Thursday, June 5, 2008
दीवानगी--भाग-१
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दीवानगी---भाग-१
"छोड़ो मुझे, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की" नीता ने खुद को राकेश की बांहों से आजाद होने की कोशिश करते हुए कहा.
"ऐसा न कहो, नीता रानी, देखो मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं"
"छोड़ते हो या शोर मचाऊं”''''''' नीता ने धमकाते हुए कहा.
"प्लीज नीता, ऐसा मत करना, ऐसा करने से बदनामी तुम्हारी भी होगी, मगर इस गरीब के पेट पर लात पड़ जाएगी" राकेश ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.
नीता भी अभी-अभी जवानी की दहलीज पर पर चढ़ी थी, उसके यौवन के उभार और गोलाइयां कयामत ढा रही थी. उसने अपनी नवविवाहिता सहेलियों से सुहागरात की रंगीन कहानियां सुन रखी थी. उसे भी अपने होने वाले पति के प्यार के बारे में सोचकर रोमांच होता था, लेकिन उसन सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका ही नौकर उसके ही घर में उसे मजबूर कर देगा. राकेश की बांहों में नीता को गर्माहत महसूस होने लगी.
उसने राकेश से कहा, “अभी मम्मी के आने का समय है, अभी छोड़ दो, किसी रोज फुरसत में ये प्यार का खेल खेलेंगे”
राकेश को बात बनते दिखी, ऐसे में नीता जैसी सत्रह साल की मदमस्त जवानी को राकेश कहां छोड़ने वाला था.
वो बोला, “अभी उनके आने में घंटे भर की देर है और हम बीस से पच्चीस मिनट में फ्रैश हो जाएंगे”'''
नीता समझ गई कि राकेश उसे चोदे बिना छोड़ने वाला नहीं है, इसलिए वह बोली, जब तुम मानोगे ही नहीं तो जो भी करना हो, जल्दी कर लो, वर्ना...
वर्ना यही की मम्मी आ जाएगी, आपकी मम्मी मोम की गुड़िया थोड़े हैं वो भी तो.., राकेश ने बात काटते हुए कहा.
नीता बीच ही में बोल पड़ी, अपना काम करोगे या..
राकेश ने कहा, सॉरी मैडम, और नीता की गोलाइयों को हौले-हौले सहलाने लगा.
राकेश पक्का खिलाड़ी था. उसका मानना था कि एक बार लड़की को चोदकर संतुष्ट कर दिया जाए तो वह हमेशा चुदवाने के लिए तैयार रहती है. नीता पूरी तरह अनछुई लड़की थी, इसलिए राकेश उसे चोदने से पहले अच्छी तरह तैयार कर लेना चाहता था.
राकेश ने नीता के होठों को चूमते हुए शर्ट के ऊपर से ही उसकी बड़ी-बड़ी मस्त चुच्चियों को दबाने लगा.
चुच्चियों पर पुरूष का हाथ लगते ही नीता मस्त होने लगी. राकेश ने शर्ट के बटन को खोलकर शर्ट को नीता शरीर से अलग कर दिया. राकेश के सामने डिजाइनर ब्रा में कैद नीता की गदराई हुई मादक चुच्चियां थी, राकेश ने नीता की चुच्चियों को मस्ती में दबाते हुए उसके होठों को चूमने लगा.
तब नीता भी मस्त हो चुकी थी, उसे भी मजा आने लगा था, उसने राकेश के होठों को अपने होठों के मध्य दबाकर चूसने लगी.
नीता के इस सहयोग से राकेश का जोश और भी बढ़ गया, उसने नीता के ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को शरीर से अलग कर दिया और भावोन्मत्त होकर एकटक से नीता की उत्तेजक चुच्चियों को देखने लगा. कुछ ही देर बाद नीता बोली, ऐसे क्या देख रहे हो.
राकेश ने कोई जवाब नहीं दिया. वह नीता की कामकलशों पर झुक गया और चुंबनों की झड़ी लगाते हुए बायी चुचुक को मुंह में भर लिया. नीता मदहोश होकर जोरों से सीत्कार उठी. राकेश बारी-बारी से कामकलशों का कामरस पीता रहा.
राकेश का हाथ नीता के चिकने नरम सपाट पेट से होते हुए नाभि के नीचे तक जा पहुंचा. राकेश की बढ़ती हरकतों को रोकने की कोई वजह नीता को नहीं दिख रही थी.
राकेश ने नीता के जिंस के काज से बटन निकाल कर जिप को नीचे खींच दिया और जिंस को नीचे खींच दिया. नीता ने उसे हाथ को रोकने की असफल कोशिश करते हुए कहा, प्लीज, राकेश, और आगे मत बढ़ो.
मगर राकेश चोदे बिना छोड़ने वाला कहां था. उसने नीता की पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया. नीता के अद्ध-गोलीय मांसल नितंबों को सहलाते हुए पूरी ताकत से अपनी कमर की और खींचा. कोई बेलनाकार ठोस वस्तु नीता के नाभि के नीचे जांघों के मध्य टकराई. नीता को समझते देर नहीं लगी कि यह राकेश का लंड और जो उसकी बूर में घुसकर चोदने के लिए बेकरार है.
चुदाई की कल्पना कर नीता मस्ती में सीत्कार उठी.
तब तक राकेश का हाथ आगे आ चुका था. नीता के भग प्रदेश का सर्वेक्षण किया और तर्जनी अंगुली अंगुली नीता की बूर में घुसानी चाही, लेकिन नीता ने राकेश का हाथ पकड़ लिया और बोली, प्लीज, राकेश, प्लीज अब और नहीं.
नीता पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी.
राकेश ने उसके शरीर से शेष बचे कपड़े को उतार दिया और फर्श पर बिछे चादर पर पीठ के बल लिटा दिया.
राकेश ने अपना पैजामा खोल दिया. वह जांघिया पहने हुए नहीं था, इसलिए पैजामा खुलते ही हथियार बाहर आ गया. काफी लंबा और मोटा था राकेश का लंड. नीता ने एक नजर राकेश के लंड को देखा और इसके बाद आंखे बंद कर ली.
राकेश ने नीता की टांगो को फैला दिया और स्वयं जांघों के बीच उकडू बैठ गया और झुककर नीता की बूर को चूम लिया. नीता मस्ती में जोर से सीत्कार उठी.
राकेश ने सोचा, मदहोश हो चुकी नीता को अब और तड़पाना ठीक नहीं और उसने अपना लंड नीता के बूर की छेद में टिका दिया और नीता के ऊपर सवार हो गया.
नीता को बांहों में कस लिया और कमर पर दबाव डाला. बूर को चीरते हुए लंड अंदर घूसने लगा.
नीता की यह पहली चुदाई थी, इसलिए राकेश का लंड जाते ही वह दर्द के मारे चीख पड़ी, ऊई मां, मैं मर गई, राकेश प्लीज, मुझे छोड़ दो, मैं मर जाऊंगी.
राकेश ने बंधन ढीला कर दिया और नीता की चुच्चियों को दबाते हुए होठों को चूसने लगा. कुछ ही देर बाद उसका दर्द रफ्फू चक्कर हो गया.
बूर में राकेश के लंड की उपस्थिति नीता को सुखदायक लगा. उसने कमर उचकाकर चुदाई शुरू करने के लिए कहा. राकेश ने नीता के कमर को दांये हाथ से जकड़ लिया और बांये हाथ से नीता के कमसिन शरीर को बांधकर धीरे-धीरे चोदना शुरू किया. बूर में लंड के सुखदायी घर्षण से नीता सातवें आसमान में सैर करने लगी.
नीता भी नीचे से कमर उचकाने लगी, राकेश समझ गया कि नीता चुदाई का भरपूर आनंद ले रही है. उसने चुदाई का स्पीड बढ़ाते हुए पूछा, कैसा लग रहा है मेरी रानी.
नीता ने मदहोशी में कहा, ऐसा लग रहा है जैसे कि जन्नत की सैर कर रही हूं. बस यूं ही चोदते रहो मेरे राजा.
नीता के मुंह से ऐसी बात सुनकर राकेश दुगुने स्पीड से नीता की चुदाई करने लगा.
नीता के मुंह से आह्लाद भरे शब्द निकलने लगे.
राकेश समझ गया कि नीता के झड़ने का वक्त आ गया है.
दोनों पसीने से तर-बतर हो चुके थे, फिर भी नीता राकेश के शरीर में छिपकली के भांति चिपकती जा रही थी. नीता की मुलायम चुच्चियां राकेश की छाती से चिपटकर उसे महान सुख दे रही थी.
राकेश फुल स्पीड में नीता की चुदाई कर रहा था. उसे लगा कि वह भी अब झड़ने के करीब है. तभी नीता का बंधन ढीला पड़ने लगा, राकेश भी पांच-छह जोरदार धक्के लगाने के बाद नीता की चुच्चियों पर औेंध गया. कुछ देर तक दोनों यूं ही अचेतावस्था में पड़े रहे.
उसी वक्त नीता की मम्मी आ गयी. नीता को अपने कमरे में नहीं देख इधर उधर तलाश करने लगी. राकेश का कमरा अंदर से बंद था. खिड़की का ऊपरी पल्ला खुला हुआ था. अंदर झांककर देखा तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था, लेकिन सब कुछ सामने था. राकेश- नीता संभोग का चरम-सुख पाकर आलस्य वश एक-दूसरे की बांहों में शिथिल पड़े थे. राकेश और नीता दोनों ही पूरी तरह नंगे थे. नीता नीचे पीठ के बल लेटी थी. राकेश के पूरा लंड नीता की बूर में था.
कुछ देर बाद दोनों सचेत हुए. नीता ने राकेश की ओर देखकर मुस्कुराया. नीता बोली, सच राकेश, सपने में भी नहीं सोचा था कि इसमें इतना आनंद आता है.
राकेश ने नीता की चुच्चियों को दबाते हुए पूछा, बहुत मजा आया मेरी रानी?
नीता बोली, सच मेरे राजा. नीता ने राकेश के होठों को होठों में भरकर चूसना शुरू कर दिया.
राकेश नीता की चुच्चियों को प्यार पूर्वक सहलाया और उठने की कोशिश की, अभी छोड़ के कहां जा रहा है जालिम, कुछ देर और जिया तो जुड़ा दे.
मैडम अब उठो भी, मम्मीजी के आने का वक्त हो गया है.
नीता अलसायी हुई सी बोली, होने दो, क्या मम्मी को पता नहीं है कि उनकी बेटी जवान हो गई है.
माया देवी को विश्वास नहीं हो रहा है कि ये उनकी बेटी के शब्द हैं.
माया को अब पछतावा हो रहा है कि उसने खुद को दुनिया के सबसे बड़े सुख से अलग क्यों रखा. जिस वक्त उसके पति की मौत हुई, उसकी उम्र महज इक्कीस साल थी. अपनी चार साल की बेटी के लिए उसने शादी नहीं की. बेटी को कोई गलत संगत नहीं लगे, इसके लिए उन्होंने खुद तो दुनिया के सभी सुख से अपने को वंचित रखा. लेकिन उसके त्याग का सिला उसे क्या मिला, उसकी बेटी एक नौकर की बांहों में पड़ी हुई है. उसे लगा कि उनकी बेटी गलत संगति का शिकार हुई है. उसकी सहेलियों ने बताए होंगे सेक्स में इतना आनंद मिलता है.
माया ने खुद को आइने में देखा, उसने महसूस किया कि वो आज भी उतनी खूबसूरत हैं जितनी दस साल पहले थी, वैधव्य ब्रह्मचर्य ने उसके शरीर में एक अलग ही तेज भर दिया है. उन्होंने अपनी चुच्चियों को देखा. उन्हें लगा कि उनकी चुच्चियां अभी भी किसी युवा पुरूष को पागल कर सकती है.
उधर, राकेश का लंड फिर नीता की बूर में कार्रवाई करने के लिए तत्पर हो उठा. राकेश बोला, एकबार और खेंले. नीता बोली, जान लोगे इस नाजुक जान की.
दोनों फ्रैश हो गए. बाहर आए. नीता ने देखा, मम्मी अभी तक नहीं आई है.
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