Friday, March 14, 2008

रसीली सालियां 2

दुसरे दिन सुबह ..लीना अब कुंवारी नही थी...और चादर पर खून के छिंटे उसकी औरत बनने की गवाही दे रहे थे....सुबह लीना ने उठकर रवि को उठाया . रात की मस्ती झड़ी नही थी .रवि ने लीना को नंगी देखा तो फ़िर से अपने पास खींच लिया..चूमा चाटी शुरू हुयी और लंड लोहे जैसा हो गया... एक बार फिर दोनों आपस मे लग कर चुदाई शुरू कर दी . रवि लीना को नीचे ले कर उसकी दोनों टांगो को आसमान मे फैला कर और उसके चूतड के नीचे दो तकिये रख दिए..जिससे उसकी उभरी हुयी चूत और उभर आयी थी. अभी भी..रवि ने जैसे ही अपना लंड उसकी गीली हो रही चूत के अन्दर घुसाया..लीना चीख पड़ी..रवि ने दो धक्को मे पूरा लंड चूत के अन्दर डाल दिया था..और कस कस कर उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया . सिस्कारियों से कमरे का वातावरण काफी मदहोश हो गया . लीना नीचे से हर धक्के का जवाब अपनी सिस्कारी से दे रही थी .
आह्ह..अह्ह्ह.औच..आ..ऊ..च....आह्ह...जिजू....सच मुच तुम्हारा लंड लाजवाब है और बहुत लंबा और मोटा है . उस लड़की को बहुत मजा आएगा जो तुमसे चुदवायेगी ," लीना रवि से चुदवाती हुयी बोली .
रवि कस -कस कर धक्के मरते हुए बोला , "हाँ जाने -बहार , तुम्हारी चूत भी एकदम लाज़वाब है .एकदम तिघ्त, उभरी हुयी..कितनी गरम और नरम है..हाय.और इसकी गुलाबी रंगत... लगता है इसे चोद्ता ही जाऊं ."
नीचे से लीना सिस्कारी मरते हुए बोली , "ओह्ह ! मेरे राजा और पेलो और पेलो अपनी रानी की चूत मे अपना मोटा लंड . आह ! ..मेरी चूत तुम्हारा लंड खा कर और अपनी सील तुड़वा कर निहाल हो रही है . हाय ! लंबे और मोटे लंड की चुदाई ही कुछ और ही होती है . बस मज़ा आ गया . हाँ हाँ , तुम ऐसे ही अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरी चूत मे अपने लंड से धक्का मारते रहो . मेरी चूत को भी बहुत दिनों से शौक था मोटे और लंबे लंड से सील तुड्वाने का.और फ़िर उससे चुदवाने का.जम कर.. उसको और जोर जोर से खिलाओ अपना मोटा और लंबा लंड ."
लेकिन जल्दी ही खत्म हो गई उनकी चुदाई . दोनों का पानी आधे मिनट के फरक पर निकल गया . लीना ऐसी चुदाई प कर मस्त हो गई . रात की चोदाई से ज्यादा कड़क चोदाई उसे सुबह वाली लगी .
हॉस्पिटल जाकर रीमा को देखने और रोमा को फ्री करने के कारण रवि को बिस्तर पर से जल्दी उठना पड़ा . बाथरूम मे जाने के बाद पता चला की बाथटब का शावर और नल दोनों ख़राब हो गए है . पानी नही आ रहा था . तो रवि यह कहकर निकल गया की मैं प्लंबर को भेज रहा हूँ . अगर जल्दी आ गया तो ठीक है नही तो रोमा को बता देना की प्लंबर से नल ठीक करवाना है . रवि हॉस्पिटल जाकर रोमा को फ्री किया और बोला की घर पहुंचकर लीना को जल्दी भेज देना ताकी वोह ख़ुद ऑफिस जा सके .
रोमा घर पहुँची तो लीना बाथरूम से निकल कर अपने कपडे बदल रही थी . बाथरूम मे स्टोरेज किए हुए पानी से उसने अपना काम चला लिया था . लीना के चहरे पर छायी हुयी खुशी को देखकर रोमा समझ गई की रात भर क्या क्या हुआ होगा उसने सोच लिया की लीना की सील कल रात मे खुल गई है..क्युकी बेड रूम की चादर पर खून उसे दिख गया था... फिर भी अनजान बनते हुए उसने लीना को छेड़ते हुए पूछा , "है मेरी जान , बड़ी खुश दिख रही हो . रात भर सोयी नही थी क्या ? लगता है जिजू ने बहुत परेशान किया है ."
"नही तो . ऐसी तो कोई बात नही है ."
"अच्छा हमसे ही नाटक ."
"जब कुछ हुआ ही नही तो क्या नाटक करूं ."
फ़िर रोमा ने उसे बेडरूम की चादर पर खून दिखाया और बिस्तर के नीचे पड़ी हुयी फटी हुई नाईटी की ओर इशारा किया. तो लीना शरमा गई और फिर धीरे धीरे सारी बात रात की उगल दी लीना ने .रोमा ने कहा जीजू का लैंड बहुत मज़बूत और मोटा है ये तो मैं जानती हु..मैं
ही कल उनसे चुदवाने के मूड मे थी..लेकिन तेरी लॉटरी लग गई. बहुत मज़ा आया होगा ना?..और दोनों फ़िर रस ले कर बातें करने लगी . रोमा और लीना रात की बात करते करते दोनों ही उत्तेजित हो गए . आपस मे अनजाने ही एक दूसरे के बदन को सहलाने लगी . दोनों की चूतें अन्दर की गरमी से पिघलने लगी . तभी टेलीफोन की घंटी बजी . लीना ने फ़ोन उठाया .
"मैं रवि बोल रहा हूँ ."
"बोलो जिजू , मैं लीना बोल रही हूँ ."
"देखो प्लंबर को बोल दिया है . थोड़ी देर मैं आ जाएगा . लेकिन तुम जल्दी आ जाओ . मुझे कुछ दवाई लाना है फिर मैं ऑफिस निकल जाऊंगा ."
लीना जल्दी ही हॉस्पिटल के लिए निकल गई साथ मे कह कर गई की बाथरूम का नल ख़राब है , प्लंबर आएगा . रोमा मन मसोस कर रह गई . रात मे भी मौका नही मिला और अब सुबह थोड़ी बहुत गरमी शांत होती वह भी नही हुयी .उसे रवि पर ग़ुस्सा आ रहा था..ऐसे तो मेरी चुन्ची दबाते है...गांड दबाते है..आज छुट्टी ले कर घर रुक जाते तो मै भी उस मोटे और लंबे लंड से एक बार तो चुदवा लेती.. आख़िर चूत तड़पती ही रह गई . वोह उसे शांत करने के लिए जीजी की एक नाईटी पहन कर बाथरूम मे चली गई . उससे बदन तो ढक गया लेकिन गला काफी खुला हुआ था और नीचे से भी घुटने के ऊपर तक ही थी .नाईटी को उतार कर जैसे ही नल खोला तो ध्यान आया की वोह तो ख़राब है . उसी हालत मे बैठी बैठी अपनी चूत को हाथ से सहलाने लगी . चूत को सहलाते -सहलाते उसे ध्यान ही नही पड़ा की दरवाजे की बेल कितनी देर से बज रही है . फटा - फट नाईटी पहन कर बाहर निकली और गेट खोल दिया . सामने खड़ा था प्लंबर
एक मजबूत किस्म का इंसान . रंग सांवला लेकिन कद काठी कसरती . वोह भी अपने सामने खड़ी रोमा को देखता ही रह गया . उफ़ क्या नशीला बदन है . एक मिनी नाईटी पहने हुए तो क़यामत ढा रही थी . छातियां नाईटी मे समां नही रही थी . आधे मम्मे बाहर छलक रहे थे . गहरी साँस लेते हुए बोला , "रवि साहेब ने बुलाया है . क्या कोई नल ख़राब है ."
"हाँ .. हाँ . बाथरूम का शावर और नल दोनों ख़राब है . पानी नही आ रहा है ."
संजय , यही नाम था प्लंबर का , सीधे बाथरूम मे चला गया . बाथ टब का शोवेर और नल चालू कर के देखा लेकिन पानी नही आ रहा था . तो उसने शावर को निकाल दिया और फिर बाथरूम के अन्दर बनी हुयी टंकी जो सीलिंग से लगी हुयी थी , से नल को चेक करने लगा .
"लगता है की टंकी से पानी नही आ रहा है . ऊपर चेक करना पड़ेगा . कोई टेबल है क्या ?"
रोमा ने एक मध्यम साइज़ की टेबल ला कर दी . वोह उस पर चढ़ कर टंकी चेक करने लगा और बोला , "पानी तो पुरा भरा पड़ा है . पाइप और फिटिंग चेक करना पड़ेगा ."
यह कह कर अपनी पैंट और शर्ट निकलने लगा . एक बनियान और स्वीमिंग कास्ट्युम जैसा अंडरवियर पहने हुआ टेबल पर चढ़ गया . रोमा उसके गठीले बदन को देखी तो देखते ही रह गई . मजदूर आदमी का जिस्म था . एक दम कड़क .
ऊपर से पाइप को खोलते हुआ बोला "मेम साहेब , आप जरा बाथ टब के पास रहना . जब पानी आए तो शावर को पाइप के ऊपर पकड़ कर रखना ."
बाथरूम मे जगह कम थी . टेबल ने जगह घेर कर रखी थी . रोमा बाथ टब मे जाकर खड़ी हो गई . जब पानी आने लगा तो वोह शावर को पाइप के ऊपर लगाने लगी लेकिन बाथ टब मे खड़ी होने की वजह से रोमा पुरी तरह से भीग गई . उसका बदन नाईटी से झलकने लगा . उसके कबूतर नाईटी से आधे तो पहले ही दिख रहे थे अब बाकी आधे नाईटी के पारदर्शी (transparent) हो जाने की वजह से दीखने लगे . उसके दर्क निपल एक दम से तन कर आमंत्रण दे रहे थे . जांघों से नाईटी चिपक गई थी . उसके उभरे हुए नितम्ब आकर्षित कर रहे थे . संजय ने जब नजर नीचे कर यह नज़ारा देखा तो उसका लंड दन -दन करता हुआ खड़ा हो गया . उसका लंड एक गोरी और मस्त लौंडिया को देख कर फड़फडाने लगा . वोह पाइप वापस फिटिंग करते हुए कभी पाइप को देख रहा था तो कभी रोमा की उफनती हुयी जवानी को देख रहा था . तभी उसके हाथ से रेंच -पाना (an instrument to tight pipe) नीचे बाथ टब मे गिर गया और उसके हाथ से पाइप भी छूट गया .
पानी ऊपर पाइप से नीचे गिरने लगा . ख़ुद भी पुरी तरह से भीग गया . उसके बदन के कपडे भी भीग गए . कोस्ट्युम जैसे अंडरवियर से लंड का साइज़ साफ दिख रहा था .बहुत ही मोटा और लंबा लग रहा था.और मुड़ा हुआ था.. ऊपर से ही कहा , "मेम साहेब , जरा वोह रेंच -पाना देना प्लीज़ ."
रोमा ने रेंच -पाना उठाया तो शावर अपनी जगह से खिसक गया . जिसकी वजह से पानी फिर गिरने लगा . एक हाथ से शावर को पकडे हुए दूसरे हाथ से झुक कर उस ने रेंच -पाना को उठाया और उसकी मस्तानी गांड ..ऊह्ह..ओह्ह ..क्या दृश्य था ..मोटे गदराये नितम्बो की गोलाई और उसमे वो गांड..वो हाथ से रेंच पाना देने लगी . लेकिन पानी गिरते रहने की वजह से उसका ध्यान शावर की तरफ़ ही था . दूसरा हाथ रेंच -पाना संजय को देने के लिए आगे बढाया हुआ था . ऊपर संजय भी पाइप से पानी गिरते रहने की वजह से पाइप की और ही देख रहा था . उसने ऊपर ही मुह किए हुए वापस कहा , "मेम साहेब , प्लीज़ . वह रेंच -पाना देना ."
रोमा भी शावर की और देखते देखते बोली , "दिया तो है . लेलो ."
तभी दोनों की नज़र आपस मे टकराई तो देखा की रेंच -पाना रोमा ने अनजान -वश संजय के मोटे फूले हुए लंड मे फंसा दिया था .संजय यह देखकर मुस्कुराया और रोमा ने अपनी नज़र नीचे झुका ली . संजय रेंच -पाना अपने लंड पर से निकाल कर पाइप को फिटिंग करने लग गया .संजय बोला , "अच्छा मेम साहिब , अब धक्का नही दूँगा . मैं थोड़ा ज्यादा ही जोश मे आ गया था . लेकिन अब इसे चूसो . तड़पाओ मत मुझे ."
रोमा उसके लंड को चाट रही थी ऊपर से फव्वारे से पनि गिर रहा था . संजय को जन्नत का मजा मिल रहा था . तभी संजय को महसूस हुवा की अगर लंड को रोमा के मुह से नही निकला तो फव्वारे की तरह उसका लंड भी पानी फेंकने लगेगा . उसने रोमा को बाथ टब मे लेटकर उस पर छा गया और उसके मम्मे अपने हाथों से पकड़ एक को मुह मे लेकर आम की तरह चूसने लगा . रोमा के मुह से सिस्कारी निकल गई ..आह्ह..उफ्फ्फ..इश..श.स्.स्.स्.स्. धीरे..लेकिन अब संजय कुछ नही सुनने वाला था . संजू बगैर दांतों से नुकसान पहुँचाये उसके एक -एक करके दोनों उरोजो को बारी -बारी से मुह मे लेकर चूस रहा था . साथ मे बोलता भी जा रहा था , "मेम साहेब , तुम्हारे चुचियो का जवाब नहीं .....तुम्हारे चूंची कितने मलाई जितने चिकने है .....और तुम्हारे गुलाबी निपल .. उफ़ ....इन्हे तो मैं खा जाऊंगा ."
रोमा सिस्कारी लेते हुए बोली , ""हाय ! और जोर से मेरी चूची मसलों , इनको ख़ूब दबाव , दबा दबाके इनका सारा रस पी जाओ . मुझे बहुत मज़ा आ रहा है . मेरे पुरे बदन मे नशा छा रहा है . हाय मुझको इतना मज़ा कभी नही मिला . और दबाव मेरी चूची को ."
संजय उसके मम्मे चूसते हुए अपने एक हाथ को उसके मम्मे से सरकाते हुए उसकी चूत के ऊपर हाथ से मालिश करने लगा . रोमा का जोश दुगुना हो गया . उसकी सिस्कारियां बढती ही जा रही थी . जिनको सुनकर संजय का भी जोश बढ़ गया . उसका मुह और दोनों हाथ की स्पीड डबल हो गई . अपनी जीभ से उसकी कड़क हुयी निपल को चूसने के साथ उसकी चूत और झांटो पर अपनी रगड़ बढ़ा दी . "आः आह्ह ......प्लीज़ आहिस्ता करो . रगडो मेरी चूत को .. आराम से करो .. मजा आ रहा है तुम ने क्या कर दिया है .. आज ऐसा पहली बार फील कर रही हूँ और बहुत अच्छा लग रहा है .. हाँ ऐसे .. आराम से .. मगर रुकना मत .. करते रहो .. ओह्ह हह स्.स्.स्.स्.स्.स्.उफ्फ्फ....और उसने टटोल कर फ़िर से उसके लंड को पकड़ा जो की फुफकार रहा था... "
लोहे को गरम होते देख संजय ने अब अपना हथोडा मारना ही अच्छा समझा . उसने रोमा को दीवाल के सहारे उठा के खड़ा कर उसके पीछे से अपने दोनों हाथो से उसके चूतड को सहलाना शुरू कर दिया . उफ़ ... क्या गुदाज़ जिस्म के उसके चूतड थे . दूध मे सिन्दूरी कलर डाले हुए रंग के चूतड . वोह अपनी किस्मत पर यकीन ही नही कर पा रहा था . वाकई मे ऐसी चूत और चूतड किस्मत वाले को ही मिलते है . उसने अपनी जीभ निकल कर उसके चूतड को चाटना चालू कर दिया . रोमा के मादक बदन मे एक सिहरन दौड़ गई . उसका बदन का एक -एक रोंया सिहर उठा . पुरे बदन मे बिजली कड़क रही थी . चूतड को चाट -ते चाट -ते अपनी जीभ को उसकी पीछे से उभर कर बाहर आई हुयी चूत पर लगा दिया . जीभ चूत पर लगते ही रोमा के मुह से "ऑफ़ फ . ..ओफ्फ्फ " की आवाज आनी शुरू हो गई . अपनी जीभ को संजय ने धीरे धीरे आगे बढ़ाते हुए चूत की चुदाई अपनी जीभ से चालू कर दी . चोदना -चाटना , चोदना -चाटना , चोदना -चाटना यही कर रहा था अपनी जीभ से उसकी गुलाबी चूत को दोनों फांक चिपकी हुयी थी..उसे ऊँगली से थोड़ा फैला लिया था...
"ओओओह मा .. ओह आहा आया .. यह क्या कर रहे हो , बहुत मज़ा आ रहा है और चाटो , चूस डालो ... पानी निकल दो इसका .... बहुत प्यासी है मेरी चूत ," रोमा की लहराती हुयी आवाज बाथरूम मे गूँज रही थी . मेरी प्यास बुझा दो , मुझे ठंडा कर्दो .. मेरा जिस्म बहुत जल रहा है .. कुछ कुछ हो रहा है मन मे , प्लीज़ मेरी आग बुझा दो मेरी .. प्लीज़
संजय ने उसकी रसीली छूट की चुसाई कर उसे वैसे ही खड़ा रहने दिया और अपने सख्त लंड को उसके चूतड पर दबाना शुरू कर दिया . लंड को एकदम नजदीक देख उसकी चूत का पानी बहना चालू हो गया . चूत एकदम से जूसी हो गई . अपने हाथ को पीछे ले कर संजय को अपने बदन से चिपका लिया . उसकी चूत की भूख अब बढती ही जा रही थी . अब उससे सहन नही हो पा रहा था . वोह भड़क कर बोली , "उफ्फ्फ ... देख क्या रहे हो ... चालू करो .... लगाओ अपने लंड को निशाने पर और मारो धक्का ."
संजय ने अपने लंड को उसकी चूत के निशाने पर ला थोड़ा सा धक्का दिया . आधा सुपाडा लंड का चूत मे जा कर फँस गया . दूसरा धक्का मारा तो उसके लंड का पूरा सुपाडा उसकी चूत मे जा कर धंस गया . तीसरा धक्का मारा तो आधा लंडउसकी गुफा मे गायब हो गया . साथ ही रोमा की चीख पूरे घर मे फ़ैल गई..ऊह मेरी माँ..मर गयी..निकालो....अह्ह्ह..आह्ह..बाप रे..इतना मोटा...निकालो..मैं मर जाऊंगी.. लेकिन संजय रुका नही..वो समझ गया था की ये चुदी हुयी चूत है ..थोड़ा चिल्लायेगी..क्युकी इतना मोटा लंड कभी चूत मे नही घुसा है ..उसके शहरी दोस्त का नए ज़माने का लंड ही घुसा होगा..उसने रोमा को थोड़ा दबा के पकड़ा और फ़िर धीरे धीरे चोदने लगा..एक और धक्का मारा तो इस बार रोमा की आनंद भरी चीख भी निकल गई . "हाय .... क्या लंड है तुम्हारा .... एक दम से तगड़ा और सख्त .... उफ़ ..... वाकई मे ही ... जैसे कोई गरम गरम हथोडा जाकर मेरी चूत मे फँस गया हो ."
अब संजय ने अपने धक्के लगाने शुरू कर दिए . खड़े होने की वजह से पूरा लंड तो अन्दर नही जा रहा था लेकिन जितना भी जा रहा था वह रोमा की चूत मे खलबली जरूर मचा रहा था . थोड़ी देर इस तरह दक्के मरने के बाद उसने अपने लंड को बाहर निकाल दिया और रोमा को बाथरूम के फर्श पर लेटा कर अपने लंड को उसके मुह मे दाल दिया . रोमा ने गप्प से उसको मुह मे ले लिया . थोड़ी देर चूसाने के बाद बाहर निकाल उसके लंड को हाथ से पकड़ सुरेश को कहा , "प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत मैं डाल दो . मुझे और मत तड़पाओ ज़ालिम . मुझे छोड़ो , मैं तुम्हारे लंड की दीवानी बन गयी हूँ . अपने लंड से मेरी चूत की प्यास बुझाओ ."
संजय ने उसकी जांघों को चौड़ा कर अपने लंड को उसकी चूत पर टिका दिया . फिर कस कर एक धक्का मारा .लंडउसकी रस से भरी हुयी उसकी चूत को ककड़ी की तरह फाड़ता हुआ चूत की अन्दर वाली दीवार से सीधा जा टकराया . रोमा तो एक बार पुरी तरह कंप गई और पूरा बदन दहल उठा और मुह से चीख निकल गई..उईई माँ.मार डाला ..मेरी फट गयीई...आह्ह्ह..लेकिन संजय को अब कोई परवाह नही थी..उसने आव देखा ना ताव..और फटके लगाने शुरू कर दिए..उसने देखा उसके लंड पर कुछ खून के दाग लगे है..आज सच मे रोमा की चूत फट गई..संजय ने . लंड को बाहर निकाल वापस धक्का मारा तो उसकी सिस्कारी निकालनी चालू हो गई . "उफ़ ... अह्ह्ह ..." संजय अपनी फुल्ल स्पीड से उसकी चूत के अन्दर बाहर अपने लंड को कर रहा था .
रोमा बड़बड़ा रही थी , "ओह्ह ह ... क्या चोद रहे हो तुम .... वाकई मे मेरी चूत धन्य हो रही है ... तुम्हारी चुदाई से .... उफ्फ्फ .... मेरी चूत को आज चोद -चोद कर ख़ूब रगड़ाई करो .... आह्ह्ह ह .... चोदो .... चोदो .... और चोदो .... चोदते ही जाओ .मुझे मार डालो..मेरी चूत का पूरा पानी निकालो "
हाँ रानी .... ख़ूब चोदुंगा तुझे आज ...तुम्हारी जीं भर की कसर निकालूँगा आज मैं ....लो संभालो मेरे लन्ड को .....उफ्फ्फ ....तुम्हारी चूत .....क्या नरम और नाजुक है ....तुम्हारे संतरों का भी जवाब नही ....उफ़ क्या चुचिया है तुम्हारी ....आज तुझे ऐसा चोदुन्गा मैं की जिंदगी भर याद रखोगी ."
धक्कों की स्पीड बढती ही जा रही थी . दोनों मदहोश हुए चुदाई मे लगे हुए थे रोमा इस बीच दो बार झाड़ चुकी थी..और चूत ने इतना पानी फेंका था की लंड अन्दर अब आराम से फिसलता हुआ जा रहा था और बाहर भी आ रहा था..और बाथ रूम मे . घचा -घच ....फचा -फच .की आवाज़ आने लगी थी. दोनों आँखों से एक -दूसरे को देखते हुए एक दूसरे मे ज्यादा से ज्यादा सामने की कोशिश मे लगे हुए थे लंड अन्दर जता फिर बाहर आकर दुगने जोश से वापस अन्दर चला जाता . चूत उसका थोड़ा ऊपर उठके स्वागत करती फिर गुप्प से उसको अपने अन्दर समां लेती .
रोमा की चीखें बढती गई , "राजा चोदो मुझे . और तेज .. और जोरसे ... चोदो . ऊफ्फ्फ , ओह्ह्ह , आह्ह्ह , ऊईई माँ , मार गई मैं आज . फाड़ दो मेरी चूत को .... और जोर से चोदो मुझे ...अपने लंड से फाड़ दो मेरी चूत को ... मुझको अपना बनालो .... चोदो मुझको ... जोर से चोदो ... प्लीज़ .....इसको अन्दर तक चोदते रहो .... ऊईए ... उफ़ ... कितना मोटा लंड है , ऐसा लगता है की गधे का लंड हो ....मुझे ऐसा लग रहा है की मैं पहली बार चूदी हूँ ....तुम बहुत मजे का चोदते हो देखो मेरी चूत फटी क्या..और उसने ख़ुद अपना एक हाथ चूत और लंड पर लगाया..और देखा की खून निकला है..वो बोल उठी..राजा..आज सच मे मेरी सील टूटी है..साली लीना ने कल सील तुडवाई लेकिन..मेरी चुदी हुयी चूत की भी आज फ़िर से सील टूट गई..ई.ई.ई.आह्ह..."
संजय अपने लंड को थोड़ा निकाल उसकी जांघों को और फैला कर उसकी चूत की चुदाई चालू कर दी . अन्दर तक जा रहे लंड से अब उसकी चूत पिघलने को तैयार हो गई . रोमा ने अपनी टांगो से उसकी टांगो को एकदम से जकड लिया और बड़ बड़ाई , येस्स ... मेरे राजा ... चोदो मुझे .... उफ्फ्फ .... और .... और ..... अह्ह्ह . ... मेरा पानी .... हाय .....मेरा पानी निकलने वाला है ....राजा ....चोदो ..आह आह आह्हा आह ओफ्फ्फ ..मेरा पानी निकला .....हाँ .... निकला ..... हाँ .हाँ हाँ हाँ उफ़ इश श स्.स् स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्. .... निकल गया ."
संजय के साथ एक -दम से चिपट कर अपनी चूत के पानी से उसके लंड को सींच ही रही थी ..इस बार उसका पानी बहुत तेजी से और बहुत सारा निकला..और उसके इस तरह चिपकाने से संजय के लंड ने भी अपना फव्वारा छोड़ दिया . चूत और लंड का मिलन अपने चरम पर पहुँच गया . दोनों एक दूसरे की बाँहों मे खोते हुए निढाल हो कर फर्श पर ही लेट गए . थोड़ी देर बाद संजय उठा और अपनी नज़रे रोमा की आँखों मे गडाते हुए बोला , "मेम साहिब ये चुदाई मुझे जिंदगी भर याद रहेगी ."रोमा ने भी कहा ,"और नही चोदोगे मुझे ."
"नही मेम साहिब , अब दूकान पर जन होगा . नही तो सेठ को बोलना भारी पड़ेगा मुझे ."
इच्छा नही होते हुए भी संजय को विदा करने रोमा उठ खड़ी हुयी .उसकी चूत की हालत ख़राब हो गई थी..ऐसी चुदाई उसने सपने मे भी नही सोची थी..पुरा बदन टूट रहा था..लेकिन फ़िर भी अच्छा लग रहा था...संजय खड़ा होकर अपने कपड़े पहने और रोमा को चूमता हुवा बाथरूम से बाहर निकल गया .दरवाजे पर आया रोमा उसके पीछे थी उसने देखा फिर बगैर कपड़ों मे खड़ी रोमा को अपनी बाँहों मे समेत -ते हुए उसके होंठों को चूमा , चुचियो को सहलाया , चूत को मसला . रोमा भी उसकी बाँहों से अपने एक हाथ को फ्री कर पैंट के ऊपर से ही उसके लंड को मसलने लगी . लंड झट से खड़ा हो गया . खड़े हुए लंड ने रोमा के हाथों मे फुर्ती ला दी . और जोर से मसलने लगी और बोली , "देखो इसे . इसको अभी नही जाना है ."
फिर नीचे बैठ कर उसके लंड को पैंट की चैन खोल कर बाहर निकाल ली और चूसाने लग गई . लंड मुह मे जाते ही उछल कूद मचने लग . अपनी पैंट को नीचे खिसका कर रोमा को घोड़ी बना कर अपना लंड उसकी नाजुक चूत मे एक धक्के मे पेल दिया और क़रीब २० मिनिट ऐसे ही चोदा और फ़िर अपना पूरा माल उसकी चूत मे डाला..ये चुदाई बहुत ही घमासान थी..रोमा सिर्फ़ चीखती रही..आह्ह..मर..गयी.ई.ई..अआछ..चोदो..और संजय ने हुमच हुमच कर चोदा जब रोमा झड़ी उसके १ मिनिट बाद ही संजय ने अपना पानी भी उसकी चूत मे डाल दिया... रोमा की जान मे जान आई . उसकी चूत लंड खाने को ही उतावली थी और उसे लंड मिल गया ..प्यारी चूत वालियों...कैसी लगी ये चुदाई..अग सच मे चुदाई का मजा लेना है तो मुझसे सम्पर्क कर

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