Friday, March 14, 2008

देवर दीवाना दीदी तेरा

सुनीता दीदी कीतनी बदल गयी इन दीनो. मुझे तो यकीन ही नही हो पा रह था की शादी के तीन साल बाद दीदी को इतने modern outfit मे देखूंगी. कहां हम दोनो बहने छतीसगढ़ के दुर्ग मे रहने वाली सीधी सादी
लड़कियां कहां आज western outfit मे बात-बात मे “ओह Fuck” कहने वाली मेरे से २ साल बड़ी सुनीता दीदी. कपडे भी क्या थे. छोटा skirt जिसमे से उसकी जान्घें उप्पर तक दीख रही थी. सामने वाले को उसकी panties के दर्शन करने मे शायद ही कोई तकलीफ हो. साथ ही टॉप ऐसा की उसके दोनो मुम्मेय के बीच की घाटी दूर तक जाती हूई दिखायी पड़ रही थी. सामने वाला आदमी तो भोचंका हुये दीदी को उप्पेर से नीचे तक देखता
रहे.
मुझे याद है जब सुनीता दीदी की शादी मुंबई के वीक्रम के साथ तय हूई थी. सुनीता दीदी का रुप ही ऐसा था की हेर कुंवारे मर्दो मे हौड बनी रहती की कैसे इससे पाया जाय. लेकीन मेरे दूर के एक
रिश्तेदार ने दीदी की शादी विकरम से fix करवा दी. विकरम तो दीदी को देखते ही फीदा हो गया और शादी के लीये तुरंत हाँ कर दी. विवाह २ महीने बाद होना था. उस समय मैं बीए के last येअर मे पढ़ रही थी.
वैसे खूबसूरत मैं भी कम नही हूँ. मेरा गोरा बदन और मेरा सांचे मे ढला जिस्म कयिओं को रात भर तदफाता है. ऐसा मेरा नही मेरे बोंय-friend सुनील का कहना है. जहाँ दीदी का कीसी से अफेयर्स नही था
वहाँ मेरा सुनील के साथ अफेयर्स एक साल से चल रह है. हम दोनो के शारीरीक संबंध भी बन गए. मैं दीदी के मुकाबले काफी फास्ट-फोरवर्ड हूँ. लेकीन यहाँ आज दीदी को देखकर पता चला की मैं
फास्ट-फोरवर्ड नही बल्की slow मोशन हूँ.
शादी की दो साल बाद जब जीजाजी विकरम ने share मार्केट से काफी पैसा बाना लीया तो उन्होने यह ३ बेडरूम हॉल का फ़्लैट मुंबई के पराभादेवी इलाक़े मे ख़रीदा जोकी यहाँ का काफी पोश area माना
जाता है. दीदी के साथ उसका देवर सुनील भी रहता है. संयोग से मेरे बोंय-friend और दीदी के देवर का नाम एक्सा ही है.
मैंने दीदी से चहकते हुये पूछा, “दीदी, जीजाजी ने पैसा कमाते हुये तुझे भी कोहिनूर का हीरा जैसा बाना दीया. क्या बात है.”
तब दीदी ने मुझे सब तफसील से बताया की जीजाजी को दीदी का modern रुप ही पसंद है. अब उँची सोसिएटी वालों के साथ उठना बैठना हो गया तो रोज कीसी ना कीसी party या क्लब मे जान पड़ता है. वहाँ पर सभी western
ओउत्फिट्स पहने हुये नाचते गाते हुये सारी रात मस्ती करते है और देर रात बाद घर वापस आते है.
दीदी ने कहा, “कल्पना, तेरे जीजाजी को यह सब ही पसंद है. अब मुझे भी यही सब अच्छा लगने लगा.”
तभी मुझे जीजाजी और उनके भाई सुनील का ध्यान आया. मैंने तुरंत ही पूछ लीया, “दीदी, जीजाजी और सुनील नही दिखई पड़ रहे है. कहां गए हुये है?”
दीदी ने कहा, “तेरे जीजाजी और सुनील business के सील्सिले मे कोलकता गए हुये है. कल दोपहर तक आ जायेंगे. अब तू आराम कर और नहा ले. काफी थक गयी होगी.”
मैं फीर नहाने चली गयी और तयार हो कर फीर से दीदी के बेडरूम मे आ गयी. फ़्लैट के तीन रुम मे से एक दीदी का बेडरूम, एक मे सुनील और तीसरा guest रुम है जिसमे अभी मेरा समान पड़ा है.
जैसे ही मैं दीदी के रुम घुसी दीदी ने कहा, “मुंबई आयी है तो ऐसी dresses तो छोड़ दे. यहाँ तो western ओउत्फिट्स पहन कर मज़ा ले. दुर्ग मे तो तुझे पहन ने का मौका मिलेगा नही.”
मैं हँसते हूई बोली, “सलवार कमीज ठीक नही है क्या?”
दीदी ने कहा, “नही. यह बात नही. यहाँ हम लोग जब पार्टियों मे जाते है तो western outfit ही पहनते है. तू भी वही सब पहन.”
मैंने कहा, “मेरे पास तो वोह सब कुछ नही है.”
दीदी ने कहा, “तो मेरे वाले पहन ले. एक सी ही fitting है हम दोनो की. कोई तकलीफ नही होगी.”
मेरा भी western outfit पहनने का शौक था लेकीन दुर्ग मे नही चलता था. तभी दीदी ने अपनी अलमीरह से अपनी ढ़ेर सारी dresses नीकाली और मुझे दे दी और बोली, “जो पसंद है उससे पहन ले. साथ ही ५-७ dresses और नीकाल ले ताकी
रोज-रोज मेरी अल्मिरह से निकालना ना पडे.”
मैंने अपनी पसंद की dresses नीकल ली. ज्यादातर skirt और blouse ही थे. इनमे से एक ड्रेस मैंने अपने कमरे जा कर पहनी. ड्रेस पहने के बाद जब मैंने आईने मे देखा तो शर्म गयी. मेरा रुप कुछ ज्यादा ही खील
पड़ा. साथ ही मेरी देह के दर्शन भी कुछ ज्यादा ही हो गया. मेरी पतली जान्घें skirt के नीचे से अपना पुरा जलवा दीखा रही थी. मेरी नाभी और मेरा पेट शोर्ट skirt और शोर्ट टॉप के बीच चमक रह था. लोव कट
टॉप के कारण मेरे उरोज खील उठे. मेरे हाथ बर्बुस ही मेरे दोनो उरोजो को थाम लीया. मैं चहक उठी. उफ़ मेरा Sexy बदन!!!
फीर हम दोनो बैठ कर गुप-शुप करने लगे. लंच और डिनर हम दोनो ने भरपूर बातें करते हुये ही लीया. रात कब हूई पता ही नही चला. ज्यादातर मैं ही बोलती रही. दुर्ग की बातों को याद करते रहे. फीर
हम दोनो कपडे change करके सो गए.
सुबह उठने के बाद, दीदी तो कहीँ चली गयी. मैं घर मे अकेली ही थी. दोपहर के बाद वापस आयी तो हम दोनो ने साथ ही लंच लीया. थोड़ी देर बाद जीजाजी और उनका भाई सुनील भी कोलकता से वापस आ गए.
जीजाजी मुझे देखते ही अपनी बाँहों मे ले लीया.
“कब आयी मेरी सलीजी,” जीजाजी ने पूछा.
“कल से आयी हूँ लेकीन हमारे जीजाजी को फुर्स्हत ही कहां,” मैंने बनावटी ग़ुस्सा जताते हुये कहा और हम सब हंस पडे.
तभी दीदी ने अपने देवर सुनील से मिलाया. मैंने कहा, “है.”
सुनील बोला, “ऐसे नही. अपने जीजाजी से जैसे मिली वैसे ही हमारी बाँहों मे..”
मैंने शर्म गयी और बोली, “धत्त्त..”
सब हान्स पडे. मैंने सुनील को अपने जिस्म पर घूरते हुये कई बार पाया. ऐसी मीनी dresses क़यामत ही धाटी है मर्दो पर. मुझे भी लड़को को tease करने मे बड़ा मज़ा आता है. मेरा सांचे मे ढला जीस्म सुनील
का धयांन मेरी और बार-बार खींच रह था.
तभी जीजाजी दीदी से मुस्कराते हुये बोले, “सुनीता आज रात को Mrs. & Mr. अगर्वाल आ रहे है. रात को उनके यहाँ party है. वहाँ जान पड़ेगा.”
यह सुनते ही दीदी का चेहरा खील उठा. दीदी बोली, “ठीक है मैं रात को १० बजे तक तयार हो जाऊंगी.”
मैंने जीजाजी से complaint करते हुये कहा, “क्या जीजाजी? हम तो आये है और बहार रहने की बात करते है.”
जीजाजी ने कहा, “एक दो दीन की ही बात है. फीर फुर्सत से तुम्हारे साथ ही रहेंगे.”
दीदी ने अपने देवर से कहा, “सुनील, क्यों नही तुम कल्पना को यहाँ खुले हुये नए multiplex मे मूवी दीखा देते. फीर रात को कीसी क्लब मे ले चलना. बोर नही होगी.”
सुनील बोला, “ठीक है. अभी ४ बजे है. कल्पना तुम ठीक ६ बजे रेडी रहना. फीर क्लब चैलेन्ज.”
शाम ६ बजे मैं और सुनील मूवी देखने पहुंचे. ओम्कारा. देसी गलीयों से भरी हूई मूवी. मूवी के बीच-बीच मे सुनील कीसी सीन पर “तो चुद्वायेगी”, “तो गांड मरवा ले” या “रगड़ दाल साली को” जैसे
कमेंट धीरे-धीरे पास कर रह था. एक तो मूवी की गालियां और दुसरे सुनील के कमेंट्स Picture देखने का मेरा मज़ा दुगुना कर रहे थे.
तभी इंटरवल हो गया. इंटरवल मे सुनील Popcorn का बड़ा पैक ले आया. वापस आया तो हॉल की हलकी लाइट के बीच मेरे सामने खड़ा हो गया. मैंने उसकी नज़रों को अपने दोनो उरोज की घाटी के बीच पाया. मैंने
मेहसुस कीया की उसकी पैंट चेन के हिस्से से उठ चुकी थी. वो काफी तनाव मे था. मैं हलके-हलके मुस्करा उठी.
तभी मैंने जान बुझ कर अपने सीर को आगे कीया और अपने forehead से उसके ताने हुये लंड पर touch कर दीया और बोली, “लो आगे निकलो और बैठो.”
लंड पर मेरे forehead का touch होते ही वो अपनी आंखें बंद कर ली. मनो उसको बड़ी relief मीली हो. मैं जानती थी की यह रेलिएफ नही बल्की उसके लंड को और बेचैन कर देगा. और वही हुआ. हम दोनो popcorn खाने लगे. Popcorn का
बास्केट सुनील ने अपनी पैंट पर रख रखा था और शायद अपने हाथ से अपने लंड को दबा रह था. उसके हाथ की हरकत मुझे यह मह्शूश करवा रही थी. लेकीन उसके मन मे तो कुछ और ही चल रह था.
अँधेरे मे Popcorn खाने के मेरे हाथ बार-बार उसकी पैंट से टकरा रहे थे और इससे उसकी उत्तेजना बढती जा रही थी. उसके कमेंट्स आने बंद हो चुके थे. तभी मैंने मेहसुस कीया की मेरे हाथ मे यह
गरम-गरम क्या लग रह है. अँधेरे मे Popcorn के लीये मैं अपना हाथ उसकी पैंट के उपर घुमा रही थी. एक कड़क और मोती लंबी सलाख मेरे हाथ मे आ गयी. उफ़ यह तो सुनील का लंड था. उसने अपना लंड अपनी पैंट
की चेन खोल कर नीकाल लीया था और मेरा हाथ जैसे ही वहाँ पहुँचा उसने Popcorn के पैकेट की जगह अपना लंड खडा कर रखा था. मैं चोंक गयी.
मुझे ग़ुस्सा भी आ रह था और मज़ा भी. ग़ुस्सा ईसलिए की उसने मुझे क्या समझ रखा है. एक रांड. जीसे जब चाहो अपना खीलोना दे दो. मज़ा इसलिए आ रह था की कोई लड़का मेरी जवानी के लीये तर्स रह था.
लेकीन मैंने सयामीत होते हुये ग़ुस्से से लेकीन धीरे से कहा, “कोई तमीज नही है तुम मे?”
फीर मुहं घुमा कर चुप-चाप बैठ गयी. थिएटर मे मैं कोई तमाशा खड़ा करना नही चाहती थी. बाक़ी की फिल्म हम-दोनो चुप- चाप देखते रहे. जैसे ही मूवी खतम हूई मैं झट से उठी और bahar nikalne lagi.
बहार आते ही सुनील बोला, “I’m सॉरी. Please माफ़ कर दो.”
मैंने ग़ुस्से मे बोली, “क्यों माफ़ कर दु? तुम कीसी भी लडकी के साथ ऐसी हरकत कैसे कर सकते हो?”
सुनील ने नज़रें झुकाए बोला, “मैं अपने आपे मे नही रहा. प्लेस माफ़ कर दो ना.”
मैंने तमाशा ना खडे करते हुये कहा, “ठीक है. माफ़ कीया. लेकीन आगे से मेरे साथ ऐसा नही करोगे. समझे.”
फीर हम दोनो बग़ैर क्लब गए घर पर आ गए. Dinner भी नही ले पाए. घर पहुँचा तो पाया दीदी और जीजाजी जा चुके थे. Extra चाबी सुनील के पास थी. मैं सीधे अपने रुम मे चली गयी और ग़ुस्से मे बग़ैर ड्रेस change
कीये सीधे बिस्तर पर लेट गयी. सुनील हॉल मे बैठा टीवी देख रहा था. टीवी की आवाज कुछ देर तो सुनायी दी फीर मुझे नींद आ गयी.
भूखी सोयी थी. अचानक उठ बैठी. घड़ी देखी. घड़ी मे सुबह के ४ बजे थे. उफ़ कितना सोयी मै व्हो भी बग़ैर ड्रेस change कीये. उठकर पानी पीया और kitchen की तरफ गयी शायद कोई बिस्कुइट्स वगेरह मील जाये. हॉल
की लाइट जल रही थी. सुनील वही सोफे पर ही सोया हुआ था. अलबत्ता उसने कपडे जरूर change कर लीये था. इस समय उसने केवल boxer पहन रखा था. बनियान या T-शर्ट नही पहने हुये थी.
सुनील का बलीस्थ शरीर बड़ा ही दील्काश दिखायी दे रहा था. चेहरे पर मसूमता और हलकी मुस्कान. सीना नंगा और उसपर काले- काले गहरे बाल. मज़बूत फूली हुये बाहें. हाथ अपने boxer पर. Boxer का आगे का
हिस्सा फुल्ल हुआ. शायद मुझे ही सपने मै देख रहा हो इसीलिये उसका लंड अकडा हुआ लग रहा था. अब मेरा ध्यान उसके Boxer पर ही टीक गया.
थिएटर मै जब उसने अपना लंड Popcorn की जगह मुझे पकदया ताव ओ सब अब मुझे ध्यान आने लगा. उसका लंड बहुत ही गरम था. काफी लम्बा और मोटा लंड था उसका. मैंने ध्यान दीया की मेरा हाथ उसको पूरी तरह से
पकड़ नही पाया था कारण की उसका लंड काफी मोटा था. Popcorn की तलाश मै मैंने उसका पुरा लंड नाप लीया था. काफी लम्बा भी था. उसको सोचते ही मैं अब उसके एकदम करीब आकर Boxer को देखने लगी. वाकई मै काफी
लम्बा और मोटा लंड था उसका. मैंने अपने boyfriend का लंड अपने मुहं और चूत मै लीया था लेकीन सुनील का लंड काफी बड़ा लग रहा था. मेरी मुहं से एक सिस्कारी नीकल पडी.
फीर मैं kitchen की तरफ गयी मगर मुझे कुछ नही मीला. दीदी शायद कहीँ और रखती थी snacks. लेकीन कहां यह मुझे नही मालूम. एक बार सोचा सुनील को उठा कर पुछू मगर मैंने इस वक़्त उसे उठाना मुनासीब नही
समझा. पेट मै चूहे दौड़ रहे थे लेकीन क्या करती. वापस अपने रुम की तरफ आने लगी. फीर से सुनील के Boxer की तरफ नज़र गयी. सुनील मस्ती मै सोया हुआ था अपने ताने हुये लंड को अपने हाथ से पकड़े
हुये. मेरी चूत मै इसको देखकर पानी आने लगा. बेकार मै ही उससे ग़ुस्सा कर बैठी. भूखी भी रही और एक मतवाले दिलवाले सांड को छोड़ कर सो गयी मैं.
रुम की तरफ जब बढने लगी तो दीदी के बेडरूम का दरवाज़ा बहुत ही हल्का खुला हुआ दीखा. रुम मै लाइट जल रही थी. मैने सोचा शायद जीजाजी और दीदी वापस आ गए है. या शायद अभी ही आये है. यह सोचकर की
दरवाज़ा लाक नही है तो उसे लाक कर दू. शायद दीदी लाक करना भूल गयी हो. जब बेडरूम के दरवाजे के पास पहुंची तो मुझे अजीब आवाजें सुनायी दी. यह आवाजें मुझे हॉल मै नही सुनायी दी थी. मैं
उत्सुकता के कारण दरवाजे के पास खडी हो गयी और दरवाज़े के करीब अपना कान लगा दीया.
यह क्या? उम्म्म.. हाआं… उफ्फ्फ्फ़… जैसी सिस्करियाँ सुनायी दे रही थी. यह लोग क्या टीवी पर ब्लू फिल्म देख रहे है? सोचते ही मन मै और देखने की तमन्ना जाग उठी. दीदी के बेडरूम का टीवी
रुम के दरवाजे से साफ दिखता था. मैं भी क्यों ना इस ब्लू फिल्म को देखू यह सोचकर दरवाजे को थोडा और खोल दीया. देखते ही मैं सकते मै आ गयी. यहाँ टीवी पर ब्लू फिल्म नही बल्की लाइव telecast चल
रहा था.
बेड पर दो नही बल्की चार जाने थे. ग्रुप सेक्स चल रही थी. क्यया है यह सब? कौन है यह लोग? दील मै कई प्रश्न थे. गौर से देखा तो मालूम पड़ा की नीचे कोई एक मर्द लेटा हुआ अपने अप्पेर सुनीता
दीदी को लेटा रखा था और अपना लंड दीदी की चूत मै दाल रखा था. दीदी की पीठ पर जीजाजी सोये हुये थे और अपना लंड दीदी की गांड मै पेल रखे थे. तीनो के सामने एक लडकी पलंग के उप्पर बैठी हूई
थी. उसकी चूत को नीचे सोया हुआ आदमी अपनी जीभ से चाट रहा था और दीदी उसके एक उरोज को अपने मुहं मे ले रखी थी. दुसरा उरोज उस लडकी ने आंखें बंद कीये हुये पकड़ रखा था. मेरे जीजाजी दीदी की
गांड मारते हुये उस लडकी का होठ और चेहरा चूम रहेClick to join hindistorysexy थे.
उफ्फ्फ! दीदी और जीजाजी ऐसी हालत मे. मेरा दीमाग ही घूमने लगा. मेरी आंखें ही बंद होने लगी. दीदी इतनी modern हो गयी. कल तक की एक छोटे शहर की सीधी-सादी लडकी आज ब्लू फिल्मो की हेरोइनेस को भी
मात दे रही थी. वाकई मै कोई कीतना जल्दी बदल जाता है.
अब मैंने फीर से आंखें खोली और उनको हेरात से देखती रही. एक धक्का नीचे से लग रहा था तभी दुसरा धक्का उप्पर से जीजाजी गांड मे मार रहे थे. अवाज़एं अब साफ सुनायी दे रही थी. सब लोग
उफ्फ्फ.. हईई.. अह्ह्ह्ह.. करते हुये सिस्करियाँ ले रहे थे. “ओह्ह्ह Fuck… Suck Me.. राम your Cock Deep Inside Me… Fuck Me Hard.. Bite My Nipple… Suck My Pussy… ” जैसी आवाजें धड़ल्ले से आ रही थी.
Tabhi Didi boli, “Agarwal.. Stop.. Now I’ll fuck you. Lay still there.”
अब मुझे समझ मे आया की यह कौन है. दोपहर मे जब जीजाजी ने कहा की Mrs. & Mr. अगर्वाल आ रहे है और दीदी का चेहरा खील उठा था. यानी यह ग्रुप मे सेक्स के लीये एकाठा हुये थे. उनकी चुदाई देखते हुये
मैं मस्त हो गयी. मेरा हाथ मेरी मीनी skirt के अन्दर चला गया और भीगी हूई चूत को सहलाने लगा. दुसरा हाथ मेरे टॉप के उपर से ही अपने मुम्मेय को दबाने लगा. मेरे मुहं से सिस्करियां नीकल रही
रही थी.
बेड रुम मे से कोई बहार आने वाला नही था. सीवाय Mrs. अगर्वाल के कीसी की नज़र मुझ पर नही पड़नी थी. और Mrs. अगर्वाल का चेहरा जीजाजी ने दख रखा था उसका चुम्बन लेने के लीये. मैं बेकौफ होकर अपनी
चूत मे panties को साइड कर अपनी अंगुली दाल दी. लाइव telecast के साथ मैं भी चुदासी हो गयी. कोई मुझे भी अपनी बाँहों मे ले. कोई मेरे भी मुम्मेय चूसे. कोई मुझे भी चोदे.
मैं आंखें बंद कीये हुये अपनी चूत को अपनी अंगुली से रगड़ और चोद रही थी. मेरी सिस्कारियों की आवाज़ तेज हो रही थी की अचानक कीसी ने मुझे अपनी बाँहों मे ले लीया. और मेरे होठो को
चूमने लगा. मैं घबरा कर अपनी आंख खोली. यह तो सुनील था. मैंने उससे अपने से अलग करना चाहा और कुछ बोलने लगी ही थी की सुनील ने अपने होठ पर एक अंगुली रख कर मुझे चुप रहने का इशारा कीया.
फीर मुझे उसने अपनी बाँहों मे उठा लीया. मैं विरोध करने की परीस्थिती मे नही थी. मेरे Pure बदन मे समुहीक सेक्स को देखते हुये वासना की लहरें उठ रही थी. मेरी साँसे गरम हो चुकी थी. मेरे
मुम्मेय उन गहरे साँसों के साथ काफी उप्पर-नीचे हो रहे थे. सुनील के नंगे सीने पर हाथ रख कर मैं और मतवाली हो गयी. तभी सुनील ने मुझे कोई विरोध ना करते हुये देख मुझे बाँहों मे
लीये-लीये मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए. मैं तड़फ उठी. उसकी बाँहों मेरा तन-बदन मचल उठा. उसने अपनी गिराफत बढ़ा दी और अपनी जीभ मेरे मुहं मे दाल दी.
सुनील के बेडरूम मे पहुँचते ही मैं उसकी बाँहों से उतर गयी लेकीन सुनील ने मुझे अपनी बाँहों से आज़ाद नही कीया और ना ही मेरे सुलगते होंठो को छोरा. उसने अपने अलिनाग्न मे मुझे कास
कर जकड लीया और मेरे सुर्ख गुलाबी होंठो को चूम ता हुआ जा रहा था. मुझे ऐसी दीवानगी ही पसंद थी. मैं चाह भी रही थी की सुनील मेरे होंठो का सारा रस पी ले. तभी सुनील ने मुझे बिस्तर पर
लेटा दीया और मेरे बदन पर छ गया.
उसने अपने बदन से मेरे बदन को मसलते हुये मेरे गाल, मेरे कान और मेरी गर्दन को चूमता रहा. अपने गरमा-गरम चुम्बनो की छाप छोड़ता रहा. मैं सुलग उठी. मुझसे रहा नही जा रहा था. अब मैं भी
उसके चुम्बनो का जवाब अपने गर्माते चुम्बनो से देने लगी. उसके कान और उसकीClick to join hindistorysexy गर्दन बेताहासा चूमने लगी. उसे चूमते हुये मेरा दील धड़क रहा था. और मन मे ही यह शायरी आ गयी:
चूम लू आपके लबों को, दील की यह ख्वाइश है! यह ख्वाइश हमारी नही, यह तोः दील की फरमाइश है!
काफी देर की चुम्मा चाटी के बाद हम दोनो की साँसे उखाड़ने लगी थी. तभी सुनील खड़ा हो गया और मुझे फीर अपनी बाँहों मे उठा कर बाथरूम की और ले चला.
बाथरूम मे पहुँचते ही उसने शोवेर चालू कर दीया. मैं और सुनील आपस मे चिपके हुये शोवेर के नीचे भीगने लगे. Click to join hindistorysexyसुबह-सुबह का ठण्डा पानी पड़ते ही मैं और सुनील दोनो कांपने लगे. लेकीन दोनो
के चिपके हुये जीस्म आपस मे एक दुसरे को गरमी भी दे रहे थे. मेरे टॉप मे से अब मेरी ब्रा झाँकने लगी. सुनील ने अपने मुहं को मेरी गर्दन से नीचे लेट हुये मेरे दोनो उरोजो के बीच की घाटी
मे अपनी जीभ डालने लगा. उसने अपने दांतो से मेरे टॉप के buttons को खोलने लगा. दो-तीन मिनट की कोशिश के अंदर ही मेरा टॉप सिर्र्र्र से नीचे उतर गया. अब मेरी त्रंस्परेंत ब्रा मे से मेरे
उरोज की गोलाई और निप्प्ले का कलर दिखई पड़ रहा था.
सुनील ने अपने हाथ आगे बढ़ाते हुये मेरे दोनो गोलईयों को चोली के साथ ही थाम लीया और अपनी अंगुलियों से दबाने लगा. मैं सिहर उठी. मारे उत्तेजना के मेरे मुहं से सिस्करियाँ नीकल
रही थी. मैंने उसकी क़मर को काश कर जकड लीया और उसकी जाँघों के बीच अपनी जान्घें घुसाने लगी. इधर सुनील ने मेरी चोली के उप्पर से ही मेरे दोनो उरोजो को बारी-बारी से अपने गाल से
रगड़ने लगा. अब मुझसे रहा नही जा रहा था.
मैंने सिस्कारी भरते हुये कहा, “सुनिल्ह्ह.. नीकाल फेंको मेरी चोली को और मेरे दोनो क़ैद कबुतारो को आज़ाद कर दो. इनको अपने मुहं मे लेकर चाटो… सुनिल्ह्छ..”
मेरी बात को सुनकर सुनील ने अपने हाथ से मुझे दीवाल की और धकेल दीया और मुझे पलट दीया. अब मेरी पीठ सुनील के सामने थी. सुनील ने अपनी जीभ से मेरी पूरी पीठ को चाटने लगा. जिससे मेरे Pure
जीस्म मे वासना की लहरे और जोर मारने लगी. मैं कांप रही थी. इस बार पानी के ठंदेपन से नही बल्की उसकी हर्कतो के कारण. मैंने सिस्कारी लेते हुये अपना चेहरा उप्पर उठाया और शोवेर के
पानी को अपने चेहरे पर पड़ने दीया. तभी सुनील ने अपने दांत से मेरी चोली का हूक खोल दीया और मुझे पलट कर अपनी बाँहों मे जकड लीया.
अब मेरे दोनो कबूतर चोली से आज़ाद होकर सुनील के सीने से सटक गए. मैं सेक्स के हिलोरे लेते हुये अपने दोनो उरोज को उसके सख्त सीने से रगड़ने लगी. ऐसा करते देख सुनील ने मेरे होंठो को
फीर अपने होंठो की गिराफत मे ले लीया और लगा मेरे मादक होंठो का रस पीने. मुझसे रहा नही जा रहा था. मैंने सुनील के दोनो हाथो को पकडा और अपने दोनो उरोज उसकी हथेली की गिराफत मे दे
दीये.
और बोली, “सुनील.. अब रहा नही जा रहा है. पकड़ के रगड़ दो इन शैतानो को. मुझे अपनी बाँहों मे लेकर मेरे दोनो उरोज को मसल दो. इन्हें अपने मुहं मे लेकर चूसो ”””..”
सुनील ने अब अपने दोनो हाथो से मेरे भरे हुये सख्त उरोजो को जकड लीया और लगा उन्हें मसलने. मसलने के साथ ही मेरी सिस्करियाँ बढ गयी. मैं झूम उठी. मैं पानी से भीगते हुये सुनील की
हर्कतो का मज़ा ले रही थी. सुनील मेरे दोनो कबुतारो को मसलते हुये चूम रहा था. मेरे दोनो निप्प्लेस उसके मुहं मे बारी- बारी से जा रहे थे. साथ ही मैं उसके सीर को पकड़ कर मेरे सीने पर
ज्यादा से ज्यादा दबाने मे लगी हूई थी. अब सुनील ने अपने एक हाथ से मेरी skirt की जिप खोल दी. मेरे skirt मेरे टांगो से चिपकती हूई नीचे गिरने लगी.
सुनील ने अपने मुहं को और नीचे कीया और मेरी नाभी का चाटने लगी. यह सब मेरे बर्दाश्त से बाहर हो रहा था. मैं आंखें बंद कीये शोवेर के ठंडे पानी से भीगती हूई जोर-जोर से साँसे ले रही थी.
सुनील ने अपनी एक हथेली मेरी panties पर रख दी और… और… और.. मेरी चूत को रगड़ने लगा. हैईई… मेरी तो जान ही अटक गयी.
एक तो सुनील की थिएटर की हरकत और दुसरी दीदी के रुम मे चल रही समुहीक सेक्स ने मुझे वासना से भर कर रख दीया था. अब सुनील की भरपूर हर्कतो ने मुझे उतावला कर दीया. सुनील ने अपने दुसरे
हाथ से मेरी panties को नीचे उतार दीया और मैं एकदम मदर्जात नंगी उसके सामने भीगती हूई खडी थी. सुनील अब थोड़ी दूर होकर मुझे निहारने लगा. मेरे जीस्म की शराब को अपनी आँखों से पीने लगा. तभी
तो कीसी शायर ने क्यया ख़ूब कहा है:
“हुस्न पे जब मस्ती छाती है, शायरी पर बहार आती है, पी के महबूब के बदन की साराब, जिंदगी झूम-झूम जाती है.”
ऐसा ही हाल उसके लंड का था जो Boxer केClick to join hindistorysexy अंदर झूम रहा था. मेरे बदन की शराब का नशा मैं उसके लाव्दे पर देख रही थी जोकी Boxer के buttons के बीच अटका हुआ था. उसका लंड मेरे हुस्न का दीदार करने को उतावला हो
चूका था. यह कमीना Boxer ही उसके आड़े आ रहा था. उसका लंड Boxer के buttons के बीच से चीख-चीख कर कह रहा था:
पलट के देख ज़लीम, तमन्ना हम भी रखते हैं, हुस्न तुम रखती हो तो जवानी हम भी रखते हैं.. गहराई तुम रखती हो तो लम्बाई हम भी रखते हैं!
अब मुझसे रहा नही जा रहा था. दील तड़फ रहा था लाइट के उजाले उसे भरपूर देखने के लीये. मैं जैसे ही नीचे झुक कर उसे आज़ाद करने के लीये झुकी सुनील ने मुझे रोक दीया और मेरे होंठो का
चुम्बन लेते हुआ बोला, “रुको हुस्न की देवी. जरा अपने Sexy जीस्म का दीदार तो करने दो.”
और इसके स्सथ ही उसने मुझे बाथरूम की दीवार से सता कर खड़ा कर दीया और मुझे उप्पर से नीचे देखते हुये बोला, “उफ़ क्यया जवानी है कल्पना तुम्हारी. तभी तो मैं थिएटर मे बेचैन हो गया था.
उफ़ यह हसीं चेहरा, गहरी आंखें, भीगे होंठ, चिकने गाल तुम्हारे, तराशी हूई लंबी गर्दन, पूरी हुस्न की देवी लग रही हो. अब मेरे लंड का क्यया कसूर जो तुम्हे देख कर मेरी पैंट से बहार आ
गया था. तुम्हारे Popcorn को धुन्ध्ते हाथ मेरे लंड को दीवाना बाना रहे थे.”
मैं अपनी प्रशंसा सुनकर फुला ना समां रही थी. मेरे boyfriend ने भी ऐसी तारीफ नही की थी जैसी सुनील कर रहा था. मैं शोवएर के पानी से भीगते हुये आंखें बंद कीये सुनील को सुन रही थी.
फीर सुनील ने मेरे उरोजो पर अपने हाथ फेरते हुये कहने लगा, “कल्पना इन भीगते उरोजो को देख कौन पागल ना होगा. यह बरसता पानी तुम्हारे उरोजो पर पड़ कर मेरे होंठो पर गीर रहा है मनो अमृत
की बूंदे छलक रही है. टप टप गिरती हूई बूंदे तुम्हारी निप्प्लेस से मुझे मदहोश बाना रही है. उफ़ कयामत दहा रहे है तुम्हारे कड़क गोरे-गोरे उरोज. और यह ज़लीम तुम्हारी पतली क़मर. इनको
जैसे अपनी बाँहों मे लपेटे हुये ही पड़ा रहा हूँ तुम्हारे साथ. हाथ लगता हूँ तो लगता है जैसे टूट ना जाये. इतने भारी उरोजो को संभाले हुये कैसे तुम्हारी नाज़ुक क़मर खडी है. उफ्फ्फ…”
फीर धीरे से मेरी क़मर को अपनी बाँहों मे लेकर मेरे उरोजो को चूम लीया और मेरे निप्प्लेस को अपने दांतो से रगड़ दीया. मेरी सिस्कारी जोर से नीकल गयी. फीर सुनील ने अपने चेहरे को
मेरी चूत के सामने लाकर मेरी गोल्डन झानंटो को सहलाने लगा. उफ्फ्फ.. मैं तड़फ उठी. मैंने अपनी जांघों को भींच लीया. अपनी चूत को अपनी दोनो जन्घो के बीच छुपा लीया. यह मैंने कोई शरम के
मारे नही बल्की चूत मे उफान लेती हूई मस्ती को दबाने के लीये कीया. लेकीन सुनील ने अपना हाथ मेरी जन्घो के बीच फंसा दीया.
उस्ने ने मेरी दोनो जन्घो को अलग करते हुये मेरे चूत को सहलाते हुये बोला, “हईई.. इस जलीम जवानी को ना छुपाओ. हमे इसका लुत्फ़ लेने दो. अपनी चूत की दोनो पंखुड़ियों कोClick to join hindistorysexy खोलो. इसका
गुलाबी पन देखो. इसका जूस निकलते हुये देखो. मेरा लंड तड़फ रहा है इससे मिलने के लीये. मेरे होंठ बेकाबू हो रहे है इससे चूमने के लीये.”
यह कहकर उसने अपना सीर मेरी दोनो जन्घो के बीच दाल दीया. मैं कांप उठी. उसके होंठ मेरी चूत के होंठ से जा चिपके. मेरी चूत का रस बर्बूस निकलता गया और सुनील उससे पीकिकर मस्ती से झूम
रहा था. मैं जोर-जोर से साँसे लेते हुये अपनी मस्ती को चूत के रास्ते उसके मुहं मे दाल रही थी. मेरे चूतड थिरक रहे थे. मैं बाथरूम की दीवार से सटी हूई अपनी दोनो टांगो को खोलती जा रही
थी. अब मुझसे रहा नही जा रहा था लेकीन सुनील भी मुझे छोड़ नही रहा था. उसका उतावलापन मुझे बेकाबू कर रहा था. मेरे होश उद्ड रहे थे.
मुझे लग रहा था की:
शोवएर की बारिश,
तभी मेरे मुहं से नीकल गया, “सुनील, अब मुझसे रहा नही जा रहा है. Please अब मेरी चूत को चूसना छोडो. अब मुझे अपनी बाँहों मे लेकर मुझे मसल दो. मेरे बदन को रगड़-रगड़ कर चोदो.”
सुनील ने मेरी फरियाद सुन ली. वो मेरे सामने खड़ा हो गया. मैंने देर ना करते हुये उसके Boxer को झट से नीचे की और खींच दीया. अह्ह्ह.. यह क्यया. इतना मोटा! उफ्फ्फ.. लम्बा! यह उसका लंड! लंड है या
कुछ और. मेरे दीमाग पर भोचाल आ गया. अरे यह कैसे कीसी को चोद सकता है. इतना मोटा और लम्बा लंड कैसे कोई लडकी अपनी चूत मे लेगी. मर्र्र ना जायेगी. ना.. बाबा.. मैं नही ले सकती इतना मोटा और
लम्बा लंड.
तभी मेरे दीमाग मे जीजाजी का लंड आ गया. उनका भी लंड शायद इतना ही बड़ा था. हाँ इतना ही बड़ा था. दो सगे भाई के लंड एक जैसे तो हो ही सकते है. लेकीन दीदी इतने बडे लंड को कीतनी आसानी से
अपनी गांड मे ले रही थी. और साथ मे कह भी रही थी की और अंदर डालो. तो इसका का लंड मैं नही ले सकती. ले लुंगी. अब मुझे वासना की आंधी के सामने अब कुछ भी नही दिखायी दे रहा था. मैं बेचैन थी
चुदवाने के लीये. मैंने सुनील के लंड को थामा और अपनी चूत के नजदीक खींच ली.
सुनील का गरमा-गरम लाव्दा मेरी चूत के सामने आते ही उप्पर नीचे होने लगा. उसने अपने लंड को पकडा और पास पडी साबुन का थोडा सा अपने लंड पर मसला. सुनील को अपने लंड की साइज़ का ख़्याल
था. वो भी जानता था की कोई लडकी पहली बार मे उसके लंड को सहन नही कर सकती. साबुन लगाने से चीकना लंड मेरी चूत के अंदर घुसने लगा. उसका सुपाडा मेरी चूत मे धँसने लगा. मुझे थोडा दरद हुआ.
लेकीन सुनील रुका नही. उसने अपने लंड का जोर मेरी चूत पर बढ़ाते हुये अंदर घुसाने मे कामयाब हो गया. मैं अपने होंठ को बींचते हुये दर्द को सहन करने की कोशिश कर रही थी.
लेकीन दरद बढ़ता ही जा रहा था. मैंने अपने हाथ से उसके सीने पर धक्के मारते हुये कहा, “निकालो सुनील, सहन नही हो रहा है.”
सुनील ने कहा, “हाँ नीकलता हूँ.”
ऐसा कहकर उसने लंड बहार निकाला. लेकीन पुरा कमीना था वोह. थोडा सा बहार निकाला और फीर जद्द्द्द से एक करारा धक्का ज़द दीया. मेरी तो साँसे ही अटक गयी. जबान से कुछ भी नही नीकल रहा था.
नीकल रहे थे तो मेरे आंसू. सुनील का लंड मेरी चूत की भीतरी दीवार से जा टकराया. उससे मालूम था ऐसा होना है. उसने झट से मेरे होंठ को अपने होंठ की गिराफत मे ले लीया और अपने हाथो से मेरे
उरोज को मसलने लगा. मैं छात्पता रही थी. लेकीन बोल नही पा रही थी. मैंने अपने बदन से उसके बदन को धकेलने की कोशिश की लेकीन उसके सामने मेरा बस्स नही चला.
उसके धक्के रुके हुये थे. मेरे चुम्बन लेते हुये मेरे उरोजो को मसल रहा था. फीर उसने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कीये. मैं अब भी छात्पता रही थी. मेरे होंठो को अपने होंठो से जकडे
हुये मुझे कुछ भी बोलने दे नही रहा था. लेकीन धीरे-धीरे दर्द कम होने लगा. मुझे अपनी पहली सेक्स ध्यान आ गयी. उस दीन भी इससे कुछ ज्यादा ही दर्द हुआ था लेकीन बाद मे उस दीन मुझे काफी
मज़ा आया था. जब आप मस्ती मे हो तो दर्द जल्द ही काफूर हो जाता है.
यही हुआ मेरा दर्द कम होता गया. मेरे हाथ जो सुनील को धकेलने की कोशिश कर रहे थे अब उससे अपने मे समेटने की कोशिश करने लगे. यह देखकर सुनील ने अपने होंठ मेरे होंठो से हटा लीया. जैसे
ही मेरे होंठ मुक्त हुये मैं जोर-जोर की साँसे लेने लगी.
फीर सँभालते हुये बोली, “तुमने तो मुझे मार ही दीया था.”
सुनील अब अपनी स्पीड बढ़ाते हुये बोला, “लेकीन अब मजे ले रही हो. है ना.”
मैं सिस्कारी लेते हुये बोली, “हाँ. अब धीरे धीरे क्यों. अब तो जोर- जोर के धक्के मारो.”
सुनील ने यह सुनते ही अपनी जान्घो की स्पीड बढ़ा दी और मैं दनादन-दनादन आते हुये धक्को का स्वागत अपनी जन्घो को खोलते हुये करने लगी. कुछ ही देर मे मेरे सब्र की सीमा टूट गयी और चीख
मारते हुये सुनील से लिपट गयी. मेरी चूत का बाँध खुल गया. उसमे भरा हुआ पानी छूटने लगा. उसका कड़क लंड मेरी चूत की दीवारो पर अब भी शोत लगाए जा रहा था. वो रुके नही रूक रहा था. मैं फीर से
छूटने लगी.
अबकी बार मेरी सिस्करियाँ ज्यादा जोर से नीकल रही थी, “उफ्फ्फ.. … क्यया चोद रहे हो तुम. मेरे चूत दो बार छूट चुकी है. तुम्हारा लंड मेरी चूत को रौंद कर रख दीया. अब बस्स करो. अब मुझे थोडा
आराम करने दो.”
सुनील ने अपने धक्को को बंद कीया और अपने ताने हुये मोटे लंबे लंड को बहार नीकाल लीया. उसका लंड तो अब ज्यादा ही बड़ा लग रहा था. मेरे रस से भीगा हुआ लंड मेरी चूत की और ही ताना हुआ था.
मैं सुनील की बाँहों मे समां गयी. सुनील ने मुझे फीर अपनी बाँहों मे उठा लीया और हमारे भीगे हुये बदन चल पडे बेडरूम के बिस्तर की और. उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दीया और मेरी बगल मे
लेट गया. हम दोनो अपनी उखड़ी हूई साँसों को नियंत्रण मे लेने की कोशिश करने लगे. मैं आंखें बंद कर अब तक की हूई चुदाई का रेप्लय देखने लगी.
अब तक मैं निढाल हो चुकी थी. सुनील भी आंखें बंद कीये हुये लेटा था. मैं सोने की कोशिश तो नही कर रही थी लेकीन मेरा बदन टूट रहा था. करीब पन्द्रह मिनट बाद मेरी आंखें खुली. थकन कम हो
चुकी थी. मैंने देखा सुनील आंखें बंद कीये हुये ऐसे ही पड़ा है. मेरा ध्यान उसके बदन पर था. उसका लंड अब एकदम ताना हुआ नही था लेकीन एकदम लूसे भी नही हुआ था. उसका हल्का लूस लंड अपने Pure
साइज़ से शायद २-२-१/२ इंच घट चूका था. लेकीन उसका लूस लंड भी कई लोगों के एकदम tight लंड के बराबर था. उफ़.. जलीम ने stamina भी पुरा पाया है. तभी तो इतना चोदने के बाद और आराम करने के बाद भी उसका लंड
सिकुडा नही था.
मैंने करवट बदलते हुये अपनी एक टांग उसकी टांगो पर रखी और उसके चेहरे को चूमती हूई बोली, “सो गए क्यया?”
सुनील ने अपनी आंख खोलते हुये बोला, “नही. तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था.”
मैं अब सुनील के लंड को अपने हाथ मे थामते हुये बोली, “तुम्हे पता था की दीदी के रुम क्यया चल रहा है.”
सुनील बोला, “मैं भैया और भाभी के पर्सनल matters मे ध्यान नही देता. उनकी जिन्दगी है तो उन्हें अपने तरीके से जीने दो. अब मैं तुम्हारे साथ हूँ और यह सब भभी को मालुम पडे तो तुम्हे कैसा
लगेगा. तुम अपनी जिन्दगी जीया और तुम्हारी दीदी को उनकी जिन्दगी जीने दो.”
मैंने कुछ बोल्ना अब मुनासीब नही समझा. मैं अपनी जिन्दगी भी तो अपने तरीके से ही तो जीं रही थी. मैंने अपने जहाँ को झटका देते हुये अपना ध्यान सुनील के लंड पर लगा दीया. सुनील का लंड
अब अपने रंग मे रंगने लगा. उसका साइज़ बढ़ता गया. सुनील भी मेरे उरोजो को दबा रहा था और मेरे निप्प्लेस को खींच रहा था. मेरे जीस्म मे अब वासना की लहरे हिलोरे मारने लगी. मैं उठ कर लंड
को अपनी मुठी मे जकड़ने लगी. लेकीन एक हाथ की मुठी मे वो कहां आने वाला था. दोनो हाथो मे लेकर उससे हिलाने लगी.
फीर कुछ देर हिलाने के बाद अपना मुहं नीचे कीया और उस मूसल को चाटने लगी. उसके लंड को नीचे से उप्पर तक अपनी जीभ से चाट रही थी. उसके सुपारे को अपने होंठ के बीच दबा कर चूस रही थी. उसका
लंड का सबसे मोटा भाग उसका सुपाडा ही था. उससे लेने मे मुझे काफी मुंह खोलना पड़ा. फीर मैंने उसके लंड को अपने मुहं मे लेने की कोशिश करने लगी. काफी मशक्कत के बाद आधा लंड ही मुहं मे
जा पाया. इस पर भी सुनील को मज़ा आ रहा था.
जब मेरा मुहं दुखने लगा तो लंड को मैंने बहार नीकाल दीया. अब मेरे अंदर चुदाने की इच्छा इतनी बढ गयी की मैंने उसको को बताये बिना, जो आंखें बंद कीया अपने लंड का मज़ा ले रहा था, उसके
उप्पर चढ़ गयी और उसके लंड को अपनी चूत मे लेने की कोशिश करने लगी. यह देखकर सुनील मुस्कराया. मैं समझी नही.
मैंने पूछा, “क्यों? क्यया हुआ?”
सुनील ने कहा, “अभी बाथरूम मे तुम मेरे लंड को कहां तो बहार निकालने का परयाश कर रही थी और ब कहां तुम मेरे लंड को अपनी चूत मे लेने को आतुर हो?”
मैंने कहा, “अब मुझे इससे प्यारी चीज़ कोई नही लग रही है जीसे मैं अपने अंदर छुपा लू.”
सुनील बोला, “पगली यह ऐसे थोड़े ही जाएगा. जा वहाँ dressing टेबल से cream ला और मेरे लंड पर और तेरी चूत मे लगा. तभी यह अंदर जाएगा. नही तो तू इस Pure घर को दर्द के मारे उठा लेगी.”
मैंने वैसा ही कीया. उसके लंड को उप्पर से नीचे तक पुरा cream से रगड़ कर चीकना कर दीया और थोड़ी करें मैंने अपनी चूत के अंदर मॉल ली. फीर मैं सुनील के उप्पर बैठ कर उसके लंड को अपनी चूत के
मुहं पर लगा लीया और अपने चूतड उठाते हुये उसके लंड पर धक्का मारा. इस धक्के से उसके लंड का सुपाडा अंदर चला गया और नीकल पडी मेरे मुहं से चीख. मैं दर्द से बिलबिला उठी.
सुनील जोर से हंस पड़ा और बोला, “देखा. बग़ैर cream मेरे लंड को लेने चली थी.”
मैंने झल्लाते हुये कहा, “तुम्हे मज़ाक सूझ रहा है. यहाँ मेरा दर्द के मारे बुरा हाल है. कुछ करो, सुनील.”
तब उसने ने मेरे दोनो उरोज को अपने हाथो मे लीया और लगा वर्जीश करने. जिससे मुझे थोड़ी रहत मीली. मेरे जीस्म मे धक्का मरने की इच्छा बढने लगी. और मैंने फीर से एक जोर का धक्का मार दीया.
अबकी बार लंड आधे से ज्यादा घुस गया लेकीन दर्द बढ गया.
मैंने रुआंसी आवाज मे सुनील से कहा, “सुनील मेरे दोनो उरोज को कास- कास कर मस्लो. दबा दो इन्हें. तभी मुझे मज़ा आएगा.”
सुनील ने अब अपना एक हाथ हटा लीया और दुसरे हाथ से मेरे एक उरोज को कास कर मसलन शुरू कर दीया. साथ ही पहले हाथ से मेरी क़मर को जकदते हुये मुझे अपने लंड पर हिलाने लगा. थोड़ी ही देर मे
मेरा दर्द गायब हो गया और मैंने उसका दुसरा हाथ भी क़मर पर लगा दीया. अब मुझे धक्का नही मारना पड़ रहा था बल्की सुनील अपने दोनो हाथो से मेरी क़मर को आगे पीछे कर रहा था जिससे मेरी
चूत को उसके लंड की रगड़ मील रही थी और साथ ही उसका लंड धीरे-धीरे मेरे अंदर घुसता जा रहा था.
अब मैं भी अपनी क़मर को हिलाने लगी. रगड़ लंड और चूत दोनो को मील रही थी. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. उसका लंड और मेरी चूत की रगड़ मेरे जीस्म मे सग पैदा कर रही थी. यह वासना की ज्वाला था. यह
सेक्स की सग़ थी. इस आग मे हम दोनो के बदन झुलस रहे थे. इस सेक्स मे हम दोनो ख़ूब मज़ा ले रहे थे. तभी मेरी चूत बोखाला गयी और इस बोख्लाहत मे अपना पानी छोड़ दीया. मैं रुकी नही. ना ही सुनील
के हाथ की स्पीड को कम होने दीया. इस आग मे मैं पूरी तरह झुलासना चाहती थी. मैं सेक्स जहाँ तक हो सके जारी रखना चाहती थी.
फीर कुछ देर और ऐसे ही चुदाने के बाद मेरा पानी तीन बार नीकल चूका था. सुनील ने अब मेरे बदन को बिस्तर पर लेटा दीया और लंड को चूत मे डालते हुये मुझ पर छा गया. मेरी टांगो पर उसकी टांग,
मेरी जन्घो पर उसकी जांघ, मेरी चूत मे उसका लंड, मेरे सीने पर उसका सीना और मेरे होंठो पर उसके होंठ. उफ्फ्फ! अब swarg का मज़ा भी कुछ बाक़ी रह गया था. नही. बिल्कुल नही. येही तो था जन्नत का मज़ा.
ऐसी सेक्स मे और क्यया बाक़ी रह जाता है.
सुनील ने अब अपनी स्पीड बढ़ाते हुये मुझे कास-कास कर चोद रहा था. उसकी थाप का जवाब मैं अपने चूतड उठा कर दे रही थी. तभी सुनील बद्बदते हुये अपना पानी मेरी चूत मे छोड़ने लगा. मैं
नीहाल हो गयी. मैंने भी इसका जवाब अपनी चूत का पानी छोड़ कर दीया. हम दोनो निढाल हो कर पडे रहे.
फीर थोड़ी देर बाद सुनील मेरे उप्पर से उतर कर मेरी बगल मे सो गया. मैं सुनील से चिपटी हूई पडी रही. थोड़ी देर बाद घड़ी देखी तो सुबह के सात बज चुके थे. तीन घंटे की सेक्स ने मेरे बदन के
पोर-पोर ढीले कर दीये थे.
एक-डेड घंटे बाद मेरी आंखें खुली तो देखा की सुनील अभी भी सोया हुआ है. उसका लंड अभी भी कड़क था. लगता है सपने मुझे अभी चोद रहा था.
मैंने उसे झट से जगाया और कहा, “अब जा रही हूँ अपने रुम मे.”
सुनील कुंमुनाते हुये बोला, “अभी कहां. अभी हमे कौन disturb करने वाला है. यहाँ मेरी बाँहों मे सो जाओ.”
मैंने कहा, “सुबह की ९ बजने वाली है. दीदी उठ जायेगी.”
सुनील बोला, “वो लोग ११ से पहले नही उठने वाले. अभी मुझे एक राउंड और चलाना है.”
मैंने कहा, “हद्द करते हो. मेरे बदन के अश्थी पंज़र ढीले कर दीये और कहते हो की एक राउंड और चलाना है. ना बाबा ना..”
लेकीन उसने मुझे झटके से अपने उपर गिरा लीया और लगा मेरे होंठो के फ़टाफ़ट चुम्बन. फीर मेरे उरोज से खेलते हुये मुझे घोड़ी बाना दीया और अपने कड़क लंड को मेरी चूत से सता दीया.
मैंने उससे कहा, “रुको. cream तो लगा लो.”
उसने कहा, “अब तुझे cream की नही मेरे लंड की जरूरत है. अब तेरी चूत मेरे लंड को एक दम से कास कर पकड़ कर धक्का खायेगी और ख़ूब हीला-हीला कर चुद्वायेगी.”
फीर उसने अपना थूक लंड पर लगाया और कास कर धक्का मारते हुये मेरी चूत को चीर दीया. मैंने कैसे भी करके अपने दर्द को रोका और लगी सेक्स का मज़ा लेने. इस बार मुझे चुदवाने मे बड़ा मज़ा आ
रहा था. १५-२० मिनट की सेक्स के बाद सुनील के लंड ने पानी छोड़ दीया और तब तक मैं भी २ बार झाड़ चुकी थी.
फीर थोडा सुस्ताने के बाद मैंने उसके लंड का चुम्बन लीया और अपने कपडे पहन लीये.
तभी सुनील बोला, “रात को ध्यान नही रहा. चेमिस्ट से दवाई ले कर खा लेना. समझ गयी ना.”
मैं समझ गयी. अभी मुझे तो जवानी का ख़ूब मज़ा लेना था. मैं दीदी के इधर ४ दीन और रही. इन ४ दीनो मे मैंने क्यया-क्यया मज़े नही लीये. सुनील के friends सर्कल के साथ भी रात बितायी. उसके friends सर्कल मे
मुझे मिलाकर ४ लडकिया और ६ लड़के Click to join hindistorysexyथे

1 comment:

  1. hi neha kabhi hum se bhi to chudwao na plzzzzzzzzz tumhe sunil se jyada maja naa aye to mera naam badal dena mera email id hai
    srkbhati@yahoo.com

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राज शर्मा की कहानियाँ पसंद करने वालों को राज शर्मा का नमस्कार दोस्तों कामुककहानियाँब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम में आपका स्वागत है। मेरी कोशिश है कि इस साइट के माध्यम से आप इन कहानियों का भरपूर मज़ा ले पायेंगे।
लेकिन दोस्तों आप कहानियाँ तो पढ़ते हैं और पसंद भी करते है इसके साथ अगर आप अपना एक कमेन्ट भी दे दें
तो आपका कया घट जाएगा इसलिए आपसे गुजारिश है एक कमेन्ट कहानी के बारे में जरूर दे

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