Friday, March 14, 2008

खिड़की से नज़ारा

मेरे देवर (husband के चाचा का लड़का) और उसकी wife एक दीन दोपहर को हमारे पास देल्ही आये घूमने के लिए. हमारे पास एक ही कमरा था और छोटी सी standing kitchen. husband office गए हूवे थहे. मैं दोनो को कमरे मे छोड कर kitchen मे उनके लीए लंच बनने लगी. कमरे और kitchenें के बीच मे एक window थही जिसकी लकड़ी के फत्तो मे मोटी दरार थ्ही. देवरानी की जोर से चीखने की आवाज आयी मैने खिड़की की दरार से देखा तो पलंग पर देवरानी ने अपनी साड़ी और पेतिकोत अपनी जांघ से भी ऊपर उठा रखी ठी और जांघ पर एक जगह पर हाथ से मसल रही थी वहाँ पर नीला निशान दीख रह था सायद देवर ने चीकुती काटी होगी.


लंच बनाते-बनाते मैं खिड़की से उनकी हरकतें भी देखती रही. देवर कभी उसके गालों को चूमता कभी उसके दोनो म्म्मे को दबाता और कभी कभी अपना हाथ उसकी साड़ी के अन्दर दाल देता. उनकी इन हरकतों को देख कर मैं भी excited हो रही थ्ही. जैसे ही वो अपना हाथ देवरानी की साड़ी के अन्दर डालता kitchen मे काम करते मेरु चूत गीली हो जाती और मैं अपनी सलवार के ऊपर से अपने हाथ से पोंछ देती. देवरानी भी कभी कभी देवर की पैंट के अन्दर ताने हउवे लंड को जोर से दबा देती. मैने गैस के आंच धीमी कर दीं ताकी जादा समय kitchen मे लगे और उनको देखती रहूँ बीच बीच मे जोर से कोई बरतन जान बूज कर बजा देती की उनको यकीं हो जाये की मैं काम मे busy हूँ. दोनो ने कुछ खुसर फुसर कीया और देवरानी उठकर kitchen मे आयी और बोली दीदी मैं मदद करूं (उसका फस सुर्ख लाल हो रह ठा) मगर उसकी निगाह खिड़की पर थ्ही जिसपर मैने kitchen मे हाथ साफ करने वाला तावाल खींच लिया थ्हा, मैने बोला नही तुम थ्हकी हूई हो आराम करो मैं बाना रही हूँ तो वो झट से बोली, दीदी अपनी मक्षि देदो और उनके लीए भैया की लुंगी हो तो वो भी देदो. मैं कमरे मे गई और दोनो चीजे उसको देने के बाद kitchen मे आ गयी.

थोड़ी देर मे देवरानी मेरी maxi पाहन कर kitchen मे आयी और सरमाते हुये बोली दीदी वो पागल हो गए है, बहुत समझा रही हूँ पर जीद कर रहे है, मैने जान बूज कर पुछा क्या जीद कर रहे है तो वो मेरे से चिपक कर बोली दीदी रात वाली बात के लीए जीद कर रहे हैं. मेरे दिमाग मे उनकी लाइव चुदाई देखने का ख़याल दौड़ने लगा तो मैने कहा कोई बात नही मैं तो kitchen मे हूँ तू दरवाजा बीना कुण्डी के ही बंद कर ले कोई नही आएगा पर जब तुमार काम खतम हो जाये तो कमरे का दरवाजा खोल देना ताकी मैं समाज जाऊं और वो मेरे गाल पर कीस कर झट से कमरे मे भाग गयी और फीर मुझे दरवाजा भेदने की आवाज भी आयी. २-३ मिन के बाद मैने तोवाल हल्का सा हटाकर खिड़की की दरार से देखा तो देवर मेरी देवरानी के म्म्मे (maxi के बटन खोलकर दोनो म्म्मे बहार निकल कर) मुह मे लेकर चूस रह थ्हा और देवरानी लुंगी के अन्दर देवर के लंड को हीला रही ठी पर लंड मुझे दिखायी नही दे रह थ्हा जीसे देखने के लीए मैं जादा उत्सुक थ्ही. देवर ने एक हाथ से देवरानी की maxi peticot के साथ पथ के ऊपर तक खींच ली, उसकी चूत साफ दिखायी दे रही थ्ही जिसके ऊपर हलकी हलकी काली-काली झांते थ्ही.

अब वो उसकी चूत को सहलाने लगा और कभी-कभी एक ऊँगली अंदर कर देता. देवर थोडा नीचे की तरफ सरका और उसके पेट पर चूमने-चाटने लगा. जैसे ही वो अपनी जीभ उसकी झान्तो के ऊपर लाया देवरानी ने उछल कर अपनी चूत ऊपर उठा दीं, देवर ने अपनी बीच वाली ऊँगली मुह मे दाल कर गीली की और उसकी चूत मे दाल कर अंदर बहार करने लगा तो देवरानी दो-तीन बार उछली और उसने देवर का हाथ हटाकर उसको अपने ऊपर खींच लिया सायद वो लंड से चुदवाने के लीए लालायीत हो गई ठी. देवर घुटने के बल बैठा, लुंगी एक तरफ फेंकी और कच्छा नीचे सरकाया तो उसका ताना हुवा मोटा लंड forskin से ढाका हुवा जो करीब ४-४ ½ इंच का हूगा दिखायी दिया मेरे उनके लंड के मुक़ाबले इसका लंड तो बहुत छोटा थ्हा पर मोटा तो थ्हा. देवर ने अपनी हथहेली पर खूब सारा ठुका और लंड के फोर्स्किन को ऊपर खींचकर अपने लंड पर मला और देवरानी की चूत मे सटकर जैसे ही धक्का मारा देवरानी उचक गई और तेधा सा मुह बनाकर आँखें बंद कर ली. देवर ने एक और धक्का मारा और फीर एक और धक्का और सायद पुरा का पुरा लंड चूत मे समां गया थ्हा. अब देवर पुरा का पुरा देवरानी के ऊपर लेट गया और कभी उसके होंठ कभी गाल कभी कान के पीछे चूमने और चाटने लगा.

देवरानी या तो जदा ही गरम हो गई ठी या दर के मरे जल्दी जल्दी चुद्वाना चाहती थी बार बार नीचे से गांड उठाकर धक्के मर रही थी तभी सायद देवर का लंड बहार निकल गया था तो देवरानी ने अपने हाथ घुसेड कर लंड को फीर चूत के छेद पर रखा और गांड उठाकर फीर से लंड को चूत के अंदर ले लीया. देवर ने ऊपर से धक्के मरने start कीये तो नीचे से देवरानी ने. अर्र्रे ये क्या देवर तो ½ minut मे ही ढ़ेर हो गया बेचारी देवरानी अभी भी नीचे से धक्के मरने के कोशिस मे लगी हूई है. देवरानी का चेहरा लाल सुर्ख हो गया, देवर उसके ऊपर से हट गया और चुप रहने का इशारा कर ऊँगली उसकी चूत मे डालकर अंदर बहार करने लगा. पहले एक ऊँगली से फीर दो और अब तीन उँगलियाँ घुसेड़कर जोर जोर से अंदर बहार द्करने लगा अब सायद
देवरानी को मज़ा आने लगा और एक बार फीर उसके चुतर ऊपर की तरफ उछलने लगे.

जदा मज़ा आने के कारण उसका फस के हव-भव बार-बार बदलने लगा. अचानक देवरानी ने अपने दोनो हाथों से देवर के उसी हाथ की कलाई को जोओर से पकडा और अपनी चूत की तरफ खींच कर दबा दीया सायद उसकी चूत ने अपना पानी छोड दिया थ्हा. ये सब देखते देखते आप लोग खुद सोच सकते हो की मेरा क्या हाल हुवा होगा क्योंकी मुझे मुल्तिपल दिस्चार्गे के प्रॉब्लम भी है. मुझे याद नही की कितनी बार मैने पानी पोंछा पर अब देवरानी के झड़ने के बाद मैने भी झट से एक टांग उठाकर गैस के सिलेंडर पर रखी और maxi+peticot उठाकर दो उँगलियाँ फ़टाफ़ट अंदर घुसेड़कर स्पीड मे अंदर बहार करने लगी, १५-२० बार उंगलिया अंदर बहार करने के बाद अपना भी काम होगया. हाथ बहार निकल कर उँगलियों पर अपनी ही चूत से निकले गध्हे पानी को देख ही रही थी की कमरे से दरवाजा खुलने की आवाज आयी, मैने झट से दुसरे हाथ से maxi+peticot के बहार से ही चूत का पानी साफ कीया और सींक के पास खादी होकर दोनो हाथ साफ करने लगी.

देवरानी kitchen मे आयी सरमाते हुवे बोली दीदी आप देख तो नही रही ठी और उसने खिड़की के पास से तोव्ल हटाया और खिड़की की झिरी से झाँका और बोली जरुर देखा होगा यहाँ से तो पुरा बेड दिखायी दे रह है, तो पागल हो गई है कहकर मैं सलाद कटने की तयारी करने लगी।

No comments:

Post a Comment

कामुक कहानियाँ डॉट कॉम

राज शर्मा की कहानियाँ पसंद करने वालों को राज शर्मा का नमस्कार दोस्तों कामुककहानियाँब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम में आपका स्वागत है। मेरी कोशिश है कि इस साइट के माध्यम से आप इन कहानियों का भरपूर मज़ा ले पायेंगे।
लेकिन दोस्तों आप कहानियाँ तो पढ़ते हैं और पसंद भी करते है इसके साथ अगर आप अपना एक कमेन्ट भी दे दें
तो आपका कया घट जाएगा इसलिए आपसे गुजारिश है एक कमेन्ट कहानी के बारे में जरूर दे

460*160

460*60

tex ade

हिन्दी मैं मस्त कहानियाँ Headline Animator

big title

erotic_art_and_fentency Headline Animator

big title