hindi sexi stori
वो अजीब रात !!!!
जी हाँ, में बात कर रही हूँ उस रात कि जब मैंने पहली बार यह महसूस किया कि में योवनावस्था में कदम रख चुकी हूँ। मैं अपने ताऊ जी के लड़के की शादी में गयी हुयी थी, मेरी मम्मी मेरे साथ गईँ थीं। वहां पर ही मेरी मुलाकात राहुल से हुयी। वो मेरे ताऊ जी के सबसे अछे दोस्त का लड़का है। मेरी उमर उस समय लगभग १६ साल कि थी, राहुल मेरा अच्छा दोस्त बन गया था..और सारे शादी कि समय वो मेरे साथ और में उसके साथ घुमते रहते थे। शादी के एक दिन पहले में और राहुल घर कि छत पर थे॥ हम और छोटे बच्चों के साथ हाइड ऎंड सीक गेम खेल रहे थे। अनुज हम सभी लोगों कों ढूंद रहा था, में और राहुल साथ ही थे और एक दरवाजे कि पीछे छुपने पहुंच गए। राहुल मेरे पीछे और में दरवाजे के पीछे जाकर खडे हो गए। कुछ देर तक हम चुपचाप खडे रहे, और मैंने महसूस किया कि मेरे हिप्स के ऊपर कुछ कडा सा चुभ रह है। मैंने ज्यादा ध्यान नही दिया, पर जब उसकी चुभन ज्यादा होने लगी तो मुझे लगा कि कहीँ यह राहुल का वो खास अंग तो नही ?
खैर, जैसे ही हम अपनी छुपने कि जगह बदलने के लिए वहां दरवाजे से हटे तो मेरी स्किर्ट दरवाजे की kisi कील से अटक कर एक जगह से उधाद गयी। जब मैंने देख कि स्किर्ट फट गयी है तो मुझे दर लगा कि अब मम्मी कों पता चला तो वो मरेंगी, तो मैं डर गयी, तभी राहुल बोला , तुम चिन्ता मत करो, तायीजी के कमरे में जाकर इसे सही कर लेते हैं। मुझे उसकी बात सही लगी और हम दोनो ताई जी के कमरे मैं पहुंच गए। पर वहाँ तो काफी लोग थे। पर राहुल ने चतुराई से सुई धागा ले लिया और हम लोग वापस ऊपर छत पर आ गए। वहाँ आकर राहुल बोला कि तुम्हे अपनी स्किर्ट उतार देनी चाहिऐ जभी अच्छी तरह सही हो पायेगी। मैं उस समय मम्मी के डर के कारण कुछ भी ना सोचते हुये.... स्किर्ट उतार दी। पहली बार किसी लड़के के सामने मैंने अपनी स्किर्ट खोली थी...स्किर्ट उतारने के बाद मुझे लगा कि मैंने यह क्या किया, पर तब तक राहुल के हाथ मैं स्किर्ट थी और वो सिलाई कर रहा था। अब मुझे शर्म आ रही थी, तो मैंने अपने दोनो हाथों कों अपनी दोनो जाँघों के ऊपर रख लिया। मैंने पैंटी पहन रखी थी फिर भी मेरी गोरी टाँगे बीच बीच मैं राहुल का ध्यान आकर्षित कर रही थी। जब वो मुझे देखता तो मैं मुस्करा देती। ५ मिनट में स्किर्ट सही हो गयी। मैंने तुरंत उसे पहन लिया, और हम लोग नीचे वापस आ गए।
रात कों महिला संगीत था, साड़ी औरतें इकठी होकर संगीत करने वाली थी, मैं भी वहीँ बैठी थी, पर जब ज्यादा रात होने लगी तो मैं मम्मी से पूछ कर सोने चली गयी, जब लेटने लगी तो वहां राहुल, अनुज और raakhi आ गए। वो लोग भी वहीँ लेट गए। पहले तो राखी मेरे बगल मैं आ कर लेट गयी, पर कुछ देर बाद मामी ने उसे किसी काम से बुला लिया तो वो उठ कर चली गयी और मेरे बगल मैं राहुल ही था। मेरी मम्मी मुझे धुंडते हुये वहां आ गयी और दूसरी तरफ लेट गयी, मैंने मम्मी कि और करवट ली और नींद जयादा तेज आ रही थी, तो मैं सो गयी।
लगभग एक घंटे के बाद मुझे लगा कि मेरी टाँगे रजाई के अन्दर खुली हुईं है, यानी कि मेरी स्किर्ट मेरी क़मर तक छड़ी हुयी थी और दोपहर कि तरह मेरे हिप्स के बीच मैं कुछ कडा सा डंडा सा चुभ रह था। पहले तो मैं थोडा सा दर्र गयी , पर उस सब मैं एक सुखद एहसास हो रहा था। मैं जान भूझकर ऎसी बनी रह कि मुझे कुछ नही पता। और राहुल अपने अंग कों मेरे हिप्स पर रगड़ रहा था।करीब पांच मिनट तक राहुल का यही सब चलता रहा। मैं जो अनुभव कर रही थी वो बयाँ से परे है, वो जिंदगी का पहला ऐसा एक लम्हा था जब मुझे लगा कि मैं एक लडकी हूँ और एक लड़का मेरे योवन से भरे शरीर के साथ खेल रह है। मेरी साँसे तेज चलने लगी थीं, सारा योनिस्थल रक्त से भर कर कडा हो गया था। निप्पल्स भी उत्तेजना से भर गए थे। मुझे मालूम था कि राहुल जो भी कुछ कर रह है, वो गलत है पर उस कामुक एहसास के आगे मैं उसे रोकना भी नही चाह रही थी। और उस समय तो मैं सेक्स के बारे मैं ज्यादा कुछ जानती भी नही थी।
इसके बाद राहुल ने अपने दायाँ हाथ मेरी क़मर के ऊपर से होते हुये ठीक मेरे बायें स्तन के सामने रखा। मैंने स्किर्ट और टॉप पहन हुआ था। उसका हाथ मेरे बायें स्तन के ठीक ऊपर था और निश्चित ही वो मेरे चुचूक को अनुभव कर रह होगा। ऐसे ही कुछ देर रखने के बाद उसने जब धीर से मेरे स्तन को अपनी हथेलियों मे भरा, बस....मेरी जान निकल गयी। मुझे लगा कि बस मैं उसके साथ चिपक जाऊं , पर मम्मी साथ में ही लेटी थी, उनका भी डर लग रहा था। इसके बाद उसने एक एक करके मेरे दोनो स्तन को छू कर और हल्का हल्का दबा कर देखा और मैं ऐसे बनी रही जेसे कि मैं गहरी नींद मैं हूँ। उसकी हिम्मत पल पल बढती जा रही और साथ ही रजाई के अन्दर का तापमान भी बढता जा रह था। राहुल ने धीरे धीर से अपना हाथ मेरी क़मर पर से लेजाकर मेरे हिप्स पर पहुंच गया। मेरी स्किर्ट पहले से ही मेरे हिप्स तक चढ़ चुकी थी। उसके हाथ मेरी नंगी हिप्स पर touch हो रहे थे। और मेरी सांस गले में जब अटक गयी जब उसने अपने एक हाथ कि हथेली से मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी पूसी को कस लिया। मेरे मुहं से हलकी सी आह निकल ही गयी। और पता नही क्या हुआ, मेरा मन पीन्ठ के बल लेटने का हुआ और मैं करवट लेकर सीधि होकर केट गयी। राहुल के लिए तो और आसान हो गया...कुछ देर रुकने के बाद उसके हथेलियाँ फिर से मेरी पूसी का एहसास लेने के लिए पैंटी के इर्द-गिर्द भटकने लगीं। उसकी एक उंगली मेरी पैंटी कि एलास्तिक को उंचा करके अन्दर जाने को तयार थीं और जैसे ही उसकी उँगलियों ने मेरी पैंटी के अन्दर प्रवेश ही किया था और मेरे पूसी पर उगे घने बालों से टकराईं , मेरे पूरे शरीर में बिजली का झटका सा लगा। में अब उसे और आगे नही बढ ने देना चाहती थी, और समझ नही पा रही थी कि उसे कैसे रोकुं, वो तो भला हो उसकी बहन का जो ठीक उसी समय उस कमरे में उसे जगाने आ गयी , और उसने तुरंत स्किर्ट और कपडे ठीक कर लिए।
यह वो पहली घटना थी जब किसी ने मेरे शरीर कि अंगों को इतनी नजदीकी से छुआ था। १० मिनट बाद मैं उठ कर बैठ गयी। राहुल वहां नही था। पर मेरी नजरें उसे ढूंद रही थी।
काफ़ी देर इन्तजार करने के बाद भी जब राहुल नही लौटा तो में टॉयलेट करने के लिए उठ गयी. और जब मैंने टॉयलेट मॆं पैंटी उतारी तो देखा की पैंटी गीली हो गयी थी, और मेरी योनि से कुछ चिपचिपा द्रव निकला हुआ था. यह पहली बार थे की इतनी जायदा मात्र मॆं पैंटी गीली हो गयी थी इस द्रव से. शायद उस दिन मॆं सबसे ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी.
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