Sunday, March 16, 2008

मैं भाभी का दीवाना

ये कहानी करीब आठ साल पहले की है..वैसे तो मैं 15 साल की उमर से ही सेक्स के लिए बहुत उत्सुक था लेकिन मौका मिला मुझे इंजीनियरिंग मी दाखले के बाद..दोस्तों ने कहा की मूठ मारो तो मैंने वो करना शुरू कर दिया था.. इंजीनियरिंग मी दाखले के बाद मैंने सोचा की हॉस्टल मी रहने के बजाये अपने भैय्या भाभी के पास ही रहूँ उसका कारण था मेरी भाभी..जिसकी मस्त चुचियाँ देख कर मैंने कई बार मूठ मारी थी...उसका साइज़ था 36 और उनका फिगर भी सेक्सी था..उनकी उमर 32 साल की होगी उनके यहाँ रहने के पहले दिन से ही मैंने उन्हें सोच कर हस्त मैथुन किया था उनकी उभरी हुई गांड और उसकी गोलाई. उनकी एक ८ साल की लड़की थी और ३ साल का लड़का.मैं उनके घर पर रहने लगा..करीब एक हफ्ते मी मेरी उनसे अच्छी दोस्ती हो गई..जब घर मे कोई नही होता है तो दोनों ही बैठ कर टीवी देखते थे..जल्द ही मुझे लगा की मैं उनकी चुदाई कर सकता हूँ . वो भी मुझसे काफी खुलने लगी थी. वो मेरे साथ ही मार्केट जाती थी मोटर साइकिल पर बैठ कर. और तो और वो मेरे साथ ही अपनी ब्रा और पैंटी भी खरीदती थी ..मैंने एक दिन उनसे कहा की भाभी तुम अपनी उमर से काफी छोटी लगती हो एक दिन मैं कॉलेज नही गया.और घर पर ही रुका रहा...दिन मी टीवी पर एक मूवी चल रही थी मैं उसे ही देख रहा था.और वो कपडे धो रही थी.और सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट पहने थी. वहीं से वो टीवी भी देख रही थी.पेटीकोट उन्होंने अपने घुटनों से ऊपर मोड़ रखा था..उनकी गोरी पिंडलियों को देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा था और बुरी तरह से दर्द कर रहा था..वो भी बेताब हो गया भाभी को चोदने के लिए..मैंने भी सोचा आज मौका है तो ये काम कर ही डालूँ . अपना काम खत्म कर के भाभी भी मेरे पास आ कर बैठ गई..और तभी लाईट चली गई अचानक..सो हम दोनों बात करने लगे..उन्होंने कहा पति की कमी उन्हें बहुत खलती है उन्हें पति के बिना अच्छा नही लगता..मैंने बातों का रुख मोड़ते हुए कहा की आप बहुत खूबसूरत हो..इसपर वो मेरी तरफ़ देखने लगी.और उनकी नज़र मेरे हाफ पँट पर भी गई और उन्होंने मेरे लंड का फूला हुआ हिस्सा भी देखा..मैंने कहा की तुम अपनी बेटी की बड़ी बहन दिखती हो..उसने कहा मजाक मत करो..मैंने कहा मैं सच कह रहा हूँ. अगर तुम स्कर्ट पहन लो और एक टॉप पहल लो तो एक लड़की जैसी ही लगोगी.और मेरे जैसे लड़के तुम्हारे पीछे घूमेंगे..वो मुस्कुरा दी.मैंने पूंचा क्या तुम अभी ये पहन सकती हो? . पहले तो उसने मना किया फ़िर मैंने हिम्मत से उसका हाथ मेरे हाथ मे लिया और उससे अनुरोध किया.तब उसने मेरे जांघों पर हाथ रखते हुए कहा ठीक है..मैं तो सातवें आस्मान पर था मेरा लंड अन्दर ही उछालने लगा खुशी से उसने कहा लेकिन तुम मेरे साथ कोई शरारत नही करोगे...मैंने वादा किया..लेकिन मैंने मन ही मन कहा आज तो तुम्हे चुदवाना ही है भाभी..और आज तुम्हारी चूत मैं अपने मोटे लंड से फाड़ने वाला हूँ..मैं अपने लंड को पँट के ऊपर से सहलाने लगा और वो अपने बेड रूम मे चली गई..जब वो वापस आयी ..वाह ..मैं तो देखता ही रह गया.
वो एकदम 18 साल की कुंवारी लड़की जैसी सेक्सी दिख रही थी.मैंने उन्हें देख कर सीटी बजायी. और एक आँख मार दी. इसपर उन्होंने कहा तुम अपना वादा तोड़ रहे हो.मैंने कहा वादा क्या मेरा दिल ही सब तोड़ने का कर रहा है..उसकी गोल गोल चुचियाँ टॉप से बाहर निकल कर क़यामत कर रही थी..लगता था उसे फाड़ कर बाहर आ जायेंगे..और स्कर्ट उनकी गोरी जांघों को मुश्किल से ढँक रहा था..केले के खंभे जैसी चिकनी गोरी जांघ..उफ़.. और मेरा लंड पूरे उफान पर आ गया..मैं उसके पास गया और कहा मैं उसे किस करना चाहता हूँ..उसने विरोध किया लेकिन मैंने उसे कमर के पास से कस के पकड़ लिया और अपनी तरफ़ खींचा ..और मेरे होंठ उसके होंठो पर चिपका दिए..थोडी देर उसने कसमसा के छूटने का प्रयत्न किया.फ़िर उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया..मैं उसे बेह्ताशा चूमे जा रहा था..उसकी साँस तेज़ होने लगी थी..और वो मुझसे चिपकती जा रही थी..मैंने अब उसके गांड और नितंबों पर हलके से हाथ फेरना शुरू किया..और उसके गर्दन और गालों पर किस किए जा रहा था..उसका स्कर्ट मैंने पीछे से ऊपर को उठाना शुरू किया...और उसकी पैंटी के अन्दर पीछे से हाथ डाल कर उसके नितंबों को जोर से दबाने लगा और उसे मुझसे चिपका लिया...अब तक उसका विरोध खत्म हो गया था..मैं अभी भी उसे चूमे जा रहा था..और एक हाथ को उसकी चूची के ऊपर रखा और सहलाने लगा..मैंने उससे पूंछा बेड रूम मे चलें..उसने सिर हिलाकर "हाँ" कहा..मैंने अब उसका टॉप ऊपर उठा कर हाथ अन्दर डाल दिया था और ब्रा के ऊपर से चुचियों को दबाया..उसके मुंह से आह..संजू..स् स्. स्.स्.स्. की आवाज़ निकलने लगी..मैं उसे लेकर बेड रूम मे आया..वहाँ भी मैं उसे अपने बाँहों मे ले कर खड़ा रहा..और मेरे हाथ उसकी चूची मसल रहे थे..ब्रा को मैंने ऊपर कर दिया था..और स्कर्ट के ऊपर से ही उसकी फूली हुयी चूत को सहलाया..वो उछल पड़ी ..उसकी चूत सच मे बहूत ही नरम थी..मैंने खड़े खड़े पीछे से उसकी पैंटी नीचे खिसकाई.. और.. चूत के ऊपर हाथ रखा..उफ़..नरम लेकिन गरम..बिना बालों की चूत..चूत पूरी गीली हो चुकी थी. जैसे ही मेरा हाथ वहाँ गया..वो थोडी सी झिझकी और कहा संजू तुम लिमिट क्रॉस कर रहे हो..मैंने कहा भाभी अब मैं नही रुक सकता..आई लव यू..ये सुन कर वो कुछ सोच मे पड़ गयी..फ़िर वो मुझसे चिपक गई और अपना हाथ मेरे लंड पर रखा..और कहा मैं जानती हूँ तुम मुझे चाहते हो और मेरे साथ सेक्स करना चाहते हो. तुम्हारा लुंड भी बहुत अच्छा है..लेकिन मैं शादीशुदा हूँ और दो बच्चों की माँ हूँ..ये मेरे लिए ग़लत है..अब मैंने उसे और जोर से अपने पास खींचा और किस करने लगा..उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और पँट के अन्दर डाल के लंड को पकड़ लिया..और उसे सहलाने लगी...फ़िर मेरा पँट नीचे खींच दिया..और अंडरवियर भी निकाल दिया..और मेरे लंड को देख कर बोल उठी..संजय..इतना लंबा और मोटा..बाप रे..और फ़िर उसे मुठ्ठी मे पकड़ने की कोशिश करने लगी..और कहा तुम यही चाहते हो ना..? मैं तो अपने होंश खो बैठा था.
उसने कहा की वो मुझे चोदने नही देगी..लेकीन मुझे दूसरे तरह से मजा जरुर देगी...और फ़िर वो नीचे घुटनों के बल बैठ गई और मेरे लंड के सुपाड़े को पहले जीभ से अच्छे से चारों तरफ़ से चाटा.फ़िर पूरे लंड को जीभ से गीला कर दिया..और फ़िर उसे अपने मुंह मे ले कर चूसने लगी..मैंने कहा मैं उसे नंगी देखना चाहता हूँ..उसने कहा ठीक है.चुदाई छोड़ के तुम जो चाहो कर सकते हो..मैंने उसके पूरे कपडे निकाल दिए..अब वो पूरी नंगी थी...वो मेरे लंड को चोको बार के जैसा चूस रही थी..मैंने कहा मैं भी तुम्हे दूसरी तरह से मजा दूंगा..और फ़िर मैंने उससे कहा की मैं लेट जाता हूँ और तुम्हारी चूत मेरे मुह के ऊपर रखो...वो दोनों पैर मेरे सिर के दोनों तरफ़ रख कर चूत को मेरे मुह पर रखा..उसकी चूत एकदम गुलाबी थी..सिर्फ़ एक दरार ..मैंने अपनी जीभ से उसे फैलाया तो चूत का लाल छेद सामने था..जैसे ही मेरी जीभ चूत के छेद मे लगी..वो चिहुँक पड़ी..इश..आह्ह..फ़िर उसने झुक कर मेरे लंड को मुंह मे ले लिया..अब ह दोनों 69 की पोज़ मे थे. मैं तो पागल सा हो रहा था..32 साल की औरत की इतनी टाईट चूत..? अब मैं उसकी चूत को चाट रहा था और वो मेरे लौड़े को चूस रही थी...मैं तो बहुत देर से गरम था इसलिए बहुत जल्द ही मेरा पानी निकल गया और वो सीधा उसके मुंह के अन्दर गया.उसने पूरा पानी गटक लिया..लेकिन लंड को नही छोड़ा ..चूसती रही..
उसने कहा मैं तुम्हे इतना तृप्त कर दूंगी इतना मजा दूंगी की एक हफ्ते तक तुहे चोदने की याद भी नही आयेगी..अब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर डाल दी और गीली चूत मी गोल गोल फिराने लगा.जीभ उसकी गांड के छेद से चाटते हुए चूत के अन्दर तक पहुँचा देता फ़िर उसकी चूत के दाने को जीभ से सहला देता..उसके मुह से इश..इ.इ.इ..इ. आह्ह..माँ..ऐसी आवाज़ आने लगी. . अब मेरे जीभ की हरकत से वो तड़प उठी थी. उसने कहा संजू ..नही.इ.इ.इ.इ.इ मैं मर जाउंगी.. मुझे ऐसा मत करो.. मुझे छोड़ दो..अगर मैं गरम हो गई तो मुझे चुदवाना पड़ेगा..लेकिन ना तो मैंने छोड़ा और ना ही उसने ज्यादा जोर किया..मेरा लंड फ़िर से कड़क हो गया था..मैं उसकी चुन्चियों और निपल से भी खेल रहा था..वो अब लंड छोड़ कर आह..ऊह..कर रही थी और चूत को मेरे मुंह पर दबा रही थी..सिर्फ़ कुछ मिनिट मे ही उसका बदन अकड़ने लगा और चूत को मेरे मुंह पर दबा के उसने बहुत सारा पानी मेरे मुंह मे छोड़ दिया..और ढीली पड़ गई..मैंने उसे पलट कर नीचे लिटाया और उसे चूमते हुए उसकी जांघ और चूत तक फ़िर से गया..गांड को उठा के गांड को भी चाटा ..नितम्ब दबाये और चूत के दाने को मसलते हुए निपल चूसने लगा..वो रोने जैसा हो गयी..और कहा संजय तुम मुझे आज छोड़ कर ही छोडोगे..और वो उठ कर बैठ गयी..और कहने लगी..अब मैं नही सह सकती..मुझे छोड़ो..देर मत करो..मैं जल रही हूँ..अब मैं भी चुदना चाहती हूँ..अब मुझे छोड़ डालो..तुम्हारा ये मोटा और कड़क लंड मेरी प्यास बुझायेगा..आज मेरी चूत को फाड़ डालो..मैंने भी बहुत दिनों से नही चुदवाया है..मुझे ऐसे ही मोटे और कड़क लंड की जरुरत है..ऐसा ही वो अनाप शनाप कहने लगी..मैं तो तैयार ही था और यही चाह रहा था..मैंने उसे लिटाया और उसके पैर हवा मे अपने आप ऊपर हो गए..मैं दोनों पैरों के बीच मे आया...और मैंने पहले उसकी पानी से भरी चूत को देखा..सहलाया..फ़िर झुक कर चूमा..और चूत के दाने को होठों मे भर कर चूसा..वो कमर उछालने लगी..आह्ह..संजय..मैं मरी जा रही हूँ..प्लीज़ अब देर मत करो... मैंने मेरे हाथ से लंड को पकड़ कर चूत के दरार को फैलाते हुए उसे रगड़ने लगा..वो और चिल्लाने लगी..अब डालो ना..मैंने गुलाबी छेद पर लंड के सुपादे को टिकाया और...एक कस के धक्का मारा..और भाभी की चीख निकल गई..ओह मा..मार डाला..मर गयी.इ.इ.इ.इ.इ.इ बाप रे..रुको..मैं उसकी दोनों चुचियों को दबाते हुए दुसरे धक्के के इंतज़ार मे था..और होंठ चूमते हुए दूसरा धक्का लगाया और पूरा लंड अन्दर कर दिया..उसकी आँख से आंसू निकल आए....बेरहम मेरी चूत फाड़ दी... सच बहुत टाईट. चूत थी..दो बच्चो की माँ की चूत इतनी कसी हुई? बाद मे पता चला की दोनों बच्चे ऑपरेशन से हुए थे...मैं किसी तरह लंड को अन्दर दबा रहा था उसने कहा ..आज तुम मेरी चूत को फाड़ कर ही मानोगे..मैं भी फड़वाना ही चाहती हूँ..चोदो मेरे राजा..जोर से चोदो..भाभी की चूत को फाड़ दो..
मैंने अपना लंड उसकी चूत मे अन्दर दबाना जारी रखा..अभी तक पूरा लंड अन्दर नही गया था..उसकी चूत मेरे लंड के लिए बहुत ही टाईट थी. मैं थोड़ा बाहर खींच के फ़िर ताकत लगाते हुए उसे अन्दर धकेल रहा था और साथ ही उसके होंठ चूमे जा रहा था..दोनों हाथों से चुन्चियों को बुरी तरह मसल रहा था..निप्पल पत्थर जैसे सख्त हो कर खड़े थे उन्हें भी मुंह से और ऊँगली और अंगूठे से बेदर्दी से मसल रहा था..बीच बीच मे मैं निपल को काट लेता था हलके से तब उसके मुंह से उई ..आह्ह..निकल जाती थी..कुछ देर मे मेरा पुरा लंड उसकी चूत मे घुस चुका था..अब मैं सुपाड़े को अन्दर रख बाकी का लंड बाहर खींच कर अन्दर धकेल दे रहा था..उसकी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.. अब भाभी ने अपने चूतड़ उछाल कर मेरे लंड को ज्यादा से ज्यादा अन्दर लेने की कोशिश शुरू कर दी थी. मेरे धक्को की स्पीड बढ़ गई थी..और वो मुझसे चिपकते हुए कह रही थी..जोर से संजू..आह्ह..और जोर से..उसने अपने पैर और ऊपर कर दिए जिससे लंड के अन्दर बाहर होते वक्त सुपाड़ा उसके चूत के दाने को रगड़ता हुआ अन्दर जा रहा था..और फ़िर दो मिनिट मे ही भाभी पागलों जैसा करने लगी और गांड उठाके लंड को अन्दर लेते हुए झड़ गई. अब चूत मे गीलापन आ गया था और मुझे चोदने मे सहूलियत होने लगी..मैंने उसे कस के पकड़ा ..उसके बगल से हाथ डाल के कन्धों को दबाया और फ़िर उसके सीने पर चून्चियों को चूसते हुए तूफानी धक्के लगाने शुरू कर दिए..इस भीच भाभी फ़िर से ओह..ओह..आह्ह..ओह..संजू..ये क्या..कर दिया..कहती हुयी झड़ गई..मेरे लंड मे तनाव बढ़ने लगा..मैं समझ गया की अब मैं भी झड़ने वाला हूँ.. मैंने कहा..भाभी मेरा होने वाला है..उसने कहा..अन्दर मत डालना..मैं प्रेग्नंट हो जाउंगी..लेकिन मेरी स्पीड इतनी तेज थी और मैं बहुत ही जोश मे था..अचानक मैंने अपना लंड जड़ तक चूत के अन्दर ठांस दिया और फ़िर मेरे लंड से वीर्य का फौवारा..निकला..मैं महसूस कर रहा था..करीब 7-8 मोटी मोटी पिचकारी उसकी चूत मे गिरी..पूरी चूत भर गई..और इस पिचकारी के फोर्स से वो भी एक बार और झड़ गई और मुझसे चिपक गई....हम दोनों इसी तरह करीब 15 मिनिट लेटे रहे. उसके बाद उसने मुझे उठाया..मेरा लंड अभी भी उसके चूत मे था मैंने लंड को बाहर निकाला वो मुरझाया नही था..लंड के बाहर निकलते ही उसके चूत से वीर्य और उसका रस बाहर बहाने लगा और उसकी गांड से होते हुए नीचे चादर पर गिरने लगा...मैंने देखा..साथ मे थोड़ा खून भी निकला था..मेरे लंड पर भी खून लगा हुआ था..उसने पास पड़े कपडे से जब लंड को पोंछा तब उसने वो खून देखा और मुस्कुराके बोली..संजय..आख़िर तुमने भाभी की चूत फाड़ दी..आज पहली बाद मेरी चूत के इतना अन्दर तक कुछ घुसा..संजू तुमने मुझे चुदाई का असली मजा दिया है..और तुम्हारा लंड इतना लंबा और मोटा है की चूत पूरी भर जाती है..मैंने उसी कपडे से उसकी चूत को साफ किया..चुदाई के पहले जो एक गुलाबी दरार थी अब वो अंग्रेज़ी के "O" जैसी खुल गई थी..और अन्दर का लाल रंग दिख रहा था..चूत फूल गई थी..उसने कहा चलो बाथरूम मे ठीक से साफ कर लेंगे..हम दोनों नंगे ही उठकर बाथरूम मे गए..वहाँ शावर के पानी मे एक दूसरे को साफ कर के नहलाते हुए मेरा लंड फ़िर कड़क हो गया..उसने फ़िर से उसे मुंह मे ले कर चूसना शुरू किया..
मैंने उसे पूंछा..भाभी क्या भैय्या तुम्हारे साथ सेक्स नही करते..उसने कहा महीने मे एक बार या दो बार..वो भी 2-3 मिनिट मे खत्म..मैं समझ गया की इसकी चूत अभी तक इतनी टाईट क्यों है...मैंने कहा भाभी एक बार और..उसने कहा..बाद मे...लेकिन मैं जानता था की वो भी फ़िर से गरम हो गई है..मैं उसके पीछे गया और पीछे से उसके चून्चियों को पकड़ के उसकी पीठ और गर्दन पर किस करने लगा..मेरा लंड उसके चूतादों के बीच की दरार मे फिसल रहा था..मैंने उसे झुका के चौपाया बनाया..उसके चूतडों को थपथपाते हुए लंड को उसकी चूत के छेद पर सेट किया और कमर पकड़ के एक करारा धक्का लगाया..पूरा लंड एक बार मे ही अन्दर हो गया और वो उछल पड़ी. ओऊह माँ..मर गई.इ.इ.इ.इ.ई.मैं थोडी देर वैसे ही रहा फ़िर आहिस्ता आहिस्ता लंड को अन्दर बाहर करने लगा..थोडी देर मे उसने भी गांड हिलाते हुए मेरा साथ देना शुरू किया..करीब 5 मिनिट मे ही वो झड़ गई..लेकिन मैं रुका नही..मेरी स्पीड बढ़ गई थी..फ़िर मैंने उसकी कमर पकड़ के करीब 15 मिनिट बाद उसकी चूत मे अपना पानी निकाल दिया..फ़िर हम दोनों ने नहाया..मैंने देखा वो ठीक से चल नही पा रही है...किसी तरह मैं उसे बेद रूम मे ले आया और बिस्तर पर नंगी ही लिटा दिया..मैं भी उसके बाजू मे लेट गया..दोनों थक गए थे..नीद आ गई...करीब एक घंटे बाद मेरी नीद खुली मैंने देखा भाभी हाथ मे काफी का कप ले कर खड़ी है..उसने कहा संजू उठो..काफ़ी पी लो..थकन मिट जायेगी..मैं नंगा था..मेरा लंड उसे देख कर फ़िर खड़ा होने लगा..उसने कहा कपडे पहन लो अभी बच्चे स्कूल से आने वाले है..मैं अपने कपडे पहन कर काफी पिया फ़िर अपने रूम मे चला गया..इसके बाद दोस्तों भाभी को मैं करीब रोज ही चोदता था.. वो मेरे मोटे और लंबे लंड की दीवानी बन गई थी..दो -तीन बार अबोर्शन भी करवाया ..ये सिलसिला पूरे पाँच साल तक चला..मेरी इंजीनियरिंग होने के बाद मुझे मुम्बई मे नौकरी मिल गई..उस वक्त भाभी बहुत रोयी थी. अब तो मैं भी शादीशुदा हूँ..लेकिन मेरे सेक्स की इच्छा मे कोई कमी नही आई है..

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