कल का वाक्या अभी तक हमारे जहन में हलचल मचा रहा था। कहाँ तो आजतक हमने किसी मर्द को छुआ तक नहीं था और कहाँ कल एक पराया मर्द हमारे शरीर का बलात् उपभोग कर चला गया। और इतना ही नहीं वह हमारे शरीर के साथ तो खेला पर हमारे शरीर की ज्वाला को शांत किये बिना ही चला गया। तभी बैठक में आवाज़ हुई। हम बैठक में आये तो वहाँ मयंक खङा था। उसे देखकर हम एकदम घबरा गये।
मयंक - और मेरी रांड कैसा रहा कल का दिन।
हमारे मन में उत्तेजना, सेक्स एवम् गुस्से की अजीब सी मिश्रित भावनायें चल रही थी।
मयंक - लगता है छिनाल की चूत में बहुत खुजली हुई।
हम - मयंक तुम हमारे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो।
अब मयंक हमारे करीब आने लगा। हम भी पीछे हटने लगे। हमें पीछे हटता देखकर मयंक बोला ।
मयंक - अब तो में तंग आ गया हूँ तेरे नखरे से। मैं जा रहा हूँ तेरी नंगी तस्वीर अखबार में देने ।
इतना कह मयंक जाने लगा। हम बहुत घबरा गये और दौङ उसके पैरों को पकङ लिया ।
हम - मयंक प्लीज़ ऐसा मत करो हम बरबाद हो जायेगें।
मयंक - तुम हर रोज़ नखरे मारती हो। मैने शराफत से तुम्हारा बलात्कार नहीं किया पर तुम तो हर रोज़ नखरे मारती हो। यह तुम्हारी आखरी बार मैं गल्ती माफ़ कर रहा हूँ। इसके बाद कभी भी मुझे गुस्सा आया तो तुम्हारी नग्न तस्वीरें पूरे मुम्बई में छप जाएगीं।
इतना कहकर मयंक ने हमारे उरोजों को सहलाना शुरु कर दिया। हम डर के मारे कुछ नहीं बोले। फिर उसने हमारी t-shirt उतार दी। हम गुलाबी रंग की ब्रा और जींस में आ गये। मयंक ने हमारी ब्रा का हुक खोलकर हमारी ब्रा उतार दी। अब तो हमारे उरोज़ नग्न हो गये। मयंक हमारे नग्न उरोजों को सहलाने लगा और उन्हें चूसने लगा। हमारे पूरे शरीर में एक उत्तेजना दौङ गयी। फिर उसने हमारी जींस के बटन खोल दिये और हमारी जींस नीचे कर दी। फिर उसने हमारी पैंटी भी उतार दी और हमारी योनि को अपनी जुबान से सहलाने लगा। हमारा शरीर तो एक दम मचलने लगा। हमें लगा मानो हम स्वर्ग में है। मयंक की जुबान ने कमाल कर दिया था। हमारा मन चाह रहा था कि मयंक हमारे शरीर से खेले पर शर्म के कारण हम कुछ कह नहीं रहे थे।
हमारी योनि में से गर्म रस निकलने लगे। हमें तो आजतक मालूम ही नहीं था कि योनि भी पानी छोङती है। मयंक ने अपनी जुबान रोक ली थी। अब मयंक हमें पलंग पर ले गया। उसने हमें पलंग पर लिटा दिया। मयंक ने अपने सारे कपङे खोल दिये। फिर मयंक ने अपना शिश्न हमारी योनि पर रख दिया। हमारे सारे शरीर में एक बिजली की लहर दौङ गयी। इसके पहले कि हम कुछ कर पाते उसने अपना शिश्न हमारी योनि में डाल दिया और हमारे हाथ पकङ लिये। हम तो एक दम तङप गये।
हम - मयंक यह क्या कर रहे हो । प्लीज़ अपना शिश्न हमारी योनि से बाहर निकालो।
मयंक - किससे क्या बाहर निकालो। तू क्या हिन्दी साहित्य की परिक्षा दे रही है क्या। बोल कि मेरी प्यासी चूत में से
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