Sunday, March 16, 2008

मौसी की धमाकेदार चुदाई-1

मौसी की धमाकेदार चुदाई-1
मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के फांक को फैलाकर अन्दर डाली ..चूत अभी भी गुलाबी थी..और एकदम टाईट जैसे ही मैंने जीभ अन्दर डाली (ये मैंने ब्लू फिल्मो से सिखा था) वो सिसिया उठी..हाय..उफ़..तुमने ये क्या कर दिया संजू....और मैं उनके चूत मे जीभ घुमा रहा था तभी उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया..और कहा..बाप रे..तुम्हारा तो बहुत लंबा और मोटा है..इतना लंबा तो तुम्हारे मौसा का भी नही था और न तुम्हारे डैडी का ..(मैं तो समझ नही पाया..तो क्या डैडी मे भी मौसी को चोदा है?) मैंने उनसे पूंछा तो उन्होंने कहा हाँ मेरी शादी के पहले एक बार तेरे डैडी ने मुझे चोदा था और इसी लिए स्नेह मेरे पेट मे थी शादी के वक्त और ये जानकर तेरे मौसा ने मुझे डाइवोर्स दिया लेकिन उसके बाद मैं आज चुदवा रही हूँ.." मैंने कहा इसीलिये तुम्हारी चूत इतनी टाईट है..उन्होंने कहा हाँ बेटे..लेकिन तेरा लंड तो मूसल है..इतना मोटा लंड..मैंने नही देखा कभी..और उन्होंने मुझे अपने ऊपर खीचा मेरे लंड को चूमा और चाटा फ़िर अचानक मेरे सुपाडे को मुँह के अन्दर ले लिया और चूसने लगी..अब हम 69 के पोज़ मे थे मैं पागलों की तरह उनकी चूत को चाट रहा था..लंड चटाने से मैं तो एकदम जोश मे आ गया था..मेरे चूत को चाटने की स्पीड बढ़ गई जीभ से उनके दाने को भी मैं छेड़ रहा था..वो भी उभर कर ऊपर निकल आया था...मेरा चेहरा उनके जांघों के बीच मे था.. अचानक...उन्होंने मेरे सिर को अपनी जाँघों के बीच जोर से दबा लिया और आह्ह..ओओओह..हाय..ऊफ्फ.जैसी जोरो से चिल्लाने की आवाज़ .करते हुए अपनी चूत मेरे चहरे पर चिपकाने लगी..कुछ झटके लिए और मैंने मेरे मुँह मे उनकी चूत से गरम गरम कुछ लिसलिसा तरल पदार्थ आने लगा..जो की मेरे पूरे चहरे मे लग गया था मैंने भी उन्हें जोर से जकड लिया और जितना चाट सकता था पूरा चाट लिया..अब वो शांत हो गई..मेरे सिर को भी छोड़ दिया..और मेरी तरफ़ देख कर शर्माते हुए कहा "सॉरी" मैंने पूंछा "किस लिए सॉरी " उन्होंने कहा मेरा पूरा पानी मैंने तुम्हारे मुँह मे डाल दिया मैं तुमसे कह भी नही पाई की मैं अब झड़ने वाली हूँ ..क्या करूं आज कितने सालों के बाद चूत पर किसी मर्द ने हाथ लगाया है..मैं अपने आप को रोक नही सकी झड़ने से" मैंने कहा..मुझे तो ये बहुत अच्छा लगा.. . मैं तो फ़िर से ऐसा करना चाहूँगा..तुम्हारे चूत का पानी मुझे बहुत अच्छा लगा..उन्होंने कहा "संजू अब मत तड़पाओ और तुम्हारा ये मोटा लंड मेरी चूत मे डाल के मेरी अच्छे से चुदाई करो..तभी मेरे चूत के अन्दर की आग बुझेगी जो तुमने आज दोपहर से लगाई है.." मैंने पूंछा "दोपहर से?"हाँ" जाते वक्त तुम्हारे इस मोटे लंड की झलक मैं देख चुकी थी..इसीलिये तो मैं फ़िर से वापस आई..और तुम्हे बाथ रूम मे भी इसी लिए बुलाया " मैंने पूंछा फ़िर वहाँ से भाग कर क्यों आ गई..?" "वो तो तुम्हे और भड़काने के लिए आई." उसने कहा.."लेकिन अब तुम ये मोटा और लंबा लंड मेरी चूत मे डाल दो."
मैंने उससे कहा की अब वो पेट के बल लेट जाए और उसके पेट के नीचे एक तकिया लगा दिया..उसकी गांड पीछे से ऊपर उठ गई थी..क्या नितम्ब और गांड थे..मैं तो गांड पर हाथ फेरने लगा..उसे चूमा..फ़िर गांड के छेद पर भी किस किया..जीभ से उसकी पीठ और दोनों नितम्बो के बीच की दरार मे गिला करने लगा..वो भी गरम होने लगी थी..मैंने उसके बालों को हटा कर गर्दन के पास चूमा और जीभ से छठा भी फ़िर उसके कान के नीचे और कान पर भी ऐसा ही किया..वो कसमसाने लगी मैं नीचे आया और गांड से होते हुए उसकी चूत को सहलाया..उन्होंने अपने घुटने थोड़े मोड़ लिए जिससे चूत पीछे की ओर उभर आई...अब वो डॉगी स्टाइल मे थी मैंने उनके गोरे गोल्गोल नितम्बो को दोनों हाथों से पकड़ा ..दबाया फ़िर गांड के छेद मे जीभ लगाया और अन्दर करने लगा..वो थोड़ा हिली..और आह..इश..स्.स्.स्.स् मैंने वह चाटना शुरू किया वह का भाग बड़ा ही नमकीन था शायद पसीने की वजह से ..मैंने गांड के छेद को फैलाया..और उस छोटे से गुलाबी छेद मे जितना हो सके मैंने जीभ अन्दर कर दिया..अब उसने चिल्लाते हुए कहा तुम्हे मेरी गांड पसंद है तो मुझे पहले चोद क्यों नही लेते.... तुम मेरी गांड को चाटो लेकिन मेरी चूत मे ऊँगली करो..बहुत खुजलाहट हो रही है ..मैंने उनके कहे अनुसार अपनी एक ऊँगली उनके चूत मे डाल दी..चूत से अभी भी रस निकल रहा था उसकी को मैं गांड के छेद मे लगा कर चाट रहा था..और उनके चूत के दाने को भी मसल रहा था..हम दोनों ही काफी गरम हो चुके थे..उसने कहा संजू मेरी गांड मारोगे ? नेकी और पूंछ पूछ मैंने कहा हाँ..उन्होंने कहा तुम पहली बार कर रहे हो इसलिये पहले मेरी कुंवारी गांड को खोलो फ़िर मेरी चूत का मजा लेना..तुम अपनी मम्मी के ड्रेसिंग टेबल से वसलिन ले आओ और अच्छे से तुम्हारे लंड पर और मेरी गांड के छेद मे लगाओ " मैंने वैसा ही किया..उसने मेरे लंड को चूमा और अच्छे से वसलिन लगाया फ़िर मैंने उसे उसी पोजीशन मे किया और मेरे लंड के सुपाडे को गांड के छेद पर टिका के एक धक्का दिया चिकनाई की वजह से लंड का सुपाडा तो अन्दर चला गया लेकिन मौसी चीख . उठी..आह्ह ..मार डाला..उफ़ मर गयी..कितना मोटा है..इतने जोर से डालते है. मैंने उनके कमर को पकड़ रखा था और उनकी चीख के बावजूद मैंने दुसरे धक्के मे पूरा लंड जड़ तक अन्दर घुसेड दिया..मौसी की आंखों से आंसू निकल आए..चेहरे पर दर्द था और चीख अलग..ऊह माँ ..थोड़ा रुकने के बाद मैंने धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया..मैंने एक हाथ से उनके चुन्चियो को भी दबाना जारी रखा और फ़िर उनकी चूत मे ऊँगली अन्दर बाहर करने लगा..मैंने धक्को की स्पीड बढ़ा दी..मेरे हर धक्के से उसकी गांड कंप जाती थी और मैं लंड को बाहर खीच कर पूरा अन्दर पेल रहा था..वो इससे कभी कभी चिल्ला उठती थी..तब मैं अपनी स्पीड कुछ धीमी कर देता..लेकिन मैं घमासान धक्के लगाये जा रहा था..वो सिर्फ़ आह..ओओओह. .मम्..मम्.म.म. इश..स्.स्.स्. की आवाज़ निकल रही थी..मैंने महसुसू किया की उनकी चूत मेरे ऊँगली को कस के जकड रही है..और फ़िर क़रीब 5 मिनिट बाद ही मौसी ने मेरे हाथ मे ही पानी छोड़ दिया..मेरा पूरा हाथ भर गया..मैंने उसे चाट लिया और तेजी से गांड मारना जारी रखा..लेकिन वो थोड़ी देर शांत रही और कहा.."संजू..अब मैं लंड को चूत मे लूंगी..मैंने कहा ठीक है ..मैंने लंड बाहर निकाला तो उन्होंने कहा "अब तुम लेटो,..उन्होंने पास पड़ी अपनी पैंटी से मेरे लंड को पोंछा और उसे मुह मे ले लिया.मुह मे ले कर उसे चूसने लगी..दरअसल गांड मरते हुए मैं भी झड़ने के क़रीब आ चुका था, वो इस तरह से चाट और चूस रही थी की मैं अपने को नही रोक पाया और उनके सिर को पकड़ कर पूरा लंड अन्दर गले तक पहुंचाने लगा..मैंने कहा..मेरा.निकलने वाला है..ओह..ओह..और जैसे ही मेरी पिचकारी की धार उनके गले तक पहुँची उन्होंने मेरा लंड बाहर निकाला लेकिन अब तो एक के बाद एक जोरदार पिचकारी निकल रही थी जो उनके पूरे चेहरे पर फ़ैल गई.
थोड़ा तो उन्होंने चाट लिया और फ़िर अपने मुँह को पोंछा..मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुराई.. और कहने लगी..तुम्हारा तो माल भी बहुत निकलता है..और कितना गरम है..उन्होंने मेरे लंड को नही छोड़ा ..हाथ मे ले कर मसलती रही..ऐसे ही २० मिनिट हम सोये रहे..फ़िर उन्होंने उठ कर मेरे लंड को फ़िर से चाटना शुरू कर दिया..मैंने भी उनकी चूत के दाने को और चूत को छेड़ना शुरू कर दिया..निपल को मुह मे लिया..दबाया..इस तरह वो फ़िर से गरम होने लगी और मेरा लंड फ़िर से चुदाई के मैदान मे कूद पड़ा.. अब उन्होंने पास पड़ी शीशी से .फ़िर वसलीन ले कर लगाया....मैंने पूंछा अब क्यों ? उन्होंने कहा "मुझे क्या मरना है बिना वसलीन लगाए ये मोटा और लंबा लंड अन्दर लेकर..ये वैसे ही आज मेरी चूत को फाडेगा ..लेकिन मैं बेचैन हूँ..इसे मैं अपनी मरजी के मुताबिक़ अन्दर लूंगी"..और मुझे पीठ के बल लिटा दिया .फ़िर मेरे कमर के दोनों तरफ़ पैर रख कर चूत को मेरे चिकने लंड के ऊपर लाई और अहिस्ता उस पर बैठ गई मैंने उनके मम्मे हाथ मे लिए..मैं अधलेटा हो गया ताकी चूचियों का मजा ले सकूं..मैं हैरान था की मौसी जो की इतनी शांत रहती थी आज इस तरह क्यों कर रही है..असल मे चुदवाने या चोदने की इच्छा हर मर्द और औरत मे रहती है..सिर्फ़ उसे सही तरीके से गरम करना या तैयार करना ही कठिन है..और मैंने अनजाने मे ये काम कर लिया था.., वो मेरे लंड पर बहुत धीरे धीरे ऊपर नीचे हो रही थी..अभी आधा लंड भी अन्दर नही लिया था..ज़्यादातर वो लंड को चूत के दाने पर ही घिस रही थी..उनकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था..इसलिए लंड भी थोड़ा आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था लेकिन वो पूरा लंड अन्दर लेने की हिम्मत नही जुटा पा रही थी..लंड भी चूत मे एकदम कसा कसा जा रहा था..अब मैंने उनके चूतादों के नीचे हाथ लगा कर उसे कस के पकड़ा और जब वो नीचे की ओर आई तो मैंने अपनी कमर जोर से उछाल दी और गप्प से पूरा लंड अन्दर चला गया और सीधा उनके बच्चेदानी से टकराया..वो भी अपना बैलेंस नही सम्हाल पायी और उनकी गांड का पूरा वजन मेरे लंड पर आया..जिससे लंड और अन्दर तक धंस गया,,और उनके मुह से आइईई...मर गई.ई.ई.ई.ई..ई.ई.ई.ई. की जोरदार चीख निकली..वो मेरे सिने पर लेट गई..मैंने उन्हें अपने बाँहों मे जकड लिया..अब पूरा लंड अन्दर घुस चुका था..मैंने ही पहले नीचे से कमर हिला कर धक्के लगाने शुरू किए..और फ़िर वो भी अपने पंजो के बल बैठ गई और लंड को अन्दर बाहर करने लगी..बीच बीच मे मैं जोर से नीचे से धक्का देता तो लंड फ़िर बच्चेदानी से टकरा जाता था..इस तरह क़रीब १५ मिनिट मे ही मौसी ने फ़िर से अपने पानी से मेरे लंड को स्नान करवाया मैंने उनकी कमर पकड़ कर उन्हें अपने नीचे ले लिया चूंकि वो झाड़ चुकी थी इसलिये थोड़ी देर वैसी ही शांत रही फ़िर उसने भी कमर हिलाना शुरू किया..मैंने उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया चूत उभर आई , उसके पैरों को सिर तक मोड़ दिया और उसके बाद मेरे तूफानी दक्कों ने मौसी की चूत के चक्के चुदा दिए..मैं पहले दो बार झाड़ चुका था इसलिए अब मैं जल्दी झड़ने वाला नही था..मेरे धक्को के बीच फ़िर से मौसी ने मुझे चिपटा लिया और आह्ह..संजू..मैं झाड़ गयी..ओह..चो..चोद मुझे..फाड़ दे मेरी चूत को..अब मेरे लंड मे तनाव अने लगा था..वो फ़िर से फूलने लगा था..मैंने कहा मैं झड़ने वाला हूँ..बाहर निकालू या अन्दर ही डालूँ..उसने कहा..अन्दर ही डालो..मैंने बहुत दिन से चूत के अन्दर नही डलवाया है..और इतने अन्दर तक तो आज तके मेरी चूत मे कोई चीज़ नही घुसी.. मैंने कहा..प्रेगनंट..हो गई तो..? " उसकी फिकर तुम मत करो मैं गोली खा लूंगी..तुम चोदो..आह्ह..उफ्फ्फ. क्या मस्त लंड है..संजू तुम मेरे घर आ कर मुझे जब चाहे चोद सकते हो..मैं तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई हूँ.."और ना जाने क्या क्या बोल रही थी..मैं तो धक्के लगाने मे मशगूल था..और फ़िर मेरी पूरी ताकत सिमट गई और पूरा लंड जड़ तक अन्दर डाल कर मैं उसके छाती पर लेट गया..और मेरे लंड ने अपना फौवारा उसकी चूत मे छोड़ दिया..पूरी चूत भर गई..उसकी गरमी से मौसी भी एक बार फ़िर मुझसे चिपक कर झड़ने लगी..इस तरह अब हम दोनों एक साथ ही झड़े ..क़रीब बीस मिनिट हम ऐसे ही सोये रहे मौसी ने कहा संजू मुझे अब जाना है..चलो उठो..मैं उठा और मैंने लंड को , जो की अब सिकुड़ गया था ..बाहर निकाला..मैंने देखा उनकी चूत जो पहले सिर्फ़ एक दरार थी अब खुल गई थी और उसने से मेरा और उसका दोनों का पानी बह कर उसकी गांड से होते हुए चादर पर टपक रहा था..उसके बाद हम दोनों ही उठ कर बाथरूम मे गए वहाँ से आकार उसने पानी गरम किया और फ़िर से दोनों ने एक साथ नहाया..और नहाते वक्त मैंने कमोड के ऊपर बैठ कर उसे मेरे लंड की सवारी करवाई..उसे ये बहुत अच्छा लगा..दोनों ने एक दुसरे को अच्छे से साबुन से नहलाया..फ़िर पोंछा..बाद मे उसने अपने कपड़े वैसे ही एक थैली मे भरे और मम्मी की साड़ी पहन कर चली गई..जाते वक्त उसने फ़िर से कहा की मेरे घर आ कर तुम मुझे जब चाहे तब चोद सकते हो..और ऐसे ही चुदाई मे वो एक बार गर्भवती हो गयी..बाद मे उन्होंने कहा की इसे मैं जन्म दूँगी ये तुम्हारे धमाकेदार चुदाई की निशानी है..वो दुसरे शहर मे एक साल तक जा कर रही और बाद मे मेरे बेटे को साथ ले कर आयी...शायद मेरे मम्मी और डैडी को ये बात उसने बता दी थी इसलिए कभी कभी वो बाहर जाते वक्त मुझसे कहते आज रेखा को बुला लेना..
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