Sunday, March 16, 2008

" बहनो की अदला - बदली " - भाग 2 !!

" बहनो की अदला - बदली " - भाग 2 !!
यश और समीर दोस्त हें. यश अपनी बहन नेहा के साथ समीर के गाँव गया है वहाँ समीर की छोटी बहन पूर्वी उन से मिलती हैसमीर पद्मा नाम की नौकरानी को अक्सर चोद ता आया है यश भी पद्मा को चोद ना चाहता हैदीवाली के दिन होने से समीर की माताज़ी ने महेमान घर की सफ़ाई का काम निकाला है महेमान घर गाँव से बाहर है नेहा और पूर्वी पद्मा के साथ वहाँ गयी हैसमीर और यश महेमान घर जा पहुँच ते हें और नेहा और पूर्वी को चाय नाश्ता लेने बड़े घर भेज देते हें. पद्मा अकेली रह जाती है दोनो दोस्त एक साथ पद्मा को चोद ते हें.चुदाई चालू है आगे पढ़ी ये --------समीर पद्मा के सर के पास बैठ गया और अपना लंड उस के मुँह में धर दिया. पद्मा को अपना मुँह पूरा खोलना पड़ा समीर का मोटा लंड अंदर लेने के लिए इधर मैने उस की जांघें फैला के लंड भोस पैर टीका दिया और एक धक्के से सारा का सारा लंड चूत में घुसेड दिया. उधर अपने हिप्स हिला कर समीर पद्मा का मुँह चोदने लगा तो मैं धीरे धक्के से उस की टाइट चूत चोदने लगा. पद्मा के मुँह से उन न न न न आवाज़ आने लगी और उस के चुतड घूम ने लगे. थोड़ी ही देर में उस की चूत ने फटाके मार ने शुरू किया. मैने लंड को पूरा बाहर निकल कर क्लैटोरिस पैर रगडा. अचानक पद्मा का बदन आकड़ गया और रोएँ खड़े हो गये मैने झट से लंड चूत में डाला और तेज़ रफ़्तार से चोदने लगा. पद्मा की चूत ने सिकूड कर मेरा लंड नीचोड़ लिया. जब उस का ओर्गेझम शांत हुआ तब हमने लंड निकाले. दोनो लंड कड़े ही थे क्यूं की हम में से कोई झरा नहीं था.पद्मा बोली : हाय दईया, ऐसी चुदाई तो कभी नहीं करवाई.हम दोनो ने कॉन्डोम लगाए. में पलंग पर लेट गया. समीर ने पद्मा को मेरी जांघों पैर बिठाया. मैने लंड सीधा पकड़ रक्खा. पद्मा ने लंड के मत्थे पैर चूत टिकाई. जैसे उस ने नितंब गिराए मेरा लंड स र र र कर ता चूत में घुस ने लगा. जब मोन्स से मोन्स टकराई तब मूल तक का लंड चूत में पैठ गया था.समीर ने कहा: यश, अभी ज़रा रुकना, धक्के मत देना. पद्मा, तू आगे झुक और गांड अध्धर कर.मैं देख नहीं पता था लेकिन पद्मा के कराह ने की आवाज़ से समझ गया की समीर उस की गांड में लंड डाल रहा था. जब पूरा लंड डाला गया तब समीर पद्मा की पीठ पैर झुका और बोला : यश, में गांड मार रहा हूँ और पद्मा भी हिप्स हिलाएगी वैसे ही तेरा लंड चूत में आता जाता रहेगा तुझे धक्के लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.समीर उपर से पद्मा की गांड मार ने लगा. उस के धक्के से पद्मा के नितंब आगे पछे हिलते थे. बिना कुछ किए मेरा लंड चूत में आता जाता था. जब पद्मा गांड सिकॉड़ती थी तब साथ साथ चूत भी सिकुड़ती थी और मेरा लंड दब जाता था. समीर ने शुरुआत धीरे धक्के से की थी लेकिन पद्मा की उत्तेजना तेज़ी से बढ़ाने लगी समीर ने धक्के की रफ़्तार बधाई.पीछे से हाथ डाल कर समीर ने पद्मा के स्तन थाम लिए थे. मैं उस का मुँह चूम रहा था. मैने एक हाथ हमारे बदन बीच से भोस पैर लगा दिया. पद्मा की सारी भोस गीली हो गयी थी. जैसे मैने उस क कड़ी क्लैटोरिस को छुआ वैसे उस को ओर्गाझम हो गया. हम ने धक्के लगाने रोक लिएओर्गाझम के फटाके शांत हुए तब समीर ने कहा : पद्मा, प्यारी, तू कहे तो हम दोनो जगह बदल कर चुदाई करें ? पद्मा मुँह से बोली नहीं, छूट सिकोड कर जवाब दिया.हमने जगह की अदला बदली की. गांड मारने का ये मेरा पहेला अनुभव था. चूत के बजाय गांड इतनी टाइट होती है वो मेने पहेली बार जाना.गांड में लंड डाल ने की तकनीक अलग है जो मुझे समीर ने सिखाई. जब मेरा लंड पद्मा की गांड में पूरा बैठ गया तब समीर ने मुझे फिर चित लेटाया. अपनी गांड में मेरा लंड लिए पद्मा उपर आ गयी उस ने जांघे चौड़ी कर दी. समीर उपर चड गया. एक ही धक्के से उस ने अपना लंड चूत में घुसेड दिया. पाँच सात धक्के मार कर वो रुक गया और बोला : यश,अब तेरी बारी. तू धक्के लगाएगा तब मैं स्थिर रहूँगा.मैने धीरे धक्के से गांड मार नी शूर की. दोस्तो, चूत और गांड में बहुत फ़र्क है उसे चोदने का आनंद भी अलग अलग है हाथ की मुट्ठि में पकड़ा हो वैसे पद्मा की गांड ने मेरा लंड पकड़ा था, मानो की वो गांड से मूठ मार रही थी. जब वो चूत सिकॉड़ती थी तब उस की गांड भी सिकूड जाती थी और लंड ओर ज़ोर से भिंस जाता था. लंड में इतनी गुड़गूदी होती थी की वहाँ से निकल कर सारे बदन में फैल जाती थी.थोड़ी देर बाद मैने और समीर ने एक साथ धक्के लगाने शुरू किए. मैं अब पूरी ताक़त से पद्मा की गांड मार ने लगा. समीर भी ऐसे ही उस की चूत मार ने लगा. दुसरी दस मिनिट तक चुदाई चली तब पद्मा बोली : मैं तीन बार झर चुकी हूँ अब तो बस कीजिए.हम दोनो ने तेज़ी से धक्के लगाए और एक साथ झरे. पद्मा भी एक बार ओर झरी.. लंड निकाल कर हम उतरे.थकि हुई पद्मा थोड़ी देर पड़ी रही, बाद में उठ कर बाथरूम में चली गयी हम ने भी सफ़ाई की और कपड़े पहन लिया. आगोश में ले कर समीर ने पद्मा को किस किया और पूछा : तुझे लगा तो नहीं ना ? मझा आया ?वो बोली : बहुत मज़ा आयासमीर : कैसा लगा मेरे दोस्त का लंड ? फिर से चुदवायेगी?धत्त कह के पद्मा ने हलकी छपत लगाई और अपने आप को छुड़ा कर भाग गयी
पद्मा के जाने के बाद हम अगले कमरे में गये वहाँ पूर्वी और नेहा चाय नाश्ता साथ हमारी राह देख रही थी. हमें देख वो खिल खिल हस ने लगी समीर ने पूछा : कब की आई हो तुम ? और ऐसे हस क्यूं रही हो ?एक दूजे की ओर देख कर वो दोनो फ़र्से हस ने लगीमैं : चाय लाई हो या नहीं ?जवाब में नेहा ने चाय नाश्ता लगाया. हम चारों ने नाश्ता किया. बाद मे बातें चली.नेहा : समीर भैया, पूर्वी कहती है की आप दोनो को दूध पीना चाहिए.समीर :क्यूं भला ?अपने मुँह पैर हाथ रख कर पूर्वी हसती हुई बोली : इतना जो दूध अभी आप ने निकाल दिया वो दूध पी ने से नया बन जाएगा.नेहा : पूर्वी, भैया ने जो निकाला वो दूध कहाँ था ? क्रिम था क्रिम, दूध इतना घट्ट कहाँ होता है ?थोड़ी देर समीर सोच में पड़ गया. बोला : कितना क्रिम निकाला ये तुम्हे कैसे मालूम ?उन दोनो की हसी बढ़ गयीसमीर : समझा, अब मैं समझा. तुम दोनो ने हमारी चुदाई देख ली है सही ना ? पूर्वी ?पूर्वी शर्म से हम से नज़र नहीं मिला सकती थी. बोले बिना उस ने हा कही.समीर : यश, इन दोनो ने हमारी चुदाई देख ली है क्या करेंगे उन का ?पूर्वी : दूध ले आ उन ?पूर्वी ज़ोर से हस पड़ी.समीर : नेहा, दूध की ज़रूरत नहीं है जहाँ क्रिम बनता है वो फेक्टरी ओवर टाइम काम करती है अभी काफ़ी क्रिम पड़ा है चाहिए तुझे ?नेहा ने अपना चहेरा ढक दिया. आश्चर्य से पूर्वी की आँखें फट गयी वो बोली : मैने कहा था ना ? समीर भैया को मत उकसाना ? सुन लिया जवाब ?मैं : मेरे पास भी काफ़ी क्रिम है किस को चाहिए ?लड़कियों के मुँह से सेक्स की बातें सुन कर हमारे लौड़े खड़े होने लगे थे. उन दोनो की नज़रें बार बार उस तरफ़ जाती थी. दोनो के चहेरे लाल लाल हो गये थे.मैं बनावती मुँह लंबा कर के बोला : समीर ये तो बुरा हुआ. नेहा तो कँवारी नहीं है उस के लिए चुदाई नयी चीज़ नहीं है लेकिन पूर्वी ?अब की बारी थी समीर की खड़ खड़ हस ने की. वो बोला : पूर्वी, तू कँवारी हो ?पूर्वी नज़र नीची कर बोली : ऐसे भी क्या पूछ रहे हें भैया ? आप जानते तो हें.ज़ाहिर हुआ की पूर्वी को भी किसी ने चोदा था. मैं मन ही मन ख़ुश हुआ की चलो इस लड़की को चोद ना आसान होगा. मैने प्रार्थना की हे भगवान एक मौक़ा दे दे मुझे इस कुड़ी को चोद ने का.समीर : नेहा, ये बता की तुझे किस ने चोदा पहली बारपूर्वी ने मेरी ओर इशारा कर दिया. समीर बोला : अच्छा तो ये है बहन चोद. कहाँ और कब ?नेहा : मंजुला भाभी के घर उसी वक़्त.समीर : उसी वक़्त ? वाह रे मेरे शेर, तूने दो दो चूत मार दी एक साथ. लेकिन बदमाश, तू तो कहता था की तूने अकेली भाभी को चोदा था.मैं : मैं क्या करता ? मुझे भाभी को चोद ते देख नेहा गरम हो गयी और ---समीर : -----और तूने उसे भी चोद लिया. शाबाश.मैं : बात ये है की -----बता उन नेहा?नेहा ने हा कही.मैं : बात ये है की बचपन से ही नेहा जल्दी गरम हो जाती है मैने तो तब जाना जब एक दिन ------एक दिन नेहा के घर कुछ मेहमान आए टांगा लिए जैसे टांगा रुका, घोड़े ने अपना दो फूट लंबा लंड निकाला और पीसाब किया. यश और नेहा वहाँ मौजूद थे. बारह साल की नेहा घोड़े का लंड देख उत्तेजित हो ने लगी उस की पीकी गीली हो गयी वो अपनी पीकी खुजाल ने लगी रात को जब माताज़ी और पिताजी सो गये तब वो यश के पास जा कर बोली : भैया, मेरी पीकी तो देखो, कितनी सूज गयी है और गीली भी हो गयी हैयश ने उस दिन पहली बार अपनी बहन की भोस देखी. नेहा थी बारह साल की लेकिन उस के बदन में जवानी खिल रही थी. सीने पैर बड़े नींबू की साइज़ के स्तन उभर आए थे. भोस पैर आच्छे काले झांट उग निकले थे.यश को मालूम था क्या करना. नेहा को लेटा कर उस ने उगालियों से भोस सहलाई और क्लैटोरिस मसली. नेहा बोली : भैया बहुत गुदगुदी होती हैदो पाँच मिनिट में नेहा को ओर्गेझम हो गया. इस के बाद बैठ कर यश ने उसे समझाया की लंड क्या है चूत क्या है चुदाई क्या है वग़ैरह. -----मैं : याद है नेहा तेरा वो पहला ओर्गेझम ?समीर : बारह साल की उमर से ओर्गेझम का मझा लेती हो तुम ?नेहा : शुरू शुरू में इतने ज़ोरदार नहीं होते थे.समीर : अब कैसे होते हें ?नेहा : मैं क्या कहूँ ? आप ही देख लीजिए ना.समीर ख़ुश हो गया. उस के लंड ने पाजामा का तंबू बना दिया.समीर : पूर्वी तो लंबे अरसे तक बेख़बर रही थी, क्यूं पूर्वी ?मैं : आख़िर किस ने ग्यान करवाया ?समीर : एक बार ऐसा हुआ की -------
एक बार पूर्वी को साइकिल पैर बिठा कर समीर कहीं जा रहा था की रास्ते में अक गधी दौड़ आई. उस के पीछे गधा पड़ा था. जैसी गधी उन के पास आ कर खड़ी हो गयी वैसे ही गधा उपर चड़ गया और चोद ने लगा. उस का दो फूट का लंड गधी की चूत में आता जाता पूर्वी और समीर दोनो देखते रहे. पूर्वी गभरा गयी और बोली : ये क्या कर रहा है ? गधी मार जाएगी ?समीर ने पूर्वी के कान में कहा : घर जा कर सब समझा उंगा. गधे गधी की चुदाई देख कर समीर का लंड तो खड़ा हो गया लेकिन पूर्वी पैर कोई असर पड़ा नहींघर पहुँचे तब घर में कोई था नहीं. समीर बहुत एक्साइट हो गया था. पूर्वी की मौजूदगी की परवाह किए बिना वो बाथरूम में गया और मुठ मार ने लगा. ताज्जुब हो कर पूर्वी देखती रही. उस ने पहली बार बालिग लंड देका था. बोली : भैया इतना तेज़ी से घिस तो हो तो कहीं लग जाएगा.समीर जवाब देने के मूड में नहीं था. फ़च्छ फ़च्छ करती वीर्य की चार पाँच पिचकारियाँ छोड़ कर वो झरा.समीर ने उस वक़्त पूर्वी को समझाया की चुदाई क्या है लोग क्यूं करते हें. सुन कर पूर्वी बोली : चलो ना भैया, हम दोनो चुदाई करेंसमीर : ना, अभी तू छोटी हो. तेरी चूत सीकुडी है तू ज़रा बड़ी हो जाए, तेरी महवारी शुरू हो जाए बाद में तू चुदवा सकोगी, इन से पहले नहीं.पूर्वी : ऐसा ? लेकिन भैया, जब में बड़ी हो जाओउं तब आप ही मुझे पहली बार चोदना ------------समीर : ऐसा हुआ भी सही, क्यूं पूर्वी ?नेहा : समीर भैया, पूरी कहानी कही ये. कब, कहाँ, कैसे ? आप ने हमारी तो सुन ली है अब आप की सुनाई ये.समीर : वक़्त आने पैर कहूँगा. फ़ील हाल मैं देख र्ह हूँ की यश के बदन में क्रिम का प्रेशर बढ़ गया है उस का कुछ करना पड़ेगा वरना बेचारे की गन फट जाएगीसमीर सच कह रहा था. मेरा लंड तन कर लोहे जैसा हो गया था.मैं : नेहा, हमारी चुदाई देख तुझे कुछ नहीं हुआ ?नेहा : भैया, कैसी बात करते हें आप ? मैं पत्थर की बनी हूँ क्या ?मैं : तो अब तक तू रह किस की देख रही हो ? निमंत्रण चाहिए तुझे ? देखती नहीं है समीर का -------समीर बीच में बोला : यश, नेहा लड़की है बुलाए बिना नहीं आएगी, क्यूं नेहा ?समीर उठ कर नेहा के पास गया. उस ने बाहें लंबी की, नेहा ने उस के हाथ पकड़ लिए खींच कर नेहा को उस ने खड़ी कर दी और अपनी बाहों में भर ली. उन दोनो के मुँह किस में जुट गयेमैं सोफ़ा पैर बैठा था . हाथ लंबे कर के मैने पूर्वी को बुला लिया. पूर्वी मेरे पास चली आई और खड़ी हो गई. वो शरमा रही थी. दाँत से उंगली काट रही थी. उस का चहेरा लाल लाल हो गया था. दो तीन बार मुझ से आँख चुरा कर उस ने समीर और नेहा की ओर देखा. उन दोनो को चुंबन में लगे हुए देख पूर्वी ज़्यादा शरमाई. बहुत प्यारी लग रही थी वो.उस ने रेशमी चोली, घाघरी और ओधनी पहनी थी. चोली छोटी हो ने से उस की गोरी गोरी कमर और सपाट पेट का काफ़ी हिस्सा खुला था. मैने उसे कमर से थाम लिया. उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी. मैने उसे पास खिच ली. मेरा सिर उस के सीने से दब गया. सिर हिला कर मैने उस के स्तन टटोला. ऐसे में ओधनी का पल्लू थोड़ा खिसक गया. खुले हुए गोरे पेट पैर मैने किस कर दी. गुदगुदी से वो छटपटाई. उसे पकड़ कर मैं किस करता रहा. आख़िर मेरे बाल पकड़ कर उस ने मेरा सिर हटा दिया. बोली : मुझे बहुत गुदगुदी होती हैमैं : ये तो तेरा पेट है यहाँ (भोस पर हाथ रखते हुए) किस करूँगा तब क्या हा होगा ?उस ने तुरंत मेरा हाथ हटा दिया. एक उंगली मेरे होठों पैर रख कर बोली : धत्त, ऐसा नहीं बोलते.मैने होठ खोल उंगली मुँह में ली और चुस ने लगा. मेरा दूसरा हाथ कमर पर से उतर कर उस के भरे भरे नितंब पर जा पहुँचा. मैने कुले सहलाए और दबाए. उस ने मेरे मुँह से उंगली निकाल दी और सिर झुका कर अपने होठ मेरे होठ से लगा दिए जांघें चौड़ी कर मैने उसे मेरी बाई जाँघ पर बिठा दिया.हमारे होठ किस में जुटे हुए थे. बंद होठ से ही मैने उस के कोमल होठ रगडे. मुँह खोल मैने उस के होठ मेरे होठ बीच लिए और जीभ से चाटे. फूल की पंखुड़ी जैसे कोमल उस के होठ मुझे इतने मीठे लगे की मेरा लंड अकड ने लगा. जीभ से मैने होठ टटोले तब वो फिर छटपटा गयी मैने कहा : मुँह खोल तो ज़रा.थोड़ी हिच किचाहट के बाद उस ने मुँह खोला. मेरी जीभ अंदर जा कर चारों ओर घूम चुकी और उस की जीभ से खेल ने लगी मैने जीभ लंड जैसी कड़ी बनाई. कड़ी जीभ अंदर बाहर कर के मैने पूर्वी का मुँह चोदा. जब मैने मेरी जीभ वापस ले ली तब उस ने अपनी जीभ से वो सब किया जो मैने किया था. हम दोनो एक्साइट होने लगे.
उधर समीर ने नेहा को पलंग की धार पर लेटाया था और ख़ुद ज़मीन पर बैठ उस की भोस सहला रहा था. भोस के होठ चौड़े कर के वो जीभ से क्लैटोरिस टटोल रहा था. उस की दो उंगलियाँ नेहा की चूत में डाली हुई थी जो उस के जी स्पोत का मर्दन कर रही थी. अचानक समीर उंगलियाँ तेज़ी से अंदर बाहर कर के नेहा की चूत को चोद ने लगा. नेहा के कुले हिल ने लगे. वो मुँह से सी सी सी आवाज़ कर ने लगी समीर क्लैटोरिस चुस ता रहा और उंगलियों से चूत मार ता रहा.किस चालू ही थी की मेरा हाथ पूर्वी के पेट पर चला गया. ओढनी का पल्लू हटा कर मैने पेट सहलाया. उस की बाहें मेरे गलेमें थी इस लिए दोनो स्तन खुले थे. पेट पर से मेरा हाथ चोली में क़ैद पूर्वी के स्तन पर गया. पहले मैने हलके स्पर्श से स्तन सहलाया, बाद में दबाया. चोली पतले कपड़े की थी और लो काट भी थी. मेरी उंगलियों ने कड़ी नीपल ढूँढ निकली. दो उंगलयों से टटोल ने के बाद मैने नीपल चिपटि में ली. पूर्वी ने मेरी कलाई पकड़ ली और हाथ हटा ने का प्रयत्न किया. मुट्ठि में स्तन भर के मैने हटा ने दिया नहीं. उधर फ़्रेंच किस की मस्ती में वो अपना स्तन भूल गयीचिपटि में पकड़ी हुई नीपल मैने मसली आर खींची. उस की बाहों की पकड़ ज़्यादा ज़ोरदार हो गयी नीपल छोड़ मेरी उंगलयों स्तन के खुले हिस्से पर घूम ने लगी मैने चोली के अंदर उगली डाल ने का प्रयत्न किया लेकिन डाल ना सका क्यूं की चोली छोटी और टाइट थी. किस करते करते मैने एक एक कर चोली के सब हूक खोल डाले. चोली हटते ही उस के नंगे स्तन मेरी हथेलिओं मे क़ैद हो गयेपूर्वी के स्तन इतने बड़े तो नहीं थे जीतने पद्मा के थे. लेकिन संपूर्ण गोल और कठोर थे. दबाने से दबे नहीं जाते थे. अनजाने में मुझ से ज़रा ज़ोर से स्तन दब गया. पूर्वी कराह उठी. किस छोड़ कर उस ने अपना सिर मेरे कंधों पर रख दिया और बोली : मुझे दर्द होता हैमैने स्तन सहलाया और कहा : जब तक तेरे स्तन बढ़ते रहेंगे तब तक उसे दबाने से दर्द होता रहेगा. पूरे विकसित हो जाने पर दर्द नहीं होगा.अब मैने उस की ओढनी और चोली निकाल दिए उस ने शर्म से आँखें बंद कर दी. उस के प्यारे प्यारे स्तन मैं अच्छी तरह देख सका. क्या स्तन पाए थे उस लड़की ने ? इतने ख़ूबसूरत स्तन की मुझे उम्मीद नहीं थी. गोरे गोरे गोल गोल छोटे श्रीफ़ल की साइज़ के उस के स्तन कड़े थे. चिक्नी मुलायम चमड़ी के नीचे ख़ून की नीली नसे दिखाई दे रही थी. स्तन की चोटी पर बादामी कलर की दो इंच की एरिओला थी. एरिओला के मध्य में किस्मीस के दाने जैसी कोमल छोटी सी नीपल थी. उस वक़्त एक्सात्मेंट से एरिओला उभर आई थी और नीपल कड़ी हो गयी थी. मैने पाहेले हलके स्पर्श से सारा स्तन सहलाया, बाद में मुट्ठि में लिया. नीपल को चिपटि में ले कर मसला. पूर्वी के मुँह से आह निकल पड़ी.स्तन साथ खेलते हुए मैने पूर्वी का हाथ लंड पर रख दिया. पाजामा के आर पार मेरे तने हुए लंड को छूते ही उस ने हाथ हटा लिया.मैं : पकड़ ले, डरती क्यूं हो ? काटेगा नहीं.उसे हसी आ गयी मैने फिर लंड पकडाया. इस वक़्त उस ने मुट्ठि में लिया और होले से दबाया. लंड ने ठुमका लगाया.मेरे आश्चर्य की हद ना रही जब वो मेरे कान में बोली : इतना बड़ा और मोटा ?मुझे मुँह में लेना है ले सकती हूँ ?
मैं कुछ कहूँ इस से पहले वो मेरी गोद से सरक कर ज़मीन पर आ गयी मेरे पाजामा के आर पार उस ने लंड टटोला. मैने नारी खोल दी. आठ इंच का कड़ा लंड निकर में से वो निकाल ना सकी. मैने निकर भी उतार दी और लंड आझाद किया. फ़ौरन उस ने लंड पकड़ लिया. मूट मार ने लगी लंड ओर ज़्यादा तन गया. टोपी हटा कर उस ने लंड का मत्था खुला किया और तुरंत अपने मुँह में ले लिया. मत्थे को जीभ और तालु के बीच दबाए रख कर वो स्थिर हो गयी दो मिनिट तक वो हिली नहीं. मुज़े बहुत अच्छा लगता था. लंड में हलके हलके ठुमके होते थे. बाद में उस ने लंड का मत्था चुस ना शुरू किया, जैसे बच्चा लॉलिपोप चूसाता है वैसे. चुस ते चुस ते जीभ से चाटा और मुट्ठि में पकड़े हुए लंड के हिस्से पर मूट मार ने लगी मेरे हिप्स हिल ने लगे. लंड ने भर मार काम रस बहाया.मेरा मोटा लंड लेने के लिए पूर्वी को अपना मुँह पूरा चौड़ा कर ना पड़ा था. लंड के पानी के साथ मुँह का थुन्क मिल कर सारे लंड को गिला कर दिया था. मैने उस का सिर पकड़ कर धक्के देना शुरू किया. गिला मोटा लंड उस का मुँह को पूच्च पूच्च आवाज़ से चोद ने लगा. मेरी उत्तेजना तेज़ी से बढ़ गयी लंड ओर कड़ा हो गया और ठुमके लगाने लगा. पूर्वी ने जब जीभ से मत्थे के नीचे छुआ तब मुझे लगा की मैं उस के मुँह में ही ज़र जा उंगा. मैने झट से लंड निकाल दिया. पूर्वी को फिर गोद में बिठा कर मैं फ़्रेंच किस करने लगा. उस के थुन्क के साथ मेरे लंड का पानी भी मेरे मुँह में आ गया.समीर और नेहा अपनी मस्ती में खोए हुए थे. समीर चित लेता था. नेहा उस पर औंधी पड़ी थी. समीर का सिर नेहा की चौड़ी की हुई जांघें बीच था और मेरे ख़याल से वो नेहा की पीकी को चुस रहा था. दुसरी ओर नेहा समीर का टटार लंड अपने मुँह में लिए चुस रही थी.पूर्वी को बाहों में भर कर मैं पलंग पर ले गया. उसे चित लेता कर मैं बगल मे लेट गया. मैने उस के सीने पर जगह जगह पर चुंबन किए. ऐसे करते करते मैने दोनो स्तनों भी चूम लिए अंत में मैने नीपाल मुँह में ले ली. मैने जीभ से नीपल टटोली, बाद में चुसी. मुँह खोल कर मैने एरिओला साथ थोड़ा सा स्तन मुँह में लिया और चुस ने लगा. पूर्वी के नितंब हिल ने लगे. मेरा हाथ पेट पर फिसल रहा था, उस का हाथ मेरे बालों में रेंग रहा था.नीपल चुस ते चुस ते मैने मेरा हाथ भोस की ओर बढ़ाया. मैने घाघरी की नारी छुई की पूर्वी ने मेरी कलाई पकड़ ली. मैने ज़ोर लगाया लेकिन वो मानी नहीं. उस ने टाँगें सीधी रक्खी थी. एक ओर मैं स्तन छोड़ कर उस के पेट पर किस कर ने लगा और दुसरी ओर घाघरी के आरपार भोस सहला ने लगा. भोस ने भर मार काम रस बहाया था. जिस तरह घाघरी गीली हुई थी इस से मालूम होता था की पूर्वी ने पेंटी पहनी नहीं थी.मैं पेट पर किस कर ते कर ते भोस की ओर चला. मैने जब उस की नाभि पर होठ लगाए तब गुदगुदी से वो तड़प उठी. मैने ने उसे छोड़ा नहीं. मैने जीभ से उस की नाभि टटोली. पूर्वी खिल खिल हस पड़ी और उस की जांघें उपर उठ गयीफिर क्या कहना था ? रेशमी घाघरी सरक कर कमर तक चड़ गयी मेरे कुछ किए बिना पूर्वी की भोस खुली हो गयी उस ने टांगे लंबी कर ने का प्रयत्न किया लेकिन मेरा हाथ जाँघ के पीछे लगा हुआ था, मैने जांघें उठी हुई पकड़ रक्खी.पूर्वी जांघें सिकूड दे इस से पहले मैने मेरे हाथ से भोस ढक दी. मैं अब बैठ गया. होले से उस की जांघें चौड़ी कर दी. पूर्वी ने आँखें बंद कर दी. दोनो हाथ से मैने जांघें सहलाई और चौड़ी पकड़ रक्खी.पूर्वी की जांघें सूदोल चिक्नी और भारी भारी थी. जब पाँव लंबा रखती थी तब घुटनों से भोस तक दोनो जांघें आपस में सटी हुई रहती थी. दो भारी जांघें और उँची मोन्स ये तीनो बीच खद्डा सा बन जाता था जिस के तल में थी पूर्वी की भोस. अल बत्ता इस पोझिशन में भोस का थोड़ा सा हिस्सा ही दिखाई दे सकता था.उपर उठी हुई जांघें जब चौड़ी की गयी तब पूर्वी की भोस ठीक से दिखाई दी.उस के स्तन की तरह उस की भोस भी छोटी थी, बारह साल की लड़की की हो वैसी. फ़र्क इतना था की पूर्वी भोस पर झांट निकल आए हुए थे. बड़े होठ मोटे और भरावदार थे, उस वक़्त सूज कर गुलाबी हो गये थे. तीन इंच की दरार में से छोटे होठ सूज कर बाहर निकल आए थे. एक इंच लंबी और मोटी क्लैटोरिस लंड की तरह खड़ी हो कर बाहर झाँख रही थी. दरार के पिछले कोने में था चूत का मुँह. इस वक़्त मुँह बंद था. सारी पीकी अपने पानी से गीली गीली हो गयी थी.मैं अब ऐसे औंधा लेट गया जिस से मेरा सिर उस की जांघें बीच आ जाय. अब पूर्वी ने ख़ुद जांघें चौड़ी कर रक्खी. भोस से मादक सुगंध आ रही थी जिसे सूंघ कर मेरा लंड ज़्यादा तन गया. लंड मेरे पेट से दबा हुआ था और काम रस उगल रहा था.पहले मैने उंगलिओं से भोस सहलाई. आगे से पीछे और पीछे से आगे सब जगह उंगलिया फिराई. एक उंगली पर चूत का पानी ले कर क्लैटोरिस पर लगाया और उसे मसली. दो अंगूठे से बड़े होठ चड़े कर जीभ से छोटे होठ चाटे. क्लैटोरिस को मेरे होठों बीच ले कर चुसी. उसी वक़्त मैने दो उंगलियाँ चूत में डाली और जी स्पोत का मर्दन किया. क्लैटोरिस चुस ते चुस ते मैने उंगलियाँ अंदर बाहर कर के चूत को चोदा. पूर्वी के नितंब डोल ने लगे. उस से सहा नहीं गया. उसे पहला ओर्गाझम हो गया.पूर्वी का सारा बदन अकड गया और आँखे मिंच गयी भोस ने काम रस का फ़ावारा छोड़ दिया. सिकूड कर उस की जांघों ने मेरा सर भोस से दबा रक्खा चूत में फटाके हुए और सारे बदन पर रोएँ खड़े हो गये जब उस का ओर्गाझम शांत हुआ तब में उठा और उस की जांघों के बीच आ गया. उस ने ख़ुद लंड पकड़ कर भोस की ओर खींच लिया. मुझ से रहा नहीं गया. लंड का मत्था क्लटोरिस से घिसा, चूत के मुँह पर धरा और एक ही धक्के से सारा लंड चूत में पेल दिया. पूर्वी के मुँह से आह निकल गयीचूत में लंड दबा के में रुका. लंड ज़टके पे ज़टका देने लगा जिस का जवाब चूत ने संकोचन कर के दिया. मैने लंड निकाला तो पूर्वी ने मेरे चुतड पर हाथ रख कर मुझे अपनी ओर खींच लिया. लंड फिर से चूत की गहराई में उतर गया. ऐसे धीरे धक्के से मैं पूर्वी को चोद ने लगा.उधर समीर अब पलंग पर लेटा था. नेहा उस की जांघें पर बैठी थी. समीर का लंड नेहा की चूत में फसा था. अपने चुतड उठा गिरा के नेहा लंड को चूत से अंदर बाहर किए जाती थी. कभी कभी समीर भी धक्का दे कर नेहा को चोद ता था. समीर के दोनो हाथ नेहा के स्तनों पर लगे हुए थे. समीर का पूरा लंड बाहर निकल कर फिर चूत में घुसता हम दोनो देख सकते थेहमें देख कर समीर बोला :यश, डर ना मत. पूर्वी दिखती है इतनी नाज़ुक नहीं है ज़ोर से चोदना, वरना उसे संतोष नहीं होगा. क्यूं, पूर्वी ?जवाब में पूर्वी ने चूत सिकोडी और लंड दबाया. मेने कहा : नेहा भी लंड ले सकती है तू भी उसे ज़ोर से चोदना.समीर के कहने पर भी मैने धीरे धक्के से ही पूर्वी को चोद ना चालू रक्खा. मैने पूर्वी से कान में पूछा : समीर सच कहता है क्या ? चुदवाना है तेज़ धक्के से ?वो कुछ बोली नहीं, सिर हिला कर ना कही.मैने फिर पूछा : धीरे धक्के मीठे लगते हें. हें ना ?बोले बिना ही फटा फट चूत से लंड दबा कर उस ने जवाब दिया.मैं : मोटा लगता है मेरा लंड ? दर्द तो नहीं होता ना ?वो बोली नहीं सिर हिला कर ना कही.मैं : कुछ तो बोल. जवाब दे, कैसा लगता है मेरा लंड ? नहीं बोलूँगी तो मैं उतर जा उंगा.उस ने अपने पाँव मेरी कमर से लिपटाये और धीरे से बोली : बहुत मीठा लगता हैप्यार से मैने चार पाँच धक्के लगा कर पूर्वी को चोदा. वो फिर बोली : आप ऐसा कर ते हें तब बहुत मीठि मीठि गुदगुदी होती है वहाँमैं : वहाँ माईने कहाँ ?पूर्वी : आप का वो घुसा है वहाँमैं : मेरा क्या कहाँ घुसा है ? साफ़ साफ़ बोल तो.पूर्वी : मुझे शर्म आती हैमैं : मुझ से शर्म ? अब? एक बार बोल ज़रा, क्या कहाँ घुसा है तेरे मुँह से सुन ना चाहता हूँअपना मुँह मेरे कान से लगा कर वो बोली : आप का लंड घुसा है वहाँ से, मेरी चूत में गुदगुदी होती हैसुन कर मेरा लंड ओर तन गया, मेरे कुले हिल पड़े, कमर ने ओर धक्के लगा दिएधीरी चुदाई की वजह थी. एक तो ये की पूर्वी अभी उमर में कम थी और नयी नयी लंड ले रही थी. उस की चूत बहुत सीकुडी थी . प्रमाण से मेरा लंड बहुत मोटा था. चूत में कहीं घाव ना लग जाय इस लिए मैं सावधानी से लंड डाल ता था. चूत और लंड काफ़ी गिले थे फिर भी अंदर जाते समय लंड की टोपी उपर चड़ जाती थी और नंगा मत्था चूत की दीवारों साथ घिस पाता था. जब लंड बाहर निकल ता था तब टोपी उतर कर मत्थे को ढक देती थी. हाथ से मुठ मार ते वक़्त ऐसा ही होता है ना ? मानो पूर्वी की चूत मुठ मार रही थी मेरे लंड पर
दूसरे, जब पूरा लंड अंदर घुस जाता था तब लंड का मूल जो ज़्यादा मोटा है वो चूत के मुँह में पैठ कर चूत को चौड़ी कर देता था. वैसे भी भोस की दरार लंड से चौड़ी हो कर गोल बन गयी थी. लंड का मूल क्लैटोरिस को छू लेता था. इसी वक़्त लंड का मत्था गर्भाशय का मुख धकेल देता था. बाहर निकल ते वक़्त गर्भाशय वापस अपनी जगह पर आ जाता था. अब गर्भाशय की ये हलन चलन से आनंद का फ़ावारा छूट जाता था पूर्वी की भोस में और पेडू में. वो अपने हिप्स हिल ने से रोक नहीं पाती थी.मुझे भी धीरी चुदाई से बहुत मझा आ रहा था. अंदर घुसे हुए लंड को जब पूर्वी की योनी भिंस लेती थी तब मेरे सारे लंड से रस झर ता हो ऐसा मेहसूस होता था. योनी की करकरी दीवाल साथ घिस ने से लंड में से एलेक्ट्रिक करंट निकल कर मेरे सारे बदन में फैल जाता थाऐसी मझेदार चुदाई को जल्दी से कौन ख़तम कर दे ? लेकिन, अफ़सोस, सब चीझ का अंत तो होता ही है चाहे वो चुदाई हो या और कुछ. क़रीबन दस मिनिट तक आराम से मैने पूर्वी को चोदा होगा. हमारी उत्तेजना बहुत बढ़ गयी थी. मेरा लंड इतना सेंसीटीव हो गया था की अब वो चूत सहन नहीं कर पाता था अंदर घुसते ही ठुमक ठुमक कर ने लग ता था. बार बार पूरा बाहर निकाल कर उसे हवा देनी पड़ती थी. पूर्वी का बदन पसीना से छा गया था, चहेरा लाल लाल हो गया था, नीपल्स खड़ी की खड़ी रहती थी. मेरा दिमाग़ सिर से निकल कर लंड के मत्थे में जा बैठा था और मेरी सुन ता नहीं था.मैने लाख चाहा फिर भी धक्के की रफ़्तार अपने आप बढ़ने लगी पूर्वी के कुले भी ज़ोरों से हिल ने लगे. मैने सोचा की पोझिशन बदल ने से चुदाई लंबी चल सकेगी. मैने कहा : तू उपर आ जा.उसे बाहों में भर कर मैं पलटा और नीचे आ गया. तुरंत पूर्वी धक्के लगा ने लगी आगे पीछे सीधे गोल ऐसे सब तरह से उस ने नितंब घुमा कर लंड से अपनी क्लैटोरिस रगड दी. ओर्गाझम के क़रीब होने पैर भी ओर्गाझम पा नहीं सकती थी. हमारे पेट बीच हाथ डाल कर जैसे मैने क्लैटोरिस को उंगली से छुआ की तुरंत पूर्वी को ओर्गाझम हो गया.उस के धक्के बंद हो गये योनी फट फटा कर लंड को चुस ने लगी पूर्वी को बाहों में भर कर मैं फिर पलट गया और उपर आ गया. मैं स्थिर रहा, बड़ी मुश्किल से अपने आप को झर ने से रोक सका. तीस सेकंड चले ओर्गाझम से पूर्वी बेहोश सी हो गयीजब वो होश में आई तब बोली : ये क्या हो गया मुझे ?उस के सुजे हुए होठों को चूम कर मैने कहा : इसे ओर्गेझम कहते हें, प्यारी.वो इतनी थक गयी थी की मेरे गले में बाहें डालने सिवा और कुछ कर ना सकी. उस की आँख में आँसू आ गये और वो धीरे से बोली : मैने सही सुना ? आप ने मुझे प्यारी कहा ?चूमबन कर ते कर ते मैने कहा : हाँ, प्यारी, तूने सही सुना. प्यारी प्यारी, हज़ार बार प्यारी.ख़ुशी से वो रो पड़ी. मेरा चहेरे पैर हाथ फिरा कर बोली : मुझे आप कितने प्यारे लगते हें ? आप को हुआ वो - - - वो ओर्गाझम ?मेरा लंड अभी उस की योनी मे था और कड़ा ही था. मैने कहा : नहीं हुआ, अब होगा. तू थक गयी हो तो उतर जा उन, बाद में फिर चोदेन्गे.उस ने मुझे हाथ पाँव से जकड़ लिया और बोली : ना, अभी ही कर लीजिए जो चाहे सो, मेरी फिकर मत कीजिए.अब आप ही कही ये मैं क्या करता ? मैने लंड निकाला. फिर डालने में ज़रा देर लगी क्यूं की वो थोड़ा सा नर्म पड़ गया था. नर्म लंड भी योनी के मुलायम स्पर्श से तन गया. ओर्गाझम से पूर्वी की चूत काफ़ी खुल गयी थी. अब उसे लग जाने का डर नहीं था. थोड़ी देर में जब लंड पूरा अकड गया तब मैं घचा घच्छ, घचा घच्छ धक्के से चोद ने लगा. पूर्वी भी नितंब उछाल उछाल कर लंड लेने लगी दो पाँच मिनिट की ऐसी घमासान चुदाई बाद मैं ज़ोर से झरा. पूर्वी को मैने बाहों में जकड़ लिया. लंड से वीर्य की ना जाने कितनी पिचकारियाँ छूटी. छोटी सी चूत में जगह कहाँ थी, लंड जो भरा था ? ढेर सारे वीर्य से चूत छलक गयी पूर्वी भी मेरे साथ एक बार फिर झरी.शाम ढल चुकी थी. उधर समीर और नेहा ने अपनी चुदाई पूरी कर ली थी.समीर बोला : चल घर चलें, वरना माताज़ी को शक पड़ेगा.मैं : मुझे नहीं आना. नींद आ रही है कह देना सेहत अच्छी नहीं होने से सो गया हूँवो तीनो स्वस्थ हो कर चले गये मैं गहरी नींद में सो गया.दूसरे दिन सुबह आँख खुली तब पूर्वी मुझे जगा रही थी : उठी ये ना. साढ़े नौ बज गये हें. सब आप का इंतेज़ार कर रहें हें चाय पर अभी माताज़ी मंदिर से लौटेगी और यहाँ आ जाएगी.मैने उसे बाहों में भर लिया और किस कर ने लगा. ज़ोर लगा कर वो छूट गयी और हस ने लगी तब मुझे पता चला क मैं नंगा था.फटा फट कपड़े पहन कर मैने फिर पूर्वी को पकड़ लिया. मैने कहा : जाने से पहले एक बात बता. मुझ से शादी करोगी, प्यारी ?पल भर के लिए वो आश्चर्य से अवाक हो गयी फिर मुझ से लिपट गयी फिर रो पड़ी. मेरे चहेरे पर प्यार से हाथ फिरा कर बोली : एक बार नहीं, हज़ार बार करूंगी. आप मुझे इतने अच्छे क्यूं लगते हें ?किस कर के मइए कहा : चल चलें, उन लोगो को बता दें हमारा इरादा.नेहा और समीर चाय पर हमारा इंतेज़ार कर रहे थे. पद्मा भी आ गयी थी. समीर बोला : चलो, चलो, अभी माताज़ी आ जाएगी तो उसे शक पड़ जाएगा.मुझे हसी आ गयी और पूर्वी शरमा गयी देख कर नेहा ने पूछा : कितनी बार चोदा कल रात ?मैं : पहले तू बता.समीर : हमने कुछ बाक़ी रक्खा है सुहाग रात के लिएमैं : ओह हो. क्या मैं शाहनाईयाँ सुन रहा हूँ शादी की ?समीर : हाँ, हमने शादी का फ़ैसला कर लिया है आशा है की माताज़ी और पिताजी मंज़ूर रखेंगे. मैं माताज़ी से पूछ लूंगा.इस वक़्त पूर्वी धीरे से बोली : भैया, साथ साथ हमारी भी पूछ लेना.दो मिनिट के लिए सन्नाटा छा गया. बाद में सब ख़ुशी से झूम उठे. नेहा और पूर्वी लिपट गये मुझे गले लगाते हुए समीर ने कहा : वाह मेरे छुपे रुसतम आख़िर तू ने मेरी गुड़िया ले ही ली. पूर्वी, कैसा जादू चलाया है इस बेवकूफ़ के लंड ने जिस से तू अपना दिल दे चुकी हो ?अब देखी ये दोस्तो, प्यार से की गयी चुदाई कैसे शर्म के परदे तोड़ डाल ती है कल की शरमिली पूर्वी आज अपने भैया से बिँधास कह ने लगी : वो ही जादू भैया जो आप के लंड ने नेहा भाभी की चूत पर चलाया हैसुन कर नेहा बोली: अरे वाह रे मेरी पूर्वी भाभी, देखो ना, लंड की कुंजी लग ती है चूत में और खुल जाता है ताला ज़ुबान का.इतने में माताज़ी आ गयी समीर ने हमारा इरादा सुना दिया. पहले तो वो गभरा गयी उन्हे किसी तरह तसल्ली हो गयी की हम चारो ने चुदाई कर ली थी. लेकिन अब शादी की मंज़ूरी सब से उत्तम रास्ता था. ख़ुश हो के उस ने हा कह दी. हम चारों ने उन के चरण छुए. तब उन्हों ने धमाका किया.वो बोली : मैं तेरे पिताजी से बात करूंगी. हम यश और नेहा के माताज़ी पिताजी को बूलवा लेगे बाद में ये रिश्ता जाहेर करेंगे अगले हपते. यश, नेहा बेटा, तुम लोग रह सकोगे ना इतने दिन ?मैं : हाँ जीमाताज़ी : तब तो अच्छा. और पूर्वी, नेहा को लेकर घर आ जा अभी. आज से तुम दोनो घर पर सोएगी हमारी साथ.आगे की कुछ कहे इस से पहले माताज़ी चली गयी हम चारों एक दूजे के मुँह देखते रह गाये नेहा बोली : चल पूर्वी, माताज़ी को मदद करें,जाते जाते दोनो दरवाज़े में खड़ी हो गयी दोनो ने अपनी चोली खोल कर चुचियाँ दिखाई. पूर्वी बोली : दागतर शाब मुझे यहाँ बहुत दर्द होता है ज़रा मालिश कर देंगे आप ?हम दोनो उन को पकड़ ने गये लेकिन ठेंगा दिखा कर वो भाग गयी उस रात के बाद चुदाई का फिर चांस ना मिला, माताज़ी ने कड़ा पहेरा जो लगाया था. इन दौरान दोनो लड़कियों ने हम पर जो सितम गुज़ारे. कभी चुचियाँ दिखा कर कभी जांघें नंगी कर के, कभी दूर से फ़्लाइंग किस कर के तो कभी अंगड़ाई ले कर वो हमे लुभाती रही लेकिन कभी पकड़ी गयी नहीं. हमें उन दिनों अपना हाथ जगन्नात कर ना पड़ा.दोस्तों,इस तरह ये कहानी भी स्माप्त हुई आशा करता हूं इस मदमस्त कहानी ने आपको भी मेरी तरह अपना हाथ जगन्नाथ करनें पर मजबूर कर दिया होगा अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर व्यक्त कीजिएगा ! आगे कहानियाँ और भी हैं . . . नमस्कार,

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