Sunday, March 16, 2008

मौसी की धमाकेदार चुदाई

मौसी की धमाकेदार चुदाईदोस्तो .ये कहानी आज से क़रीब १८ साल पहले की है..तब मै इंजीनियरिंग के अन्तिम वर्ष मे था, उस दिन रविवार था मेरे माता पिता और बहिन एक रिश्तेदार की यहाँ जाने वाले थे..मै उनके साथ नही गया..क्युकि मेरे टेस्ट चल रहे थे..वैसे पेरी तय्यारी पूरी थी..और ना जाने का कारण दूसरा ही था. दरअसल पिछले तीन दिनों से मै अपने लंड मे बहुत तनाव महसूस कर रहा था.. मेरे क़रीब सभी दोस्तों की गर्ल फ्रेंड थी और वो सेक्स का मजा भी लेते थे..लेकिन मै थोड़ा डरपोंक किस्म का था..इसलिए किसी लड़की से मेरी दोस्ती नही थी..और बाहर सेक्स करके बीमारी का खतरा था..सो मै उस दिन घर पर रूका .सबके जाते ही मै विडियो शॉप से एक इंडियन ब्लू फ़िल्म ले आया..लौटते वक्त अचानक बारिश शुरू हो गई मै पूरा भींग गया ..घर पहुंच कर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए..और बिल्कुल नंगा होकर फ़िल्म चालू कर दी..फ़िल्म इंडियन थी और उसमे नायिका भी देसी थी..साड़ी वाली फ़िल्म के शुरू मे चूमा चाटी के बाद फ़िल्म के हीरो ने लड़की की साड़ी खोलनी शुरू की..ये मेरा सबसे प्यारा काम था..मुझे साड़ी वाली औरतों को देख कर ज्यादा लंड सनसनाता है..फ़िल्म मे उस लड़की की बहुत अच्छे से चुदाई दिखाई थी जिसे देख कर मेरा लंड भी फन फनाकर उछल रहा था..मै उसे हाथ से सहलाता रहा..इसी तरह पूरी पिक्चर मैंने देख ली.. अब मै अपने लंड को जोर जोर से हिला रहा था..उसी वक्त दरवाजे की बेल बजी..मै डर गया..जल्दी से टीवी बंद किया मेरा बाथ रॉब पहना और लंड को दबाते हुए दरवाजे के पास आया...फ़िर दरवाजा खोला..दरवाजा खोलने के बाद मेरे होश उड़ गए..सामने मम्मी की कजिन याने मेरी मौसी खड़ी थी..शायद वो कही आस पास ई थी और बारिश मे भीग गई थी..उनकी उमर ज्यादा नही सिर्फ़ ३८ साल की थी..लेकिन वो उतनी लगती नही थी..मेरे साथ तो उनका मजाक का भी रिश्ता था..उनकी १२ साल की एक लड़की थी और वो ख़ुद तलाकशुदा थी..वैसे तो मम्मी की बहिन होने के नाते मेरी मौसी ही थी..लेकिन आज उन्होंने हरे रंग की जो शिफान की साड़ी पहनी हुयी थी वो पानी से उनके पोर्रे बदन से चिपकी हुयी थी और उनके छरहरे बदन को उजागर ही कर रही थी..शरीर हा हर कटाव हर गोलाई साफ नजर आ रही थी..और इसने मेरे लिए आग मे घी का काम किया.., उन्होंने कहा वो किस इंटरव्यू मे जा रही है.. और ये नौकरी उनके लिए बहुत जरुरी है..इसलिये वो कपड़े बदलना चाहती है..उनके ब्लाउज के अन्दर से काली ब्रा साफ नजर आ रही थी, वैसे तो उनके मम्मे मुझे कभी ख़ास नही लगे लेकिन आज वो मुझे बुला रहे थे..ब्लाउज पुरा गीला हो चुका था, और चुन्चियो के निपल भी अपनी मौजूदगी का अहसास दिला रहे थे..मेरा लैंड काबू से बाहर होता जा रहा था..जिसे मैंने दबाये रखा था..वो सीधी बाथरूम की तरफ़ जाने लगी..मैंने देखा उनके मांसल नितम्ब मटकते हुए हिल रहे थे..गांड का कटाव उफ़.. और वो पतली सी कमर..दिल कर रहा था अभी जा के पीछे से जकड लूँ..और चूमते हुए उन्हें बेडरूम मे ले जाकर जबर्दस्त चुदाई कर दूँ..मई जनता था की मेरे मन मे ग़लत और गंदे ख्यालात आ रहे है..लेकिन..शायद उन्हें भी मेरे सामने इस तरफ़ थोड़ी शर्म आई होगी..लेकिन लेकिन मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था..अब तो सिर्फ़ लंड ही सोच रहा था..और उसे चूत के सिवा कुछ नही सूझ रहा था.. तो क्या ग़लत है और क्या सही ये मुझे समझ मे नही आ रहा था..
जैसे ही उन्होंने बाथरूम मे जा कर दरवाजा बंद किया..मैं सोचने लगा की मौसी नंगी होने से कैसी दिखाती होगी..और ये सोच कर ही लंड उछल पडा..किसी तरह उसे दबाया फ़िर आंखो के सामने उनकी नोंकदार चुंचिया आ गई..दिल कर रहा था की काश उन्हें पीछे से पकड़ लूँ और सामने हाथ बढ़ा कर मम्मे दबाऊ..फ़िर बिस्तर पर नंगी कर के अच्छे से चुदाई करूं ..मैंने आज से पहले उन्हें इस नज़र से कभी नही देखा था..आज मैं सारे रिश्ते भूल गया था मेरे सामने वो एक मादा थी और मैं एक कामांध नर जो उन्हें मसल के चोदना चाहता था..मेरी सोच जारी थी..तभी वो बाथरूम से सिर्फ़ एक टॉवेल लपेट कर बाहर आई..जो की काफी छोटा था..और हमेशा बाथरूम मे टंगा रहता था..उसमे उनकी आधी चुंचिया ही ढँक पाई थी..उसके बीच की घाटी साफ दिखाई दे रही थी..और नीचे कमर से थोड़ा नीचे का भाग ढंका हुआ था.उनकी चूत से थोड़ा ऊपर तक..उनकी चिकनी और बाल रहित जान्घे और पैर एकदम खुले थे..मैं इस ख़्याल से ही रोमांचित हो गया की घर मे हम दोनों हे अधनंगे और अकेले थे..उनके बदन के हर अंग से सेक्स बरस रहा था..मैं मंत्रमुग्ध हो कर उनके इस अधनंगे हुस्न को निहार रहा था..उनकी गोरी त्वचा और उसकी चिकनाई जैसे सिल्क का एक चादर हो..वो मेरे सामने खड़ी हुई और टॉवेल को एक हाथ से पकड़ा फ़िर मुझसे कहा की ,अम्मी के कप बोर्ड से एक ब्लाउज , ब्रा और साड़ी उन्हें निकाल के दूँ..जहाँ खड़ी हो कर वो मुझसे बात कर रही थी वहीँ कोने मे एक लंबा मिरर लगा हुआ था और मैं उसने उनके दूधिया चूची को साइड से देख रहा था..मुझे उनके गहरे भूरे रंग के निपल भी दिख रहे थे..मैंने देखा उनके मम्मे एकदम एवरेज साइज़ के थे..और अभी तक लटके नही थे.. लेकिन बहुत ही गोलाई मे थे..मैंने उन्हें पूंछा और कुछ चाहिए..?उन्होंने कहा उन्हें पैंटी भी चाहिए..लेकिन मेरी मम्मी की पैंटी उन्हें फीट नही होगी क्युकी मम्मी की गांड उनसे बहुत बड़ी है..चूँकि वो मुझसे खुली बात करती थी इसलिए ये बात उन्होंने हंसते हँसते मुझसे कही.और वो मुझे अभी भी अपने भांजे की नजर से देख रही थी..लेकिन मैं आज उन्हें मौसी की नजर से नही देख पा रहा था..मेरे सामने तो बस एक औरत का जिस्म था आधा नंगा उफ़ उनके बदन की को मादक गोलाईयां नितम्बो का वो उभरापन स्तनों के बीच की घाटी..और केले के खंभे जैसी चिकनी गोरी गोरी जांघें ..ये नज़ारा देख कर मेरा लंड काबू से बाहर होता जा रहा था.. उस आईने मे मैं उन्हें नंगा ही कर चुका था..उन्हें मैं इस तरह देख रहा हु ये शायद अभी तक उन्होंने सोचा भी नही था..मैं अपनी मम्मी के कपबोर्ड के तरफ़ गया और साड़ी और ब्लाउज तो निकला लेकिन ब्रा मुझे वहाँ नही मिली..मैंने उनके तीन ब्रा धुलाई के कपडो के साथ देख चुका था..दरअसल मम्मी अपनी पैंटी और ब्रा किसी दुसरी जगह रखती थी जो मुझे मालूम नही थी..मैंने ऊपर के खाने मे टटोला तो उनकी पुरानी ब्रा और कुछ पुराने कपडे दिखे, जो की वो कभी पहनती नही थी,और ये ब्रा बहुत ही पतले कपडे की थी उसका स्ट्रेप बहुत छोटा सा था और उसका एलास्टिक भी ख़राब हो चुका था..., मैंने वो मौसी को दिए मैं बाहर आ गया..थोड़ी देर मे मौसी ने मुझे बुलाया और दिखने लगी की वो ब्रा उनके शरीर पर कैसी लग रही है..उन्होंने ब्रा पहन रखी थी..और हंस रही थी..असल मे वो उन्हें ढीली हो रही थी और उनकी चुन्चियों से नीचे लटक रही थी..पूरी चुन्ची खुली थी सिर्फ़ घुन्डियाँ ढकी हुयी थी...वो भी ब्रा के उपरी भाग के टिके हुए रहने के कारणये देखकर मैं सच मे गरम हो गया..और लंड लोहे के रॉड जैसा सख्त हो गया.. मेरे होंतो पर नकली हँसी लाते हुए मैं खडा रहा..उन्होंने कहा की पहले मेरी मम्मी और उनके ब्रा साइज़ एक से थे..उनके 36 C थे मौसी के 36 Dउन्होंने हँसते हुए कहा "शादी के बाद तुम्हारी मम्मी ने बहुत ज्यादा सेक्स का मजा लिया लगता है..इसीलिये उसके साइज़ 42d हो गया है " ये सुन कर मैं एकदम संन्न हो गया क्युकी आज से पहले इस तरह की बात उन्होंने मेरे साथ कभी नही की थीवो शायद भूल गई की वो आधी नंगी खड़ी है और मैं एक जवान लड़का हूँ...मेरे मुह मे पानी आने लगा उनका ये हुस्न देख कर..थोड़ी देर बाद मैं अपने बहन के कप बोर्ड से ३४ साइज़ के ब्रा उन्हें ला दी उन्होंने उसे मेरे सामने ही पहना और कहा "ये फ़िर भी ठीक है, क्युकी ये कम से कम इन्हे पकड़ कर तो रख सकती है, और जानते हो मुझे ऐसा लग रहा जैसे कोई इन्हे दबा रहा है.." ये सब सुन कर तो मैं अपने आप पर काबू नही रख पा रहा था..मैं मेरे लंड के झटके अब नही सम्हाल पा रहा था. मेरा 7.5 इंच का लंड मैं कैसे छुपाऊं ...और मैंने सिर्फ़ मेरा बाथरोब लपेटा हुआ था.. जो की सामने से खुला हुआ था..मैंने दोनों पैरों को एक के ऊपर एक रखा और सोफे पर बैठ गया..अब उह्नोने कपडे पहन लिए और जाने के लिए तैयार हुई और मुझसे कहा की दरवाजा बंद कर लो..जैसे ही मैं उठा..मेरा लंड उछल कर बाहर आ गया..और उसने मेरे कड़क लंड को देखा जो की उनके तरफ़ निशाना ले रहा था..मैं थोड़ा सा निराश हो गया..उन्होंने कहा.. कोई बात नही अब मैं जा रही हूँ तुम अकेले हो चाहो तो दिन भर नंगे रहो कोई नही देखेगा..और एक अज्ज़ब से मुस्कराहट बिखेर कर चली गयी.जैसे ही वो निकल गई मैंने दरवाजा बंद किया और फ़िर से वोही फ़िल्म चालू कर दिया और अपने लंड को हिलाने लगा..और फ़िर आज तो मैंने एक औरत की चूची और उसके नितम्ब और चिकने सेक्सी पैरो को देखा था..इसलिये मेरा लंड और ज्यादा कड़क हो रहा था, जैसे ही मैं झड़ने के क़रीब आया मुझे याद आया की मौसी के कपडे तो बाथरूम मे ही है.. मैंने लंड हिलाना बंद किया ..मेरे भीतर क्या हो रहा था ये आप समझ सकते है..इतने बार झड़ने के क़रीब आकर मैंने मूठ मरना रोका..मेरे भीतर लावा भड़क रहा था बाहर निकलने के लिए..मैं जल्दी से बाथरूम मे गया..और उसकी पैंटी और ब्रा को ले कर आया मैंने पैंटी को सूंघा बड़ी ही कामोत्तेजक सुगंध थी. उसमे बीच मे एक पीलापन था.जिस जगह उसकी चूत और गांड रहती है वहीँ पर..ब्रा मे भी पसीने की और पाउडर की मिली जुली खुशबू थी..मुझे ऐसा लगा मैं सच मे उसके मम्मे की खुशबू ले रहा हूँ.. मैंने उसकी पैंटी पहन ली उसके उस पैंटी के अन्दर मेरा खड़ा लंड टेंट बनाये हुए था..और वो मैंने आईने मे देखा..और मैं उसे वैसे ही मसलने लगा ..और उसकी पैंटी मे मैंने अपना पूरा माल निकाल दिया..पूरी पैंटी भर गई...मैं काफी देर से उत्तेजित था..इसलिये मेरा माल भी बहुत सारा निकला.. थोड़ी देर मैं वही पलंग पर लेटा रहा ..लेकिन उठाने के बाद मुझे थोड़ी शर्म महसूस हुई और ग्लानी भी हुई..मुझे डर लगने लगा...मैं नही जनता था की पैंटी की ये हालत देख कर मौसी क्या सोचेंगी..क्या मेरे मम्मी डैडी से सब कह देंगी या मुझे झापड़ मरेंगी..और फ़िर कभी बात नही करेंगी..ये सब ख़्याल मेरे दिमाग मे आ रहे थे..मैंने दोनों को (पैंटी और ब्रा) पलंद के ऊपर सूखने के लिए रखे और पंखा तेज चला दिया..तभी मेरे मम्मी का फोन आया..उन्होंने सब ठीक है या नही ये पूंछा फ़िर कहा की वो लोग कहीँ और भी जाने वाले है और थोड़ी शॉपिंग भी करनी है इसलिये रात मे देर से लौटेंगेइसके बाद मैं अपनी बेवकूफी के बारे मे सोचने लगा..क़रीब एक घंटे के बाद मौसी वापस आई. वो काफी खुश थी.उन्होंने बताया की उन्हें वो जॉब मिल गया है..मैंने उनकी तरफ़ देखा तो उनके ऊपर कुछ कीचड के छींटे दिखे..मैंने पूंछा ये कैसे हुआ ? उन्होंने कहा ..एक मोटरसाइकिल वाले ने तेजी से जाते हुए ये किया है..और अब वो नहाना चाहती है.उन्होंने कहा की वो गरम पानी से नहायेंगी क्युकी बारिश गिरने से माहौल भी ठंडा हो गया था..इसलिये गिज़र चालू कर दूँ मैंने कहा गिज़र तो ख़राब है..उन्होंने कहा मैं बाथरूम मे हूँ तुम गैस पर पानी गरम कर के मुझे ला दो. मैंने गैस पर पानी गरम किया और फ़िर एक बाल्टी मे दाल कर बाथरूम के दरवाजे को खटखटाया ..उन्होंने दरवाजा खोला और कहा की अन्दर ला के रख दो..क्युकी मेरे कमर मे दर्द है और मैं बाल्टी नही उठा सकती..अब मेरा लंड फ़िर से खड़ा होने लगा..मुझे मालूम था की वो अन्दर किस हालत मे होंगी..और बाथ रूम का दरवाजा खोलते ही बांये तरफ़ कमोड था और कमोड की तरफ़ मुह किया तो दाहिनी तरफ़ नहाने की जगह थी..इसका मतलब मुझे बाल्टी अन्दर तक ले जाना था.. मैंने फ़िर पूंछा क्या मैं अन्दर आ जाऊं ? उन्होंने कहा ये तो तुम मेरी मदद करने के लिए कर रहे हो..मैं अन्दर घुसा..ऊफ्फ वो अन्दर पूरी नंगी थी..लेकिन दुसरी तरफ़ के दीवार के पास खड़ी थी..उनका चेहरा दीवार की तरफ़ था और एक हाथ से वो अपनी गांड के छेद को ढांके हुई थी..मैं मुड़ा लेकिन उनके मस्त सेक्सी निताम्बो को देखने से ख़ुद को नही रोक पाया..अब मैंने सोच लिया की अगर आज नही तो कभी नही..मैं अपने घुटनों के बल झुका और मेरा एक हाथ उनके चिकने गोरे जांघों पर फेरते हुए उनकी चूत तक सहलाया..उनकी चूत एकदम चिकनी थी..एक भी बाल नही था..और फूली हुयी चूत थी..मेरे हाथों ने चूत की दरार को महसूस किया..बिल्कुल किसी कुंवारी की कसी हुयी अनचुदी चूत जैसी चूत थी उनकी..ये सब मैंने अचानक किया और उन्हें कुछ सोचने का टाइम भी नही मिला..उन्हें तो जैसे बिजली का झटका लगा और क़रीब १० सेकेंड के बाद उनके मुह से सीत्कार निकली. सी सी स् .स्.स्.स्.स्..स्.और उनकी साँस भारी हो गई.. उन्होंने सिर्फ़ आह्ह ..संजू..उफ़..ना..कर..इतना ही कहा..मैं सहलाता रहाअब उन्होंने पीछे देखा और कहा संजू मैं तेरी मौसी हूँ..ये ठीक नही है..आह्ह्ह.., लेकिन मैंने उनकी बात को सुनी अनसुनी कर दी.. उन्होंने मुझे हटाने का कोई प्रयास नही किया..लेकिन मेरा सहस बढ़ते देख उन्होंने अपनी गांड से मुझे पीछे धकेला मैं बाथ रूम के फर्श पर गिर पड़ा और तब मैंने उनकी मस्त निताम्बो और गांड का पूरा नज़ारा देखा..नितम्ब जैसे दो पहाड़ थे और और गांड का गुलाबी छेद उसके बीच मे , उसपर चारों तरफ़ थोड़े बाल थे..लेकिन वो हलके हलके से.मुझे धकेल कर वो रुकी नही.. बाथरूम से निकलकर वो सीधे उस कमरे मे आई और बेड पर बैठ कार अपनी पैंटी उठाकर पहनने लगी, मैं अब काफी गरम हो चुका था और इस अधूरे मोहीम मे खतरा भी था..किसी भी तरह मौसी की चुदाई तो करना ही था..मैंने अपना बाथरोब निकाल दिया और मेरा फनफनाता ७.५ इंच का लंड हिलाते हुए उनके पास पहुँचा , वो पैंटी पहनने के लिए झुकी थी..मैंने उन्हें वैसे ही बेड पर धकेल दिया अचानक हमले से वो बेड पर गिर पड़ी..उन्होंने पैंटी आधी ही पहनी थी सिर्फ़ घुटनों तक..मैंने दोनों हाथ पकड़ कर उन्हें बेड पर इस तरह लिटाया था की उनके पैर जमीन पर लटक रहे थे..और बाकी का हिस्सा बेड पर था..पीठ के बल ,,ओह्ह..मैंने अपनी जिंदगी मे पहली बार चूत के दर्शन किए..असली चूत..वैसे तो ब्लू फ़िल्म मे देख चुका था..लेकिन ये तो उनसे भी ज्यादा प्यारी चूत थी..एक नंगी चूत..मेरा लंड तो आपे से बाहर हो गया..थोड़ी देर पहले मैंने इसी चूत को सहलाया था..लेकिन तब मुझे सामने का ये खूबसूरत नज़ारा नही दिखा था..मैंने मेरा मुँह उनके मस्त चुंचियों के बीच मे घुसेड दिया..और मेरे नाक से उन्हें गुदगुदाने लगा वो अपने पैरो को जोर से पटकते हुए छुड़ाने की कोशिश कर रही थी..उसने कहा..संजू..ये ग़लत है..मैं तुम्हारी मौसी हूँ..मुझे ख़राब मत करो..लेकिन मैंने एक ना सुनी..अब मैंने उनके अंगूर जैसे निपल को मुँह मे ले लिया..और दोनों को बारी बारी से चूसने लगा..अब उनके पैर पटकने की स्पीड भी कम होने लगी थी..लेकिन वो कह रही थी..प्लीज़ संजू..आह्ह..मुझे छोड़ दो..उफ़..आह्ह.., अब मैंने उनके निप्पल को हलके से काटना शुरू किया दांत गडाते हुए.. अब वो भी गरम होने लगी थी..क्युकी उनके निपल अब कड़े होने लगे थे..और मैं मुँह मे ले कर चूसे जा रहा था..अब उन्होंने विरोध करना पूरी तरफ़ बंद कर दिया और आँख बंद कर के अआछ..ऊह्ह..चुस्सो..जोर से दबाओ..हाय..स्.स्.स्.स्.स्..संजू..जू.जू..और मेरा सिर अपने चूची पर दबाने लगी..थोड़ी देर के बाद उन्होंने मेरा सिर ऊपर किया और कहा..अब इन्हे चूसना बंद करो और मेरी चूत का ख़्याल करो.. .ये बहूत दिनों से प्यासी है..मैंने उन्हें ठीक से लिटाया..घुटने मोड़ दिए और उनके चूत पर मुँह रखा..आह्ह्हा क्या सुगंध और क्या स्वाद था..उनकी चूत ने जूस निकालना शुरू कर दिया था..और बहूत गीली थी........cont

No comments:

Post a Comment

कामुक कहानियाँ डॉट कॉम

राज शर्मा की कहानियाँ पसंद करने वालों को राज शर्मा का नमस्कार दोस्तों कामुककहानियाँब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम में आपका स्वागत है। मेरी कोशिश है कि इस साइट के माध्यम से आप इन कहानियों का भरपूर मज़ा ले पायेंगे।
लेकिन दोस्तों आप कहानियाँ तो पढ़ते हैं और पसंद भी करते है इसके साथ अगर आप अपना एक कमेन्ट भी दे दें
तो आपका कया घट जाएगा इसलिए आपसे गुजारिश है एक कमेन्ट कहानी के बारे में जरूर दे

460*160

460*60

tex ade

हिन्दी मैं मस्त कहानियाँ Headline Animator

big title

erotic_art_and_fentency Headline Animator

big title