Friday, April 18, 2008

एक फूल, दो कलियां -PART-3

 एक फूल, दो कलियां PART-3
 
पूरा झड़ने के बाद मैने मीनल का प्यार से एक चुम्बन लिया और उठ कर लन्ड खींच कर बाहर निकाला. लन्ड उसकी चूत के पानी से गीला था. सीमा भाग कर मेरे पास आई और उसे मुंह में लेकर चूसने लगी. उसकी अधीरता देखकर भाभी हम्सने लगीं. मुझे बाजू में हटने को कहते हुए वे खुद मीनल की जांघों को फ़ैलाते हुए बोलीं. "अब देखूम तो, मेरी बेटी की चुदी बुर में अपनी मां के लिये क्या तोहफ़ा है!" और झुक कर मीनल की बुर चूसने लगीं. मेरा सारा वीर्य और मीनल का पानी वे चटखारे ले ले कर निगलने लगीं.

मैने मीनल से पूछा "तो बेटी, चुदा कर मजा आया, मुझे तो बहुत मजा आया मेरी प्यारी मीनल रानी की टाइट चूत चोदकर." मीनल शरमाती हुई बोली "बहुत अच्छा लगा अनिल अंकल, सा~म्री, मैने पहले रो कर आपको तकलीफ़ दी, पर क्या करूम, आपका लन्ड इतना मोटा है कि मुझे लगा कि मेरी बुर फ़ाड़ देगा" "नहीं मेरी जान, रोई इसीलिये तो मजा आया. रोती हुई लड़कियों को चोदने में तो और मजा आता है."
सीमा जो यह सुन रही थी, तपाक से बोली. "मैं होती तो बिलकुल नहीं रोती दीदी, बल्कि अंकल से कहती कि मेरी चूत फ़ाड़ दें, हाय, इतने मस्त हलब्बी लन्ड से चुदने में मेरी फ़ट भी जाती तो मुझे कोई गम न होता." मीनल झल्ला कर बोली. "चल, अब देखते हैं, अब तेरी ही बारी है, है ना अंकल?" मैने उसे कहा. "हां बेटी, अब इस नन्ही गुड़िया, तेरी छोटी बहन को चोदूंगा, अब तू ऐसा कर कि चूस कर मेरा लन्ड मस्त खड़ा कर दे नहीं तो अगर जरा सा ही खड़ा हुआ तो यह बच्ची तो बड़े सस्ते में छूट जाएगी.

मीनल ने तपाक से मेरा लन्ड मुंह में ले लिया और बड़े प्यार से चूसने लगी. सीमा अब बहुत गरम थी और अपनी उंगली डाल कर अपनी ही कुम्वारी बुर चोद रही थी. मैने सुधा भाभी से कहा. "भाभीजी, देख क्या रही हैं? संहालिये अपनी छोटी बेटी को, इसकी बुर चूस लीजिये, आपको बेटी की चूत का रस मिल जाएगा और वह गरम भी रहेगी मेरा लौड़ा अन्दर लेने को."
"आ मेरी रानी बिटिया आ, अपनी चूत चुसवाले अपनी मां से" बड़े लाड़ से भाभी ने सीमा को अपनी गोद में खींच कर लिटाया और झुक कर उसकी चूत चूसने लगीं. सीमा भी अपनी मां के स्तनों को दबाते हुए बुर चुसवाने लगी. "अम्मा, जीभ डाल ना अन्दर, जीभ से ही चोद, अंकल तो बहुत तरसा रहे हैं मुझे." मां बेटी का यह कांअकर्म देखकर और मीनल के कोमल मुलायम तपते मुंह से चुसवाकर मेरा लौड़ा ऐसा खड़ा हुआ जैसे कभी झड़ा ही न हो.
"सीमा, बोल तू मीनल जैसे ही लेटकर चुदवाएगी या मुझ पर चढ कर खुद सूली चढ लेगी?" मैने उस प्यारी गुड़िया से पूछा. भाभी से चूत चुसवा कर अब वह एकदम मस्त और उत्तेजित हो चुकी थी. बोली "आप लेटिये अंकल, मैं खुद ही चुद लूंगी और फ़िर मां और दीदी भी तो हैं मेरी सहायता करने को."
मैं बिस्तर पर लेट गया. मेरा लन्ड बिलकुल सीधा खम्बे जैसा खड़ा था. सीमा उठ कर मेरे दोनों ओर घुटने टेककर बैठ गई और सुपाड़ा अपनी चूत पर रगड़ कर मजा लेने लगी. सुधा भाभी ने लन्ड का डम्डा पकड़कर सीमा की चूत के गुलाबी मुंह पर सुपाड़ा जमाकर सीमा को धीरे धीरे बैठने को कहा. वह चुदैल बच्ची तुरम्त नीचे बैठ गई और एक ही बार में पूरा सुपाड़ा उस कुम्वारी नन्ही चूत के अन्दर घच्च से समा गया.
अब उसे दर्द हुआ और उसके मुंह से एक हल्की चीख निकल आई. तिलमिला कर उसने मां की ओर देखा और सुधा भाभी ने तुरम्त उसका मुंह अपने मुंह से बन्द कर दिया. उधर मीनल ने अपनी छोटी बहन के क्लिटोरिस को रगड़ना शुरू कर दिया और जल्द ही सीमा का दर्द से कांपता बदन शांत हो गया.
भाभी ने अपने दीर्घ चुम्बन को तोड़कर अपनी बेटी का मुंह छोड़ा तो सीमा फ़िर तैयार थी. बोली "सा~म्री अंकल, मुंह से आह निकल गयी, इतना बड़ा लौड़ा है आपका, अब कुछ नहीं बोलूंगी" कह कर उसने भाभी को हटने को कहा और खुद धीरे धीरे पर पूरी शक्ति से मेरे लन्ड को अन्दर लेते हुए बैठती गई.
बड़ा प्यारा द्रुश्य था; उसकी नन्ही चूत अब पूरी तन कर खुल गयी थी और इन्च इन्च कर मेरे लन्ड को निगल रही थी. उस मखमली टाइट बुर से होने वाले मीठे घर्षण से ऐसा लग रहा था जैसे अभी झड़ जाऊंगा. किसी तरह मैने अपने आप को संहाला और आखिर सीमा पूरी नीचे होकर मेरे लन्ड को जड़ तक अन्दर लेकर मेरे पेट पर बैठ गई.
मीनल ने अपनी बहन की इस सफ़लता पर ताली बजाई और उसके स्तन दबाकर उसे शाबासी दी. भाभी ने तो खुशी से अपनी बेटी के चुम्बन पर चुम्बन ले डाले."वाह, क्या चुदैल है मेरी बेटी, अनिल, देखा कैसे तुंहारा सोंटा पूरा खा गई. बेटी, तू तो मुझसे भी बड़ी चुदैल बनेगी और मेरा नाम रोशन करेगी."
सीमा अपनी चूत की इस सफ़ल लन्ड खाने की क्रीड़ा पर अब मुसकरा रही थी. उसे दर्द भी बहुत हो रहा था जैसा उसकी आंखों में झलक आए आंसुओम से साफ़ दिखता था, पर वह कामुक लड़की अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझाने के लिये बेचैन थी. मुझे अब वह चोदने लगी.
पहले तो वह जरा सी ऊपर नीचे हो रही थी और दर्द से बिलबिलाती भी जाती थी. "उ ऽ ऎ ऽ मां ऽ, मर गई, बहुत दुखता है ममी, हा ऽ य, फ़टी मेरी चूत" पर चोदने नहीं बन्द किया. उसकी सहायता करने को मीनल उस से लिपट कर उसे चूमने लगी और उसकी चूचियां दबाने लगी. सुधा भाभी ने अपनी उंगली उस के क्लिटोरिस पर रखकर उसे रगड़ना शुरू किया. बस वह कुम्वारी बुर पसीजने लगी. जैसे जैसे बुर में पानी छूता, वह लन्ड पर फ़िसलने लगी. इससे उसका दर्द कम हुआ और आनन्द बढ गया. इस तरह सीमा दो मिनट में ऐसी गीली हो गई कि बिना किसी रुकावट के मुझे चोदने लगी.
मैंने उसे मन भर कर चोदने दिया. वह दो बार झड़ी पर अपनी बुर में से मेरा लन्ड नहीं निकाला. मैं भी उस कसी कमसिन बुर से चुदने का मजा लेते लन्ड को ताने चुपचाप पड़ा रहा. आखिर दूसरी बार झड़ने पर सीमा थक कर मेरे ऊपर गिर पड़ी और सुस्ताने लगी. उसका मुंह चूमते हुए मैने इसे बाहों में भर लिया और फ़िर भाभी और मीनल को बाजू में कर के उसे पलटकर अपने नीचे लेता हुआ उस पर चढ गया. वह थोड़ी घबरा गई क्योंकि वह जानती थी कि मेरे सब्र का घड़ा भर चुका है. उसपर चढ कर उसके मुंह को अपने होंठों में दबाकर चूसता हुआ मैं घचाघच उस बच्ची को चोदने लगा.
सीमा अपने दबे मुंह से कराहती हुई अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी. मेरा लन्ड अब फ़िर तन कर बड़ा मूसल हो गया था और उसे जरूर दर्द हो रहा होगा. मीनल ने अपनी छोटी बहन को ताना देते हुए कहा. "अब शुरू हुई है तेरी असली चुदाई, अब तक तो खूब मचल रही थी, अब देख अंकल तेरा क्या हाल करते हैं, जैसा मेरा किया था." भाभी भी अपनी ही बुर में उंगली करते हुए अपनी छोटी बेटी की चुदाई का तमाशा देखती रहीं.
मैंने मन भर कर हचक हचक कर उसे कमसिन लड़की को चोदा और ऐसा झड़ा कि मुझे करीब करीब चक्कर आ गया. इतना सुख बस कभी कभी मिलता है. सीमा को दुखा तो बहुत होगा पर मैंने एक बात गौर की कि इस पूरी चुदाई में उसकी बुर हमेशा गीली रही और सूखी नहीं. याने उसे दर्द के साथ साथ मजा भी खूब आया होगा. सीमा ने भी अपनी आंसू भरी आंखों से मेरी तरफ़ देखा और उलाहना देने के बजाय मुझे चूम लिया. बड़ी होकर यह लड़की पक्की चुदैल होगी ऐसा मैं समझ गया.
झड़ कर मैं तो लुढक कर सो गया, हां नींद लगते लगते मैंने महसूस किया कि मेरे वीर्य के लिये मेरा लन्ड और सीमा की बुर चूसा जा रही है.

पहली रात की धुआंधार चुदाई के बाद सब थक गये थे इसलिये देर तक सोये. मैं दोपहर को आ~म्फ़िस चला गया. रात को आने में देर हो गई. आकर देखा तो लड़कियां सो गई थीं. सुधा भाभी मेरा खाने पर इम्तजार कर रही थीं. उन्होंने मेरा चुम्बन लेते हुए बताया कि दोनों की चूत दुख रही थी. पर दोनों बहुत खुश भी थीं. उस रात मैने भाभी को एक बार चोदा और फ़िर हम दोनों भी सो गये.
दूसरे दिन से चुदाई का एक कार्यक्रम बना दिया गया. सुबह मैं बस एक बार झड़ता था, उन तीनों में से किसी एक के मुंह मेम. उन्होंने दिन भी निश्चित कर लिये थे. मैं अपना लन्ड चुसवाते हुए उन तीनों की बुर का पानी एक एक बार पी लेता था. फ़िर आ~म्फ़िस निकल जाता था. मेरे जाने के बाद भी वे तीनों मां बेटी कुछ देर सम्भोग करती थीं क्योंकि वे चाहे जितना झड़ सकती थीं. फ़िर दोनों लड़कियां भी अपने स्कूल और का~म्लेज को निकल जाती थीं.
आने के बाद सुधा भाभी उनको अनुशासित रखती थीं जिससे रात तक वे सब गर्म हो जायेम. दो तीन घम्टे वे सब सो भी लेती थीं. मैं आ~म्फ़िस से आकर सीधा सो जाता था. रात का खाना खाने ही उठता और फ़िर नौ बजे से हमारी कांअक्रीड़ा शुरू हो जाती थी. शनिवार रविवार छुट्टी होने से हमारा कार्यक्रम जो शुक्रवार रात से चलता वह रविवार देर रात ही खतम होता था. बस सोना, खाना, पीना और सम्भोग यही दिनचर्या थी.
अब मैं लड़कियों को हफ़्ते में दो दो बार चोदता, उससे ज्यादा नहीं. उनकी चूतें आखिर कुम्वारी भी रखना थी. मीनल मंगलवार और शनिवार को चुदती थी. सीमा की कमसिन बुर मैं गुरुवार और रविवार को चोदता था. भाभी तो बहुत बार चुदती थीं. उन मां बेटियों में अब एक दूसरे के प्रति बहुत यौन आकर्षण पैदा हो गया था इसलिये उनमें आपस में सम्भोग तो चलता ही रहता था. सीमा की चूत चूसती सुधा भाभी या फ़िर मीनल को अपनी मां की जांघों में देखकर मुझे बहुत सुखद अनुभूति होती थी. और यह दृश्य देखकर मैं उत्तेजित भी रहता था.
अधिकतर हम दो दो की जोड़ियां बनाकर सम्भोग करते थे. सबसे ज्यादा चलने वाली जोड़ियां याने मैं और मीनल और उधर वह बच्ची सीमा और उसकी मां. छोटी बेटी की ओर स्वाभाविक ही मां का प्यार ज्यादा था. उधर मुझे भी मीनल की सांवली दुबली पतली काया बहुत आकर्षित करती थी. ज्यादा चोद तो मैं उसे सकता नहीं था पर उसकी काली रसीली चूत चूसना और उसे अपना लन्ड घम्टोम चुसवाना ये मेरी मनपसम्द क्रीड़ाएम थीं. उसके काले खुरदरे पर मीठे होंठों का खूब चुम्बन लेना भी मुझे बहुत भाता था.

शनिवार रविवार की चुदाई में हम अक्सर किसी एक को निशाना बना लेते थे और फ़िर सब मिलकर उसके पीछे पड़ जाते थे. अक्सर भाभी निशाना बनती थीं और मैं उनके मुंह या चूत में लन्ड देकर सोता और लड़कियां उनकी चूत और चूचियों के पीछे पड़ जातीं.
अब अक्सर मुझे खयाल आता कि भाभी अगर अपनी और लड़कियों की गांड मारने देम तो क्या मजा आये. मैने भाभी को एक बार कहा भी जब उनके मुंह में मेरा लन्ड गले तक धम्सा हुआ था, सीमा उनकी बुर चूस रही थी और मीनल उनके मम्मोम से खेलती हुई उन्हें मसल और चूस रही थी. "भाभी, मीनल को कोई रस नहीं मिल रहा है. इस समय असल में मेरा लन्ड आपकी गांड में होना था, और मीनल की चूत आपको चूसना था, तब आता मजा."

मैं असल में उन तीनों के चूतड़ोम को देख देख कर ललचा जाता था. भाभी के भारी भरकम थोड़े लटके हुए पर मुलायम नितम्ब, मीनल के छोटे दुबले पर एकदम कसे हुए काले चिकने चूतड़ और छोटी सीमा के गोल मटोल कमसिन चिकने तरबूज देख कर मेरे मुंह में पानी भर जाता था. अकेले में मैने कई बार बात छेड़ी पर भाभी हमेशा टाल जातीं और मना कर देतीं.

एक बार मेरे बहुत कहने पर उन्होंने बताया कि उन्हें इससे चिढ क्यों है. अपने पति की कहानी उन्हें पहले ही सुनाई थी कि बाद में वे कैसे समलिंग सम्भोग के आदी हो गये थे और जवान लड़कोम के साथ गांड मराते और मारते थे. भाभी का वे एक उपहार की तरह प्रयोग करते थे और उनके मांसल शरीर का लालच देकर गांड मारने के लिये लड़के फ़म्साया करते थे. यह देख देख कर भाभी को उस क्रिया से ही नफ़रत हो गई थी. उनकी खुद की भी गांड बहुत बार मारी गई थी और अब वे उससे ऊब गई थीं.

मैंने उन्हें समझाया. "भाभी जान, यह सिर्फ़ पुरुषों वाली क्रिया नहीं है. मर्दोम को औरतों की नरम नरम गांड मारने में भी बड़ा आनन्द आता है. और ठीक से मरवाई जाये तो आप को भी मजा आयेगा ऐसी मैं गारम्टी देता हूं. मुझे बस एक मौका देम. और अगर पसम्द आये तो फ़िर लड़कियों की भी गांड मारने की परमिशन देम"

भाभी कुछ देर सोचती रहीं. फ़िर बोलीं. "एक रास्ता है पर तुझे पसम्द आयेगा या नहीं मालूम नहीं." मैने कहा कि मैं कुछ भी करने को तैयार हूं. उन्होंने हम्सते हुए मुझे बांहों में ले कर कहा. "मीनल से शादी करेगा?" मैं चकरा कर देखता रह गया.

भाभी ने आगे कहा. "सीमा की शादी में अभी देर है. पर मीनल की शादी की उमर हो गई है. मुझे उसकी चिम्ता है. तुझे वह बहुत मस्त लगती है मुझे मालूम है. दिखने में वह सुम्दर नहीं है पर कितनी गरम और मीठी है यह तुझे मालूम है. उसकी अच्छी जगह शादी करने में मेरे बाल सफ़ेद हो जाएंगे. और तुझ से अच्छा लड़का मुझे कहां मिलेगा. और फ़िर घर का माल घर में रहेगा. यहीं घर जमाई बन के रहना और हम तीनों के साथ मजा करना. मुझे पता है कि तेरे पास बहुत पैसा है और हमारा भी जो है वह तुंहारा ही होगा."
मैं सोचने लगा. बात ठीक थी. और मेरा कांअ कर्म चालू ही रहने वाला था. मेरे साथ सम्भोग के लिये मेरी पत्नी, मेरी साली और मेरी सास रहने वाली थी. और मुझे पता था कि ये तीन चुदैलेम मुझे और कहीं मुंह मारने को भी मना नहीं करेंगी, बल्कि बाहर से कोई नई साथिन मिल जाये तो खुद भी उसके साथ सम्भोग को तैयार हो जाएंगी. भाभी ने मानों मेरे मन की बात ताड़ ली और बोलीं. "अगर बाहर की किसी लड़की या औरत के साथ तू चक्कर चलायेगा तो हमें कोई आपत्ति नहीं होगी, बस अच्छी स्वस्थ हो और उसे भी यहां बुला लिया करेंगे."

मैंने भाभी से कहा. "भाभी, मीनल से पूछेम, आखिर मुझमें और उसमें पम्द्रह साल का अम्तर है." भाभी बोलीं. "तो क्या हुआ? लन्ड तो तेरा सोलह साल का है, ऐसा हलब्बी मतवाला लन्ड मैंने कभी नहीं देखा. मीनल को बहुत पसम्द है, कल ही अकेले में मुझ से कह रही थी कि अम्मा, अंकल के लन्ड की तो पूजा कर लिया करो रोज, अब तुंहारी पत्नी बन कर वही करेगी."

मैंने फ़िर पूछा "भाभी, अगर मैं हां कर दूम तो इसका गांड मारने से क्या सम्बन्ध?" वे हम्स कर बोलीं." मीनल की गांड तुझे सुहाग रात को मिलेगी. चूत तो अब कुम्वारी है नहीं उसकी. शादी के बाद सीमा की भी मिलेगी दहेज मेम, अपने जीजाजी से वह बड़ी खुशी से गांड मरवाएगी. और मैं तुंहारी सास, मैं तुमसे सगाई के दिन ही मरवा लूंगी."

मैंने और न सोचा और तुरम्त हां कर दी. मेरी सास बनने की खुशी में भाभी ऐसे मचलीं कि मुझे जमीन पर पटककर अपनी साड़ी उठा मेरे मुंह पर चढ गईं और उसे चोद डाला. अपना बुर का पानी पिलाकर फ़िर मुझे उन्होंने ऊपर से ही चोदा और अम्त में मेरे लन्ड को चूस कर अपनी प्यास बुझाई.

मीनल को भाभी ने मेरी पत्नी बनने की बात तब कही जब वह उनकी गोद में बैठ कर उनसे चूमा चाटी कर रही थी और मुझसे अपनी जवान बुर चुसवा रही थी. सुनते ही वह हड़बड़ा गई. सीमा जो मेरा लन्ड चूस रही थी ऐसी बिचकी कि उसके दांतों ने मुझे अनजाने में काट खाया. मुंह से लन्ड निकाल कर उसने बड़े उत्साह से मां से पूछा. "सच मां? अंकल दीदी से शादी करेंगे?"

जब सुधा भाभी ने उन्हें बताया कि यह मजाक नहीं है तो मीनल शरमा गई. लज्जा से उसका मुंह लाल हो गया और मुझसे जो अब तक मजे ले ले कर "अंकल अंकल, जीभ अन्दर डालिये न !" कहकर चूत चुसवा रही थी, मुझसे आंख चुराने लगी. जब मैंने उसे प्यार से पूछा कि कोई ऐतराज तो नहीं है तो शरमाई भी और ऐसी उत्तेजित हुई कि उसकी बुर ने झड़कर चार पांच चम्मच चिपचिपा रस मेरे मुंह में छोड़ दिया.

उसके बाद शादी पक्की होने की खुशी में आधे घम्टे तक ऐसे जबरदस्त चुदाई हुई कि सभी दो तीन बार झड़ झड़ कर लस्त हो गए. गांड मारने की बात बिलकुल गुप्त रखी गई क्योंकि भाभी ने पहले ही मुझसे कहा था कि यह बात मीनल और सीमा को सुहाग रात के दिन ही बताएंगे.

दूसरे ही दिन भाभी ने दोनों को कपड़े आदि खरीदने बाजार भेज दिया. सगाई शांअ को ही रखी गई. कोई सगे सम्बन्धी थे नहीं, सिर्फ़ एक बूढी बुआ थी जिसे बुलाया गया. भाभी की छोटी बहन दिल्ली में थी इसलिये उसने कहा कि वह सीधे शादी पर आयेगी. शादी भी अगले ही हफ़्ते होना तय हो गई. मैं भी अकेला था इसलिये किसी को बुलाने का प्रश्न ही नहीं था. कोर्ट मैरिज करेंगे ऐसा ही ठहराया गया.

लड़कियां मार्केटिंग को निकल गईं और हम अकेले बचे. मैं भाभी की ओर देख कर मुस्कराया. अपना लन्ड निकाल कर हाथ में लेकर सहलाते हुए बोला."चलिये सासू जी, गांड मराने को तैयार हो जाइये." भाभी कपड़े उतारने लगीं तो मैने मना कर दिया. "रहने दीजिये भाभी, साड़ी कमर के ऊपर कर लेना, मैं वैसे ही मार लूंगा, मजा आयेगा."
मैं भाभी को रसोई में ले गया. वहां उनसे फ़्रिझ में से मक्खन निकलवाया और फ़िर उन्हें झुक कर डाइनिंग टेबल को पकड़कर खड़ा रहने को कहा. उनकी साड़ी उन्होंने खुद ही कमर के ऊपर कर ली. उनके नंगे गोरे चूतड़ अब मेरे सांअने थे. मैंने उन्हें प्यार से चूमा और थोड़ा दबाया. फ़िर उनकी गांड के छेद में मक्खन चुपड़ने लगा, वैसे जरूरत नहीं थी क्योंकि गांड का छेद काफ़ी ढीला था, मेरी दो तीन उंगलियां आराम से अन्दर जा रही थीं. लगता है काफ़ी गांड मराई थी जवानी मेम.

भाभी के चेहरे की ओर देखा तो उस पर दो भाव थे. एक थोड़ा डर और हिचक, दूजा भरपूर वासना. मैंने और प्यार से खूब देर मक्खन चुपड़ा और फ़िर अपनी उंगलियां चाट लीं. उनके गुदा की गरमी से पिघल कर थोड़ा मक्खन बाहर आने लगा था. मैंने बिना और विचार किये अपना मुंह लगा दिया और उनकी गांड का छेद चूसने लगा.

अब भाभी को मजा आने लगा, थोड़ा हिलने डुलने लगीं. फ़िर मैंने अपनी जीभ उनकी गांड में डाल दी, भाभी ऐसी हुमकीं कि जैसे कोई नववधू पहला सुख का अहसास होने पर करती है. लगता है कि पहले कभी किसीने उनकी गांड नहीं चूसी थी. वे अब गरम थीं और हाय हाय करने लगीं. इतने दिन मना करने पर अब उन्हें शायद मुझसे कहने में शरम आ रही होगी पर मैं समझ गया कि वे अगर बोलतीं तो यही कि "मारो मेरी गांड अनिल, घुसेड़ो अपना लन्ड".

मैं खड़ा हो गया और अपना सुपाड़ा उनके गुदा में पेल दिया. बड़े प्यार से धीरे धीरे पेला जब कि चाहता तो उस ढीली गांड में एक धक्के में जड़ तक उतार देता. पर मैं भाभी को पूरा सम्तुष्ट करना चाहता था. आराम से इम्च इम्च करके मैने पूरा लन्ड पेला और आखिर मेरी झांटेम उनके चूतड़ोम से भिड़ गईं. उन चूतड़ोम को मसलते हुए मैं बोला. "देखा भाभी, कितने प्यार से दिया आपकी गांड में लन्ड, आप फ़ालतू घबराती थीं" आखिर भाभी भी पसीज गईं. बोलीं "बहुत अच्छा लग रहा है भैया, इतना मजा आयेगा ऐसा मैने नहीं सोचा था."

मैंने अपना हाथ उनकी कमर के गिर्द डाल कर उनका क्लिट रगड़ना शुरू किया जिससे उन्हें और मजा आने लगा. थोड़ा लन्ड मैने उनकी गांड में अन्दर बाहर किया फ़िर उन्हें कमर से पकड़कर धीरे से उठाया. "चलिये भाभी, अब बिस्तर पर चलिये. वहां आराम से लिटाकर आपकी गांड मारूंगा."

उनके मम्मे पकड़कर दबाता हुआ मैं उन्हें अपने आगे चलाता हुआ बेडरूम में ले गया. गांड में लन्ड गड़ा होने से वे धीरे धीरे चल रही थीं. पलन्ग पर मैने उन्हें पट लिटाया और उनके ऊपर सो गया. फ़िर उनकी चूचियां पकड़कर दबाता हुआ बड़े प्यार से हौले हौले उनकी गांड चोदने लगा. मक्खन चुपड़े गुदा में लन्ड बड़े आरांअसे फ़िसल रहा था. निपल कड़े थे इसलिये पक्का था कि भाभी को मजा आ रहा था. बीच बीच में मैं उनका मदनमणि मसल देता और वे खुशी से चहक उठतीं. "मजा आया ना भाभी? मैं कहता था कि मरा के देखिये. अच्छा अब बताइये कि लड़कियों को इस बारे में क्यों नहीं बताया?"

भाभी भी अब अपने चूतड़ उछल उछल कर मरवा रही थीं. बीच में ही अपना गुदा सिकोड़ कर मेरे लन्ड को पकड़ लेतीं. "अनिल, मीनल घबरा जायेगी. अभी तो खुश है पर पता चलेगा कि सुहागरात को उसकी कुम्वारी गांड चोदी जायेगी वह भी तुंहारे हलब्बी लन्ड से, तो रो देगी. उस रात उसे सरप्राइज़ देंगे. मै तो यही मानती हूं कि सुहागरात को वधू को दर्द हो और वह थोड़ा रोए धोए तो मजा आता है. चुदने में तो वह रोएगी नहीं, बल्कि मस्त होकर चुदवाएगी. इसलिये तुम आराम से खूब समय लेकर उसकी गांड मारना. मैं और सीमा तुंहरी सहायता करेंगे और मजा लूटेंगे."

भाभी के यह विचार सुनकर मुझे मजा आ गया. उत्तेजित होकर मैं अब हचक हचक कर उनकी गांड मारने लगा और झड़ गया. भाभी वैसे ही पड़ी रहीं और मैंने अपने मेहनताने की बदौल उनकी चूत चूस कर उनका रस पी लिया.

सगाई शांअ को हुई और बस एक घम्टे में खतम हो गई. रात को हमने दूने जोश से चुदाई की. सीमा अब मुझे जीजाजी और भाभी अनिल बेटा कहने लगी. मेरी होने वाली पत्नी मीनल जो पहले मुझे अंकल कहती थी अब शरमा कर 'सुनिये जी' कहने लगी. "सुनिये जी, अपनी जीभ डालिये ना मेरी बुर मेम' जब उसने मुझसे बुर चुसाते समय कहा तो सब हम्सने लगे.

मैंने उसे प्यार से कहा कि अब वह मुझे मेरे नाम अनिल से बुला सकती है. भाभी ने कहा कि शादी के पहले, जो अगले हफ़्ते में थी, यह हमारी आखरी चुदाई होगी. पहले तो दोनों लड़कियां इस पर चिल्लाने लगीं पर फ़िर मैंने और भाभी ने जब उन्हें समझाया कि एक हफ़्ते अपनी वासना पर लगांअ रखने से सांऊहिक सुहागरात का मजा दूना हो जायेगा तो वे मानीं.

मैंने दूसरे दिन एक क्रींअ लाकर सब को दी जिसे लन्ड या क्लिटोरिस पर लगाने से ठम्डक सी लगती थी और उसमें सभी सम्वेदना लुप्त हो जाती थी. इससे सब को अपने आप पर काबू रखने में काफ़ी सहायता मिली.

आखिर शादी भी हुई. बस कोर्ट में जाकर आधे घम्टे का कांअ था. मेहमानों के रूप में सिर्फ़ एक बूढी बुआ थीं जो तुरम्त अपने घर लौट गईं. दूसरे सुधा भाभी की छोटी बहन थीं. वे दिल्ली में एक कम्पनी में ऊम्चे पद पर कांअ करती थीं और अविवाहित थीं. उंर पैम्तीस के करीब होगी याने मेरे जितनी. बड़ा आकर्षक व्यक्तित्व था. बा~म्ब कट बाल, कसा हुआ बदन और चेहरे पर एक आत्मविश्वास. वे भी रात को ही लौट गईं. मैंने मन में उनकी मूरत जमा ली, सोचा आगे कभी मौका मिलेगा तो अपनी पत्नी की उस मौसी से भी चक्कर चलाऊंगा. मुझे भी वे काफ़ी इम्टरेस्ट से देख रही थीं. हम दोनों को अगले माह दिल्ली घूमने आने का न्योता उन्होंने दिया जो मैंने तुरम्त स्वीकार कर लिया. भाभी को कुछ अम्दाजा हो गया था इसलिये वे मम्द मम्द मुस्करा रही थीं.


हम घर वापस आये. वहां सीमा और भाभी ने पहले ही सुहागरात के लिये पूरे कमरे को फ़ूलों से सजा रखा था. हम सब अलग अलग नहाने को चले गये. नहा कर उस क्रींअ को धोना था और एक घम्टे बाद उसका असर खत्म होने पर बेडरूम में मिलना था.

ंऐम नंगा ही कमरे में दाखिल हुआ. मेरा लन्ड एकदम तन खड़ा था और मीनल के बदन में घुसने को बेचैन था. आज मैंने निश्चय कर लिया था कि उस मस्त सूजे शिश्न को पूरा काबू में रखूंगा और कम से कम घम्टे भर अपनी पत्नी की गांड मारकर ही झड़ूंगा. कमरे में देखा कि सीमा और भाभी भी नंगी थीं. दोनों एक हाथ से अपनी उत्तेजित चूत सहला रही थीं और मीनल के पास बैठकर उसे चूम चूम कर उससे मजाक कर रही थीं. मीनल बहुत शरमा रही थी और पूरे कपड़े याने लाल शादी का जोड़ा पहने थी.

मेरे मचलते लौड़े को देखकर आंख मारकर सीमा चहकी "लो जीजाजी आ गये, दीदी देख, तेरे लिये क्या उपहार लाये हैं? मैं तेरी जगह होती तो जरूर घबरा जाती!" लगता है भाभी ने चुपचाप उसे बता दिया था कि आज क्या होने वाला है. उसके इस उलाहने को मीनल ने नजरम्दाज कर दिया. बड़ी भूखी और ललचायी नजर से वह अपने पतिदेव के लिंग को देख रही थी. बेचारी शायद इसी भ्रम में थी कि इस मस्त लन्ड से उसे चोदा जायेगा और उसका वीर्य भी पीने मिलेगा.

मैंने अपने दुल्हन का एक गहरा चुम्बन लिया और फ़िर उसके कपड़े निकालने लगा. भाभी और सीमा ने भी हाथ बटाया, उसके गहने निकाले, साड़ी खोली और ब्लाउज़ उतारा. मैंने उन्हें कहा कि मंगल सूत्र रहने देम. अब वह लाल रंग की ब्रा और पैंटी में थी. उसके सांवले शरीर पर आज अजब निखार था. मैंने उस पलन्ग पर लिटाया और सीमा से उसकी ब्रा निकालने को कहा. खुद मैं उसकी पैंटी उतारने लगा. "पहले अपनी प्यारी अर्धांगिनी की योनी के अमृत का पान करूंगा." कहकर मैं उसकी बुर चूसने लगा. वह इतनी गीली थी जैसे कई बार झड़ी हो. चिपचिपा गाढा रस आज ज्यादा ही स्वादिष्ट था. आखिर हफ़्ते भर के सम्यम का यह परिणांअ तो होना ही था.

भाभी और सीमा उसे चूमने और उसके स्तनों की मालिश करने में लग गईं. मीनल ने मेरा सिर अपनी बुर पर प्यार से दबा लिया और धक्के देते हुए मेरे मुंह पर अपनी वासना शांत करने लगी. उसके एक स्खलन के बाद मैं उठ कर बैठ गया और अपना लौड़ा सहलाते हुए बोला. "चलो, तुंहारा कौमार्य भंग करने का समय आ गया है मेरी जान." खुश होकर उसने अपनी टांगेम फ़ैला दीं और मेरे लन्ड के अपनी चूत में घुसने का बेचैनी से इम्तज़ार करने लगी.

मीनल को बड़ा आश्चर्य हुआ जब उसका एक चुम्बन लेकर मैंने उसे उठाकर पट लिटा दिया. उसे लगा कि शायद मैं कुतिया स्टाइल में पीछे से चोदने वाला हूं इसलिये वह अपने घुटनों और कोहनियों पर जमने लगी तो मैंने उसे फ़िर नीचे पट लिटा दिया और भाभी और सीमा को इशारा किया.

भाभी ने उसके हाथ पकड़ लिये और सीमा उसके पैरोम पर बैठ गई. मैंने मन भर के अपनी रानी के नितम्ब देखे. काले सांवले पर कसे हुए वे चूतड़ खा जाने को मन होता था. मैने झुक कर उन्हें मसलते हुए चूमना और चाटना शुरू किया और फ़िर उसके गुदा को चूसने लगा. अपनी जीभ उसमें डाली तो बड़ी मुश्किल से गई; बड़ा ही टाइट होल था. उसके सौम्धे स्वाद को मैं अभी चख ही रहा था कि मीनल बोली. "छोड़ो, यह क्या कर रहे हो?"

मैंने कहा." तुंहारे उपहार को चूम रहा हूं रानी, आखिर अपना इतना अमूल्य अंग एक पत्नी अपने पति को भोगने को दे रही हो तो उसका स्वाद लेना जरूरी है, चोदने के पहले." मीनल घबरा कर बोली. "नहीं नहीं, ऐसा मत करो, मैं मर जाऊंगी, ममी समझाओ ना अनिल को." भाभी बोलीं. "उसका हक है बेटी, अब वह तेरा पति है, और पति को सुहागरात में अपनी कुछ तो कुम्वारी चीज़ देना चाहिये, तेरी चूत तो पहले ही चुद चुकी है, हां यह गांड बिलकुल अछूती है जो वह अब मस्ती से मारेगा."

मीनल अब रोने लगी. जब छूटने की सब कोशिशें बेकार हुईं तो सिसकते हुए लस्त पड़ गई. तब तक मैने उसकी गांड के छेद में मक्खन चुपड़ना शुरू कर दिया था. एक ही उंगली अन्दर जा रही थी. "सचमुच बड़ी कसी कुम्वारी गांड है आपकी बेटी की, बहुत मजा आयेगा इसे चोदने मेम." मैंने भाभी से कहा.

मेरे लन्ड को सीमा मक्खन लगा रही थी, उसके छोटे छोटे हाथों के स्पर्श से लन्ड और फ़ूल गया था. अपनी उंगलियां चाटते हुए मैं पलन्ग पर चढ कर मीनल के पैरोम के दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गया. अपना लाल लाल सूजा सुपाड़ा मैंने अपनी पत्नी के गुदा पर रखा और थोड़ा दबाया. फ़िर भाभी को इशारा किया. भाभी ने अपनी बेटी के मुंह पर हाथ रख दिया. मैंने तुरम्त सुपाड़ा पेलना शुरू किया. घबराकर मीनल ने अपनी गांड का छल्ला सिकोड़ लिया था जिससे गांड का मुंह करीब करीब बन्द हो गया था.

"गांड खोल रानी, ढीली छोड़ नहीं तो तुझे ही तकलीफ़ होगी." कहकर मैने और दबाया. मेरी शक्ति के आगे उस बेचारी की क्या चलती. गांड को खोलता हुआ मेरा सुपाड़ा आधा धम्स गया. ंईनल का शरीर एकदम कड़ा हो गया और वह छटपटाने लगी. भाभी ने मुझसे पूछा. "फ़ट तो नहीं जायेगी मेरी बच्ची की गांड? जरा संहाल कर बेटा." मैंने कहा. "घबराइये मत सासू मां, हौले हौले डालूंगा, बस सुपाड़ा अन्दर हो जाए, फ़िर डम्डा तो आराम से जायेगा.और मक्खन इसी लिये लगाया है कि सट से चल जाए."

मैंने पेलना बन्द करके नीचे देखा. मीनल का गुदा पूरा तन कर फ़ैला हुआ था और उसमें मेरा सुपाड़ा फ़म्सा हुआ था. मैंने थोड़ा और मक्खन उसपर लगाया और मीनल के शांत होने का इम्तजार करने लगा. दो मिनट में जब उसका कसमसाना बन्द हुआ तो मैंने अब कस कर लन्ड को दबाया. पा~म्क्क की आवाज से सुपाड़ा अन्दर हो गया. मीनल हाथ पैर पटकने लगी. उसके दबे मुंह से सीत्कार निकल रहे थे. उस युवती के तड़पने में भी ऐसा मादकपन था कि भाभी और सीमा भी गरम हो उठीं. मैंने झुक कर भाभी को चूम लिया और उनकी चूचियां दबाते हुए मीनल का दर्द कम होने का इम्तजार करने लगा.

कुछ देर बाद मैंने बड़े धीरे धीरे लन्ड अन्दर घुसेड़ना शुरू किया. कस कर फ़म्सा होने की बाद भी मक्खन के कारण लन्ड फ़िसल कर मीनल के चूतड़ोम की गहराई में इम्च इम्च कर जा रहा था. वह ज्यादा छटपटाती तो मैं रुक जाता. आखिर जड़ तक लन्ड खोम्सने के बाद मैं अपनी पत्नी के ऊपर सो गया और हाथ उसके शरीर के इर्द गिर्द जकड़ लिये. झुककर देखा तो उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और बड़ी दयनीय भावना से वह मेरी ओर देख रही थी. मुझे थोड़ी दया आई पर बहुत अच्छा लगा. सुहागरात उस चुदैल को हमेशा याद रहेगी ऐसा मैंने मन ही मन सोचा. मैं यह भी जानता था कि अब वह मेरी मुठ्ठी में रहेगी और हमेशा मुझ से थोड़ा घबरा कर रहेगी.

पांच मिनट बाद मैंने भाभी को कहा कि हाथ अपनी बेटी के मुंह से हटा लेम, अब वह नहीं चीखेगी. भाभी के हाथ हटाते ही वह सिसक सिसक कर रोने लगी. "मां, मैं लुट गई, लगता है गांड फ़ट गई, इतना दर्द हो रहा है जैसे किसी ने पूरा हाथ घूम्सा बनाकर डाल दिया हो. खून बह रहा होगा, जरा देखो ना. ममी अनिल से कहो ना मुझे छोड़ दे, अपना लन्ड निकाल ले नहीं तो मैं मर जाऊंगी." सीमा ने बड़ी उत्सुकता से उसके गुदा को टटोल कर देखा. "नहीं दीदी, नहीं फ़टी, खून भी नहीं निकला, तू गांड ढीली क्यों नहीं कर लेती जैसा जीजाजी कहते हैं?"

मीनल को शांत करना जरूरी था, नहीं तो बेचारी की सुहागरात पूरी दर्द से बिलबिलाते हुए जाती. मैं उसे बांहों में जकड़े बिस्तर पर पलट गया जिससे मैं नीचे और वह ऊपर थी. मैंने भाभी से कहा "भाभी, जरा दुल्हन की चूत पर आप ध्यान दीजिये. और सीमा तू इधर आ और दीदी को अपनी चूची चुसवा." सीमा ने अपना एक निपल मीनल के मुंह में दे दिया और दर्द की मारी मीनल उसे चूसने लगी कि कुछ तो हो जिससे उसका ध्यान बम्टे उसके गुदा में होती पीड़ा से.

भाभी ने झुककर अपनी तड़पती बेटी की बुर को चूमना शुरू कर दिया. मैं उसकी चूचियां पकड़कर उनकी मालिश करने लगा. धीरे धीरे मीनल कुछ सम्भली और उसने रोना बन्द कर दिया. भाभी बुर चाटते मेरी ओर देखकर मुसकराईं तो मैं समझ गया कि दुल्हन की चूत में से रस निकलना शुरू हो गया है.

मीनल अब अपनी गांड को किसी तरह ढीला छोड़ने में भी सफ़ल हो गई और उसका दर्द कुछ कम हुआ. मस्ती में आकर उसने अपनी छोटी बहन की चूत टटोली और उसे गीला पाकर कहा. "सीमा, मुझे अपनी चूत चुसवा. बैठ मेरे मुंह पर" सीमा को और क्या चाहिये था. झट से मीनल के मुंह पर अपनी बुर रख कर बैठ गई और मीनल उसे मन लगाकर चूसने लगी. मीनल का सिर मेरी छाती पर था इसलिये मुझे बहनों के बीच की यह क्रीड़ा साफ़ दिख रही थी.

उधर मीनल की बुर अब इतनी मस्त हो चुकी थी कि मां के सिर को उसने जांघों में जकड़ लिया था और अपनी टांगेम घिस घिस कर वह सुधा भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन कर रही थी. सीमा अचानक झड़ी. उसकी किलकारी से मेरा ध्यान उसकी चूत पर गया. उसमें से अब लगातर पानी बह रहा था जिसे मेरी दुल्हन भूखी की तरह चाट रही थी. पास से उस पानी की महक मुझसे बर्दाश्त नहीं हुई और मैने मीनल का सिर बाजू में किया और खुद अपनी उस नन्ही साली की बुर चूसने लगा.

काफ़ी देर इस तरह मजा करने के बाद आखिर मेरा लन्ड इतना उत्तेजित हो गया कि अब मुझसे न रहा गया. मैने भाभी और सीमा को अलग किया और पलट कर मीनल को पलन्ग पर ओम्धा पटककर उसपर चढ गया और उसकी गांड मारने लगा. जैसे ही मेरा मोटा ताजा तन्नाया हुआ लौड़ा उसकी बुरी तरह से फ़ैले गुदा में अन्दर बाहर होने लगा, वह फ़िर दर्द से बिलबिला उठी. दर्द से न चाहकर भी उसकी गांड का छल्ला सिकुड़ने की कोशिश करने लगा जिससे मेरा आनन्द दूना हो गया और उसका दर्द और बढ गया.

मुझे अब अपनी उस नाजुक पत्नी के दर्द की कोई परवाह नहीं थी. मैंने अपने हाथों में उसकी चूचियां पकड़ ली थीं और अपनी जांघें उसके कूल्हों के इर्द गिर्द जकड़ कर उछल उछल कर उसकी गांड मार रहा था. अब वह दर्द से बिलखती हुई अपनी मां और बहन को सहायाता के लिये पुकारने लगी. "मां , बचा लो मां, आज मैं जरूर मर जाऊंगी, सीमा, जीजाजी को समझा, मेरी फ़ाड़ देंगे, उनसे कह कि चोद लेम या मैं चूस देती हूं, पर मेरी गांड पर दया करेम."

उसकी इस याचना से मेरी वासना और दुगनी हो गई और उसकी चूचियां बुरी तरह से कुचलते हुए मैंने उसे ऐसा भोगा कि वह हमेशा याद करेगी. आज भी उसे अपनी सुहागरात याद आती है तो घबरा जाती है. भाभी और सीमा ने उसकी एक न सुनी बल्कि वे दोनों भी मीनल की सकरी कुम्वारी गांड में निकलते घुसते मेरे लन्ड को देखकर ऐसी गरमाईं कि एक दूसरे से लिपट कर सिक्सटी-नाइन करती हुई एक दूसरे की बुर चूसने लगीं.

मैंने आधे घम्टे मीनल की गांड मारी और फ़िर अखिर एक जोर की हुमक के साथ झड़ गया. मीनल अब तक दर्द से बेहोश हो चुकी थी, नहीं तो मेरे उबलते वीर्य से उसकी गांड की जो सिकाई हुई उससे उसे कुछ आराम जरूर मिलता.

उस रात मैने मीनल की गांड सुबह तक तीन बार मारी. गांड में से लन्ड मैं झड़ कर भी नहीं निकालता था. बीच बीच में मैने भाभी और सीमा की चूत के रस का पान किया. मीनल जब होश में आकर रोने लगी तो भाभी ने भी उसके मुंह पर अपनी चूत जमा कर उसका मुंह बन्द कर दिया. मां की चूत का रस पीकर मीनल कुछ सम्भली.

मैं उसे गोद में लेकर बैठा रहा. मेरा लन्ड उसकी गांड में था ही. दूसरी बार मैने उसकी गांड उसे गोद में बिठाकर नीचे से धक्के देते हुए ही मारी. इस आसन में भाभी हमारे सांअने खड़ी होकर उसे चूत चुसवा रही थीं और सीमा उसकी बुर चूस रही थी इसलिये मीनल को कुछ आनन्द मिला और दर्द भी कम हुआ. पर तीसरी बार फ़िर मैने उसे पलन्ग पर पटककर उसकी मारी और दर्द से छटपटाते उसके बदन को बांहों में भरे खूब आनन्द लिया.

सोने में हमें सुबह हो गई और हम सब दोपहर को सो कर उठे. सब तृप्त थे, सिर्फ़ मीनल बिचारी सिसक रही थी. सबने अब उसे खूब प्यार किया और सांत्वना दी. मैंने भी बड़े लाड़ से उसके चुम्बन लिये. भाभी ने उसे समझाया कि सुहागरात में तो यह सब सहना ही पड़ता है. हम जब उठ कर बाथरूम जाने लगे तो एक कदम रखते ही मीनल चीख कर लड़खड़ा उठी. उसकी चुदी गांड में से ऐसी टीस उठ रही थी कि उसे चला भी नहीं जा रहा था. आखिर मैं उसे उठा कर ले गया.

उसका हाल देखकर हमने उसे दो दिन का पूरा आराम दिया. गांड में ठम्डी क्रींअ लगाकर उसे सुला दिया और आराम करने दिया. आखिर हमें दो दिन बाद हनींऊन पर भी जाना था. उसके पहले उसका ठीक होना जरूरी था. शुक्र यही था कि इतनी जोरदार चुदाई के बाद भी उसकी जवान गांड सही सलांअत थी और फ़टी नहीं थी नहीं तो टांके लगवाने जाना पड़ता.

उन दो दिनों में मैने अपनी किशोर साली सीमा की गांड मार कर दहेज वसूल कर लिया. सीमा तो मीनल से छोटी और कमसिन थी. मुझे डर था कि उसकी गांड जरूर फ़ट जायेगी और अगर फ़टे नहीं तो भी दर्द से वह बहुत चिल्लाएगी. पर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब वह खुद भी गांड मरवाने को बहुत उत्सुक थी. बड़ी चुदैल लड़की थी. और उसने गांड भी खुद ही मरवाई जैसे मुझे लिटाकर मेरा लन्ड अपनी चूत में लेकर खुद चुदवा लिया था.

दोपहर को यह मस्त कांअक्रीड़ा हुई. मीनल दूसरे कमरे में सो रही थी. मैं एक आराम कुर्सी में टिक कर बैठ गया. मेरा मक्खन लगा लन्ड मस्त तना कर खड़ा था. भाभी ने खुद अपनी प्यारी बेटी की कुम्वारी नन्ही गांड में खूब मक्खन लगाया. सीमा मेरे सांअने मेरे पैरोम के बीच मेरी ओर अपने नितम्ब करके खड़ी हो गई.

मुझसे न रहा गया और मैने झुक कर उन गोल मटोल चूतड़ोम को चूम लिया. फ़िर सीमा को मैने अपनी ओर खींचा और अपना सुपाड़ा उसकी गुदा पर टिकाते हुए कहा. "अब मेरी मुन्नी, मेरी बात सुनेगी तो दर्द नहीं होगा. अपनी गांड ऐसे खोल मानों टट्टी कर रही हो, और भाभी आप अपनी बेटी को अपनी चूचियां चुसवाइये. मुझे मालूम है कि बहादुर चुदैल बच्ची है और चिल्लाएगी नहीं फ़िर भी उसे मां की चूची मुंह में लेकर जरा ढाढस बन्धेगा."

भाभी ने अपनी चूची अपनी बेटी के मुंह में दी और सीमा ने उसे चूसते हुए टट्टी जैसा जोर लगाकर अपना गुदा फ़ैलाया. मैने झट से उसमें सुपाड़ा फ़म्सा दिया और बोला. "शाबास बेटी, अब ऐसे ही गांड खोले धीरे धीरे मेरी गोद में बैठ जा."

सीमा ने फ़िर गांड चौड़ी की और सुपाड़े पर बैठ गई. मैंने भी उसके चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये जिससे गुदा और खुले. इतना बड़ा सुपाड़ा इतनी छोटी गांड में जाने में देर तो लगनी ही थी. दर्द भी होना था. आधा इम्च सुपाड़ा अन्दर जाने पर सीमा कसमसा कर रुक गई. भाभी ने तुरम्त उसके मुंह में अपनी चूची और अन्दर ठूम्स दी. थोड़ा रुकने के बाद सीमा फ़िर बैठने लगी. किसी तरह सूत सूत करके आखिर पा~म्क्क की आवाज से वह सेब जैसा सुपाड़ा उसकी जरा सी गांड में समा गया. सीमा तड़प उठी और चीख देती पर मुंह मां की चूची से भरा होने से गोंगियाकर रह गई.

उसके दर्द को कम करने के लिये मैने तुरम्त उसकी बुर में उंगली की और क्लिट रगड़ने लगा. जब गीली हो कर वह नन्ही बुर चूने लगी तब सीमा का कांपना बन्द हुआ. भाभी ने उसे शाबासी दी. "वाह मेरी बहादुर बेटी, बस आधा कांअ तो हो गया, अब आराम से जीजाजी की गोद में बैठ जा और पूरा लौड़ा चूतड़ोम के अन्दर ले ले. बस फ़िर तेरा कांअ खतम, फ़िर सिर्फ़ गांड मरवाने का मजा ले दिन भर"

गांड ढीली कर के सीमा फ़िर मेरी गोद में बैठती गई. इम्च इम्च करके मेरा महाकाय लन्ड उस कोमल गांड में ऐसा घुसता गया जैसे छुरी पके अमरूद में घुसती है. बीच बीच में वह तड़प उठती थी तो मैं उसका क्लिट मसलने लगता था. मेरे लन्ड को उस बच्ची की टाइट मखमली गांड ऐसे कस से दबा रही थी जैसे किसी ने मुठ्ठी में पकड़ रखा हो. जब सिर्फ़ तीन इम्च बचे तो मुझसे न रहा गया. मैने सीमा की कमर पकड़ कर उसे दबोच लिया और खींच कर जबरदस्ती गोद में बिठा लिया. लन्ड सूली जैसा उसकी गांड में समा गया और उसके नरम नितम्ब मेरी जांघों में आ टिके.

सीमा अब ऐसे तड़पी जैसे किसी ने उसे सच में सूली पर चढा दिया हो. मुंह में सुधा भाभी का स्तन नहीं होता तो जरूर चीख पड़ती. भाभी ने उसकी आवाज बन्द करने के लिये उसका सिर जोर से अपनी छाती पर भींच लिया. मैंने एक हाथ से उसके निपल धीरे धीरे मसले और दूसरे से उसकी बुर को रगड़ने लगा. बांहों में उस किशोरी का थरथराता कमसिन शरीर, और मेरे लन्ड को बुरी तरह भींचती उसकी कुम्वारी गांड, मैं तो स्वर्ग में था.

आखिर पांच मिनट बाद सीमा सम्भली. उसकी बुर फ़िर चूने लगी थी और मैं समझ गया कि लड़की का दर्द कम हो गया है और मस्ती में आने लगी है. भाभी भी उसका सिर छोड़ उठ खड़ी हुईं. मुंह से चूची निकलते ही सीमा बोल पड़ी. "हा ऽ य ममी, इतना दर्द हो रहा है जैसे अभी गांड फ़ट जायेगी पर मजा भी बहुत आ रहा है अम्मा, जीजाजी का लन्ड इतना गहरा गया है कि जरूर मेरे पेट में होगा. बहुत अच्छा लगता है मां गांड में लन्ड" वह सिसकती भी जा रही थी और मस्ती में चहक भी रही थी. मैंने उसका सिर अपनी ओर घुमा कर उसके आंसू अपने जीभ से चाटे और फ़िर होंठ चूमने लगा.

भाभी से मैने कहा. "सासू मां, इस बहादुर कन्या को इनाम देना जरूरी है. ऐसा कीजिये कि मैं बैठ बैठे ही नीचे से इसकी गांड मारता हूं, आप तब तक इसकी बुर चूस लीजिये." यह आसन सब को भा गया और आधा घंटा चला. सीमा की कमसिन छातियां मसलते हुए उसका मुंह चूसते हुए मैं ऊपर नीचे होकर उसकी कसी गांड में अपना लन्ड मुठियाता रहा और भाभी अपनी बच्ची की बुर का रस पीती रहीं.

मैं अब काफ़ी उत्तेजित हो गया था और सीमा की गांड मारना चाहता था. मेरा मन मेरी बीवी की तरह ही पटक पटक कर अपनी किशोर साली की मारने का था. पर डर था कि वह कोमल कन्या यह सह सकेगी या नहीं. जब मैने उससे यह कहा तो अब तक मस्ती में आई हुई दो बार झड़ चुकी वह कन्या बोली. "जीजाजी आप मारिये ना मेरी गांड जोर से, मेरी परवाह न कीजिये, अब नहीं फ़टेगी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, दर्द तो बहुत है पर मजा भी बहुत है, मालूम नहीं दीदी क्यों इतना रोई."

मैंने उसे पकड़ कर उठाया और गांड में लन्ड फ़म्साये हुए ही पलन्ग पर ले गया. वहां पटक कर मैं अपनी उस गुड़िया साली पर चढ बैठा और हचक हचक कर पूरे जोर से उसकी गांड मारने लगा. ऐसा मजा आया कि पूछिये मत. वह लड़की तो इतनी चुदैल निकली कि दर्द से बिलबिलाते हुए भी गांड मराने का मजा लेती रही और बोली. "जीजाजी, मेरे भी मम्मे दबाइये जैसे आप दीदी के दबा रहे थे" मुझे और क्या चाहिये था? उस किशोरी के चूजे जैसे मुलायम स्तन हाथों में लेकर बेरहमी से उन्हें मसलते और कुचलते हुए मैं पूरे जोरोम से उसकी गांड चोदने लगा. मेरा स्खलन इतना तीव्र था कि मेरी चीख निकल गई.



contd ..

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