ज्बान से निगाहों का जब, टकराव हो गया
मोहल्ले के मरदों बीच, पथराव हो गया;
वो नीकल गयीं, लचकती क़मर के झूले में
जवानी कया गुजारी, रासते का घेराव हो गया.
अब तो सुबह होते ही, राह भीड दबी होती है
मुस्कराते चहरे लिये, दीन शृंगार हो गया;
बुढो की चमक उठी, अँधियारी सी आंखें
वासना की आसना में, sex गुबार हो गया.
कोई चुपके से देखे, कोई गंडा कहे इसको
पर इसकी बात सब करते, व्यक्ती लाचार हो गया;
जरा सी गरमी मीले तो, भड़क उठाती है चिंगारी
दोमुहीं जिंदगी संग, झूठा सा संसार हो गया.
बहुत सम्भोग कर डाला, फीर भी ढूंढे नीवाला
पयास मन में दबी है, बदन हुंकार हो गया;
जो खुलते हैं, वो पिघलते हैं - सुलाघते हैं
बंद रहनेवालों के लीये ही, दुःखी संसार हो गया.
--
........raj.........
Wednesday, May 28, 2008
1 comment:
कामुक कहानियाँ डॉट कॉम
राज शर्मा की कहानियाँ पसंद करने वालों को राज शर्मा का नमस्कार दोस्तों कामुककहानियाँब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम में आपका स्वागत है। मेरी कोशिश है कि इस साइट के माध्यम से आप इन कहानियों का भरपूर मज़ा ले पायेंगे।
लेकिन दोस्तों आप कहानियाँ तो पढ़ते हैं और पसंद भी करते है इसके साथ अगर आप अपना एक कमेन्ट भी दे दें
तो आपका कया घट जाएगा इसलिए आपसे गुजारिश है एक कमेन्ट कहानी के बारे में जरूर दे
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maaaaaaaaaaaaaaaaja aagaya yaar
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