Saturday, September 27, 2008

थोड़ी सी हिम्मत--1

थोड़ी सी हिम्मत--1 




मुज़ेः लगता है की मेरी कहानी मे मेरा परिचय देने की ज़रूरत है॥
फिर भी मई संजय आज उमर 40 साल।
एक बहुत ही सेक्सी आदमी. और मेरी कहानी या एक्सपीरियेन्स
से आपके लंड और चोट को एक नयी दुनिया
मे ले जाने वाला सख्स. जैसे की आप सब जानते हैं की अभी
मैं मुंबई मे रहता हूँ और एक प्राइवेट कंपनी
मी सर्विस करता हूँ. लेकिन 4 साल पहले मई इस कंपनी के देल्ही
ऑफीस मे पोस्टेड था और ऑफीस के
काम से मुझे बहुत जगह जाना पड़ता था. एक बार मूज़े ऑफीस के
कम के सिलसिले मे एक महीने के लिए
हेड ऑफीस मुंबई जाना पड़ा. वहाँ मेरी कोई पहचान नहीं थी इसलिए
मैं उस सहर से अंजान था. मेरा एक
कज़िन ब्रदर जो की डोर के किसी रिस्ते मे मेरा भाई लगता था. वो
रहता था. तो मैने उनका कॉंटॅक्ट नो लिया
और बात की तो मैने भाई को अपने मुंबई का प्रोग्राम बताया और
अपनी परेशानी भी बताई की मैं मुंबई मे
अंजान हूँ तो उसने कहा “डरो मत भाई हम लोग जो यहाँ पर रह रहे हैं,
और कहा की तुम 1 महीने तक हमारे
यहाँ ही रुकना और वो बहुत खुस हुए. अपने प्रोग्राम के अनुसार मैं
मुंबई पहुँचा. ऑटो रिक्षव लेकर उनके घर
पहुँचा. उनके घर मे केवल 3 प्राणी थे. भाई, भाभी ओरभाभी की छोटी
बहन. उनकी शादी को करीब 1 यियर्ज़
ही हुया था, सबसे पहले मैं आप लोगो तो उनका परिचय करता हूँ.


भाई: उमर 32 के करीब थी और वो नेवी मे ऑफीसर हैं और अक्सर वो
घर से बाहर ही रहते हैं. हफ्ते 2 हफ्ते
मे 2 दिन के लिए घर आते हैं फिर अपनी ड्यूटी पर चले जाते हैं.

भाभी: भाभी का नाम रोशनी है. नाम जैसी ही रोशन याने बहुत गोरी है.
उमर करीब 27-28 की हैं. शरीर से सुंदर
और ना ज़्यादा मोटी और ना ही ज़्यादा पतली हैं (मीडियम हेल्त). उनका
शरीर ठीक तक हैं और एक हाउस वाइफ हैं.
सच काहु तो उनका शरीर गड्राया हुआ है और किसी भी जगह ज़्यादा मोटाई
या चर्बी नही है. कसा हुआ बदन है
उनका. गोरी बहुत है उनकी चूंचियाँ काफ़ी बड़ी लेकिन तनी हुई है और आधे कटे
नारियल जैसी लगती है. उनका
फिगर 36 27 36 है. अब आप समझ लीजिए की सामने की गोलाई और
उभर और पीछे के उभर एक जैसे थे.
कमर पतली पेट एकद्ूम सपाट और नाभि बहुत गहरी. वैसे स्टार्ट मे मेरे दिल
मे उनके लिए कोई भी ऐसी वैसी भावना नही आई थी.

भाभी की बहन: नाम प्रियंका हैं. उमर करीब 20+ की हैं. औरवेरगे फिगर की
भाभी से बी सुंदर लड़की है. उसकी
अभी तक शादी नहीं हुई थी और मुंबई घूमने के लिए आई हुई थी.

मैं शनिवार को उनके घर पहुचा, उस वक़्त भाई घर आए हुए थे. उन्होने मेरा अच्छी
तरह से स्वागत किया. और
कुच्छ ही घंटो मे हम आपस मैं काफ़ी घूल मील गये थे. मैं संकोच के मारे
उनलोगो से कम बातें करता था लेकिन
भाई मुज़से काफ़ी हँसी मज़ाक करते थे. शाम को भाई ने भाभी से कहा हम
बाजार होकर आते हैं तुम खाना मत
बनाना, होटेल से मँगवा लेना क्योंकि हमारे छोटे भाई की खातिरदारी तो करनी
पड़ेगी और वैसे भी मुझे15-20 दीनो
के लिए सोमवार की फ्लाइट से चेन्नई जाना हैं. भाभी ने कहा ठीक है आप
लोग 8 बजे टके आ जाना तब तक
होटेल से खाना भी आ जाएगा. भाई और मैं मार्केट घूम कर करीब 8 बजे घर
पहुँचे. घर आकर कपड़े चेंज करके
हम लोग हॉल मे आ गये. हॉल मे भाई और भाभी सोफे पर बैठे थे.. उनके
फ्लॅट मे 2 बेड रूम, 1 हॉल और1
किचन था. 2 बेड रूम के बिच एक कामन टाय्लेट था. भाई शॉर्ट और त.शिर्त
पहने थे और भाभी निघट्य मे थी.
थोड़ी देर बाद भाई ने भाभी से कहा “यार कुछ पपद वग़ैरह तो ला दो एक आड़
पेग पी लेते हैं. भाभी उठकर पपद
और 3 ग्लास ले आई. 3 ग्लास देखते ही मैं चौका लेकिन कुच्छ नहीं कहा.
अचानक भाई ने मुज़से कहा “संजय केया तुम लायटे हो ?

मैं: तोड़ा संकोच करते हुए कहा, हन कभी कभी मैं ले लेता हूँ

भाई: कितनी लेते हो (यह सुनते ही भाभी हंस पड़ी)

मैं: अगर दूसरे दिन च्छुटी हो तो 3-4 पेग ले लेता हूँ.

भाई: फिर तो ठीक हैं कल रविवार हैं और तुमाहरी च्छुटी भी है.
खूब जमे गा रंग जब टीन यार मिल बैठेंगे
संग. ये कह कर भाई ने 2 ग्लास मे लार्ज पेग और1 ग्लास मे
स्माल पेग बना दिए. स्माल पेग भाभी
को दिया. हम तीनो धीरे धीरे पेग पीने लगे.. भाई बिच बिच मे
हमे कई किससे और जोक सुना रहे थे.
करीब 9 बजे जब भाभी की बहन प्रियंका आई हमने अपना पीने
का सिलसिला बंद कर खाना खाया और
करीब 10:30 बजे मेरा बिस्तर हॉल मे लगा कर भाभी अपने
कमरे मे सोने चली गयी और उनकी बहन
दूसरे कमरे मे सोने चली गयी. बकारडी गिन का नशा और सफ़र
की थकान के कारण मूज़े जल्दी ही नींद आ गयी.
करीब 12:30 बजे मेरी नींद खुली क्योंकि मूज़े पीसाब लगी थी.
मैं जब टाय्लेट जाने के लिए भाभी के कमरे के
पास से गुजर रहा था. मूज़े उनके कमरे से चूड़ियों की खनक
सुनाई डी. मैं जब पेशाब करके वापस आया तो
उत्सुकतावश उनके कमरे के दरवाजे के एक होल से अंदर देखा.
वा केया नज़ारा था.

भाभी बिल्कुल नंगी थी, और भाई उन्हे छोड़ रहे थे. भाभी धीमी
आवाज़ मे कह रही थी. ऊओह और ज़ोर से
छोड़ो मेरे राजा. मैं बहुत गरम हो गयी हूँ. कस कस कर अपना
लंड मेरी छूट मे छोड़ो. आज मुझे प्यासी मत
चोर देना हमेशा की तरह. बहुत दिन बाद आए हो और कल चले
जाओगे.. आज ज़ोर सी… लेकिन 4-5 धक्को
के बाद भाई झार गये और भाभी के बगल मे सो गये. भाभी बोली “
तुमने आज फिर वोही किया.. मेरी छूट को
प्यासी रख कर खुद नीडल पद गये और बड़े मर्द बनते हों. मई
माना कर रही थी, मुझे मालूम है तुम कुछ नही
कर पाओगे.. लेकिन तुमने मुझे गरम किया और अपना काम कर
के सो गये.., लगता हैं हमएसा की तरह मूज़े
अपनी उंगली से ही छूट की प्यास भुझहनी पड़ेगी . फिर भाभी
अपनी छूट मे अपनी ही उंगली से चुदाई करके सो
गयी. मूज़े उनके हालत पर तरस और दया आई और मैं भी
बिस्तर पर आकर सो गया. सुबहा करीब 7 बजे मैं
उठा और नहा धो कर फ्रेश होकर नाश्ता किया. दिन भर मेरे
पास कोई कम नहीं था इसलिए मैं बोर हो रहा था.
अचानक भाई का फोन आया भाई फोन पर बातें करने के बाद
उदास होगआय. और भाभी से बोले मूज़े आज ही
दोपहर की फ्लाइट से चेन्नई जाना होगा क्योंकि इम्मेर्गेंसी हैं.
और वे उठकर जाने की तय्यरी करने लगे.
उनकी फ्लाइट 1:20 की थी इसलिए मैं और भाभी उनेह 12:00 बजे
एरपोर्ट छ्चोड़ने गये. जब वापस घर लौटे
तो दोपहर के 3 बाज रहे थे. भाभी ने कहा संजय चलो खाना खा लेते हैं.
घर मे अब केवल हम टीन जाने ही थे.
भाभी, प्रियंका (भाभी की बहन) और मैं. खाना खाने के बाद हम
लोग सीडी पर पिक्चर देखने लगे.

जब शाम हुई तो मैने कहा भाभी मैं बेज़ार होके आता हूँ. कुछ लाना
हो तो नहीं हैं. ? भाभी बोली संजय आते
समय मेरे लिए बकारडी गिन और कबाब ले आना. मैं करीब 7 बजे
मार्केट से बकारडी गिन और कबाब ले आया.
जब घर आया तो भाभी की एक सहेली भी आई थी उसने भाभी से
कहा भाभी प्रियंका को मई आज मेरे साथ ले
जाना चाहती हून. हमारे एक को-टीचर की आज माँगनी है. क्या मैं
प्रियंका को ले जा सकती हूँ ? भाभी ने कहा
ठीक हैं, लेकिन कब तक वापस लौउटो गी आप लोग. प्रियंका ने
कहा भाभी हम लोग सुबह ही वापस लौटेंगी
क्योंकि रात भर गाने वग़ैरह होंगे. भाभी पहले तो माना करती रही
की तुमहरे जीजा जी घर पर नहीं हैं इसलिए
रात भर वहाँ रहना उचित नहीं होगा लेकिन प्रियंका और भाभी की
सहेली के जिध के आयेज भाभी की नहीं चली
और आख़िर वो बोली “अच्छा बाबा लेकिन सुबह जल्दी आ जाना”
इतना सुनते ही प्रियंका और भाभी की सहेली
चली गयी. अब घर मे हम दो लोग थे भाभी और मैं. उनके जाते
ही भाभी बोली एक कम करते हैं. हम सिर्फ़
दो ही लोग है तो होटेल से खाना माँगा लेते है. जब तक खाना
आता है तब तक हम थोड़ी बकारडी गिन पी लेते हैं.
फिर उन्होने पुचछा क्या तुम भी भाभी का साथ दोगे बकारडी
गिन पीने मे ?मैने कहा नहीं कल मूज़े कम पर
ऑडिट के लिए जाना हैं. भाभी बोली. ये तो लॅडीस ड्रिंक हैं
अगर तुम तोड़ा पी लोगे तो कुच्छ नहीं होगा और
मेरा साथ भी देते रहोगे. मैने कहा ठीक हैं. लेकिन पहले मैं
अपने कंपनी के ब्रांच मॅनेजर को फोन करके कल
का आपपॉइंटमैंट ले लेता हूँ. फिर मैं अपने मुंबई ब्रांच मॅनेजर
को फोन लगाया.उन्होने कहा की आप मंगलवार
से आकर ऑडिट कर सकते हैं क्यों की मंडे तक उनकी एंट्री
पूरी हो जाएगी इसलिए मंगलवार को सुबह 10 बजे
आकर ऑडिट कर सकते हैं और एक दिन और सफ़र की थकान मिटा सकते हैं.
ये सुनकर मैं तोड़ा नर्वस हो
गया क्योंकि एक दिन घर रहकर और बोर हो जौंगा.

भाभी किचन से 2 ग्लास और तोड़ा नमकीन लेकर आई. फिर लार्ज पेग बनाने
लगी. जब वो पेग बना रही थी
उसका पालू नीचे गिर गया जिस से उसके उभरे हुई बूब्स ब्लाउस से दिखाई देने लगे.
उनके भारी हुई चुचिया
ब्लाउस के खुले हिस्से से दिखाने लगी . दोनो चुचियों के बीच की खाई की
तरफ मेरी नज़र अटक गयी. पेग
बनाकर उसने अपना पालू ठीक किया. हम पेग पीने लगे और मुंबई के विहसे
मे बातें करने लगे. हम लोगो ने
करीब 4-4 पेग पिए. भाभी को नशा होने लगा फिर भी उसने स्माल पेग
और पिया. स्माल पेग पीते ही उसके
कदम लड़खड़ाने लगे. मैने कहा भाभी अब बॅस करो खाना खाते हैं. भाभी
बोली संजय तुम खुद हे खाना लगा लो..
मैने उनेहे किसी तरह खाना खिलाया और खुद भी खा लिया. खाना खाने के
बाद भाभी बोली संजय पहले मूज़े
टाय्लेट तक ले चलो फिर मूज़े बेड रूम मे छ्चोड़ देना. मैने भाभी की कमर
पकड़ कर उनके हाथों को मेरे खांडे
पर रख कर टाय्लेट ले गया. इस तरह ले जाते समय उनकी पतली और
चिकनी कमर का स्पर्श और उनके
लेफ्ट चुचि का दबाव मेरे सिने मे हुआ , मेरा लंड अचानक हरकत मे
आने लग.टोइलेत मे जाने के बाद भाभी
ने टाय्लेट का दरवाजा बंद किया लेकिन अंदर कुण्डी नहीं लगाई. जिस से
दरवाजा तोड़ा खुला रहा गया. मूज़े
दरवाजे से सॉफ दिखाई दे रहा था भाभी ने पहले अपनी सारी उपर की
फिर उन्होने चड्डी उतरी और पेशाब
करने लगी. उनकी बड़े बड़े गोरे चूतड़ साफ दीखाई दे रहे थे.. ये सब
देख कर मेरा लंड खड़ा होगआया (मेरे
लंड की लेंग्थ 8 इंच और मोटाई 3.5 इंच है). पेशाब करके भाभी बाहर
आई मैं उनको उनके बेडरूम मे ले गया.
बिस्तर पर लता ते ही भाभी नीडल पद गयी. और नशे मे बोली. संजय
तुम भी इशी कमरे मे सो जाना मेरे पास
और लाइट ऑफ कर देना दीं लाइट जला देना. मेरा दिल खुश हो गया.
अभी टके उन्हे छोड़ने का ख्याल नही
आया था. सिर्फ़ उनके गड्राए शरीर को चुने का ही मान था. क्यूकी
चुदाई करने मे रिस्क था, अगर वो चिल्लाई
या नाराज़ हो गयी तो?. हन नशा मे मई उनकी चूंची और चूतड़
सहलाने का मूड बना चक्का था.

मैं हॉल मे वापस आकर अपना अंडरवेर निकाला और केवल पाजामा
और बनियान मे भाभी के पास आकर सो गया.
भाभी का पालू और सदी अस्त वयस्ट थी. बिस्तर पर दीवार की तरफ
ज़्यादा जगह थी शायद मेरे सोने के लिए
भाभी ने दीवार की और की जगह छ्चोड़ी थी. मैं दीवार की तरफ आकर
सो गया. अब तक मैं भाई की बीबी को
अपनी ही सग़ी भाभी की तरह से देख रहा था. मेरे मान मे कोई ग़लत
भावना नहीं थी. पर बिस्तर पर भाभी का
पालू और सदी अस्त वयस्ट देख कर मेरे मान मे हलचल मच गयी थी.
मेरा लंड पाजामे के अंदर एकदम खड़ा था
और दिमाग़ मे भाभी का सेक्सी जिस्म घूम रहा था. कल रात वाली
घटना (भाभी अपने छूट की प्यास अपनी
उंगली से भुजने वाली) मेरे दिमाग़ मे रहा रहा कर घूम रही थी. फिर
भी मई किसी तरह यह सब गंदी बातें दिमाग़
से हटा कर सो गया. कब्रिब रात 1:30 बजे मेरी नींद खुली और मूज़े
ज़ोर से पेशाब लगी. मैं दीवार की तरफ था
और उतार ने की लिए भाभी के उपर से लाँघना पड़ता था. मैं उठा और
भाभी को लाँघने के लिए उनके पैरो पर हाथ
रखा. हाथ रखते ही मेरे सारे बदन मे करेंट सा लग गया. भाभी की
सारी घुटनो के उप्पर थी और मेरा हाथ उनकी
नंगी जाँघो पर पड़ा था लेकिन भाभी की तरफ से कोई आहत नहीं हुई.
मैं जल्दी से उठ कर पेशाब करने चला गया.
पेशाब करते वक्त मैने देखा मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा है और
पेशाब करने के बाद भी वैसा ही रहा.

पेशाब करने के बाद मेरा मान फिर भाभी की तरफ गया और लंड
फूलकर फिर खड़ा हो गया. मैने सोचा भाभी तो
सो रही है अगर मैं भी तोड़ा हाथ फेर लूँ तो उनको मालूम नहीं
पड़ेगा. और अगर वो जाग गयी तो सोचेगी मैं नींद
मे हूँ और कुच्छ नहीं कहेगी. दोबारा पलंग पर आने के पहले मैने
नाइट लॅंप ऑफ करदी जिस से कमरे मे बिल्कुल
अंधेरा हो गया और आकर भाभी की बगल मे लेट गया. लेटने के
बाद भाभी के पास सरक कर अपना हाथ उनके
पेट पर रख दिया और तोड़ा इंतेजर के बाद जब देखा भाभी अब भी
सो रहै थी. मैने अपना हाथ तोड़ा उपर सरका
कर ब्लाउस के उपर तक लेगया. उनकी एक चुचि की आधी गोलाई
मेरे उंगलिओं के नीचे आ गयी. अब धीरे धीरे
मैने उनकी चुचि दबाना सुरू किया. कुच्छ ही देर मे उनकी वो पूरी
चुचि मेरे हाथों मे थी. अफ क्या चुचि थी.
ऐसा लगा मैने किसी मखखां के गोले पर या स्पंज के बॉल पर
हाथ रखा हो. मेरी उंगली के दबाव से दबाती तो
थी लेकिन फिर वैसे ही उभर आती थी। मेरे हाथ मे ब्ल्ौसे के
उपर से उनकी ब्रा महसूस हो रही थी पर निपल
कुछ मालूम नहीं पद रहा था. भाभी अब भी बेख़ाबर सो रही थी और
मेरा लंड एकदम फाड़ फादा रहा था. सिर्फ़
ब्लाउस के उपर से उनकी चुचि दबा कर मज़ा नहीं आ रहा था.
देल्ही के बस और लोकल ट्रेन मे ना जाने
कितनी लड़कियों की चुचि दबाई थी मैने.


मैने सोचा अब असली माल को टटोला जाए और अपना
हाथ उठा कर भाभी की जाँघो पर रख दिया.
मेरा हाथ उनकी सारी पर पड़ा पर मूज़े मालूम था अगर मैं
अपना हाथ तोड़ा नीचे सरका लू तो मूज़े उनकी
जंघे खुली मिलेगी. मैने अपना हाथ नीचे सरकया तो मूज़े
उनकी नर्म नरम गड्राई जाँघो का स्पर्श हुवा.
तभी मेरा स्पर्श पाकर भाभी ने थोड़ी हलचल की फिर शांत
हो गयी. मैं वहीं थोड़ी देर रुक कर अपना हाथ
उपर सरकने लगा जिस से उनकी सारी भी उपर सरक रही थी.
भाभी फिर से कुछ हिली तोड़ा कुन्मुनाई
पर शांत हो गयी. अब मेरा मान मेरे बस मे नहीं था मैने
अपना हाथ भाभी के जाँघो के बीच लेने की
सोची पर मैने पाया की भाभी की जंघे आपस मे सती हुई थी
और मेरी उंगलियाँ उनकी छूट तक नहीं पहुँच
सकती थी. फिर भी मैने अपना हाथ उपर सरकया और साथ
मे मेरी उंगलियाँ दोनो जाँघो के बिच घुसने की
कोशिश की. भाभी फिर से हिली और नींद मे ही अपना एक
पैर घुटनो से मोड़ लिया जिस से उनकी जंघे
फैल गयी. मैने भी इस सिचुयेशन का फ़ायदा उठाया और
अपना हाथ उनकी जाँघो के बीच लेगया. अब मेरा
अंगूठा भाभी के छूट के उपरी उभर पर था और मेरी पहली
उंगली, भाभी की जाँघो के बीच उनकी पनटी के
उपर से असली हिस्से पर थी. भाभी की छूट की गर्माहट
मेरी उंगली पर महसूस हो रही थी. और कुच्छ
कुच्छ गीलापन महसूस हो रहा था. मई साँझ गया की जाने
अंजाने भाभी गरम हो रही है. मैने हल्के से
छूट पर हाथ फेरा. भाभी तोड़ा सा हिली.

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