बात आज़ाद भारत की ही है . नेता लोग साफ़ प्रशासन की दुहाई देते रेहते हैं . उनके इशारों पे अफ़सर भी उनकी ही भाषा बोलते हुए अपने आप को जनता का सेवक बताते हैं . आईए आपको आज़ाद भारत के एक कबियली इलाक़े में ले चलते हैं जहाँ पे क़ानून और रक्षा मंत्री महिला जेल का निरीक्षण करने आने वाले हैं . जेल की अधिकीक्षिका स स पी रंक की तेजश्वरी राणा आख़री तय्यरियाँ कर रही है वो रौंद करने के बाद आश्वस्त हैं . अपने कमरे में घुसते हुए वोह अपनी हवलदार कोकिला शेखावत से मुख़ातिब होती है " उन तीन हराम की ज़नियों को सब कुछ ठीक से समझा दिया है ना ? मंत्री जी के सामने कोई हील हुज्जत ना हो ." "जी मदाम सा कोई तकलीफ़ नही होगी रात में अच्छी तरह क्लास ली है उनकी ".
निकाल सामान मंत्री जी के आने से पेहले चुस्त हो लिया जाए . साली दौरे की सिरदर्दी तो रेहती ही है बेशक मंत्री जी का हाथ हमारे सिर पे है ". स स पी तेजेश्वरी अपनी कुर्सी पे बैठते हुए बोली. दरवाज़ा ढोने के बाद कोकिला दराज़ से स्मिरणोफ़्फ वोदका की बोतल और दो ग्लास निकलती है . साथ में भूने हुए काजू एक प्लटे में रखती है "ज़रा तगड़ा बनाना एक दो पीने का ही वख़्त है स स पी तेजश्वरी ने हिदायत दी. पेहले पेग से तो बड़े घूँत पीने के बाद उन्होने कुछ काजू मुह में डाले और उन्हे एक और घूंत के साथ गले में उतरने के बाद ड्राज़ से मेंत्थहोल सिगरेट निकल कर सूलगा ली. धुआँ छोड़ते हुए उनका हत अपनी पेंट के उस हिस्से पे पहुँच जिसके ठीक नीचे उनकी बूर थी. पेंट के उपर से अपनी बूर रागरते हुए कुछ खीझहे लेहज़े में सिसकी " एक तो एह साली सुभहा से कुलमुला रही है रात भर उस रंडी पूजा से चटवाई , फिर भी.... एक तो ये मरा सुंदर को भी छुट्टी पे अभी जाना था. तीन दिन से मेरी बूर में लंड नही गया ".
" दीदी कुछ घंटों की तो बात है सुंदर ना सही ..........मंत्री जी आने ही वाले हैं कोकिला हवलदार अपनी बॉसस को तससल्ी देते हुए कहा . "वोह तो ठीक है ...फिर वोह भी तो पेहले नये माल को चखेंगे...... स स पी अपनी पेंट की ज़ीप खोलती बोली.......
कोकिला समझ गयी की ज़लर साहिबा काफ़ी गरम हो चुकी थी और अब मंत्री जी के आने से पेहले उन की बूर का पानी छुड़वाना होगा. हवलदार कोकिला के लिए कोई नया काम नही था. वोह भी अपनी बास की तरह लंड के इलावा सेहजात सेक्स की भी शौकीन थी. लेसबियनिस्म महिला जेल की चारदीवारी में सेहज़ ही पनपता था- मजबूरी शरीर की भूख मिटाने की , मर्दों की किल्लत के चलते जो बाद मैं शौक बन जाती थी. शादी शुदा अफ़सरों और कर्मचारिओं को घर मोहय्या थे जहाँ वो अपने परिवार रख सकते थे पैर जेल कंपस में गीने-चुने परिवार ही रहते थे. मर्द GUARDS की DUTY जेल के मैं GATE और चारदीवारी की रखवाली ही थी. इस के ईलावा जो मर्द कर्मचारी जेल के अंदर आ सकते थे वोह थे माली, वाहान्ं चालक ,बिजली पानी की मुराम्मत करने वाले आदि थे ,जो अपना काम कर के निकल जाते थे. सिर्फ़ जेलर तेजश्वरी राणा को एक 24 घंटे आर्द्ली मुहय्यया था जो के उसकी घर में खाना बनाने के साथ उसकी कार भी चलता था . यहाँ ये बता देना ठीक रहेगा के जेल आबादी से सुरक्क्षित दूरी पैर थी और आबादी तक पहुँचने के लिए एक जंगली इलाक़े से गुज़रना ज़रूरी था. सारांश में jail के अंदर मर्द काम ही दिखते थे और लंड किसी किस्मत वाली चाहवान को ही मिलता था . हवलदार कोकिला ने भी अपना ग्लस्स ख़तम किया और जेलर साहिबां की तरफ़ बड़ी.तेजेश्वरी राणा अब अपनी पेंट की ज़ीप खोल के पेंटी को नीचे कर अपनी choot बुरी तरह मसल रहीं थी. ........कोकिला तेजेस्वरी के पास पहुँची. शराब और . नशा उस पे भी क़ाबिज़ हो रहा था. वासना के डोरे अब दोनो पुलिस वालिओं की आँखों में साफ़ झलकने लगे थे. कोकिला ने नीचे होते जेलर तेजेश्वरी के होटों पे अपने तपते होंट रख दिए. जेलर और हवलदार का फ़र्क ख़तम हो चुका था मानो! ससपी तेजेस्वरी राणा ने अपनी जीभ निकल के कोकिला के मुह में डाल दी जिसे हवलदार कोकिला जोश से चूसने लगी . उन्माद में दोनो की आँखें बंद थी और नाक से गरम साँसे निकल रही थी. तेजेश्वरी राणा का अपनी बूर के भगनाशे (clit) को रग़ड़रना बदस्तूर जारी था.
जेलर से जीभ चुस के कोकिला भी मस्त हो रही थी. उसने अपना थूक इकट्ठा किया और तेजेश्वरी के मुह में थूक दिया. कोकिला की इस सेक्सी हरकत ने मानो जेलर में नयी ' गर्मी ' का संचार कर दिया हो!........ दोनो पुलिस वालियाँ अपने सेक्स में विभिन्नता के साथ विभीत्सा भी पसंद करती थीं . चूम्मन के दौरान कोकिला तेजेश्वरी के मम्मों को भी उसकी वर्दी वाली कमीज़ के उपर से दबाने और मसलने लगी . वक़्त की कमी को ध्यान में रखते हुए हवलदार कोकिला ने सीधे होते हुए अपनी बेल्ट खोलनी शुरू की. जल्दी ही उसकी पेंट घुटनों तक पहुँच चुकी थी और उसके शरीर का निचला भाग अब नंगा था. उफ़्फ़.... गोरी मासल टाँगें ..... झांघें ...... चौड़े कुल्े........ और उभरी हुई गांड.....! उसकी बूर पे के काले रेशमी बाल थे..... जेलर तेजेश्वरी ऐसे ही नही हवलदार कोकला की कायल हुईं थी .! अनुभवी हवलदार कोकिला को पता था की उसकी 'मदाम' को कैसे जल्दी शांत करना है वैसे तो जेलर तेजेश्वरी विभिन्न लोगों से , जिसमे मर्द और औरतें दोनो शामिल थे विभिन्न प्रकार का सेक्स करती थी . लेकिन वोह हवलदार कोकिला की गांड पे विशेष रूप से फ़िदा थी. वोह कई घंटे कोकिला की गांड को चुमते, चाट ते बीता चुकी थी.जेल के गलियारों में दबी आवाज़ चर्चा होती थी के कैसे हवलदार कोकिला समय से पेहले तररकी कर गयी थी, अपनी कई स्मकलीन मुलज़मों से , लेकिन अंदर की बात कुछ ख़ास लोग ही जानते थे..... (जिसका कुछ अंदाज़ा हमारे कहानी पड़ने वालों को भी लग गया होगा) . कोकिला तेजेश्वरी के सामने गाये की तरह झुक गयी अपनी गांड अपनी मदाम की तरफ़ करके. जेलर साहिबां को मानो स्वर्ग मिल गया हो.अपनी जूनियर की गांड पे वोह बेताहाशा टूट पड़ी.___ ' तरबूज़ों ' को चुमती , काटती , सेहलती.... ___ .जल्दी ही जेलर सा सब्र ख़त्म हो गया ! ...... उसने कोकिला की गांड की फ़ाँक को फैलाया और उसमे अपनी नाक डाल दी. .....उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ जन्नत !....... स्सपी तजेश्वरी राणा अपनी हवलदार कोकिला की गांड सूंघ के मदहोश हो रही थी. लंबी -लंबी साँसें ले के मानो वोह कोकिला की गांड की महक हमेशा के लिए अपने जेहन मे सेहेज के रख लेना चाहतीं थी . जी भर के सूंघने के बाद जेलर तेजेश्वरी ने अपनी जीभ बहर निकली और उसे कोकिला की गांड के मुहाने से चिपका दिया..... उनकी जीभ कोकिला की गांड में ज़ाने को तत्पर थी.
हवलदार कोकिला के लिए भी एह एक स्वर्ग की अनुभूति जैसा था __ सेक्स की ख़ुशी के इलावा उसे एक ' विभीत्स मानसिक ' सुख मिलता था _____ सोच कर की उसकी मदाम , जेल की हुकमरान , उसकी गांड चाट रहीं हैं .कोकिला की गांड चाट ते हुए जेलर अपनी बूर जको भी सेहला रही थी.अपनी बूर में उंगली करी तो कभी बूर के दाने को मसलती, सेहलाती. गांड चटवाते कोकिला भी अपनी बूर में उंगली करने लगी . वासना का उन्माद चरम वाग पे था...... जल्द ही दोनो पुलिस वालिओं की सहनशीलता जवाब दे गयी और चरम शारीरिक सुख की अनिभूति करते हुए दोनो सलखित हो गयीं.
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