यह कहानी मेरी और मेरे ससुराल की है जैसे सबकी चाहत
होती है वैसे ही मेरी भी यह तमन्ना थी ki मुझे एक कुंवारी
बीवी मील. पर मुझे इस मामले मेँ निराशा हाथ लगी. पर एक din
जब मुझे असलियत का पता चला तो मैं एक शांत स्वभाव वाला
व्यक्ती अचानक एक बागी बन गया. शुरू मेँ हर औरत की तरह
मेरी बीवी भी यही कहती रही ki वह शादी के समय बिल्कुल
कुंवारी थी.
मैं शादी सी पहले कई लर्कियों और औरतों को
चोद चूका हूँ और मेरी बीवी मुझे चोदना नहीं सीखा सकती. पर
जब असलियत सामने आई तो मैंने अपने नसीब को स्वीकार कर लीया पर
इसका बदला मैंने उसके परीवार सी लीया.. इस कहानी मेँ उस बदले
की रोचक दास्ताँ है.
मैं विशाल सक्सेना इस समय ३० साल का हूँ. दोस्तों सी सुना है ki
खासा आकर्षक भी हूँ. मैंने ३ साल पहले शादी ki थी. वह
मेरे पिताजी के दोस्त के बारे भाई की इकलौती बेटी थी. उसके माँ
बाप दोनों एक एक दुर्घटना मेँ जब वह केवल १० साल की थी
तभी मर गए थे. पहले भी उसके पीता का और चाचा का परीवार
एक संयुक्त परीवार था और माँ बाप के मर जाने के बाद वह चाचा
के परीवार के साथ एक घर के सदस्य की तरह ही रह रही थी.
क्योंकी मैं विलायाती लारकी से शादी नहीं करना चाहता था
इसलिए मैंने सोच रखा था ki अपने देश मेँ ही जाके शादी
करूंगा. जब मैं छुट्टी पर अपने देश गया तो वहाँ पीताजी के
दोस्त के घर पार्टी मेँ वह मुझे पहली बार दीखी और दोस्तों उसे
देख कर लगा था ki कोई अप्सरा आसमान से उतर आई हो. गोरा रंग,
लंबे बाल और क्या मस्त बदन था. ३६ - २६ - ३६ बिल्कुल सांचे मेँ
ढाला शरीर. होंठ जैसे गुलाब ki पंखुरियाँ हों. जिन को देखते
ही चूम लेने को दील करे. जब बात करती तो लगता था ki गुलाब के
फूल झर रहे हों. उसके होंठों से आँखें लंबी और समुन्दर ki
तरह गहरी थी. ऊपर से Un मेँ काजल लगा हुआ. बस Un आंखों
मेँ डूब जाने को दील करता था. (हर बेवकूफ आशिक ki तरह मुझे
भी यह सब लगता था, शादी से पहले) लेकीन क्या खूब कीसी कवीने
कहा है ki चार din ki चांदनी फीर अंधेरी रात. चलते हैं.
दुबारा कहानी ki तरफ.
तो जब मैंने उसे पार्टी मैं पहली बार देखा तो बस देखता ही रह
गया. वह अपने कुछ दोस्तों के साथ खरी बातें कर रही थी. मैं
उसे देखने मेँ मगन था. जब मुझे कीसी का हाथ अपने कन्धों पर
महसूस हुआ तो मैंने फ़ौरन मूर कर देखा तो पीताजी मेरे करीब खरे
थे. उनहोंने पूछा,
बेटा क्या बात है? कहाँ खोये हुए हो? मैंने झूट बोला,
नहीं पीताजी ऐसी तो कोई बात नहीं. यहाँ कीसी से इतनी अभी
जान पहचान भी नहीं हुई है. यहाँ सारा माहोल कुछ नया
नया लगता है. अभी ४ साल पहले ही मैं पहली बार इंग्लैंड गया
था. उसके बाद अभी अपने देश भारत मेँ आना हुआ. अआते ही अपने
पुराने दोस्तों मेँ ऐसे राम गया जैसे ki यह कल की ही बात हो.
यह तो पीताजी ने बहुत जोर दीया तब मैं इस पार्टी मेँ आ गया, नहीं
तो मैं अपने कॉलेज के दोस्तों मेँ ही सारा समय व्यतीत करता था.
अच्छा कोई दोस्त बनाया ki नहीं? चलो मैं तुम्हें अपने दोस्त के
परीवार से मिलाता हूँ. मैं Un के पीछे चल पर. उनहोंने अपने
दोस्त से मेरा परिचय कराया.
बेटा यह अंकल यशपाल हैं और यह Aunty रागिनी हैं, In ki बीवी.
अंकल और Aunty बारे तपाक से मील और फीर उन्क्लेने आवाज़ दी..
कामिनी बेटी ज़रा इधर तो आओ. वह धीमी चाल से चलती हुई आई
और मुझ पर एक नज़र दाल कर अपने चाचा ki तरफ मूर कर देखा.
क्या बात है, चाचा आपने मुझे क्यों आवाज़ दी?
बेटा मैं तुम्हें अपने पुराने दोस्त और In के बेटे से मीलाना चाहता
हूँ. उसने पीताजी और मुझे सलाम कीया. फीर वापीस अपने दोस्तों ki
तरफ जाने लगी तो उन्क्लेने उसे कहा ki,
बेटी विशाल को अपने दोस्तों से मीलो और इन्हें कंपनी दो. मैंने दील
मेँ अंकल को दुआ दी. काश कुछ और भी माँगता तो मील जाता आज.
वह मुझे अपने दोस्तों से मिलाने ले गयी. उस के दोस्तोंने मुझे बहुत
पसंद किया. फीर हंसी मजाक होने लगा. उधर पता नहीं अंकल और
पीताजी मेँ क्या बातें होने लगी थी. वह हम दोनों को देखते और
मुस्करा देते. वह तो घर वापीस आ के पता चला ki पीताजी और
उन्क्लेने हमारा रिश्ता पक्का कर दीया है. , क्योंकी मुझे वापीस भी
इंग्लैंड जान था.
हमारी शादी अगले सप्ताह होनी थी. फीर शादी भी हो गयी.
सुहाग रात आई. ( जहाँ से Meri बदकिस्मती शुरू हुई ) जब मैं
कमरे मेँ आया तो वह बिस्तर पर बैठी थी. मैं दील मेँ अरमान लीये
उसके पास पहुंचा और हमारे बीच हेल्लो हाय हुई और मैंने उसका
घूंघट उठाया, वो! क्या नज़ारा था? जैसे आसमान का चाँद
ज़मीन पर उतर आया हो. मैंने उसे मुँह देखी मेँ एक सोने का सेट दीया
जो ki उसे बहुत पसंद आया.
उसने शुक्रिया के साथ सेट ले लीया और फीर हम बातें करने लगे और
साथ साथ मैं उसके बदन पर हाथ फेरता रह जिससे वह गरम होने
लगी. मैंने उसका चेहरा अपने हाथों मेँ ले कर उसके होठों पर एक
चुम्बन लीया और साथ ही अपनी जीभ उसके मुँह मेँ घुसा दी. वह Meri
जीभ चूसने लगी. मेरे हाथ उसकी चूचियां पर चलने लगे और
मैंने उसकी चूचियां को दबाना शुरू कर दीया जिससे उसने हलकी सी
सिसकी ली..
मैंने साथ ही उसके कपरे उतारने शुरू कर दिए. जब मैंने उसकी
कमीज़ उतारी तो पागल सा हो गया. उसका कोरा बदन देख के, क्या
बदन था? गोरा और उसने काली brassier पहनी हुई थी. मैंने उसे
उतारने मेँ वक़्त नहीं लगाया और क्या नज़ारा था? उसके ३६ आकार के
मुम्में मेरे हाथों मेँ थे. क्या मुम्में थे. गुलाबी चुचुक और
बारे अंगूर के बराबर चुचुक का आकार था. देखते ही चूमने और
चाटने का दील कर रह था. मैंने वक़त बर्बाद नहीं कीया. उसके
चुचुकों को चूसना शुरू कर दीया जिससे वह मस्त हो गयी. आहें
भरने लगी.
ओह... ओह.... विशाल क्या कर रहे हो बहुत मज़ा आ रह है. चूसो,
काटो. चूसो, यह सब तुम्हारा है. विशाल. उईइ.... ओह.. और मैं
वहाँ पर ही नहीं रुका मेरा हाथ बल्की अब उसकी चूत पर पहुंच
चूका था. वो! क्या चूत थी. बिल्कुल साफ एक भी बाल नहीं था.
जब मैंने अंगुली उसकी चूत के होठों पर घुमाई तो वह सिसकारी
लेने लगी.
उह... विशाल ! मत छेरों न. मैंने उसकी चूत के होठों को दो
अंगुलियों से खोला और Meri बीच की अंगुल उसके भागोष्ट पर
फिरानी शुरू कर दी जिससे वह और मस्त हो गयी. मुझ से कहने लगी.
विशाल डार्लिंग. क्या कर दीया है? तुमने मेरे सारे जिस्म मेँ गरमी
भर दी है.. मैंने कहा ki,
फ़िक्र मत करो वह गरमी मैं ही निकालूँगा डार्लिंग! और मैंने उसकी
चूचियां को छोर कर उसकी चूत ki तरफ जान शुरू कीया. बीच
मेँ उसका पेट आया, जिसको चंद चुम्बन दे के मेरे होठ उसकी चूत पर
पहुंच गए. फीर क्या था? मैंने न आव देखा न ताव. दोनों हाथों
से उसकी चूत के होठों को एक दुसरे से अलग कीया. Meri जुबां से
उसकी चूत को चाटना शुरू कीया. साथ ही उसकी सिसकियों का दौर
शुरू हुआ.
विशाल क्या कर रहे हो? बहुत मज़ा आ रह है.. उईइ.... ओह.. और
चूसो. विशाल मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ.. चूसो,
मैं पागल ki तरह उसकी चूत चाट रह था. चूत पर चुम्बन
देने लगा, क्या मज़ा था? फीर क्या था? कुछ ki वक़त मेँ वह झरने
लगी..
विशाल मैं झर रही हूँ. उसने मेरा सीर अपनी चूत पर दबाना
शुरू कर दीया. मुझे सांस लेने मेँ मुश्किल हो रही थी. वह अपनी
ही मस्ती मेँ थी. मैं भी रुका नहीं और वह एक गहरी कराह के
साथ ही स्खलित हो गयी. उसका हाथ मेरे सीर पर ढीला पर तो मैंने
फ़ौरन अपना सीर वहाँ से हटाया और एक गहरी सांस ली. वह कुछ
देर तक मस्ती मेँ ही रही. मैंने वक़त नहीं बर्बाद करते हुए
अपने सारे कपरे उतार दिए. मैं पूरी तरह नंगा हो गया. जब
उसकी नज़र मेरे ९ ? आकार के लौरे पर परी तो उसकी आँखें खुल
गयी. जब वह शोच्क से बाहर निकली तो सिर्फ इतना ही बोल पाई.
क्या यह लंड कीसी गधे या घोरे का है. इतना बारा, Meri चूत तो आज
फट जायेगी. क्या इतना बार Meri चूत मेँ घुस जाएगा? नहीं यह
बहुत बारा है नहीं बाबा यह तो मेरी चूत मेँ बिल्कुल नहीं
जाएगा. मैंने कहा ki,
फ़िक्र मत करो मैं घुसा लूंगा और तुम्हारी चूत इसे पुरा अपने
अन्दर ले भी लेगी.
विशाल यह अगर मेरे अन्दर गया तो मैं तो मर जाउंगी. इतना बारा,
हे भगवान् मेरी रक्षा करो! Meri चूत का क्या होगा? मैंने कहा ki,
फ़िक्र क्यों करती हो? मैं बहुत आराम से करूंगा. तुम्हें पता भी
नहीं चलेगा. अभी तो तुम मेरे लौरे को चूसो. इसे तैयार करो,
फीर देखना यह कैसे तुम्हारी चूत ki चुदाई करता है. मैंने अपना
लंड उसके मुँह मेँ दीया. लेकीन मेरा लंड बहुत बारा था. उसे तकलीफ
हुई, शुरू मेँ. पर फीर उसने तकरीबन आधा लंड मुँह मेँ ले लीया
और उसे चूसने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रह था. क्या चुस्ती थी.
कभी वह मेरे लौरे को मुँह से बाहर निकालती और उस पर जुबां
फेरती और फीर मुँह मेँ ले लेटी. कुछ देर के बाद मैंने उसके मुँह
से लंड बाहर निकाला और उसको बिस्तर पर लिटा दीया. मैंने साइड टेबल
से सरसों का टेल लीया और कुछ अपने लौरे पर और कुछ उसकी चूत
पर लगाया और जब मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रग्दा तो उसने
सिसकारी ली..
विशाल शाबास ! बहुत आराम से करना, तुम्हारा बहुत बारा है.
Meri चूत नन्ही मुनी सी है.
फ़िक्र मत करो कामीनी डार्लिंग और मैंने अपने लौरे का सीर उसकी चूत
के होठों मेँ पहन्सा के आहिस्ता आहिस्ता दबाव डालना शुरू कीया.
जैसे ही मेरा लंड का तोप अन्दर हुआ उसकी चीख नीकल गयी. वह तो
अच्छा हुआ ki मेरा कमरा ऊपर था. वरना सब ही जमा हो जाते ki क्या
हो गया है. मैंने उसे तस्सल्ली दी ki,
बस कामीनी डार्लिंग सबर से काम लो, अब चीख नहीं मारना. मैंने
इसके साथ ही ज़रा सा और दबाव दीया. उसकी एक और चीख नीकल
गयी. मैंने फ़ौरन उसके मुँह पर हाथ रख दीया. साथ ही लंड उसकी
चूत मेँ घुसाना शुरू कर दीया. वह मेरे निचे तरप रही थी.
पर मैंने सोचा ki विशाल बेटा अब पुरा घुसा के ही दम लेना वरना यह
फीर काबू मेँ नहीं आयेगी. मैंने कुछेक ज़ोर दार झटके मारे
जिससे मेरा लंड अब तकरीबन पूरा उस ki चूत मेँ घुस चूका था.
मैंने उसकी आंखों मेँ आंसू देखे. मुझे तरस भी आया पर क्या
करता लंड तो घुसाना था. जब मैंने लंड ज़रा सा उसकी चूत से
बाहर निकाला और फीर एक ज़ोरदार झटका मारा तो वह मेरे निचे
तरपने लगी. वह सीर को दायें बाएँ घुमा रही थी. दर्द के
मारे उसकी जान नीकल रही थी. मेरा पुरा लंड अब उसकी चूत मेँ
घुस चूका था. मैंने उसे अन्दर ही रहने दीया. जब ५ मिनट के बाद
वह शांत हो गयी तो मैंने उसके मुँह से हाथ हटा लीया.. उसने जो
पहला लफ़ज़ कहा वह था.
तुम बहुत ज़ालिम हो विशाल. तुमने Meri चूत का सत्य नास कर दीया
है. Meri चूत तो फट गयी हो गी. अह्ह्ह क्या दर्द हो रह है. मैं
तो समझी ki मैं मर जाउंगी. मैंने उसे कहा ki,
कामीनी डार्लिंग बस जो होना था हो गया. अब तुम्हें दर्द नहीं होगा
सिर्फ मज़ा ही आएगा और मैंने उसके होठों पर चुम्बन की बरसात
शुरू कर दी. साथ ही साथ उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर
दीया जिससे उसे मज़ा आने लगा और उसकी सिस्कारियाँ निकलने लगी..
हम और जब वह फीर से गरम हो गयी तो मैंने आहिस्ता से लंड बाहर
निकाला लेकीन तोप अन्दर ही रहने दीया. फीर आहिस्ता से उसकी चूत
मेँ अन्दर ठेल दीया. उसने हलकी सी दर्द मेँ डूबी सिसकारी ली. मैं
यह अमल कुछ देर तक करता रह. अब मेरा लंड आसानी से अन्दर
बाहर हो रह था. कुछेक मिनट के बाद उसे भी मज़ा आने लगा.
उसने अपने होठों को मेरे होठों पर कास के लगा लीया ki जैसे यह अब
अलग नहीं हो. जब मैंने उसकी चूत मारना शुरू कीया तो वह अब
मस्ती भरी सिस्कारियाँ ले रही थी.
औऊऊइ. विशाल और छोडो Meri चूत का कचूमर निकाल दो. अह क्या
लंड पाय है तुम ने. विशाल बहुत मज़ा आया रह है.. विशाल Meri
चूत पर रहम नहीं करना. इसे इतना छोडो ki इस ki प्यास बुझ
जाये. छोडो. उईइ.... ओह.. और मैंने तेज गाती से उसकी चूत चोदना
शुरू कर दी जिससे उसे और भी मज़ा आने लगा और उसकी
सिस्कारियाँ और भी तेज़ हो गयी थी.
विशाल मेरे पति देव, मेरे यार, मेरे सब कुछ तुम्ही हो. Meri चूत
रोज ऐसे ही चोदना. मेरा सारा बदन तुम्हारा है. तुम इसे जैसे
चाहो इस्तेमाल करना. उह.. विशाल मैं झरने वाली हूँ. शाबास
! रुकना नहीं, बस छोड़ते रहो. अह आज Meri चूत ki प्यास बुझा दो
और फीर उसने अपनी टांगों को Meri कमर पर कास लीया.. वह झरने
लगी और फीर वह शांत हो गयी. लेकीन मैं भी झरने वाला था.
कुछ झटकों के बाद मैंने कहा ki ,
आआआ... कामीनी Meri डार्लिंग. मैं झरने वाला हूँ. मैं तुम्हारी
चूत मेँ ही झारूंगा. क्या तुम मेरा वीर्य अपनी इस चूत मेँ भर लो
गी. हाय मेरी रानी! और मैंने एक गहरा झटका दीया. लंड उसकी
चूत मेँ आख़िर तक घुसेर कर पुरा वीर्य उसकी चूत मेँ छोर
दीया. फीर उसके जिस्म पर गिर गया. क्या मज़ा आया था? संकरी चूत
का मज़ा ही कुछ और होता है. १० मिनट के बाद जब मैंने अपना लंड
उसकी चूत से निकाला तो पहला झटका मुझे वहाँ ही लगा.
मेरे लौरे पर सिर्फ वीर्य था. उसके खून का कहीं नामो निशाँ
नहीं था. तो क्या यह कुँवारी चूत नहीं थी. हाँ जब मेरा लंड
उसकी चूत मेँ जा रह था तो कीसी चीज्ने उसे रोका नहीं, सिर्फ
चूत संकरी थी. लेकीन सील नहीं थी. खून भी नहीं है.
क्या मेरे साथ फीर वह ही हुआ है. जो कुछ साल पहले हुआ था जब
मैंने जुली नाम की एक विलायाती लार्की को चोदा था. वह भी
कुंवारी नहीं थी. अब Meri बीवी, ओह्ह गोद! मैंने कामीनी से कहा,
कामीनी, तुम कुंवारी नहीं हो क्या? तुम्हारी जिन्दगी मेँ कोई और
भी आया था तो प्लेस बता दो. आज हमारी जिन्दगी ki शुरुआत है.
मैं तुम से कुछ नहीं छुपऊंगा न तुम कुछ छुपाना. आज सच
सच बता दो. लेकीन वह कहाँ मानने वाली थी. वह रोने लगी. यह
ही कहती रही ki मैं कुंवारी ही हूँ. मैंने कुछ नहीं कहा.
मैंने कहा ki,
मैंने तुम्हारी बात को मान लीया.. मैंने देखा ki उसकी आंखों मेँ
मगरमच्छ के आंसू हैं. लेकीन मैंने सोच रखा था ki अगर वह
कुंवारी नहीं भी है तो क्या हुआ. अगर मुझे सच बोल देगी तो
मैं उसे माफ़ कर दूंगा पर वह झूट पर झूट बोलती जा रही थी.
जीस का मुझे बहुत गुस्सा था. लेकीन मैंने जाहीर नहीं होने दीया.
मैंने उसे बाहों मेँ ले कर चूमना शुरू कर दीया. वह भी समझी
के मैं उसके झांसे मेँ आ गया. मैंने सोचा ki चलो मैं कौन सा
कुंवारा था. भूल जाओ बेटा विशाल और ने जिन्दगी ki शुरुवात करो
और उस रात मैंने उसे ४ बार चोदा.
अगले din पिताजीने कहा ki वह वापीस इंग्लैंड जा रहे हैं और क्योंकी
Meri २ महीने ki छुट्टी है तो मैं बाद मेँ आ जाऊं. मैंने उन्हें
एयर पोर्ट पर छोडा और वापीस घर आ गया. कामीनी मेरा इंतज़ार कर
रही थी. हमने खाना खाया और फीर चुदाई शुरू हो गयी. हमने
न din देखा और न रात, बस चुदाई करते रहे. फीर एक din क्या हुआ
उसके चाचाने हमें डिनर पर बुलाया. हम जब वहाँ पहुँचे तो
Un सबने हमारा शानदार इस्तकबाल कीया. उसकी दो चचेरी बहनें
थी और एक चचेरा भाई भी. अंकल ज्यादा उमर के थे. Aunty बहुत
खूबसूरत और Sexy थी. लगता नहीं था ki ३ बच्चों ki माँ है.
दोनों चचेरी बहनें तो क्या माल थी. देखते ही लौरे मेँ हरकत
शुरू हो गयी. पर मैंने काबू पा लीया.. लौरे पर और थपकी
देकर सुला दीया ki बेटा अब सब माँ बहन है. जब हम सब का परिचय
हुआ तो पता चला के एक चचेरी बहन ki शादी हो चुकी है. एक
बच्चा भी है, ३ महीने का. दूसरी छोटी वाली अभी कुंवारी
है. भाई शाब जो है वह जॉब करते हैं और अभी शादी नहीं
हुई है. हम सब खाना खा चुके तो सब टीवी लौंगे मेँ आ गए.
काफ़ी वहाँ ही माँगा ली. कुछ देर बाद कामीनी अपनी चचेरी
बहनों के साथ Un ki मदद करने चली गयी. फीर कौशल उसका
चचेरा भाई, वह भी कुछ काम का बहाना कर के चला गया. अब
मैं अंकल और Aunty ही रह गए.
हम बातें करने लगे, मुझे टॉयलेट जान था. मैंने अंकल से excuse
कीया. टॉयलेट का रास्ता पूछा जो ki साथ ही था. टीवी लौंगे से बाहर
नीकल के दूसरा दरवाजे मेँ टॉयलेट के लीये चल दीया. जब मैं टॉयलेट
से फारिग हो के बाहर आया तो मुझे बगल के कमरे मेँ कुछ बातों
ki आवाज़ आई. मैंने गौर कीया तो वह कामीनी और कौशल ki आवाजें
थी जो ki बहुत ही धीमी आवाज़ मेँ बातें कर रहे थे. मैंने सोचा
ki पता नहीं क्या बातें हो रही हैं और वक़्त भी बहुत हो गया
है. मैंने सोचा कामीनी से कह कर अंकल से घर जाने ki इजाज़त लेते
हैं और मैंने आहिस्ता से जब दरवाज़ा खोला तो क्या देखता हूँ ki
कामीनी कौशल ki बांहों मेँ थी. कौशल उसपर चुम्बन की बरसात
कर रह है. मेरे पाँव के निचे से ज़मीन निकलती जा रही थी.
मैंने दरवाजे को थोरा सा खुला कीया और अन्दर का नज़ारा देखने लगा.
--
........raj.........
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राज शर्मा की कहानियाँ पसंद करने वालों को राज शर्मा का नमस्कार दोस्तों कामुककहानियाँब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम में आपका स्वागत है। मेरी कोशिश है कि इस साइट के माध्यम से आप इन कहानियों का भरपूर मज़ा ले पायेंगे।
लेकिन दोस्तों आप कहानियाँ तो पढ़ते हैं और पसंद भी करते है इसके साथ अगर आप अपना एक कमेन्ट भी दे दें
तो आपका कया घट जाएगा इसलिए आपसे गुजारिश है एक कमेन्ट कहानी के बारे में जरूर दे