दोस्तो अब आपकी सेवा मैं यानी
मुझे भाभी का हाथ कुछ चिपचपा
उनके हाथ मे भी शहद लगा है जौ
है. हाथ तो धो आती भाभी. मैने
लॅंड पर शहद लग गया. मैने ही
रहे हो, मई भी तो कुछ पियूंगी.
पियोगी? अरे नही,मई तुम्हारा दू
कहाँ से आएगा. उन्होने मेरे छ्
आदमियों का दूध यहाँ से नही
मेरा तो कभी नही आया सिर्फ़ सस्
देखना तुम? कहते हुए उन्होने मे
चाटने लगी. जिन पर उनके हाथ का
छत कर बोली अब तुम बाद मे दूध
फूक मार दो. कहते हुए वो मेरे
चीड़ मेरे मूह के एकद्ूम सामने
रही थी शायद उन्होने कोई पर्फ्
शुरू की ओर उधर उन्होने मेरा लॅ
लगी. मई फिर से घबरा गया उन्हो
बोली फूक मरते रहो मई शहद छत
तो लॅंड काट लूँगी तुम्हारा.
घड़ाए. मई फिर से फूक मरने लगा.
चुस्ती रही. मेरा लॅंड रोड की
क्या कभी मलाई नही निकली इसमे
से तो सिर्फ़ सू-सू आती है ओर
रही हो. उसने कहा अच्छा रहने दो
चला तो उन्होने माना कर दिया,
पहनते. ऐसे ही सोएंगे ओर तुम्हे
फिर मई उनसे चिपक गया ओर रात को
गया. वो मेरा लॅंड अपने हाथों
आख खुली तो मैने देखा भाभी अभी
मेरे परों की साइड मे था ओर पे
चूस्ते हुए ही सो गयी थी. मेरा
उसमे से अभी तक कुछ नही निकला
बूब्स साइड मे लटक रहे थे रात
मैने उनकी छूट की तरफ देखा, छू
लड़की तोड़ा सा मूह खोले हुए हो
उंगली से उन होंठो को टच किया
ही सो रही थी. मैने उंगलियो से
छूट का मूह खुल गया. मुझे रात
उसमे उंगली दल कर सॉफ की थी. मै
दी. तभी भाभी ने अपने पेर सिको
बीच मे डब गया. वो आखें खोल कर
हो वीनू जी? कल तक तो बहुत शर्
रही हैं. तुम्हारी मों से कह डू
ले. मई शर्मा कर रह गया. उन्हो
सहलाते हुए बोली- इसमे उंगली
पास भी हैं, मई खुद भी दल सकती
ज़रूरात है. "इसमे लॅंड डालते
जुड़ा हुआ है, कैसे दल सकेंगे
कुछ रात के लिए भी रहने दो अब
तुम्हारी मों आवाज़ देंगी या
सा मूह बनाया ओर बोला पर भाभी
मार लग जाएगी. तुम भी किसी से
वो बोली. मैने कहा- नही कहूँगा
दूध ओर पीला दो ना. नही अब रत
पहने ओर घर आ गया. पर मेरा मान
बार-बार भाभी का शरीर आखों के
था की भाभी के पास वापस चला जा
अपनी किसी सहेली के घर गयी हुई
कटा. सुबह को ही मैने मों से
क्योंकि अभी पूरी तरह से ठीक
यही बना लेना मई ले जाऊँगा. डो
घर खाना ही था. शाम को मैने जल्
करवाया ओर 7.30 बजे से ही खाना
बोली अरे तुम इतनी जल्दी आ गये
मेरे घर, क्यो? मई फिर घबरा गया
कर दे. वो हसी बोली अरे डरो मत
देर तुम्हारे यहाँ टाइम-पास कि
अभी भूक भी नही है तुम्हारे घर
आप मुझे कुछ बताने वाली थी- मै
शरमाया- मेरा आपकी उसमे कैसे जा
सब रत को, दिन मे भूल जया करो
अब मई क्या कह सकता था. उन्होने
उतरी, नीचे वो ब्लाउस ओर पेटीको
उतरेंगी. पर उन्होने मुस्कुराते
फिर हम लोग मेरे घर गये. वहाँ
आसपास इसलिए लगा रहा की कहीं वो
भोला था मई. पर फिर भी एक बार
जब मों बोली- "रूपी" तुमने तो
है, जब देखो भाभी-भाभी ही करता
भाभी मुस्कुरई ओर मेरे गाल पकड़
इतना प्यारा, मेरा तो इसके बागे
देख मुझे कुछ सुकून मिला. फिर
वापस आए. मैं डोर बंद करते हुए
क्या?-मई बोला. पर वो जवाब ना
चल दी. मई भी पीछे-पीछे आ गया.
खाना लगाओ मई आती हून. मई उन्हे
मार कर कित्चान की ओर बढ़ गया.
रहा था की भाभी की तरफ नज़र गयी
थी, उन्होने भी मेरी तरफ देखा
मुस्कुरई ओर निघट्य पहन ली. मे
दोनो खाना खाने डाइनिंग-तबले
उनकी ओर बधाई, उन्होने नीचे हा
लॅंड पकड़ लिया ओर बोली इसे सं
ना-नही तो-मई बोला. वो बोली मै
रहे थे. चलो खाना खाओ. उन्होने
ने जल्दी से खाना ख़तम किया.
बेडरूम मे आ गयी. मई बेड पर बे
कर ही सोने का इरादा है. मैने
लेट गया, निक्कर उतरने मे मुझे
कुछ नही बोली लाइट ऑफ की निगठलं
ओर उसे पहने हुए ही मेरे पास आ
शायद वो मेरा निक्कर उतार देंगी
बोली तक गयी हों नींद आ रही है,
कूड़ता हुआ जाने कब सो गया. रा
नींद मे सो रही थी, उनकी निघट्
वाइट ब्रा ओर पेंटी उनके उपेर
गयी. मैने उन्हे हिला कर देख लि
रही थी. मैने धीरे से उनकी ब्रा
नीचे कर दी पर पीठ पर से वो कसी
ख़याल छ्चोड़ा ओर पेंटी की तरफ
फिर याद आया भाभी भी तो मेरे नि
साहस करके मैने उनकी पेंटी को
दिया पर हाथ उनकी छूट तक नही
चुका था मेरा लॅंड भी ताना हुआ
छूट मे जाएगा कैसे. भाभी अभी भी
असर था जो उन्होने सोने से पहले
पेंटी को नीचे करना शुरू कर दि
ना जाए. उनके फेले हुए पेर सीधे
अब उनकी छूट दिख रही थी. पर लॅं
परेशानी मे था. मैने उंगली च्छे
गीलापन था. मैने उंगली बाहर नि
तरह से पोज़िशन ले कर सोचने लगा
मुझे लगा जा सकता है अगर भाभी
तंग ले-ले तो लॅंड शायद इस च्छे
भाभी के उपेर आया इस तरह की
को उनकी छूट पर सेट करने लगा.
मैने अपना लॅंड उनके हाथ मे
अपना हाथ उनकी छूट पर रख दिया.
निक्कर पहन लूँगा ओर भाभी को भी
पता ही नही चलेगा पर पता नही
भाभी ने मुझे उठाया बोली मेरी
था ओर मेरा लॅंड भी ताना हुआ था
हो सब आपने ही मेरा निक्कर भी
मैने ही सब किया है बोली तुम
मई तो बस ये देख रहा था की मेरा
कैसे. पर जेया नही पाया. आज रा
कहा. फिर मई रोजाना की तरह घर
चला की मों & दाद बाहर जेया रहे
मों ने पूचछा यही रुकोगे या तु
कहा यही रुक जाऊँगा. तो मों बो
घर ही चलो. मई यहाँ की कीस उन्