Monday, March 24, 2008

रेल यात्रा

रेल यात्रा

मेरा नाम मानिक कपूर है। मै पेशे से एक फोटोग्राफर हूँ मुम्बई मे रहता हूँ।मेरा अक्सर शूटिंग के लिये बाहर जाना होता रहता है। ऐसे ही एक शूटिंग के लिये मै एक बार गोवा गया था। मेरे लिये यह एक बहुत ही मजेदार अनुभव था। अपनी शूटिंग के बाद कुछ दिन के लिये मै अकेला गोवा मे रूक गया था। मैने टे्रन से आने का फैसला किया। मैने ए सी कम्पार्टमेण्ट मे अपने लिये एक सीट रिजर्व कराया। यह गोवा का ऑफ सीजन था इसलिये टे्रन मे बिल्कुल भी भीड नहीं थी। मुझे बहुत आसानी से टे्रन का टिकट मिल गया। शाम को छ: बजे मेरी टे्रन मडगाव स्टेशन से छूटी। मेरे कम्पार्टमेन्ट मे मुझे सिर्फ दो लोग दिखे लेकिन उनकी भी सीट डिब्बे के दूसरे कोने मे थी। टे्रन वहॉ से चली और कुछ देर मे ही कोइ स्टेशन आया। जहॉ पर एक लडकी जो कि बहुत ही मार्डन ड्रेस मे थी मेरे कम्पार्टमेण्ट मे आयी और मेरे भाग्य से उसकी सीट मेरे सीट के बगल मे थी। उसने मेरे केबिन मे प्रवेश किया। वह मुस्करायी और उसने अपना हाथ आगे बढा दिया।

हाय मै आलीन ।

मै भी मुस्कराया मन ही मन मुझे खुशी हो रही थी चलो अब मेरा रास्ता कम बोरिग होगा। हम दोनो का वार्तालाप शुरू हुआ। वह काफी बोल्ड किस्म की लडकी थी। उसका सेक्सी फिगर मुझे उसकी तरफ लगातार आकर्षित कर रहा था। बातो बातो मे हम एक दूसरे के बारे मे काफी कुछ जान गये थे। वह मॉडलिग के लिए मुम्बई आ रही थी। इसके पहले उसने एक दो एडवरटीजमेन्ट मे काम किया था। मेरे बारे मे जानने के बाद उसने मेरे मे ज्यादा इन्टे्रस्ट लिया। मेरे केबिन की हल्की नीली लाइट ऑन थी उसने केबिन का कर्टन खींचा जिससे हमे बाहर से कोइ अवरोध न मिले।वह मेरे सीट पर बैठी थी हम दोनो काफी पी रहे थे। हम दोनो की बाते और आगे बढी और फिर फ्िल्म इन्डस्ट्री और उसके आकर्षक लाइफ के बारे मे होने लगी। रात काफी हो चुकी थी हमारे डिब्बे मे जो भी दो चार लोग थे अपने केबिन मे सो चुके थे। क्योकी कहीं से कोइ आवाज नही आ रही थी। हम दोनो अभी भी अपनी बातो मे मशगूल थे। वह मेरे से काफी सटकर बैठी थी जिससे हम टे्रन के झटको से कभी कभी हल्के से छू जाते थे। अचानक मैने उसके हाथ को अपने हाथ पर पाया मैने उसकी तरफ देखा वह मुस्करायी बस मुझे हरी झंडी मिल गयी।

मैने उसका हाथ अपने हाथ मे ले लिया और चूम लिया। उसके कन्धो पर अपना हाथ रखकर उसे अपनी ओर खीच लिया। वह आसानी से मेरे ऊपर आ गिरी। मैने उसके होठो पर अपने होठ रख दिये। उसके होठ बहुत ही मुलायम और गुदाज थे। उसकी सॅासे काफी गरम थी। मै उसके निचले होठो को अपने दोनो होठो के बीच रखकर उन्हे चूसने लगा। उसके हाथो की अंगुलियॉ मेरे बालो मे उलझी हुई थी। उसने मेरी जीभ को अपने मुॅह मे लिया और बहुतही मजेदार ढंग़ से चूस रही थी। मेरा प्राइवेट अंग पैन्ट के भीतर उफान मार रहा था।

मेरा हाथ उसकी पीठ पर द्यूमते हुये उसकी कमर के नीचे तक पहुॅच गया। मैने अपना हाथ उसकी टाईट टी शर्ट मे डाल दिया। धीमे धीमे मेरा हाथ उसकी दोनो गोलाइयो के नजदीक तक पहुॅच गया। मेरे हाथ उसकी ब््राा को महसूस करने लगे। मै उसकी दोनो गोलाइयो को अपने हाथो मे लेने की कोशिश कर रहा था लेकिन वे इतनी बडी थी कि मेरे हाथो मे नही आ रही थी। इस बीच हम दोनो ने एक दूसरे को चूमना जारी रखा। उसकी हरकते मुझे ब्हुत ही ज्यादा उत्साहित कर रही थी।

अचानक मैने महसूस किया कि उसका हाथ मेरी पैन्ट पर पर था। मेरा प्राइवेट अंग मेरे पैन्ट को फाडकर बाहर आने को तैयार था। वह मेरे सख्त हो चुके अंग को मेरे पैन्ट के ऊपर से रगड रही थी। उसने मेरी पैन्ट की जिप खोल दी और अपना हाथ मेरे पैन्ट के अन्दर डाल दिया और मेरे जननांग को पकड लिया। मेरी हालत बहुत बुरी हो रही थी। उसने मेरी पैन्ट खोल दी और अन्डरवियर को नीचे की तरफ सरकाकर मेरे जननांग को पकड लिया। मै अपनी सीट पर ही बैठा था वह अपनी जगह से उठी और मेरे जननांग को उसने अपने मुॅह मे ले लिया। वह बहुत हॉट थी उसका यह सब करना मुझे और उत्तेजित कर रहा था। मुझे लगा कि अगर मैने उसे अपने जननांगो से और खेलने दिया तो मेरा वीर्य बाहर आ जायेगा।

मैने उसे उठाया और अपनी सीट पर वापस बिठाया मैने उसके टी शर्ट को ऊपर करके उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। उसकी दोनो बडी बडी खूबसूरत गोलाइयॉ मेरे सामने बिल्कुल फ्री होकर झूलने लगी। उसकी गोलाइयॉ एकदम टाइट थीं मै उन्हे अपने हाथ मे लेकर दबाने लगा। उसके चेहरे पर मै बेचैनी का आलम देख रहा था। मैने उसके एक निप्पल को अपनी अंगुलियो मे लेकर उसे धीमे से मसला। उसके मुॅह से एक आह की ध्वनि निकल गयी। मै झुककर उसके दूसरे निप्पल को अपने मुॅह मे ले लिया और उसे अपनी जीभ से सहलाने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था कि उसके बूब्स अब और बडे हो गये थे।

अब मेरे हाथ उसके जॉद्यो से होते हुये उसके गुप्तांगो पर पहुॅच गये उसने शार्ट पैन्ट पहन रखा था। मैने कैसे भी उन्हे खोला और उसके अन्डरवियर को नीचे किया। उसके गुप्तांग पर एक भी बाल नही थे। मेरी अंगुलिया उसके गुप्तांग मे समा गयी। मै अपनी अंगुली को उसके गुप्तांग मे अन्दर बाहर करने लगा। मै उठकर नीचे बैठ गया और उसके गुप्तांग पर अपनी जीभ रख दी। उसकी मादकता बढती जा रही थी। उसने मेरे बालो को पकडकर मेरे सर को अपनी जॉद्यो में फॅसा लिया। जैसे जैसे मेरी जीभ अपना काम कर रही थी वह और भी उत्तेजित होती जा रही थी। मैने अपने आपको उसकी मजबूत पकड से मुक्त किया और उसके कपडो को निकाल कर उसके पैरो को फैलाया। उसकी सेक्सी चूत मेरे सामने थी जो कि मुझे आमन्त्रित कर रही थी।मैने एक पल की भी देरी किये बिना अपने लण्ड को उसके चूत पर रखा और उसके अन्दर प्रवेश कर गया। और फिर एक दूसरे को धक्के देने का सिलसिला चालू हो गया। हम दोनो की स्पीड बढती जा रही थी। उसके पैर हवा मे खुले हुये थे जिससे मुझे उसके अन्दर तक समाने मे आसानी हो रही थी। मेरा लन्ड तेजी से उसके अन्दर बाहर हो रहा था। एक जबरदस्त द्यर्षण मेरा लण्ड उसके चूत की दीवारो पर उत्पन्न कर रहा था। हम दोनो आनन्द की एक दूसरी दुनिया मे तैर रहे थे। उसकी चूत से गर्म पानी निकलने लगा जो कि ल्यूब्रीकेण्ट का काम करने लगा । हम दोनो अपनी चरम सीमा के नजदीक पहूॅच रहे थे । हमारे जननांगो से फच्च फच्च की आवाजे आने लगी थी।आलीन ने मुझे कसकर पकड रखा था। हमारे अन्दर एक जबरदस्त तूफान उबाल मार रहा था। मेरी स्पीड बढती जा रही थी और थोडी देर मे ही हम दोनो अपने चरम सीमा पर पहुॅच गये। हम दोनो के अन्दर एक लावा था जो कि फूट पडा।

हम दोनो के शरीर शान्त हो गये। हम थोडी देर तक एक दूसरे की बॉहो मे पडे रहे। यह मस्ती का दौर रात मे फिर चला। यह मेरी सबसे यादगार ट्रेन यात्रा थी।

समाप्त

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