Monday, March 17, 2008

जीजाजी , दीदी और मैं

जीजाजी , दीदी और मैं-1
बेटी को धन की सुख देने के लिए मेरी बाप ने मेरी शादी एक 50 बार्स के मर्द के साथ कर दी . मेरे पति की मुझसे उनकी डूसरी शादी थी . पहली की मौत हो चुकी थी . उनका एक लड़की थी जिसकी शादी हो चुकी थी . शादी के पहले मुझे उनके और परिवार के बारे मे अधिक जानकारी नही थी . सुहाग रात मे मैं उनको देखकर हैरान रह गई . वे देखने मे ही बहुत कमज़ोर दिख रहे थे . मेरी उमर उस समय सिर्फ़ 18 बार्स था . वे आते ही दरवाज़ा बंद कर लिए और मेरी बगल मे बैठ गाये . वे मुझे पकड़ कर चूमा लेने लगे . कुच्ह्ह इदर उधर के बाते करने के बाद वे मेरी ब्लौज खोल दिए . मैं ब्रा पहन रखी थी . कुच्छ देर उपर से ही सहालाने के बाद ब्रा भी खोल दिए . उसके बाद मेरी चुची को चूसने लगे . मुजे अब आचा लगाने लगा था .. मैने धीरे से अपनी हाथ उनके लांड तरफ़ बढ़ाया . अभी तक कुच्छ भी नही हूया था . वे अपने कपरे खोल दिए और सहालाने के लिए बोलने लगे . मैने भी कुच्छ देर तक हाथ से सहलाती रही . खड़ा नही होने पैर मुख मे खाने के लिए कहने लगे . क़रीब 10 मिनट के बाद भी जब नही खड़ा हो पाया तो मैं निरास हो गई . उनके लांड मे नाम मात्रा का ही कॅडपॅन आया था . अब वे मेरी सदी खोल दिए और अपने मुरझाए हुए लांड से मेरी बुर रागरगे लगे . मैं तो उनके लांड के तैयार होनका इंतज़ार कर री थी . वे मेरी बुर को अब जीभ से चूसने लगे. अभी भी उनका लांड बहुत नरम था . मैं मान ही मान अपने को कोसती रही और बाप को सरापति रही . वे मेरी बुर चूसने मे और मैं उनका लांड चूसने मे मासगूल थी . मुझे अब सह पाना मुस्किल था . जैसा था वैसा ही मैंने उनको चोदने के लिए कहने लगी . वे अपना नरम नरम लांड मेरी गरम गरम बुर मे प्रवेश करने लगे .मगर प्रवेश करने से पहले ही वे गिर गाये .मैं तरपती रह गई . मैं सोचने लगी की पहले रात के चलते ऐसे होगया. मैं चुप छाप रह गई . वे भी ऐसे ही कह रहे थे. डूसरी रात भी मैंने बहुत कोसिस की मगर सब बेकार गया .इसी तरह महीनो बीत गाये . मैं जब भी बिस्तर पैर तरपती रही . मेरी बड़ी बहन जीजाजी के साथ तबादाला होकर उसी सहर मे आगाईी. एक दिन मेरेई बहन मुझसे मिलने मेरी घर पैर अगाइ . वे मेरेई हाल ख़बर पूछने लगी . मैं चुप हो गई . जब वे ज़िद करने लगी तो मुझे सबकुझ बताना ही पड़ा . वे निराश हो गई और कुच्ह्ह सोचने लगी .मैंने पुझने लगी तुम कैसी हो . जीजाजी कैसे हैं. वे कह रही थी की तुम्हारे जीजजिज़ी तो बहुत तगरे है . वे मुझे बहुत मज्जे देते हैं. मान ही मान मैंं इरसया करने लगी . वे बोलने लगी की मैं कल तक कुच्ह्ह सोचती हू. कल 12 बजे मेरी घर आजाना. वही पैर बैठ कर बाते करेंगे. मुझे कुच्छ आसा दिखाई देने लगा . सुबह होते ही मैं जल्दी जल्दी काम निपटा कर तैयार होगाई .ठीक 12 बजे मैं दीदी के घर पहौच गै.वे मुझे देख कर मुस्कुराने लगी. वे मुझे अपने बेड रूम मे लेगाई .दिदि अपने रूम मे देक पैर टीवी चला रही थी .वे बोलने लगी की तुम कुच्छ देर तक वीडियो देखो मैं काम निपटा कर आती हूँ .एक सीडी वही पैर रखा हुआ था जिसपर लिखा हुआ था हम दोनो . मैंने उसी सीडी को लगा कर देखने लगी. सीडी देखते ही मैं घबरा गई और दरवाज़े की तरफ़ देखी . दीदी बाथरूम मे थी . मुजे और अधिक देखने का इच्छा जागृत होगाई . इस सीडी मे तो जीजाजी और दीदी का रंगीन खेल भरा हुआ था . जीजाजी का लांड तो देखते ही बनता था . लग रहा था की दीदी बहुत रोएगी .मगर वा तो मज़े ले रही थी. मैं सोचने लगी काश मुझे कोई ऐसे चोदने वाला मिलता . उसी समाए दीदी अंदर अगाइ और कहने लगी तुम को यह कैसा लग रहा है . मैंने सीडी बंद करदी . उसी समाए जीजाजी भी अगाए . मुझे देखते ही वे मुस्कुरा दिए . वे दीदी को पर्ने लगे . दीदी कहने लगी अरे साली तरफ़ भी तो देखो. वह बेचारी शादी होने के बाद भी कुवनरी है .दीदी कहने लगी आज तुम्हारे जीजाजी को तुम्हारे लिए ही मैंने बुलाया है . कल तुमसे मिलने के बाद मैने इनको सबा कुच्छ बता दिया था .दीदी कहने लगी अब तुम लोग अपना काम करो मैं बाहर देखती हूँ. जीजाजी कह रहे थे तुम तो बहुत सेक्सी लगती हो . तुम्हारे स्तन तो काफ़ी बड़े है और वे दीदी के जाने के बाद बिना रूम बंद किए ही मेरी स्तन दबाने लगे.वह कह रहे थे की जब तुम्हारे दीदी ही सा कुच्छ मिलाई है तो उससे छिपाना क्या. ऐसे तो साली तो आधी घर वाली होती ही हैं. लेकिन मैं तुम्हारे इच्छा के बिपरीत कुच्छ नही करूँगा . मैं चुप चाप थी .मैं सोचने लगी की कही वे चले ना जाए. इससे अच्छा मौक़ा अब नही आने वाला मैं मुसकुराने लगि.जिजाजी समझ गए की मैं सहमत हू. वे अब मेरा ब्लौज और ब्रा खोल दिए . मेरे चुचि को मिसाने लगे . मैं भी अब सहयोग करने लगी थी . जीाजी के लॅंड का उभार अब पैंट पैर दिखाई देने लगा था . मैंने उनका पैंट पैर हाथ डाला तो वे पैंट खोल दिए . अब उनका लॅंड बाहर निकल चुका था . मैं अपने हाथ से उनके लॅंड को सहालाने लगी . अपने पति का लॅंड से जीजाजी का लॅंड को तुलना कर रही थी . मन ही मन मैं सोचने लगी की मेरी दीदी कितनी लॅकी है की उसे ऐसे लॅंड वॉल पति मिला है . कुच्छ देर तक मैं उनके लॅंड को देखती रही. इतने मे जीजा जी कहने लगे कैसा है मेरा हथियार. तुम्हारे पति का कैसा हैं . मैं कहने लगी, जीजाजी उनका तो ख़रा ही नही होता हैं .मैं महीनो से तरप रही हू. आपका लॅंड तो काफ़ी मोटा और बड़ा है. दीदी को तो बहुत दुखता होगा . उसी समय दीदी अगाइ . बोलने लगी अरे केवल देखते ही रहोगी . मैं बोलने लगी दीदी इनका तो बहुत मोटा है, मैं नही सह पॉयेयी . दीदी कहने लगी हा, मोटा तो है लेकिन सहना ही परेगा. पहली बार मुझे भी बहुत दर्द हुआ था . लेकिन अब तो मज्जा आता है. जीजाजी को दीदी कहने लगबेचारी तुम्हारा घोड़ लॅंड देख कर डर गई है . मेरे बहन को मत रूलाना . बेचारी अभी तक तो कुँवारी जैसे ही तो है.इतन कह कर वा फिर चली गई . जीजाजी अब मेरी साड़ी और पेटी कोट भी खोल दिए .वे मेरे बुर को चटने लगे . मुझे बेड पैर सूता दिए और अपना लॅंड मेरे बुर मे डाल कर चूसने के लिए कहने लगे . वे मेर उपर चढ़े हुआए थे . अपनी जीभ से मेरी टिट चाट रहे थे . मुजे काफ़ी मज्जा आरहा था . मैंने भी दोनो हाथो से उनका सिर पाकर कर दबाने लगा .ज़ोर ज़ोर से लॅंड चूसने के लिए कह रहे थे. उनका लॅंड का स्वाद लेने मे मुझे भी मज्जा आरहा था . इतने ही मे कुच्छ अपना पूरा लॅंड मुख मे अंदर तक धकेलने लगे. मुझे तो पहली बार इतना तगड़ा लॅंड मिला था . मैं मज़े से उनका लॅंड चुस रही थी और जीजाजी मेरे बुर चुस रहे थे . उसी समय मुख मे गरम गरम और नामाकीन टेस्ट आने लगा . वे और ज़ोर से लॅंड अंदर किए . मुझे तो मज्जे का स्वाद आरहा था. कुच्छ देर तक और चूसाती रही. वे बाहर निकाल लिए और बाथरूम मे चले गाये . बाथ रूम से आने के बाद वे फिर मुझसे अपना लॅंड सहलवाने लगे. क़रीब 5 मिनट के बाद वे फिर तैयार होगए . जीजा जी का लॅंड फिर से पहले जैसे ही कठोर और मोटा होचुका था . इस बार वे मुझे पट सूता दिए . मेरे गाड़ मे थोडा थूक लगाए और एक अंगुली घुसा कर बाहर भीतर करने लगे . मैंने कहने लगी जीज जी इसमे भी करोगे क्या . इसमे तो नही सहा जायगा . आज बुर मे ही कर लो . फिर कभी इसमे . जीज जी नही माने और कहने लगे गाड़ लिए बिना मैं तुम्हारा बुर नही लूंगा .अगर मेरा सर्त मंज़ूर है तो बोलो नही तो छोड़ देता हूँ. मुझे तो आज चोदाइ का भरपूर मज्जा लेना था . मैं चुप रही .मैं मुसकूरा दी और कहने लगी आप बहुत बदमश हो, आज मैं सब कुच्छ सहने को तैयार हूँ. जीजाजी मेरे गाड

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