Thursday, March 20, 2008

अचानक एक शाम

अचानक एक शाम
शाम के छे बाज़ रहे थे. मैं घरसे निकला के town मे jaun और कुछ सामन बगीअराह खरीद्के ले आउ. मैंने town के बहार ही रूम भाडे पे लिया था, क्यों की मुझे सहर की भिड़ भाड़ पसंद नही और फिर town के बहर्वाले हिस्से मे ठंड अच्छी होती है. तो मैं अपने bike पे जा रह था.

सामने रस्ते के साइड मे एक महिला को देखा, वोह वहाँ अकेली खडी थी और sayed कीसी town bus का आनेका इंतज़ार कर रही थी. अब सुनसान सड़क पे एक अकेली औरत खडी हो यह तो अच्छा नही लगता है ना. तो मैंने गाडी को धीमा किया और उनके पास गाडी रोक के बोला, ''बेहेन जी town जाना चाहती है?'' अब उन्होने तो सिर हिलाके के हाँ करी, तो मैंने कहा, ''इतनी शाम हो गयी अपको गाडी कैसे मीलेगा?'' ओर वोह इधर उधर देखने लगी, मैंने कहा, ''बेहेन जी आइये, में उस तरफ ही जा रह हु, अपको कहीँ छोड़ दूंगा.'' उन्होने मेरे तरफ देखा. डरने की कोई वजह नही थी, क्यों की मैंने उन्हें बेहेन जी जो कहा था, तो वोह मेरे गाडी मे एके बैठ गयी.

अब वोह होंगी ३४ या ३५ साल की शादी शुदा औरत, माथे पे सिन्दूर था, सयेद घर का सामन लेने निकली होंगी. मैंने कहा, ''इतनी शाम को आप सहर क्यों जा रही है?'' वोह बोली सौदा करने. तो मैं बोला, क्या आप हमेशा ऐसे ही शाम को शोपिंग के लिए जाती है? तो वोह बोली, हाँ. मुझे अस्चार्य हुआ, तो वोह बोली में अकेली हूँ और दीन भर ऑफिस मे काम रहता है इसीलिये शाम कोही वक़्त मिलता है शॉपिंग के लिए. अच्छा ऐसी बात है. मैं गाडी चलाने लगा, और हम बस्स थोड़ी दूर गए थे तो उन्होने पुच्चा, आप क्या काम करते हो, तो मैंने कहा में डाक्टर हु. तभी मे बोलू इतना अच्छा byavhar भला और कौन कर सकता है. चलो आज डाक्टर साब की गाडी मे लिफ़्ट mili है ई म lucky. मैं हस पड़ा.

थोड़ी ही दूर गए नही थे की दुनिया भर की बातें करने लगी. अब मैं अकेले रहता था इसीलिये मुझसे बाते करने वाला कोई नही था, तो मुझे भी अच्छा लग रह था. थोड़ी देर मे ही बहुत अच्छी दोस्ती हो गयी.

हम मार्केट मे पहुंचे तो वोह बोली, "डाक्टर साब आपसे फिर कब मुलाक़ात होगी?" मैं बोला "कब मतलब? आप अभी कहीँ जा रही हो?" तो वोह बोली "नही, लेकिन मैं यहाँ शोपिंग करुँगी और फिर जाउंगी. आप का तो कहीँ काम होगा." मैंने कहा, "नही, मैं भी यहाँ शोपिंग करने आया हु और इसके बाद फिरसे उसी रस्ते घर चला जाऊंगा, आप अगर शोपिंग खतम कार्लो तो milke चले जायेंगे, मैं आप को घर के पास ड्राप कर दूंगा.'' वोह खुश हो गयी.

फिर सब्जी और मसाले बगैरह ख़रीद फारोद हुई, करीब आधे घंटे हम एक साथ मार्केटिंग कराने के बाद घर की और रवाना हुये. वोह फिर से बाते करनी लगी, के आप के यहाँ कौन कौन है आप को क्या खाना अच्छा लगता है..... मैंने कहा "मैं तो अकेले रहता हु यहाँ, रस्होई खुद ही कर्ता हु, जो रूखी सूखी बनता है उसीसे काम चला लेटा हु" तो वोह बोली "फिर आप शादी क्यों नही कर्लेते है?" मैं हस पड़ा और कहा "अभी तो मैं बच्चा हूँ, बड़ा बन jaun फिर शादी करुंगा." तो वोह भी हस पडी और बोली "तो आप बच्छा डाक्टर है, क्या?"

ऐसे ही बाते करते हुये हम उनके घर के पास अगये थे. वोह गाडी से उतारी और घर की चाबी खोलने लगी तो मैंने उनके सामन को हाथ में उठा लिया और जैसे ही उन्होने गाते खोला सम्मान को अन्दर रख के बहार अने लगा. तभी वोह बोली, "आप बहुत जल्दी मैं तो नही लगते डाक्टर साब. थोड़ी देर यहाँ आये हमारे साथ बैठे. आप ने हमारे लिए शॉपिंग करवाया, हम आप को एक कप चाय भी नही देंगे तो अच्छा लगेगा क्या?" मैं बोला, "आर्रे नही, मैं तो चाय ही नही पीता." वोह हस पडी और बोली "ओह मैं तो भूल गयी थी आप तो बच्चा डाक्टर है, तो दूध तो चलेगा ना?" मैना ना कह्दी. तो बोलने लगी, " आप चाय नही पीते दूध नही पीते तो इतना पढ़ाई कैसे करते है? आप का ध्यान पढ़ाई में कैसे लगता है?"

वोह अन्दर गयी तो मैं दीवारो पे टंगा हुआ तस्वीर को देखा रह था. उस कमरे मे कई ऐसे तस्वीर थे जिससे कोई आम आदमी दिखाना नही चाहेगा. लड़कियों के भडिले तस्वीरे थी वहाँ. पर उन्हें अच्छी तरह से छुपाने के प्रयास किये गए थे. मैं उस और देख ही रह था की वोह फिर आगयी और मेरे पास खडी हो के कहने लगी, "क्यों डाक्टर साब anatomy लड़कियों की पढ़ रहे हो?" मैं सरमा गया और उधर से ध्यान हटाने लगा. अब वोह मेरे पास बैठ गयी और मेरे हाथो मे bournvita की ग्लास थमा दी और हसते हुये बोली, "बच्चो की पहली पसंद, bournvita".

तभी मैंने उनसे उनके वारे मे पूछा तो बोली, "मेरे पती army मे है, कभी कभी ५ या ६ महिने मे एक दो बार आते है जाते है. बस उनकी पैसे से यह घर बाना दिया है इसीलिये रहना पड़ता है. मेरी एक बेटी है, जो अब residential school मे आठ्बी मे पढ़ती है. और में यहाँ अकेली रहती हु तो नौकरी कर लेती हु, सोचा घर बैठ के तो पागल ही हो जाउंगी." मैं सीर हिला के उनके बातो का समर्थन कर रह था. Bournvita खतम हुआ तो वोह बोली, "डाक्टर साब, मैं आप से एक request करूं तो चलेगा?" मैंने कहा हाँ तो बोली, "आज रात का खाना आप यहाँ ही खायेंगे." अब मैं तो वैसे ही रस्होई करना नही चाहता था तो मन कैसे कर्ता, पर गाडी मे सब समान थे तो मैं उन्हें घर पे रख के अने का वादा करते हुये घर चल पड़ा.

रात के साढ़े आठ बजने वाले थे तब मैं फीर उनके घर के सामने पहुँचा तो वोह बहार ही बैठी थी, मुझे देखके बोली, "मैं सोचती थी आप आएंगे के नही?" मैंने कहा "मैं एक बार कह दु तो उससे ठुकराता नही हु." रात के खाने मे कुछ इतना खास नही था, वही रोज़ वाली रोटी, तड़का दीया हुआ दाल फ्र्य और थोड़ी से सब्जी. पर वोह सब अच्छी थी. खाना खाने के बाद हम बैठक मे बैठ गए, और बातो का सिलसिला चलता रह. आरे यार लड़कियों की तो यही ख्वाशियत होती है, अनजान अदमीसे भी घंटो बाते कर लेते है. ऐसे बाते चलती रही पर मेरी नज़र दीवारों पे चिपकी उन तस्वीरों पे जाती रही. वोह हस्ती पर कुछ नही कहती. मुझे बहुत discomfort फील हो रह था.
और मुझेसे रह नही गया और मैंने पूछ ही लिया उन तस्वीरों की राज़. और वोह सरमा गयी. बोली, " मेरे पती के कारनामे है यह सब. उन्हें सब नंगी लड़कियों के तस्वीर अच्छी लगती है. घर मे बीवी के होते हुये भी वोह इनको देखके.... वोह कहते कहते रूक गयी. और में समझ गया वोह क्या कहना चाहती थी. फीर वोह बोली, " डाक्टर साब क्या मैं इतनी बुरी दिखती हु? पर मेरे पती को तो यह कैलेंडर वाली लडकियां ही पसंद है.
दो तीन दीन के लिए छूती लेके आएंगे, और में इंतज़ार करती रहूंगी के उनके साथ क्कुच समय बिताओ पर वोह इन छिपकलियों से चिप्केंगे, और ना जाने क्या क्या करेंगे......"

मैं उन्हें देखता रह. वोह ३४ या ३५ की होंगी. लंबी क़द थी करीब ५ फ़ीट ७ या ८ इंच की, सलीम और बहुत छोटे छोटे बूब्स थे, क़मर भी पतला था. यूं समझ लीजिये के वोह दूर से देखो तो इतनी बड़ी बेटी की माँ नही लागत थी. रंग थोडा सवला था पर कला नही. पर वैसे हो वोह बहुत एस*क्ष्य् थी. मैं यह सोच रह था के तभी वोह मेरे हाथ को हिलाके बोली, "डाक्टर साब किं खयालो में खो गए?" मैं कुछ बोल नही पाया. और वोह हस्ती हुई बोली, "अपनी girlfriyend के वआरे मे सोचते हो? सोचते होंगे के वोह सुन्दर है के यह लडकियां?" वोह हस पडी. मैं समझ नही पा रह था के इतनी दुःखी औरत इतनी खुछी से कैसे हस सकती है. मैं थोडा मुस्कुरा करा रह गया और बोला, "girlfriyend? पढ़ाई से वक़्त मिले तो किसीसे दीळ लागू ना. और वैसे भी मेरे परिवार वाले बहुत पुराने ख़यालात के है, वोह तो अर्रंगेद मैरिज ही करवाएँगे." तो वोह कुछ नही बोली. तभी रात दुस बजने को आये होंगे.

मैं बोला के अब घर जाना चाहिऐ. तो वोह बोली "आर्रे आज ही आपसे दोस्ती हुई है और आप दूर जाने की बातें करते है. बैठिये ना थोड़ी देर और बाते करते है. वहाँ कौन है ऐसा जो आपका घर पे इंतज़ार करा रह होगी या होगी?" मैं बैठ गया.

फिर इधर उधर की बाते हुई. तभी वोह बोली "डाक्टर साब आप सभी प्रकार के बीमारियों के इलाज़ कर लेते हो?..... हो सके तो मेरे पती का दीमाग को तो थिक कर्दो. जो फ़ीस बँटा है दूंगी. पर ऐसा कुछ दवाई देदो के वोह सिर्फ मुझे ही देखे मुझे ही चाहे. और इन लड़कियों से दूर रहे." तो मैं बोला, "इसमे कौनसी बड़ी बात है आप इन तस्वीरो को हटा दीजिये और देखिए वोह आप से ही बाते करेंगे, मिलेंगे भी, आप किसीसे कम थोड़ी ही ना है."

उनका मूड कुछ घबरा गया और वोह बोली, "अगर में इन तस्वीरो को छूँगी तो वोह मुझे मार ही डालेंगे." तो मैं भी घबरा गया और बोला, " तो लगता है अपके पती का दीमाग फिर गया है, एक औरत पे हाथ उठाते है.? जिनसे प्यार करना चाहिऐ उनसे मार मरते है. छी" तो वोह रो पडी. मैंने उनसे कहा ना रोने को लेकिन वोह रोते रहे. मैं उनके पास जाके उनको अपने बहो मे ले लिया और उनका सिर अपने कंधे पे रख के पीठ थाप थापी तो वोह रोती हुई बोली, "मेरी जिंदगी को नरक बाना दिया है इस जल्लाद ने. प्यार का नाम छोडो ऐसे बेहवे कर्ता है मनो मैं उसकी जूती हु. जब देखो मरता है. में भी औरत हु. मेरे भी कुछ अरमान है, इच्छ्हयें है. लेकिन वोह नही मानता."

मैं उन्हें दिलासा देता रह, और वोह मेरे बहो मे रोती रही. रात काफी देर होने चली थी. और वोह बोली "आप बिश्वास करे आज मैं बहुत खुश हु, क्यों के मुझे समझने वाला कोई मिल. आप कितने अछे है, मैं सोचती हु कास मेरे पती मे आप के जैसे कुछ गुण होते तो मैं कितना खुस होती. रात देर होने चली थी और में घर आना चाहता था, तो वोह मुझे दरवाज़े तक छोड़ने आयी. वोह बोली, "डाक्टर साब, कल शाम आप आइये जरूर, मैं अपके लिए खीर बनके रखूंगी."

दुसरे दिन रात को में फिर उनके यहाँ पहुंच गया, मुझे भी अच्छा लगता था उनका साथ, क्यों के में अकेला था और उनसे बाते करने के बाद बहुत अच्छा लग रह था. उसदिन वोह बहुत खुस दिख रही थी. पिछली रात को उनका रोना देख के मैं घबरा गया था. मुझे देखते ही वोह अन्दर ले गयी, मैं बैठक मे टीवी देख रह था और वोह कित्चें मे कुछ बाना रही थी. तभी टीवी पे एक गरम सीन चल रह था और में उससे देख रह था लेकिन सोचा के उनको बुरा लगेगा लेकिन वोह एके बोली, "डाक्टर साब सरमने की जरूरत नही है, आप इतने भी छोटे नही है के यह सब नही देख सकते." मैं देख रह था और वोह एके पास मे बैठ गयी.

तभी टीवी मे एक फ्रेंच किस की सीन आयी, मुझे uncomfortable लग रह था, लेकिन वोह्मेरे हाथ को पकड़ के देख रही थी. मेरी नज़र टीवी से उतर के उनके ओर जाने की कोशिस भी नही कर पा रह था. वोह बोली, कितना मज़ा आता होगा ना उनको. ऐक्टर है पर फिर भी मज़े लुट ते है और यहाँ लोग औरत को जूती समझ के पटक देते है. फिर उनका मूड घम्गीं होने लगा तो मैंने कहा आप इतना दुःखी क्यों होती है. सब के नसीब मे सब कुछ नही होता है. क्या पता आज जो आदमी आपको ऐसे बेहवे कर्ता है कल को वोह पुरा बदल सकता है भी"

"कब" वोह बोली, " जब में बुद्धि हो जाउंगी तब, या जब मेरी दील की साड़ी अरमान खतम हो जायेंगे तब. मुझे भी प्यास होती है, मन मे लहरें अति है, बदन की प्यास को बुझाना चाहती हु, लेकिन वोह......." मैं कुछ बोल नही पा रह था. तब उन्होने मेरे पास एके मुझसे जो बात कही उसको सुन के मेरे paon tale से जमीन खिसक गयी. मैं एक पल के लिए कांप गया. बदन से पसीना निकल गया.

वोह बोली, " आप बुरा मत मना डाक्टर साब, लेकिन जब आपने पहली बार मुझे अपने गाडी मे बैठ ने को कहा मैं मान गयी थी के यह आदमी अच्छा है, और आप से आज यह कहते हुये मुझे बिल्कुल अब्सोस नही होता है, के मैं आपको चाहती हूँ." मैं चौंक गया और बोला, "क्या? चन्ह्ती है?" तो वोह घबरायी हुई बोली, "आप मेरे बातो का अलग मतलब ना निकले. में यह कहने छाती थी के आप बहुत handsome है, और gentle, अपन्से तो कोई भी लडकी प्यार करना चाहेगी. मेरी तो उम्र हो चुकी है, और बच्ची भी, तो मैं प्यार कैसे करु. पर आप से में मन ही मन बहुत प्यार करती हु." मैं समझ नही पा रह था के यह क्या हो रह था मेरे साथ. मैं उनको देखा तो वोह मेरे और सर्माके देख भी नही सकी, मैंने पूछा, "आप साफ साफ बतेये आप क्या चाहती है. आप की षड्दे हो चुकी है, बच्ची है, फिर भी आप प्यार की बात करती है. मेरा तो अभी तक शादी नही हुआ है. ...."

वोह बोली "में कहॉ कहती हु के आप मुझसे शादी करो? मैं तो कहती हु, के आप मुझसे भी प्यार करो......मेरे बदन से प्यार करो......... जो बर्शो से नही हुआ............ ...वोह मेरे साथ करो.........." मैं समझ गया था के वोह क्या चाहती थी.
मैं सोफे पे बैठ गया, और वोह दीवार क पास खडी रही. मैंने सोचा, इसमे बुरा ही क्या है, उन्हें मेरी जरूरत है और मैं भी तो अकेला हु, इसमे कोई प्रॉब्लम ही नही. और मैं उठा, उनके पास गया, और उनको अपने छाती से बाँध के पकाद्लिया. वोह मुझे देखके सरमा गयी. और रूम के अन्दर घ्सुगायी और तला अन्दर से बंद कर लिया. मैंने पूछा तो कहने लगी, अभी आती हु इंतज़ार करो. टीवी पे वैसे ही चुम्मा चाटी चल रह था. मैं बथ्के देख रह था. तभी दरवाज़ा खोला.


मेरे पीछे वोह खडी थी, बिल्कुल ऐसे जैसे कपडे वोह दीवारों पे लगे पोस्टर मे लडकियां पहन ती थी. उन्होने ब्लौसे नही पहना था बस एक shadhee को अपने बदन पे लपेट के चली आयी थी. मैं उन्हें देखके हँसा तो उन्होने अपना काठ खोल दिया मेरे और बढाया, और shadhee निचे गिर गयी. वोह पुरी तरह नंगी मेरे सामने खडी थी. सच कहू मैंने सुना था के शादी के बाद औरत के बूब्स निछे खुल जाते है लेकिन् उनका बूब्स ताना हुआ था खड़ा हुआ मुझे इन्विते कर रह था. मैं उनके पास गया और उनके होठ से अपने होठ मिल लिए. फिर फ्रेंच किस मुझे करनी नही पडी वोह भूखी शेरनी की तरह मेरे होठ को कट ने लगी और मेरे मुह मे अपना जीव दल के मेरे जीव से खेलने लगी.

मेरे हाथ भला कैसे काबू मे रहते, उनके बूब्स के ऊपर जा के दबाने लगे थे, मैंने अपना सीर निचे किया और उनका एक बूब अपोने मुह मे लिया और चूसने लगा. मैं अपने हाथ से दुसरे बूब को मसलने लगा था. और वोह मेरे बदन से कपडे उतरने लगी थी. फिर मैं उनसे अलग हो गया और अपने कपडे उतर ने लगा तो मेरा लंड खड़ा हो गया था. उन्होने उसे देखा और बोली, " कितने दिन के बाद इसका दीदार हुआ है, आज नही छोडूंगी. फिर मैंने कहा पहले नहले. हम दोनो शोवेर के निचे नहाने लगे. साबुन लगा लगा के मैंने अपना लंड को साफ कर दिया, क्यों की मैं चाहता था वोह मेरे लंड को पहले अपने मुह मे ले, क्यों के मुझे हमेशा से ब्लू फिल्मू के उन सीन अछे लगते थे जिनमे लंड चुसयी होती थी.

में नहाके बहार आया तो तोव्ले को उन्होने खीच लिया, मेरा लंड फिर भी खड़ा था. वोह उसी अपने हाथ से सहलाती रही, फिर मुझेसे कहा, " महिनो हो गहई मुझे किसने चोदा नही है, आज आप मुझे चोदना, और इतना चोदना के में मर जून." मैं हसते हुये बोला, " अगर आप मर्जयेंगी तो मेरी डाक्टरी pe thu हौ, आप तो जीन्दा रहो ताकी में आप को हमेशा खूस कर सकू. पर पहले अप्प को मेरे बच्चे (लंड को दीखते हुये बोला) से पुछीनी होगी उअर प[हीर कुछ और. तो उन्होने मुझे साथ लेके बिस्तर पे गयी, रात हो चुकी थी इसीलिये ठण्डा था रूम, वोह मुझे बिस्तर पे लीटा के मेरे लंड को मुह मे लिया, तो मेरे लंड मे बब्बल मच गया. मेरे धड़कन के साथ ही साथ लंड में भी पुल्से अने लगी. पर वोह धीरे धीरे करके मेरे लंड को चुस्ती हुई पुरी अपने मुह मे भर लिया और फिर अपने जीव से मुझे वोह मजे दिए जिनकी कल्पना मैं कभी किया नही था. यकीन कीजिये, करीब ए क घंटे तक वोह सिर्फ चुस्ती रही. मैंने उनके चूत मे हाथ डाला तो वोह चौंक गयी.

मैंने कहा, "बहुत भूखी है क्या आप? अगर अप्मे भूख है तो हम भी प्यासे है, हमें भी तो मौका मिले." तो वोह मेरे लंड को छोड़के ऊपर अने लगी तो मैंने कहा, " आप चालू रहिए मैं ही मुड़ जता हु," और ऐसे ही हम ६९ हो गयी और एक दुसरे को चूसते रहे. रात के साढ़े आठ होने चला था, घर मे रशोई भी नही हुई थी, और हम दोनो एक दुसरे को खाए जा रह ए थे. फिर जैसे ही मैंने अपने जीव से उनकी clitosris को चाटा और फिर दबोचा वोह मरमर गयी, और मेरे लंड को जोर जोर से चूसने लगी. मैं फिरसे उनके चूत मे जीभ दल्के जैसे ही गुदगुदी की वोह फिरसे जोर जोर से चूसने लगे. अब उनके छुट से पानी बहना सुरु हो गए था. सयेद वोह सिर्फ सुक करके ही मज़े ले रही थी और उनका पानी निकला गया था. तब मैंने अपने दो उँगलियों को उनकी छुट मे घुसेड दी और जोर जोर से अन्दर बहार करने लगा, तो उनके बदन मे एक भूचाल से आगया और वोह झाड़ गयी.

थोड़ी देर चुप चाप पडी रही फिर वोह बोली, "डाक्टर साब, आप कमाल है, ठीक दबाई देना जानते है. मैंने बहुत दिनों से कुछ किया नही था, फिर भी आपने मेरी पानी निकल दी. मेरे पती का तो मुह मे लेते ही पानी निकल अता है और में अपकी चूस रह हु डेढ़ घंटे से आप का तो कुछ अभी तक नही निकला है. मैंने कहा, "यह तो कण्ट्रोल pe तय है. मैं चाहता था के अपको ख़ुशी मिओले सो मिल्गाया. और अब मेरी बरी." वोह उठी kitchen मे गयी और bournvita ले आयी, में उसी पी रह था तभी वोह फिर से मेरे लंड को मुह मे लेने लगी. थोड़ी देर मे ही मेरा शेर खड़ा हो गया. इस बार में मजे ले रह था, तो उन्होने कहा, "मुझे टीवी pe लंड चुअस्यी स्सनेस अच्छी लगती है." यह सुनके मेरे बदन मे आग लग गयी और यूं लगा जैसे मे झड़ने बाला हु, तभी मैंने कहा, "अब मैं और नही रोक सकूँगा, मेरा तो पानी निकलने वाला है, आप छोड़ दीजिए." पर वोह जोस भरी हुई जोर जोर से चुस्त ई थी तो मैंने फिरसे कहा, तो उन्होने ऊपर देखके हस्दी औरो बोली, "तो क्या हुआ, मैं पी जाउंगी. देखू तो सही यह इंजेक्शन मीठा है के कड़वा"

और संभला नही गया और थोड़ी देर मे ही एक झटके मे मेरा पुरा पानी उनके मुह मे चला गया. और वोह मुह को खोलें भी नही और पुरा पी गयी. में झाद्गाया था. अब हम दोनो थक गए थे. घड़ी देखी तो साढ़े नौ बाज़ चुके थे. मेरा घर जाने का इरादा बदल चूका था. और वोह kitchen मे जाके डिनर की तयारी में जुट गयी थी. मैं बाथ रूम मे जाके नहाने लगा.

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