1मेरा नाम नेहा, २२ सल् की खूबसूरत महीला हूँ. अभी दो साल पहले मेरी शादी कोटा नीवासी शरद से हुई है. मैं देल्ही के गीरीन
पार्क मे रहती थी. मेरी एक ननद रेखा भी करोल बाघ मे रहती है. उनके ह्स्बंड राज कुमार ठाकुर का spare पार्ट का business है. रेखा दीदी बहुत ही हँसमुख महीला है. राज जी मुझे अक्सर गहरी नज़रों से घूरते रहते थे मगर मैंने नज़र अंदाज़ कीया.
मैं बहुत सेक्सी लडकी हूँ. मेरे कालेज मे काफी चाहने वाले थे मगर मैंने सीर्फ दो लड़कों को ही लीफ़्ट दी थी. लेकीन मैंने कीसी को अपना बदन छूने नहीं दीया. मैं चाहती थी की सुहाग रात को ही मैं अपना बदन अपने पाती के हवाले करूं. मगर मुझे क्या पता था की मैं शादी से पहले ही समुहीक सम्भोग का शीकार हो जाउंगी. और वो भी ऐसे आदमी से जो मुझे सारी जींदगी
रोंद्ता रहेगा.
शादी की सारी बात-चीत रेशमा दीदी ही कर रही थी इस्लीये अक्सर उनके घर आना जाना लगा रहता था. कभी कभी मैं सारे दीन वहीँ रूक जाती थी. एक बार तो रात मे भी वहीँ रुकना पड़ा था. मेरे घर वालों के लीये भी ये नॉर्मल बात हो गयी थी. वो
मुझे वहाँ जाने से नहीं रोकते थे. शादी को सीर्फ बीस दीन बाक़ी थे. अक्सर रेखा दीदी के घर आना जान पड़ता था.
इस बार भी उन्हों ने फ़ोन कर कहा, "बन्नो, कल शाम को घर आना दोनो जेव्रतों का आर्डर देने चैलेन्गे और शाम को कहीँ खाना वाना खाकर देर रात तक घर लौटेंगे. बता देना अपनी मम्मी से की कल तू हमारे यहीं रात को रुकेगी. सुबह नहा धोकर ही वापस भेजूंगी."
"जी आप ही मम्मी को बता दो ना," मैंने फ़ोन मम्मी को पकडा दीया.
उन्होने मम्मी को कंवीन्स कर लीया. अगले दीन शाम को ६। बजे को तैयार हो कर अपनी होने वाली ननद के घर को नीकली. ब गहरा मकअप कर रखा था. शादीयों के दीन थे इस्लीये अँधेरा छाने लगा था. मैं करोल बाग स्तीथ उनके घर पर पहुंची.
दरवाजा बंद था. मैंने बेल बजाया. काफी देर बाद राज जी ने दरवाजा खोला.
"दीदी हैं?" मैंने पूछा.
वो कुछ देर तक मेरे बदन को ऊपर से नीचे तक घूरते रहे. कुछ बोला नहीं.
"हटीय़े ऐसे क्या देखते रहतें हैं मुझे. बताओं दीदी को," मैंने उनसे मजाक कीया, "कहॉ है दीदी?"
उन्होने बेडरुम की तरफ इशारा कीया और दरवाजे को बंद कर दीया. तब तक भी मुझे कोई अस्वाभावीक कुछ नहीं लगा. मगर बेडरुम के दरवाजे पर पहुँचते ही मुझे चक्कर आ गया. अंदर दो आदमी बेड पर बैठे हुये थे. उनके बदन पर सीर्फ शोट्स था.
ऊपर से वी नीवस्त्र थे. उनकी हाथों मे शराब के ग्लास थे. और सामने ट्रे मे कुछ स्नेक्क्स और एक आधी बोतले रखी हुई थी. अचानक पास मे नज़र गयी. पास मे टीवी पर कोई ब्लू फील्म चल रही थी. मेरा दीमाग ठनका मैंने वहाँ से भाग जाने मे ही अपनी भलाई समझी. वापस जाने के लीये जैसे ही मुडी राज की छाती से टकरा गयी.
"जानू इतनी जल्दी भी क्या है. कुछ देर हमारी मह्फील मे भी तो बैठो. दीदी तो कुछ देर बाद आ ही जायेगी," कहकर उसने मुझे जोर से धक्का दीया.
मैं उन लोगों के बीच जा गीरी. उन्हों ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लीया.
"मुझे छोड़ दो. मेरी कुछ ही दीनों मे शादी होने वाली है. जीजाजी आप तो मुझे बचा लो. मैं अपके साले की होने वाली बीवी हूँ,"
मैंने उनके सामने हाथ जोड़ कर मीन्नतें की.
"भाई मैं भी तो देखूं तू मेरे साले को सन्तुष्ट कर पायेगी या नहीं."
मैं दरवाजे को ठोकने लगी. "दीदी दीदी मुझे बचाओ," की आवाज लगाने लगी.
"तेरी दीदी तो अचानक अपने मायके कोटा चली गयी. तुम्हारी होने वाली सास की तबीयत अचानक कल रात को खराब हो गयी थी," यह कहकर राज मुझे दरवाजे के पास आकर मुझे लगभग घसीटते हुये बेड़ तक ले गए. "मुझे तेरा ख़याल रखने को कह गयी थी इस्लीये आज सारी रात हम तेरा ख़याल रखेंगें."
कहकर उसने मेरे बदन से चुन्नी नोच कर फेंक दी. तीनों मुझे घसीटते हुये बेड़ पर लेकर आये. कुछ ही देर मे मेरे बदन से सलवार और कुरता अलग कर दीये गए. मैं दोनो हाथों से अपने योवन को छुपाने की असफल कोशीश कर रही थी. तीन जोडी हाथ मेरी छातीयों को बुरी तरह मसल रहे थे. और मैं छूटने के लीये हाथ पैर चला रही थी और बार बार उनसे रहम की भीख
मांगती.फीर मेरी छातीयों पर से brassier नोच कर अलग कर दी गयी. तीनों मेरी छातीयों को मसल मसल कर लाल कर दीये थे. फीर nipples चूसने और काटने का दौर चला. मैं दर्द से चीखी जा रही थी. मगर सुनने वाला कोई नहीं था. एक ने मेरे मुँह मे कपड़ा ठूंस कर उसे मेरी ओढ़नी से बाँध दीया जीससे मेरे मुँह से आवाज ना निकले.अचानक दो उंगलीयाँ मेरे टांगों की जोड़ पर पहुंच कर पैंटी को एक तरफ सरका दीया और दोनो उंगलीयाँ बड़ी बेदर्दी से मेरी चुत मे प्रवेश कर गयी. कुंवारी चुत पर यह पहला हमला था इसलीये मैं दर्द से चीहुक उठी.
"अरे यार ये तो पुरा सोलीड माल है. बिल्कुल अन्छुई."
उन् लोगों की आँखों मे भूख कुछ और बढ गयी. मेरी पंटी को चार हाथों ने फाड़ कर टुकड़े टुकड़े कर दीया. मैं अब बील्कुल नीवस्त्र उनके बीच लेटी हुई थी. मैंने भी अब अपने हथीयार दाल दीये.
"देख हम तो तुझे चोदेंगे जरूर. अगर तू भी हमारी मदद करती है तो यह घटना जींदगी भर याद रहेगी और अगर तू हाथ पैर मारती है तो हम तेरे साथ बुरी तरह से बालात्कार करेंगे जीसे तू सारी उमर नहीं भूलेगी. अब बोल तू हमारे खेल मे शामील होगी या नहीं."
मैंने मुँह से कुछ कहा नहीं मगर अपने शारीर को ढीला छोड़ दीया. इससे उनको पता लग गया की अब मैं उनका वीरोध नहीं करूंगी.
"प्लीज भैया मैं कुंवारी हूँ," मैंने एक आखरी कोशीश की.
"हर लडकी कुछ दीन तक कुंवारी रहती है. अब चल उठ," राज ने कहा, "अगर तू राजी ख़ुशी करवा लेती है तो दर्द कम होगा और अगर हमे जोर जबरदस्ती करनी पडे तो नुकसान तेरा ही होगा."
मैं रोते हुये उठ कर खाडी हो गयी.
"हाथों को अपने सीर पर रखो."
मैंने वैसा ही कीया.
"टागों को चौड़ी करो"
"अब पीछे घुमो."
उन्होने मेरे नग्न शरीर को हर अन्गल से देखा. फीर तीनों उठकर मेरे बदन से जोंक की तरह चीपक गए. मेरे अंगों को तरह तरह से मसलने लगे. मुझे खींच कर बीसतर पर लीटा दीया और मेरी टांगों को चौड़ा कर के एक तो मेरी चुत से अपने होंठ चीपका दीया. दुसरा मेरे सतनों को बुरी तरह से चूस रह था मसल रह था. मैरा कुंवारे बदन मे अनंद पूरं सीहरण दौरने लगी.
मेरा वीरोध पूरी तरह समाप्त हो चुक्का था.अब मैं `आह ऊऊह' कर सीस्कारीयां भरने लगी. मेरी क़मर अपने आप उसके जीभ को अधीक से अधीक अंदर लेने के लीये ऊपर उठने लगी. अपने हाथों से दुसरे का मुँह अपने स्तनों पर दबाने लगी. अचानक मेरे बदन मे एक अजीब से थर्थाराहत हुई और मेरी चुत मे कुछ बहता हुआ मैंने महसूस कीया. ये था मेरा पहला वीर्यपात जो कीसीका लंड के ंंअदर गए बीना ही हो गया था.
मैं नीदाल हो गयी. मगर कुछ ही देर मे वापस गरम होने लगी. तब तक राज अपने कपडे खोल कर पूरी तरह नग्न हो गया था. मैं एक तक उसके तन्तानाते हुये लुंड को देख रही थी. उसने मेरे सीर को हाथों से थमा और अपना लंड मेरे होंठों से सटा दीया.
"मुँह खोल," राज ने कहा.
"नही," मुँह को जोरसे बंद कीये हुये मैंने इनकार मे सीर हीलाया.
"अभी ये साली मुँह नहीं खोल रही है. इसका इलाज़ कर," राज ने मेरी चुत से सटे हुये आदमी से कहा.
अभी ने मेरी चूत-दाने को दांतों के बीच दबा कर कट दीया. मैं "आआआअह्" करके चीख उठी और उसका मोटा तगड़ा लंड मेरे मुँह मे समता चला गया. मेरे मुँह से "गूं...............ग गोऊँ" जैसी आवाजें नीकल रही थी. उसके लंड से अलग तरह की समेल्ल आ रही थी. मुझे उबकाई जैसी आयी और मैं उसके लंड को अपने मुँह से नीकल देना चाहती थी मगर राज मेरे सीर को सख्ती से अपने लंड पर दबाये हुये था.
जब मैं थोड़ी शांत हुई तो उसका लंड मेरे मुँह के अंदर बहार होने लगा. आध लंड बहार नीकाल कर फीर तेजी से अंदर कर देता था. लंड गले तक पहुंच जाता था. इसी तरह कुछ देर तक मेरे मुँह को चोद्ता रहा. तब तक बाक़ी दोनो भी नग्न हो चुके थे.
राज ने अपना लंड मुँह से नीकाल लीया. उसकी जगह दुसरे एक ने अपना लंड मेरे मुँह मे डाल दीया. राज मेरी टांगों की तरफ चला गया. उसने मेरे दोनो टांगो को फैला दीया और अपना लंड मेरी चुत से छुया. मैं उसके लंड के प्रवेश का इंतज़ार करने लगी. उसने अपनी दो उंगलीयों से मेरी चुत की फंकों को एक दुसरे से अलग कीया और दोनो के बीच अपने लंड को रखा. फीर एक जोर के झटके के साथ उसका लंड मेरी चुत के दीवारों से रगड़ खाता हुआ कुछ अंदर चला गया.
सामने प्रवेश द्वार बंद था. अब अगले झटके के साथ उसने उस द्वार को पार कर लीया. तेज दर्द के कारण मेरी ऑंखें छलक आयी. ऐसा लगा मानो कोई लोहे का सरीया मेरे आर पार कर दीया हो. मेरी टाँगें दर्द से छात्पटाने लगी. मगर मैं चीख नहीं प रही थी क्योकी एक मोटा लंड मेरे गल्ले को पुरी तरह से बाँध रखा था.
राज अपने लंड को पूरा अंदर डाल कर कुछ देर तक रुका. मेरा दर्द धीरे धीरे कम होने लगा तो उसने भी अपने लंड को हरकत दे दी. वो तेजी से अंदर बहार करने लगा. मेरी चुत से रीस रीस कर खून की बूँदें चाद्दर पर गीराने लगी. तीसरा मेरे सतनों को मसल रह था. मेरे बदन मे अब दर्द की जगह मजे ने ले ली.
राज मुझे जोर जोर धक्के लगा रह था. उसका लंड काफी अंदर तक मुझे चोट कर रह था. जो मुझे मुख मैथुन कर रह था वो ज्यादा देर नहीं रूक पाया और मेरे मुँह मे अपने लंड को पूरा अंदर कर वीर्य की पीचकारी छोड़ दी. यह पहला वाकया था जब मैंने कीसी का वीर्य चखा. मुझे उतना बुरा नहीं लगा. उसने अपने टपकते हुये लंड को बहार नीकला. वीर्य की कुछ बूँदें मेरे गल्लों और होंठों पर गीरी. होंठों से लंड तक वीर्य का एक महीन तार सा जुदा हुआ था.
तभी राज ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और जोर जोर से धक्के देने लगा. हर धक्के के साथ "हुंह हुंह" की आवाज नीकल रही थी. मेरे शरीर मे वापस येंथान होने लगी और मेरी चुत से पानी छूट गया. वो तब भी रुकने का नाम नही ले रह था. कोई आधे घंटे तक लगातार धक्के मारने के बाद वो धीमा हुआ. उसका लंड झटके लेने लगा. मैं समझ गयी अब उसका वीर्य पात होने वाला है.
"प्लेस अन्दर मत डालो. मैं प्रेग्नंत नहीं होना चाहती," मैंने गीड्गीडाते हुये कहा.
मगर मेरी मीन्नेतें सुनने वाला कौन था वहाँ. उसने ढ़ेर सारा वेर्य मेरी चुत मे डाल ही दीया. उसके लंड के बहार नीकलाते ही जो आदमी मेरे सतनों को लाल कर दीया था वो कूद कर मेरे जांघों के बीच पहुँचा और एक झटके मे अपना लंड अंदर कर दीया. उसका उतावलापन देख कर ऐसा लग रह था मानो कीताने ही दीन से भूखा हो. कुछ देर तक जोर जोर से धक्के मरने के बाद वो भी मेरे ऊपर ढ़ेर हो गया.
कुछ देर सुस्ता लेने के कारण जीस आदमी ने मेरे साथ मुख मैथुन कीया था उसका लंड वापस खड़ा होने लगा. उसने मुझे चौपाया बाना कर मेरे पीछे से चुत मे अपना लंड प्रवेश करा दीया. वो पीछे से धक्के मार रह था जीसके कारण मेरे बडे बडे स्तन कीसी पेड के फलों की तरह हील रहे थे.
"ले इसे चूस कर खड़ा कर," कह कर राज ने अपने ढीले पडे लंड को मेरे मुँह मे ठूंस दीया.
उसमे से अब हम दोनो के वीर्य के अलावा मेरे ख़ून का भी तसते आ रह था. उसे मैं चूसने लगी. धीरे धीरे उसका लंड वापस तन गया. और तेज तेज मेरा मुख मैथुन करने लगा. एक बार झाड होने के कारण इस बार दोनो मुझे आगे पीछे से घंटे भर ठोकते रहे. फीर मेरे ऊपर नीचे के छेदों को वीर्य से भरने के बाद दोनो बीसतर पर लुढ़क गए.
मैं बुरी तरह थक चुकी थी. मैं धीरे धीरे उनका सहारा लेकर उठी और बाथरूम मे जाकर अपनी चुत को साफ कीया. वापस आकार देखा की चद्दर मे ढ़ेर सारा ख़ून लगा हुआ है. मैं वापस बीसतर पर ढ़ेर हो गयी. खाने पीने का दौर खतम होने के बाद वापस हम बेडरूम मे आ गए.
उनमे से एक आदमी ने मुझे वापस कुछ देर राग्डा और हम नग्न एक दुसरे से लीपट कर सो गए. सुबह एक दौर और चला. फीर मैं अपने कपडे पहन कर घर चली आयी. कपडों को पहनने मे ही मेरी जान नीकल गयी. सतनों पर काले नीले जख्म हो रखे थे. कई जगह दांतों से चमडी कट गयी थी. ब्रा पहनते हुये काफी दर्द हुआ. जांघों के बीच भी सुजन हो गयी थी.
राज ने यह बात कीसी को भी नहीं कहने का अव्शाश्न दीया था. पता चलने पर शादी टूटने के चांस थे इसलीये मैंने भी अपनी जुबान बंद रखी. सुहाग रात को मेरे पाती देव से मैंने ये राज छुपाने मे कामयाब रही.
शादी के बाद राज देल्ही वापस चला गया. आज भी जब मेरी ननद कोटा आती है अपने मइके, राज मुझे कयी बार जरूर चोद्ता है...... हरामी साला !!!!!
कैसी लगी ज़रूर लिखिएगा !!
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