Sunday, September 21, 2008

ैं नेहा की जवानी की प्यास

ैं नेहा की जवानी की प्यास

हेलो दोस्तो मैं यानि आपका राज शर्मा एक और रसीली जवानी की कहानी लेकर आपके लिए हाज़िर हूँ लकिन यार
आप लोग कहानी तो मज़े लेकर पढ़ते हो कम से कम शाबासी तो दिया करो जिससे मुझे भी तो लगे की मैंने भी कुछ किया है
अब आपके लिए एक ओर सेक्शी स्टोरी -- मैं नेहा हून. मेरी उमर 21 साल, रंग गोरा, बॉडी एक दम स्लिम है.
मेरी शादी 1 साल पहले मोहन के साथ हुई है. मोहन की उमर 23 साल की थी. मोहन के अलावा घर पर
कोई नहीं रहता. मैं सेक्स में बहुत रूचि रखती हून. मैने अपनी लाइफ के बारे में जो ख्वाब देखे थे वो सभी
ख्वाब मोहन से शादी करने के बाद टूट गये। मोहन का लंड बहुत ही छ्होटा था और उस से मेरी भूख शांत
नहीं होती थी.


शादी के बाद जब मैं ससुराल पहुचि तो मैने दहका की एक आदमी एक दम नंगा ही पागलों की तरह हमारे
घर के आस पास चक्कर लगता रहता था। दिखने में वो गातीले बदन का सनडर नौजवान था और किसी
अच्च्चे परिवार का लगता था। उसकी उमर लगभग 26-27 साल की रही होगी. मैने मोहन से उस पागल
के बारे में पूचछा तो वो बोले ये तो बहुत दीनो से यहीं आस पास ही घूमता रहता है. मेरे घर के आस पास
बहुत सारे जंगली पेड़ और पौधे थे जिस से कोई भी आदमी गाते के बाहर से हमारे घर को आसानी से नहीं
देख सकता था. वो जब हमारे घर के आस पास होता तो मैं हमेशा च्छूप च्छूप कर उसके लंड को देखती
रहती थी क्यों की उसका लंड ढीला रहने पर भी लगभग 8" लंबा और बहुत ही मोटा था। मैने सोचा की काश
एक बार मैं उसके लंड को अपने हाथो से पकड़ कर देख सकती. मैं हमेशा सोचा करती थी की काश मोहन का
लंड भी लंबा और मोटा होता क्यों की मोहन का लंड लगभग 4" लंबा और बहुत ही पतला था. मुझे उनसे
छुड़वाने में बिल्कुल भी मज़ा नहीं आता था. वो पागल रात को हमारे कॉंपाउंड में आ जाता था और पूरी रात
घर के मैं दरवाज़े के पास बैठा रहता था.


ये उन दीनो की बात है जब मोहन 15 दीनो के लिए बंगलोरे चले गये. उनके जाने के दूसरे दिन रात के 8 बजे
के आस पास वो पागल हमारे घर के दरवाजे के पास आ कर बैठ गया. जब वो रात को आ कर बैठ जाता तो वो
फिर सुबह ही वहाँ से वापस जाता था. मैने सोचा आज उस से कुच्छ बात करके देखती हून. मैने डरते हुए
दरवाज़ा खोला और उस से पूचछा खाना खाओगे. उस ने अपना सिर हन में हिला दिया. मैं खाना ले आई
और जब वो खाना खा चुका तो उसने इशारे से पानी माँगा. मैने उसे पानी लाकर दिया. पानी पीने के बाद वो
चुप छाप बैठा रहा.
मौका अच्च्छा था मैं उसके बगल में बैठ गयी. मैं तो उसके लंड को अपने हाथ में लेकर देखना चाहती थी.
मैं ये भी देखना चाहती थी की उसका लंड खड़ा होने के बाद कितना लंबा और मोटा हो जाता है. मैने अपना
हाथ उसके जांघों पर रख दिया. वो कुच्छ नहीं बोला तो मैं अपना हाथ उसके जाँघ पर फिरने लगी. वो फिर
भी कुच्छ नहीं बोला तो मैने अपना हाथ धीरे धीरे उसके लंड की तरफ बढ़ा दिया. वो फिर भी कुच्छ नहीं
बोला. अब मेरी उंगलियाँ उसके लंड को टच कर रही थी. मेरे बदन में सुरसुरी सी होने लगी तो मैने अपनी
उंगली उसके लंड पर फिरनी शुरू कर दी. जब वो फिर भी कुच्छ नहीं बोला तो मैने अपने हाथों से उसके लंड
को पकड़ लिया. मैं धीरे धीरे उसका लंड सहलाने लगी तो वो मुझे घूर घूर कर देखने लगा. उसकी आँखों में
भी सेक्स की प्यास एक दम सॉफ दिख रही थी.

थोड़ी ही देर में उसका लंड खड़ा होने लगा. उसका लंड टाइट होने के बाद लगभग 10" लंबा और बहुत ही
ज़्यादा मोटा हो गया. मैं उसके लंड के साइज़ को देखकर जोश के मारे पागल सी होने लगी और थोड़ी ही
देर में मेरी छूट एक दम गीली हो गयी. मुझे अब ग़लत या सही का कोई होश नहीं रह गया था. मैने सोचा
अगर मैं इस पागल से छुड़वा लून तो मुझे कोई कुच्छ भी नहीं कह सकेगा. अगर मुझसे कोई कुच्छ कहेगा
तो कह दूँगी की इस पागल ने मेरे साथ ज़बरदस्ती किया है. मैने सोच लिया की आज मैं इस पागल से छुड़वा
कर रहूंगी भले ही मेरी छूट का हाल कुच्छ भी हो.
मैं उस पागल का हाथ पकड़ कर घर के अंदर ले गयी. उसे देख कर लग रहा था जैसे उसने कभी नाहया ही
ना हो. मैं उसे बातरूम में ले गयी और उसे एक साबुन देते हुए नहाने को कहा. मैं खड़ी रही और वो नहाने लगा.
जोश के मारे मेरी छूट फिर से गीली होने लगी. नहाने के बाद उसका गोरा बदन एक दम निकार आया. उसका
लंड भी बहुत गोरा था. जब वो नहा चुका तो मैं उसे बेडरूम में ले गयी. मैने उसे बेड पर बिता दिया. वो कुच्छ
भी नहीं बोल रहा था. मैने पूचछा तुम गूंगे हो क्या तो उसने अपना सिर हन में हिला दिया. मैने सोचा की ये
तो और अच्च्ची बात है की ये गूंगा है और किसी से कुच्छ भी नहीं कहेगा. मैं बेड पर उसके बगल में बैठ गयी.
मैने उसके लंड को फिर से सहलाना शुरू कर दिया तो थोड़ी ही देर में उसका लंड खड़ा हो कर एक दम टाइट हो गया.

मैने सोचा ये तो पागल है. अगर मैं इस से छोड़ने के लिए कहा तो कहीं ये ज़बरदस्ती अपना पूरा का पूरा लंड
एक झटके से ही मेरी छूट में ना घुसा दे नहीं तो मेरी छूट फॅट जाएगी. मैने उसे बेड पर लिटा दिया और अपने
सारे कपड़े उतार दिए. वो मेरे गोरे बदन को घूर घूर कर देखने लगा. मैने उसके बगल में बैठ गयी और उसके
लंड के सूपदे पर अपनी जीभ फिरने लगी. वो जोश में आ कर आहें भरने लगा. थोड़ी देर बाद मैने उस से पूचछा,
मेरी छूट को चतोगे तो उसने अपना सिर हन में हिला दिया. मैं उसके उपर 69 की पोज़िशन में लेट गयी और
मैने उसका लंड अपने मूह में ले कर चूसना शुरू कर दिया. वो अपनी उंगलियों से मेरी क्लाइटॉरिस को मसालते
हुए बड़े प्यार से मेरी छूट को चाटने लगा. मैं समझ गयी की वो किसी औरत को छोड़ने का पुराना खिलाड़ी है.
थोड़ी देर तक मेरी छूट को चाटने के बाद उसने अपनी बीच की उंगली मेरी छूट में घुसा दी और मेरी छूट
के ग-स्पॉट को रगड़ने लगा। मेरे सारे बदन में आग सी लगने लगी और मैने उसके लंड को तेज़ी के साथ
चूसना शुरू कर दिया। वो मेरे ग-स्पॉट को रगड़ता रहा और मैं जोश से पागल सी होने लगी. फिर 2 मीं में
ही मैं झाड़ गयी.


उसके बाद मैं उसके उपर से हट गयी और ढेर सारी क्रीम लाकर उसके लंड पर लगा दी और थोड़ी
क्रीम अपनी छूट में भी लगा ली. क्रीम लगाने के बाद मैं फिर से उसके उपर आ गयी. जैसे ही मैने उसके
लंड के सूपदे को अपनी छूट की च्छेद पर रखा तो उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी तरफ खीच लिया और
बड़े प्यार से मुझे चूमने लगा. उसके होत एक दम गरम थे. मेरे सारे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी.

थोड़ी देर तक मैने अपनी छूट को उसके लंड के सूपदे पर रगड़ा फिर उसके बाद मैने अपनी छूट को उसके
लंड पर तोड़ा सा दबा दिया तो मेरे मूह से हल्की सी चीख निकल गयी और उसके लंड का सूपड़ा मेरी छूट में
घुस गया. मुझे दर्द होने लगा तो मैने उसके लंड का सूपड़ा अपनी छूट से बाहर निकल दिया और अपनी छूट
को फिर से उसके लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया. वो बड़े प्यार से मेरी पीठ को सहलाता हुआ मुझे चूमने लगा.
थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कुच्छ कम हुआ तो मैने अपनी छूट को उसके लंड के सूपदे पर फिर से तोड़ा सा
दबा दिया. उसके लंड का सूपड़ा फिर से मेरी छूट में घुस गया लेकिन इस बार मुझे ज़्यादा दर्द नहीं हुआ. मैने
अपनी छूट को जैसे ही तोड़ा सा और दबाया तो मेरे मूह से चीख निकल पड़ी. अब उसका लंड मेरी छूट में
लगभग 2" तक घुस चुका था. मेरी टाँगें तर-तर काँपने लगी. मेरी धड़कन बहुत तेज चलने लगी. लग रहा था
.की कोई गरम लोहा मेरी छूट को चीरता हुआ अंदर घुस रहा हो. मैं रुक गयी.
थोड़ी देर बाद मैने धीरे धीरे अपनी छूट को उसके लंड पर उपर नीचे करना शुरू कर दिया. जब मेरा दर्द फिर से
कुच्छ कम हुआ तो मैने तोड़ा सा ज़ोर और लगा दिया. मैं फिर से चीख उठी और उसका लंड मेरी छूट में 3" तक
घुस गया. मैने फिर से अपनी छूट में उसके लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कुच्छ कम हुआ तो उसने मुझसे लेट जाने का इशारा किया. मैं जोश से पागल हुई
जा रही थी और उसके इशारे के बाद मैं उसके उपर से हट गयी और बेड पर लेट गयी. मैने सोचा अब जो होगा
देखा जाएगा. उसने मेरे चूतड़ के नीचे 2 तकिये रख दिए. फिर वो मेरी टाँगों के बीच आ गया और उसने मेरी
छूट के बीच अपने लंड का सूपड़ा रख दिया और मेरी टाँगों को पकड़ कर डोर डोर फैला दिया. मैं दर रही थी
की वो कहीं ज़बरदस्ती ही अपना पूरा का पूरा लंड मेरी छूट में ना घुसेड दे. उसने धीरे धीरे अपना लंड मेरी
छूट के अंदर दबाना शुरू किया. उसका लंड धीरे धीरे मेरी छूट में घुसने लगा. जैसे ही उसका लंड लगभग 4"
तक मेरी छूट में घुसा तो मैं चीखने लगी और वो रुक गया. उसने अपने होत मेरे होठों पर रख दिए और मेरे
बूब्स को मसालते हुए धीरे धीरे अपना लंड मेरी छूट के अंदर बाहर करने लगा. अब मैं समझ गयी की वो
ज़बरदस्ती अपना लंड मेरी छूट में नहीं घुसाएगा.
थोड़ी देर बाद जब मैं झाड़ गयी तो उसने अपनी स्पीड तोड़ा तेज कर दी. थोड़ी देर बाद उसने एक हल्का सा
धक्का लगा दिया तो मेरे मूह से आ निकल पड़ी और उसका लंड और ज़्यादा गहराई तक मेरी छूट में घुस
गया. वो फिर से धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. उसका लंड अब तक मेरी छूट के अंदर लगभग 5" तक घुस
चुका था. वो मुझे धीरे धीरे छोड़ता रहा तो थोड़ी देर बाद मेरा दर्द जाता रहा और मुझे मज़ा आने लगा.

5 मीं तक छुड़वाने के बाद मैं फिर से झाड़ गयी. मेरे झड़ने के बाद उसने फिर से अपनी स्पीड बढ़ा दी. मुझे
अब बहुत ही मज़ा आ रहा था. मैने अपना चूतड़ उठना शुरू कर दिया था. मुझे चूतड़ उठा उठा कर चुड़वता
हुआ देखकर वो रुक गया और उसने धीरे धीरे अपना लंड मेरी छूट के अंदर और ज़्यादा गहराई तक घुसना
शुरू कर दिया. उसका लंड भौत ही धीरे धीरे मेरी छूट को चीरता हुआ अंदर घुसता जा रहा था. जैसे ही उसका
लंड मेरी छूट के अंदर तोड़ा और घुसा तो मैं फिर से तड़पने लगी लेकिन इस बार मैं चीखी नहीं. दर्द के मारे
मैने अपने होत जाकड़ लिए. वो अपना लंड धीरे धीरे मेरी छूट एमिन घुसता रहा. जब उसका लंड मेरी छूट में
लगभग 7" तक घुस गया तो मैं दर्द से तड़प उठी और मेरे मूह से जोरदार चीख निकल ही गयी. मेरी चीख
निकलते ही वो रुक गया. थोड़ी देर तक रुकने के बाद उसने फिर से धीरे धीरे मेरी चुदाई शुरू कर दी. थोड़ी देर
बाद जब मेरा दर्द फिर से कुच्छ कम हो गया तो उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मुझे तेज़ी के साथ छोड़ने
लगा. मैं जोश के मारे पागल सी हुई जा रही थी और जल्दी से जल्दी उसका पूरा का पूरा लंड अपनी छूट के
अंदर लेना चाहती थी.

लगभग 10 मीं तक छुड़वाने के बाद मैं फिर से झाड़ गयी. मेरे झाड़ जाने के बाद उसने फिर से अपना लंड मेरी
छूट में धीरे धीरे घुसना शुरू कर दिया. मेरी छूट अब तक एक दम गीली हो चुकी थी इस लिए इस बार उसका
लंड आसानी से मेरी छूट के अंदर धीरे धीरे घुसता जा रहा था. मैने अपने होत ज़ोर से जाकड़ रखे थे. उसका लंड
मेरी छूट को चीरता हुआ अंदर घुसता ही जा रहा था. थोड़ी देर बाद जब उसका लंड मेरी छूट में लगभग 9" तक
घुस गया तो मैं तड़प उठी और मेरे मूह से फिर एक चीख निकल पड़ी. इस बार वो रुका नहीं. उसने अपना लंड
आधे से ज़्यादा मेरी छूट से बाहर खीचा वापस बहुत ही जोरदार धक्के के साथ मेरी छूट में घुसेड दिया. मेरे मूह
से बहुत ही जोरदार चीख निकली. उसने 4-5 बहुत ही जोरदार धक्के लगा दिए तो उसका पूरा का पूरा लंड मेरी
छूट में घुस गया. पूरा लंड मेरी छूट में घुसा देने के बाद उसने मेरी चुदाई शुरू कर दी. मैं दर्द के मारे चीखती रही
लेकिन मैने उसे माना नहीं किया.
थोड़ी देर बाद मेरा दर्द एक दम कम हो गया तो मैने चूतड़ उठा उठा कर उसका साथ देना शुरू कर दिया. उसने
अपनी स्पीड और तेज कर दी. लगभग 10 मीं तक छुड़वाने के बाद मैं फिर से झाड़ गयी. उसने अपनी स्पीड
और तेज कर दी. वो मुझे तेज़ी के साथ छोड़ता रहा और मैं एक दम मस्त हो कर उस से छुड़वा रही थी.
अब वो इतने ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा रहा था की उसका हर धक्का मुझ पर भारी पद रहा था. उसके हर धक्के
के साथ मेरे बदन के सारे जोड़ हिल रहे थे. मेरी छूट में अब ज़्यादा दर्द नहीं हो रहा था. मुझे छुड़वाने में आज
जो मज़ा पहली पहली बार मिल रहा था उसके आयेज ये दर्द कुच्छ भी नहीं था.
लगभग 15 मीं और छुड़वाने के बाद जब मैं झाड़ गयी तो उसने अपना लंड मेरी छूट से बाहर निकल लिया.
मैं उस से पूचछा, अब क्या हुआ तो उसने इशारे से मुझे डॉगी स्टाइल में होने को कहा. मैं डॉगी स्टाइल में हो गयी.
वो मेरे पीच्चे आ गया और उसने धीरे धीरे अपना पूरा का पूरा लंड मेरी छूट में घुसा दिया. इस बार मुझे ज़्यादा
दर्द नहीं हुआ. उसके बाद उसने मेरी कमर को पकड़ कर मेरी चुदाई शुरू कर दी. इस बार वो बहुत ही तेज़ी के
साथ मुझे छोड़ रहा था. सारा बेड ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था. मेरी जोश भारी सिसकारियाँ रूम में गूज़ रही थी
और वो जाम कर मेरी चुदाई कर रहा था. थोड़ी देर बाद उसने मेरी कमर को छ्चोड़ दिए और अपने दोनो हाथों
से मेरे दोनो निपल्स को मसालते हुए मुझे छोड़ने लगा. मीं एक दम मस्त हो चुकी थी. अब तक मुझे चुड़वते
हुए लगभग 45 मीं हो चुके थे और वो था की झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. वो मुझे एक दम आँधी की तरह
छोड़ता रहा.
लगभग 1 घंटे के बाद उसने रुक रुक कर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने शुरू कर दिए तो मैं समझ गयी की अब वो
भी झड़ने वाला है. मैं भी बस झड़ने ही वाली थी. 2 मीं में ही मैं झाड़ गयी और मेरे साथ ही साथ वो भी झाड़ गया.
उसके लंड से ढेर सारा जूस निकला जैसे की वो बहुत दिन बाद झाड़ा हो. लंड का सारा का सारा पानी मेरी छूट में
निकल देने के बाद वो हट गया और लेट गया. मैने उसके लंड को छत छत कर सॉफ कर दिया. आज ज़िंदगी में
पहली बार मुझे छुड़वाने में बहुत ही मज़ा आया और मैने भी एक दम मस्त हो कर उस से चुडवाया. वो भी मुझे
छोड़ने के बाद बहुत ही खुश दिख रहा था और लग रहा था की जैसे बरसों बाद उसके लंड की प्यास बुझी हो.

लगभग 1 घंटे तक हम दोनो लेते रहे और एक दूसरे के बदन को सहलाते हुए होठों को चूमते रहे. उसके बाद मैने
उसका लंड फिर से चूसना शुरू कर दिया तो 2 मीं में ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया. इस बार मैने उस से डॉगी
स्टाइल में ही चुडवाया. मारी छूट पहली बार की चुदाई में सूज गयी थी इस लिए मुझे फिर से तोड़ा तोड़ा दर्द होने
लगा लेकिन थोड़ी देर बाद मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आया. उस ने भी इस बार मेरी जाम कर चुदाई की. इस बार
उसने मुझे लगभग 1 1/2 घंटे तक बहुत ही बुरी तरह से छोड़ा और फिर झाड़ गया. इस बार की चुदाई के दौरान
मैं 4 बार झाड़ गयी थी. झाड़ जाने के बाद उसने अपना लंड मेरी छूट से बाहर निकाला और मेरी छूट को चाटने
लगा. जब उसने मेरी छूट को छत छत कर एक दम सॉफ कर दिया तो उसने अपना लंड मेरे मूह के पास कर दिया.
मैने भी उसके लंड को बड़े प्यार से चटा और छत छत कर एक दम सॉफ कर दिया.
मैने उस से कहा, आज तुमसे छुड़वाने में मुझे जो मज़ा आया है मैं उसे कभी भी नही भूल पौँगी. तुमसे छुड़वाने
में मेरी छूट में बहुत दर्द हो रहा है लेकिन मुझे तुमसे छुड़वाने में जो मज़ा आया है उसके आयेज ये दर्द कुच्छ
भी नहीं है. वो चुप छाप उठा और किचन में चला गया. थोड़ी देर बाद वो पानी गरम कर के ले आया और उसने
बड़े प्यार से मेरी छूट की खूब सिकाई की. 15-20 मीं की सिकाई के बाद मेरी छुआ का सारा दर्द जाता रहा.
उसके बाद वो मेरी बगल में लेट गया.

थोड़ी देर बाद उसने तबले पर से लेटर पद और पेन उठा लिया और कुच्छ लिखने लगा. मैने अब जाना की
ये तो पढ़ा लिखा भी है. मैं चुप छाप देखती रही. थोड़ी देर बाद मैने पूचछा क्या लिख रहे हो तो उसने मुझे
लेटर पद दे दिया. उसे पढ़ने के बाद मैं सकते में आ गयी. उसने लिखा था की वो मोहन का सबसे बड़ा भाई
राजेश है और प्रॉपर्टी हड़पने के चक्कर में मोहन ने उसकी ज़ुबान काट कर उसे पागल बना दिया था जब
की वो बिल्कुल भी पागल नहीं है. मोहन ने अपने मझले भाई सोहन का मर्डर भी करा दिया था. उसने ये भी
लिखा था की वो 12 तक पढ़ा लिखा है. उसकी कहानी पढ़ने के बाद मुझे मोहन से नफ़रत होने लगी. मैने मान
ही मान सोच लिया की अब मुझे मोहन के साथ नहीं रहना है. मैं मान ही मान राजेश से बहुत ज़्यादा प्यार
करने लगी. मैने सोच लिया की राजेश भले ही गूंगा है, मैं उसी को अपना जीवन साथी बना कर उस के साथ
अपनी सारी ज़िंदगी गुजर दूँगी. मोहन के आने तक मैने उस से खूब चुडवाया. उसने भी मेरी बहुत ही अच्च्ची
तरह से चुदाई की. वो हर बार मुझे लगभग 1 घंटे तक छोड़ता था और उस के पहले कभी नहीं झाड़ता. मुझे भी
उस से छुड़वाने में बहुत बहुत मज़ा आता था और मैं एक दम मस्त हो कर उस से चुड़वति थी.
मोहन के आने के बाद एक दिन मैने मयके जाने का बहाना किया. मोहन ने कहा, ठीक है, चली जाओ लेकिन
जल्दी वापस आ जाना. मैने राजेश को बस स्टॉप पर बुला रखा था. राजेश को लेकर मैं दूसरे शहर में चली गयी.
उस के बाद मैने मोहन से तलाक़ ले लिया और राजेश के साथ शादी कर ली. मैने एक ऑफीस में नौकरी कर ली.
बाद में उसी ऑफीस में राजेश को भी नौकरी मिल गयी. आज मैं राजेश के साथ बहुत ही खुश हून

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