Friday, March 14, 2008

गाँव के छोरे

एक था गांव जिसका नाम था रामपुर, बहुत ही छोटा सा गांव था बस
८०-१०० घरों का बसेरा था.करीब ३००/५०० लोग रहते थे उस गांव
में.गांव से 10km की दूरी पर ही शहर था,मगर शहर के शोर
गुल से परे था.बहुत ही शांत और खूबसूरत गांव था रामपुर.
वहाँ के मरद सुबह सुबह ही काम पे निकल जाते थे,कुछ शहर की
तरफ कुछ खेतों की तरफ. औरतें घर का काम काज करती. गाँव
में ही एक छोटा सा स्कूल था जहाँ १२ तक पढाया जाता था.बस
सभी लड़के लड़कियां १२ तक पढायी खतम कर चुके थे.अब बस कोई
काम धंदा तो नहीं था बस ऐसे ही घूम घाम कर दीन गुजारते
थेय.


उसी गांव में चार दोस्त रहेते थे, मानु,हँरिया,आलम और कल्लू.
चारों सोलह सत्रह साल के थे और जवानी मे कदम रख चुके
थे.बस उनके दीमाग में २४ घंटे सिर्फ औरत औरत औरत होती थी.
मम्मे,चूत, गांड, लौडा, चुदाई बस यही सब उनकी जिन्दगी बन गयी
थी. हर लडकी बस उन्हें एक छोड़ने की मचीन लगती थी बस और
कुछ नहीं,वोह चुदाई के लिए इतना तरस रहे थे की उन्हें अपनी
माँ,बेहेन,भाभी के बारे में भी गन्दी गन्दी बातें करने में
भी उन्हें कोई शरम नहीं आती थी.कभी कभी शहर जाकर फिल्म
देखना और वहाँ से गन्दी गन्दी कहानियाँ और तस्वीरों वाली
किताबें खरीदना इनका शौक़ था

एक दीन ऐसे ही झाडियों में बैठकर ,लौड़ा लंगोटी में से हाथ
में लेके मूठ मारते हुए बतीय रहे थे यह चारों चोदु यार.

आलम:"अबेय सालों,कल जो देखी थी "जिस्म" क़सम से क्या पिक्चर थी,
बिपाशा का टोह दीवाना हो गया हूँ यार"

हँरिया:"हाँ रे आलम सही कहता है, उस मादरचोद जॉन की तोः निकल
पडी,कैसे उसेय समंदर के पास नीचे सुला के उसके लौडे को चूत
में लेकर घोंट ती है,मेरा तोः लौडा तन् के बम्बू हो गया था"

कल्लू:"हँरिया, तेरा तोः लौडा तान् के बम्बू हो गया था मगर मेरा
तोः उस चीनार के जलवे देखकर वहीँ पानी निकल गया,अआह्छ"

मानु:"कल्लू, मेरी हालत तोः मत पूछ, मेरा तोः दील किया की मैं
परदे में घुस जाऊं और उस रांड बिपाशा की चड्डी चीर के उसकी
चूत और गांड चाट लूं"

आलम:"क्या चूत होगी उस सुअरनी की,काली काली झान्टों से भरी,
रस तप्काती मम्मे सोचकर ही मेरे मुँह में पानी आ रह है"

कल्लू:"तुझे कैसे पता के उसकी चूत झान्टों से भरी होगी?"

हँरिया: "अबेय चोदुमल,वोह बंगालन है, और जहाँ तक मैंने सुना है
बेन्गल की औरतें चूत की,गांड की और बगल के बाल नहीं काट
ती. झान्टों की मदद से वोह मर्दों को रिझाती हैं"

कल्लू: "इसका मतलब रानी मुख़र्जी की बगल,चूत और गांड में भी
झान्टोंें होंगी. हाय मैं मर जाऊओन् एक बार दर्शन हो जाये रानी
की गांड की तोः बस मैं गंगा नहा लूं".

मानु: "हाँ यार, मुझे भी चूत और गांड पे बालों वाली औरतें
बहुत पसंद हैं, बालों किवाजाह से पसीना ज़्यादा आता है और उसकी
बदबू मुझे पागल कर देती है.बिपाशा की काली गांड में भी बाल
होंगे, वोह बाल कीतने खुश किस्मत हैं के उन्हें २४ घंटे बिपाशा की
गांड सुंगने और चाटने का मौका मिलता है.काश मैं भी बिपाशा
की गांड का एक बाल होता"

आलम: "मानु, काली गांड तोः तेरी कजीन की भी है, साली सुबह सुबह
जब पानी भरने आती है तोः क्या गांड मटका मटका के चलती है.क्या
तुने देखी है कभी अपनी कजीनँ की गांड"

मानु: "हाँ एक बार देखी थी, जब मैं खेतों में गया था.कजीनँ
संडास कर के गांड धो रही थी.मैं झाडियों में छुपके देख
रह था. बहुत ही प्यारी है मेरी कजीनँ की गांड, बाल थे या नहीं
देख नहीं पाया मगर गांड तोः बहुत प्यारी लगी मुझे.मैंने फीर
बहुत बार कोशिश की माँ को संडास करते हुए देखने की पर कजीन ऐसी
जगह बैठती थी के देखना मुश्किल होता था."

आलम: "मानु, काली गांड तोः तेरी कजीन की भी है, साली सुबह सुबह
जब पानी भरने आती है तोः क्या गांड मटका मटका के चलती है.क्या
तुने देखी है कभी अपनी कजीन की गांड"

मानु: "हाँ एक बार देखी थी, जब मैं खेतों में गया था.कजीन
संडास कर के गांड धो रही थी.मैं झाडियों में छुपके देख
रह था. बहुत ही प्यारी है मेरी कजीन की गांड, बाल थे या नहीं
देख नहीं पाया मगर गांड तोः बहुत प्यारी लगी मुझे.मैंने फीर
बहुत बार कोशिश की माँ को संडास करते हुए देखने की पर कजीन ऐसी
जगह बैठती थी के देखना मुश्किल होता था."

कल्लू: "मानु,तेरी दुसरी कज्न कजरी के भी मम्मे नीकाल आये हैं,साली
सीर्फ १८ साल की है मगर मम्मे जैसे कोई चूड़ी चुदाई रंडी
के होन."

हँरिया: "हाँ रे मानु तेरी दुसरी कजरी को तो बहुत चोदने का मन
कर्ता है, उसकी कुंवारी चूत की खुशबु क्या होगी. चूत तो बहुत
कासी हुई होगी तेरी दुसरी कजरी की.और गांड की तो क्या कहने
सांवली सी गांड में मुँह मारने को जीं कर रह है. मेरी शादी
करवा देना रे उसके साथ, मेरा साला बन जा"

मानु: " साले शादी तोः मैं खुद अपनी दुसरी कजरी और कजीन के साथ
करना चाहता हूँ ताके जिन्दगी भर उनकी चुत और गांड में मुँह
और लौड़ा मार सकूं.ग़र मैं उनको चोदने में कामयाब रह तोः तुम
सब लोगों को भी चोदने दूंगा."

आलम: "ठीक है रे मानु भरोसा है तुझपे,पहले तू चोद ले फीर
हमसब मिलके एक दीन तेरी कजीन दुसरी को चोदेंगे."

कल्लू: "हँरिया तेरी बड़ी दुसरी आशा का क्या हुआ ,उसके लिए कोई रिश्ता
आया था ना, क्या पक्का हो गया?"

हँरिया: "अरे कहॉ,उस दुसरी चोद को ५० हज़ार रोक्दा, स्कूटर और तव
दहेज़ में चाहिऐ था,हमारी इतनी हैसियत कहॉ,बापू तोः किसी
तरह शहर में काम करके घर चला रहे हैं."

आलम: "साला जाने दे,अकाल घास चरने गयी थी उसकी और लुंड तो
था ही नहीं उस भाद्वे का, जो तेरी दुसरी आशा से शादी करने के
लिए दहेज़ माँगा,अगर मैं होता ना आशा जैसी रांड कुतिया की चूत
और गांड के लिए खुद पैसे देके शादी कर्ता."

कल्लू: 'हाँ रे आलम सही कहता है,आशा क्या फटका है,चेहरा
एकदम सोनाली बेंद्रे,मम्मे अमीषा पटेल,गांड एकदम करीना कपूर के
जैसी,क़मर शिल्पा शेट्टी, बस रंग ही थोडा सांवला(व्हेतीश दर्क)
है.मगर एक नूमबेर की रांड दिखती है,ऐसा लगता है उसके चहरे से
एक लुच्द को तरस रही है."

मानु: "हाँ रे हँरिया,इतनी चिन्नर दुसरी जिसकी उमर ढलते जा रही
है, बिना लुंड के कैसे गुज़ारा करती है. क्या उसकी चूत और गंद
में लुंड के लिए खुजली नहीं होती."

हँरिया: "होती होगी मगर बेचारी क्या करे भरी जवानी बेकार जा
रही है,चूत सूख रही है और मम्मे ढीले पड़ रहे हैं,पर क्या
करे अगर कोई रिश्ता ना आये."

आलम: "अरे ऐसे में ही तोः भाई काम आता है, तू अपनी दुसरी को
पता क्यों नहीं लेटा.तुझे चूत और गांड चाहिऐ और तेरी आशा को
लौड़ा. बस घर की बात घर में ही रहेगी.मुझे लगता है अगर तू
ज़रा कोशिश करेगा ना तोः अपनी दुसरी की चूत में लौड़ा पेल सकता
है. अगर तेरा लौड़ा कम पड़ जाये ना तोः हम सब हैं ना तेरी दुसरी
की चूत और गांड की खुजली मिटने के लिए."

हँरिया: "लगत है तुम लोग ठीक कह रहे हो, बहुत बार आशा को
कपडे बदलते भी देखा है मैंने, बहुत ही मस्त माल है, फील्मों की
सारी हेरोइनें भी गांड चाटेंगी उसके सामने. मगर सगी दुसरी को
छोड़ना पाप है यह सोह्कर मैं चुप रह, पर अब लगता है उसकी
चूत और गांड में लौड़ा पेलने का वाक आगया.मैं आज से ही
कोशिश शुरू कर्ता हूँ"

आलम: "सच में यार इन कजीन बहनों ने तो गांड और लौडे में दम
कर रखा है,अब मेरी बात ले लो जब से मेरा बाप मारा है मेरी कजीन
और सौतेली कजीन के झगडे सुन सुन के लुंड पागल हो जता है"

कल्लू: "वोह कैसे"

आलम: "झगड़ते झगड़ते ऐसे ऐसे गंदे गंदे गलियां देती है के
अब क्या बातों, जैसे के मेरी माँ कहती है,"रांड साली अपनी चूत के
जलवे दिखाके मेरे शोहर को अपनी जाल में फंसा लिए,तेरी चूत
में कुत्ते का लौड़ा ,तेरी गांड में सांड का मूसल." तब मेरी
सौतेली कजीन कहती है "चुप हो जा सुअरनी, तेरी चूत और गांड में
दम नहीं था इसलिये वोह मादरचोद मेरी चूत को सूंघता हुआ मेरी
गांड मरने आया, मगर हाय मेरी किस्मत शादी के दो साल में ही
मर गया अब बता मेरी चूत और गांड कौन मारेगा तेरा बाप,"यह
सब सुनके मेरा तो लौड़ा ऐसे तन् जाता है के जीं कर्ता है दोनो
रांडों को वहीँ लीटा के चोद डालूं."

आलम के मुँह से यह सब सुनके और उसकी चीनार के बारे में
सोचके चारों ने लौडे से अपना अपना पानी निकाल दिया.

मानु: "आलम,हमारी तोः तेरे मुँह से सुनके ही फंफना के ल्ड से
पानी नीकाल गया, अब हम समझ सकते हैं के यह सब गालियां उन
भोस्डियों के मुँह से सुनके तेरा क्या हाल हुआ होगा."

हँरिया: "आलम तू सब को गांड मारने को कहता है मगर तू क्यों
नहीं मारता,तेरी सौतेली कजीन तो चुदने के लिए हमेशा तैयार
लगती है वोह ख़ुशी ख़ुशी अपने सौतेले बेटे का ल्ड घोतेगी, चल
देर मत कर. आज से तू भी लग जा अपनी कजीन को पटाने में.'

कल्लू: "तुम सब लोगों की बातें सुन के बहुत ख़ुशी भी हुई मगर
दुःख भी हुआ, काश मेरा भी कोई अपना होता,कोई कजीन दुसरी,भाभी,
मौसी या कोई भी तोः मैं भी उनको चोद्ता मगर मेरा तो इस दुनिया
में कोई नहीं है, मैं तो अनाथ हूँ,जाने कीस रांड की औदलाद
हूँ ,किस भाद्वे का बीज हूँ."

सब ने कहा,"अरे कल्लू तू क्यों उदास होता है, हम सब की कजीन
बेहेनें तेरी भी कजीन बेहेनें हैं,अगर हम कभी उनको चोद पाए
तो तू भी ज़रुर चोद लेना उनको. हर औरत जिसको हम चोदेंगे उसेय
तुझसे भी ज़रुर चुद्वायेंगे, जवानी का हर मज़ा हम साथ साथ
लूतेंगे रे रंडी की ओल;अद,क्यों फिकर कर्ता है, चल अब चलते हैं
भूख लगी है. ज़रा पेट की पूजा करके फीर बैठते हैं।"

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