Sunday, March 16, 2008

लंड ने होली मनाई

दोस्तों मैं आपको मेरे जवानी की एक सच्ची घटना सुना रहा हूँ...ये वाकिया आज का नही है..उस वक्त की बात है जब मैं कॉलेज मे पढता था..मेरे बड़े भाई की शादी हो गई थी..मेरी उमर २१ साल की थी..दिखाने मे शुरू से ही स्मार्ट था मेरा लंड ७.५ इंच का है और उसका सुपाड़ा काफी मोटा है.. अब तक मैंने सिर्फ़ २ बार ही चुदाई की थी..और मैं अपनी भाभी को देख कर मूठ मार लिया करता था...वैसे मैं मौके की तलाश मे था की भाभी की रसीली और गदराई चूत मे कब मेरा मोटा लंड दाल कर उसे फाड़ दूंगा..क्युकी मेरे भाई का लंड सिर्फ़ ५ इंच का और पतला सा है ये मुझे मालूम था.. भाभी को मैंने कई बार मेरे लंड की झलक दिखाई है..और उसकी आंखों मे मैंने इस मोटे लंड से चुदाने की प्यास भी देखी है.. खैर ये बात है होली की...भैय्या भाभी के साथ पहली होली मनाने अपनी ससुराल के गाँव चले गए थे ..और उनका साला और उसकी बीवी अचानक हमारे घर आ गए..उस वक्त घर मे मैं माँ और पिताजी ही थे...मैं होली मे रंग खेलना पसंद नही करता..इसलिए मैं छत पर बैठकर एक किताब पढने लगा..भी का साला..सुधीर और उसकी बीवी दोनों होली खेल रहे थे..हमारे घर के सामने बहुत बड़ा आँगन है..उसमे आस पड़ोस के लोग भी आए हुए थे..मैं ऊपर से ही होली की मस्ती देख रहा था.. फ़िर मैं अपनी किताब मे मगन हो गया...कुछ देर के बाद भाई के साले की बीवी..जिसका नाम अनामिका है..वो मेरे पीछे से आई और उसने मेरे चहरे पर रंग लगा दिया..मैंने भी उसके हाथों से रंग छीन लिया और उसके पीछे दौड़..वो बच नही पायी मैंने उसे पकड़ा और उसे पूरे रंग से सराबोर कर दिया..इसी बीच मेरा हाथ उसकी चुन्चियों पर लग गया और वो दब भी गयी..लेकिन मेरा ध्यान नही गया..उसके मुंह से..स्..स्..स्..स्.स्.स्.स्.स्.स्. की आवाज़ निकली तब मैं समझा की क्या हो गया..मैं शरमा गया..उसने बड़ी कातिल नज़र से मेरी तरफ़ देखा..वो मेरी तरफ़ देखती हुई जाने लगी..लेकिन वो नीचे नही गई.. छत पर एक बाथरूम है..जो की बहुत ही बड़ा है..उसमे बाथटब भी है और पूरे आधुनिक तरीके से बनाया गया है.वो उस बाथरूम के पास गई और मुझे अपने पास इशारे से बुलाया..मैं भी उसके करीब गया..उसने धीरे से कहा..जरा नीचे देखो.. मैंने देखा...उसने अपनी सलवार नीचे कर ली थी..और उसकी चूत की झांटे दिख रही थी...बहुत बाल थे उसकी चूत पर..एकदम घने काले...मैं देखता रहा..और मेरे लंड महाराज हरकत मे आ गए और मेरे पैजामे मे टेंट बना दिया..मैंने अन्दर चड्डी नही पहनी थी..लंड क्या मानो बोफोर्स तोफ बन गया था..उसने धीरे से कहा संजुउऊ..अब सब कुछ मुझे ही सिखाना पड़ेगा क्या?..मैंने उसे बाथरूम के अन्दर धकेला और दरवाजा बंद कर दिया ..उसे जोर से मेरी बांहों मे खीचा और उसके लाल होंठों पर मेरे होंठ चिपका दिए..मैंने उसे जो किस किया वो बहुत लंबा था..उसने भी अपने हाथों से मुझे जकड लिया ..मेरा लंड उसके पेट पर लग रहा था..उसका बदन बहुत ही नरम था..उसकी कड़क चुन्चिंयाँ मेरे सीने मे दब रही थी..इतने मे उसके पति की आवाज़ आई... "अन्नू कहाँ हो? नीचे चलो भाई." उसने कहा.."आप चलिए मैं अभी आती हूँ.", वो नीचे चला गया.तभी उसने शावर चालू कर दिया और मेरे कपडे उतारने लगी.. पैजामा खुलते ही मेरा मोटा लंड उछल कर बाहर निकल आया.. उसे देखते ही अनामिका के मुंह से निकला.."बाप रे.. कितना लंबा है.." फ़िर उसे हाथ से पकड़ने लगी जो उसकी हथेली मे नही आ रहा था.."इतना मोटा..मैं तो मर जाउंगी.." फ़िर उसे सहलाने लगी..मैंने भी उसके कपड़े खोल दिए..उसने सलवार के नीचे पैंटी नही पहनी थी..उसके कमीज़ को मैंने ऊपर करके निकाल दिया..और ब्रा खुल नही रहा था मैंने उसके स्ट्रेप तोड़ दिए..और घुन्डी को मसलने लगा..वो भी कड़क हो कर तन गयी थी.मैंने एक एक निपल को मुंह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया..वो मेरे लंड से खेल रही थी...उसने मेरा एक हाथ अपनी चूत पर ले गई..ओह.. उसकी चूत पुरी गीली हो रही थी..और झांट के बाल भी चिप चिपा रहे थे..मैंने उन्ही के बीच उसकी चूत के दाने को ढूँढा और हाथ से रगड़ने लगा..उसके मुंह से..आह्ह..इश.स्.स्.स्.स्. उफ्फ्फ़..की आवाज़ निकलने लगी..वो मेरा सिर नीचे दबाने लगी..मैं समझ गया की वो चूत चटवाना चाहती है..मैंने उसे बाथटब के किनारे पर पैर फैला कर बिठाया...और मैं उसके अन्दर बैठ गया...उसके पैरों को मैंने अपने कंधे पर लिया...उसकी झांट के बाल मुंह मे आने लगे..तभी मुझे एक ख्याल आया..मैं उठा..और उसे मैंने पैर फैला के उसे बाथटब के अन्दर चित लेटने के लिए कहा..उसने पूंछा..क्या करोगे.., मैंने कहा..तुम्हारी चूत को और खूबसूरत बनाऊंगा. कहते हुए मैंने अपना शेविंग किट निकाला फ़िर..उसमे से कैंची निकाल कर उसकी झांट को छोटी कर दी..अब उसकी चूत थोडी दिखने लगी थी..लेकिन उसमे से पानी टपक रहा था..फ़िर मैंने वहाँ साबुन लगाया और मेरे रेज़र से उसके चूत को शेव करने लगा..इस मे मेरा हाथ उसके दाने से लग रहा था..और उसकी चूत से और पानी निकल रहा था..पुरी तरह शेव करने के बाद मैंने उसे पानी से साफ किया..उफ़.गुलाबी रंग की चूत..मेरे तो होंश उड़ गए..बिल्कुल किसी सोलह साल की लड़की की चूत लग रही थी..
मैं उसकी गुलाबी चूत को देखता ही रहा..उसने पूंछा..क्या देख रहे?..तुम्हारी नशीली चूत को..लो तुम भी देखो..और मैंने उसे बड़े आईने के सामने मुंह करने को कहा...उसने अपने पैर अच्छे से फैला के देखा..और उसके मुंह से भी निकल गया..हाय इतनी सुंदर..ये तो मेरे बचपन की चूत है..अब मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा..और दाने को सहलाते हुए गीले चूत मे ऊँगली डाली..वो उछल पड़ी..आह्ह..उईई माँ..और फ़िर मैंने उसे पैर फैला के ऊपर बिठाया और उसकी चूत को चूमा.. .उफ़..स्.स्.स्. .स्.स्. .आह्ह..चाटो ..जीभ अन्दर डालो..आह्ह..वो इतनी देर मे बहुत गरम हो चुकी थी..और कहने लगी संजू अब ये लंड डाल दो...मत तड़पाओ मुझे..लेकिन मैं तो उसकी चूत के झरने का पानी पीने मे मशगूल था..मैंने उसे नही छोड़ा ..उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और बोलने लगी..संजू..तुमने कितनी लड़कियों की चूत बरबाद की है इस मूसल से..मैंने कहा..सिर्फ़ एक को..उसने कहा..कितना सलोना प्यारा लंड है..लेकिन मुझे डर लग रहा है..मैंने पूंछा क्यों? तुमने सुधीर का लंड लिया है ना? उसने कहा हाँ लेकिन वो तो इसका आधा भी नही है.. ये तो लंबा भी है और बहुत मोटा है...कहते हुए उसकी कमर हिलाने की स्पीड बढ़ गई..आह संजू.. जू..जू ..मेरा मेरा निकल जाएगा..कहते हुए उसने चूत को मेरे मुंह पर सटा दिया और मेरा सिर पकड़ के दबाने लगी..और उसकी चूत से सचमुच झरने जैसा पानी निकल के मेरे मुंह मे गिरने लगा..मेरा पूरा चेहरा उसके पानी से तरबतर हो गया..और वो एकदम ढीली हो गयी...मेरा सिर अपनी चूत से उसने हटाया..और मेरे लंड को देखने लगी.. फ़िर "गप्प" से उसे पाकर के मुंह मे लिया..उसके मुंह मे मेरा सुपाड़ा भी नही पूरा जा रहा था..जीभ से चाटने लगी..मैंने फ़िर से उसकी चून्चियाँ मसलना शुरू कर दिया..और हलके से चूत को सहलाने लगा...करीब दस मिनिट इसी तरह करने के बाद मैंने उसे खड़ा कर दिया..वो दीवार पकड़ के पलट के खड़ी हों गई ..और अपनी चूत को पीछे की तरफ़ उभार दिया..मैंने अब उसकी गोल गोल चूतड़ को देखा..और उसके बीच की खाई..ओह उसे हाथ से दबाते हुए फैलाया..ओह्ह..उसकी गांड का भूरे रंग का नरम नाज़ुक छेद..मेरा लंड तो और मोटा हों गया जोश मे..मैंने लंड को एक हाथ से पकड़ा और उसकी गांड और चूत तक 5-6 बार फिराया..वो कहने लगी राजा मत तड़पाओ..मैं मर जाउंगी..
उसने जैसे ही ऐसा कहा मैंने अपने लंड को उसकी चूत के गुलाबी छेद पर टिकाया और उसकी पतली कमर पकड़ के धीरे से दबाया..उसके मुंह से चीख निकल गई..आह...ओह..माँ...मर गई.इ.इ.ई.इ.ई. .निकालो.. ओ.ओ.ओ.ओ संजू.उ.उ. इसे निकालो..मैं मर जाउंगी..बहुत दर्द हो रहा है..मार डाला...अभी सिर्फ़ लंड का सुपाड़ा ही अन्दर गया था..और उसकी चूत के मुंह को खोलता हुआ..फंस गया था.. चूत का मुंह फ़ैल गया था और मेरे लंड के सुपाड़े को कस के जकड लिया था..मैंने कमर से हाथ ऊपर ले जा के उसकी चुन्चियों को पकड़ किया और मसलने लगा..लंड चूत के मुंह मे फंसा हुआ था....मैंने उसके पीछे से चूमते हुए अब एक जबरदस्त धक्का लगाया मेरा लंड पुरा अन्दर घुस गया और उसकी चूत से खून की पिचकारी निकली.. और लंड को रंग दिया..वो रोने लगी वो बहुत जोर से चीखी थी.. .आ ..आ..आ..आ. आ..आ..आ. .आ. आ.. आ.आह.....मर गई.ई.ई. ई.ई.ई.ई.ई...संजय पूरा डाल दिया..कितने बेरहम हो..मैंने कहा..तुम्हारी चूत को देख कर मैं वैसे ही बेकाबू हो चुका था..ओह्ह ..लेकिन मेरी चूत फट गई..खून की बूँद नीचे फर्श पर टपक रही थी....उसकी चीख इतनी तेज थी..की बाहर से उसके पति सुधीर की आवाज आई..क्या हुआ? वो किसी तरह से बोली.."कुछ नही..नहाते हुए पैर फिसल गया मैं गिर गयी ." वो बोला.अभी नहाने की क्या जरुरत थी...बाद मे नहा लेती..उसने कहा "आपको कुछ करना नही है..मुझे तो मेहमानों को देखना है और उनके लिए खाना भी बनाना है " सुधीर बोला "ठीक है ठीक से नहा लो लेकिन सम्हाल कर.." इतना कह कर वो चला गया..मैं फ़िर से धक्के देने लगा..उसका दर्द बढ़ रहा था..लेकिन मैंने अब बहुत हलके से उसे चूमते हुए और चूंची मसलते हुए..धक्के चालू रखे.. फ़िर उसका दर्द थोड़ा कम होने लगा...उसने भी पीछे कमर को लाते हुए लंड को अन्दर लेना शुरू किया..मैंने धक्के की स्पीड बढ़ा दी..अब सिर्फ़ सुपाड़े को अन्दर रख कर पूरा लंड बाहर खींच कर धक्के लगाने लगा.. उसके मुंह से सिसकियाँ निकलने लगी..स्..स्..स्.स्.स्.स्.स्.स्..स्.. आ..आ...आ...आ..उफ़...ओह संजय..आज मैंने असली चुदाई का मजा लिया है....उसने भी अपनी गांड जोर से पीछे लाते हुए लंड को अन्दर लेना शुरू कर दिया..उसकी चूत पानी छोड़ रही थी..जिससे अब मुझे लंड को अन्दर बाहर करने मे ज्यादा तकलीफ नही हो रही थी..मैंने अब उसके चूतडों को दोनों हाथ से कस के पकड़ लिया था..और वो..आह्ह...आह्ह..और जोर से..फाड़ दो..और अन्दर दो....मेरा निकल रहा है...ओह्ह..आह्ह...इश..श.श.श..श. ...सी..सी..सी...सी..करते हुए उसने दीवार पर सिर टिकाया और उसकी चूत ने बहुत सारा पानी निकाल दिया..जो की बाथटब के फर्श पर उसके खून के साथ टपक रहा था एक धार की शकल मे..अब उसने मेरे लंड को बाहर निकालने के लिए कहा...मुझसे बाथटब के ऊपर किनारे पर बैठने के लिए कहा..और फ़िर मेरे जांघों के दोनों तरफ़ पैर फैलाकर खड़ी हो गई..आगे बढ़ी और मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर देखा.."देखो कैसा लाल हो गया है..चूत फाड़ कर.." फ़िर उसे पकड़ कर अपने चूत से लगाया..फ़िर लंड को अपनी चूत पर लगाके वो उसके ऊपर हलके से बैठने लगी.मैं भी पैर सीधे कर के बैठ गया..उसकी चूत से इतना पानी निकल रहा था की मेरी जांघे गीली हो रही थी.. पानी मेरे जांघों पर टपक रहा था..पूरा लंड अन्दर लेते ही वो बहुत तेजी से मेरे लंड पर उछलने लगी..उसकी चुंचियाँ उसकी इस हरकत से उछल रही थी..मैंने निपल मेरे मुंह मे ले लिया और उसकी दोनों चुन्चियों को बेदर्दी से मसलने लगा...उसके मुंह से ओह..हाय....आ. .संजू. .मेरे..राजा..बहुत मजा आ रहा है...मेरी चूत आज धन्य हो गयी तुम्हारे लंड से चुदकर..मैंने उसकी गांड के नीचे हाथ लगाया और मैं भी अब नीचे से धक्के लगाने लगा..मेरा भी अब पानी निकलने वाला था..उसकी चूत से पानी निकलने से बाथ रूम मे फच फच फच..फचा..फच्च..की आवाज़ गूंजने लगी थी..वो फ़िर से झड़ने वाली थी..मुझसे चिपक गई थी वो... मैंने कस के धक्के नीचे से लगाने शुरू कर दिए..फ़िर भी करीब बीस मिनिट के बाद मेरे लंड ने फौवारा छोड़ दिया..मैंने उसे कस के लिपटा लिया था..और मेरे साथ वो फ़िर से तीसरी बार झड़ गई..मैंने उसकी चूत को लबालब भर दिया था..मेरा लंड अभी भी उसकी चूत के अन्दर था..करीब दस मिनिट बाद वो उठी..मैंने देखा उसकी चूत की हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी..मुंह पूरा खुल गया था..उसने अपनी सलवार से अपनी चूत और मेरे लंड को साफ किया..चूत पर हाथ लगाते हुए उसके मुंह से कराह निकल गई..फ़िर भी उसने साफ किया और पानी से धोया..फ़िर मेरे लंड को चूमा..और कपडे पहन कर बाहर निकल गई..मैंने देखा पूरे दिन वो अपने पैर फैला के चल रही थी..मैं जब भी किचेन मे जाता या कहीं वो मिल जाती तो मैं उसकी चूंची मसल देता या फ़िर गालों पर किस कर देता..वो शर्मा जाती थी..कभी उसकी चूत पर हाथ लगा देता..वो आह.. कर उठती थी..मैं समझ गया उसकी चूत सूज गई है..
इसी तरह दिन भर छेड़खानी चलती रही..मैंने धीरे से उसके कान मे कहा..रानी..दिल नही भरा..और मेरा खड़ा लंड पीछे से उसकी गांड मे लगा दिया..वो किचेन मे खाना बना रही थी..उसने मेरे लंड पर अपनी गांड को दबाया और कहा..तुमने मेरी चूत की जो हालत कर दी है....अभी भी उसमे से पानी निकल रहा है..मैं पैंटी भी नही पहन पा रही हूँ...मुझे नंगी ही घूमना पड़ रहा है..और बाल नही होने से और भी अजीब लग रहा है..,.मेरा लंड..ये सुनकर और कड़क हो गया..जो उसने भी महसूस किया.. मैंने सामने हाथ ले जा कर उसकी चुंचियों को पकड़ के मसल दिया..और उसकी चूत पर हाथ ले जा कर दबाया..उसके मुंह से आऊच..आह..संजू..दर्द है.., मैं और कुछ करता तभी उसके पति सुधीर की आवाज़ आई..अन्नू..मुझे भूख लगी है.., हाँ रुको..अभी लगाती हूँ खाना.., और वो बडबडाई..इसे सिर्फ़ पेट की भूख लगती है..पेट के नीचे की कोई परवाह नही है..मैं किचेन से बाहर निकल आया..शाम को वो मेरे कमरे मे आई..और मैंने उसे झपट के पकड़ लिया..और कस के चूमने लगा...उसने भी साथ दिया..मुझसे कहने लगी..संजू आज रात मे तुम्हारे इस कमरे मे मेरी चुदाई करना..मैंने पूंछा "रात मे तो तुम सुधीर के साथ सोने वाली हो.." उसने कहा नही आज मैं उसे नीद की गोली दूंगी या फ़िर ज्यादा दारु पिला दूंगी..फ़िर वो सुबह आठ बजे से पहले नही उठेगा...फ़िर तुम रात भर मेरी चूत की चुदाई करना..उसकी इस बात से मेरा लंड किसी मोटे और लंबे नाग जैसा फनफना गया..उसने मेरे लंड को पुचकारा..और कहा..आज रात मे तेरी पूरी प्यास बुझा दूंगी.आज की रात धमाल चुदाई होगी..रात भर..पूरी रात रंगीन कर दूंगी राजा .मैंने भी उसे चूमा और उसकी चुंची और गांड को मसला..रात मे उसने सुधीर को दारू पीते हुए ज्यादा दारू पिलादी..वो बिना खाना खाए सोफे पर ही बेहोश हो गया..फ़िर मैंने और अनामिका ने उसे बेडरूम मे ले जा कर सुलाया..मेरे ना और पिताजी अपने रूम मे पहले ही सो गए थे वो भी थोडी देर अपने पति के रूम मे रुकी..मैं अपने रूम मे आ गया..मेरा लंड काबू मे नही था.. आज उसकी मोटाई और लम्बाई कुछ ज्यादा ही लग रही थी..करीब 11 बजे वो मेरे कमरे मे आई..उस समय तक सभी गहरी नींद मे थे..मेरा रूम ऊपर वाले मंजिल पर है.और मेरे रूम मे बाथरूम भी है..जिसमे बाथटब इसलिए मुझे नीचे जाने की जरुरत ही नही होती..वैसे सभी रूम मे बाथरूम है इसलिए रात मे कोई अपने रूम से बाहर नही निकलता मैंने देखा उसने जींस पँन्ट और शर्ट पहना था..मैंने पहली बार उसे इस ड्रेस मे देखा .. बहुत सेक्सी लग रही थी..आते ही वो मुझसे लिपट गई और मुझे किस करना शुरू कर दिया.. मैंने भी उसे कस के अपने से चिपका लिया उसके पीठ और गांड पर हाथ से दबाने लगा..पूरे शरीर पर मैंने हाथ फेरा..सहलाया .फ़िर मेरे हाथ उसके स्तनों पर आ गए..उसके होंठ अभी भी मेरे होंठो से जुड़े हुए थे...मैंने उससे पूंछा .."रानी सुबह की चुदाई कैसी थी"?उसने कहा.."आज तुमने मुझे जो सुख दिया उसके सपने मैं जब से जवान हुयी तब से देखती थी..और उसी के लिए तो मैं फ़िर से चुदवाने आयी हूँ...तुम्हारा ये मोटा लंड..आज इसने मेरी सही तरीके से सील तोडी है..इतना खून तो मेरी सुहागरात की चुदाई मे भी नही निकला था..मैंने उसके पूरे कपडे निकाल दिए ..उसने ब्रा और पैंटी नही पहनी थी..उसके गोरे गोरे चुंचियों पर सुबह के निशान थे लाल रंग के..मैंने उसके निपल मुह मे भर लिए और अब उसकी स्तनों को बहुत ही बेरहमी से दबाया..वो कराह उठी..आह..धीरे..अभी भी दर्द है..राजा..मैंने अनसुना किया और निपल पर हलके से काट लिया. .उसके मुंह से आउउच....उफ़...संजू..लेकिन उसने मेरा सिर अपने स्तनों के ऊपर जोर से दबा लिया..मैंने हलके से जीभ से निपल और चुंचियों को चाटा ..और उसकी चिकनी चूत पर हाथ फेरा थोड़ा दबाया..उसके मुंह से उईई.ई..ई..ई.ई.. ई..ई.. .. ई...ई...ई.ई.ई.ई...ई..निकल गया..मैंने पूंछा क्या हुआ? उसने कहा बहुत दर्द है..मैंने अब उसके पेट को किस करने लगा..जीभ से चाटा ..मैंने उसे बेड पर लिटाया..और उसके पेट पर हाथ से सहलाया.. उसने मेरी लुंगी खींच के खोल दी और लंड को अपने हाथ मे ले लिया..और उसे किस करने लगी..मैं उसकी चूत की तरफ़ मुंह ले गया..उसके गोरे गोरे जांघों को फैलाया..ओह..उसकी चूत फूल गई थी,,और लाल लग रही थी..लेकिन उसका जूस बाहर निकल रहा था..चूत का दाना भी फुला हुआ था..और बाहर सिर निकाले हुए था..पैरों को और फैलाते हुए मैंने पहले उसकी जांघों को चूमा..चाटा. .फ़िर दाने को अंगूठे से रगडा..वो मचलने लगी.. अब मैंने चूत की दरार को फैलाया..ओह्ह..चूत का मुंह तो खुला था सुबह की चुदाई से लेकिन 2-3 जगह से वो कट गई थी..और वहाँ खून बाहर आ रहा था..मैंने धीरे से अपनी जीभ चूत मे डाली..और फ़िर उसके जूस को चाटने लगा..उसने भी अब मेरे लंड को मुंह मे ले लिया..मैंने उसे अपने ऊपर खीच लिया..उसने पैर मेरे सिर के दोनों तरफ़ फैला दिए..उसकी चूत मेरे मुंह के ठीक ऊपर आ गई..मैंने चूत की फांक को फैलाते हुए पूरी जीभ उसकी चूत मे डाल दी और गोल गोल घुमाने लगा..मेरे इस तरह चाटने से उसने चूत को मेरे मुंह पर दबाते हुए अपना पानी निकाल दिया..उसकी चूत का पानी बहुत ही स्वादिष्ट, नमकीन और चिप चिपा था..मेरा पुरा चेहरा भर गया..वो जल्दी से उठ कर बैठ गई..और मेरे लंड के दोनों तरफ़ पैर फैला कर लंड को सहलाने लगी..फ़िर धीरे से उसको अपनी चूत से सताया..और रगड़ने लगी..मैंने कहा इसे अन्दर लो..इसके ऊपर बैठो..उसने कहा बहुत मोटा है..दर्द होगा.मैंने सिरहाने रखी हुई क्रीम की बोतल उसे दिया...उसने मेरे लंड पर अच्छे से लगाया..और फ़िर उसके ऊपर बैठी..सिर्फ़ सुपाड़ा ही उसने अन्दर लिया और चीख पड़ी...ओह..माँ.मर गई..ई.ई.ई.ई.ई..ई. लेकिन..मैं नही रुका और मैंने नीचे से धक्का दिया मेरा आधा लंड अन्दर हो गया..उसे बहुत दर्द हुआ...वो मेरे सीने पर लेट गयी..मैं उसे चूमने लगा...मैं नीचे से हलके हलके धक्के लगा रहा था..उसकी चूत पानी छोड़ रही थी.. और इससे लंड को अन्दर जाने मी सहूलियत हो रही थी.उसके मुंह से भी अब..आह्ह..ओह्ह. इश..हुश. .हुश..उफ़ की आवाज़ निकल रही थी..... मैंने मौके का फायदा उठाया और उसकी गांड को कस के पकड़ के बहुत ही जोरदार झटका दिया और पुरा लंड अन्दर कर दिया..वो हिल भी नही पाई..लेकिन बड़े जोर से चिल्लाई..संजू...क्या कर दिया मर गयी. उफ्फ्फ्फ़. .इतना अन्दर..लेकिन थोडी देर के बाद वो ख़ुद अपनी गांड हिलाते हुए मुझे चोदने लगी उसके मुंह से सिसकियाँ और आँख से आंसू निकल रहेथे... . स्.स्.स्. स्.स्.. हुश..हुश..हुश..आह्हा..कितना मजा आ रहा है..ओह संजय तुमने मुझे महसूस करवाया की असली मर्द क्या होता है..क्या मर्दाना लंड है..मेरी चूत की तमन्ना पूरी हो गई आज.. और कमरे मी फच्च..फचाक्क की आवाज़ गूंज रही थी क्युकी मैं भी नीचे से झटके लगा रहा था...वो ले नही पा रही थी..अभी भी दर्द हो रहा था..लेकिन चूत मी घुसे मूसल का मजा उसे रोके हुए था..और करीब ५ मिनिट मी ही उसने चूत को लंड पर जोर जोर से पटकना शुरू किया..और..हाय..हाय...हाय..ओह..माँ..मैं गयी. ई.ई...ई.ई. .. करते हुए मुझसे जोर से लिपट गयी उसकी चुन्चियाँ मेरे सीने से दब रही थी..और चूत मी पूरा लंड घुसा हुआ था.. ..उसकी चूत का जूस मेरे लंड से बहता हुआ मेरी गोटियों को गीला कर रहा था..और अब वो एकदम शांत हो गई थी..मैंने उसे अपने नीचे लिया..मेरा लंड उसकी चूत मे ही था..उसे मैंने पलंग के किनारे पर खींचा..पैर नीचे लटकाए. .मैं ख़ुद नीचे खड़ा हो गया..मैंने देखा मेरे लंड पर अब भी थोड़े खून के दाग लगे है..शायद उसकी चूत फ़िर छिल गई थी.. उसके पैर नीचे लटक रहे थे और कमर तक का नंगा बदन बेड पर था.. उसकी मांसल जांघे..और उसके बीच चमचमाती चूत.. मेरी हालत तो दीवाने जैसी हो रही थी.. मैंने उसके पैरों को फैलाया..उसकी चुन्चियाँ मसले जाने से लाल हो गई थी..होंठ भी चूमने से फूल गए थे और निचला होंठ तो एकदम लाल लग रहा था....ये सब देख कर मेरा लंड और जोश मे आ गया ..मैंने उसके पैरों को हवा मे उठाये गांड ऊपर करके नीचे एक तकिया लगाया..जिससे चूत ऊपर उठ गई और खुल गई...लंड को गांड और चूत पर सहलाया..फ़िर चूत के मुंह पर रखा..चूत एकदम गीली थी.छेद पर रख कर मैंने उसके निपल मुंह मे लिए और कमर को दबाया. ".फस्स" की आवाज़ के साथ सुपाड़ा सहित आधा लंड चूत मे समां गया...अब मैंने निपल चूसते हुए और चुंची मसलते हुए धीरे धीरे लंड को अन्दर डालना शुरू किया ..थोड़ा सा बाकी था..मैं इतने मे ही कमर हिला के उसे चोदने लगा..करीब दस मिनिट ऐसा करने के बाद वो भी नीचे से कमर हिलाने लगी...और फ़िर पैरों को मेरे कमर के पास ला कर कैंची की तरह जकड लिया . .संजू..करो..और करो.मार डाला तूने संजू और मार ले ले तेरी ही है..वो जोर जोर से चिल्ला रही थी..मुझे डर लगा की इसकी आवाज़ सुन कर कोई ऊपर ना आ जाए..मैंने उसे इशारा किया..लेकिन वो नही मानी..उसने कहा तुम मुझे छोड़ो मेरे राजा..पहली बार जिंदगी मे चुदाई का मजा ले रही हूँ...मैंने भी अब पूरा लंड बाहर खींच कर एक रामपुरी झटका मारा और पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत मे उतार दिया..इससे वो दहल गई और उसका पूरा शरीर लरज़ गया , लेकिन इसी धक्के के साथ उसकी चूत ने भी फ़िर से पानी छोड़ दिया..इस बार काफी जोर से उसका पानी निकला जिसे मैंने अपने लंड पर गरम गरम महसूस किया..मेरे धक्को की स्पीड बढ़ गई..मेरे धक्के से उसके स्तन जोर जोर से हिल रहे थे और मैं दोनों हाथों से उन्हें मसल रहा था..अब मेरे रुकने का सवाल ही नही था.करीब २५ मिनिट ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उससे कहाँ ..मेरी रानी..मेरा पानी निकलने वाला है..आह..मैंने उसे कस के पकड़ा कन्धों से और लंड को जड़ तक घुसेड कर उसकी चूत मे मेरे लावे का फौवारा छोड़ दिया..चूत पूरी भर गई..और वो भी इसकी गर्मी और मेरे पिचकारी से मेरे साथ ही फ़िर से एक बार झड़ गई....हाय मेरे राजा.. कहते हुए मुझसे लिपट गई...उसके बाद हम दोनों बाथरूम मे गए ..एक दूसरे को साफ किया..उसके बाद मैंने उसे डौगी स्टाइल मे भी चोदा..रात के 3 बजे तक और 2 बार अच्छे से चोदा..उसके बाद वो किसी तरह अपने पति के कमरे मे गई..उससे चला भी नही जा रहा था.. मैंने उसे किसी तरह उठा के खड़ा किया..चूत तो फूलकर एकदम डबल रोटी बन गई थी..उसके बाद वो जितने दिन हमारे घर पर रही मैंने उसे हर रात चोदा..फ़िर मेरे भाभी और भैय्या आ गए.. अगले दिन वो अपने पति के साथ चली गई..फ़िर उसने मुझे एक पत्र लिखा की वो मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है..बच्चा होने की ख़बर सुनकर मैं उसके घर गया..उसी वक्त सुधीर को टूर पर मुम्बई जाना पड़ा ४ दिन के लिए..मैंने फ़िर से ४ दिन उसे दिन रात चोदा..लौट के आने के बाद भाभी की हरी झंडी मिल गई..असल मे भाभी के हाथ अनामिका का ..बच्चा होने वाला पत्र लग गया था मेरे रूम से..उन्होंने मुझसे पूंछा..मैंने सब बताया..असल मे मैं भी यही चाहता था..अब भाभी की चुदाई मैंने उसी दिन दोपहर मे की मेरे लंड को फ़िर खून की पिचकारी का सामना करना पड़ा

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