नाम राजा है। मैं जब स्कूल में था तो काफ़ी शर्मीला हुआ करता था लेकिन जब
मैं कोलेज पहुंचा तो वहां पर जो दोस्त मिले उनके साथ मैन एक चालू औरत के
साथ उसके घर पर उसके पियक्कड पति के सामने चुदाई की और तब से यह सिलसिला
आज तक चल रहा है। वैसे तो मैने अपनी ज़िंदगी में कई लड़कियों, कई आंटियों
और भाभियों को चोदा है लेकिन आज जो घटना मैं आप लोगों को बताने जा रहा
हूं वो मेरी ज़िंदगी में बिल्कुल अचानक घटी थी जब मैने अपनी आंटी को ही
चोद डाला।
पहले तो मैं आप लोगों को अपनी आंटी के बारे में बता दूं। वो 30 साल की,
गोरा रंग, टाइट बोडी, बड़ी बड़ी चूचियां, ऐसा की जो भी देखे देखता ही रह
जाये। वो दिल्ली में रहती है। उसके 2 बच्चे हैं। One is 10 years old and
other is 7 years old। पिछले दिसम्बर में उनके घर गया था ओफ़िस के काम से,
मैं मुम्बई में जोब करता हूं। और मेरा काम ऐसा है कि पूरा हिंदुस्तान
घूमना पड़ता है।
दिल्ली में दिसम्बर के महीने में काफ़ी ठंड होती है। अंकल नाइट शिफ़्ट की
ड्युटी करने गये था। घर छोटा होने के कारण हम एक ही रूम में सोये था। मैं
बेड पर सोया था और आंटी बच्चों के साथ नीचे लेटी थी। ठंड काफ़ी थी इसलिये
बेड पर सोते ही मुझे नींद आ गयी। रात के 2 बजे पेशाब करने के लिये अचानक
मेरी नींद खुली तो मैने देखा आंटी एक पतली सी चादर ओढ़ी हुई है और बुरी
तरह से कांप रही थी और बच्चे एक कम्बल में सो रहे थे। शायद घर में दो ही
कम्बल थे, एक उन्होने मुझे दिया था और दूसरा बच्चों को उढ़ाया था। मैं ने
लाइट जलाई तो आंटी उठ कर बैठ गयी लेकिन वो बुरी तरह से कांप रही थी। मैं
ने कहा आप ऊपर बेड में चली जायें मैं नीचे सो जाता हूं, तो उन्होने कहा
ठंड बहुत है तुम्हें ठंड लग जायेगी। मैने कहा आप तो बुरी तरह से कांप रही
है ठीक से बोल भी नहीं पा रही हैं आप ऊपर बेड पे सो जाओ।
और इतना कह कर मैं ने उनका हाथ पकड़ कर ऊपर बेड पे बैठा कर पेशाब करने चला
गया। वापस आ कर देखा तब भी वो कम्बल के अन्दर बुरी तरह से कांप रही थी।
तभी उन्होने कांपते हुए कहा राजा लाइट बंद करके तुम भी बेड पर सो जाओ।
मैने लाइट बंद की और उनके पास आ कर सो गया। बेड छोटा होने के कारण हम एक
दूसरे से बिल्कुल सटे हुए थे। तभी उनका हाथ मैने छुआ तो वो काफ़ी ठंडा था
और वो अब भी कांप रही थी ठंड से।
फिर आंटी ने मुझ से कहा राजा मुझे ज़ोर से पकड़ो मुझे बहुत ठंड लग रही है।
मैं ने उनको कहा कि आप घूम कर सो जाओ और उनके सर को मैने अपने एक हाथ के
नीचे रखा और दूसरा उनके पेट पर रखा।अब हम दोनो की पोजिशन कुछ इस तरह थी
कि उनकी गांड मेरे लंड पे पूरी तरह से चिपकी हुई थी और मैं पूरी तरह से
उसे दोनो हाथों से पकड़े हुआ था। मेरा लंड आंटी की गांड की दरार के बीच
में घुस कर टाइट होने लगा था। मैं अपनी कमर को पीछे ले जाने लगा और अपनी
पकड़ को भी ढीला करने लगा। लेकिन आंटी बहुत बुरी तरह से कांप रही थी और
मेरे हाथ को अपने हाथ से ज़ोर से पकड़े हुई थी। मैं आंटी के साथ कुछ गलत
सोच भी नहीं सकता था लेकिन मेरा लंड मेरी बस में नहीं था। मेरा लंड अब
बेकाबू हो रहा था और वो पूरी तरह से आंटी की चूत में घुसने को तैयार था।
तभी आंटी ने मेरे हाथ को अपनी कमीज़ के नीचे घुसा कर अपने पेट पर रख दिया
उनका पेट बर्फ़ की तरह ठंडा हो रहा था। मेरा गर्म हाथ रखने से उनको काफ़ी
अच्छा लग रहा था आंटी मेरे हाथ को पकड़ कर अपने पेट पेर और ज़ोर से रगड़ने
लगी। मैं धीरे धीरे उसके पेट को सहलाने लगा। सहलाने के कारण कई बार मेरा
हाथ उनकी चूचियों से टकराया लेकिन उन्होने कुछ नहीं कहा। मैने हिम्मत
करके उसके एक दूध को पकड़ कर सहलाने लगा। उसकी दूध का निप्पल बिल्कुल टाइट
हो कर बाहर निकल गया था। मैं उनके निप्पल को उंगलियों के बीच रख कर धीरे
धीरे घुमाने लगा। अब उसके मुंह से सिसकियां निकलनी शुरू हो गयी थी।
फिर मैने उनकी कमीज़ पीछे से पूरी उठा कर उसके गर्दन तक कर दिया और उसकी
ब्रा के हुक भी खोल दिये फिर मैने भी अपना बनियान उतार कर अपने पेट और
सीने को उसकी नंगी पीठ पर सटा कर पुरी तरह से चिपक गया।
उसे मेरे जिस्म की गरमी अच्छी लग रही थी वो भी मुझसे पूरी तरह से चिपक
गयी थी। अब मेरे लंड को और रोक पाना मेरे लिये मुश्किल हो रहा था। मैं
उसके पायजामे को धीरे धीरे नीचे करने लगा तो वो थोड़ी थोड़ी कमर उठाने लगी।
मैं समझ गया कि आंटी को अब लंड की गरमी की ज़रूरत है वो अब पूरी तरह से
तैयार थी।
मैने अब उसे पायजामे को पूरा उतार दिया और अपनी लुंगी को भी उतार दिया।
फिर मैने अपने लंड को उसकी चूत पे रख कर धीरे से एक धक्का मारा और लंड
पूरा का पूरा चूत में घुस गया। मैं अब उसकी चूचियों को अपने हातों से ज़ोर
ज़ोर से दबा रहा था। थोड़ी देर के बाद वो मेरी तरफ़ घूम गयी। मैं अब उसके
दोनो पैरों को खोल कर बीच में बैठ गया और उसकी चूचियों को मुंह से चूसने
लगा। तभी उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ़ खीचने लगी। मैं समझ
गया कि उसकी चूत चुदवाने के लिये बेताब हो रही है।
मैने अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर रख कर एक जोर का झटका मारा और पूरा
का पूरा लंड उसकी बुर में घुस गया। वो पूरी मस्ती में आ चुकी थी। उसके
मुंह से ऊह आह की आवाज़ निकल रही थी। मैं पूरी स्पीड में अपने लंड को पूरा
बाहर कर के अंदर डाल रहा था। लंड और बुर के टकराने से थप थप की आवाज़ आ
रही थी। आंटी भी अपनी कमर को उठा उठा कर पूरा साथ दे रही थी। फिर अचानक
वो मेरे कमर को पकड़ का ज़ोर ज़ोर से खीचने लगी मैं भी ज़ोर ज़ोर से उसे चोदने
लगा और फिर अचानक मेरे लंड ने 8-10 झटके में पिचकारी की तरह पूरी गरमी
आंटी के बुर में भर दिया। आंटी भी पूरी ताकत से मेरे सीने से चिपक गयी।
हम दोनो आधे घंटे तक वैसे ही पड़े रहे। आधे घंटे के बाद मेरे लंड में फिर
से जोश आने लगा। मैने आंटी को उल्टा लिटा दिया और पीछे से उसके बुर को
चोदने लगा। पीछे से चोदने में मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी कुंवारी
लड़की की चुदाई कर रहा था। उसकी गोल गोल गांड मेरे लंड के दोनो तरफ़ इस तरह
से फ़िट हो रही थी मानो मेरे लिये ही वो गांड बनी हो। मैं फ़ुल स्पीड में
उसकी चुदाई करने लगा और इस बार भी लंड ने सब गरमी बाहर निकाली तो उसकी
बुर मेरे वीर्य से भर गयी। अब वो पूरी तरह से नोर्मल हो चुकी थी।
फिर हम सो गये। सुबह वो मुझे जगाई तो मैं उनसे नज़र नहीं मिला पा रहा था।
लेकिन वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी। बच्चे भी स्कूल जा चुके थे। तभी
अचानक दरवाजे पर किसी ने खटखटाया। मैं समझा अंकल आ गये। दरवाज़ा खुला तो
एक खूबसूरत लड़की, बिल्कुल टाइट जीन्स और टी-शर्ट में अन्दर आयी और आंटी
से कहा की अंकल ने फोन किया था अभी और कहा है कि वो ओवरटाइम पर हैं। मैं
खुश हो गया। फिर वो लड़की चली गयी। मैने आंटी से पूछा कि ये लड़की कौन है
तो उन्होने कहा कि मकान मालिक की बेटी है। मैं आंटी को मुस्कुराते हुए
देखा और कहा आंटी मुझे इसे चोदना है। तुम कुछ करो न प्लीज़। आंटी बोली
नहीं नहीं मैं कुछ नहीं कर सकती। इतना सुनते ही मैने आंटी को बेड पर पटक
दिया और उसकी चूचियों को ब्रा से निकाल कर चूसने लगा और कहा बोलो अब उसे
मुझसे चुदवाने के लिये तैयार करोगी या नहीं। आंटी हंसते हुए बोली, अच्छा
बाबा मैं उसे तुम्हारे लिये तैयार करती हूं। मैने कहा ये हुई न बात और
फिर आंटी के सारे कपड़े उतार कर फिर से उसकी चुदाई करने के लिये उसे गरम
करने लगा। दिन के उजाले मैं उसकी खूबसूरती बिल्कुल साफ़ साफ़ दिख रही थी।
उसकी नंगे जिस्म को देकते ही मेरा लंड लुंगी से बाहर आने को बेताब होने
लगा। मैने अपनी लुंगी निकाली और आंटी की ऐसी चुदाई की कि वो मेरी दिवानी
बन गयी।
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