगे पीछे होती हुई मेरे मुंह को ही चोदने लगी. "दीदी, इतना मजा आ रहा है बुर चुसवाने मेम, तू भी मां से चुसवा ले, मम्मी, दीदी की बुर चूसो ना जैसे अंकल मेरी चूस रहे हैं."
भाभी ने उठकर मीनल को कुर्सी में बिठाया और उसकी सांवली टांगेम फ़ैलाकर मीनल की चूत चूसने लगी. भाभी के चूसने की आवाज ऐसी आ रही थी जैसे कोई आंअ चूस रहा हो. मीनल अपने सिर को इधर उधर हिलाते हुए छटपटाने लगी, उसे यह कांअसुख सहन नहीं हो रहा था. "उई ऽ मां, ओ ऽ मां ऽ" के सिवाय वह कुछ नहीं कह पा रही थी.
दस मिनट तक हम दोनों ने भरपूर अपने अपने शिकार को भोगा और मन लगा कर रसपान किया. सीमा जब चुसवा चुसवा कर लस्त हो गयी और चिल्लाने लगी "बस अंकल, अब छोड़िये, अब नहीं सहन होता" तब उठ कर मैं भाभी के पास गया और उन्हें भी उठाया. भाभी अपनी बड़ी बेटी की बुर चूसने में इतनी मस्त थीं कि मुझे उन्हें जबरदस्ती उठाना पड़ा. मीनल भी अभी तक मस्त थी और कई बार झड़ने के बावजूद अभी भी चुसवाने को तैयार थी. "मां, और चूसो ना, अभी मत जाओ" वह याचना करने लगी.
मैने उसकी काली चिकनी दुबली पतली टांगों के बीच स्थान लेते हुए कहा. "मीनल रानी, तड़पो मत, मैं हूं ना, देख ऐसा चूसता हूं कि सारा रस निचोड़ लूंगा तेरी गीली बुर से" और मैं अब मीनल की रसीली बुर चूसने लगा. नया स्वाद, नई छोकरी, नई बुर, मजे का क्या कहना. मैने सीधे अपनी जीभ मीनल की सकरी कुम्वारी चूत में घुसेड़ी और चोदते हुए चूसने लगा. मीनल ने आवेश में आकर अपनी छरहरी टांगेम मेरे सिर के इर्द गिर्द कस लीं और एक चीख के साथ ढेर हो गयी. " आ ऽ ई ऽ मां ऽ, मर गयी मैम" मैं उसके सिसकने की परवाह न करके चूसता रहा.
उधर भाभी ने जाकर पहले अपनी छोटी बेटी का प्यार से चुम्बन लिया और उसके कमसिन स्तन मसलने लगी. सीमा खुश थी "हाय मां, अंकल ने इतना चूसा कि सारा रस निकाल दिया, लगता है कि अब चूत में जान ही नहीं है."
भाभी ने उसकी जांघों के बीच बैठते हुए कहा "ऐसा नहीं कहते बेटी, अभी तो तेरी मां ने तेरा एक बूम्द रस भी नहीं पिया, अभी से तू ढेर हो गयी? अभी तो मुझे अपनी बुर का रस पिलाना है तुझे" और वह सीमा की बुर धीरे धीरे चाटने लगी. जब जब उसकी जीभ उस कमसिन कली के क्लिटोरिस पर से गुजरती, सीमा चिहुक जाती "मम्मी, मत करो ना, रहा नहीं जाता" पर भाभी ने एक न सुनी और चाटती रही. धीरे धीरे सीमा फ़िर गरमायी और हचक हचक कर अपनी मां के मुंह पर धक्के मारने लगी. भाभी ने समझ लिया कि लड़की फ़िर गरमा गयी है और अपना मुंह लगा कर सीमा की बुर का रस पान चालू कर दिया.
आधे घम्टे बाद दोनों लड़कियां लस्त होकर कराहती हुई कुर्सी में टिक कर चुपचाप पड़ी थीं. मैने और भाभी ने चूस चूस कर उनकी जवान बुरेम खाली कर दी थीं. वे करीब करीब बेहोश हो गयी थीं और पड़ी पड़ी सिसक रही थीं. उनके चेहरे पर तृप्ति के इतने सुखद भाव थे जैसे स्वर्ग पहुम्च गयी होम. मैं और भाभी उठ खड़े हुए. हम भी अब पूरी तरह से कांआतुर थे. इतनी देर दो जवान छोकरियों को बिना खुद स्खलित हुए भोगने के बाद हमारी वासना का अम्त ही नहीं था. भाभी तो कांअज्वर से ऐसे तड़प रही थीं जैसे पानी से निकाली मछली.
मैने भाभी को बाहों में लेकर चूमा और उनकी जांघों के बीच हाथ लगाकर टटोला. चड्डी बिल्कुल गीली थी और भाभी की बुर बुरी तरह से चू रही थी. भाभी ने एक मूक प्रार्थना भरी दृष्टि से मेरी ओर देखा. मैं समझ गया "आइये भाभी, आपकी चुदासी की प्यास दूर कर देता हूं और अपनी रस की प्यास भी बुझा लेता हूं".
मैं पलन्ग पर लेट गया और भाभी को अपने ऊपर सुला कर उन्हें खूब चूमा. फ़िर भाभी को बोला "भाभी, अब आप मेरे मुंह पर बैठ कर मेरी जीभ को चोद लीजिये, आप भी झड़ जायेंगी और मुझे भी आपकी पकी हुई रसीली बुर का पानी मिल जायेगा" भाभी ने कांपते हाथों से पैंटी उतारी और मेरे मुंह पर बैठ गयीं. उनकी घनी झांटोम ने मेरे मुंह को ढक लिया और उनकी गीली चूत मानों मेरे खुले होंठों को प्यार से चूमने लगी.
मैने चूत चूसना शुरू किया और उसे अपनी जीभ से भी चोदने लगा. सुधा भाभी भी उछल उछल कर मेरे मुंह को चोदने लगीं. भाभी बहुत देर से मस्त थीं इसलिये पांच ही मिनट में एक सिसकी के साथ झड़ गयीं और मुझे पीने को मानों चिपचिपे गाढे पके हुए रस का खजाना मिल गया. "हाय अनिल भैया, आज तो इतना मजा आ रहा है कि पूछो मत, सच मेरी प्यारी बेटियों का चूत रस तो मानों अमृत है जिसे पीने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि मैं दिन रात चुदाई कर सकती हूं." भाभी ने मेरे मुंह में स्खलित होते होते सिसकारियां लेते हुए कहा.
पूरा बुर का पानी पिलाने के बाद भाभी उठीं तो मैने उन्हें कहा. "भाभीजी, अब आपको चोदने का मन कर रहा है" भाभी ने मेरा चुम्बन लेते हुए कहा "मुझे चोदोगे या पहले बच्चियों की लोगे?" मैने कहा "चोदना तो मुझे तीनों चूतों को है पर लन्ड इतना मोटा हो गया है कि बच्चियां रो पड़ेंगी. इसलिये आपका मस्त भोसड़ा पहले चोदूंगा, फ़िर मीनल की चूत भोगूंगा और एकदम आखिर में इस नन्ही कली की बुर का मजा लूंगा"
भाभी पलन्ग पर लेटने लगीं तो मैने कहा "ऐसे नहीं भाभी, आप ही चोदिये, मैं ऐसा ही पड़ा रहता हूं, मेरे लन्ड पर बैठ जाइये और प्यार से चोदिये जैसा आपका मन करे"
भाभी जोश में थी हीं, झट से मुझपर चढ गयीं और मेरा लन्ड अपनी बुर में घुसेड़ कर चोदने लगीं. उनके ऊपर नीचे होने से उनकी घनी झांटेम बार बार मेरे पेट पर टिक जाती थीं. लेटे लेटे नीचे से उनके उछलते हुए मम्मे भी मुझे बड़े प्यारे लग रहे थे. मैने हाथ बढाकर उन्हें मसलना शुरू जर दिया.
भाभी अब ताव में आकर मुझे बेतहाशा चोदने लगीं. एक बार झड़ीं और कुछ देर लस्त होकर मेरे ऊपर लेट गईं और मुझे चूमने लगीं. मैं झड़ने के करीब था पर ऐसे ही पड़े पड़े चुदना चाहता था ताकि अपना सारा जोश उन बच्चियों के लिये बचा कर रखूम. मैने पुचकार पुचकार कर भाभी को तैयार किया और दम लेने के बाद वे फ़िर मेरे ऊपर बैठ गयीं और चोदने लगीं. इस बार उन्होंने ऐसा मस्त चोदा कि मुझे झड़ाकर ही रुकीं.
झड़ते ही मैने उन्हें दबोच कर पलट कर अपने नीचे कर लिया जिससे वीर्य बाहर न निकल आये. फ़िर सीमा और मीनल को बुलाया. "आओ बच्चियों, तुम्हरे लिये एक मस्त स्नैक तैयार है" दोनों अब तक संहल चुकी थी और बड़े उत्सुकता से हमारी चुदाई देख रही थीं. सीमा पहले आई और उसे मैने अपना लन्ड चूसने को दे दिया "ले मेरी गुड़िया, लौड़ा चूस, इसमें तुझे तेरी मां की चूत का भी रस लगा मिलेगा" वह खुशी खुशी लन्ड चूसने लगी.
तब तक शरमाती हुई मीनल भी आ पहुंची थी. उसे भाभी ने प्यार से बाहों में भर लिया और फ़िर अपनी जांघें खोल कर मीनल का सिर उनमें घुसेड़ लिया. सीमा के मुंह में अपनी चूत देते हुए भाभी बोलीं "बेटी, पूरा चूस ले, अंकल का रस भी है और मेरा भी, खास मेरी प्यारी बेटी के लिये अमृत बनाया है."
जब तक दोनों लड़कियां रस चूस रही थीं तब तक भाभी और मैं बातें करके आगे का प्लान बनाने लगे. "अनिल, मैने काफ़ी चुदा लिया, अब बस इन बच्चियों को चोदो, रात भर इनकी बुर मारो, आज बिल्कुल खुल जाना चाहिये क्योंकि कल से इनकी चुदाई जरा कम करना"
मैं समझ रहा था और सहमत था "हां भाभी, इन प्यारी कुम्वारी चूतों को ज्यादा चोद कर फ़ुकला करके कोई फ़ायदा नहीं, आखिर इनकी शादी भी करनी है. मैं तो बस हफ़्ते में दो तीन बार इन्हें चोदूंगा, बाकी समय आपको ही चुदना पड़ेगा" सुनकर सीमा मचल उठी. "अम्मा, अंकल हमें नहीं चोदेंगे तो हम क्या करेंगे?" मैने उन्हें समझाया कि मैं और भाभी मिलकर रोज उनकी बुर चूसा करेंगे तब वह कुछ शांत हुई.
मैं असल में अब उन सब की गांड मारना शुरू करना चाहता था, खास कर बच्चियों की कसी हुई जवान गांड, पर मुझे मालूम था कि भाभी आसानी से नहीं मानेंगी. उन्हें मनाने का भी एक मस्त गम्दा पर बड़ा कांउक नुस्खा मैने सोच लिया था. पर मैने निश्चय किया कि मौका देखकर ही आजमाऊंगा, आज तो बच्चियों को चोदना था.
मेरा लन्ड और भाभी की बुर चूस कर जब दोनों उठीं तो मैने चुदाई की तैयारी शुरू की. "पहले मीनल बेटी को चोदूंगा भाभी, वह बड़ी है और मेरा मोटा लन्ड लेने में ज्यादा नहीं रोएगी. आओ मेरी तीनों प्यारी चूतोम, मुझे कुछ मजा लेने दो जिससे मेरा लौड़ा मस्त खड़ा हो जाये."
मैं मीनल को बांहों में लेकर लेट गया और उसकी कड़ी चूचियां दबाता हुआ उसे चूमने लगा. वह शरमा रही थी पर बड़े प्यार से चुम्मा दे रही थी. उधर सीमा मेरे लन्ड को चाट चाट कर खड़ा करने में जुट गयी. भाभी हमारे पास आकर बैठीं तो मैने उन्हें कहा "भाभीजी, आप दोनों लड़कियों की चूत में दो दो उंगली डाल दीजिये और चोदिये. बुरेम कुछ फ़ैलेंगी तो बाद में दर्द कम होगा.
सीमा की मखमली जीभ ने जल्दी ही मेरे लन्ड को तन्ना कर खड़ा कर दिया. मीनल को मैने पलन्ग पर लिटाया और उसके नितम्बोम के नीचे एक तकिया रखा. वह अब थोड़ा घबरा रही थी. भाभी के पुचकारने पर उसने जांघें फ़ैलायीं और मैं उसकी टांगों के बीच अपना लन्ड संहाल कर बैठ गया. मैने भाभी से आंख मारते हुए कहा "आप जरा तैयार रहिये"
भाभी समझ गई और सीमा के कान में कुछ कहा. सीमा ने आकर मीनल के दोनों हाथ ऊपर कर के तकिये पर रखे और उनपर बैठ गयी. मीनल घबरा कर रोने लगी. "यह क्या कर रही है सीमा, छोड़ मुझे" मैने अब अपना सुपाड़ा मीनल की कुम्वारी चूत पर रखा और दबाना शुरू किया. "दुखेगा मेरी रानी, पर घबरा मत, मजा भी आएगा, और पहली बार चुदाने का मजा तो तभी आता है जब दर्द हो."
मैने अपनी उंगलियों से चूत चौड़ी की और कस कर पेला. फ़च्च से सुपाड़ा अन्दर हो गया और मीनल दर्द से बिलबिला उठी. चीखने ही वाली थी कि भाभी ने अपने हाथ से उसका मुंह दबोच दिया. तड़पती मीनल की परवाह न करके मैने लन्ड फ़िर पेला और आधा अन्दर कर दिया. मीनल छटपटाते हुए अपने बन्द मुंह से गोंगियाने लगी.
उस कुम्वारी मखमली चूत ने मेरे लन्ड को ऐसे पकड़ रखा था जैसे किसीने मुठ्ठी में पकड़ा हो. मीनल की आंखों से अब आंसू बह रहे थे जिसे देखकर उसकी मां और बहन दोनों और उत्तेजित हो उठीं और एक दूसरे को चूमने लगीं. "मां, मजा आ गया, दीदी की चूत तो आज फ़ट जायेगी इस मोटे लन्ड से, फ़िर मैं भी फ़ड़वाऊंगी"
अब मैं वैसे ही बैठा रहा और सीमा को कहा "सीमा रानी, जरा अपनी दीदी की चूचियां चूसो, उसे मस्त करो." सीमा ने झुककर एक निपल मुंह में लिया और चूसने लगी. दूसरे स्तन को वह प्यार से सहलाने लगी. धीरे धीरे मीनल का तड़पना कम हुआ और उसने रोना बन्द कर दिया. भाभी ने उसका मुंह छोड़ा तो रोते हुए बोली. "हाय मां, बहुत दर्द होता है, अंकल, प्लीज़ अपना लौड़ा निकाल लीजिये." भाभी ने मुझसे कहा "तुम चोदो अनिल, मेरी यह बड़ी बेटी जरा ज्यादा ही नाजुक है, इसकी परवाह मत करो. बाद में देखना, चुदते हुए कैसे किलकारियां भरेगी"
"भाभी, आप इसे चूमिये, मां के मीठे मुंह से इसे बहुत राहत मिलेगी." भाभी ने झुककर अपने होंठ अपनी बेटी के मुंह पर जमा दिये और जोर से चूस चूस कर उसका चुम्बन लेने लगी. मीनल अब शांत हो चली थी और उसकी चूत फ़िर गीली हो चली थी. मैने लन्ड धीरे धीरे इम्च इम्च करके पेलना शुरू किया. जब मीनल तड़पती तो मैं लन्ड घुसेड़ना बन्द कर देता था. आखिर पूरा ८ इम्च का लन्ड उस कसी बुर में समा गया और मैने एक सुख की सांस ली. "देख मीनल, पूरा लन्ड तेरी चूत में है और खून भी नहीं निकला है."
मीनल ने थोड़ा सिर उठा कर अपनी जांघों के बीच देखा तो हैरान रह गई. फ़िर शरमा कर आंसू भरी आंखों से मेरी ओर देखने लगी. "शाबास मेरी बहादुर बिटिया, बस दर्द का कांअ खतम, अब मजा ही मजा है." भाभी बोलीं. मैने भाभी को कहा "भाभी, अब आप आराम से मीनल के मुंह पर बैठिये और उसे अपनी बुर का रस पिलाइये. मैं इधर से चोदता हूं."
भाभी उठ कर मीनल के मुंह पर अपनी चूत जमाकर बैठ गयी और सीमा को चूमते हुए धीरे धीरे अपनी बड़ी बेटी का मुंह चोदने लगी. मैने अब धीरे धीरे लन्ड अन्दर बाहर करना शुरू किया. पहले तो कसी चूत में लन्ड बड़ी मुश्किल से खिसक रहा था. मैने मीनल के क्लिटोरिस को अपनी उंगली से मसलना शुरू कर दिया और वह जवान बुर एक ही मिनट में इतनी पसीज गई कि लन्ड आसानी से फ़िसलने लगा. मैं अब उसे मस्त चोदने लगा.
मीनल को चोदते चोदते मैने पीछे से भाभी की चूचियां पकड़ लीं और दबाने लगा. सीमा भी ताव में आकर अपनी बुर को खुद ही उंगली से चोद रही थी. भाभी ने उसकी यह दशा देख कर कहा. "सब मजा कर रहे हैं, तू ही बची है बेटी, आ, मेरे सांअने खड़ी हो जा, मैं तेरी चूत चूस देती हूं, तुझे भी मजा आ जायेगा और मुझे भी अपनी रानी बेटी का रस चखने को मिल जायेगा."
एक समां सा बन्ध गया जो आधे घम्टे तक बन्धा रहा. सीमा पलन्ग पर खड़ी होकर अपनी मां के मुंह में अपनी बुर दे कर चुसवा रही थी. भाभी अपनी छोटी बेटी की बुर चाटते हुए अपनी बड़ी बेटी के मुंह पर बैठ कर उससे अपनी चूत चुसवा रही थी और मैं पीछे से भाभी के मम्मे दबाता हुआ उनकी चिकनी पीठ को चूमता हुआ हचक हचक कर मीनल की बुर चोद रहा था.
तीनों चूतें खूब झड़ीं और खुशी की किलकारियां कमरे में गूजने लगीं. आखिर मुझसे न रहा गया और मैने भाभी को हटने को कहा. "भाभी, अब आप दोनों अलग हो जाइये और अपनी चूमा चाटी चालू रखिये. मुझसे अब नहीं रहा जाता, मैं मीनल को जोर जोर से चोदूंगा."
भाभी हटीं और सीमा को लिपटकर चूमते हुए हमारी कांअक्रीड़ा का आखरी भाग देखने लगीं. मैंने मीनल पर लेट कर उसे बाहों में जकड़ लिया और अपनी जांघों में उसके कोमल तन को दबोचकर उसे चूमता हुआ हचक हचक कर चोदने लगा. मीनल की गर्म सांसेम अब जोर से चल रही थीं, वह उत्तेजित कन्या चुदने को बेताब थी. "चोदिये अंकल, और जोर से चोदिये ना, मेरी बुर फ़ाड़ दीजिये, मुझसे अब नहीं रहा जाता."
उसकी जीभ मुंह में लेकर चूसता हुआ मैं उसे पूरी शक्ति से चोद रहा था. सुख से मैं पागल हुआ जा रहा था. कुम्वारी बुर में लन्ड चलने से 'पा~म्क पा~म्क' की मस्त आवाज आ रही थी. आखिर मैंने एक करारा धक्का लगाया और लन्ड को मीनल की बुर में जड़ तक गाड़ कर स्खलित हो गया. मीनल की बुर अभी भी मेरे लौड़े को पकड़ कर जकड़े हुए थी.
मैं पलन्ग पर लेट गया और भाभी को अपने ऊपर सुला कर उन्हें खूब चूमा. फ़िर भाभी को बोला "भाभी, अब आप मेरे मुंह पर बैठ कर मेरी जीभ को चोद लीजिये, आप भी झड़ जायेंगी और मुझे भी आपकी पकी हुई रसीली बुर का पानी मिल जायेगा" भाभी ने कांपते हाथों से पैंटी उतारी और मेरे मुंह पर बैठ गयीं. उनकी घनी झांटोम ने मेरे मुंह को ढक लिया और उनकी गीली चूत मानों मेरे खुले होंठों को प्यार से चूमने लगी.
मैने चूत चूसना शुरू किया और उसे अपनी जीभ से भी चोदने लगा. सुधा भाभी भी उछल उछल कर मेरे मुंह को चोदने लगीं. भाभी बहुत देर से मस्त थीं इसलिये पांच ही मिनट में एक सिसकी के साथ झड़ गयीं और मुझे पीने को मानों चिपचिपे गाढे पके हुए रस का खजाना मिल गया. "हाय अनिल भैया, आज तो इतना मजा आ रहा है कि पूछो मत, सच मेरी प्यारी बेटियों का चूत रस तो मानों अमृत है जिसे पीने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि मैं दिन रात चुदाई कर सकती हूं." भाभी ने मेरे मुंह में स्खलित होते होते सिसकारियां लेते हुए कहा.
पूरा बुर का पानी पिलाने के बाद भाभी उठीं तो मैने उन्हें कहा. "भाभीजी, अब आपको चोदने का मन कर रहा है" भाभी ने मेरा चुम्बन लेते हुए कहा "मुझे चोदोगे या पहले बच्चियों की लोगे?" मैने कहा "चोदना तो मुझे तीनों चूतों को है पर लन्ड इतना मोटा हो गया है कि बच्चियां रो पड़ेंगी. इसलिये आपका मस्त भोसड़ा पहले चोदूंगा, फ़िर मीनल की चूत भोगूंगा और एकदम आखिर में इस नन्ही कली की बुर का मजा लूंगा"
भाभी पलन्ग पर लेटने लगीं तो मैने कहा "ऐसे नहीं भाभी, आप ही चोदिये, मैं ऐसा ही पड़ा रहता हूं, मेरे लन्ड पर बैठ जाइये और प्यार से चोदिये जैसा आपका मन करे"
भाभी जोश में थी हीं, झट से मुझपर चढ गयीं और मेरा लन्ड अपनी बुर में घुसेड़ कर चोदने लगीं. उनके ऊपर नीचे होने से उनकी घनी झांटेम बार बार मेरे पेट पर टिक जाती थीं. लेटे लेटे नीचे से उनके उछलते हुए मम्मे भी मुझे बड़े प्यारे लग रहे थे. मैने हाथ बढाकर उन्हें मसलना शुरू जर दिया.
भाभी अब ताव में आकर मुझे बेतहाशा चोदने लगीं. एक बार झड़ीं और कुछ देर लस्त होकर मेरे ऊपर लेट गईं और मुझे चूमने लगीं. मैं झड़ने के करीब था पर ऐसे ही पड़े पड़े चुदना चाहता था ताकि अपना सारा जोश उन बच्चियों के लिये बचा कर रखूम. मैने पुचकार पुचकार कर भाभी को तैयार किया और दम लेने के बाद वे फ़िर मेरे ऊपर बैठ गयीं और चोदने लगीं. इस बार उन्होंने ऐसा मस्त चोदा कि मुझे झड़ाकर ही रुकीं.
झड़ते ही मैने उन्हें दबोच कर पलट कर अपने नीचे कर लिया जिससे वीर्य बाहर न निकल आये. फ़िर सीमा और मीनल को बुलाया. "आओ बच्चियों, तुम्हरे लिये एक मस्त स्नैक तैयार है" दोनों अब तक संहल चुकी थी और बड़े उत्सुकता से हमारी चुदाई देख रही थीं. सीमा पहले आई और उसे मैने अपना लन्ड चूसने को दे दिया "ले मेरी गुड़िया, लौड़ा चूस, इसमें तुझे तेरी मां की चूत का भी रस लगा मिलेगा" वह खुशी खुशी लन्ड चूसने लगी.
तब तक शरमाती हुई मीनल भी आ पहुंची थी. उसे भाभी ने प्यार से बाहों में भर लिया और फ़िर अपनी जांघें खोल कर मीनल का सिर उनमें घुसेड़ लिया. सीमा के मुंह में अपनी चूत देते हुए भाभी बोलीं "बेटी, पूरा चूस ले, अंकल का रस भी है और मेरा भी, खास मेरी प्यारी बेटी के लिये अमृत बनाया है."
जब तक दोनों लड़कियां रस चूस रही थीं तब तक भाभी और मैं बातें करके आगे का प्लान बनाने लगे. "अनिल, मैने काफ़ी चुदा लिया, अब बस इन बच्चियों को चोदो, रात भर इनकी बुर मारो, आज बिल्कुल खुल जाना चाहिये क्योंकि कल से इनकी चुदाई जरा कम करना"
मैं समझ रहा था और सहमत था "हां भाभी, इन प्यारी कुम्वारी चूतों को ज्यादा चोद कर फ़ुकला करके कोई फ़ायदा नहीं, आखिर इनकी शादी भी करनी है. मैं तो बस हफ़्ते में दो तीन बार इन्हें चोदूंगा, बाकी समय आपको ही चुदना पड़ेगा" सुनकर सीमा मचल उठी. "अम्मा, अंकल हमें नहीं चोदेंगे तो हम क्या करेंगे?" मैने उन्हें समझाया कि मैं और भाभी मिलकर रोज उनकी बुर चूसा करेंगे तब वह कुछ शांत हुई.
मैं असल में अब उन सब की गांड मारना शुरू करना चाहता था, खास कर बच्चियों की कसी हुई जवान गांड, पर मुझे मालूम था कि भाभी आसानी से नहीं मानेंगी. उन्हें मनाने का भी एक मस्त गम्दा पर बड़ा कांउक नुस्खा मैने सोच लिया था. पर मैने निश्चय किया कि मौका देखकर ही आजमाऊंगा, आज तो बच्चियों को चोदना था.
मेरा लन्ड और भाभी की बुर चूस कर जब दोनों उठीं तो मैने चुदाई की तैयारी शुरू की. "पहले मीनल बेटी को चोदूंगा भाभी, वह बड़ी है और मेरा मोटा लन्ड लेने में ज्यादा नहीं रोएगी. आओ मेरी तीनों प्यारी चूतोम, मुझे कुछ मजा लेने दो जिससे मेरा लौड़ा मस्त खड़ा हो जाये."
मैं मीनल को बांहों में लेकर लेट गया और उसकी कड़ी चूचियां दबाता हुआ उसे चूमने लगा. वह शरमा रही थी पर बड़े प्यार से चुम्मा दे रही थी. उधर सीमा मेरे लन्ड को चाट चाट कर खड़ा करने में जुट गयी. भाभी हमारे पास आकर बैठीं तो मैने उन्हें कहा "भाभीजी, आप दोनों लड़कियों की चूत में दो दो उंगली डाल दीजिये और चोदिये. बुरेम कुछ फ़ैलेंगी तो बाद में दर्द कम होगा.
सीमा की मखमली जीभ ने जल्दी ही मेरे लन्ड को तन्ना कर खड़ा कर दिया. मीनल को मैने पलन्ग पर लिटाया और उसके नितम्बोम के नीचे एक तकिया रखा. वह अब थोड़ा घबरा रही थी. भाभी के पुचकारने पर उसने जांघें फ़ैलायीं और मैं उसकी टांगों के बीच अपना लन्ड संहाल कर बैठ गया. मैने भाभी से आंख मारते हुए कहा "आप जरा तैयार रहिये"
भाभी समझ गई और सीमा के कान में कुछ कहा. सीमा ने आकर मीनल के दोनों हाथ ऊपर कर के तकिये पर रखे और उनपर बैठ गयी. मीनल घबरा कर रोने लगी. "यह क्या कर रही है सीमा, छोड़ मुझे" मैने अब अपना सुपाड़ा मीनल की कुम्वारी चूत पर रखा और दबाना शुरू किया. "दुखेगा मेरी रानी, पर घबरा मत, मजा भी आएगा, और पहली बार चुदाने का मजा तो तभी आता है जब दर्द हो."
मैने अपनी उंगलियों से चूत चौड़ी की और कस कर पेला. फ़च्च से सुपाड़ा अन्दर हो गया और मीनल दर्द से बिलबिला उठी. चीखने ही वाली थी कि भाभी ने अपने हाथ से उसका मुंह दबोच दिया. तड़पती मीनल की परवाह न करके मैने लन्ड फ़िर पेला और आधा अन्दर कर दिया. मीनल छटपटाते हुए अपने बन्द मुंह से गोंगियाने लगी.
उस कुम्वारी मखमली चूत ने मेरे लन्ड को ऐसे पकड़ रखा था जैसे किसीने मुठ्ठी में पकड़ा हो. मीनल की आंखों से अब आंसू बह रहे थे जिसे देखकर उसकी मां और बहन दोनों और उत्तेजित हो उठीं और एक दूसरे को चूमने लगीं. "मां, मजा आ गया, दीदी की चूत तो आज फ़ट जायेगी इस मोटे लन्ड से, फ़िर मैं भी फ़ड़वाऊंगी"
अब मैं वैसे ही बैठा रहा और सीमा को कहा "सीमा रानी, जरा अपनी दीदी की चूचियां चूसो, उसे मस्त करो." सीमा ने झुककर एक निपल मुंह में लिया और चूसने लगी. दूसरे स्तन को वह प्यार से सहलाने लगी. धीरे धीरे मीनल का तड़पना कम हुआ और उसने रोना बन्द कर दिया. भाभी ने उसका मुंह छोड़ा तो रोते हुए बोली. "हाय मां, बहुत दर्द होता है, अंकल, प्लीज़ अपना लौड़ा निकाल लीजिये." भाभी ने मुझसे कहा "तुम चोदो अनिल, मेरी यह बड़ी बेटी जरा ज्यादा ही नाजुक है, इसकी परवाह मत करो. बाद में देखना, चुदते हुए कैसे किलकारियां भरेगी"
"भाभी, आप इसे चूमिये, मां के मीठे मुंह से इसे बहुत राहत मिलेगी." भाभी ने झुककर अपने होंठ अपनी बेटी के मुंह पर जमा दिये और जोर से चूस चूस कर उसका चुम्बन लेने लगी. मीनल अब शांत हो चली थी और उसकी चूत फ़िर गीली हो चली थी. मैने लन्ड धीरे धीरे इम्च इम्च करके पेलना शुरू किया. जब मीनल तड़पती तो मैं लन्ड घुसेड़ना बन्द कर देता था. आखिर पूरा ८ इम्च का लन्ड उस कसी बुर में समा गया और मैने एक सुख की सांस ली. "देख मीनल, पूरा लन्ड तेरी चूत में है और खून भी नहीं निकला है."
मीनल ने थोड़ा सिर उठा कर अपनी जांघों के बीच देखा तो हैरान रह गई. फ़िर शरमा कर आंसू भरी आंखों से मेरी ओर देखने लगी. "शाबास मेरी बहादुर बिटिया, बस दर्द का कांअ खतम, अब मजा ही मजा है." भाभी बोलीं. मैने भाभी को कहा "भाभी, अब आप आराम से मीनल के मुंह पर बैठिये और उसे अपनी बुर का रस पिलाइये. मैं इधर से चोदता हूं."
भाभी उठ कर मीनल के मुंह पर अपनी चूत जमाकर बैठ गयी और सीमा को चूमते हुए धीरे धीरे अपनी बड़ी बेटी का मुंह चोदने लगी. मैने अब धीरे धीरे लन्ड अन्दर बाहर करना शुरू किया. पहले तो कसी चूत में लन्ड बड़ी मुश्किल से खिसक रहा था. मैने मीनल के क्लिटोरिस को अपनी उंगली से मसलना शुरू कर दिया और वह जवान बुर एक ही मिनट में इतनी पसीज गई कि लन्ड आसानी से फ़िसलने लगा. मैं अब उसे मस्त चोदने लगा.
मीनल को चोदते चोदते मैने पीछे से भाभी की चूचियां पकड़ लीं और दबाने लगा. सीमा भी ताव में आकर अपनी बुर को खुद ही उंगली से चोद रही थी. भाभी ने उसकी यह दशा देख कर कहा. "सब मजा कर रहे हैं, तू ही बची है बेटी, आ, मेरे सांअने खड़ी हो जा, मैं तेरी चूत चूस देती हूं, तुझे भी मजा आ जायेगा और मुझे भी अपनी रानी बेटी का रस चखने को मिल जायेगा."
एक समां सा बन्ध गया जो आधे घम्टे तक बन्धा रहा. सीमा पलन्ग पर खड़ी होकर अपनी मां के मुंह में अपनी बुर दे कर चुसवा रही थी. भाभी अपनी छोटी बेटी की बुर चाटते हुए अपनी बड़ी बेटी के मुंह पर बैठ कर उससे अपनी चूत चुसवा रही थी और मैं पीछे से भाभी के मम्मे दबाता हुआ उनकी चिकनी पीठ को चूमता हुआ हचक हचक कर मीनल की बुर चोद रहा था.
तीनों चूतें खूब झड़ीं और खुशी की किलकारियां कमरे में गूजने लगीं. आखिर मुझसे न रहा गया और मैने भाभी को हटने को कहा. "भाभी, अब आप दोनों अलग हो जाइये और अपनी चूमा चाटी चालू रखिये. मुझसे अब नहीं रहा जाता, मैं मीनल को जोर जोर से चोदूंगा."
भाभी हटीं और सीमा को लिपटकर चूमते हुए हमारी कांअक्रीड़ा का आखरी भाग देखने लगीं. मैंने मीनल पर लेट कर उसे बाहों में जकड़ लिया और अपनी जांघों में उसके कोमल तन को दबोचकर उसे चूमता हुआ हचक हचक कर चोदने लगा. मीनल की गर्म सांसेम अब जोर से चल रही थीं, वह उत्तेजित कन्या चुदने को बेताब थी. "चोदिये अंकल, और जोर से चोदिये ना, मेरी बुर फ़ाड़ दीजिये, मुझसे अब नहीं रहा जाता."
उसकी जीभ मुंह में लेकर चूसता हुआ मैं उसे पूरी शक्ति से चोद रहा था. सुख से मैं पागल हुआ जा रहा था. कुम्वारी बुर में लन्ड चलने से 'पा~म्क पा~म्क' की मस्त आवाज आ रही थी. आखिर मैंने एक करारा धक्का लगाया और लन्ड को मीनल की बुर में जड़ तक गाड़ कर स्खलित हो गया. मीनल की बुर अभी भी मेरे लौड़े को पकड़ कर जकड़े हुए थी.
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