Wednesday, May 28, 2008

तुमने भी मुझको याद कीया

यकीन नहीं कर पाती हूँ,
तुमने भी मुझको याद कीया!
और मैं हूँ ऐसी पगली,
तेरी खातीर खुदा को भुला दीया!!


जब चंदा मुस्काता था,
मस्त हवा जब बहती थी!
याद तुम्हारी आते ही,
गुदगुदी चूत में होती थी!!
रिमझीम-रिमझीम बरखा में,

जब बिल्कुल तनहा मैं होती!
तकिए पे सर को रख करके,
तेरे लंड की याद में थी रोती!!
सोच के दील भर आता है,
संग होते तो क्या हो सकता था!
मैं हर पल चूमा करती तुमको,
हर लम्हा मेरा हो सकता था!!
अब जब तुम आ जाओगे,
चुन लेंगे हम फीर से कडियाँ!
चूमुंगी हर पल लंड को,
मधुर बनायेंगे घडियाँ!!
एक साल सी तनहा हूँ,
मिलने पर आँखें भर आएँगी!
तेरे बदन को छूते ही,
चूत मेरी बह जायेगी!!
मैं हाथ तुम्हारे बांधूंगी,
फीर लंड को जी भर चूसूंगी!
रो-रोकर कहोगे छोडो ,
मैं घंटों तक बस चूसूंगी!!
जब लंड तुम्हारा रोयेगा,
फीर चूसूंगी मैं निप्प्ले!
तब जाके समझोगे तुम,
इक बरस रही कैसे दिम्प्ले!!
फीर तुम माफ़ी मांगोगे,
मैं फीर भी रूठूंगी तुमसे!
तुम कान को हाथ लगाओगे,
चाटो मेरी, फीर कहूँगी तुमसे!!
तुम चूत में जीभ घुसोगे,
मेरे शिकवे बह जायेंगे!
जाँघों में तुम्हे दबाते ही,
फासले सब मीट जायेंगे!!
मम्मो को सहलाते ही,
गांड पे हाथ फीराते ही!
जब लंड चूत में जाएगा,
मीट जायेंगे सब गीले मेरे,
फीर, दील से दील मील जाएगा!!
कभी मैं ऊपर आ जाउंगी,
कभी मुझे बना लेना घोडी!
हम तुम इक दूजे को चोदेंगे,
लाखों में एक, हमारी जोड़ी!!
मोहन मुझे बना लो अपना,
कोई नहीं है तुम जैसा!
हर पल रोई हूँ मैं तुम बीन,
हुआ जो था, फीर ना हो वैसा!!


--
........raj.........

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